March 29, 2024

आध्यात्मिक गुरु के खिलाफ दुराचार मामले में तीन माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश

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गायत्री परिवार प्रमुख बोले- राहुल ...नवीन समाचार, नैनीताल, 23 जून 2020। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 से 2014 के बीच छत्तीसगढ़ निवासी एक 14 वर्षीया नाबालिक के साथ हुए दुराचार मामले में 3 माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में आध्यात्मिक गुरु डा. प्रणव पांड्या आरोपित हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा कोर्ट के आदेश के बाद सीआरपीसी की धारा 161 व 164 में पीड़िता के बयान दर्ज कर रिपोर्ट न्यायालय में पेश की।
मामले के अनुसार अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वर्ष 2010 से 2014 में छत्तीसगढ़ के एक गरीब माता पिता ने अपनी नाबालिक 14 साल की पुत्री को देहरादून निवासी प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी के यहां काम करने के लिए छोड़ा था। प्रणव पांड्या ने 14 साल की नाबालिक के साथ कई बार दुराचार किया जिसकी शिकायत पीड़िता ने उनकी पत्नी से की तो उसने नाबालिक को डरा धमकाकर उसका मुँह बंद करा दिया गया। याचिकाकर्ता की मांग की है कि इनका खाता सील करने के साथ ही उत्तराखंड में इनके द्वारा संचालित की जा रही चार्टर्ड यूनिवर्सिटी पर भी कार्रवाई की जाऐ। याचिकाकर्ता का कहना है पांड्या शान्तिकुज आश्रम के प्रमुख श्रीराम शर्मा के दामाद हैं। पीड़िता ने पांड्या की पत्नी शैलजा के खिलाफ भी दिल्ली के विवेक विहार में जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी।

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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 7 मई 2020। शांतिकुंज आश्रम हरिद्वार के प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या व उनकी पत्नी पर उनके आश्रम की एक पूर्व कर्मी महिला के द्वारा दिल्ली के विवेक विहार थाने में यौन शोषण के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस मामले में पंड्या का कहना है कि यह उनके खिलाफ एक साजिश का हिस्सा है। शांतिकुंज में ही रहने वाला एक व्यक्ति अपनी पत्नी को भी उनके खिलाफ इस्तेमाल कर ब्लैकमेल करता रहता है। उन्होंने कहा कि वह 17 मई को लॉकडाउन समाप्त होने के बाद उस व्यक्ति को शांतिकुज से निकालने का मन बना रहे हैं । उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान निकालना उचित नहीं है। उनका कहना है कि वह कानूनी ढंग से पूरी लड़ाई लड़ेंगे। 
उल्लेखनीय है कि पांड्या पर छत्तीसगढ़ की रहने वाली एक लड़की ने भी पूर्व में बलात्कार का आरोप लगाया था। फिलहाल इस मामले में दिल्ली में जीरो एफआईआर दर्ज की गई है, जिसे हरिद्वार को स्थानांतरित किया जा सकता है। आरोपों के अनुसार युवती ने वर्ष 2010 मंे शांतिकुज में नौकरी के दौरान पांड्या द्वारा उसका दो दिन यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। युवती ने प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय महिला आयोग में भी यह शिकायत दर्ज कराई है। उसका कहना है कि निर्भया मामले में दोषियों को सजा मिलने के बाद मिली हिम्मत से उसने मामला दर्ज कराया है।

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बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आत्मसमर्पण के दौरान आध्यात्मिक गुरु पायलट (फाइल फोटो)।

नवीन समाचार, नैनीताल, 16 अप्रैल, 2019। कपिल अद्वैत उर्फ पायलट बाबा को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने बड़ी राहत देते हुए उनकी उम्र व स्वास्थ्य कारणों से जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है। इससे पूर्व अदालत ने  जमानत अर्जी पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उल्लेखनीय है कि बीती 4 अप्रैल को जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत से जमानत अर्जी निरस्त किये जाने के बाद जेल भेजे गये बाबा इन 12 दिनों में एक रात भी जेल में नहीं रहे और उन्होंने जेल में भी दो चरणों में कुछ ही घंटे बिताये। अलबत्ता स्वास्थ्य कारणों से वे हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहे।

