March 28, 2024

कोरोना से सात गुने से अधिक जानलेवा साबित हुआ ब्लैक फंगस, मौतों की संख्या अर्धशतक पार

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नवीन समाचार, देहरादून, 11 जून 2021। उत्तराखंड में ब्लैक फंगस कोरोना से अधिक जानलेवा साबित हो रहा है। राज्य में कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर जहां दो प्रतिशत से कुछही अधिक है, वहीं ब्लैक फंगस से मृत्यु दर जहां 15.73 प्रतिशत हो गई है। राज्य में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 15 मार्च 2020 को देहरादून में मिला था। कोरोना काल के 452 दिनों के भीतर प्रदेश में 3336153 लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं। इसमें 318235 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और 6909 मरीजों की मौत हुई है। कोरोना संक्रमण की मृत्यु दर 2.06 प्रतिशत है। वहीं 14 मई 2021 को देहरादून में पहली बार दिखे ब्लैक फंगस के अब तक राज्य में 369 मरीज आ चुके हैं। जबकि 58 मरीजों ने दम तोड़ा है और 35 मरीज ठीक हुए हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

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नवीन समाचार, देहरादून, 01 जून 2021। कोरोना की मंद पड़ती रफ्तार के बीच म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस लगातार चुनौती दे रहा है। इस बीमारी के रोज नए मरीज मिलने से स्वास्थ्य महकमा परेशान है। सोमवार को प्रदेश में ब्लैक फंगस के २३ और मामले मिले हैं, जबकि दो मरीजों की मौत हुई है। इस तरह ब्लैक फंगस के २२१ मामले मिल चुके हैं। इनमें से १७ मरीजों की मौत हो चुकी है और १३ लोग ठीक हो चुके हैं। म्स ऋषिकेश में अब तक सबसे अधिक १४० मरीज भर्ती हुए हैं। वहीं हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में २६, श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में १५ व दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में ब्लैक फंगस से पीड़ित ११ मरीज भर्ती हो चुके हैं। वहीं नैनीताल जनपद में भी ब्लैक फंगस के १६ मामले सामने आ चुके हैं, जबकि ऊधमसिंहनगर व उत्तरकाशी में भी एक-एक मामला सामने आया है। (डॉ.नवीन जोशी)

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नवीन समाचार, देहरादून, 30 मई 2021। कोरोना की दूसरी लहर से कुछ राहत है मगर म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चुनौती बढ़ती जा रही है। बीते 24 घंटों में भी राज्य में ब्लैक फंगस के 31 नए मामले सामने आए हैं। एक मरीज की मौत हुई है। इसके बाद ब्लैक फंगस के मरीजों का आंकड़ा 192 तक पहुंच गया है। इनमें से 15 मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि 13 मरीज ठीक हो चुके हैं। एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के अब तक सबसे अधिक 115 मरीज भर्ती हुए हैं। हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में 14, महंत इंदिरेश अस्पताल में 15, दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में 11, आरोग्यधाम अस्पताल में दो व सिटी हार्ट सेंटर में एक मरीज भर्ती हो चुका है। इधर कुमाऊं मंडल में भी ब्लैक फंगस के, नैनीताल जनपद में 16 और ऊधमसिंहनगर में एक सहित कुल 17 मामले सामने आ चुके हैं। (डॉ.नवीन जोशी)

