April 18, 2024

धामी सरकार (Dhami Sarkar) ने 11 भाजपा नेताओं को सोंपे दायित्व, बनाया विभिन्न समितियों का उपाध्यक्ष…

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Dhami Sarkar

Uttarakhand cabinet reshuffle Karmchari

नवीन समाचार, देहरादून, 13 दिसंबर 2023। उत्तराखंड की धामी सरकार (Dhami Sarkar) ने एक बार फिर से दायित्व वितरण की एक और खेप जारी कर दी है। इस बार 11 नेताओं को दायित्व सौंपे हैं। इन दायित्वों के वितरण में साफ नजर आ रहा है कि इसमें पार्टी के कुछ लो प्रोफाइल, चुपचाप पार्टी के लिये कार्य करने वाले नेताओं का मान बढ़ाया गया है।

इन 11 नेताओं को विभिन्न समितियों का उपाध्यक्ष बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले बीती 27 सितंबर को भी धामी सरकार ने 10 नेताओं को दायित्व सौंपे थे। हालांकि तब पूरी तरह से ऐसा नहीं कहा जा सका था।

इन्हें मिले दायित्व :

चंडी प्रसाद भट्ट को अनुश्रवण समिति, विनोद उनियाल को राज्य स्तरीय महिला उद्यमिता परिषद, श्याम वीर सैनी को प्रदेश स्तरीय गन्ना विकास सलाहकार समिति, राजकुमार को बागवानी विकास परिषद, दीपक मेहरा को उत्तराखंड वन एवं पर्यावरण सलाहकार समिति, विनय रोहिल्ला को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति, उत्तम दत्ता को उत्तराखंड मत्स्य पालक विकास अभिकरण, दिनेश आर्य को उत्तराखंड राज्य स्तरीय पेयजल अनुश्रवण परिषद, गणेश भंडारी को राज्य स्तरीय लघु सिंचाई सलाहकार समिति, डॉ. देवेंद्र भसीन को उत्तराखंड राज्य उच्च शिक्षा उन्नयन समिति व विश्वास डाबर को अवस्थापना अनुसरण परिषद का उपाध्यक्ष बनाया गया है।

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यह भी पढ़ें : Dhami Sarkar : CM धामी ने नैनीताल में विश्व कप के खुमार के बीच खेला क्रिकेट, फड़ पर पी चाय, पर्यावरण मित्रों की समस्यायें भी जानीं, मुख्य न्यायाधीश से भी मिले…

नवीन समाचार, नैनीताल, 24 अक्टूबर, 2023 (Dhami Sarkar)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहीं भी जाते हैं तो अपनी सुबह की सैर की दिनचर्या नहीं बदलते। उत्तराखंड (यूके) के विभिन्न स्थानों से लेकर इंग्लेंड (यूके) तक उन्होंने यह क्रम जारी रखा है। इधर मंगलवार सुबह वह नैनीताल में ठंडी सड़क से लेकर नयना देवी मंदिर तक सुबह की सैर पर निकलते हुये आम लोगों के बीच दिखे।

Dhami Sarkarइस दौरान एक फड़ पर पर्यटकों के साथ चाय पी और पर्यटकों के पैंसे भी अपनी जेब से दिये। साथ ही सुबह-सुबह सफाई में जुटे सफाई कर्मियों से भी बात की और सभी से उनकी समस्यायें सुनते हुये धरातली स्थिति की फीडबैक ली। इस दौरान उन्होंने बाहर-बाहर से नयना देवी मंदिर और गुरुद्वारे में भी शीष झुकाया। आगे लौटते हुये वह उच्च न्यायालय में सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी से भी मुलाकात की और लौट गये।

इसके बाद मुख्यमंत्री नैनी झील किनारे पहुंचे जहां उन्होंने चाय की चुस्कियों का आनंद लेते हुए स्थानीय लोगों से बातचीत की और नैनीताल के हालातों पर चर्चा की। साथ ही सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों पर भी चर्चा करते हुए नैनीताल के लिए बेहतर काम किए जाने का सुझाव मांगा।

नैनी झील किनारे और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर साफ-सफाई कर रहे पर्यावरण मित्रों से मुलाकात कर उनका हाल-चाल और उनकी समस्याओं को जानते हुए उनका मनोबल भी बढ़ाया। पर्यावरण मित्रों के एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री से नैनीताल क्लब के गेट पर भी मुलाकात की और नगर पालिका से पिछले 5 माह से वेतन न मिलने की समस्या नहीं रखी। इस पर मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को उनकी सभी समस्याओं के जल्द से जल्द निस्तारण का आश्वासन दिया।

इस दौरान नैनी झील किनारे एक फड़ पर चाय के ठेले पर समोसे के साथ चाय की चुस्की लेने के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुलाकात काशीपुर के कुछ पर्यटकों और उनके बच्चों से हुई। मुख्यमंत्री ने उनसे नैनीताल शहर में मिली पर्यटन सुविधाओं के बारे में बातचीत की और स्वयं पर्यटकों के चाय और नाश्ते के पैसे भी दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवतुल्य जनता की आशाओं और आकांक्षाओं पर शत् प्रतिशत खरा उतरना हमारी सरकार की प्राथमिकता है।

सरकार की योजनाओं का लाभ सभी पात्र लोगों को पूरी पारदर्शिता के साथ मिले इसके लिए सरकार कृत संकल्प है। इसके लिए कमिश्नरों और जिलाधिकारियों को नियमित योजनाओं की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। लौटते हुये मुख्यमंत्री उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी से भी मिले। इस दौरान मंडी परिषद के अध्यक्ष डॉ. अनिल कपूर ‘डब्बू’, भाजपा जिला अध्यक्ष प्रताप बिष्ट, मंडल अध्यक्ष आनंद बिष्ट, भावना साह व दया किशन पोखरिया सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

बल्ला पकड़ा, पर नहीं बमुश्किल खेल पाये शॉट
नैनीताल। नैनीताल में सुबह की सैर के दौरान मुख्यमंत्री धामी देश में चल रहे क्रिकेट के विश्व कप के खुमार के बीच नगर के ऐतिहासिक डीएसए-फ्लैट्स खेल मैदान पहुंचे। यहां उन्होंने बच्चों के साथ कुछ देर स्पोर्ट्स किट को रखकर बनाये गये स्टंप्स के आगे बल्ला पकड़कर क्रिकेट के कुछ शॉट खेलने का प्रयास किया। अलबत्ता शुरुआती दो-तीन गैंदों पर उनका बल्ला गैंद को छू नहीं पाया, आखिर एक गैंद पर शॉट मारने के साथ उन्होंने बल्ला बच्चों को पकड़ा दिया।

इस दौरान क्रिकेट प्रेमियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से नैनीताल के खेल मैदान की स्थिति को दुरुस्त करने और नैनीताल में खेल सुविधाओं को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। इस पर हामी भरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पास खेलों की स्थिति को सुधारने के लिए प्रस्ताव आया है। इस पर अमल किया जायेगा।

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यह भी पढ़ें : Dhami Sarkar : 77वें स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री धामी ने कीं 13 बड़ी योजनाएं

नवीन समाचार, देहरादून, 15 अगस्त 2023 (Dhami Sarkar)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मंगलवार को परेड ग्राउण्ड देहरादून में ध्वजारोहण करने के बाद अपने संबोधन में 13 बड़ी घोषणाएं कीं। इस अवसर पर धामी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को भी सम्मानित किया। देखें परेड ग्राउण्ड देहरादून में 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर संबोधन : 

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हुए कहा कि मोदी सरकार के पिछले नौ वर्षों में केंद्र सरकार से उत्तराखंड को डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं। इधर हाल में ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ के तहत तीन स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए 83 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि मिली है।

(Dhami Sarkar) उन्होंने कहा कि राज्य में जल्द ही समान नागरिक आचार संहिता को लागू करने जा रहे हैं। व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना की धनराशि को पांच लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रूपए किया गया है। पलायन की रोकथाम के लिए ‘मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना’ भी प्रारम्भ की है।Dhami Sarkarइस दौरान मुख्यमंत्री ने निम्न घोषणाएं कीं:
1. आमजन को वर्ष भर भवन निर्माण सामग्री ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से सीधे घर तक पहुंचाने के लिए ‘खनिज प्रसंस्करण पोर्टल’ बनाया जाएगा, जिससे एक ओर इन खनिजों की कालाबाजारी रुकेगी, वहीं लोगों को सस्ते खनिज पदार्थ आसानी से मिल सकेंगे।
2. दुर्गम इलाकों में गर्भवती माताओं-बहनों की सुरक्षा के लिए ‘मुख्यमंत्री जच्चा-बच्चा सुरक्षा योजना’ प्रारंभ की जायेगी, जिसके अंतर्गत विषम परस्थितियों में गर्भवती माताओं-बहनो को एयरलिफ्ट करने की व्यवस्था के लिए तंत्र विकसित किया जाएगा। इस व्यवस्था को 108 एंबुलेंस सेवा से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।

3. राजकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए उनके विषयों की पुस्तक हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों माध्यमों में निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।
4. ‘अग्निवीर योजना’ के विरोध-प्रदर्शन में शामिल युवाओं पर लगे मुकदमे वापस लिए जाएंगे। इससे वह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो सकेंगे।
5. राज्य के प्रमुख चौराहों और सड़कों का नामकरण राज्य के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, शहीदों, साहित्यकारों और महान विभूतियों के नाम पर किया जाएगा।

6. राज्य में एकल, निराश्रित, परित्यक्ता एवं विधवा महिलाओं को उनके निवास स्थान पर ही रोजगार सृजन हेतु प्रोत्साहित करने एवं उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने हेतु ‘मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना’ प्रारंभ की जाएगी।
7. पर्वतीय क्षेत्र के नगरों को विकसित करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री पर्वतीय नगर विकास योजना’ के अंतर्गत दोनों मंडलों में एक-एक शहर को ‘मॉडल सिटी’ के रूप में विकसित किया जाएगा।
8. मजदूर वर्ग के बच्चों के लिए उचित शिक्षा एवं संतुलित पोषण सुनश्चिति करने हेतु मोबाइल स्कूल और मोबाइल आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या में वृद्धि की जायेगी।

9. विकासनगर क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे स्थित प्राचीन नगर ‘हरिपुर’ को उसका ऐतिहासिक और पौराणिक स्वरूप दिलाने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
10. प्रदेश में जनजातीय संस्कृति के संर्वधन हेतु शीघ्र ही ‘राष्ट्रीय जनजातीय सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जाएगा।
11. सीमांत गांव के जनजातीय इलाकों में ‘एकलव्य स्कूलों’ की संख्या में वृद्धि करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाएगा।

12. एक से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हुए प्रतियोगिओं के कारण रिक्त हुए पदों पर प्रतीक्षा सूची के आधार पर नियुक्ति प्रदान की जाएगी, यह प्रतीक्षा सूची एक निश्चित समयावधि तक मान्य होगी तथा प्रभावी रहेगी।
13. प्रदेश में कुटीर उद्योगों तथा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए तथा इनके उत्पादों की बिक्री हेतु ‘यूनिटी मॉल’ की स्थापना की जाएगी।

(डॉ. नवीन जोशी)आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें सहयोग करें..यहां क्लिक कर हमें गूगल न्यूज पर फॉलो करें। यहां क्लिक कर यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से, हमारे टेलीग्राम पेज से और यहां क्लिक कर हमारे फेसबुक ग्रुप में जुड़ें। हमारे माध्यम से अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें Dhami Sarkar : कहां से उपचुनाव लड़ सकते हैं धामी, चौंकाने वाली चर्चाएं

dhami sarkarडॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 22 मार्च 2022 (Dhami Sarkar)। धामी के विधायक न होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने पर उनके समक्ष आगामी 6 माह के भीतर विधानसभा का उपचुनाव जीतने की संवैधानिक मजबूरी भी है। उनकी नई सीट को लेकर कयास भी लगने शुरू हो गये हैं। हालांकि चंपावत, जागेश्वर, रुड़की, कपकोट, भीमताल व खानपुर के यानी आधा दर्जन विधायक धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने की बात कह चुके हैं, लेकिन माना जा रहा है कि वह इनमें से किसी भी सीट से नहीं, बल्कि अपने गृह जनपद की एक सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं।

यहां पार्टी के एक वरिष्ठ नेता से इस्तीफा दिलाकर उन्हें आगामी जुलाई माह में राज्यसभा भेजने की भी चर्चा है। इसके अलावा इसी जनपद के पूर्व में इस्तीफा देने की धमकी दे चुके एक कांग्रेस विधायक की सीट को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। यह विधायक पूर्व में भी अपनी सीट खाली कर चुके हैं। उनके अपने गृह जनपद का प्रतिनिधित्व करने से पहाड़ के कलेवर वाले उत्तराखंड में एक अच्छा संदेश भी जाएगा।

इनके अलावा स्वास्थ्य कारणों से पहले दिन विधायकी की शपथ ग्रहण न कर पाए कांग्रेस विधायक को लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं। गौरतलब है कि पूर्व में राज्य के तत्कालीन सीएम भुवन चंद्र खंडूड़ी व विजय बहुगुणा दूसरी पार्टियों के विधायकों की सीटें खाली कराकर ही उपचुनाव जीते हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : धामी के फिर सीएम बनने से टूटे कई मिथक, एक समस्या भी आ खड़ी हुई