उल्लेखनीय है कि पायलट बाबा द्वारा दाखिल की गयी जमानत अर्जी पर बीते मंगलवार 9 अप्रैल को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याची के अधिवक्ता की ओर से पायलट बाबा की अधिक उम्र व स्वास्थ्य की कमजोर स्थिति के साथ ही दलील दी गई थी कि सेना में विंग कमांडर रहे और देश के लिए दो युद्ध लड़े बाबा का वास्तव में उस समिति से कोई संबंध नहीं था, जिसने हजारों लोगों से धोखाधड़ी की घटना को अंजाम दिया। बताया गया कि जब समिति बनी और उसके द्वारा लोगों को उनके (बाबा के) नाम से फ्रेंचाइजी के नाम पर भरमाया गया, उन दिनों बाबा जापान में थे। लौटने पर उन्हें जब इस बात का पता चला, तब उन्होंने स्वयं समिति के अध्यक्ष हिमांशु राय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। लेकिन तब से अब तक पुलिस ने उनकी प्राथमिकी पर पुलिस ने कार्रवाई पूरी नहीं की है। इस पर एकलपीठ ने बाबा की तहरीर पर दर्ज मुकदमे के मामले में जांच अधिकारी से जांच रिपोर्ट तलब की थी। साथ ही नैनीताल के एसएसपी से बाबा के खरब स्वास्थ्य को देखते हुए उपयुक्त चिकित्सा सुविधा देने के भी आदेश दिये थे।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 9 अप्रैल 2019। कपिल अद्वैत उर्फ पायलट बाबा एक बार फिर नैनीताल जिला कारागार से लौटकर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज उपचार के लिए पहुंच गये हैं। उल्लेखनीय है कि बीती 4 अप्रैल को जेल में भेजे जाने के बाद बाबा मेडिकल कॉलेज में उपचार करा रहे थे। वहीं बुधवार को अपराह्न करीब 2.45 बजे पायलट बाबा वापस जेल आ गए थे। बताया गया कि बुधवार दोपहर चिकित्सकों द्वारा स्वस्थ घोषित किए जाने के बाद उन्हें सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी से छुट्टी दे दी गई। जिसके बाद उन्हें पुलिस की कस्टडी में नैनीताल जेल ले आया गया। किंतु इसके करीब 3 घंटे बाद ही उन्हें वापस पहले उपचार के लिए बीडी पांडे जिला चिकित्सालय और वहां दो चिकित्सकों के पैनल के द्वारा उनका स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद वापस हल्द्वानी के मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया।
नैनीताल जिला कारागार के प्रभारी जेलर रमेश कुमार भारती ने बताया कि बुधवार को जेल में आने के बाद उन्हें सांस लेने में दिक्कत व ठंड की शिकायत हुई। इस पर पुलिस लाइन से चिकित्सक को बुलाकर उनका जेल में स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। उनका रक्तचाप बढ़ा हुआ था। इस पर उन्हें बीडी पांडे जिला चिकित्सालय भेजा गया और वहां से वापस मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी भेज दिया गया।
उल्लेखनीय है कि बीती 4 अप्रैल को रात्रि करीब 8 बजे जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल की अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने के उपरांत पायलट बाबा को रात्रि 9.35 पर नैनीताल जिला कारागार में दाखिल किया गया था, और इसके डेढ़ घंटे से भी कम समय में 11 बजे उन्हें स्वास्थ्य कारणों से पहले मुख्यालय स्थित बीडी पांडे जिला चिकित्सालय, और इसके उपरांत हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज ले जा कर भर्ती कर दिया गया था जहां उनका उपचार चल रहा था।

पूर्व समाचार : जेल भेजे जाने के बावजूद जेल से बाहर ही मौजूद पायलट बाबा ने हाईकोर्ट में दी जमानत अर्जी, इस दिन हो सकता है बाहर आने पर फैसला

