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March 19, 2024

(Journalists also beaten by asking-their names1) जिन्होंने सकारात्मक खबरें चलायीं, उन्हें भी नाम पूछ-पूछकर पीटा गया, जिंदा जलाने की कोशिश भी की.. हल्द्वानी में पिटे पत्रकारों ने सुनायी आप बीती…

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Journalists also beaten by asking-their names

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 13 फरवरी 2024 (Journalists also beaten by asking-their names)। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद के हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में पुलिस एवं नगर निगम कर्मियों के साथ उन मीडिया कर्मियों को भी जिंदा जलाने की कोशिश की गई, जिन्होंने उनके पक्ष में सकारात्मक खबरें चलायी थीं। पत्रकारों को नाम पूछ-पूछकर पीटा गया (Journalists also beaten by asking-their names)। एक समुदाय विशेष के पत्रकारों को नाम बताने पर छोड़ दिया गया। उनकी बाइकों को आग के हवाले कर दिया गया और उनके कैमरे भी लूट लिये गये हैं। देखें वीडिओ-हल्द्वानी के पत्थरबाज अब कैसे मांग रहे माफी :

ऐसे पत्रकारों को कभी दंगाइयों ने नहीं पीटा (Journalists also beaten by asking-their names)

(Journalists also beaten by asking-their names)इस घटना में पिटे पत्रकारों ने कहा कि जैसे यहां पत्रकारों को पीटा गया, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। जितने भी पत्रकार थे, लगभग सभी को पीटा गया। कोई भी कार्यक्रम होता था तो वह रात-रात तक रुक कर अच्छे से कवर करते थे। सबकी पीड़ा दिखाते थे। पिछले साल जब न्यायालय ने बनभूलपुरा का अतिक्रमण हटाने का फैसला दिया था तब पत्रकार बनभूलपुरा के मुस्लिम समाज के साथ खड़े थे। उन्होंने कहा, यह वही लोग हैं जिनके समर्थन में अच्छी-अच्छी खबरें उन्होंने चलाई थीं, ताकि सरकार इनका कोई नुकसान न करे। जिनके लिए उन्होंने सकारात्मक खबरें पिछले साल चलाई थीं, उन्होंने ही उन्हें पीटा। हल्द्वानी में थाने का यह वीडियो हिला देगा…

अपनी बिरादरी वाले पत्रकारों को नाम पूछकर छोड़ दिया (Journalists also beaten by asking-their names)

स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ नाम पूछ-पूछ कर मार रही थी, मुस्लिमों को छोड़ दिया जा रहा था और हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा था। एक स्थानीय घायल पत्रकार, जिनके हाथ और पाँव में फ्रैक्चर हुआ है और प्लास्टर लगा है। उन्हें चलने में भी तकलीफ है, उन्हें किसी का सहारा लेकर चलना पड़ रहा है, वह इस हमले में बुरी तरह जख्मी हुए हैं, ने बताया-दंगाई कह रहे थ,े अपना नाम बताइए, कई पत्रकारों को छोड़ दिया गया क्योंकि वह उनकी बिरादरी से थे।

पहले से रची गयी साजिश (Journalists also beaten by asking-their names)

उन्होंने बताया कि बतौर पत्रकार वह मीडिया के अन्य साथियों के साथ अवैध मदरसा-मस्जिद को तोड़ने के लिए आई प्रशासन की टीम को कवर करने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि वहाँ पहले से साजिश रच कर 8-10 हजार लोग खड़े थे, जिन्होंने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पेट्रोल बम फेंकने लगे। उन्होंने बताया कि फिर शाम को बिजली काट कर पत्थरबाजी शुरू की गई। पेट्रोल बम के जरिए जान से मारने का षड्यंत्र था। उन्होंने बताया कि जब गलियों से भाग रहे थे तब घायल हुए।

गांधी नगर वालों ने बचाया (Journalists also beaten by asking-their names)

उन्होंने बताया कि दोनों तरफ से आगजनी कर के पीड़ितों को घेर लिया गया था। घेरने के बाद भीड़ ने ऊपर से पत्थरबाजी शुरू की। उन्होंने इसकी पुष्टि की कि महिला पुलिसकर्मियों के साथ भी बदसलूकी की गई। वह इस दौरान बेहोश हो गए थे। उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए गांधी नगर वालों को धन्यवाद दिया। कहा-गांधी नगर वालों ने ही बचा कर उन्हें अस्पताल पहुँचाया। बताा कि गांधी नगर वालों ने कई पुलिस वालों और मीडिया वालों को बचाया, महिला पुलिसकर्मियों को कपड़े दिए।