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नवीन समाचार, देहरादून, 27 मई 2021। उत्तराखंड में कोरोना के बाद हो रही बीमारी ‘ब्लैक फंगस’ के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इधर राज्य में ब्लैक फंगस के 15 नए मरीज मिले हैं, जबकि एक मरीज की मौत हुई है। इसके साथ राज्य में देहरादून जिले में सबसे अधिक 141 तथा नैनीताल में छह और ऊधमसिंह नगर जिले में एक सहित कुल 148 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। जबकि देहरादून जिले में 10 तथा नैनीताल व ऊधमसिंह नगर में एक-एक सहित कुल12 मरीजों की मौत हो चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के कुल 101 मरीज आ चुके हैं, जबकि सात मरीजों की मौत हो चुकी है। बुधवार को यहां नौ नए मरीज भर्ती किए गए हैं। अभी तक दो मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। फिलहाल एम्स में 92 रोगी भर्ती हैं। उधर, हिमालयन हॉस्पिटल जौली ग्रांट में 18 मामले आ चुके हैं। दो की मृत्यु हो गई है। छह मरीजों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है। वहीं बुधवार को कुमाऊं मंडल के एकमात्र सुशीला तिवारी अस्पताल में भी रुद्रपुर के एक निजी अस्पताल से आया ब्लैक फंगस का एक और संदिग्ध 70 वर्षीय मरीज भर्ती हुआ है। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। जबकि काशीपुर के कोविड निगेटिव ब्लैक फंगस पीड़ित 63 वर्षीय ब्लैक फंगस के एक मरीज का ऑपरेशन भी किया गया है। उसकी हालत भी अभी गंभीर बनी हुई है। अलबत्ता, अब एसटीएच में तीन संदिग्ध समेत चार ब्लैक फंगस मरीज भर्ती हैं। इसके अलावा हल्द्वानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती दो ब्लैक फंगस की हालत स्थिर है। (डॉ. नवीन जोशी)

यह भी पढ़ें : ब्लैक फंगस के मोर्चे पर अच्छी खबर: राज्य की फैक्टरी में ही ब्लैक फंगस की दवा का उत्पादन शुरू, 27 को मिल जाएंगे 15 हजार इंजेक्शन

नवीन समाचार, देहरादून, 25 मई 2021। मंगलवार को राज्य में ब्लैक फंगस से देहरादून निवासी एक 68 वर्षीय मरीज की मौत हो गई। वहीं 15 नए मरीज भी मिले। इस प्रकार अकेले एम्स में ब्लैक फंगस के अब तक 92 मामले हो गए हैं, जबकि इनमें से सात एवं राज्य में कुल 11 संक्रमितों की मौत भी हो चुकी है। जबकि ब्लैक फंगस से पीड़ित केवल नौ मरीज ही ठीक हुए हैं।
इधर मंगलवार को ब्लैक फंगस के मोर्चे पर अच्छी खबर भी आई है। राज्य में ब्लैक फंगस की दवा एम्फोटेरेसिन बी का मंगलवार से रुद्रपुर की फैक्ट्री में उत्पादन शुरू हो गया है और गुरुवार को राज्य को इस दवा के 15 हजार इंजेक्शन मिलने की पूरी उम्मीद बताई गई है। गौरतलब है कि अभी राज्य के पास सिर्फ करीब 300 ही इंजेक्शन बचे हुए हैं। जबकि हर दिन बड़ी संख्या में मरीजों के सामने आने से दवाई की मांग बढ़ रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ. पंकज पांडेय ने बताया कि रुद्रपुर फैक्ट्री को 15 हजार इंजेक्शन का आर्डर दिया गया है जो 27 मई को राज्य को मिल जाएंगे। उन्होंने बताया कि उसके बाद 7000 इंजेक्शन का एक और ऑर्डर कंपनी को दिया गया है। उन्होंने बताया कि कंपनी को अन्य राज्यों को दवा देने से मना नहीं किया गया है लेकिन कंपनी राज्य की जरूरतों का भी ख्याल रखेगी। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से चिह्नित 12 कोविड अस्पतालों को ब्लैक फंगस की दवा सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी। जो अस्पताल डेडिकेटेट कोविड अस्पताल नहीं हैं उन्हें सरकार की ओर से कोई मदद नहीं दी जाएगी। (डॉ.नवीन जोशी)

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के संक्रमितों की संख्या 100 के पार, 9 की मौत, सिर्फ 5 हुए स्वस्थ…