-हाईकोर्ट में दायर की जमानत याचिका पर शुरू हुई सुनवाई, जेल जाने के कुछ ही घंटों बाद अस्पताल में भर्ती हैं अरबों रुपये के घोटाले के आरोपी बाबा
नवीन समाचार, नैनीताल, 9 अप्रैल 2019। अरबों रुपये के धोखाधड़ी के 11 वर्ष पुराने मामले में बीती 4 अप्रैल को सीजेएम यानी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आत्मसमर्पण वाले और बाद में जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत के द्वारा जेल भेजे गये विवादित धर्म गुरु पायलट बाबा की जेल से बाहर ही रहने की कवायद जारी है। बाबा ने उच्च न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल कर दी है।

उल्लेखनीय है 4 अप्रैल को सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण के बाद पायलट बाबा ने हाईकोर्ट के आदेश पर उसी दिन इस अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की थी और अर्जी खारिज होने के बाद इसी दिन जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में जमानत अर्जी दाखिल कर दी थी। यह अर्जी भी खारिज होने के बाद बाबा को इसी दिन रात्रि करीब 8 बजे जेल भेजा गया किंतु इसी दिन रात्रि करीब 12 बजे स्वास्थ्य कारणों से वह जेल से बाहर आ गये थे और तब से हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं, और इधर उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जमानत अर्जी लगा दी है।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 5 अप्रैल 2019। बृहस्पतिवार को विवादित आध्यात्मिक गुरु पायलट बाबा को जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेंद्र दत्त की अदालत ने रात्रि आठ बजे जमानत अर्जी खारिज कर न्यायिक हिरासत में नैनीताल जिला कारागार भेज दिया था।

लेकिन इसके कुछ ही घंटों के बाद बाबा की जेल में तबियत खराब हो गयी। इसके बाद रात्रि करीब 12 बजे उन्हें मुख्यालय स्थित बीडी पांडे जिला चिकित्सालय में लाया गया। उनका रक्तचाप बढ़ा हुआ था और सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। यहां डा. हाशिम अंसारी ने उनकी स्वास्थ्य जांच की और सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया। इसके बाद रात्रि 1.58 बजे उन्हें सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। इधर मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक डा. अरुण जोशी ने बताया कि उन्हें उच्च रक्तचाप व सांस लेने में दिक्कत के साथ ही किडनी में भी समस्या है। उन्हें यहां आईसीयू में रखा गया है। फिलहाल कुछ दिन वे यहीं रह सकते हैं।

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-11 वर्ष पुराने धोखाधड़ी के मामले में न्यायालय में किया आत्मसमर्पण
-11 हजार लोगों से कम्प्यूटर सेंटर के नाम पर करोड़ों रुपये धोखाधड़ी कर हड़पने का है आरोप

-सीबीसीआईडी ने जांच पूरी कर 15 जून 2010 को आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया था

