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November 16, 2025

कुमाऊं में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र से लिव इन संबंध का पहला पंजीकरण

(Haldwani-Ruckus (Haridwar-Married Womans Love Affair-Left Husband) over a Couple Found in a Hotel (Love-Deceit and a Wedding at the Police Station (Young man Marred 40-year-old married woman After (Supreme Court Decision-Live-In Physical Relation)

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 5 अप्रैल 2025 (1st Registration of live-in Relationship Kumaon)उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता के अंतर्गत कुमाऊं मण्डल से, हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्र से लिव इन संबंध का पहला पंजीकरण सामने आया है। यह पंजीकरण उपजिला अधिकारी द्वारा किया गया है, जो कि कुमाऊं मंडल का इस प्रकार का पहला मामला है।

कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत पंजीकरण अनिवार्य
(1st Registration of live-in Relationship Kumaon)

पुलिस व संबंधितों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में 27 जनवरी से लागू समान नागरिक संहिता के अंतर्गत विवाह के साथ-साथ लिव इन संबंधों का पंजीकरण भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस नियम के अनुसार यदि कोई युगल बिना पंजीकरण के लिव इन संबंध में रहता है तो उसके विरुद्ध 6 माह की कारावास अथवा 25 हजार रुपये के आर्थिक दंड अथवा दोनों के प्रावधान हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में यह दायित्व उपजिला अधिकारी को दिया गया है जबकि शहरी क्षेत्रों में नगर आयुक्त पंजीकरण अधिकारी बनाए गये हैं। इस दिशा में हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्र से पहली बार एक विधवा महिला द्वारा लिव इन संबंध का पंजीकरण कराया गया है। इस महिला का एक बच्चा भी है। पंजीकरण की प्रक्रिया को हल्द्वानी के उपजिला अधिकारी परितोष वर्मा ने शुक्रवार को पूरा किया।

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया

लिव इन संबंध के पंजीकरण हेतु युगल को राज्य सरकार के वेब पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करने की प्रक्रिया 30 दिनों के भीतर पूरी करनी होती है। स्वीकृति के बाद संबंधित अधिकारी द्वारा एक रसीद दी जाती है, जिसके आधार पर युगल किराये के मकान, छात्रावास या पीजी में साथ रह सकते हैं।

सूचना अभिभावकों को देना अनिवार्य

इस पंजीकरण की जानकारी रजिस्ट्रार के माध्यम से युगल के माता-पिता या अभिभावकों को देना अनिवार्य है। साथ ही यदि लिव इन संबंध के दौरान कोई संतान जन्म लेती है तो उसे उसी युगल की जायज संतान माना जायेगा और उसे जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

यूसीसी पोर्टल पर पंजीकरण के आंकड़े

अब तक समान नागरिक संहिता पोर्टल पर कुल 21 युगलों ने लिव इन संबंधों का पंजीकरण कराया है, जबकि विवाह के पंजीकरण की संख्या 66,365 तक पहुंच चुकी है। वसीयत और वारिस से संबंधित पंजीकरण 207 तथा तलाक हेतु 62 पंजीकरण दर्ज किये गये हैं।

इस प्रक्रिया के माध्यम से राज्य सरकार ने लिव इन जैसे संबंधों को कानूनी रूप में मान्यता देते हुए उन्हें सामाजिक ढांचे के अंतर्गत लाने का प्रयास किया है। यह पहल न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संरक्षित करती है, बल्कि पारिवारिक एवं सामाजिक विवादों की संभावनाओं को भी नियंत्रित करती है।

Uniform Civil Code के अंतर्गत उत्तराखंड की पहल (1st Registration of live-in Relationship Kumaon)

उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां समान नागरिक संहिता लागू की गयी है। इसका उद्देश्य सभी नागरिकों को समान वैधानिक अधिकार और जिम्मेदारियों के अधीन लाना है। इसमें विवाह, तलाक, गोद लेने, संपत्ति विरासत और लिव इन संबंध जैसे मामलों को समान रूप से लागू किया गया है।

लिव इन पंजीकरण की यह प्रक्रिया न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में कदम है, बल्कि इससे महिला और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा रही है। हल्द्वानी से शुरू हुआ यह प्रयास अन्य जिलों के लिये भी एक दिशा और प्रेरणा बन सकता है। (1st Registration of live-in Relationship Kumaon)

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