March 29, 2024

उत्तराखंड के कुमाऊं-गढ़वाल को जोड़ने के लिए इस बड़ी कोशिश में है सरकार

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-इस हेतु प्रयासरत वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने कहा कंडी मार्ग बन कर रहेगी, बरसात पूर्व व बाद वन्य जीवों के आवागमन पर राष्ट्रीय वन्य जीव संस्थान के सहयोग से किया जा रहा है सर्वे, सितंबर तक आ जाएगी सर्वे रिपोर्ट
नैनीताल, 2 जुलाई 2018। उत्तराखंड के कुमाऊं व गढ़वाल मंडलों को जोड़ने के लिए राज्य सरकार एक बड़ी कोशिश में है। राज्य बनने के 18 वर्ष होने तक भी राज्य के कुमाऊं मंडल वासियों को राज्य की राजधानी जाने के लिए यूपी के रास्ते जाना पड़ता है। जबकि लालढांग-चिलरखाल-कालागढ़-रामनगर के रास्ते पहले से मौजूद पथरीली कंडी रोड को पक्का करने का विकल्प मौजूद है। लेकिन राज्य में कई सरकारें व मुख्यमंत्री आने-जाने के बावजूद इस दिशा में कार्य नहीं हो पाया है। अब राज्य वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत इस हेतु प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं। सोमवार को उन्होंने नैनीताल में कहा कि कंडी रोड हर हालत में ‘ग्रीन रोड’ के रूप में बन कर रहेगी, चाहे इसके लिए एनजीटी अथवा सुप्रीम कोर्ट में भी क्यों ना जाना पड़े। बताया कि मार्ग पर वन्य जीवों के आवागमन को देखने के लिए बरसात से पूर्व एक सर्वे करा लिया गया है, आगे बरसात के बाद भी एक और सर्वे कराया जाएगा। उम्मीद है कि इन सर्वे की रिपोर्ट सितंबर माह तक आ जाएगी। इससे तय होगा कि कहां सड़क जमीन पर, जमीन के नीचे या ऊंचाई में बनानी है। बताया कि पहली बार सर्वे में सड़क विभाग के साथ ही राष्ट्रीय वन्य जीव संस्थान को भी साथ में रखा गया है, ताकि बाद में किसी तरह की समस्या न आये। कहा कि सड़क इस तरह बनेगी कि वन्य जीवों का प्राकृतिक आवागमन भी प्रभावित नहीं होगा, और उनकी सुरक्षा भी बनी रहेगी।

कंडी मार्ग का रास्ता हुआ काफी साफ़

120 किमी लम्बी कंडी रोड के गैर विवादित लालढांग (हरिद्वार)-चिलरखाल (कोटद्वार) हिस्से के सुदृढ़ीकरण का कार्य पहले ही लोनिवि को सौंपा जा चुका है। जबकि कार्बेट नेशनल पार्क में पड़ने वाले कोटद्वार-रामनगर हिस्से के निर्माण को विधि विभाग ने हरी झंडी दे दी है। कार्बेट पार्क में पड़ने वाले इसी हिस्से को लेकर पहले विवाद था और सड़क अधर में लटकी थी। इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की वन्यजीव बहुल क्षेत्रों में सड़क निर्माण के संबंध में पूर्व में जारी की गई गाइडलाइन का सहारा लिया गया। इस कड़ी में उत्तराखंड इको टूरिज्म विकास निगम को नोडल एजेंसी बनाने के साथ ही संबंधित औपचारिकताएं पूरी करने के निर्देश दिए गए। निगम के प्रबंध निदेशक अनूप मलिक के मुताबिक इस सड़क के निर्माण के मद्देनजर डब्ल्यूआइआइ और एनबीसीसी से एमओयू के लिए प्रस्ताव विधि विभाग को भेजा गया था। इस सड़क के एलायनमेंट का डिजाइन भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) आठ माह के भीतर सड़क के एलायनमेंट का डिजाइन तैयार करेगा, जबकि निर्माण का जिम्मा नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) को सौंपा गया है। इससे पहले स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड से अनुमति लेने का कार्य निगम करेगा। अगले वर्ष से सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद है। इसके बनने पर उत्तर प्रदेश से होकर गुजरने के झंझट से निजात मिलने के साथ ही यात्रियों के समय और धन की बचत भी होगी।