नवीन समाचार, नैनीताल, 4 अप्रैल 2019। बृहस्पतिवार को विवादित आध्यात्मिक गुरु पायलट बाबा ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद जनपद की सीजेएम यानी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मुकेश कुमार की अदालत में आत्मसमर्पण किया। जिस पर उन्हें अदालत के आदेशों पर हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद उन्होंने इसी न्यायालय में जमानत का प्रार्थना पत्र दिया, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। इसके पश्चात उन्होंने जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेंद्र दत्त की अदालत में भी जमानत याचिका दाखिल की। यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। अदालत ने रात्रि आठ बजे उनकी जमानत अर्जी खारिज करने की घोषणा की, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। यह संयोग ही है कि बाबा पर करीब 11 हजार लोगों से करोड़ों की धोखाधड़ी करने का आरोप है, और वह 11 वर्षों के बाद कानून के शिकंजे में आये हैं।
इधर जिला न्यायालय में पायलट बाबा की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता-फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने न्यायालय को बताया कि 25 नवंबर 2008 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार के राज्यमंत्री डा. हरीश पाल पुत्र मुरारी लाल निवासी गौजाजाली हल्द्वानी ने ज्योलीकोट चौकी पुलिस में हिमांशु रॉय, के खिलाफ तहरीर दी थी। तहरीर में आरोप लगाया गया था कि 13 जून 2008 को तल्ला गेठिया ज्योलीकोट स्थित पायलट बाबा के मंदिर स्थित शिक्षण संस्था-आईकावा इंटरनेशनल एजुकेशन के संस्थापक व संचालक-हिमांशु राय, इशरत खान, उपाध्यक्ष जापानी नागरिक केको आईकावा व इनके सुप्रीमो कपिल अद्वैत उर्फ पायलट बाबा पुत्र चंद्रमा सिंह निवासी ग्राम सासाराम बिहार, तत्कालीन निवासी पंचावटी अपार्टमेंट विकासपुरा नई दिल्ली व उनके सहयोगी इरफान खान, विजय यादव, पीसी भंडारी व मंगल गिरि ने ठगी के शडयंत्र के तहत उनसे 67,760 रुपये प्राप्त किये और इन रुपयों के ऐवज में कम्प्यूटर सेंटर के संचालन हेतु 50,500 रुपये प्रतिमाह की दर से देने का भरोसा दिलाया था और इस तरह उनके कुल तीन लाख 20 हजार 760 रुपये हड़प लिया, और रुपये मांगने पर वे जान से मारने की धमकी देते थे। इसके अलावा इनके द्वारा हल्द्वानी के नवाब हुसैन उर्फ बॉबी राज एवं अर्जुनपुर हल्द्वानी के अनुराग माजिला, हीरानगर निवासी तबस्सुम अशरफ सहित 11 हजार व्यक्तियों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप भी लगाये गये थे। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि मामले में सीबीसीआईडी ने जांच की थी और जांच पूरी कर 15 जून 2010 को आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया गया था, तब से सभी सातों लोगों को सीजेएम कोर्ट से सम्मन भेजे जा रहे थे। जो इनके द्वारा अपने पतों पर नहीं मिल रहे थे। मामले में अन्य छह आरोपित अभी भी फरार चल रहे हैं। इधर उन्होंने उच्च न्यायालय में प्रार्थना पत्र लगाया, जिस पर उच्च न्यायालय ने उनसे सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण करने एवं कोर्ट से उसी दिन उनकी जमानत अर्जी पर भी सुनवाई करने के आदेश दिये थे। इस पर ही आज उनके द्वारा आत्मसमर्पण किया गया।

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वर्ष 2013 में वन भूमि पर किये गये कालातीत लीज के नाम पर अतिक्रमण का मामला
नवीन समाचार, नैनीताल, 20 फरवरी 2019। दुष्कर्म मामले में सजायाफ्ता बलात्कारी बाबा आसाराम बापू को उत्तराखंड उच्च न्यायालय से फिर बड़ा झटका लगा है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भी आशाराम के ऋषिकेश मुनि की रेती ब्रह्मपुरी निरगढ़ में वन भूमि पर कब्जे को अतिक्रमण मानते हटाने तथा वन विभाग को जमीन कब्जे में लेने के आदेश पारित किए हैं।

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व 21 दिसम्बर 2018 को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने भी आसाराम को बड़ा झटका देते हुए ऋषिकेश के मुनि की रेती ब्रह्मपुरी निरगढ़ में वन भूमि पर आसाराम द्वारा किये गये कब्जे को अतिक्रमण मानते हुए हटाने तथा वन विभाग को इस स्थान को कब्जे में लेने के आदेश पारित किए थे। उल्लेखनीय है कि रेन फारेस्ट हाउस निवासी स्टीफन व तृप्ति ने वर्ष 2013 में वन विभाग में शिकायत की थी कि आसाराम के आश्रम के कर्मचारियों के द्वारा अतिक्रमण कर नाले में दीवार बना दी है। जिस भूमि पर कब्जा किया गया है, उसकी लीज लक्ष्मण दास के नाम पर थी, लेकिन अब कालातीत हो गई है। इस पर नौ सितंबर 2013 को वन विभाग की ओर से वन भूमि खाली करने का नोटिस आसाराम को दिया गया, परंतु 17 सितंबर 2013 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नोटिस के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। इसके बाद वन विभाग द्वारा मामले में इंटरवेंशन डाली गई। वन विभाग की ओर से अधिवक्ता कार्तिकेय हरीगुप्त ने अदालत को बताया कि लीज 1970 में समाप्त हो चुकी है और कानूनी रूप से लीज ट्रांसफर नहीं हो सकती। इस पर न्यायमूर्ति तिवारी की एकलपीठ ने शुक्रवार को मामले को सुनने के बाद स्थगनादेश को निरस्त कर दिया।