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 21 मार्च 2022। पुष्कर सिंह धामी दूसरी बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री होंगे। वह न केवल दूसरी बार बल्कि लगातार दूसरी बार भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। उनके सीएम बनने से राज्य में पहली बार स्वाभाविक दावेदार को मुख्यमंत्री न बनाए जाने का मिथक भी टूट गया है। पूर्व में भगत सिंह कोश्यारी 2002 व 2012, हरीश रावत 2012, अजय भट्ट 2017 के चुनाव में पार्टी की जीत के साथ स्वाभाविक दावेदार होने के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे।

धामी के मुख्यमंत्री बनने के संकेत तभी मिल गए थे, जब उन्हें ‘फायर व फ्लावर’ , धाकड़ बल्लेबाज व धाकड़ धामी बताने वाले राजनाथ सिंह को राज्य का पर्यवेक्षक बनाया गया।

लेकिन अब उनके मुख्यमंत्री बनने से उत्तराखंड में छह माह के भीतर किसी विधायक को उनके लिए सीट खाली करनी होगी और धामी को उस सीट से उपचुनाव लड़कर चुनाव जीतना होगा। गौरतलब है कि आज तक भगत सिंह कोश्यारी व डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कोई चुनाव नहीं जीत पाया।

यह जरूर है कि धामी के लिए करीब आधा दर्जन विधायक सीट छोड़ने की पहले ही घोषणा कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि इसे ही उनकी लोकप्रियता मानते हुए तथा उनके छह माह के कार्यकाल के बाद ही पार्टी के बढ़े ग्राफ के बाद पूरे प्रदेश में चुनाव की कमान सोंपते हुए भाजपा को इतिहास रचते हुए दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में लौटाने व तनाव के क्षणों में भी उनके शांत बने रहने, को देखते हुए ही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें खुद का चुनाव हारने के बावजूद दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की कमान सोंपी है।

उनके दुबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद अब यह सवाल भी उत्पन्न हो गया है कि क्या उनके मंत्रिमंडल में भी अधिकांश पुराने मंत्री ही लौटेंगे या वहां भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अलग रुख अख्तियार कर सकता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग नैनीताल Exclusive : धामी फिर जनपद में देव दर्शन पर, नंगे पैर किए बाबा नीब करौरी व ग्वेल देवता के दर्शन

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 17 मार्च 2022। प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री धामी चुनाव के बाद नैनीताल जनपद के मंदिरों में देव दर्शन के लिए आए थे और लगता है कि उन्होंने अपनी पार्टी की जीत के लिए यहां के देवी-देवताओं के आर्शीवाद को भी माना है। माना जा रहा है कि इसी कारण चुनाव परिणाम में उनके नेतृत्व में पार्टी को मिले दो-तिहाई बहुमत के बावजूद उनकी अपनी सीट पर हार से जो कसक रह गई, उसे पूरा करने के लिए एक बार फिर वह नैनीताल जनपद के मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचे हैं।

नंगे पैर बाबा नीब करौरी के धाम में पुष्कर सिंह धामी

गुरुवार सुबह धामी खटीमा से हेलीकॉप्टर से घोड़ाखाल स्थित सैनिक स्कूल के हैलीपैड पर उतरे और सबसे पहले बाबा नीब करौरी के कैंची धाम पहुंचे और यहां नंगे पैर बाबा की मूर्ति व मंदिरों के आगे शीश नवाए। इसके बाद वह घोड़ाखाल के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि वह यहां भी प्रदेश के न्याय देवता ग्वेल के दर्शन किए।

इस दौरान उनके साथ नैनीताल विधायक सरिता आर्य के अलावा वरिष्ठ नेता अनिल कपूर डब्बू, दया किशन पोखरिया, भावना मेहरा, मोहन बिष्ट, कैलाश रौतेला, नवीन भट्ट, पूरन मेहरा, गजाला कमाल, एहसान भारती, महेश उप्रेती, जुगल मठपाल,डीएम धीराज गर्ब्याल, डीआईजी डॉ. नीलेश आनंद भरणे, एसडीएम प्रतीक जैन व तहसीलदार सहित बड़ी संख्या में गरमपानी, भवाली व भीमताल मंडलों के कार्यकर्ता मौजूद रहे। आगे वह महरागांव में होली के कार्यक्रम में भी शामिल हुए। इसके बाद उनका सड़क मार्ग से वापस लौटने का कार्यक्रम है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : धामी के सीएम बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बना एक मिथक, यह टूटेगा-तभी बनेंगे फिर से सीएम, वरना नहीं…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 15 मार्च 2022। विधानसभा चुनाव में भले अनेक मिथक टूट गए हों, परंतु उत्तराखंड की राजनीति में पिछले 21 वर्षों से बना एक मिथक अब भी राज्य के सर्वाधिक लोगों व विधायकों की पसंद बताए रहे पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने की राह में रोड़ा बना हुआ है। यह मिथक है राज्य बनते समय से लेकर अब तक जिसके भी मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी, वह मुख्यमंत्री नहीं बना।

इतिहास उठा कर देख लीजिए। अलग उत्तराखंड राज्य बना तो उम्मीद थी कि राज्य की लड़ाई लड़ने वाले उत्तराखंड क्रांति दल के हाथ सत्ता आएगी, लेकिन नहीं आई। बहरहाल, भाजपा ने राज्य बनाया तो भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री बनने के स्वाभाविक दावेदार थे। लेकिन उनकी जगह भाजपा ने नित्यानंद स्वामी को अंतरिम सरकार का मुख्यमंत्री बना दिया। स्वामी अपेक्षानुरूप सरकार चलाने में असफल साबित हुए, तब जाकर कोश्यारी को मुख्यमंत्री बनाया गया। 2002 में राज्य में पहले विधानसभा चुनाव हुए, और कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में आई। तब हरीश रावत मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार थे। लेकिन कांग्रेस हाइकमान ने उनकी जगह ‘उत्तराखंड मेरी लाश पर बनेगा’ कह चुके एनडी तिवारी को मुख्यमंत्री बना दिया। ऐसे में अपना हक छिन जाने से परेशान हरीश रावत उन्हें पूरे कार्यकाल में परेशान किए रहे।

2007 के विधानसभा चुनाव में पुनः कोश्यारी पूरे राज्य में प्रचार करते हुए जननेता के रूप में उभरे और अपनी पार्टी को सत्ता तक लाए। इस प्रकार वह मुख्यमंत्री बनने के लिए स्वाभाविक दावेदार व जनता की पसंद थे, किंतु भाजपा ने उनकी जगह भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बना दिया। इस कारण भाजपा में भी सत्ता संघर्ष होता रहा। बीच में निशंक को और वापस खंडूड़ी को सीएम बनाया गया तथा भाजपा 2012 में मुख्यमंत्री की एक सीट के साथ सत्ता गंवा बैठी। इस चुनाव में फिर हरीश रावत मुख्यमंत्री के तौर पर जनता की पसंद व सीएम पद के लिए स्वाभाविक दावेदार थे। लेकिन फिर से कांग्रेस हाइकमान ने उनकी जगह विजय बहुगुणा को सीएम बनाकर पार्टी में नाराजगी व असंतोष की चिंगारी जलाए रखी। बाद में केदारनाथ आपदा में घिरने के बाद बहुगुणा की जगह हरीश रावत को सीएम बनाया गया।

2017 के चुनाव में अजय भट्ट भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनो एक साथ होने के साािसीएम की कुर्सी के स्वाभाविक दावेदार भी थे। उनकी पार्टी को इस चुनाव में 57 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला मगर वह खुद रानीखेत से चुनाव हार गए। नतीजतन त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथ सत्ता लगी। बाद में तीरथ और आखिर के करीब 9 माह पुष्कर धामी सीएम बने और उनके नेतृत्व व चेहरे पर राज्य में चुनाव लड़ा गया। उनकी पार्टी को फिर 47 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत मिला किंतु धामी स्वयं चुनाव हार गए। ऐसे में फिर से यह मिथक सामने आ खड़ा हुआ है कि जो भी राज्य में मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक दावेदार होता, वह मुख्यमंत्री नहीं बनता है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में हमेशा से केंद्र से नियंत्रित होने वाले दलों की सरकार बनती रही हैं, और ऐसा लगता है कि वह राज्य के राजनेताओं को कभी अपने नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देना चाहते, और इसलिए ऐसी मनमानी करते रहते हैं। अब समय बताएगा कि जहां इस चुनाव में बहुत सारे मिथक टूट गए हैं, वहां यह मिथक भी टूटता है या बना रहता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : खास आलेख : कौन बनेगा मुख्यमंत्री ? लिखी जा रही है पटकथा…!

बड़ा सियासी उलटफेर, मुख्यमंत्री ने अचानक इस्तीफा दिया, कौन होगा अगला CM?डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 मार्च 2022। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा हालांकि हमेशा अनपेक्षित करने के लिए जानी जाती है, किंतु ऐसा लगता है कि उत्तराखंड राज्य में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने की पटकथा लिखी जाने लगी है। राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में प्रदेश में भाजपा को पहली बार राज्य में सत्ता की वापसी करवाते हुए ऐतिहासिक व प्रचंड जीत दिलाने में सफल रहे, किंतु स्वयं चुनाव हार गए। इसलिए यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ है। अलबत्ता, राज्य में अगले मुख्यमंत्री पद की पटकथा लिखी जाने लगी है।

इसकी शुरुआत कई विधायकों द्वारा धामी के लिए अपना पद छोड़ने की पेशकश से शुरू हुई है। चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी व जागेश्वर विधायक मोहन सिंह मेहरा के बाद रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा ने भी उनके लिए पद छोड़ने की पेशकश की है। ऐसा शायद इसलिए कि धामी ने अपनी निजी जीत की परवाह किए बिना राज्य भर में घूमकर अन्य प्रत्याशियों को जिताने के लिए मेहनत की। वे भाजपा-कांग्रेस-आआपा आदि सभी दलों के इकलौता नेता हैं, जो चुनाव में अपनी सीट के बजाय पूरे प्रदेश में चुनाव अभियान को आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने जीत से कहीं दूर बताई जा रही भाजपा में जान फूक कर न केवल उसे सत्ता तक पहुंचाया, वरन वह जनता की पसंद के रूप में भी उभरे। उनके हारने के बावजूद उनके पक्ष में माहौल भी इसकी पुष्टि करता है।

यह अलग बात है कि उनके पीछे, अचानक उनके बढ़ते कद को देख कुछ लोग उन्हें ही हराने में शामिल हो गए। बताया जा रहा है कि अब इन लोगों पर भी भाजपा की नजर है। ठीक वैसे ही जैसे त्रिवेंद्र सिंह रावत को पद से हटाकर खुद मुख्यमंत्री बनने की कोशिश करने वाले पार्टी के कद्दावर नेता जिस तरह तब मुख्यमंत्री नहीं बनाए गए, ठीक वैसे ही अब भी ऐसे लोगों को पार्टी ने ‘काली सूची’ में डाल दिया है, भले वह केंद्रीय नेतृत्व के खुद पर भरोसे के कितने भी दावे प्रचारित कर रहे हों।

बहरहाल, इधर धामी को समर्थन बढ़ता ही जा रहा है। केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री व नैनीताल के विधायक अजय भट्ट, जिन्हें खुद केंद्रीय नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद बताया जा रहा है, वह भी धामी के पक्ष में आ गए हैं। भट्ट ने कहा है, ‘क्योंकि भाजपा ने उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को चेहरे के रूप में पेश कर चुनाव लड़ा और भारी बहुमत हासिल किया, इसलिए उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो बहुत अच्छी बात होगी। वह तो उनके छोटे भाई के समान है।’ सूत्रों के मुताबिक अजय भट्ट की भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष से इस बारे में लंबी वार्ता भी हुई है उसी के बाद उन्होंने दिल्ली में मीडिया से यह बात कही।

इनके अलावा सांसद अजय टम्टा भी पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाने के पक्ष में बयान दे चुके हैं। उधर, शनिवार को निवर्तमान कैबिनेट मंत्री व गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, यमुनोत्री विधायक सुरेश चौहान, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा, लालकुआं विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, कपकोट विधायक सुरेश गड़िया, रुद्रप्रयाग विधायक भरत चौधरी आदि ने भी सीएम धामी से उनके आवास में भेंट की और बाद में मीडिया से बात करते हुए कहा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी को ही फिर से सीएम बनाया जाना चाहिए क्योंकि पार्टी उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़ी थी।

बता दें कि क्योंकि पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हार गए हैं इसलिए भाजपा के सीएम पद के तमाम दावेदारों की बांछे खिल गई हैं और वे अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं और तमाम दांव-पेच करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वे दिल्ली के केंद्रीय नेताओं से भी अपने पक्ष में माहौल बनवाने की कोशिश में हैं। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद का निर्णय यूपी में मंत्रिमंडल पर निर्णय के बाद ही और होली के बाद ही होगा। गौरतलब है कि राज्य में नई सरकार के गठन के लिए अभी 23 मार्च तक का समय भी बचा हुआ है। 

ऋतु खंडूड़ी का नाम भी चर्चा में
देहरादून। यह तय है कि भाजपा इस बार नया मुख्यमंत्री या तो विधायकों से बनाएगी, अथवा विधायकों के इतर किसी को मुख्यमंत्री बनाना हो तो वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी को ही मुख्यमंत्री बनाएगी। विधायकों में से ही मुख्यमंत्री बनाने की स्थिति में कई विकल्प हो सकते हैं, पर एक विकल्प के रूप में कोटद्वार से भाजपा की निर्वाचित व दो बार की विधायक, पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की पुत्री ऋतु भूषण खंडूड़ी का नाम भी भाजपा में नए मुख्यमंत्री के नामों की अटकलों में शामिल है। भाजपा के हलको में चर्चा है कि भाजपा आलाकमान क्योंकि अक्सर चौंकाने वाले फैसले करता है ऐसे में प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में उन पर दांव खेल सकता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : अपना पुष्कर ‘फायर’ तो निकला पर ‘फ्लावर’ दूसरे अर्थ में….

