March 28, 2024

जानें किन-किन बूथों पर संजीव रहे सरिता से आगे, और कैसे लिखी गई सरिता की रिकॉर्ड तोड़ जीत की इबारत….

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प्रदेश कांग्रेस महिला अध्यक्ष सरिता आर्य पार्टी से है खफा, भाजपा में हो  सकती हैं शामिल - News Nation

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 मार्च 2022। भाजपा प्रत्याशी के रूप में सरिता आर्य ने नैनीताल विधानसभा सीट पर अब तक के सर्वाधिक 7881 यानी रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की है। इस जीत में उन्होंने ऐसे ऐसे बूथों पर जीत दर्ज की है, जो कांग्रेस प्रत्याशी के गढ़ कहे जाते थे और कई ऐसे भी हैं, जहंा अब तक कभी भी भाजपा नहीं जीत पाई थी। स्थिति यह रही कि कांग्रेस प्रत्याशी व निवर्तमान विधायक संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा के 164 में से केवल 45 यानी केवल 27 प्रतिशत बूथों पर ही भाजपा प्रत्याशी से आगे रह पाए।

चुनाव आयोग से प्राप्त बूथवार पड़े मतों के आंकड़ों के अनुसार संजीव आर्य अपना सर्वाधिक वक्त एवं विकास कार्यों व निधि का हिस्सा देने एवं अपने पिता यशपाल आर्य का कार्यक्षेत्र व व्यापक प्रभाव होने के साथ ही कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल के गृह क्षेत्र बेतालघाट के बूथों से शुरू हुई मतगणना से ही लगातार पिछड़ते चले गए। ढूंढना मुश्किल हो गया कि वह किन बूथों से जीते हैं।

देखा गया तो वह केवल चौनी नवीन, ढोलगांव, पोखराधार रिखौली, ओढ़ाबास्कोट, तल्ली पाली स्थित तगथ्यूड़ा छोटा, घोड़िया हल्सों, चक बिशोड़, सिल्टोना, ताड़ीखेत, धुरा, कफुड़ा, भवाली सैनिटोरियम, ल्वेशाल, नैनीताल नगर के जिला पंचायत नैनीताल, ब्रेसाइड के कक्ष 1 व 2, सीआरएसटी के कक्ष 2, 3, 4 व 5, जीपीएस मल्लीताल के कक्ष 2, जीजीयूपीएस मल्लीताल के कक्ष 1 व 2, शैले हॉल के कक्ष 9, जीपीएस आर्य समाज के कक्ष 2, एसडेल के कक्ष 1 व 2, डीएसबी के कक्ष 1 व 2, स्टेडियम, नगर पालिका ऑफिस, नारायण नगर, पॉलीटेक्निक, प्रांतीय खंड कक्ष 2, जीआईसी तल्लीताल के कक्ष 1 व 2, भवाली के रेहड़ के कक्ष 1, लोनिवि डाकबंगला के कक्ष 2, गेठिया के कक्ष 2, बल्दियाखान, छीड़ा गांजा, जीजाईसी ज्योलीकोट के कक्ष 1, बोहरागांव, पांडेगांव व कुंणखेत में ही आगे रहे। बाघनी नाम के एक बूथ में मतदान नहीं हुआ।

इस तरह दिखता है कि कांग्रेस प्रत्याशी चुनिंदा ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा केवल नैनीताल व नगर के कुछ क्षेत्रों में बढ़त लेते दिखे। राउंडवार मतगणना में भी वह भवाली व नैनीताल नगर क्षेत्र की ईवीएम खुलने पर केवल सातवें व आठवें राउंड में भाजपा प्रत्याशी से कुछ अंतर कम करते दिखे। सातवें राउंड में सरिता को 2485 व संजीव को 2528 जबकि आठवें राउंड में सरिता को 1720 व संजीव को 2214 वोट मिले। यानी इन दो राउंड में भी संजीव को सरिता से 537 ही अधिक वोट मिले, और यहां तक भी सरिता को 20109 मतों के साथ संजीव पर उनके 15792 मतों के साथ करीब पांच हजार वोटों की निर्णायक बढ़त मिल गई, जो आगे जीत तक जारी रही।