नवीन समाचार, नैनीताल, 24 मई 2021। यह समाचार उत्तराखंड के कोरोना से स्वस्थ हुए लोगों के लिए सतर्क व सावधान रहने को है। राज्य में म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मरीजों का आंकड़ा तीन अंकों में यानी 100 के पार हो गया है। इनमें से 9 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि इलाज के बाद केवल 5 मरीज ही ठीक होकर घरों को लौटे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक देहरादून, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में अब तक 101 मरीजों का ब्लैक फंगस की पुष्टि के बाद एम्स ऋषिकेश, दून मेडिकल कालेज, मैक्स हास्पिटल, श्री महंत इन्दिरेश हॉस्पिटल, सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज, आरोग्य धाम हॉस्पिटल, हिमालयन हॉस्पिटल, कृष्णा हॉस्पिटल, सिटी हार्ट, जेएलएन जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार देहरादून जिले में ब्लैक फंगस के कुल 97 मरीज आ चुके हैं और इनमें से 8 की मौत हो चुकी हैं। वहीं ऊधमसिंह नगर में 1 और नैनीताल में 3 मरीज आ चुके हैं, जबकि एसटीएच में 1 की मौत हो चुकी है। एम्स ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि संस्थान में अब तक ब्लैक फंगस के 74 केस मिले हैं, वर्तमान में 67 मरीज भर्ती हैं। वहीं हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में वर्तमान में 10 मरीज भर्ती हैं।

यह भी पढ़ें : दावा: आपका मास्क भी हो सकता है ब्लैक फंगस का कारण…

नवीन समाचार, नई दिल्ली, 23 मई 2021। कोरोना विषाणु की दूसरी लहर से देश अभी जूझ ही रहा है कि ब्लैक फंगस नाम की एक और बीमारी तेजी से फैल रही है। लेकिन इस महामारी के फैलने के पीछे एक चौंकाने वाली वजह सामने आई है। यदि आप एक मास्क को कोरोना विषाणु से बचाव के तौर पर लंबे समय से इस्तेमाल कर रहे हैं तो वह ब्लैक फंगस की वजह हो सकता है। एम्स के चिकित्सकों व विशेषज्ञों के अनुसार एक ही मास्क को लगातार दो से तीन सप्ताह तक इस्तेमाल करने पर यह ब्लैक फंगस की वजह बन सकता है।
देखें नैनीताल के जिला चिकित्सालय के डॉ. दुग्ताल ने ब्लैक फंगस पर क्या कहा:

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान-एम्स दिल्ली में न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. पी शरत चंद्र ने ब्लैक फंगस के बारे में बात करते हुए कहा कि लगातार 2-3 हफ्ते तक एक ही मास्क को पहनना ब्लैक फंगस के विकास की वजह बन सकता है। डॉ. शरत चंद्र ने कहा फंगन इंफेक्शन कोई नई चीज नहीं है। लेकिन यह कभी भी महामारी की शक्ल में नहीं हुआ। हमें अभी भी सही वजह नहीं पता है कि यह क्यों महामारी की शक्ल ले रहा है। लेकिन हमारे पास कई ऐसे कारण मौजूद हैं जिनके आधार पर हम सकते हैं कि इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं। डॉ. शरत चंद्र के अनुसार इसकी प्रमुख वजहों में अनियंत्रित डायबिटीज, टोसीलिजुमाब के साथ स्टेरॉयड का उपयोग, मरीज का वेंटिलेटर पर होना, ऑक्सीजन लेना है। कोविड इलाज के 6 सप्ताह के भीतर अगर कोई इनमें से किसी से भी होकर गुजरा है तो उसमें ब्लैक फंगस होने का खतरा सबसे ज्यादा है। उन्होंने यह भी आगे कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना बहुत ही खतरनाक है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस की घटनाओं को कम करने के लिए इसकी अत्यधिक खतरे की जद में आने वाले संभावित लोगों को पोसाकोनाजोल दवा दी जा सकती है।
वहीं वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.एसएस लाल ने भी कहा है कि म्यूकोर मायकोसिस होने के पीछे लंबी अवधि तक इस्तेमाल किया गया मास्क भी हो सकता है। मास्क पर जमा होने वाली गंदगी के कणों से आंखों मे फंगस इन्फेक्शन होने की संभावना बनी रहती है। साथ ही मास्क में नमी होने पर भी इस तरह का इन्फेक्शन हो सकता है। डॉ. लाल कहते हैं कि कोविड-19 मरीज को इलाज के दौरान लंबे समय तक ऑक्सीजन देने के कारण भी यह फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। चूंकि कोविड मरीज को स्टेरॉयड की हाई डोज दी जाती है, इससे उसका शुगर लेवल बढ़ने से उसे ऐसे संक्रमण होने की आशंका खासी बढ़ जाती है। इस बीमारी के आंख तक पहुंचने के शुरुआती लक्षण आंखें लाल होना, आंखों से पानी आना और कंजक्टिवाइटिस होने जैसे लक्षण हैं। बाद में आंखों में दर्द होता है और रोशनी चली जाती है। वैसे इस फंगस से इंफेक्शन होने की शुरुआत नाक से होती है। इसके कारण नाक से ब्राउन या रेड कलर का म्यूकस बाहर निकलता है। फिर यह आंखों में पहुंचता है और इसके बाद इसके ब्रेन, नर्वस सिस्टम तक पहुंचने से मरीज की मौत हो जाती है। चूंकि यह फंगस वातावरण में पाया जाता है, लिहाजा बरसात के मौसम में ब्लैक फंगस फैलने की आशंका ज्यादा है। लिहाजा जरूरी है कि कोविड-19 से उबरे लोग रोजाना मास्क को डेटॉल में धोकर धूप में सुखाकर या प्रेस करके ही पहनें। इसके अलावा मास्क को अन्य कपड़ों के साथ न धोएं।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में 43 रोगियों में ब्लैक फंगस की पुष्टि, अस्पतालों में नहीं दवाई, बाजार में कालाबाजारी…