आग में जिंदा झोंकने की कोशिश की गई (Journalists also beaten by asking-their names)

हल्द्वानी से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र के छायाकार ने बताया, उन्हें आग में जिंदा झोंकने की कोशिश की गई। उन्होंने बताया कि उस दिन उनका ऑफ था, लेकिन साढ़े 3 बजे के करीब दफ्तर से फोन आया कि वह जल्द मलिक का बगीचा पहुंच जाएं। वहां उन्होंने देखा कि अवैध मदरसा और मस्जिद को पुलिस ने सील कर रखा था और प्रशासन उसे तोड़ने वाला था।

वहाँ नगर निगम की टीम पहुंची तो विरोध शुरू हो गया। मीडिया वाले इसे कवर कर रहे थे। तभी अचानक चारों ओर से पथराव शुरू हो गया। पत्रकार भीतर घिरे गये। पुलिस ने आँसू गैस के गोले चलाये। उन्होंने बताया कि वापसी के समय उन्हें और उनके साथियों को लौटते समय घेर लिया गया। पत्थर से हमला किया गया और लाठी-डंडों से पीटा जाने लगा। उन्हें नाली में फेंक दिया गया। उसके बाद जलती हुई आग में झोंक दिया गया। उनके सिर से काफी खून बह रहा था और वो होश में नहीं थे, ऐसे में वह हमलावरों को पहचान नहीं पाए। उपद्रवी उनका कैमरा भी छीन कर ले गए। उनकी एक उँगली फ्रैक्चर हो गई है।

उन्होंने बताया कि भयंकर धुआँधार गोलियों की आवाजें आ रही थीं। उनके नजदीक से ईंट-पत्थर चलाए जा रहे थे, कई छोटे-छोटे बच्चे भी हमलावरों में शामिल थे। उन्होंने संपादक को फोन कर के इसकी सूचना दीे। एक भाजपा नेता की मदद से वह गलियों से किसी तरह बाहर निकले। उनके परिवार में उनकी पत्नी और 2 बेटे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी कि वह इस स्थिति से बाहर निकल पाएँगे। वह भगवान का नाम लेने लगे थे। (Journalists also beaten by asking-their names)

एक अन्य पत्रकार ने बताया कि इस पत्रकार ने बताया कि पत्रकार, नगर निगम और पुलिस में से खोज-खोज कर हिन्दू छांटे। फिर उनकी हत्या की योजना बनायी। उन्होंने कहा कि अगर गाँधी नगर के हिंदुओं ने हमें न बचाया होता तो कोई भी जिंदा न बचता। (Journalists also beaten by asking-their names)

उन्होंने बताया कि जेसीबी के पहुँचते ही पथराव चालू हो गया और पेट्रोल बम फेंक कर गाड़ियाँ जलाई गईं। उनके पाँव में चोटें आईं, उन्हें इलाज कराना पड़ा। उन्होंने बताया कि अगर हेलमेट न पहना होता तो और भी स्थिति खराब होती। पत्रकार ने बताया कि सरकारी खर्च से उनका इलाज चल रहा है। उनका एक 8 साल का बेटा भी है, अगर उन्हें बचा कर नहीं लाया जाता तो उनकी लाश ही आती। (Journalists also beaten by asking-their names)

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुए उपद्रव के दौरान कवरेज के लिये गए पत्रकार साथियों पर हुए हमले और उनके वाहनों को क्षति पहुंचाए जाने की ऋषिकेश के पत्रकार संगठनों-ऋषिकेश प्रेस क्लब और श्रमजीवी पत्रकार यूनियन शाखा ऋषिकेश के पत्रकारों ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से घायल पत्रकारों को उचित मुआवजा और क्षतिग्रस्त वाहनों की क्षतिपूर्ति तत्काल दी जाने तथा पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग भी की है। (Journalists also beaten by asking-their names)

ज्ञापन सौंपने वालों में ऋषिकेश प्रेस क्लब के संरक्षक हरीश तिवारी, विक्रम सिंह, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन शाखा ऋषिकेश के अध्यक्ष आलोक पंवार, राजेंद्र सिंह भंडारी, सागर रस्तोगी, कृष्ण मुरारी गौतम, मनीष अग्रवाल, राव शहजाद आदि मौजूद रहे। (Journalists also beaten by asking-their names)

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