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 12 मार्च 2022। विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, ‘अपना पुष्पा ‘फायर’ भी है ‘फ्लावर’ भी है…’ यह बात चुनाव परिणाम के बाद काफी हद तक सही साबित हुई है।

Defence Minister Rajnath Singh seen in Pushpa mode in Uttarakhand -  Uttarakhand Newsराजनाथ के बयान के पहले हिस्से को लें तो अपने पुष्पा यानी पुष्कर धामी पूरी तरह से ‘फायर’ साबित हुए हैं। वह खुद चुनाव लड़ने के बावजूद ‘फायर’ की तरह दूर-दूर तक चले और असर भी किया। जहां-जहां गए, वहां-वहां स्टार प्रचारक के तौर पर असर किया यानी अपने प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाया और उन्हें जिताया।

इसी का परिणाम है कि आज सुदूर बागेश्वर जिले की कपकोट में बेहद कमजोर माने जा रहे सुरेश गड़िया से लेकर जागेश्वर में कुंजवाल की बादशाहत को तोड़कर मोहन सिंह मेहरा चुनाव जीत गए। यही कारण है कि मेहरा से लेकर चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी तक उनके लिए सीट छोड़ने की घोषणा कर रहे हैं। मसूरी के विधायक निवर्तमान मंत्री गणेश जोशी से लेकर अनेक अन्य विधायक भाजपा की जीत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।

वहीं राजनाथ के बयान के दूसरे हिस्से, पुष्कर को ‘फ्लावर’ बताए जाने की बात करें तो यह जरूर है कि वह अपने छह माह के छोटे से कार्यकाल के अलावा चुनाव प्रचार के दौरान भ्ज्ञी अपनी खुशबू पूरे प्रदेश में फैलाने में सफल रहे हैं, वहीं यह भी है कि वह अपनी सीट खटीमा में चुनाव हार गए। उनकी हार के जो कारण बताए जा रहे हैं, वह उनके भीतर के ‘फ्लावर’ के दूसरे अर्थों को प्रदर्शित कर रहे हैं।

पुष्कर पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए गए, किंतु अपनी सीट पर अपेक्षित ध्यान नहीं दे पाए। जब प्रदेश का न केवल भाजपा, वरन कांग्रेस का भी, एक भी नेता दूसरे की सीटों पर प्रचार के लिए नहीं गया, पुष्कर एक ही चरण में पूरे प्रदेश में चुनाव होने के बावजूद पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार में गए। जबकि उनकी सीट पर उनके विरुद्ध जमकर दुष्प्रचार किया गया। थारू मतदाताओं को उनकी जमीनें हाथ से जाने का भय दिखाया गया, तो पर्वतीय वोटरों को जाति के आधार पर बांटा गया। धन बल का प्रयोग भी इतना हुआ, जितना एक प्रत्याशी अपने दम पर नहीं कर सकता।

इस कारण आरोप हैं कि कथित तौर पर उनकी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी विपक्षियों का साथ दिया। क्षेत्र के मूल नेताओं को भी उनकी राजनीति हमेशा के लिए खत्म हो जाने का भय दिखाया गया। धामी अपने लोगों को उपकृत कर अपने पक्ष में करने के आज की दौर की राजनीति भी नहीं कर पाए, और ‘फ्लावर’ की तरह ‘सीधे’ रह गए और चुनाव हार गए। उन्होंने ‘धाकड़ धामी’ का नाम भी सही साबित किया है, और नाइटवॉचमैन के रूप में आने के बावजूद अपने सर्वेक्षणों में भी 20-25 सीटों पर जीत की संभवना के साथ मरणासन्न भाजपा को करीब दोगुनी सीटों के साथ सत्ता दिला दी है।

बहरहाल, जिस तरह वह पूरे चुनाव में केवल अपने ही नहीं, सभी दलों के अकेले नेता हैं, जिन्होंने पूरे प्रदेश में न केवल चुनाव प्रचार किया, और अपनी पार्टी को चुनाव जिताया, बल्कि छह माह पूर्व उन्हें न जानने वाले लोगों के दिलों में भी जगह बनाई है। इसीलिए प्रदेश की जनता भी उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाने की स्वाभाविक मांग करती दिख रही है। वरना, इस तरह की मांग लोग अपने-अपने विधायकों या खुद के लिए लाभकारी हो सकने वाले नेताओं के लिए ही करती है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: धामी ने दिया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, अगले मुख्यमंत्री के पद पर फिर चौंका सकती है भाजपा…

jagranनवीन समाचार, देहरादून, 11 मार्च 2022। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को दोपहर में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह से भेंट कर उन्हें मुख्यमंत्री पद से अपना त्याग पत्र सौंप दिया है। इस्तीफा स्वीकार करते हुए राज्यपाल ने उनसे राज्य में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति होने एवं पदभार ग्रहण करने की अवधि तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है।

इसके अलावा धामी के चुनाव हारने से बदली परिस्थितियों में नई सरकार के मुखिया के लिए भाजपा में मंथन शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट, सतपाल महाराज के नाम भी चर्चा में बताए जा रहे हैं। जबकि प्रदेश के सबसे अनुभवी मंत्री के रूप में बंशीधर भगत का नाम भी आगे आ रहा है। हालांकि हमेशा से अपने निर्णयों से चौंकाने के लिए पहचाना जाने वाला भाजपा का नेतृत्व इस बार भी नए मुख्यमंत्री के तौर पर चौंका सकता है।

यह भी कहा जा रहा है कि हारने के बावजूद धामी को ही पार्टी किसी अन्य सीट से उपचुनाव लड़ाकर मुख्यमंत्री बना सकती है। चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने उनके लिए अपनी सीट छोड़ने की घोषणा भी कर दी है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है। इसलिए विधायकों में से ही विधायक दल अपना नेता चुनेगा और फिर संसदीय बोर्ड इस पर मुहर लगाएगा। ऐसे में अभी कोई यह कहने की स्थिति में नही है कि कौन मुख्यमंत्री होगा। आगे एक-दो दिन में इसे लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : पूर्व मुख्यमंत्री का दावा-15 वर्षों तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने रहेंगे धामी

नवीन समाचार, देहरादून, 26 फरवरी 2022। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड में भाजपा दो तिहाई से अधिक बहुमत लेकर आने वाली है। 10 मार्च को जब नतीजे सामने आएंगे तो निश्चित रूप से भाजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि सीएम धामी के नेतृत्व में भाजपा परचम लहराएगी। धामी आने वाले पांच साल के लिए नहीं, बल्कि 15 साल तक मुख्यमंत्री की पारी खेलेंगे। उनके नेतृत्व में हम सब प्रदेश का चहुंमुखी विकास करेंगे।

ImageImageतीरथ ने कहा कि हमारा एक परिवार है, हालांकि मुझे स्वयं ही मुख्यमंत्री के पास जाना था, लेकिन चुनाव में व्यस्तता की वजह से नहीं जा पाया। इस बीच अचानक खुद ही उनका फोन आ गया। स्वाभाविक है कि चुनाव के मसलों पर चर्चा हुई। तीरथ ने यह बात शनिवार को पूर्वाह्न उनके जीएमएस रोड स्थित साईं लोक कालोनी में स्थित आवास पर मुख्यमंत्री धामी के आकर मिलने के बाद कही। इस दौरान सांसद तीरथ रावत की पत्नी रश्मि त्यागी रावत भी मौजूद रहीं।

गौरतलब है कि धामी विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे है। धामी इससे पहले वह पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक व त्रिवेंद्र रावत के आवास पर जाकर मुलाकात कर चुके हैं। माना जा रहा है कि वे नतीजों से पहले फील्डिंग सजा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि धामी तीरथ रावत के बाद ही इस दायित्व पर आये हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री धामी अचानक पहुंचे नैनीताल, किए देव दर्शन, भूकानून व पुलिस ग्रेड-पे पर कही बड़ी बात

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 फरवरी 2022। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार सुबह अचानक नैनीताल पहुंचे, और यहां नगर के सर्वप्राचीन पाषाण देवी एवं नगर की आराध्य देवी माता नयना देवी के दर्शन किये। इस दौरान उन्होंने कहा कि ईश्वर में उनकी अगाध आस्था है। ईश्वर की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता है।

इस दौरान भाजपा की 60 सीटों के लक्ष्य के साथ जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त बताते हुए उन्होंने भूकानून के मुद्दे को शीघ्र ही पूर्व में बनी समिति के जरिए समाधान करने और पुलिस कर्मियों के ग्रेड-पे के मुद्दे को भाजपा सरकार बनने के एक माह के भीतर समाधान करने तथा पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे पर व्यापक मंथन के बाद निर्णय लेने की बात कही। पार्टी में भितरघात के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि भाजपा विश्व की सबसे बड़ी व अनुशासित पार्टी है। देखें विडियो:

बताया गया कि सीएम धामी चंपावत में हुई मैक्स दुर्घटना के हताहतों व उनके परिवारों से मिलने के बाद बुधवार शाम हल्द्वानी आ गए थे और वहां इसी दुर्घटना के एसटीएच में भर्ती दो मरीजों की कुशलक्षेम जानने व रात्रि विश्राम सर्किट हाउस में करने के बाद सुबह घोड़ाखाल स्थित न्यायदेवता-ग्वेल के मंदिर में दर्शन किए और यहां से मुख्यालय आकर पहले पाषाण देवी और फिर नयना देवी मंदिर में शीष नवाए व शिवार्चन किया।

इस दौरान नयना देवी मंदिर के प्रांगण में उन्होंने पत्रकारों से संक्षिप्त वार्ता भी की। मंदिर में आए श्रद्धालुओं से मुलाकात की व फोटो खिंचवाए। एक बच्ची को उन्होंने सस्नेह गोद में उठाकर दुलारा भी। यहां के बाद वह काशीपुर होते हुए देहरादून के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उनके साथ भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक सरिता आर्य, जनसंपर्क अधिकारी दिनेश आर्य, अनिल कपूर ‘डब्बू’, नगर अध्यक्ष आनंद बिष्ट, मनोज जोशी, पूरन मेहरा, दयाकिशन पोखरिया, नितिन कार्मी, उमेश गड़िया व मोहित रौतेला सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : न्याय देवता-गोलू से लगाई धामी को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की गुहार

नवीन समाचार, अल्मोड़ा, 1 फरवरी 2022। एक धर्मप्रेमी सामाजिक कार्यकर्ता ने राज्य में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जीत के लिए सौ से अधिक किलोमीटर दूर आकर चितई स्थित गोलू देवता मंदिर में अर्जी लगाई है। पत्र में अल्मोड़ा जनपद की सल्ट तहसील के पौड़ी जनपद के बीरोंखाल की सीमा से लगे कालिंका गढ़ी सराईखेत निवासी आनंद सिंह नेगी ने लिखा है, ‘जय गोलू देवता जी, न्याय के रूप, उत्तराखंड के राजा गोलू जी महाराज जी आपसे प्रार्थना है कि चुनाव 2022 उत्तराखंड में पुनः श्री पुष्कर सिंह धामी जी को मुख्यमंत्री पद पर विराजमान कीजिए। आपको सादर प्रणाम’। देखें विडियो:

बताया गया है कि श्री नेगी धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में आगे रहते हैं। उन्होंने काफी ऊंचाई पर स्थित कालिंका गढ़ी मंदिर में करीब 400-500 मीटर की पानी की लाइन डलवाकर और पंप करके पानी पहुंचाया है, और मंदिर में 48 फिट लंबा त्रिशूल भी चढ़ाया है। उन्होंने बताया कि उनकी न्याय के देवता-गोलू देवता में भी अटूट आस्था है, इसलिए उन्होंने राज्य के हित में पुष्कर सिंह धामी को पुनः मुख्यमंत्री बनाने की प्रार्थना की है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : ‘धामी सरकार’ ने मिटाया ‘त्रिवेंद्र सरकार’ का एक और ‘दाग’ !

