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February 11, 2025

नैनीताल के चित्रांश ने तीसरी राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद में किया उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व

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-बताया पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए प्रौद्योगिकी और कृत्रिम कौशल तकनीक के उपयोग को आवश्यक
-दिया ड्रोन तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग वनाग्नि की रोकथाम के लिए करने का सुझाव
नवीन समाचार, नैनीताल, 3 फरवरी 2025 (Chitransh-National Environment Youth Parliament) राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित तीसरी राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद (एनईवाईपी) में नैनीताल निवासी उत्तराखंड के गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्र चित्रांश देवलियाल ने उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रभावी पैरवी की। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए प्रौद्योगिकी और कृत्रिम कौशल (एआई) तकनीक के उपयोग को आवश्यक बताया।

वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र देवलियाल के पुत्र हैं चित्रांश 

(Chitransh-National Environment Youth Parliament)
राजस्थान विधानसभा में विचार प्रस्तुत करते चित्रांश देवलियाल।

राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद से लौटे चित्रांश ने बताया कि यह युवा संसद 24-25 जनवरी को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और संदीप शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें देश भर के 229 विश्वविद्यालयों से पहले चरण में 3500 से अधिक मेधावी विद्यार्थियों का चयन हुआ। बाद में विभिन्न चरणों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरने के बाद इनमें से 220 युवा प्रतिनिधियों का अंतिम रूप से चयन किया गया, जिनमें चित्रांश भी शामिल रहे। उल्लेखनीय है कि चित्रांश वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र देवलियाल के पुत्र हैं।

भारत के कई शहर दुनिया के 30 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल (Chitransh-National Environment Youth Parliament)

इस अवसर पर चित्रांश ने अपने वक्तव्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस नीतियों के निर्माण और उनके प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत के कई शहर दुनिया के 30 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। यहां वायु प्रदूषण मौन हत्यारे की तरह लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के लिए हिमालयी राज्यों में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं को भी जिम्मेदार ठहराया।

कहा कि उत्तराखंड में जंगल की आग विकराल रूप धारण करती जा रही है, जिससे न केवल राज्य बल्कि देशभर के पर्यावरण व जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यदि इस पर शीघ्र रोकथाम के उपाय नहीं किए गए तो इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। चित्रांश ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नीतियां तो बनाई गई हैं, लेकिन उनका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने संसाधनों की कमी और सरकारी विभागों में समन्वय की कमी को इस समस्या का प्रमुख कारण बताया।

कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के साथ ही प्रौद्योगिकी और आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देना अनिवार्य है। उन्होंने सुझाव दिया कि ड्रोन तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग वनाग्नि की रोकथाम के लिए किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में जनसहभागिता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आम जनता को इस मुद्दे पर जागरूक किया जाना चाहिए।

उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पर्यावरणीय शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाया जाए, ताकि युवा पीढ़ी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा सके। चित्रांश देवलियाल की इस प्रभावशाली प्रस्तुति को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली। उत्तराखंड के इस युवा प्रतिनिधि ने न केवल राज्य बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय चुनौतियों को राष्ट्रीय मंच पर उठाया और उनके समाधान के लिए ठोस सुझाव भी प्रस्तुत किए। (Chitransh-National Environment Youth Parliament)

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