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March 19, 2024

2017 के चुनाव के दौरान माओवादी घटना में पकड़े गए महिला सहित दो आरोपित दोषमुक्त करार

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-बचाव पक्ष के अनुसार अभियोजन आरोप साबित नहीं कर पाया, पुलिस ने काल्पनिक व्यक्ति को आरोपित बनाया और अन्य व्यक्ति को उसके नाम पर पकड़ लिया

चोरगलिया से पकड़े गए कथित माओवादी (File Photo)

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 मार्च 2022। नैनीताल के धारी तहसील मुख्यालय में 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादियों की करतूत बताई गई सरकारी जीप जलाने की घटना व प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पोस्टर लगाने व लिखाई करने के आरोपित 50,000 रुपए के इनामी कथित माओवादी देवेंद्र चम्याल और उंसके साथ पकड़ी गई भगवती भोज को न्यायालय ने दोषमुक्त यानी बरी कर दिया है।

बताया गया है कि मामले के अभियोजकों को आरोपितों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले। यह भी बताया गया कि मुख्य आरोपित देवेंद्र चम्याल वास्तव में काल्पनिक व्यक्ति निकला। क्योंकि जिस व्यक्ति को पकड़ा गया और जिस पर पूरा अभियोग चला वह देवेंद्र चम्याल नहीं बल्कि देव सिंह था।

नैनीताल जनपद की प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रीतु शर्मा की न्यायालय ने इस मामले में 40 पेज के अपने आदेश में कहा है कि अगर दोनों अन्य मामलों में वांछित नहीं हैं तो दोनों को तत्काल रिहा करें। मामले के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान 1 फरवरी 2017 को धारी तहसील मुख्यालय में गिरीश चंद्र ने शिकायत दर्ज कराई थी कि तहसील में एक गाड़ी पर आग लगा दी गयी और लाल रंग से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और अन्य स्लोगन लिख दिए गए। साथ ही तहसील के बाहर भी पोस्टर डंडे पैम्पलेट में माओवादी लिखा मिला।

इस शिकायत पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था आरोप लगाया था हालांकि इस मामले में 23 सितंबर 2017 को चोरगलिया थाने में तैनात संजय जोशी ने आरोपित देवेंद्र चम्याल व भगवती भोज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लंबी सुनवाई के बाद न्यायालय में पुलिस की कहानी नहीं चल सकी और न्यायालय ने दोनों आरोपितों को आरोपों से दोषमुक्त कर दिया, तथा देवेंद्र सिंह चम्याल को रिहा करने एवं पहले से जमानत पर चल रही भगवती भोज को 6 माह तक के लिए सीआरपीसी की धारा 437ए के प्राविधानों के अंतर्गत रहने को कहा है।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता चंद्रशेखर करगेती ने बताया कि आरोपितों के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। केवल पुलिस कस्टली के दौरान उनके द्वारा अपराध स्वीकार किए जाने के आधार पर यह मामला चला। देवेंद्र सिंह चम्याल वास्तव में देव सिंह चम्याल था। बचाव पक्ष की ओर से इस संबंध में उसका मतदाता पहचान पत्र व विद्यालय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। इस आधार पर उन्होंने तर्क दिया कि देवेंद्र सिंह चम्याल पुलिस द्वारा निर्मित व्यक्ति था। और पुलिस ने जिसे पकड़ा गया वह देवेंद्र सिंह चम्याल नहीं था। अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता-फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने पैरवी की। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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बड़ा समाचार : यह भी पढ़ें : जंगल में पकड़ी गई अवैध असलहे बनाने की फैक्टरी

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पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। जांच में माओवाद कनेक्शन को भी जोड़ा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में इसी तरह वर्ष 2004 व 2018 में चोरगलिया के जौलासाल जंगल में असलहे बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी, और 2014 में हंसपुर खत्ता में माओवाद को ट्रेनिंग भी दी जा रही थी।

एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि बीती रात कालाढूंगी पुलिस व वन विभाग की टीम बरहैनी रेंज के जंगल में अवैध शराब बनने की सूचना पर छापा मारने गई थी। जंगल में कांबिंग के दौरान तीन व्यक्ति तमंचा बनाते हुए दिखे। पुलिस ने दो को पकड़ लिया, जबकि तीसरा अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया। पकड़े गए आरोपितों ने अपना नाम गुरमीत सिंह, अमरजीत सिंह निवासी खुशालपुर सकनिया गदरपुर ऊधम सिंह नगर बताया।

फरार आरोपित इसी गांव का राजेंद्र उर्फ राजू पुत्र दर्शन सिंह है। आरोपितों की निशानदेही पर जंगल से तीन तमंचे 315 बोर व एक अर्द्धनिर्मित तमंचा बरामद हुआ। आरोपितों ने स्वीकार किया कि वह रोजी-रोटी के लिए जंगल में तंमचा बनाने की छोटी फैक्ट्री चलाते थे। तमंचा बनाने में जो सामान कम पड़ता था, उसे रुद्रपुर व गदरपुर से खरीदकर लाते थे। तमंचा बनाने के बाद आसपास के क्षेत्र में सप्लाई करतेे थे।

आरोपितों ने तमंचे बनाने का हुनर कुछ समय पहले ही उप्र से सीखा था। इसके बाद जंगल में अपना काम शुरू कर दिया। पुलिस के अनुसार, आरोपितों को काम शुरू किए सात दिन ही हुए थे। अब तक वह तीन लोगों को तमंचे सप्लाई कर चुके हैं। आरोपित 315 बोर के ही तमंचे बनाते थे। पुलिस असलहे खरीदने वाले युवकों के बारे में भी पूछताछ कर रही है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड पुलिस की माओवाद के ताबूत में आखिरी कील, 20 हजार का ईनामी माओवादी 4 साल बाद गिरफ्तार

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 13 सितंबर 2021। उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ उत्तराखंड की संयुक्त कार्रवाई में सोमवार को 20 हजार रुपए के इनामी अपराधी भास्कर पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रदेश के डीजीपी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में उसे उसे राज्य का सबसे वरिष्ठ और आखिरी बड़ा माओवादी नेता भी बताया गया है। वह 2017 में अल्मोड़ा और नैनीताल के लोक संपत्ति अधिनियम और विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के अंतर्गत दर्ज तीन मुकदमों में वांछित था, और फरार था। उत्तराखंड पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम बढ़ाने के लिए उत्तराखंड शासन के लिए प्रस्ताव भेजा था।

बताया गया है कि भास्कर पांडे सोमवार को हल्द्वानी में राजेश नाम के एक व्यक्ति को पेनड्राइव तथा कुछ लिखित सामग्री देने जा रहा था, तभी उसे हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास गिरफ्तार किया गया। बताया गया है कि भास्कर पांडे इस दौरान किसान आंदोलन में भी काफी सक्रिय था। वह माओवादी खीम सिंह बोरा का सबसे खास साथी माना जाता है, जिसे यूपी एसटीएफ ने पकड़ा था। इस दौरान भास्कर पांडे द्वारा देश में कई जगह माओवाद से संबंधित प्रशिक्षण लिया था।

उसने अपने कई साथियों के साथ मिलकर यहां अपने क्रियाकलापों को अंजाम देने की कोशिश की थी। उसने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान नैनीताल जनपद की धारी तहसील में धारी तहसील की जीप जलाई थी। उसे पकड़ने वाली पुलिस टीम को उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने 20 हजार रुपए का इनाम तथा पदक देने की घोषणा की है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें : गिरफ्तार माओवादी कमांडर खीम सिंह की गिरफ़्तारी के बाद दो मोर्चों पर आगे बढ़ी कुमाऊं पुलिस…

-गिरफ्तार माओवादी कमांडर खीम सिंह से पूछताछ करने लखनऊ रवाना हुई कुमाऊं पुलिस, बी वारंट दाखिल कर यहां लाने का कर रही है प्रयास