-नई दिल्ली में मुख्य स्थानीय आयुक्त के पद के त्रिवेंद्र सरकार के दौर के मुख्य सचिव व प्रदेश के वरिष्ठतम आईएएस ओम प्रकाश को हटाया
नवीन समाचार, देहरादून, 18 दिसंबर 2021। उत्तराखंड की धामी सरकार ने पिछली त्रिवेंद्र रावत सरकार का एक और ‘दाग’ छुड़ा लिया है। त्रिवेंद्र सरकार के दौर में प्रदेश के सबसे प्रभावशाली नौकरशाह रहे तत्कालीन मुख्य सचिव ओमप्रकाश को मुख्य स्थानिक आयुक्त की कुर्सी से हटा दिया गया है। वास्तव में इस बारे में प्रदेश के कार्मिक सचिव अरविंद ह्यांकी की ओर से 10 दिसंबर को शासनादेश जारी हो गया था, लेकिन अज्ञात कारण से इसे गोपनीय रखा गया था। गौरतलब है कि मुख्य स्थानिक आयुक्त का मुख्य काम राज्य के मसलों की केंद्र में ठोस पैरवी करना होता है।

आदेश में कहा गया है कि शासन ने जनहित में आपको मुख्य स्थानिक आयुक्त के पदभार से अवमुक्त करने का निर्णय लिया गया है। शेष पदभार यथावत रहेंगे। यानी मुख्य स्थानिक आयुक्त पद से हटाने के बाद राज्य के वरिष्ठतम आईएएस अधिकारी ओमप्रकाश के पास अब राजस्व परिषद के अध्यक्ष की ही जिम्मेदारी रह गयी है। ताजा फैसले के बाद श्री ओमप्रकाश को मुख्य स्थानिक आयुक्त के रूप में दिल्ली में बंगला व वाहनों की सुविधा छिन जाएगी।

उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र रावत सरकार के दौर में गैरसेंण को राज्य की तीसरी कमिश्नरी बनाने व देवस्थान बोर्ड बनाने जैसे निर्णय काफी विवादित रहे। 1987 बैच के उत्त्तराखण्ड कैडर के आईएएस ओम प्रकाश त्रिवेंद्र सिंह रावत के पूर्व सरकार में कृषि मंत्री रहते भी सचिव रहे और विवादित रहे, इसलिए जुलाई 2020 में उन्हें मुख्य सचिव बनाया जाना भी विवादों में रहा। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : देवस्थानम बोर्ड: धामी ने एक तीर से साधे ये सारे निशाने

-सीएम धामी ने सहजता, सरलता और सूझबूझ से सुलझाया मुद्दा
नवीन समाचार, देहरादून, 1 दिसंबर 2021। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूं जो अपने साढ़े चार महीने के कार्यकाल में 500 से अधिक फैसले लेने का दावा कर रहे हैं पर ‘देवस्थानम बोर्ड’ पर फैसला लेना उनके लिए आसान काम नहीं था। तमाम वजहों से यह मुद्दा धामी सरकार के लिए पेचीदा बना हुआ था। एक तो अपनी ही पार्टी की पूर्व सरकार के फैसले पर उन्हें पुर्ननिर्णय करना था। दूसरा, यह निर्णय इतने सलीके से लिया जाना था जिससे पार्टी पर उसका नकारात्मक प्रभाव ना पड़े और नाराज वर्ग भी संतुष्ट हो जाए। धामी अपने व्यक्तित्व के अनुरूप सभी पक्षों से सहजता से मिले, सरलता से उनको सुना और फिर उन्होंने सूझबूझ के साथ कदम आगे बढ़ाए।

अंततः उन्होंने जिस तरह से यह निर्णय लिया उसके बाद कल तक भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने का दावा कर रहे पंडे-पुरोहित अब मिठाई बांटने के साथ सरकार और मुख्यमंत्री के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। यह भी है कि इस मुद्दे के निपटने के बाद उत्तराखंड में विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं रह गया है। गौरतलब है कि गत दिवस 3200 लोगों को रोजगार देने के आंकड़े दिखाने की चुनौती देते हुए राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा करने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत सरकार द्वारा रोजगार के आंकड़े पेश करने के बाद अब इस मुद्दे पर चुप्पी साधने को मजबूर हो चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि देवस्थानम बोर्ड का गठन जनवरी 2020 में तब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। बोर्ड के गठन के जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था, जिनमें केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धामों के मंदिर भी शामिल थे। तब से ही तीर्थ-पुरोहित, हक-हकूकधारी और मंदिरों से जुड़ा हर पक्ष इस फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़ा था। जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री पद से त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अचानक विदाई में देवस्थानम बोर्ड के गठन को भी एक कारण माना गया। उनके बाद तीरथ सिंह रावत को प्रदेश की कमान सौंपी गई तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले में पुर्नर्विचार किया जाएगा।

सियासी परिस्थितियां बदलीं और इसी साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का टाइम बाउंड वादा किया। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो सीएम धामी ने फिर अपने सहयोगी मंत्रियों की एक कमेटी (पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अगुवाई में) गठित कर रिपोर्ट का अध्ययन करने और उस पर अपना सुझाव देने को कहा। बीते सोमवार को मंत्रियों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट संस्तुति समेत मुख्यमंत्री को सौंपी। धामी ने बिना कोई देर किए 30 नवंबर की सुबह देवस्थानम बोर्ड को भंग करने और इस एक्ट को वापस लेने का फैसला सुना दिया।

दरअसल, देवस्थानम बोर्ड छोटा मुद्दा नहीं था। सनातनी संस्कृति और परम्पराओं से जुड़े होने के कारण यह बेहद संवेदनशील बन गया था। खासतौर से भाजपा के लिए जो खुद को सनातन संस्कृति और परम्पराओं का संवाहक मानती है। मामले को इसलिए भी व्यापकता मिली क्योंकि उत्तराखण्ड में स्थित चारधामों से देश और दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। देवस्थानम बोर्ड के गठित होते ही श्रद्धा के केंद्र बदरीनाथ और केदारनाथ जैसे मंदिरों की देखभाल, रखरखाव और उनकी व्यवस्थाओं के प्रबंधन से जुड़ी सदियों पुरानी परम्पराओं को बदलने के औचित्य पर चर्चा शुरू हो गई थी। एक पक्ष देवस्थानम बोर्ड की वकालत तो दूसरा इसके विरोध में खड़ा हो गया। मामला सिर्फ सोशल मीडिया में बहस तक सीमित नहीं रहा बल्कि हाईकोर्ट से होते हुए देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।

यही एकमात्र ऐसा मुद्दा था जिसे सुलझाने में धामी को अपनी सियासी परिपक्वता साबित करनी थी। चूंकि देवथानम बोर्ड का गठन भाजपा सरकार ने किया था लिहाजा दलगत मजबूरी के चलते धामी इसे एक झटके में वापस नहीं ले सकते थे, वरना इसके दुष्प्रभाव सामने आ जाते। बहुत ही समझदारी के साथ धामी ने स्वच्छ छवि के भाजपा नेता श्री मनोहर कांत ध्यानी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई। कमेटी ने चारधाम के तीर्थ पुरोहितों, विद्वान पण्डितों, हक-हकूकधारियों और मंदिरों से जुड़े भी वर्गों से सिलसिलेवार बात की। एक नहीं कई दौर की बातचीत में सबकी राय ली गई। तसल्ली के साथ सभी पक्षों को सुना गया। कमेटी ने जब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो उस पर संस्तुति देने के लिए मुख्यमंत्री धामी ने फिर एक और कमेटी गठित की जिसमें उन्होंने अपने तीन सहयोगी मंत्रियों सतपाल महाराज, अरविन्द पाण्डेय और सुबोध उनियाल को शामिल किया।

मंत्रियों की कमेटी की रिपोर्ट मिलने से पहले धामी ने दिल्ली जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर उनसे इस पर निर्णय को लेकर सहमति ले ली। फिर मंगलवार की सुबह उन्होंने देवस्थानम बोर्ड पर वह फैसला सुनाया जिसका सभी को इंतजार था। अब वही लोग धामी सरकार का जयकारा लगा रहे हैं जिन्होंने भाजपा नेताओं की नाम में दम कर रखा था। युवा मुख्यमंत्री ने जिस सहजता, सरलता और सूझबूझ से यह मुद्दा सुलझाया उसकी सभी दाद दे रहे हैं। इतना ही नहीं, अपने इस फैसले से पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव से ऐन पहले एक तीर से कई निशाने साध दिए हैं।

एक ऐसा विषय जो चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता था उसका तो सुलझा ही लिया है बल्कि अपने इस विवेकपूर्ण फैसले से धामी ने पंडा-पुरोहितों और ब्राह्मणों के वोट को भी पक्का कर लिया है। इस मुद्दे पर विपक्ष की हर रणनीति अब धरी की धरी रह गई है और पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर खुद को उत्तराखंड के भविष्य का नेता साबित कर दिया है। अपने इन्हीं कदमों के जरिए पुष्कर सिंह धामी भाजपा की जीत को सुनिश्चित करते नजर आ रहे हैं। साथ ही उन्होंने, बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा उन पर जताए गए भरोसे को भी और पुख्ता कर लिया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : राज्य स्थापना दिवस पर CM ने राज्य आंदोलनकारियों, युवाओं, किशोरियों, महिलाओं के लिए की एक दर्जन से अधिक घोषणाएं

नवीन समाचार, देहरादून, 8 नवंबर 2021। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पुलिस लाईन देहरादून में 14 घोषणाएं कीं। जो कि निम्नवत हैं:

1. उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों, जिनको 3100 रुपए पेंशन प्राप्त हो रही है, अब उन्हें 4500 तथा जिनको 5000 पेंशन प्राप्त हो रही है, उन्हें 6000 पेंशन मिलेगी।
2. राज्य के प्रत्येक जनपद मुख्यालय पर अध्ययनरत छात्राओं की शिक्षा को सुगम एवं सुविधायुक्त बनाने हेतु एक-एक महिला छात्रावास का निर्माण किया जायेगा।

3. राज्य में आवश्यकतानुसार जनपद मुख्यालयों पर कामकाजी महिला छात्रावास का निर्माण किया जायेगा।
4. ईजा-बोई शगुन योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में जच्चा-बच्चा के सुरक्षित स्वास्थ्य हेतु अस्पतालों में 48 घंटे रुकने वाली प्रसूता महिला को 2000 रुपए की धनराशि उपहार के रूप में भेंट की जायेगी।

5. जी रैया चेली-जागी रैया नौनी योजना के तहत 11 से 18 आयु वर्ग की किशोरियों को टीएचआर सुविधा प्रदान की जायेगी। 11 से 18 आयु वर्ग की किशोरियों को सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने हेतु प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों में सैनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन की स्थापना की जायेगी, तथा उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए हीमोग्लोबीन इत्यादि की जाँच निःशुल्क की जायेगी तथा हेल्प लाईन नं० 104 के माध्यम से निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श भी उपलब्ध कराया जायेगा।

6. आरोग्य उत्तराखंड क्रोनिक डिजीज (दीर्घकालिक एवं पुरानी बिमारियों) के उपचार में ली जाने वाली दवाइयों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जायेगा।
7. देहरादून एवं हल्द्वानी में सरकारी नशामुक्ति केंद्र की स्थापना की जायेगी।
8. राज्य में स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन डेवलपमेंट की स्थापना की जायेगी।

9. कोविड-19 में सराहनीय कार्य के दृष्टिगत एनएचएम के कर्मियों को 10 हजार रुपए की एकमुश्त प्रोत्साहन धनराशि दी जाएगी।
10. राज्य के युवाओं को देश से बाहर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने हेतु राज्य में विदेश रोजगार प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा।
11. ई-डिस्ट्रिक्ट के माध्यम से संचालित 32 सेवाओं को अद्यतन करते हुए कुल 75 सेवाओं को ’’अपणि सरकार पोर्टल’’ के माध्यम से आम जनमानस को लाभ पहुंचाया जाएगा।

12. सेवा का अधिकार अधिनियिम में अधिसूचित अवशेष 190 सेवाओं को भी शीघ्र ही ’’अपणि सरकार पोर्टल’’ के माध्यम से संचालित कर आम जनमानस को लाभ पहुंचाया जाएगा।
13. प्रदेश में खेल को प्रोत्साहित करने तथा युवाओं को खेल की विभिन्न विधाओं से जोड़ने के लिए ’’खेल नीति-2021’’ तुरंत लागू की जाएगी।
14. उत्तराखंड में स्वास्थ्य, पर्यटन से राज्य की आर्थिकी को बढ़ाने हेतु राज्य को आयुष वेलनैस का हब बनाया जाएगा। जिसके अंतर्गंत गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊं मंडल विकास निगम के पर्यटक गृहों में आयुष वेलनैस सेंटर खोले जाएंगे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : हरीश रावत की काट को फिर अपना पुराना खांटी चेहरा ला सकती है भाजपा !