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p style=”text-align: justify;”>नैनीताल। दुनिया के सामने ढोंगी-पाखंडी बाबा के रूप में अब उजागर हुए बलात्कारी आसाराम की पोल नैनीताल में करीब 60 बरस पहले ही खुल गयी थी। उसे यहां के संत लीलाशाह के आश्रम से धक्के मारकर निकाला गया था।
यह दुर्योग कहें कि नैनीताल की अपनी खूबसूरती, देश में जो भी अच्छी-बुरी घटना होती है, उसका संबंध कहीं न कहीं इस विश्व प्रसिद्ध पर्वतीय-सरोवर नगरी नैनीताल से स्थापित हो जाता है। यहां लोग बाहरी तौर पर पर्यटन तो आत्मिक तौर पर शांति-आध्यात्म के लिए आते हैं। इसीलिये यह नगर नीब करौरी बाबा, हैड़ाखान बाबा, महाअवतार बाबा, हरदा बाबा, पायलट बाबा, स्वामी लीलाशाह व सोमवारी बाबा सहित अनेकानेक बाबाओं की भी तपस्थली रहा है।

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नगर के इसी आकर्षण में 1964 के आसपास करीब 22-23 वर्ष का आसाराम (तब आसूमल) भी यहां आया था, और 1940 में यहां आए गुजरात मूल के संंत स्वामी लीलाशाह के हनुमानगढ़ी (तब बजरंगगढ़) से आगे 1956 में स्थापित आश्रम में उसने शरण ली थी।  इसी दौरान 1964 के आसपास उसने स्वयं को स्वामी जी का शिष्य और स्वामी जी को अपना गुरु घोषित कर दिया। किन्तु सच्चाई  यह बताई जाती है कि उसकी संदिग्ध गतिविधियां, शुरू में ही युवतियों व पत्नी के साथ आने और आगे की रसिकमिज़ाजी जल्द ही त्रिलोकदर्शी स्वामी लीलाशाह की नजर में आ गयी थीं, और उसे बार-बार आश्रम में आने से मना किया गया था।

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p style=”text-align: justify;”>आश्रम से जुड़े लोगों का यह भी कहना है कि उसका ध्यान जप तप में कम और आश्रम कब्जाने में ज्यादा था। वह यहां ज्ञान-ध्यान के बजाय अपने कुश्ती के शौक में मशगूल रहता था, और साथियों के साथ घंटों कुश्ती के दांव-पेंच आजमाता था। 1973 में स्वामी लीलाशाह के देह त्यागने से पहले से करीब 4 दशक तक आश्रम की जिम्मेदारी संभालने वाले गणेश दत्त भट्ट एवं उनके पुत्र नंदाबल्लभ भट्ट के अनुसार आसाराम तब करीब 22-23 वर्ष का युवक था, और करीब छह-सात वर्ष तक आश्रम में हर वर्ष कुछ दिन रहकर स्थानीय युवकों को योग, प्राणायात व नेती क्रिया सिखाता था। इस दौरान कई बार उसके साथ युवतियां भी आती थीं, इस पर स्वामी लीला साह उसे डपट देते थे। एक बार वह अपनी पत्नी को भी लेकर नैनीताल आया, लेकिन उसकी पत्नी आश्रम में नहीं आयी। हनुमानगढ़ी में ही रुकी रही।
आश्रम में बाबा लीला साह भी गर्मियों में अथवा आश्रम निर्माण के दौरान आते थे। आश्रम में महिलाओं को संत समागमों, भजन-कीर्तनों में आने की अनुमति तो थी, पर उन्हें बाबा के पैर भी छूने की इजाजत नहीं थी। बच्चों व महिलाओं के लिए सूर्यास्त से पहले ही घर लौटने का नियम भी लागू था।
वे बताते हैं कि आसाराम के हावभाव और तड़क भड़क से व्यथित लीलाशाह ने उसे बहुत बार समझाया लेकिन उनकी बात न मानने पर आखिर उसे आश्रम से निकाल दिया था। आश्रम से जुड़े एलके असवानी का भी दावा था कि 28 जून 1999 को आसाराम के चेलों ने दुबारा नैनीताल में संकीर्तन यात्रा के दौरान आश्रम पर जबरन कब्जा करने का प्रयास किया था, जिसे बमुश्किल बचाया जा सका। अलबत्ता, अब भी आसाराम स्वामी लीला शाह को अपना गुरु बताने का ढोंग करता है।