-माओवादियों की धरपकड़ के लिए बनीं एसओटीएफ के दस्ते कुमाऊँ मंडल में विभिन्न ‘टास्कस’ पर जुटे
माओवादी खीम सिंह गिरफ्तारी के बाद सचेत हुई उत्तराखंड पुलिस, जानें क्या है पूरा मामलानवीन समाचार, नैनीताल, 19 जुलाई 2019। प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के उत्तराखंड जोनल सेक्रेट्री व पहली पांत के बुद्धिजीवी कमांडरों में शुमार उत्तर प्रदेश एटीएस के हत्थे चढ़े 50 हजार के इनामी खीम सिंह बोरा उर्फ खीमा की बुधवार को बरेली से हुई गिरफ्तारी के बाद कुमाऊं पुलिस कुमाऊँ और लखनऊ के दो मोर्चों पर आगे बढ़ रही है। कुमाऊं पुलिस की एसओटीएफ यानी स्पेशल ऑपरेशन टास्क फोर्स का एक दस्ता खीमा से पूछताछ करने एवं बी-रिमांड के जरिये उसे यहां लाने के प्रयास में लखनऊ रवाना हो गया है। साथ ही पहले से कुमाऊं मंडल में सक्रिय के विभिन्न दस्तों को यहां मौजूद उसे सहयोग करने वालों व सीधे तौर पर जुड़े लोगों पर नजर रखने के कार्य पर लगा दिया गया है।

कुमाऊं परिक्षेत्र के डीआईजी जगत राम जोशी ने बताया कि कुमाऊं पुलिस हमेशा ही माओवादी गतिविधियों की संभावना के तहत सतर्क एवं सक्रिय रहती है। इधर ठीक आठ दिन पहले भी माओवादी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए गठित एसओटीएफ की बैठक ली थी और उन्हें अलग-अलग टास्क देकर विभिनन क्षेत्रों में भेजा गया था। वहीं इस बीच बरेली में खीम सिंह के पकड़े जाने के बाद बृहस्पतिवार को ही एसओटीएफ का एक दस्ता उससे पूछताछ करने के लिए लखनऊ भेज दिया गया है।

आगे टीम वहां उससे पूछताछ करके माओवादियों की कुमाऊं में किसी तरह की गतिविधियों से संबंधित जानकारियां लाएगी, उसके आधार पर यहां विशिष्ट कार्रवाइयां की जाएंगी। बताया कि खीम सिंह को यहां लाने के लिए न्यायालय में वारंट-बी भी दाखिल किया जाएगा, जो कि लखनऊ पुलिस को आज न्यायालय से रिमांड मिलने और आगे पूछताछ पूरी होने पर निर्भर करेगा। बताया गया है कि कुमाऊं पुलिस की खास तौर पर माओवादियों को धरना-प्रदर्शन आदि के माध्यम से सहायता प्रदान करने वाले बुद्धिजीवी प्रकृति के सहयोगियों पर खास नजर है।

अल्मोड़ा में तहसीलदार की गाड़ी में आग लगाने का है आरोप 
आरोप है कि 2017 विधानसभा चुनाव में अल्मोड़ा में तहसीलदार की गाड़ी में आग लगाने की घटना में खीम सिंह बोरा और उसके लोगों का हाथ था। ऊधमसिंह नगर में उत्तराखंड पुलिस ने 2006-07 में स्पेशल ऑपरेशन चलाकर माओवादियों के नेटवर्क को तोड़ दिया था। इसमें इनका थिंक टैंक पत्रकार प्रशांत राही सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2017 में जब इनकी टीम के एक अन्य सदस्य हेमंत मिश्रा को 7 साल की सजा हुई, तो इन लोगों ने अपना ठिकाना बदल लिया और उत्तर प्रदेश में अपनी सक्रियता को बढ़ा दिया। यहीं से इनकी टीम उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तर बिहार को ‘थ्री यूसेक’ रेड कॉरिडोर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही थी। इन प्रदेशों की सीमा सीधा नेपाल से लगती है। इसलिए इनके लिए अपने नेटवर्क का काम करना आसान होता रहा है। पुलिस को खीम सिंह बोरा पर शक है कि इसने बिहार और झारखण्ड के नक्सलियों को हथियार चलाने की भी ट्रेनिंग दी थी। इनके बरेली से नेपाल की सीमा से लगते हुए उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में नेटवर्क स्थापित करने और सीमा पर सक्रिय होकर प्रतिबंधित संघटन सीपीआई (माओवादी) के केंद्रीय कार्यकारिणी में जाने की योजना तो फिलहाल खत्म हो गई है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस और खुफिया तंत्र को आने वाले समय के लिए ये संगठन एक बार फिर सचेत कर गया है।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड पुलिस ने धर दबोचा मधुबनी बिहार के चर्चित ‘ऑपरेशन धमाका’ में शामिल 10 हजार का इनामी माओवादी