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 12 सितंबर 2021। उत्तराखंड विधानसभा के 18 मार्च 2022 तक शेष बचे कार्यकाल के बाद भी सत्ता में बने रहने को उद्यत भाजपा ‘पांच साल तुम-पांच साल हम’ के प्रदेश में बने अब तक के चलन के तहत कांग्रेस को जरा भी छूट देने के मूड में नहीं है। इसी कोशिश में भाजपा गत दिवस पिछली हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में उत्तराखंड कोटे से काबीना मंत्री रहे मौजूदा निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार को भाजपा में शामिल कर चुकी है, और अब पुरोला के कांग्रेस विधायक राजकुमार की भाजपा में घर वापसी कराने की तैयारी है।

इसके साथ ही गत दिवस राज्य की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के इस्तीफे के बाद से राज्य में तगड़ी चर्चा है कि भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र का राजभवन छोड़ उत्तराखंड की राजनीति में लौट सकते हैं। उड़ाने वालों ने तो चर्चा यहां तक उड़ा दी थी कि कोश्यारी उत्तराखंड के अगले राज्यपाल होंगे, जबकि संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति अपने मूल निवासी राज्य में राज्यपाल नहीं बन सकता है।

बहरहाल, कोश्यारी के राजभवन छोड़कर दोबारा उत्तराखंड के सक्रिय राजनीति में आने की अटकलें इसके साथ तेज हो गई हैं। इसके पीछे कारण भी हैं। कोश्यारी को हरीश रावत से दो-दो हाथ करने में सक्षम मानते हुए इन चर्चाओं को हवा कहां से मिल रही, यह तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह चर्चा गहरी है। कहा जा रहा है कि इसी वर्ष अक्टूबर-नवंबर तक कोश्यारी वापस उत्तराखंड की राजनीति में लौट सकते हैं, और यह भी तय है कि अब उनकी भूमिका राज्य में भाजपा के मुखिया की नहीं बल्कि कभी अपने शागिर्द रहे मुख्यमंत्री कोश्यारी के सारथी के रूप में हो सकती है।

गौरतलब है कि हरीश रावत ने पिछली बार 2017 के चुनाव को रावत वर्सेज मोदी करने की बड़ी राजनीतिक भूल की थी, जिसकी कीमत उन्हें दो सीटों से चुनाव हारने के साथ सत्ता गंवाने के रूप में मिली। इसलिए रावत का जोर इस बार खुद को प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही चुनाव को राज्य के मुख्यमंत्री के बरक्स खड़ा करने की है। इसी कारण वह इस बार उनके निशाने पर कभी भी मोदी नहीं रहे हैं, बल्कि उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्रियों को ही निशाने पर रखा है। अब जबकि राज्य में युवा पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं, ऐसे में रावत की कोशिश उनके शपथ ग्रहण के तीसरे दिन से ही रही कि वह उन्हें गैर अनुभवी मुख्यमंत्री के रूप में साबित करें। यह अलग बात है कि धामी ने खुद पर यह ठप्पा लगने नहीं दिया और कम उम्र होने के बावजूद किसी गैर अनुभवी मुख्यमंत्री की तरह ऐसे फैसले नहीं लिए, जिन्हें बदलना पड़े। फिर भी भाजपा के युवा मुख्यमंत्री की काट के लि कांग्रेस गणेश गोदियाल के रूप में युवा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर आई। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री ने किये माता नयना के दर्शन, चारधाम यात्रा, भूकानून, भूस्खलन व घोटालों पर बोले

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 8 सितंबर 2021। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार सुबह 8 बजे नगर की आराध्य देवी माता नयना देवी के मंदिर पहुंचकर माता नयना देवी की पूजा अर्चना की और माता के दर्शन कर उनका आर्शीवाद लिया। इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने चारधाम यात्रा, राज्य में मुखर हुए भूकानून, बढ़ रही भूस्खलन की घटनाओं व पुनर्वास तथा घोटालों की जांच आदि विषयों पर पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए। श्री धामी ने कहा ने कहा कि चारधाम यात्रा से राज्य की बड़ी आबादी प्रभावित हुई है। सरकार यात्रा को शुरू करने के लिए प्रयासरत है।
वहीं भूकानून के मुद्दे पर उन्हांेने राज्य हित का ठोस व प्रभावी भूकानून लाने की बात कही।

भूस्खलनों की घटना पर उन्होंने कहा कि जहां-जहां संभव होगा ट्रीटमेंट कराया जाएगा तथा जहां ट्रीटमेंट करना संभव नहीं होगा वहां प्रभावित लोगों का अन्यत्र पुनर्वास कराया जाएगा। इस दौरान काफी देर मंदिर में समय व्यतीत करते हुए उन्होंने प्रदेश की तरक्की की कामना की। मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने उन्हें माता नयना देवी का चित्र भेंट किया। इस अवसर पर उन्होंन कहा, बचपन से कई बार नैनीताल आते रहे हैं, पर जिस तरह का स्वागत इस बार मिला, वह उन्हें हमेशा स्मरणीय रहेगा।

इसके उपरान्त मुख्यमंत्री अपने तय कार्यक्रम के अनुसार प्रातः 9 बजे देहरादून के लिए रवाना हो गए। इस अवसर पर भाजपा नेता अनिल कपूर ‘डब्बू’, डीआईजी निलेश आनंद भरणे, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, एसएसपी प्रीति प्रियदर्शनी, संयुक्त मजिस्ट्रेट प्रतीक जैन आदि भी साथ मौजूद रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री धामी ने किया एक अरब से अधिक की योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास, घोषणाओं पर विपक्ष के तंज का उन्हीं की भाषा में दिया जवाब

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 8 सितंबर 2021। मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी बुधवार को पहली बार जिला व मंडल मुख्यालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने यहां करीब 110 करोड़ यानी 1.1 अरब रुपए की 66 योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया, तथा स्थानीय विधायक के अनुरोध पर नगर में घरों को बनाने की ऊंचाई 35 फिट किए जाने की पूर्व मुख्यमंत्री खंडूड़ी की घोषणा को धरातल पर उतारने, बलियानाला व ठंडी सड़क के भूस्खलनों के सुरक्षात्मक कार्य तत्काल शुरू करने, कैंची धाम में पर्यटन सुविधाओं का विस्तार करने, नैनी झील के चारों ओर बिजली की लाइनों को भूमिगत करने, नगर में कुमाउनी लोक संस्कृति के रंग में रंगी प्लाजा हाट बाजार बनाने आदि की घोषणाएं भी कीं। उन्होंने कैंची में स्वयं के अनुभव एवं प्रस्ताव के आधार पर पाइलट प्रोजेक्ट के आधार पर पार्किंग निर्माण की घोषणा भी की।

उन्होंने अपनी सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही बताया कि राज्य के छह हजार गांवों को इंटरनेट से जोड़ने की योजना का शुभांभ शीघ्र प्रधानमंत्री के हाथों किया जाएगा। इस दौरान स्थानीय विधायक संजीव आर्य ने बताया कि पर्यटन नगरी की सबसे बड़ी पार्किंग की समस्या के समाधान के तौर पर नारायण नगर में पार्किंग का निर्माण प्रारंभ कर दिया गया है, और दूसरी बड़ी सीवर लाइनों की समस्या के समाधान के लिए 104 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट स्वीकृत हो गया है। जल्द प्रधानमंत्री मोदी इस योजना का शुभारंभ करेंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री के नगर में पहुंचने से कुछ घंटे पूर्व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनकी राह में तल्लीताल डांठ के पास प्रतीकात्मक तौर पर काले झंडे लहराए। उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

कहा-सारी घोषणाएं धरातल पर उतारेंगे, सारे शिलान्यासों के लोकार्पण करेंगे
नैनीताल। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणाओं पर उन्हें घेरने की कोशिश कर रहे विपक्ष को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया। धामी ने कहा, उनकी सरकार ने पिछले करीब दो माह के कार्यकाल में 150 से अधिक फैसले लिए हैं। उनकी सरकार बातें कम और काम ज्यादा के सिद्धांत पर चल रही है। उनकी सरकार उन पार्टियों की तरह नहीं है, जो केवल घोषणाएं करती हैं। बल्कि वह जितनी भी घोषणाएं करते हैं, उन सभी को पूरा करने के लिए वचनबद्ध हैं। वह जिन योजनाओं का शिलान्यास कर रहे हैं, उन सभी का लोकार्पण भी करेंगे। उन्होंने किसी भी दल का नाम लिए बिना कहा कि कि उनकी सभी घोषणाएं व सभी ऐजेंडे केवल चुनाव के लिए होते हैं।

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नवीन समाचार, देहरादून, 29 अगस्त 2021। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर परेड ग्राउंड स्थित बहुउद्देशीय क्रीडा हॉल में महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कालेज देहरादुन के उदीयमान खिलाड़ियों, टेबल टेनिस एवं बेडमिंटन प्रतियोगिता के विजेता खिलाड़ियों को सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने राज्य में खेलों के उन्नयन एवं खासकर छात्राओं को खेलों में आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कई घोषणाएं कीं।

इनके अनुसार उत्तराखंड सरकार प्रदेश में 8 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के 50-50 बालक बालिकाओं को उनकी खेल प्रतिभा के अनुसार चिन्हित कर उन्हें प्रति वर्ष मुख्यमंत्री खिलाड़ी उन्नयन छात्रवृत्ति प्रदान करेगी। खिलाड़ियों का दैनिक भत्ता बढ़ाकर रू. 225 किया जायेगा। महिला खिलाड़ियों के खेल कौशल विकास हेतु जनपद ऊधमसिंह नगर में महिला स्पोर्ट्स कॉलेज स्थापित किया जाएगा। राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा प्रदान की जाएगी। महाविद्यालयों व व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु 5 प्रतिशत का उत्कृष्ट खिलाड़ी खेल कोटा प्रदान किया जाएगा।

इसके अलावा राष्ट्रीय खेलों के पदक विजेताओं को भी एशियन, कामनवेल्थ, वर्ल्ड चैंपियनशिप व ओलंपिक पदक विजेताओं की भाँति सरकारी सेवा एवं खेल के दौरान चोट एवं अन्य खेल आकस्मिकताओं के दृष्टिगत बीमा व आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। खिलाड़ियों के प्रदर्शन में उत्कृष्टता लाने हेतु, वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक तकनीक को सुनिश्चित करने हेतु ’खेल विज्ञान केंद्र’ की स्थापना राज्य खेल विकास संस्थान में की जायेगी। ओलंपिक खेलों में प्रदेश के खिलाड़ियों की प्रतिभागिता सुनिश्चित करने हेतु कोच की व्यवस्था की जाएगी। महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज देहरादून में ’स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी’ बनाए जाने का प्रयास किया जाएगा।

राज्य में खेल सुविधाओं को बढ़ावा देने हेतु निजी क्षेत्र द्वारा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स, खेल अकादमी, स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की स्थापना करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु ’मेजर ध्यानचंद निजी क्षेत्र खेल प्रतिभागिता प्रोत्साहन कोष की स्थापना की जाएगी। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने हेतु खिलाड़ियों को यात्रा मार्ग व्यय, स्पोर्टस किट इत्यादि की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, तथा टेबल टेनिस के खिलाड़ियों के लिये अलग से हॉल की व्यवस्था की जायेगी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : स्लॉग ओवर में धामी सरकार ने लगातार दूसरे दिन मारे दो ‘चौके’

-विद्यार्थियों तथा कर्मचारियों के लिए खोली तिजोरी

नवीन समाचार, देहरादून, 27 अगस्त 2021। उत्तराखंड की धामी सरकार ने चुनाव की दहलीज पर आते हुए क्रिकेट की भाषा में स्लॉग ओवर में की जाने वाली जैसी बल्लेबाजी शुरू कर दी है। पहले पर्यटन से जुड़े छोटे कारोबारियों व कर्मियों के लिए बड़ा आर्थिक पैकेज घोषित करने के बाद सरकार ने एक दिन पहले करीब करीब 4 लाख लोगों को सीधे लाभान्वित करने वाली 200 करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। जबकि शुक्रवार को सरकार ने फिर नई आठ घोषणाएं कर दी हैं, जिन्हें धामी सरकार के दो ‘चौके’ कहा जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने भूकानून के लिए पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया है।

पहली घोषणा के अनुसार राज्य सरकार ने विधानसभा सदस्यों की विधायक निधि से की गई एक करोड़ की कटौती को हटा दिया है। यानी उन्हें पूरी विधायक निधि मिलेगी। वहीं दूसरी घोषणा के अनुसार राज्य के डिग्री कॉलेजों में पढ़ रहे करीब एक लाख छात्रों को टैबलेट उपलब्ध कराये जायेंगे। इससे सरकार पर लगभग 100 करोड़ रूपए का भार आएगा। वहीं तीसरी, चौथी व पांचवी घोषणा के अनुसार पुलिस विभाग के अंतर्गत कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, सब-इंस्पेक्टर एवं इंस्पेक्टरों एवं राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्यरत पटवारी, लेखपाल, राजस्व निरीक्षक एवं नायब तहसीलदारों तथा ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और सहायक विकास अधिकारियों को कोविड-19 में उनके द्वारा किये जा रहे सराहनीय कार्यों एवं सेवाओं हेतु 10 हजार रुपए की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।