नवीन समाचार, देहरादून, 19 मई 2021। उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या 43 हो गई है। एम्स ऋषिकेश में 42 रोगियों में म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। इनमें से दो रोगियों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक रोगी उपचार के बाद छुट्टी पा चुका है। इस प्रकार 39 रोगियों का एम्स में उपचार चल रहा है। एम्स के पीआरओ हरीश थपलियाल ने बताया कि इनमें से 26 रोगियों की सर्जरी होनी है। इधर हल्द्वानी में भी एक निजी अस्पताल में भर्ती रोगी में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है, जबकि एसटीएच में एक अन्य रोगी में ब्लैक फंगस के लक्षण मिले हैं। उसकी जांच की जा रही है।
इधर कुमाऊं मंडल व हल्द्वानी, नैनीताल में ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए जरूरी एंफोटेरिसिन-बी 50 एमजी इंजेक्शन स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। बताया जा रहा है कि यह इंजेक्शन बाजार में उपलब्ध हैं, और इनकी जबर्दस्त कालाबाजारी चल रही है।

यह भी पढ़ें : कुमाऊं-नैनीताल जनपद पहुंचा ‘ब्लैक फंगस’, एक रोगी में पुष्टि, एक और संदिग्ध…

नवीन समाचार, नैनीताल, 18 मई 2021। कोरोना के साथ आई रहस्यमय बीमारी ‘ब्लैक फंगस’ बीमारी राज्य में दो लोगों की जान लीलने के बाद कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी भी पहुंच गई है। हल्द्वानी के कृष्णा अस्पताल में ब्लैक फंगस की पुष्टि होने के बाद हल्द्वानी निवासी 59 वर्षीय व्यक्ति को भर्ती कराया गया है। जबकि, डा. सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती एक कोरोना संक्रमित भी संदिग्ध पाया गया है। न्यूरो और ईनटी विशेषज्ञ उसकी जांच कर रहे हैं। रिपोर्ट आने पर ही ब्लैक फंगस की पुष्टि हो पाएगी। इन दोनों को अलग वार्ड में उपचार दिया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हल्द्वानी निवासी 59 वर्षीय व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने व एसटीएच में उपचार कराने के बाद 20 दिन पहले स्वस्थ्य होकर घर लौटे थे। लेकिन इसके बाद सिर और चेहरे की बाईं ओर तेज दर्द की शिकायत के बाद उन्हें 10 मई को कृष्णा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। न्यूरो और ईनटी विशेषज्ञों की जांच के बाद उनकी ब्लैक फंगस की जांच की गई। रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर अस्पताल स्टाफ ने सीएमओ नैनीताल को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया है। साथ ही मरीज को आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए सहयोग भी मांगा। वहीं, एसटीएच में भी ब्लैक फंगस का एक संदिग्ध मरीज भर्ती होने की बात सामने आई। चिकित्सा अधीक्षक डा. अरुण जोशी व एसीएमओ डा. रश्मि पंत ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि ब्लैक फंगस की किसी मरीज में पुष्टि होने का कुमाऊं में यह पहला मामला बताया जा रहा है। इससे पहले अल्मोड़ा और ऊधमसिंह नगर में सामने आए मामलों में ब्लैक फंगस की पुष्टि नहीं हुई थी।
