पीसीएस अधिकारी पर ईडी की छापेमारी, एनएच-74 घोटाले में 162 करोड़ की धनराशि के दुरुपयोग की जांच तेज

नवीन समाचार, देहरादून/काशीपुर, 26 जून 2025 (ED raids on PCS officer-investigation into misus)। उत्तराखंड के देहरादून सहित काशीपुर व उत्तर प्रदेश में बहुचर्चित राष्ट्रीय राजमार्ग-74 के चौड़ीकरण में हुए 162 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है।
गुरुवार को ईडी की टीमों ने उत्तराखंड में तैनात प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह तथा काशीपुर के एक अधिवक्ता सहित कई अन्य के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर दस्तावेज खंगाले। यह कार्यवाही धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई। ईडी के अनुसार यह घोटाला सरकारी धन की हेराफेरी, मुआवजा राशि में हेराफेरी और भूमि अधिग्रहण के फर्जी आदेशों के ज़रिये किया गया।
उत्तराखंड व यूपी में सात ठिकानों पर कार्रवाई
पुलिस व संबंधितों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ईडी की टीमों ने देहरादून, काशीपुर तथा उत्तर प्रदेश में नौकरशाहों और उनके सहयोगियों के सात से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। देहरादून में दिनेश प्रताप सिंह, जो वर्तमान में डोईवाला स्थित राज्य सरकार के अधीन चल रही चीनी मिल में कार्यकारी निदेशक के पद पर कार्यरत हैं, उनके आवास व कार्यालय सहित अन्य स्थानों की तलाशी ली गई। इसके साथ ही काशीपुर में बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी व अधिवक्ता के आवास पर भी छापा मारा गया, जहां तीन गाड़ियों में पहुंचे ईडी अधिकारियों ने घंटों तलाशी अभियान चलाया।
पिछली तारीख में आदेश जारी कर बदला भूमि उपयोग
इस घोटाले की जांच के दौरान सामने आया कि पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह ने एनएच-74 और एनएच-125 के चौड़ीकरण हेतु अधिग्रहित की गई भूमि के उपयोग को पूर्ववर्ती तिथि में आदेश पारित कर बदल दिया था। इससे कृषि भूमि को अकृषि दर्शाकर, मुआवजे की दर को अत्यधिक बढ़ा दिया गया।
ईडी के अनुसार, कृषि भूमि पर मिलने वाला मुआवजा बहुत कम होता है, जबकि अकृषि भूमि पर कई गुना अधिक। ऐसे में भूमि अधिग्रहण के सक्षम प्राधिकारी के रूप में कार्यरत सिंह ने कुछ अन्य राजस्व अधिकारियों, किसानों व बिचौलियों के साथ साजिश कर करोड़ों रुपए का नुकसान सरकारी कोष को पहुंचाया।
ईडी पहले ही इस प्रकरण में सिंह सहित अन्य के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। छापेमारी का उद्देश्य नए साक्ष्य जुटाना बताया गया है। हालांकि अभी तक जब्त की गई सामग्री का आधिकारिक खुलासा नहीं हुआ है।
2017 में उजागर हुआ था घोटाला (ED raids on PCS officer-investigation into misus)
इस मामले की जड़ें वर्ष 2017 से जुड़ी हैं, जब तत्कालीन मंडलायुक्त सैंथिल पांडियन ने मुआवजे में अनियमितता की शिकायतों के आधार पर उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी को जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद घोटाला सही पाए जाने पर तत्कालीन अपर जिलाधिकारी प्रताप साह ने पंतनगर के सिडकुल थाने में अभियोग पंजीकृत कराया था।
इसके बाद गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 2,011 करोड़ रुपए के घोटाले की पुष्टि की थी। इसमें शामिल कई अधिकारियों, कर्मचारियों, किसानों और बिचौलियों को जेल भेजा गया था, जबकि दो आईएएस अधिकारियों को निलंबित किया गया था।
ईडी अब तक कई आरोपितों की संपत्तियां ज़ब्त कर चुकी है। एजेंसी की वर्तमान छापेमारी इसी जांच को आगे बढ़ाते हुए नए दस्तावेज व वित्तीय साक्ष्य जुटाने की दिशा में अहम मानी जा रही है। (ED raids on PCS officer-investigation into misus)
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