नैनीताल, 4 मई 2018। उत्तराखंड पुलिस ने प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी के दो माओवादियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। प्रदेश के ऊधमसिंह नगर जिले के एसएसपी डा. सदानंद दाते ने प्रेस को बताया कि एक स्थानीय माओवादी, नैनीताल जिले के ग्राम दुम्का बंगर हल्दूचौड़ निवासी रमेश भट्ट उर्फ मनीश मास्टर उर्फ दिवाकर उर्फ भट्ट पुत्र लक्ष्मी दत्त भट्ट वर्ष 2004 व 2007 में पंजीकृत माओवाद संबंधित अपराधों में वांछित व 10 हजार रुपए का ईनामी अपराधी है। वह वर्ष 2004 में नानकमत्ता में भारतीय दंड संहिता की धारा 121, 121ए, 124 ए, 153बी, 120बी व 10/20 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे में वांछित है। साथ ही वर्ष 2005 में मधुबनी पूर्वी चंपारण बिहार में ‘ऑपरेशन धमाका’ के तहत एक साथ 300 माओवादियों द्वारा पुलिस स्टेशन, सांसद आवास सहित नौ स्थानों पर एक साथ हमला किये जाने की घटना में सांसद आवास पर हुए हमले में ‘अग्रिम टुकड़ी’ में शामिल रहा है, और इस मामले में भी वांछित है।

वहीं दूसरा मनोज कुमार सिंह उर्फ अरविंद सिंह उर्फ मनोज पुत्र रतन सिंह निवासी ग्राम हल्दुआ पोस्टर गेरेही थाना सैयद रजा जिला चंदौली उत्तर प्रदेश का निवासी है, और कैंप का संयोजक, व्यवस्थापक व मास्टरमाइंड है। दोनों को उत्तराखंड जोनल कमेटी का सक्रिय सदस्य एवं वर्ष 2003-04 के दौरान सोफटिया हंसपुर खत्ता थाना चोरगलिया जिला नैनीताल में चलाये गये माओवादी कैंप में भी शामिल बताया गया है। दोनों को सीओ सितारगंज के नेतृत्व में थाना किच्छा के अंतर्गत आनंदपुर मोड़ के पास एक आम के बगीचे से गिरफ्तार किये जाने का दावा किया गया है। उनके कब्जे से प्रतिबंधित माओवादी साहित्य, किताबें और पंफलेट बरामद हुए। दोनों को तराई क्षेत्र में संगठित और असंगठित मजदूरों को उकसाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उत्तराखंड के डीजीपी ने इस सफलता पर उन्हें गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को 10 हजार रुपए का, जबकि एसएसपी ने 5 हज़ार का ईनाम देने की घोषणा की है।

कुमाऊं में माओवादियों ने वर्ष 2004 से गतिविधियां शुरू करते हुए संगठन की मजबूती के लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी थी। इसकी भनक लगते ही हरकत में आई पुलिस ने सकैनिया (गदरपुर) से अनिल चौड़ाकोटी, जीवन और नीलू बल्लभ को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद अन्य सक्रिय सदस्य भूमिगत हो गए थे। इधर, नानकमत्ता के जंगलों में माओवादी शिविर लगाने के आरोप में वर्ष 2007 में प्रशांत राही की गिरफ्तारी के बाद भी कई सदस्य भूमिगत हो गए थे। पुलिस ने प्रशांत की पत्नी चंद्रकला राही की गिरफ्तारी भी की थी। इसके बाद अचानक अल्मोड़ा के नानीसार में जमीन के खिलाफ उपजे लोगों के अंसतोष की आड़ में माओवादियों ने आगजनी और वॉल राइटिंग (दीवारों पर संदेश लिखकर) से दहशत फैलाई थी। बीती 23 सितंबर को चोरगलिया से पुलिस ने माओवादी देवेंद्र चमियाल और उसकी साथी भगवती भोज को गिरफ्तार किया था। देवेंद्र पर नानकमत्ता में प्रशिक्षण शिविर चलाने का आरोप था। देवेंद्र से पूछताछ में मिली जानकारियों के बाद पुलिस के हत्थे रमेश और मनोज चढ़ गए।