इधर बताया गया है कि कुमाऊं में ब्लैक फंगस के पहुंचने के बाद एसटीएच में इसके मरीजों के इलाज के लिए मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. एसआर सक्सेना की अध्यक्षता में चिकित्सकों की समिति गठित कर दी गई है। समिति में नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. जीएस तितियाल, ईएनटी विशेषज्ञ डा. शहजाद, न्यूरोसर्जन डा. देवेंद्र सदस्य के तौर पर शामिल किये गये हैं। यह भी बताया जा रहा है कि ब्लैक फंगस के मरीज के इलाज के लिए जरूरी एंफोटेरिसिन-बी 50 एमजी इंजेक्शन जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। अलबत्ता, बाजार में उपलब्ध है, और बाजार से खरीदना पड़ रहा है। उधर, जनपद की एसीएमओ नैनीताल डा. रश्मि पंत ने जिले में ब्लैक फंगस का मरीज मिलने के बाद सभी सरकारी और निजी कोविड अस्पतालों को अलर्ट कर दिया है। अस्पतालों से अपील की गई है कि उनके यहां यदि ब्लैक फंगस का कोई मामला आता है तो इसकी सूचना तत्काल स्वास्थ्य विभाग को दें।

कहां-कहां अटैक करता है ब्लैक फंगस ?
विशेषज्ञों ने बताया कि कोविड के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस लोगों को घेर रहा है। इस रोग में काले रंग की फंगस नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उन्हें नष्ट कर रही है और मरीजों की जान पर बन रही है।

किसे हो सकता है ब्लैक फंगस ?
– कोविड के दौरान जिन्हें स्टेरॉयड्स, मसलन डेक्सामिथाजोन, मिथाइल, प्रेडनिसोलोन आदि दी गई हों।
– कोविड मरीज को ऑक्सिजन सपॉर्ट पर या आईसीयू में रखना पड़ा हो।
– कैंसर, किडनी, ट्रांसप्लांट आदि की दवाएं चल रही हों।

ब्लैक फंगस के लक्षण :
– बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो या सांस फूल रही हो।
– नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।
– आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए।
– चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो।
– दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करे।
– उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए।

क्या करें ?
ब्लैक फंगस के कोई लक्षण नजर आए तो तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जन विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं ताकि जल्दी इलाज शुरू हो सके।

सावधानियां :
– खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें।
– लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी शुरू होते स्टेरॉयड शुरू न करें। इससे बीमारी बढ़ सकती है।
– स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद, केवल गंभीर मरीजों को। इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी हैं।
– इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं।
– स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।
– घर पर अगर ऑक्सिजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नॉर्मल स्लाइन डालें, बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।

यह भी पढ़ें : टाइगर मच्छर लोगों को कर रहा बीमार, डेंगू और कोरोना के कई लक्षण एक जैसे हैं, जानिए डेंगू से कैसे बचें

नवीन समाचार, नई दिल्ली, 23 मई 2021। देश में कोरोनावायरस के साथ डेंगू के केस भी बढ़ रहे हैं। अकेले दिल्ली में अब तक डेंगू के 316 मामले आए हैं। वहीं, केंद्र सरकार ने कोविड-19 के को-इंफेक्शन और डेंगू, मलेरिया, फ्लू, चिकनगुनिया जैसी सीजनल बीमारियों से बचाव और इलाज के लिए गाइडलाइन जारी की है। सरकार का कहना है कि इस समय कोरोना और सीजनल बीमारियों के लक्षण को पहचानने में काफी दिक्कत हो रही है, क्योंकि इनके सिंपटम्स एक जैसे ही हैं।

एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि डेंगू का मच्छर दिन में और मलेरिया का मच्छर रात में काटता है। इसे टाइगर मच्छर भी कहते हैं। इसलिए दिन में भी फुल-स्लीव शर्ट और पैंट जरूर पहनना चाहिए। डेंगू में मांसपेशियों में दर्द होता है और चिकनगुनिया में जोड़ों में दर्द होता है। इस वक्त हर सीजनल बीमारियों में भी बुखार जरूर आ रहा है। कोरोना के भी ज्यादातर मरीजों को बुखार, सिर दर्द, जोड़ो में दर्द हो रहा है। ऐसा डेंगू में भी हो रहा है। इसलिए डॉक्टरों को दोनों में अंतर करने में भी दिक्कत हो रही है।

डेंगू चार वायरसों के कारण होता है

  • डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है। एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है। यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है।
  • डेंगू 4 वायरसों के कारण होता है। इनके नाम – डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4 हैं।

इलाज में किन बातों का ध्यान रखें

डॉक्टर उमा कहती हैं कि डेंगू का बस सपोर्टिव इलाज ही है। इसका कोई खास इलाज नहीं है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी बात प्लेटलेट्स को मॉनिटर करना होता है, क्योंकि अचानक ये बहुत नीचे तक गिर जाती है। बुखार को कंट्रोल करना भी जरूरी होता है। यदि बुखार आ रहा है तो पैरासिटामॉल ही लें, दर्द की दवा कतई न लें।

यदि दूसरी बार डेंगू हुआ तो ज्यादा खतरा है
जिन्हें पहली बार डेंगू होता है, उन्हें उतना खतरा नहीं होता है। खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जिन्हें यह बुखार पहले भी हो चुका है। डेंगू शरीर की हड्डियों को खोखला और कमजोर करता है। दूसरी बार होने पर यह बुखार अधिक घातक साबित हो सकता है।
मरीज के खाने-पीने का कैसे रखें ध्यान

  • डेंगू के मरीज को सादा पानी, नींबू पानी, दूध, लस्सी, छाछ और नारियल पानी देना चाहिए, ताकी शरीर में पानी की कमी न हो।
  • ध्यान रखें कि मरीज के शरीर में हर दिन 4 से 5 लीटर लिक्विड जरूर जाना चाहिए। हर 1 से 2 घंटे में कुछ न कुछ खाने-पीने के लिए देते रहें।
  • मरीज के यूरीन की स्थिति पर ध्यान दें। यदि पेशंट हर 3 से 4 घंटे में एक बार पेशाब जा रहा है तो मतलब खतरे की बात नहीं है।
  • यदि पेशाब की मात्रा या फ्रीक्वेंसी कम है तो मरीज को तुरंत लिक्विड डाइट पर ध्यान देना चाहिए और डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

100 डिग्री से अधिक बुखार होने पर क्या करें?

  • यदि मरीज को डेंगू है और बुखार 102 डिग्री या इससे ज्यादा है तो माथे पर सादे पानी की पट्टियां रखें।
  • मरीज के कमरे में हल्की रोशनी रखें। कम स्पीड पर सीलिंग फैन या कूलर भी चला सकते हैं।
  • डेंगू के मरीज के बेड पर मच्छरदानी जरूर लगाएं।
  • मरीज पर्सनल हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। उसके कपड़े नियमित रूप से बदलें।
  • हाथ-पैर धुलने या नहाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल कराएं।

डेंगू में इन 3 तरह के बुखार से जान को खतरा होता है

  1. हल्का डेंगू बुखार- इसके लक्षण मच्छर के काटने के करीब एक हफ्ते बाद देखने को मिलते हैं, यह बेहद घातक होता है।
  2. डेंगू रक्तस्रावी बुखार- लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ दिनों में गंभीर हो सकते हैं।
  3. डेंगू शॉक सिंड्रोम – यह डेंगू का एक गंभीर रूप है, यह मौत का कारण भी बन सकता है।

2019 में भारत में 67 हजार से ज्यादा लोगों को डेंगू हुआ था
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया में हर साल करीब 5 लाख लोगों को डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है। अकेले भारत में पिछले साल 67 हजार से ज्यादा डेंगू केस आए थे।

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