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June 14, 2025

क्या इंदिरा गांधी की तरह मोदी ने भी करा दिए पाकिस्तान के दो टुकड़े ? बलूचिस्तान ने की पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्रता की घोषणा, भारत के लिए क्या चुनौतियाँ ?

Navin Samachar Vishesh

नवीन समाचार, नई दिल्ली, 14 मई 2025 (Balochistan Declared Independence from Pakistan)। पाकिस्तान के सबसे बड़े बलूचिस्तान प्रांत ने स्वतंत्र देश बनने की घोषणा कर दी है। बलूच लेखक व नेता मीर यार बलूच ने बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा करते हुए भारत, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उनके नए राष्ट्र को मान्यता देने की अपील की। यह घोषणा भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद 14 मई को की गई है, जिसमें भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए।  Image

हालांकि, बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा अभी प्रारंभिक चरण में है और इसे मान्यता मिलना अनिश्चित है। यह मामला क्षेत्रीय भू-राजनीति और मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल उठाता है। इसके साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह पाकिस्तान को तोड़कर नया देश बनाने की भी बात कही जा रही है। हालांकि भारत ने अभी नए देश के रूप में बलूचिस्तान को अभी मान्यता नहीं दी है। 

स्वतंत्रता की घोषणा और मांगें

Imageमीर यार बलूच ने सोशल मीडिया मंच X पर कई पोस्ट के माध्यम से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा की। उन्होंने भारत से नई दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोलने की अनुमति मांगी और संयुक्त राष्ट्र से शांति सैनिक तैनात करने तथा पाकिस्तानी सेना को क्षेत्र खाली करने का आग्रह किया। उन्होंने दावा किया कि बलूचिस्तान का नियंत्रण जल्द ही स्वतंत्र सरकार को सौंपा जाएगा और एक अस्थायी सरकार की घोषणा होगी, जिसमें बलूच महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा। मीर यार ने बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को 11 अगस्त 1947 से जोड़ा, जब ब्रिटिश शासन समाप्त हुआ था, और कहा कि बलूच लोग पाकिस्तानी नहीं, बल्कि बलूचिस्तानी हैं। बलूचिस्तान ने अपना अलग झण्डा, अलग राष्ट्रगान व अलग संसद के साथ ही बलूच लिबरेशन आर्मी को देश की सेना की भी घोषणा कर दी है। 

बलूच विद्रोह और हमले

Imageबलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने स्वतंत्रता के समर्थन में अपनी सशस्त्र गतिविधियां तेज कर दी हैं। बीएलए ने ‘ऑपरेशन हीराफ 2.0’ के तहत 51 से अधिक स्थानों पर 71 समन्वित हमलों की जिम्मेदारी ली, जिनमें क्वेटा, केच, पंजगुर, मस्तुंग और नुश्की जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन हमलों में पाकिस्तानी सैन्य और खुफिया ठिकानों, पुलिस चौकियों, खनिज परिवहन वाहनों और प्रमुख राजमार्गों पर बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। बीएलए के प्रवक्ता जियंद बलूच ने कहा कि इन हमलों का उद्देश्य सैन्य समन्वय, जमीनी नियंत्रण और रक्षात्मक स्थिति को परखना था। बीएलए ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसे आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की मांग की।

सामाजिक और भू-राजनीतिक संदर्भ

Imageबलूचिस्तान, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और पाकिस्तान का 44% क्षेत्र है, प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, लेकिन यह देश का सबसे गरीब और अविकसित क्षेत्र है। बीएलए और स्थानीय लोग दावा करते हैं कि इन संसाधनों का दोहन बिना स्थानीय लाभ के किया जा रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी मानवाधिकार संस्थाओं ने बताया कि हजारों बलूच कार्यकर्ता, पत्रकार, छात्र और राजनीतिक कार्यकर्ता पाकिस्तानी बलों द्वारा अपहरण या हत्या के शिकार हुए हैं। कई जिलों में सामूहिक कब्रें मिलने से जनता का अविश्वास बढ़ा है।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा कि संघीय सरकार और सेना बलूचिस्तान पर नियंत्रण खो रही है, खासकर रात के समय। पाकिस्तान के धार्मिक नेता मौलाना फजल-उर-रहमान ने भी स्वीकार किया कि बलूचिस्तान में पांच से सात समूह स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं, और यदि यह स्वतंत्रता की घोषणा करते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र इसे स्वीकार कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चुनौतियां

Imageबलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा को अभी तक किसी देश या अंतरराष्ट्रीय संगठन ने मान्यता नहीं दी है। भारत ने बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन को औपचारिक समर्थन नहीं दिया। भारत और बलूचिस्तान की भौगोलिक दूरी सामग्री समर्थन को कठिन बनाती है। ईरान, जहां सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में बलूच आबादी रहती है, भी इस आंदोलन का समर्थन करने में अनिच्छुक है, क्योंकि यह उनकी क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डाल सकता है।

