बड़ा खुलासा: उत्तराखंड में डमी स्कूलों के नाम पर बड़ा खेल, राज्य की टॉपर ने दी थी डमी स्कूल से परीक्षा, जहां से पढ़ी-उसे बोर्ड की मान्यता ही नहीं…
नवीन समाचार, देहरादून, 3 मई 2024 (Big disclosure on Dummy schools in Uttarakhand)। उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में शत प्रतिशत अंक प्राप्त कर उत्तराखंड ही नहीं यूपी का भी रिकॉर्ड तोड़ने वाली टॉपर रही प्रियांशी रावत ने डमी स्कूल से परीक्षा दी थी। उसने जिस विद्यालय से उसने 10वीं कक्षा की पढ़ाई की, उस विद्यालय को 10वीं की मान्यता ही नहीं है। अब विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि राज्य में कई डमी स्कूल चल रहे हैं। ऐसे विद्यालयों की अब जांच की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि जेबीएस जीआईसी गंगोलीहाट पिथौरागढ़ की छात्रा प्रियांशी रावत ने संयुक्त श्रेष्ठता सूची में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त कर उत्तराखंड की 10वीं की बोर्ड परीक्षा में सबसे अधिक अंक लाने वाली छात्राओं में अपना नाम दर्ज कराया। विभाग के अधिकारी शुरुआत में उसे राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज बता रहे थे, लेकिन अब बताया है कि यह अशासकीय विद्यालय और डमी स्कूल बताया गया है।
पिथौरागढ़ के मुख्य शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार के अनुसार प्रियांशी ने साधना पब्लिक स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की थी, लेकिन बोर्ड परीक्षा के लिये उसका पंजीकरण जेबीएस जीआईसी गंगोलीहाट से कराया गया था और वहीं से उसने बोर्ड परीक्षा दी थी। क्योंकि साधना पब्लिक स्कूल की आठवीं कक्षा तक की ही मान्यता है। (Big disclosure on Dummy schools in Uttarakhand)
कोचिंग के लिये भी चल रहे हैं डमी स्कूल (Big disclosure on Dummy schools in Uttarakhand)
उत्तराखंड में एक ओर कई विद्यालय बिना मान्यता के पढ़ा रहे हैं और किसी अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालय के माध्यम से बच्चों को बोर्ड परीक्षाएं दिलाते हैं वहीं दूसरी ओर हाईस्कूल-इंटर की पढ़ाई के लिये एक ऐसा नया चलन भी नजर आ रहा है, जहां बच्चों का प्रवेश अभिभावक ऐसे डमी स्कूलों में करा रहे हैं, जहां बच्चे वास्तव में पूरे वर्ष पढ़ने नहीं जाते हैं, बल्कि केवल प्रयोगात्मक परीक्षा देने और बोर्ड परीक्षाएं देने के लिये जाते हैं। इस दौरान डमी स्कूल में उनकी रोज उपस्थिति लग जाती है। इसकी जगह बच्चे कोचिंग संस्थानों में पूरे वर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। (Big disclosure on Dummy schools in Uttarakhand)
बाद में बच्चे किसी प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं तो डमी स्कूल उन बच्चों को अपने विद्यालय का बता कर उनके फोटो अपने विज्ञापन के लिये प्रयोग करते हैं। इस तरह बच्चे स्कूलों में पढ़ने का बचपन में मिलने वाला अनुभव खो रहे हैं और कम उम्र से ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने माना है कि प्रदेश में कई डमी स्कूल चल रहे हैं। इसकी जांच कराई जाएगी। (Big disclosure on Dummy schools in Uttarakhand)
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