इसी तरह छठी घोषणा के अनुसार प्रदेश के सभी विद्यालयों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। शिवानंद नौटियाल छात्रवृत्ति की राशि को 250 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये करने और साथ ही इसके लाभान्वितों की संख्या को 11 से बढ़ाकर 100 करने और श्रीदेव सुमन राज्य मेधावी छात्रवृत्ति की राशि को 150 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये की घोषणा भी की गई है। 600 अतिरिक्त विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाओं की व्यवस्था करने, अटल उत्कृष्ट विद्यालयों सहित सभी शासकीय विद्यालयों में 1 से 14 सितम्बर 2021 तक प्रवेश पखवाड़ा एवं 15 सितम्बर 2021 को नवप्रवेशित बच्चों के लिए स्वागोत्सव मनाने का भी निर्णय लिया गया है।

इसके अलावा सातवीं घोषणा के रूप में राज्य स्थित छावनी परिषदों में रहने वाले भूतपूर्व सैनिकों का भवन कर माफ करने के लिए कार्रवाई करने की बात भी कही गई है। जबकि आठवीं घोषणा के अनुसार राजस्व विभाग के अंतर्गत राज्य में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास, पलायन की रोकथाम एवं स्वरोजगार के अवसर पैदा करने हेतु भू-विधियों का अध्ययन कर आवश्यक सुझाव देने हेतु पूर्व मुख्य सचिव एवं उत्तराखण्ड राजस्व परिषद् के अध्यक्ष सुभाष कुमार की अध्यक्षता में समिति का गठन कर दिया गया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : सीएम धामी ने किया राज्य के चार लाख लोगों के लिए 200 करोड़ से अधिक की छूटों का ऐलान

नवीन समाचार, देहरादून, 26 अगस्त 2021। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को राज्य के करीब चार लाख लोगों को 205 करोड़ रुपए से अधिक छूट देने का ऐलान किया है। हालांकि इन छूटों का कारण नहीं बताया गया है, पर माना जा रहा है कि कोविड-19 का कारण इसके पीछे प्रत्यक्ष तौर पर और आसन्न चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर हो सकता है।

श्री धामी ने बताया कि बिजली के बिलों के फिक्स्ड चार्ज एवं बिलों के विलम्ब भुगतान अधिभार पर अगले 3 माह के लिए छूट देने की बात कही है। बताया गया है कि इससे लगभग 2,24,604 लोग लाभान्वित होंगे। सरकार को फिक्स्ड चार्ज पर लगभग 2463.81 लाख एवं विलम्ब भुगतान अधिभार पर लगभग 3642.00 लाख यानी कुल मिलाकर 60 करोड़ से अधिक का व्यय भार आएगा।

इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग के अंतर्गत सेवायान कर में 6 माह के लिए छूट प्रदान करने की बात कही है। इस छूट से करीब 96380 लोगों को लाभ मिलेगा, जबकि इससे सरकार पर करीब 7580 लाख का भार आएगा। वहीं पंजीकरण प्रमाण पत्र, फिटनेस, परमिट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि के नवीनीकरण पर विलंब शुल्क पर भी 6 माह के लिए छूट दी जायेगी। इस पर अनुमानित व्यय भार 3250.00 लाख बताया गया है।

इसके अलावा शहरी विकास विभाग के अंतर्गत लगभग 8300 पर्यावरण मित्रों को अगले 5 माह तक दो हजार रुपए की प्रोत्साहन धनराशि दी जायेगी। इस पर लगभग 830.00 लाख का व्यय भार आएगा। साथ ही पीएम स्वनिधि में पंजीकृत सभी लगभग 25 हजार लाभार्थियों को 5 माह तक 2-2 हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जायेगी। इस पर अनुमानित व्यय भार 2500 लाख होगा।

इसके अलावा पेयजल विभाग के अंतर्गत राज्य के समस्त जल व सीवर उपभोक्ताओं को 31 दिसंबर 2021 तक अवशेष देयों के एकमुश्त भुगतान करने की दशा में विलम्ब शुल्क की राशि शत प्रतिशत माफ की जाएगी। इसी तर्ज पर आशा कार्यकत्रियों को पांच माह तक 2-2 हजार रुपये प्रतिमाह एवं एक-एक टेबलेट भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आशा बहनों की समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार पूरी तरह संवेदनशील है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : धामी सरकार की बड़ी उपलब्धि: केंद्र सरकार से उत्तराखंड को आज एकमुश्त मिली इतनी धनराशि, जितनी पिछले 17 वर्षों में मिली थी

-केन्द्रीय सड़क अवस्थापन निधि से 42 सड़कों व पुलों के लिए 615 करोड़ 48 लाख रुपये की मिली स्वीकृति
-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया
नवीन समाचार, देहरादून, 6 अगस्त 2021। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय सड़क अवस्थापन निधि (सीआरआईएफ) के अंतर्गत उत्तराखंड के 615.48 करोड़ रुपये के 42 सड़क मार्गों एवं सेतुओं के प्रस्तावों को स्वीकृत कर दिया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में मीडिया से औपचारिक वार्ता करते हुए यह जानकारी देते हुए उत्तराखंड की जनता की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि राज्य सरकार के प्रयासों से केंद्रीय सड़क निधि के अंतर्गत राज्य गठन से वर्ष 2017 तक, 17 वर्षों में राज्य में 614.85 करोड़ रुपये की जबकि पिछले चार वर्षों में 1124.25 करोड़ की स्वीकृतियां प्राप्त हुई हैं। यानी पिछले 17 वर्षोें में मिले धन के बराबर धन आज राज्य को एकमुश्त प्राप्त हुआ है।

इस पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यालय में सीआरएफ के अंतर्गत विभिन्न कार्यों हेतु विगत वर्ष मिले 508.77 करोड़ की स्वीकृति के कार्य गतिमान हैं। इस प्रकार सीआरएफ के अंतर्गत वर्तमान सरकार के चार साल के कार्यालय में 1124.25 करोड़ की स्वीकृतियां प्राप्त हो गयी हैं। भारत सरकार के इस अतुल्यनीय सहयोग से सड़क निर्माण-सेतु निर्माण के कार्य निर्वाध रूप से क्रियान्वित होगें तथा मार्ग आम जनमानस के आवागमन हेतु सुलभ एवं आरामदायक होंगे। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री जी, ऐसे ठगों से बचियो…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 जुलाई 2021। ऋषिकेश में आभूषण विक्रेता से नौ लाख रुपए की ठगी के आरोप में गिरफ्तार योगी प्रियव्रत अनिमेष की आध्यात्म एवं नैतिक आख्यानों पर आधारित पुस्तक ‘मानस मोती’ का शुक्रवार 10 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीजापुर अतिथि गृह में विमोचन किया था। मुख्यमंत्री ने बकायदा इस मौके पर कहा कि योगी प्रियव्रत द्वारा लिखित यह पुस्तक जीवन के प्रत्येक पहलु पर प्रकाश डालने के साथ ही युवाओं को आध्यात्मिक एवं नैतिक ज्ञान की प्रेरणा प्रदान करने में मददगार होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मानस मोती में लघु कथाओं के माध्यम से दी गई सारगर्भित शिक्षायें समाज को भी प्रेरणा प्रदान करेंगी।

बहरहाल, यह ठग तो पकड़ा गया। उसे मुख्यमंत्री के करीब तक लाने और मुख्यमंत्री से उसकी किताब का विमोचन करवाने वाले की पहचान हेतु जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। मुख्यमंत्री बनते ही ऐसे न जाने कितने ठग मुख्यमंत्री के करीब आ गए होंगे, या आने की कोशिश कर रहे होंगे। मुख्यमंत्री को ऐसे ठगों से बचना सबसे बड़ी चुनौती होगा। उन्हें पहचानना होगा कौन वास्तव में राज्य का भला चाहने वाले लोग हैं, और कौन बुरे।

गौरतलब है कि सरकारें व मुख्यमंत्री चाहे जितने बदल जाएं, ठगों की सरकारों से दूरी नहीं बढ़ती। चाहे कोई सरकार, कोई मुख्यमंत्री आ जाए, सबसे पहले वे ही करीब जा पाते हैं। और वास्तविक लोग अपनी अकड़ में दूर ही शायद इस इंतजार में रह जाते हैं कि सरकार या मुख्यमंत्री स्वयं उनकी प्रतिभा को पहचानेंगे और खुद उन्हें बुलाएंगे। ऐसा कम ही होता है। किंतु जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौर में हो रहा है। जिस तरह का उनका अपनी मंत्री परिषद के लिए और पद्म पुरस्कारों के लिए चयन का तरीका होता है, उसके बाद ऐसी उम्मीद की जाने लगी है। किंतु जिस तरह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पास भी सबसे पहले ठगों की पहंुच बनने लगी है, इससे उत्तराखंड वासियों की उम्मीदों को झटका भी लग सकता है।

उल्लेखनीय है कि गढ़वाल ज्वेलर्स के हितेंद्र सिंह पंवार निवासी 45 देहरादून रोड ऋषिकेश ने शनिवार को ऋषिकेश कोतवाली में प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि उनकी पत्नी की कुछ मानसिक समस्या है, जिसका फायदा उठाकर महिंद्र रोड उर्फ योगी प्रियव्रत अनिमेष ने, जिसकी पुस्तक का मुख्यमंत्री धामी ने मुख्यमंत्री बनने के सप्ताह भर के भीतर ही विमोचन किया था, आध्यात्मिक इलाज से उपचार के बहाने कई बार उन्हें अपने निवास नेचर विला विल नंबर 21 में बुलाकर खाने की दवाइयां दी और सम्मोहित कर अलग-अलग तिथियों में दिसंबर 2019 से अब तक एक रुद्राक्ष की माला, सोने का ब्रेसलेट, रुद्राक्ष का ब्रेसलेट, सोने की माला, सोने की 4 अंगूठी, तुलसी की माला तथा कुछ रुपए नगद भी लिए। पुलिस ने उसे गिरफ्तार उससे काफी सामग्री बरामद भी कर ली है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : तीन माह में पूर्ण टीकाकरण, कोरोना, कांवड़ व चार धाम यात्रा व पिछली भाजपा सरकारों पर खुलकर व मंझे हुए राजनेता की तरह बोले सीएम धामी..

नवीन समाचार, नई दिल्ली, 11 जुलाई 2021। उत्तराखंड के नवोदित मुख्यमंत्री ने रविवार को नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय समाचार चैनल को साक्षात्कार दिया। साक्षात्कार में युवा व कम अनुभवी होने के आरोपों के बावजूद धामी ने एक मंझे हुए राजनेता की तरह टीवी एंकर के सभी सवालों के साफ-साफ जवाब दिये। कहा कि उनकी प्राथमिकता है कि कोरोना से किसी की भी जान न जाए। साथ ही जनभावनाओं का भी सम्मान हो।

उन्होंने राज्य में 50 फीसद लोगों को कोरोना का टीका लग जाने का दावा करते हुए अगले तीन माह में सभी लोगों का टीकाकरण पूरा कर लिए जाने का विश्वास बताया। उत्तराखंड में पार्टी की गुटबाजी को सिरे से नकारते हुए कहा कि उन्हें सभी का सहयोग मिल रहा है। वह उम्र एवं अनुभव में सभी से छोटे हैं, इसलिए सभी के पास जा रहे हैं। कांग्रेस व आप से चुनौती के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि अभी कांग्रेस या आप नहीं, बल्कि कार्यों को पूरी करना, युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार दिलाना, गरीबों के लिए टीका व अन्य योजनाओं का लाभ दिलाना उनके लिए चुनौती है। राज्य में नेताओं के द्वारा की जाने वाली टांग खिंचाई, दो मुख्यमंत्रियों को बदले जाने व उन्हें कम समय मिलने के सवाल को नकारते हुए बोले, पिछले मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल भी उनके कार्यकाल के साथ में ही जुड़ा है। पार्टी व्यक्ति आधारित पार्टी नहीं है। यहां भूमिकाएं बदलती हैं, पर सभी लोग मिलकर कार्य करते हैं। मोदी जी ने उत्तराखंड में जितना काम किया है, देश के इतिहास में उतना कार्य कभी भी नहीं हुआ है।

इसके अलावा पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में सस्ती और 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। शुरु की गई योजनाओं को पूरा करना, लोगों को रोजगार देने के साथ ही भ्रष्टाचार मुक्त शासन देना उनकी सरकार का एजेंडा है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : मोदी, कोविंद, शाह, राजनाथ, पुरी, पांडे, कोश्यारी आदि नेताओं से मिले धामी, राज्य के लिए लिया ‘आर्शीवाद’

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 जुलाई 2021। राजनीति क्रिकेट की तरह अनिश्चितताओं व अवसरों पर निर्भर करती है। ठीक एक सप्ताह पहले शनिवार के पूर्वाध तक एक आम विधायक रहे पुष्कर सिंह धामी ने सोचा भी नहीं होगा कि अगले शनिवार को वह उड़कर दिल्ली पहुंचेंगे और प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित गृह, रक्षा जैसे मंत्रालयों के कई केंद्रीय मंत्रियों से मिल रहे होंगे।