सिडकुल में सक्रिय मजदूर नेताओं पर भी नजर 

सिडकुल की विभिन्न फैक्ट्रियों में उपजने वाले श्रमिक आंदोलनों के अगुवाई करने वाले मजदूर नेताओं पर पुलिस की खास नजर है। सूत्रों के अनुसार पुलिस खासतौर पर वामपंथी रुझान वाले नेताओं की गतिविधियों पर नजर रख रही है। पुलिस का मानना है कि कई लोग आंदोलन के नाम पर मजदूरों को भटकाने की कोशिश में जुटे रहते हैं। इससे फैक्ट्रियों में माहौल खराब होता है।

रमेश अकाउंटेंट तो मनोज है निजी स्कूल में शिक्षक 

 पुलिस की गिरफ्त में आया रमेश उर्फ मनीष मास्टर किच्छा की एक सरिया फैक्ट्री में अकाउंटेंट पद पर कार्य रहा था। वहीं, मनोज कुमार बरेली के एक निजी स्कूल में शिक्षक था। पुलिस टीम में सीओ हिमांशु शाह, थाना प्रभारी किच्छा मोहन चंद्र पांडे, नानकमत्ता थाना प्रभारी अशोक कुमार, संजय धौनी, लक्ष्मण गोस्वामी और राजेंद्र अधिकारी शामिल रहे।

माओवादी चम्याल व महिला साथी जिला न्यायालय में आरोपित

नैनीताल। 27 सितम्बर 2017 को नैनीताल पुलिस व एसओटीएफ द्वारा जनपद के चोरगलिया में पकड़े गये 50 हजार रुपए के ईनामी माओवादी देवेंद्र चम्याल व उसकी महिला साथी को जिला एवं सत्र न्यायाधीशी सीपी बिजल्वाण की अदालत ने आरोपित कर दिया है। इसके बाद दोनों आरोपितों पर लगे गये आरोपों पर आगे सुनवाई होगी। अदालत ने अभियोजन पक्ष को मामले में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 14 जून की तिथि दे दी है।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि बीती 28 मई को मामले में बचाव पक्ष की ओर से न्यायालय में कहा गया कि चम्याल पर लगाये गये आरोप बेबुनियाद हैं, और संबंधित धाराओं में आरोप नहीं बनते हैं। इसका अभियोजन पक्ष की ओर से शर्मा ने विरोध करते हुए दलील दी कि दोनों आरोपितों के खिलाफ नैनीताल जनपद में धारी के सरना पट्टी में माओवादी पोस्टर चिपकाने व एसडीएम का वाहन जलाने के पक्के सबूत हैं। कहा कि चम्याल ‘हार्डकोर’ माओवादी है। उसने स्वयं खुलासा किया है कि वह झारखंड में हथियारबंद मारक दस्ते का भी प्रशिक्षण ले चुका है। वह सीपीआई-माओवादी के उत्तर विहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के ‘थ्री यू सेक’ तथा झारखंड, सोनभद्र, मिर्जापुर व उत्तराखंड को मिलाकर बनाई गयी जोनल कमेटी का सक्रिय सदस्य है, और सीधे ‘थ्री यू सेक’ के चीफ प्रशांत बोस को रिपोर्ट करता था। उसे सीधे बोस से ही हर माह के तीन से पांच हजार रुपए तक और उसके साथ पकड़ी गयी भोज को डेढ़ से दो हजार रुपए मिलते थे। इसके बाद अदालत ने उस पर लगाये गये आरोपों पर सुनवाई जारी रख दी है।

