3080 वर्ग फीट की सम्पत्ति पुनः माता-पिता के नाम, डीएम ने भरणपोषण अधिनियम की विशेष शक्तियों का किया प्रयोग
नवीन समाचार, देहरादून, 2 जुलाई 2025 (Betraying the elderly couple-Son usurped propert)। उत्तराखंड के देहरादून जनपद में एक संवेदनशील प्रकरण में जिलाधिकारी सविन बंसल ने भरणपोषण व कल्याण अधिनियम-2007 की धारा 23 के तहत अपने विशेष न्यायिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए बुजुर्ग माता-पिता से छलपूर्वक हड़पी गई सम्पत्ति को पुनः उनके नाम करने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है।
गिफ्ट डीड में शर्तों के उल्लंघन पर चली न्याय की कठोर कार्रवाई
प्राप्त जानकारी के अनुसार, माजरा क्षेत्र निवासी बुजुर्ग सरदार परमजीत सिंह व उनकी पत्नी अमरजीत कौर ने अपने पुत्र गुरविंदर सिंह को 3080 वर्ग फीट में बने दो बड़े हॉल युक्त आवासीय परिसर को गिफ्ट डीड के माध्यम से सौंप दिया था। गिफ्ट डीड की स्पष्ट शर्तें थीं कि पुत्र माता-पिता की देखभाल करेगा, उन्हें निवास से वंचित नहीं करेगा तथा पोते-पोतियों को दादा-दादी से मिलने से नहीं रोकेगा।
किन्तु गिफ्ट डीड प्राप्त करते ही पुत्र ने न केवल माता-पिता को सम्पत्ति से बाहर करने का प्रयास किया, बल्कि पोते-पोतियों से मिलने तक पर रोक लगा दी। पुत्र के व्यवहार से पीड़ित बुजुर्ग दम्पति ने तहसील, थाना और अवर न्यायालय के चक्कर काटने के बाद न्यायालय जिलाधिकारी की शरण ली।
पहली ही सुनवाई में मिला न्याय, आदेश सुनते ही छलक पड़े आंसू
जिलाधिकारी न्यायालय में वाद संख्या 30/2025 अंतर्गत सुनवाई में विपक्षी गुरविंदर सिंह को नोटिस जारी किया गया तथा सार्वजनिक सूचना भी दी गई। बावजूद इसके जब वह न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ और ना ही कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया, तब न्यायालय ने एकतरफा सुनवाई करते हुए गिफ्ट डीड को निरस्त करने का आदेश दिया। आदेश सुनते ही न्यायालय परिसर में ही बुजुर्ग दम्पति की आंखों से राहत के आंसू बह निकले।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने आदेश में कहा कि गिफ्ट डीड की शर्तों का उल्लंघन करते हुए पुत्र ने न केवल अपने उत्तरदायित्वों से मुंह मोड़ा, बल्कि विधिक, सामाजिक व नैतिक मर्यादाओं को भी भंग किया है। अतः न्याय की दृष्टि से गिफ्ट डीड निरस्त की जाती है और सम्पत्ति पुनः बुजुर्ग दम्पति के नाम की जाती है।
सामाजिक सरोकारों पर प्रशासन की संवेदनशीलता का उदाहरण बना निर्णय (Betraying the elderly couple-Son usurped propert)
यह निर्णय न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक अनुकरणीय उदाहरण है। डीएम बंसल की त्वरित कार्यवाही ने स्पष्ट किया है कि जिला प्रशासन समाज में वृद्धजनों की उपेक्षा या उनके साथ छल के मामलों को गंभीरता से लेते हुए तत्काल न्याय देने को प्रतिबद्ध है। यह प्रकरण बुजुर्गों को उनके अधिकार दिलाने के प्रशासनिक संकल्प का प्रतीक बन गया है।
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