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February 11, 2025

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद दो जोड़ों ने जताई बिन शादी के लिव-इन में साथ रहने की इच्छा…

Lover premi hath pakde

नवीन समाचार, देहरादून, 4 फरवरी 2025 (After UCC-2 Couple Registered to Live in Live-In)उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद इसके तहत पंजीकरण शुरू हो गए हैं। अब तक देहरादून में कुल 193 लोगों ने पोर्टल पर विभिन्न श्रेणियों में आवेदन किया है। इनमें विवाह पंजीकरण, विवाह विच्छेद, विवाह की निरर्थकता का पंजीकरण, कानूनी उत्तराधिकारियों की घोषणा, वसीयत पंजीकरण सहित विभिन्न श्रेणियों के आवेदन शामिल हैं। इनमें लिव-इन में रहने के इच्छुक 2 जोड़े भी शामिल हैं। यह भी पढ़ें : लिव-इन संबंधों पर क्या है उत्तराखंड के यूसीसी में, कौन रह सकते हैं लिव इन में-कौन नहीं, बाहरी लोगों पर भी लागू होगा यूसीसी…? धर्मगुरुओं से प्रमाण पत्र अनिवार्य?

लिव-इन संबंधों को कानूनी मान्यता के लिए दो जोड़ों ने कराया पंजीकरण

(After UCC-2 Couple Registered to Live in Live-In)समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह के बिना भी एक ही छत के नीचे रहने के लिए लिव-इन संबंधों को कानूनी मान्यता दी गई है। देहरादून में दो जोड़ों ने सबसे पहले लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराने के लिए आवेदन किया है। इन आवेदनों की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है। दस्तावेज और दावे सही पाए जाने पर इन्हें लिव-इन में रहने की अनुमति दी जाएगी।

लिव-इन संबंधों पर क्या है उत्तराखंड के यूसीसी में, कौन रह सकते हैं लिव इन में-कौन नहीं, बाहरी लोगों पर भी लागू होगा यूसीसी…? धर्मगुरुओं से प्रमाण पत्र अनिवार्य?

पंजीकरण प्रक्रिया एवं नियम

यूसीसी के तहत लिव-इन संबंधों के पंजीकरण की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है, लेकिन पहले दो मामले सामने आ चुके हैं। जिला नोडल अधिकारी अभिनव शाह ने बताया कि इन आवेदनों को रजिस्ट्रार द्वारा देखा जाएगा। रजिस्ट्रार स्तर पर जांच पूरी होने के बाद पुलिस की ओर से सत्यापन किया जाएगा।

पहले से लिव-इन में रह रहे जोड़ों को एक माह में कराना होगा पंजीकरण

यदि कोई जोड़ा पहले से लिव-इन में रह रहा है, तो समान नागरिक संहिता लागू होने की तिथि से एक माह के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। वहीं, नए लिव-इन संबंधों के लिए, संबंध की शुरुआत की तिथि से एक माह के भीतर पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से लिव-इन संबंध को समाप्त किया जा सकेगा। यदि किसी एक साथी द्वारा संबंध समाप्त करने का आवेदन किया जाता है, तो रजिस्ट्रार द्वारा दूसरे साथी से पुष्टि की जाएगी।

गर्भावस्था और बच्चों की स्थिति

यदि लिव-इन में रह रही महिला गर्भवती होती है, तो इसकी सूचना रजिस्ट्रार को देना अनिवार्य होगा। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर पंजीकरण का अद्यतन करना अनिवार्य होगा।

लिव-इन पंजीकरण नहीं कराने पर दंड

लिव-इन का अनिवार्य पंजीकरण नहीं कराने पर छह माह का कारावास या 25 हजार रुपये दंड अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है।

पंजीकरण रसीद एवं वैधता

पंजीकरण के बाद रजिस्ट्रार की ओर से जोड़े को एक पंजीकरण रसीद दी जाएगी। इस रसीद के आधार पर जोड़ा किराये पर घर, हाॅस्टल अथवा पीजी में रह सकेगा।

माता-पिता को दी जाएगी सूचना

लिव-इन में पंजीकरण करने वाले जोड़े की सूचना रजिस्ट्रार द्वारा उनके माता-पिता या अभिभावकों को दी जाएगी। लिव-इन में जन्मे बच्चों को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

आवश्यक दस्तावेज

लिव-इन पंजीकरण के लिए निम्न दस्तावेज आवश्यक होंगे:

  • महिला और पुरुष की तस्वीरें

  • उत्तराखंड के निवास का प्रमाण

  • यदि बच्चे हैं, तो उनका जन्म प्रमाणपत्र

  • यदि बच्चा गोद लिया गया है, तो गोद लेने का प्रमाणपत्र

  • तलाकशुदा होने पर तलाक के दस्तावेज

  • विवाह विच्छेद प्रमाणपत्र

  • विधवा/विधुर होने की स्थिति में जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाणपत्र

  • साझा घराने के स्वामित्व का प्रमाण (बिजली बिल, पानी बिल, आरडब्ल्यूए बिल आदि)

  • किराये पर रहने की स्थिति में मकान मालिक से एनओसी

लिव-इन संबंध समाप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज (After UCC-2 Couple Registered to Live in Live-In)

  • यदि बच्चे हैं, तो उनका जन्म प्रमाणपत्र

  • यदि बच्चा गोद लिया गया है, तो गोद लेने का प्रमाणपत्र

  • अन्य आवश्यक दस्तावेज

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन संबंधों को कानूनी मान्यता मिलने से सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। (After UCC-2 Couple Registered to Live in Live-In)

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