आसाराम ने जमकर झूठा भुनाया स्वामी लीलाशाह का नाम

नैनीताल। स्वामी लीलाशाह अपनी दिव्यशक्ति से भले ही आसाराम की असलियत आज से 60 वर्ष पूर्व ही जान कर उसे न केवल आश्रम से निकाल चुके थे और उसके यहां प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा चुके थे लेकिन उनके देहांत के बाद आसाराम ने स्वयं को उनका सच्चा शिष्य साबित कर स्वामी जी के लाखों अनुयायियों को जबरन अपना शिष्य बनाने का प्रयास किया। आसाराम अक्सर अपने प्रवचनों में स्वामी लीलाशाह का नाम लेकर रोने का नाटक करता था। उसने सद् गुरु की याद में बनाई गई लघु फिल्मों में लंबा चौड़ा प्रवचन देकर दावा किया कि स्वामी लीलाशाह उसके गुरु थे। वह उनकी भरपूर सेवा करता था। यह वीडियो यू ट्यूब पर भी जारी किए जाते थे।

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p style=”text-align: justify;”>कहां बलात्कारी आसाराम और कहां महिलाओं को चरण स्पर्श भी नहीं करने देने वाले गुरु लीलाशाह
जिन लीलाशाह को आसाराम अपना गुरु मानने का ढोंग करता था वे सदैव महिलाओं से दूर रहते थे। वे महिलाओं को चरण स्पर्श तक नहीं करने देते थे।

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p style=”text-align: justify;”>बेटे नारायण सांई ने भी की नैनीताल में आश्रम बनाने की कोशिश
2007 में आसाराम के पुत्र नारायण साईं ने नैनीताल के निकट मंगोली के ग्राम सिलकोड़िया में 11 नाली भूमि खरीद कर नारायण साईं आश्रम स्थापित किया किंतु यह चल नहीं पाया।

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  • नाबालिग से रेप के मामले में ताउम्रकैद पाए आसाराम का परिवार पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत आया था।
  • आसाराम के बचपन का नाम असुमल था। पिता की मौत के बाद वह 15 साल की उम्र में घर से भागा था।
  • 23 साल की उम्र में आसाराम ने एक फिर घर छोड़ा और इस बार संत श्री बापू महाराज की उपाधि हासिल की।
  • आज आसाराम के साम्राज्य में देश-विदेश में मिलाकर करीब 400 आश्रम हैं और संपत्ति करीब 10 हजार करोड़।

वह हिंदुस्तान के विभाजन के तुरंत बाद का समय था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बरनानी गांव से निकल थाऊमल हरपलानी अपनी पत्नी मंहगीबा और बेटे आसूमल को लेकर भारत पहुंचे थे। अधिकतर सिंधी रिफ्यूजियों की तरह थाऊमल और उनके परिवार को सरदारनगर की रिफ्यूजी बस्ती में शरण मिली। थाऊमल ने मणिनगर में लकड़ी और कोयले का धंधा शुरू किया। बेटा आसूमल भी पिता का हाथ बंटाता। बाद में इस परिवार ने कालुपुर में अनाजों की दुकान भी खोली। सब पटरी पर लौट ही रहा था कि आसूमल के पिता की मौत हो गई। उस समय आसूमल की उम्र महज 10 साल थी। अब घर की जिम्मेदारी उसके कंधे पर थी। कुछ साल इस जिम्मेदारी को निभाने के बाद वह 15 साल की उम्र में घर से भाग गया, और भरूच के एक आश्रम में पहुंचा, जिसे संत लीलाशाह महाराज चलाते थे। महाराज ने किसी तरह उसे समझा बुझाकर वापस घर भेजा। हालांकि 8 साल बाद जब आसूमल की उम्र 23 साल हुई तो वह एक बार फिर घर छोड़ आश्रम पहुंच गया।

