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Toggleआरक्षण नियमों की अधिसूचना न होने पर अदालत सख्त, चुनावों की संभावित तिथियाँ निरस्त, एक साथ सभी याचिकाओं पर होगी सुनवाई, हाईकोर्ट ने 25 जून को दोपहर 2 बजे के लिए निर्धारित की सुनवाई (Ban on Three-Tier Panchayat Elections Continues)
नवीन समाचार, नैनीताल, 23 जून 2025। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद मुख्यालय स्थित उच्च न्यायालय ने राज्य में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर पूर्व में जारी स्थगन आदेश को बरकरार रखते हुए अगली सुनवाई के लिए 25 जून 2025 की दोपहर 2 बजे की तिथि निर्धारित की है। यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ द्वारा लिया गया है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने उच्च न्यायालय के अगले आदेश तक राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों के नामांकन और आगे की कार्यवाही को स्थगित कर दिया है। इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयुक्त ने आदेश जारी कर दिया है। देखें आदेश :
कल से प्रस्तावित नामांकन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाएगी
उत्तराखंड के पंचायत चुनावों को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। एक ओर सरकार चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर आरक्षण से संबंधित आपत्तियों को लेकर मामला नैनीताल उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। वर्तमान में चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगी हुई है और इसके चलते 25 जून से प्रस्तावित नामांकन प्रक्रिया अब शुरू नहीं हो पाएगी।
राज्य निर्वाचन आयुक्त का वक्तव्य
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने स्पष्ट किया कि वे लगातार उच्च न्यायालय के संपर्क में हैं और विधिक राय प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि 25 जून को नामांकन की प्रक्रिया अब संभव नहीं है, और इस संबंध में विधिक सलाह लेकर आधिकारिक सूचना शीघ्र जारी की जाएगी।
सरकार द्वारा नियमावली व गजट अधिसूचना प्रस्तुत करने में हुई देरी
पुलिस व संबंधितों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने मंगलवार को मामले का उल्लेख करते हुए तुरंत सुनवाई की मांग की। सरकार की ओर से यह कहा गया कि 9 जून को पंचायत चुनावों हेतु जो नई आरक्षण नियमावली बनाई गई थी, उसकी गजट अधिसूचना 14 जून को जारी हो चुकी थी, परंतु सुनवाई के दिन “सूचना के आदान-प्रदान में अंतर” के कारण वह प्रस्तुत नहीं की जा सकी। इस पर अदालत को मंगलवार को वह अधिसूचना सौंप दी गई।
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फिर भी अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक उक्त अधिसूचना विधिवत प्रकाशित होकर न्यायिक आपत्तियों से मुक्त नहीं होती, तब तक चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की जा सकती। साथ ही याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी उठाया गया कि कुछ सीटों पर लगातार चौथी बार आरक्षण लागू किया गया है, जो संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।
उच्च न्यायालय में एक साथ तीन मामलों पर सुनवाई
24 जून को राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में पक्ष रखते हुए बताया कि 14 जून को आरक्षण संबंधी अधिसूचना का गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है, जिसकी प्रति आज न्यायालय में प्रस्तुत की गई। इसके बावजूद न्यायालय ने कोई तत्काल राहत न देते हुए सभी संबंधित याचिकाओं को एक साथ सुनने के लिए 25 जून दोपहर 2 बजे की तारीख निर्धारित की है।
आरक्षण नियमावली पर गंभीर आपत्तियाँ
विरोधी पक्ष ने यह तर्क दिया कि गजट नोटिफिकेशन देने के बावजूद सरकार को राहत मिलना कठिन है, क्योंकि आरक्षण की नियमावली में अनेक गंभीर कमियाँ हैं। इस पर सरकारी पक्ष का कहना है कि सभी नियम संविधान व सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही बनाए गये हैं और उन्हें न्यायालय में मजबूती से रखा गया है।
अभी अधिसूचित नहीं हुए नए आरक्षण नियम, चुनावों की तिथियाँ स्थगित
खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने जिन नए आरक्षण नियमों के तहत सीटों का आरक्षण निर्धारित किया है, वे अभी तक विधिवत अधिसूचित नहीं हुए हैं। ऐसे में चुनावों की पूर्व निर्धारित तिथियाँ भी प्रभावहीन मानी जा रही हैं। इससे पूर्व राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य के 12 जनपदों में दो चरणों—10 और 15 जुलाई—में चुनाव कराने की घोषणा की गई थी, जिसमें 47 लाख से अधिक मतदाता शामिल होते।
हालांकि उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इन तिथियों को निरस्त मान लिया गया है। राज्य सरकार की ओर से पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार ने यह जानकारी दी कि आरक्षण नियमों की अधिसूचना मुद्रणाधीन है और शीघ्र न्यायालय में प्रस्तुत की जाएगी।
मंगलवार को दीपिका किरौला सहित कई अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल याचिकाएं भी सूचीबद्ध थीं, जिन पर अदालत ने एक साथ सुनवाई का निर्णय लिया है। अब न्यायालय 25 जून को यह तय करेगा कि पंचायत चुनाव किस आधार पर और किन परिस्थितियों में कराए जा सकते हैं।
फिलहाल चुनाव प्रक्रिया स्थगित, सभी की निगाहें आगामी सुनवाई पर (Ban on Three-Tier Panchayat Elections Continues)
सरकारी अधिसूचना के अभाव, आरक्षण प्रणाली में निरंतरता और याचिकाओं में उठाए गए संवैधानिक प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने चुनावों पर रोक को उचित ठहराया है। अब सभी की निगाहें बुधवार की होने वाली निर्णायक सुनवाई पर हैं, जो राज्य के ग्रामीण लोकतंत्र की दिशा तय कर सकती है। (Ban on Three-Tier Panchayat Elections Continues)
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