बहरहाल, आज मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में सबसे पहले प्रधानमंत्री, फिर राष्ट्रपति तथा इसके बाद केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी ने मुलाकात के दौरान धामी को स्नेह-रूपी आशीर्वाद के साथ मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी और आशा व्यक्त की कि उनके युवा नेतृत्व में राज्य का तेजी से चहुँमुखी विकास होगा। साथ ही मोदी ने धामी को राज्य के विकास, कोरोना की सम्भावित तीसरी लहर, चार धाम यात्रा और कांवड़ यात्रा के विषय पर चर्चा कर मार्गदर्शन दिया, और राज्य के विकास के लिए हर संभव मदद का भरोसा दिया। इसके अलावा धामी ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को शिष्टाचार भेंट करते हुए आज उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दी तथा उनके स्वस्थ एवं दीर्घायु होने की कामना की। इस मौके पर सुरक्षा संबंधित विषयों पर चर्चा हुई।

इसके अलावा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित साह से शिष्टाचार भेंट करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य से संबंधित विभिन्न बिंदुओं के साथ ही कोरोना महामारी, कांवड़ यात्रा और चारधाम यात्रा से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने गृहमंत्री से राज्य हेतु 2 एयर एंबुलेंस, गैरसैंण में आपदा प्रबंधन शोध संस्थान की स्थापना, आपदा प्रभावित गांवों का विस्थापन एसडीआरएफ निधि के अन्तर्गत किये जाने का आग्रह किया।

धामी ने केन्द्रीय मंत्री डॉ. एमएन पांडे से भी शिष्टाचार भेंट की और उनसे क्षेत्रीय सम्पर्क योजना के अंतर्गत हरिद्वार से हेलीकॉप्टर के माध्यम से हवाई सेवाएं प्रदान करने हेतु हेलीपोर्ट बनाये जाने के लिए भूमि राज्य सरकार को निःशुल्क उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।

साथ ही केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी से मिलकर स्वच्छ भारत मिशन-2 के अन्तर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं के लिए उत्तराखण्ड राज्य के बजट आवंटन को 89 करोड़ से बढ़ाते हुए 150 करोड करने का अनुरोध किया, और उन्हें बताया कि आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के मार्गदर्शन एवं सहयोग से उत्तराखंड सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य के शहरी क्षेत्रों के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्यों को गंभीरता से पूर्ण किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

इसके अलावा धामी ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से शिष्टाचार भेंट कर उन्हें उत्तराखंड में किसानों की आय में वृद्धि के लिये प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। साथ ही राजय में सहकारी समितियों को व्यवसायिक इकाई के रूप में स्थापित किए जाने के उद्देश्य से हिमालयी एवं पूर्वोत्तर राज्यों के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के ‘सीएसआईएसएसी कंपोनेंट’ में अनुमन्य अनुदान को 20 फीसद के स्थान पर 40 फीसद करवाने का अनुरोध किया।

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व धामी ने शनिवार शाम कई दिनों से दिल्ली में प्रवास कर रहे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी शिष्टाचार भेंट की और उनका आशीर्वाद लिया। इससे आगे भी मुख्यमंत्री धामी का अन्य केंद्रीय मंत्रियों से शिष्टाचार भेंट एवं उनसे राज्य के लिए ‘आशीर्वाद’ लिए जाने का सिलसिला जारी है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें : धामी सरकार ने किया विभागों का बंटवारा, सीएम ने खुद से हटाए कई विभाग…

नवीन समाचार, देहरादून, 06 जुलाई 2021। उत्तराखंड की नवगठित पुष्कर धामी सरकार के मंत्रियों में विभागों व मंत्रालयों का बंटवारा हो गया है। मुख्यमंत्री धामी ने मंत्रिपरिषद, कार्मिक, सतर्कता, गृह, वित्त, राज्य संपत्ति, न्याय, सूचना, सचिवालय प्रशासन, सामान्य प्रशासन, औद्योगिक विकास, खनन, तकनीकी शिक्षा, नागरिक उड्डयन एवं नियोजन विभाग मिलकर केवल 15 विभाग ही अपने पास रखे हैं। खास बात ये है कि तीरथ सरकार में सीएम के पास गृह, वित्त, लोनिवि व स्वास्थ्य सहित 20 विभाग थे। धामी सरकार में प्रदेश को चार साल बाद स्वास्थ्य मंत्री व लोनिवि मंत्री मिला है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को सिंचाई एवं लघु सिंचाई, जलागम प्रबंधन, संस्कृति, धर्मस्व एवं पर्यटन व लोक निर्माण विभाग तथा डॉ. धन सिंह रावत को सहकारिता, प्रोटोकॉल, आपदा प्रबंधन एवं पुर्नवास, उच्च शिक्षा तथा चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग दिए गये हैं। भाजपा की सरकार बनने के बाद अब तक प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार सीएम के पास था। अब सीएम के बाद काबीना मंत्री सतपाल महाराज के पास सबसे ज्यादा आठ विभाग हैं। जबकि हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल को सात-सात, यशपाल आर्य और अरविंद पांडे को छह-छह, बंशीधर भगत व डॉ. धन सिंह रावत को पांच-पांच तथा बिशन सिंह चुफाल, रेखा आर्य, गणेश जोशी और स्वामी यतीश्वरानंद को चार-चार विभाग मिले हैं।

वहीं, डॉ. हरक सिंह रावत को वन, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन, श्रम, कौशल विकास एवं सेवायोजन, आयुष एवं आयुष शिक्षा तथा ऊर्जा, बंशीधर भगत को विधायी एवं संसदीय कार्य, खाद्य, नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले, शहरी विकास, आवास तथा सूचना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी, यशपाल आर्य को परिवहन, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण निर्वाचन व आबकारी, बिशन सिंह चुफाल को पेयजल, ग्रामीण निर्माण एवं जनगणना, सुबोध उनियाल को कृषि एवं कृषक कल्याण, अरविंद पांडे को बेसिक व माध्यमिक विद्यालयी शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण, पंयायती राज व संस्कृत शिक्षा, गणेश जोशी को सैनिक कल्याण, औद्योगिक विकास, लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम, रेखा आर्या को महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास, पशुपालन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य पालन तथा यतीश्वरानंद को भाषा, पुर्नगठन, गन्ना विकास एवं चीनी, उद्योग तथा ग्राम्य विकास विभाग दिए गए हैं। इस प्रकार मुख्यमंत्री धामी ने कमोबेश सभी मंत्रियों को उनके पूर्व विभाग दिए हैं, जबकि तीरथ सिंह रावत द्वारा अपने पास रखे लोनिवि व स्वास्थ्य विभाग मंत्रियों को दे दिए हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : मंत्रियों को बंटे विभागों से पहले जिले, देखें किसे मिला आपके जिले का प्रभार

नवीन समाचार, देहरादून, 06 जुलाई 2021। पुष्कर धामी में मंत्रियों को विभागों के बंटवारे से पहले जिलों का बंटवारा कर दिया गया है। बंटवारे में सर्वाधिक वरिष्ठ मंत्री सतपाल महाराज को दो जिले रुद्रप्रयाग व चमोली, डॉ. हरक सिंह रावत को टिहरी, बंशीधर भगत को देहरादून, यशपाल आर्य को नैनीताल, बिशन सिंह चुफाल को अल्मोड़ा, सुबोध उनियाल को पौड़ी, अरविंद पांडे को दो जिले चंपावत व पिथौरागढ़, गणेश जोशी को उत्तरकाशी, डॉ. धन सिंह रावत को हरिद्वार, रेखा आर्य को बागेश्वर व यतीश्वरानंद को ऊधमसिंह नगर जनपद का प्रभार दिया गया है। प्रदेश के मुख्य सचिव के हस्ताक्षरों से मंगलवार को यह आदेश जारी हुआ है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : दिखने लगे पूत के पांव पालने में ! राज्य को आगे ‘पुश’ करने लगी पुष्कर सरकार, लिए सात बड़े निर्णय..

नवीन समाचार, देहरादून, 05 जुलाई 2021। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यभार संभालने के दूसरे दिन ही प्रदेश के मुख्य सचिव को बदलने सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय राज्य की सरकारी मशीनरी को कड़ा तथा राज्य की जनता को मीठा संदेश दे दिया है। इसी कड़ी में सोमवार को बीजापुर अतिथि गृह में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि राज्य में विभिन्न रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाये, तथा पूरी भर्ती प्रक्रिया के लिए निश्चित समय सीमा तय की जाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासियों को रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ना राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए पूरी योजना बनाई जाये। उन्होंने कहा कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी पुख्ता व्यवस्थाएं रखी जाए।

इसके अलावा भी मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर सरकार द्वारा लिए गए सात निर्णयों की जानकारी दी है। बताया है कि राज्य में अतिथि शिक्षकों का वेतन 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार किया जाएगा, तथा उन्हें उनके गृह जनपदों में भी प्राथमिकता के आधार पर तैनाती दी जाएगी। राजकीय पॉलीटेक्निक में सालों से संविदा पर कार्यरत कार्मिकों को सेवा में व्यवधान के बावजूद पूर्व की भांति सुचारू रखा जाएगा। मनरेगा कर्मियों के रिक्त पदों पर बाह्य स्रोत के माध्यम से आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती की जाएगी। उन्हंे हड़ताल की अवधि का वेतन भी दिया जाएगा। पुलिस कर्मियों के ग्रेड वेतन और नियमावली का परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की उप समिति का गठन किया जाएगा। समिति में डॉ. धन सिंह रावत व रेखा आर्य भी होंगे। जिला रोजगार कार्यालय में जनपद की आउटसोर्सिंग एजेंसी का कार्यालय स्थापित किया जाएगा, ताकि बेरोजगारों को अपने जिलों में ही रोजगार मिल सके। विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े 20-22 हजार पदों और बैकलॉग की रिक्तियों सहित सभी पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। उपनल कार्मिकों की मांगों को लेकर डॉ. हरक सिंह रावत की अध्यक्षता एवं गणेश जोशी व डॉ. धन सिंह रावत की सदस्यता में उप समिति का गठन किया जाएगा।

यह भी पढ़ें : सफल रहा ‘डैमेज कंट्रोल’, नये-11वें सीएम धामी ने पुरानी ‘टीम-11’ के साथ ली शपथ..

नवीन समाचार, देहरादून, 04 जुलाई 2021। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सबसे कम उम्र के युवा मुख्यमंत्री के रूप में रविवार शाम शपथ ले ली गई है। देहरादून स्थित राजभवन में आयोजित हुए कार्यक्रम में उनके साथ मंत्रियों ने भी शपथ ली। सबसे पहले सर्वाधिक नाराज बताए जा रहे सतपाल महाराज और डॉ. हरक सिंह रावत ने तथा उनके बाद बंशीधर भगत, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल, अरविंद पांडे, बिशन सिंह चुफाल, डॉ. धन सिंह रावत, रेखा आर्य व स्वामी यतीश्वरानंद ने मंत्री पद की शपथ ली। इस तरह तीरथ सरकार के मंत्रिमंडल की पूरी ‘टीम-11’ को ही पुष्कर मंत्रिमंडल में बरकरार रखा गया है। हां, पिछली बार बंशीधर भगत ने मुख्यमंत्री के बाद शपथ ली थी, लेकिन इस बार सतपाल महाराज ने नंबर दो पर शपथ ली।

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने मुख्यमंत्री एवं सभी मंत्रियों को शपथ दिलाई। इससे पहले युवा पुष्कर सिंह धामी को सीधे विधायक से मुख्यमंत्री बनाये जाने को लेकर कई काबीना मंत्रियों से लेकर विधायकों में नाराजगी की खबरें मीडिया में आम रहीं। इसके बाद प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक से लेकर राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं ने मोर्चा संभाला और नाराज मंत्रियों व विधायकों की नाराजगी को फिलहाल थाम लिया है। आगे यह नाराजगी धामी के कौशल के आगे पूरी तरह मिट जाती है या फिर दबी राख से बाहर निकलती है, यह देखने की बात होगी।

काफी कुछ बयां कर गया शपथ ग्रहण समारोह, वरिष्ठ मंत्रियों की नाराजगी दिखी
देहरादून। शपथ ग्रहण समारोह मंत्रियों की मुख्यमंत्री के प्रति नाराजगी व खुशी को साफ तौर पर बयां कर गया। नाराज बताए जा रहे मंत्रियों ने उस तरह नए मुख्यमंत्री को शपथ लेने के बाद अभिवादन नहीं किया, जिस तरह आम तौर पर मंत्री मुख्यमंत्रियों से अभिवादन किया करते हैं। ऐसा करने वालों में प्रमुख रूप से सतपाल महाराज, डॉ. हरक सिंह रावत शामिल रहे। जबकि बंशीधर भगत व अरविंद पांडे शपथ लेने के बाद बेहद गर्मजोशी से मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री से मिले, और कुछ बातें भी कीं। गणेश जोशी ने बाकायदा नए मुख्यमंत्री को गले भी लगाया और फोटो भी खिंचवाई। डॉ. धन सिंह रावत, रेखा आर्य व स्वामी यतीश्वरानंद भी मुख्यमंत्री को अभिवादन करने पहुंचे। शपथ ग्रहण कार्यक्रम काफी तेजी से किया गया। एक मंत्री शपथ लेते, और उनके पीछे पंजिका में हस्ताक्षर करने से पहले ही दूसरे मंत्री को शपथ दिला दी जाती। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : इन कारणों से भी ‘नामी’ नेताओं को छोड़ धामी को मिला ‘ताज’