पूरी दुनिया की जैव विविधता का दारोमदार भारत और भारत का उत्तराखंड पर

नैनीताल। वन मंत्री डा. रावत ने कहा कि भारत की जैव विविधता दुनिया की 7.8 फीसद एवं उत्तराखंड की जैव विविधता भारत की 24 फीसद है। इसलिए उत्तराखंड पर भारत और भारत पर दुनिया की जैव विविधता का बड़ा दारोमदार है। इसे सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी है। सरकार की कोशिश है कि जैव विविधता के संरक्षण एवं विकास के बीच संतुलन बनाया जाए।

वन महोत्सव का किया शुभारंभ, वन पंचायतों को बांटे 3.24 करोड़ के चेक
नैनीताल के हनुमानगढ़ी ईको पार्क में मैग्नोलिया का पौधा रोपकर प्रदेश में वन महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ करते वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत।

नैनीताल। प्रदेश के वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने सोमवार को मुख्यालय स्थित हनुमानगढ़ी ईको पार्क से प्रदेश में वन महोत्सव का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने पार्क में रबर प्लांट कहे जाने वाला सुंदर सजावटी मैग्नोलिया का पौधा रोपा। इस अवसर पर वन मंत्री ने निकटवर्ती 64 वन पंचायतों के प्रतिनिधियों को उनके क्षेत्रों में उत्पादित लीसे की रॉयल्टी के तौर वर्ष 2011 से रुकी 3.24 करोड़ रुपए के चेक भेंट किये। इस मौके पर अल्मोड़ा की संस्था दर्पण के कलाकारों ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाली लघु नाटिका प्रस्तुत की, साथ ही वन विभाग के द्वारा वन पंचायतों में वनों के संरक्षण के लिये किये जा रहे मृदा एवं जल संरक्षण कार्यों पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन भी किया।
इस अवसर पर वन मंत्री डा. रावत ने कहा कि वन पंचायतों को गतिशील किया जा रहा है। उन्हें पिछले सात वर्षों से रुकी धनराशि देने की शुरुआत कर दी गयी है। आगे वन पंचायतों को जायका व कैम्पा आदि योजनाओं से जोड़कर पौधारोपण तथा वनों की आग बुझाने के कार्यों में भी लगाया जाएगा। बताया कि वनीकरण के अभियान में वन विभाग के साथ ही सभी विभागों, स्कूल-कॉलेजों, पॉलीटेक्निक कॉलेजों आदि को भी जोड़ा जाएगा। बांश बोर्ड के जरिये सड़कों को किनारे बांश के पौधे लगाने के प्रयास भी किये जाएंगे। इस अवसर पर भीमताल के विधायक राम सिंह कैड़ा, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं कपिल जोशी, वन संरक्षक पश्चिमी कुमाऊं डा. पराग मधुकर धकाते, दक्षिणी कुमाऊं डा. तेजस्विनी अरविंद पाटिल, डीएफओ नैनीताल बीजू लाल टीआर के साथ ही डीएफओ नितीश मणि त्रिपाठी, चंद्रशेखर सनवाल, कल्याणी, प्रकाश जोशी, दिनकर तिवारी आदि ने भी मैग्नोलिया के साथ ही देवदार, गुलबहार व कैमेलिया आदि शोभादार प्रजाति के पौधों का रोपण किया।

हर किसी को मर्यादा में रहना चाहिए

नैनीताल। मुख्यमंत्री से अभद्रता मामले में राज्य कैबिनेट के मंत्रियों द्वारा मुख्यमंत्री को अलग-थलग किये जाने के प्रश्न पर आरोप से इंकार करते हुए वन मंत्री रावत ने कहा कि शिक्षा मंत्री मामले को देख रहे हैं। मुख्यमंत्री रावत सहित वे स्वयं, एक इंसान भी हैं, और किसी भी इंसान को गुस्सा आ सकता है। अलबत्ता उच्च पदों पर बैठे लोगों से हर स्थिति में संयत व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। शिक्षिका के बार-बार चीखने पर मुख्यमंत्री को भी गुस्सा आ गया। टिप्पणी की कि हर किसी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए।

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