अमेरिका ने बलूचिस्तान में अलगाववादी ताकतों का समर्थन नहीं किया और पाकिस्तान की एकता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है। हालांकि, कुछ अमेरिकी सांसदों ने 2011 में बलूचिस्तान के मुद्दे पर चर्चा शुरू की थी, जो पाकिस्तान के तालिबान समर्थन के कारण थी। संयुक्त राष्ट्र ने भी अभी तक इस घोषणा पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

सामाजिक मीडिया पर उत्साह

सोशल मीडिया मंच X पर “रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान” और “बलूचिस्तान स्वतंत्रता” जैसे कीवर्ड ट्रेंड कर रहे हैं। कई उपयोगकर्ताओं ने बलूचिस्तान का स्वतंत्र नक्शा और बलूच झंडे लहराते हुए वीडियो साझा किए। कुछ भारतीय उपयोगकर्ताओं ने भारत सरकार से बलूचिस्तान को मान्यता देने की मांग की, जबकि बलूच कार्यकर्ताओं ने भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को रेखांकित किया। मीर यार ने एक पोस्ट में कहा, “60 मिलियन बलूच देशभक्त नरेंद्र मोदी के साथ हैं।” 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बलूचिस्तान का इतिहास स्वतंत्रता के लिए संघर्षों से भरा है। 11 अगस्त 1947 को, कटल के खान ने बलूचिस्तान को स्वतंत्र घोषित किया था, लेकिन 27 मार्च 1948 को पाकिस्तान ने इसे बलपूर्वक शामिल कर लिया। इसके बाद 1948, 1958-59, 1962-63 और 1973-77 में विद्रोह हुए। 2003 से नई कम तीव्रता वाली बगावत शुरू हुई, जो अब तेज हो रही है। बलूच लोग दावा करते हैं कि उनकी संस्कृति, भाषा और संसाधनों का शोषण किया गया है, जबकि पाकिस्तानी सरकार ने विकास परियोजनाओं, जैसे ग्वादर बंदरगाह और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी), को लागू किया, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ नहीं हुआ।

भारत और बलूचिस्तान के संबंध

1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • 1947 में कटल की पेशकश: 1947 में, कटल के खान, मीर अहमद यार खान ने भारत से जुड़ने की इच्छा जताई थी। 4 अगस्त 1947 को दिल्ली में लॉर्ड माउंटबेटन, जवाहरलाल नेहरू, और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ बैठक में जिन्ना ने कटल की स्वतंत्रता का समर्थन किया। हालांकि, भारत ने कटल की पेशकश को अस्वीकार कर दिया। 27 मार्च 1948 को ऑल इंडिया रेडियो पर वी.पी. मेनन के बयान ने इस अस्वीकृति को सार्वजनिक किया, जिसे कुछ विश्लेषक नेहरू की रणनीतिक भूल मानते हैं। 
  • पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान का अधिग्रहण: 27 मार्च 1948 को पाकिस्तान ने कटल को बलपूर्वक अपने में मिला लिया, जिससे बलूच स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत हुई। 

2. वर्तमान संबंध और भारत की स्थिति

  • मानवाधिकार पर समर्थन: भारत ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा की है। 2016 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में बलूचिस्तान का उल्लेख किया, जिसे बलूच नेताओं ने समर्थन के रूप में देखा . भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी इस मुद्दे को उठाया है। 
  • स्वतंत्रता की घोषणा (2025): मीर यार बलूच ने 9 मई 2025 को स्वतंत्रता की घोषणा की और भारत से नई दिल्ली में दूतावास खोलने की अनुमति मांगी। भारत ने अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, और सोशल मीडिया पर भारतीय उपयोगकर्ताओं का समर्थन भावनात्मक है, लेकिन नीतिगत नहीं। 
  • आधिकारिक नीति: भारत की आधिकारिक नीति बलूचिस्तान को पाकिस्तान का आंतरिक मामला मानती है और प्रत्यक्ष हस्तक्षेप से बचती है। हालांकि, कुछ विश्लेषक इसे “रक्षात्मक आक्रामकता” (defensive offense) रणनीति का हिस्सा मानते हैं, जैसा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सुझाया था। 

3. पाकिस्तान के आरोप और भारत का खंडन

  • पाकिस्तानी दावे: पाकिस्तान ने भारत पर बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) को हथियार, धन, और प्रशिक्षण देने का आरोप लगाया है। 2016 में कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी को इसका सबूत बताया गया। 2025 में, बीएलए के हमलों के बाद पाकिस्तान ने भारत को “प्रॉक्सी” करार दिया । 
  • भारत का जवाब: भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है, जाधव को सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी बताया और कहा कि उन्हें ईरान से अपहरण किया गया। अमेरिकी राजदूत रिचर्ड होलब्रूक ने 2011 में कहा था कि पाकिस्तान के पास भारत के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं। 
  • सबूतों की कमी: कुछ भारतीय समाचार पत्रों, जैसे The Hindu, ने बताया कि बीएलए कमांडरों ने भारत में इलाज कराया, लेकिन यह गुप्त रूप से और छद्म पहचान के तहत था. यह प्रत्यक्ष सरकारी समर्थन का सबूत नहीं है।

