जनता के 800 करोड़ रुपये उड़ा फरार हुई चिटफंड कंपनी एलयूसीसी, हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार व सीबीआई से मांगा जवाब

नवीन समाचार, नैनीताल, 2 जुलाई 2025 (Chit fund company LUCC absconded after siphoning)। उत्तराखंड के देहरादून, ऋषिकेश व पौड़ी जनपदों सहित कई स्थानों पर एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी द्वारा लोगों से करीब 800 करोड़ रुपये लेकर फरार होने के मामले में हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिवक्ता को भी मामले में अपनी राय देने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है।
जनहित याचिका में की गई उच्चस्तरीय जांच की मांग
पुलिस व संबंधितों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऋषिकेश निवासी आशुतोष द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी ने वर्ष 2021 में उत्तराखंड के कई जिलों में अपना कार्यक्षेत्र फैलाया। इसने देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी में अपने कार्यालय खोले और स्थानीय लोगों को अभिकर्ता नियुक्त कर उनके माध्यम से आमजन को कंपनी में निवेश करने के लिए प्रेरित किया गया। याचिका में आरोप है कि कंपनी ने समाजसेवा व लाभकारी योजनाओं का झांसा देकर लोगों से बड़ी मात्रा में धनराशि एकत्र की, जबकि उसने राज्य में सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण तक नहीं कराया था।
ऑफिस बंद कर कंपनी फरार, निवेशक व अभिकर्ता परेशान
वर्ष 2023-24 के दौरान कंपनी ने अचानक अपने सभी कार्यालय बंद कर फरार हो गई। इसके बाद निवेशकों ने जब धन वापसी की मांग की, तो वे कंपनी से संपर्क नहीं कर सके। धीरे-धीरे यह स्पष्ट हुआ कि कंपनी के प्रमुख पदाधिकारी विदेश भाग चुके हैं। याचिका के अनुसार मुख्य आरोपित दुबई भाग गया है।
प्रदेश में कंपनी के विरुद्ध 14 अभियोग दर्ज हैं, जबकि अन्य राज्यों में 56 से अधिक अभियोग पंजीकृत हुए हैं। याचिका में यह भी बताया गया कि अब निवेशकों का गुस्सा स्थानीय अभिकर्ताओं पर उतर रहा है, जिन्हें पुलिस द्वारा भी प्रताड़ित किया जा रहा है। बुधवार को मामले की जांच कर रहे विवेचक भी अदालत में उपस्थित हुए।
सरकार की भूमिका पर भी उठे सवाल (Chit fund company LUCC absconded after siphoning)
याचिका में गंभीर सवाल उठाए गए हैं कि जब राज्य में बिना पंजीकरण के कोई बाहरी कंपनी बड़े पैमाने पर निवेश एकत्र कर रही थी, तब संबंधित विभाग, सोसाइटी पंजीकरण इकाई और राज्य सरकार की भूमिका क्या थी। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस पूरे घोटाले की निष्पक्ष व उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके व निवेशकों को न्याय मिल सके।
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