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25 को ब्रह्मांड में ‘ग्रहों की परेड’ पर एरीज के वैज्ञानिक बाेले,  दुर्लभ नहीं अनूठी घटना….

नवीन समाचार, नैनीताल, 24 जनवरी 2025 (Aries Scientists spoke about Parade of Planets)इन दिनों सोशल मीडिया के साथ कई समाचार पत्रों और समाचार चैनलों पर 25 जनवरी को ब्रह्मांड में ‘ग्रहों की परेड’ के रूप में एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने का दावा किया जा रहा है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस दौरान सभी ग्रह एक सीधी रेखा में ‘अलाइन’ हो जाएंगे।

लेकिन नैनीताल स्थित एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह दावा पूरी तरह से सत्य नहीं है और ग्रहों की परेड कोई विशेष या दुर्लभ घटना नहीं है। अलबत्ता एक स्वाभाविक घटना होने के बावजूद यह खगोल वैज्ञानिकों के लिये अनूठा व अद्भुत अवसर अवश्य हो सकता है।

(Aries Scientists spoke about Parade of Planets) Solar System facts in hindi : सौरमंडल के ग्रह उपग्रह (रोचक तथ्य)

ग्रहों की परेड: खगोलीय सत्य

एरीज के जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र यादव ने कहा है कि ‘ग्रहों की परेड’ एक अनौपचारिक शब्द है, जो उस स्थिति का वर्णन करता है जब कई ग्रह रात के आकाश में एक ही समय पर एक रेखा में प्रतीत होते हैं। यह स्थिति पृथ्वी के दृष्टिकोण से एक खगोलीय संयोग के रूप में दिखती है। पिछली बार जून-जुलाई 2022 में ऐसी स्थिति देखी गई थी, और यह कुछ वर्षों के अंतराल में होती रहती है।

उन्होंने कहा कि सौर मंडल के ग्रह सूर्य के चारों ओर लगभग एक ही प्रतल में परिक्रमा करते हैं, जिसे क्रांतिवृत्त कहा जाता है। पृथ्वी से देखने पर, यह प्रतल एक आभासी रेखा के रूप में दिखाई देता है। सूर्य और अन्य ग्रह इसी रेखा के निकट रहते हैं। इस कारण, समय-समय पर ग्रहों को आकाश में लगभग एक रेखा में देखा जा सकता है। पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि ग्रह एक सीधी रेखा में हैं, लेकिन वास्तव में ये एक-दूसरे से लाखों किलोमीटर की दूरी पर होते हैं। यह केवल हमारी देखने की स्थिति का प्रभाव है।

उन्होंने यह भी बताया कि ग्रहों की कक्षाएँ उनके सूर्य से दूरी और द्रव्यमान के आधार पर भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिए बुध को सूर्य की परिक्रमा करने में 88 दिन लगते हैं, जबकि शनि को यह चक्र पूरा करने में लगभग 29 वर्ष लगते हैं। इस भिन्न गति के कारण ग्रह अलग-अलग समय पर आकाश में दिखते हैं। जब ये ग्रह एक ही समय पर आकाश के एक हिस्से में होते हैं, तब इसे ‘ग्रहों की परेड’ कहा जाता है। (Aries Scientists spoke about Parade of Planets)

क्या 25 जनवरी का दिन विशेष है? (Aries Scientists spoke about Parade of Planets)

श्री यादव ने कहा कि वास्तव में 25 जनवरी को ‘ग्रहों की परेड’ को लेकर कोई विशेष महत्व नहीं है। वरन दिसंबर 2024 के अंत से ही यह स्थिति बनी हुई है, और फरवरी 2025 के मध्य तक जारी रहेगी। ग्रहों की यह स्थिति सूर्यास्त के कुछ घंटों बाद देखी जा सकती है। शनि, नेपच्यून, यूरेनस, बृहस्पति और मंगल जैसे ग्रह इस समय आकाश में एक साथ मौजूद हैं। शुक्र सूर्यास्त के बाद पश्चिमी आकाश में दिखता है, लेकिन रात बढ़ने के साथ यह अस्त हो जाता है। फरवरी के अंत में शनि ग्रह सूर्य के निकट आ जाएगा, जिससे इसे देख पाना कठिन हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस समय आकाश में बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि जैसे ग्रह नग्न आंखों से देखे जा सकते हैं। जबकि यूरेनस और नेपच्यून जैसे ग्रहों को दूरबीन के बिना देख पाना संभव नहीं है। फिर भी यह घटना भले ही दुर्लभ न हो, लेकिन आकाश में एक साथ कई ग्रहों को देखना अवश्य ही एक अद्भुत अनुभव जरूर है और खासकर खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए यह समय बेहद अनुकूल समय है। खगोल विज्ञान अनुसंधान संस्थानों, तारामंडलों या विज्ञान केंद्रों में इन घटनाओं को और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। एरीज की वेबसाइट पर पंजीकरण करके भी इन ग्रहों को दूरबीन के माध्यम से देख सकते हैं।

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