4. भू-राजनीतिक और रणनीतिक महत्व

  • सीपीईसी और ग्वादर: बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह और सीपीईसी भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय हैं। ये परियोजनाएं चीन को अरब सागर और हिंद महासागर में पहुंच प्रदान करती हैं, जिसे भारत “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” रणनीति का हिस्सा मानता है। 
  • भारत-ईरान संबंध: बलूचिस्तान का कुछ हिस्सा ईरान में है, और भारत का चाबहार बंदरगाह ग्वादर का प्रतिद्वंद्वी है। ईरान बलूच आंदोलन का समर्थन नहीं करता, क्योंकि यह उसकी क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डाल सकता है। 
  • कश्मीर के साथ तुलना: पाकिस्तान कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता है, जबकि भारत ने बलूचिस्तान को जवाबी रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया है। 

5. सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध

  • भारत में बलूच समुदाय: भारत में लगभग 1,500 बलूच लोग रहते हैं, मुख्य रूप से मुंबई में, जो 1947 के विभाजन के बाद आए। भगनारी समुदाय, जो हिंदू बलूच हैं, इसका हिस्सा है। 
  • सोशल मीडिया पर समर्थन: X पर भारतीय उपयोगकर्ताओं ने बलूचिस्तान की स्वतंत्रता का समर्थन किया है, इसे मानवीय और रणनीतिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया। हालांकि, कुछ पोस्ट दावा करते हैं कि भारत ने बलूचिस्तान को 1 जून 2025 तक मान्यता देने का फैसला किया है, लेकिन यह असत्यापित है। 

6. भारत की नीति और चुनौतियां

  • नीतिगत दुविधा: भारत बलूचिस्तान में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप से बचता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के साथ तनाव को बढ़ा सकता है और परमाणु संघर्ष का जोखिम पैदा कर सकता है। 
  • रणनीतिक लाभ: कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बलूचिस्तान का समर्थन भारत को पाकिस्तान पर दबाव बनाने और सीपीईसी को बाधित करने का अवसर देता है। 
  • जोखिम: बलूचिस्तान में सक्रियता भारत को ईरान और अन्य क्षेत्रीय सहयोगियों से अलग कर सकती है। साथ ही, यह कश्मीर में पाकिस्तान की प्रॉक्सी गतिविधियों को और बढ़ा सकता है। 

7. भविष्य की संभावनाएं

  • मान्यता की संभावना: बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देना भारत के लिए रणनीतिक रूप से जोखिम भरा है। X पर कुछ पोस्ट दावा करती हैं कि भारत 1 जून 2025 तक मान्यता दे सकता है, लेकिन यह बिना आधिकारिक पुष्टि के हैं। 
  • नीतिगत सुझाव: भारत को बलूचिस्तान में मानवाधिकारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नैतिक समर्थन जारी रखना चाहिए, लेकिन सैन्य या प्रत्यक्ष हस्तक्षेप से बचना चाहिए। 
  • क्षेत्रीय स्थिरता: बलूचिस्तान का भविष्य भारत-पाकिस्तान संबंधों, चीन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं, और वैश्विक शक्तियों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। (Balochistan Declared Independence from Pakistan, International News, Balochistan’s Declaration of Independence, Balochistan Independence, Republic of Balochistan)

आगे की राह (Balochistan Declared Independence from Pakistan)

बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसे मान्यता और स्थिरता प्राप्त करना कई चुनौतियों से भरा है। बीएलए की सशस्त्र गतिविधियां और स्थानीय समर्थन स्वतंत्रता आंदोलन को गति दे रहे हैं, लेकिन पाकिस्तानी सेना का दमन और अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कमी इसे जटिल बनाती है। (Balochistan Declared Independence from Pakistan, International News, Balochistan’s Declaration of Independence, Balochistan Independence, Republic of Balochistan)

यदि बलूचिस्तान को मान्यता मिलती है, तो यह 249वां राष्ट्र हो सकता है, लेकिन इसके लिए वैश्विक शक्तियों का समर्थन और क्षेत्रीय स्थिरता आवश्यक है। भारत के लिए, बलूचिस्तान का समर्थन भू-राजनीतिक लाभ दे सकता है, लेकिन यह पाकिस्तान के साथ तनाव को और बढ़ा सकता है। बलूचिस्तान का भविष्य क्षेत्रीय शांति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर निर्भर करता है। (Balochistan Declared Independence from Pakistan, International News, Balochistan’s Declaration of Independence, Balochistan Independence, Republic of Balochistan)

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