निशाने पर झारखण्ड के सीएम रघुवर दास 

माओवादी देवेंद्र चम्याल ने उत्तराखंड पुलिस व ख़ुफ़िया एजेंसी की पूछताछ में खुलासा किया है कि झारखण्ड के सीएम रघुवर दास माओवादियों के निशाने पर हैं। उनकी जान को खतरा है। उत्तराखंड सरकार ने झारखण्ड सरकार को यह जानकारी दी है, जिसके बाद सीएम रघुवर दास की सुरक्षा बढ़ाकर उन्हें ज़ेड प्लस सुरक्षा दे दी गयी है। यह भी खुलासा किया कि उसने (चम्याल ने) 2009 से 2014 तक झारखण्ड में प्रशिक्षण लिया है, तथा उसके छत्तीसगढ़ के माओवादियों से भी सम्बन्ध हैं।

वन विभाग को जंगल में मिली हथियारों की फैक्ट्री, पुलिस का माओवादी गतिविधि से इंकार

-पुलिस शीघ्र नानकमत्ता की ओर से हंसपुर खत्ता क्षेत्र में करेगी कॉबिंग

नैनीताल, 19 मार्च 2018। हल्द्वानी के नंधौर घाटी से लगे जौलासाल के जंगल में देशी हथियारों की फैक्ट्री पकड़ी गयी है। इस मामले में वन और पुलिस विभाग के बीच सैद्धांतिक तौर पर मतभिन्नता देखी जा रही हे। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में वन विभाग को भालू के शिकार के भी प्रमाण मिले हैं। साथ ही इस क्षेत्र का माओवादी गतिविधियों को लेकर भी इतिहास रहा है। इस लिहाज से वन विभाग जहां मामले को अतिसंवेदनशील मान रहा है, वहीं पुलिस फिलहाल इसे अपराधी और वन्य जीवों के शिकारी प्रवृत्ति के लोगों की गतिविधि ही अधिक मान रहा है। वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डा. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि यह घटना और यह क्षेत्र एक नहीं अनेक कारणों से बेहद संवेदनशील है, लिहाजा इसे हर कोण से देखे जाने की जरूरत है। वहीं डीआईजी कुमाऊं परिक्षेत्र पूरन सिंह रावत का मानना है कि इस घटना का माओवादी गतिविधियों से कोई सीधा संबंध नहीं है। अलबत्ता, पुलिस भी शीघ्र ही क्षेत्र में कॉबिंग करेगी।

बताया गया है कि जौलासाल के घने जंगलों में 6-7 किमी अंदर चुगाढ़ बीट के कंपार्ट नंबर 8 में वन विभाग द्वारा वन्य जीवों व शिकारियों आदि पर नजर रखने के लिए लगाए गए कैमरों में एक सिख व्यक्ति देखा गया था। जिसके बाद वन विभाग की टीम ने संबंधित क्षेत्र में कॉबिंग की। वन विभाग ने क्षेत्र में हथियार बनाने की फैक्टरी, कुछ अर्ध निर्मित हथियार, हथियार बनाने के सामान, काटने वाले हथियारों को नुकीला बनाने के लिए प्रयुक्त रेती, ब्लेड, सांचा, वन्य जीव के अवशेष तथा शक्तिफार्म निवासी दो संदिग्धों को पकड़े जाने का दावा किया है, जबकि पुलिस का दावा है कि कॉंबिंग में चोरगलिया के थाना प्रभारी सहित कुछ अन्य पुलिस कर्मी भी शामिल थे। इस दौरान जंगल में हथियार बनाने की फैक्टरी मिली, जबकि पुलिस फैक्टरी की जगह एक लोहे का कटर, लकड़ी का एक बंदूक का बट, दो कटे पाइप ही मिलने की बात कह रही है। इस प्रकार पुलिस इस घटना को केवल कुछ अपराधी सा शिकारी प्रवृत्ति के लोगों की गतिविधि मान रही है, और किसी तरह की बामपंथी-माओवादी गतिविधि से इंकार कर रही है। उल्लेखनीय है कि वन विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एक भालू को मारे जाने की भी बात कही है।