अक्टूबर 1964 ने उसने स्वयं को ‘संत श्री आसाराम बापू महाराज’ कहना शुरू कर दिया । 7 साल बाद 1971 में आसाराम अहमदाबाद लौटा। तब उसके 2 बच्चे, नारायण साईं और भारती देवी भी पैदा हो चुके थे। गुजरात में पंचमहल और भरूच जिलों के आदिवासी लोगों व उत्तर भारत के हिंदी भाषी लोगों के बीच आसाराम के आध्यात्मिक प्रवचन धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगे थे। 1972 में आसाराम ने साबरमती नदी किनारे ‘मोक्ष कुटीर’ की नींव रखी। एक साल में यह झोपड़ी आश्रम में बदल गई।

आसाराम।

आज आसाराम के साम्राज्य में देश-विदेश में मिलाकर करीब 400 आश्रम हैं। चार दशकों में तैयार हुए इस साम्राज्य की कुल संपत्ति 10 हजार करोड़ रुपये की आंकी जा रही है। राजस्थान के 30 जिलों में भी आसाराम की 750 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी फैली हुई है। आसाराम का हर आश्रम 150 बीघा जमीन पर स्थित है। आसाराम के पास कारों और बसों का पूरा काफिला है। 5 स्कूल चल रहे हैं। इसके अलावा हर आश्रम में दुकानें भी चल रहीं हैं।

2008 में बदलनी शुरू हुई कहानी
आसाराम आज जिस हाल में पहुंचा है उसकी पठकथा 2008 में लिखी जाने लगी थी। जुलाई 2008 में दिपेश और अभिषेक वाघेला नाम के दो युवकों के क्षत-विक्षत शव मिले। ये दोनों युवक आसाराम के मोटेरा आश्रम से गायब थे। ऐसी खुफिया सूचनाएं मिलने लगीं कि आश्रम में ‘काला जादू’ भी किया जा रहा है। गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने इस मामले की जांच के लिए जस्टिस डीके त्रिवदी कमीशन का गठन किया। पांच साल बाद अगस्त 2013 में 16 साल की नाबालिग ने आसाराम पर जोधपुर आश्रम में यौन शोषण का आरोप लगा दिया।

उसी साल आसाराम का बेटा नारायण साई भी सूरत की दो बहनों से रेप के आरोप में जेल गया। इन दोनों बहनों ने आरोप लगाया था कि 2000 के मध्य में दोनों बाप बेटों ने मिलकर दोनों के साथ रेप किया। इस मामले के सामने आने के बाद अब आसाराम के साम्राज्य का पतन शुरू हुआ। धीरे-धीरे कई खबरें मिलने लगीं। सूरत पुलिस ने जब जनवरी 2015 में आसाराम के एक फॉलोवर प्रह्लाद केसवानी के घर पर रेड मारी तो उसके घर से रिअल स्टेट में 2500 करोड़ से ज्यादा निवेश के कागजात 42 बैगों में भरे मिले। गुजरात पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक 2008 में आसाराम के साम्राज्य की कुल कीमत 5000 करोड़ रुपये थी।

आपको बता दें कि नाबालिग दलित युवती से रेप के मामले में जोधपुर की विशेष अदालत ने आसाराम को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। जोधपुर सेंट्रल जेल में लगी एससी-एसटी कोर्ट के विशेष जज मधुसूदन शर्मा की अदालत ने बुधवार को इस मामले में सहअभियुक्त शिल्पी और शरतचंद्र को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई, जबकि अन्य दो प्रकाश और शिव को रिहा कर दिया।

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