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 04 जुलाई 2021। उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के साथ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, काबीना मंत्री सतपाल महाराज व धन सिंह रावत के नाम मीडिया में चल रहे थे। लेकिन इन ‘नामी’ नेताओं की जगह पुष्कर ‘धामी’ के सिर मुख्यमंत्री पद का ताज आज सजने जा रहा है, तो इसके पीछे भाजपा के केंद्रीय हाईकमान की लंबी व सोची-समझी रणनीति है।

उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत के बावजूद तीसरी बार मुख्यमंत्री बदले जाने की अनचाही स्थितियों में आए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार पुष्कर धामी के रूप में यदि चल गई, तो दूर की कौड़ी फेंकी है। दरअसल केंद्रीय नेतृत्व को पता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में परोक्ष या अपरोक्ष तौर पर कांग्रेस पार्टी की ओर से हरीश रावत सबसे बड़ी चुनौती हांेगे। हरीश रावत हालांकि प्रदेश और कांग्रेस के बड़े व अनुभवी नेता हैं, वे कुमाऊं मंडल से और क्षत्रिय जाति से आते हैं, जिनका राज्य में करीब 70 फीसद प्रतिनिधित्व है। भाजपा उनके बरक्स राज्य में नेता तैयार करने की कोशिश में दो क्षत्रिय नेताओं त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना चुकी, लेकिन दोनों इन अपेक्षाओं में खरे नहीं उतर पाए। त्रिवेंद्र तो हरीश के साथ ही कई बार आम-ककड़ी की पार्टी खाने लगे तो शायद तीरथ को इसका मौका ही नहीं मिला।

यही कारण है कि दोनों की विदाई पर हरीश उनकी आलोचना की जगह उन्हें ‘बेचारा’ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा इसलिए कि भाजपा के यह दोनों रावत हरीश रावत के प्रतिद्वंद्वी बन ही नहीं सके। ऐसे में भाजपा ने प्रशासनिक तौर पर अनुभवहीन ही सही पर ऐसे 45 वर्षीय युवा नेता को चुना है, जो 70 वर्ष के हो चले हरीश रावत के साथ चुनाव को युवा वर्सेज बुजुर्ग कर सकता है। साथ ही वह हरीश रावत के ही कुमाऊं क्षेत्र से और उनकी ही क्षत्रिय जाति से आता है। उस पर हरीश रावत की तरह ‘ब्राह्मण विरोधी’ होने का दाग भी नहीं है। वह पहाड़ से आते हैं और उस तराई-भाबर के मैदानी क्षेत्र में राजनीति करते हैं, जहां हालिया दिनों में किसान आंदोलन का कुछ प्रभाव बढ़ता बताया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि अब तक राज्य में 9 मुख्यमंत्री बदल चुके हैं। इनमें अंतरिम सरकार के मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, कांग्रेस की दूसरी सरकार के दोनों मुख्यमंत्री-गढ़वाल से होने के बावजूद कुमाऊं के सितारगंज से चुनाव लड़े विजय बहुगुणा व हरीश रावत यानी चार मुख्यमंत्री कुमाऊं मंडल से मुख्यमंत्री बने, परंतु यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि इनमें से भगत सिंह कोश्यारी के अलावा भाजपा ने कोई भी मुख्यमंत्री कुमाऊं से नहीं बनाया। इसलिए कुमाऊंवासियों में भाजपा के प्रति नाराजगी भी रहती है। इसका प्रभाव चुनाव में भी दिखता है। कुमाऊं मंडल में भाजपा के पास बड़े चेहरे भी गिने-चुने ही हैं। यह तथ्य भी उनकी ताजपोशी को बल प्रदान कर गया है। इसके अलावा चंूकि वह पूर्व सैनिक एवं किसान स्वर्गीय शेर सिंह धामी के बेटे हैं, इसलिए उनके चयन से पूर्व सैनिकों एवं किसानों को भी साधने की कोशिश की गई है।

चुनौतियां भी कम नहीं
2022 के विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में आज रविवार को शपथ ग्रहण करने जा रहे पुष्कर धामी के पास जहां इस दौरान काम करने के लिए कम समय है, लेकिन भविष्य के नेता के रूप में छवि बनाने का मौका जरूर है। वह युवा हैं। कार्य करने के साथ ही सीखने की भी क्षमता रखते हैं। लेकिन उनकी यही युवा वय, एवं कुमाऊं मंडल के क्षत्रिय जाति से होने की विशेषता, जिसके कारण वह यह पद प्राप्त कर पाए हैं, उनके लिए चुनौतियां भी खड़ी करने वाली है। युवा होने के कारण उनके लिए वरिष्ठ नेताओं का नेतृत्व करना आसान नहीं होगा। इसके लिए उन्हें वरिष्ठों को सम्मान देते हुए साथ लेकर एवं उनके अनुभवों का लाभ लेते हुए आगे बढ़ना होगा। साथ ही उन्हें गढ़वाल मंडल और राज्य की दूसरी बड़ी जाति ब्राह्मणों के साथ ही अन्य सभी जातियों व समुदायों के के लिए कार्य करते हुए केवल एक मंडल या जाति के नेता तक सीमित रहने की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ-सबका विकास’ की अवधारणा को सही साबित करना होगा। अपनी पार्टी मंे भी सबको साथ लेकर नेताओं व कार्यकर्ताओं को गुटबाजी में बंटने से बचाना होगा, उनमें नया जोश भरना होगा, तभी वह राज्य व पार्टी के लिए लंबी रेस का घोड़ा साबित हो सकते हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : जानें वे कारण, क्यों धामी बने भाजपा नेतृत्व की मुख्यमंत्री के रूप में पसंद

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 03 जुलाई 2021। तमाम उहापोह, करीब चार वर्ष में दो मुख्यमंत्री बदलने के बाद आखिर वह चेहरा तलाश और तय कर लिया है जो 2022 के चुनाव में भाजपा को चुनावी वैतरिणी पार लगाने में नायक की भूमिका निभाएगा। यह चेहरा भाजपा ने युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी है, जो न केवल युवा है, वरन राज्य का अब तक का सबसे कम, 47 वर्ष से भी कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। धामी के उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में चयन के पीछे उनके युवा होने के साथ ही कई अन्य क्षेत्रीय, जातीय व राजनीतिक समीकरण भी हैं।

सबसे पहले बात नए सीएम के जीवन संघर्ष की।
देव भूमि उत्तराखंड के सीमान्त जनपद पिथौरागढ की तहसील डीडीहाट वर्तमान तहसील कनालीछीना की ग्राम सभा हरखोला का तोक टुण्डी उनका पैत्रिक गांव है, अलबत्ता, उनका जन्म खटीमा में सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए एक पूर्व सैनिक के घर में 16 सितंबर 1975 को तीन बहनों के पश्चात हुआ। आर्थिक अभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। धामी बचपन से ही स्काउट गाइड, एनसीसी, एनएसएस आदि से जुड़े रहे। वह स्नातकोत्तर एवं मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में मास्टर्स की डिग्री ले चुके हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों को एक जुट करके निरन्तर संधर्षशील रहते हुए उनके शैक्षणिक हितों की लडाई लडते हुए उनके अधिकार दिलाये तथा शिक्षा व्यवस्था के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वे रविवार को देहरादून राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके साथ संभवतया मामूली बदलाव के साथ तीरथ सरकार के मंत्री भी शपथ ले सकते हैं।

उनके राजनीतिक जीवन की बात करें तो वर्ष 1990 से 1999 तक उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक विभिन्न पदों में रहकर कार्य किया। प्रदेश मंत्री के पद पर रहते हुए लखनऊ में हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालक की भूमिका निभाई। उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरांत पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के साथ ओएसडी यानी सलाहकार के रूप में उनके करीब रहकर 2002 तक कार्य किया। 2002 से 2008 तक छः वर्षो तक दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। वर्तमान में वह खटीमा से वह 2012 से अब तक लगातार दो बार विधायक हैं।

वहीं उन राजनीतिक स्थितियों व समीकरणों की बात करें, जिनकी वजह से वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पा गए हैं, तो इसमें निःसंदेह बड़ी भूमिका उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भी रही होगी, जिनके वह करीबी और कृपापात्र रहे हैं। इसके अलावा वह चूंकि क्षत्रिय जाति से कुमाऊं मंडल से आते हैं, इसलिए राज्य में भाजपा के गढ़वाल मंडल के ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष के साथ वह जातीय संतुलन में सटीक बैठते हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में कांग्रेस पार्टी भी यही क्षेत्रीय व जातीय संतुलन न बैठा पाने के कारण अपने नए नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पा रही है। इसके अलावा धामी मूलतः सीमांत पर्वतीय जनपद पिथौरागढ़ के हैं, और तराई की खटीमा विधानसभा उनकी कर्मभूमि रही है, इसलिए वह पहाड़ और मैदान का संतुलन भी साधते हैं। उन पर न ही कोई पर्वतीय न होने का ठप्पा लगा सकता है और न ही मैदानी न होने का। वह किसान आंदोलन के बाद तराई क्षेत्र में भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में संभावित नुकसान को भी रोकने का माद्दा रखते हैं।

इसके अलावा युवा होने के साथ ही भाजयुमो के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहने के कारण वह पूरे प्रदेश के भाजपा की युवा पीढ़ी के नेताओं में पहचान रखते हैं, साथ ही उन्हें सांगठनिक अनुभव भी है। इस लिहाज से भी वह मुख्यमंत्री पद के लिए केंद्रीय नेतृत्व के पसंदीदा साबित हुए हैं। हां, प्रशासनिक अनुभव के तौर पर उनके पास खास पूंजी नहीं है, किंतु मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में उनकी मास्टर्स की डिग्री और युवा मस्तिष्क इस कार्य में उनकी मदद कर सकता है। उनके लिए जरूरत होगी तो इतनी कि वह अपने गिर्द उन लोगों को हावी नहीं होने देंगे तो कमोबेश हर मुख्यमंत्री के साथं अपना राजनीतिक डीएनए बदलवाकर करीब आ जाते हैं, और ऐसे सहालकारों को अपने साथ रखेंगे जो उन्हें लंबी राजनीतिक पारी खेलने और राज्य को आगे ले जाने में मददगार साबित होंगे।

संक्षिप्त परिचय :
विधान सभा का नाम: 70, विधान सभा क्षेत्र, खटीमा
माता का नाम: श्रीमती विश्ना देवी
पत्नी का नाम: श्रीमती गीता धामी
शैक्षिक योग्यता: स्नातकोत्तर एवं मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में मास्टर्स की डिग्री आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : BIG Breaking : युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी बने उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री

नवीन समाचार, देहरादून, 03 जुलाई 2021।  खटीमा से भाजपा के दूसरी बार विधायक बने पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री होंगे। विधानमंडल दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर की औपचारिकता पूरी हो गई है। सबको चौंकाते हुए भाजपा नेतृत्व ने विधायक धामी को नये मुख्यमंत्री के तौर पर चुनकर सबसे बड़ा उलटफेर कर दिया है। इसके साथ यह भी हो गया है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश में युवा नेतृत्व को आगे लाकर भविष्य के लिए लंबी रणनीति बनाकर कार्य कर रहा है।

केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विधायक दल की बैठक में केवल धामी के नाम का ही प्रस्ताव आया, जिसे सर्वसम्मति से उनके नाम का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। इसके उपरांत मनोनीत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश के सीमांत पिथौरागढ़ जिले की कनालीछीना तहसील के एक पूर्व सैनिक के पुत्र और पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता पर पार्टी नेतृत्व ने जो विश्वास जताया है, उसे वह स्वीकार करते हैं, और केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताते हैं।

उल्लेखनीय है कि धामी प्रदेश के युवा विधायकों में शुमार हैं। वह महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के बेहद करीबी माने जाते हैं। पूर्व में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। माना जा रहा है अब तक मंत्रिमंडल का कोई अनुभव न होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री का पद श्री कोश्यारी के कृपापात्र होने की वजह से मिला है। आगे देखना होगा कि वह अपने कार्यकाल में अपनी खुद की कैसी छवि बनाते हैं।

आगे यह भी देखना दिलचस्प होगा कि युवा मुख्यमंत्री अपनी कैसी कैबिनेट बनाते हैं। यदि वह मौजूदा मंत्रिमंडल के वरिष्ठ दिग्गजों सतपाल महाराज, बिशन सिंह चुफाल, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, बंशीधर भगत व यशपाल आर्य को मंत्री बनाते हैं तो कैसे उनके साथ सामंजस्य बैठाते हैं और उनसे मुख्यमंत्री पद का सम्मान प्राप्त करते हैं। यह भी देखना होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव तक पार्टी और प्रदेश को किस तरह आगे बढ़ाते हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी धुरंधरों के खिलाफ किस तरह अपनी पार्टी का नेतृत्व करते हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे

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