क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों का रहा है लंबा इतिहास
नैनीताल। उल्लेखनीय है जौलासाल के ही निकट हंसपुर खत्ता क्षेत्र में वर्ष 2004 में नैनीताल व ऊधमसिंह नगर पुलिस की संयुक्त कॉबिंग में माओवादियों कैंप मिला था। इसके बाद यहां बाकायदा चौकी भी बनाई थी। वहीं इधर हाल में 8 सितंबर 2016 को इसी जौलासाल के जंगल में 16 किमी अंदर हथियार बनाने की फैक्टरी पकड़ी गयी थी, जिसके बाद विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच फरवरी 2017 में बागेश्वर के झिरौली तथा अल्मोड़ा के मोरनौला, धौलादेवी. बिन्सर, चनौदा, सोमेश्वर व ताकुला क्षेत्र में माओवादी गतिविधियां प्रकाश में आयीं। 23 सितंबर 2017 को चोरगलिया पुलिस ने 50 हजार के ईनामी अल्मोड़ा निवासी माओवादी देवेंद्र चम्याल व महिला भगवती भोज को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद एक फरवरी 2017 को नैनीताल जिले की धारी तहसील में माओवादियों के द्वारा पोस्टर लगाने और तहसीलदार को जलाने की घटनाएं भी प्रकाश में आई थीं।

यह भी पढ़ें : पोस्टर जोड़ेंगे पकड़े गये कथित माओवादियों के राष्ट्रद्रोह से तार, सफेदपोश सहयोगी भी घेरे में

-कुमाऊं परिक्षेत्र के डीआईजी पूरन सिंह रावत ने कहा, संरक्षकों-प्रोत्साहकों पर नजर रखे हुए है पुलिस

नवीन जोशी, नैनीताल, 27 सितम्बर 2017। गत दिवस नैनीताल पुलिस व एसओटीएफ द्वारा जनपद के चोरगलिया में पकड़े गये 50 हजार रुपए के ईनामी कथित माओवादी देवेंद्र चम्याल के पास से अन्य चीजों के साथ ही कुछ पोस्टर भी बरामद हुए हैं, जो उसकी माओवादी संलिप्तता को साबित करने का बड़ा माध्यम होंगे। कुमाऊं रेंज के आईजी पूरन सिंह रौतेला ने बताया कि पकड़े गये माओवादी देवेंद्र चम्याल से पूर्व में नैनीताल के धारी तहसील मुख्यालय तथा अल्मोड़ा के सोमेश्वर, चनौदा व बाड़ेछीना आदि क्षेत्रों में पिछले दिनों लगाये गए पोस्टर बरामद किये गये हैं। अब इन पोस्टरों की पूर्व में मिले पोस्टरों से एक ही प्रेस में एक ही समय में छपने का मिलान सुनिश्चित करने के लिये एफएसएल प्रयोगशाला भेजकर उसकी पोस्टर चिपकाने का राष्ट्रविरोधी कार्य करने वालों से संलिप्तता साबित की जाएगी। साथ ही कुमाऊं पुलिस सबसे पहले माओवादी जोनल सचिव खीम सिंह बोरा व भाष्कर पांडे को गिरफ्त में लेने की कोशिश में है।  तथा कुमाऊं में माओवादियों की नैनीताल जनपद में धारी, चोरगलिया, बागेश्वर के झिरौली तथा अल्मोड़ा के मोरनौला, धौलादेवी. बिन्सर व ताकुला क्षेत्र में गतिविधियों पर भी पर भी नजर है।

माओवादियों की पूर्व में हुई गिरफ्तारी और उनके न्यायालय से बाइज्जत बरी हो जाने जैसी स्थितियों से बचने के लिये कुमाऊं पुलिस इस बार चम्याल की गिरफ्तारी के बाद फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। कुमाऊं पुलिस मामले की सीडी यानी केस डायरी तैयार करते हुए भी कानूनविदों के संपर्क में है, ताकि पिछली बारों की तरह कोई चूक न रह जाए, वहीं पुलिस कथित माओवादियों के सफेदपोश सहयोगियों, उन्हें बचाने के लिये अदालत में जमानत देने वालों व पैरवी करने वालों को भी पहले से सचेत करने की कोशिश में है। कुमाऊं परिक्षेत्र के डीआईजी पूरन सिंह रावत ने कहा कि पुलिस माओवादियों के संरक्षकों व प्रोत्साहकों तथा उन्हें कानूनी मदद पहुंचाने वालों, उनकी जमानत देने वालों व ‘स्लीपर सेल्स’ पर भी नजर रखेगी, और उन्हें बाद में माओवादियों द्वारा भागने अथवा दुबारा कोई वारदात किये जाने से संबंधित खतरों से आगाह करेगी।

श्री रावत ने बताया कि आज नैनीताल जनपद में धारी के सरना पट्टी में माओवादी पोस्टर चिपकाने से संबंधित एक मामले में चम्याल को रिमांड में लेने के लिये न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया है। रिमांड लेने के बाद चम्याल को घटनास्थल पर ले जाकर सबूत एकत्र किये जाएंगे। आगे अन्य विवेचक भी एक-एक कर उसे पुलिस रिमांड पर लेने की कोशिश करेंगे। बताया कि चम्याल ‘हार्डकोर’ माओवादी है। उसने स्वयं खुलासा किया है कि वह झारखंड में हथियारबंद मारक दस्ते का भी प्रशिक्षण ले चुका है। वह सीपीआई-माओवादी के उत्तर विहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के ‘थ्री यू सेक’ तथा झारखंड, सोनभद्र, मिर्जापुर व उत्तराखंड को मिलाकर बनाई गयी जोनल कमेटी का सक्रिय सदस्य है। वह ‘थ्री यू सेक’ के चीफ प्रशांत बोस को रिपोर्ट करता था। उसे सीधे बोस से ही हर माह के तीन से पांच हजार रुपए तक और उसके साथ पकड़ी गयी भोज को डेढ़ से दो हजार रुपए मिलते थे।

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दो दिसंबर को पंचेश्वर बांध क्षेत्र के पनार में मिलने की थी योजना
नैनीताल। डीआईजी रावत ने बताया कि माओवादी आपस में मिलकर ही अगली मुलाकात का स्थान तय करते हैं, और इस बीच मोबाइल पर भी बात नहीं करने की सतर्कता बरतते हैं। मिलने के लिये किसी फल के नाम या अन्य वस्तु का कोड पहले से बनाकर मिलते हैं, और हर बार कोड बदलकर मिलते थे। आगे उनकी योजना आगामी दो दिसंबर को पंचेश्वर बांध क्षेत्र के पनार के निकट एक गांव में आपस में मिलने की थी।

चम्याल की गिरफ्तारी से तोड़ दी है माआवोद की कमर: एडीजी

नैनीताल। प्रदेश के एडीजी-कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने कहा कि माओवादी देवेंद्र चम्याल की गिरफ्तारी पुलिस के लिये बड़ी सफलता है। उसकी तलाश उत्तराखंड पुलिस को 2014 से थी। कहा कि यह सफलता उत्तराखंड पुलिस की 2004 में हंसपुर खत्ता में माओवादियों का ट्रेनिंग कैंप ध्वस्त करने जैसी ही बड़ी है। उन्होंने ही चम्याल व खीम सिंह बोरा पर प्रदेश सरकार की ओर से 50 हजार रुपए का ईनाम घोषित करवाया था, और इस हेतु अलग से एएसपी अमित श्रीवास्तव के नेतृत्व में एसओटीएफ का गठन कर इसी कार्य पर लगाया था। बताया कि प्रदेश में चम्याल और बोरा ही सबसे बड़े हार्डकोर माओवादी हैं, जबकि भाष्कर पांडे और भगवती भोज कुछ ही वर्ष पूर्व उनसे जुड़े हैं। बोरा और पांडे भी पुलिस के निशाने पर हैं। इनके निशाने पर पंचेश्वर बांध के निर्माण में विरोध से जनता को जोड़कर बड़ा आंदोलन तैयार करना था। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में करीब 200 इनामी अपराधी हैं। इनमें से अधिकांश पड़ोसी पश्चिमी यूपी के इलाके के रहने वाले हैं। इनकी गिरफ्तारी के लिये भी उत्तराखंड पुलिस विशेष अभियान चलाये हुए हैं, और इस दिशा में भी बड़ी सफलता हाथ लगी है।

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