यह मुद्दे रहे हावी
नैनीताल। नैनीताल विधानसभा में चुनाव के दौरान केंद्र सरकार द्वारा कोरोना काल में की गई मदद, अनाज, पेंशन, किसान सम्मान निधि के मुद्दों का लाभ भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य को मिला। सरिता के लिए ‘घर की बेटी’ का मुद्दा भी चला। कांग्रेस के ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ मुद्दे का लाभ भी सरिता को महिला होने के नाते महिलाओं के वोट हासिल करने में मिला। पूर्व में विधायक एवं नैनीताल की पालिकाध्यक्ष रहने के कारण उनके लिए भाजपा में अचानक जाने के बावजूद पहचान का संकट नहीं रहा। भाजपाइयों ने उन्हें संजीव के मुकाबले अधिक जल्दी स्वीकार भी किया। संजीव के बारे में कहा गया कि विधानसभा से नहीं हैं। उनका वोट भी यहां नहीं था।

चुनाव में सरिता सहित तीन प्रत्याशियों के दल-बदलू होने के बावजूद संजीव को इस मुद्दे का सर्वाधिक नुकसान झेलने को मिला। उनके कार्यकर्ता भी बेमन से चुनाव में केवल शक्ल दिखाने के लिए लगे दिखे। अपनी बाजपुर सीट पर फंसे पिता यशपाल आर्य भी इस बार प्रत्यक्ष तौर पर उनकी मदद के लिए क्षेत्र में नहीं आ पाए। कोई और स्टार प्रचारक भी उनके पक्ष में माहौल बनाने नहीं पहुंचा। पिता के साथ बड़ा व्यक्तित्व होने का भी उन्हें चुनाव में नुकसान झेलना पड़ा। जबकि सरिता उनके बरक्स अधिक सर्वसुलभ मानी गईं। कुछ बस्तियों पर फोकस करना भी उन्हें भारी पड़ा। इसका उल्टा प्रभाव अन्य क्षेत्रों से उन्हें वोट न मिलने के रूप में देखा गया। चुनाव में मोदी, हिंदुत्व व राष्ट्रवाद के मुद्दों ने भी भाजपा प्रत्याशी को लाभ दिलाया।

हेम आर्य के आखिरी 15 दिनों में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने और फिर आम आदमी पार्टी से टिकट लाने का नुकसान उन्हें तो मात्र 2789 वोट लाने के साथ हुआ ही, लेकिन कहा जा रहा है कि यदि वे निर्दलीय लड़ते तो संभवतया इससे अधिक वोट लाते। उक्रांद व बसपा के साथ नोटा का आंकड़ा भी इस बार तीन अंकों में ही सीमित रहा। इस कारण मुकाबला सीधे-सीधे भाजपा व कांग्रेस में हुआ और भाजपा के बूथ से नीचे भी पन्ना प्रमुख तक के संगठन के आगे बिना संगठन के संजीव आर्य की अलग टीम के भरोसे लड़ी कांग्रेस अपने प्रत्याशी को जीत नहीं दिला पाई। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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यह भी पढ़ें : सरिता की रिकॉर्ड तोड़ जीत के साथ कई मिथक टूटे-एक रहा बरकरार…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 मार्च 2022। नैनीताल विधानसभा पर से भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य ने अब तक के सर्वाधिक रिकॉर्ड 7918 वोटों से चुनाव जीत लिया है। जबकि इससे पूर्व 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में ही वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य ने 7247 वोटों के तब तक के सर्वाधिक अंतर से जीत दर्ज की थी। यह रिकॉर्ड अब टूट गया है।

उनकी जीत के साथ नैनीताल से राज्य बनने के बाद किसी विधायक के दूसरी बार व किसी पार्टी के लगातार दूसरी बार न जीतने के मिथक भी टूट गए हैं। अलबत्ता संजीव की हार के साथ लगातार दूसरी बार किसी विधायक के न जीतने का मिथक बना रह गया है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सरिता आर्य ने 2012 के चुनाव में कांग्रेस के लिए 23 वर्ष बार विधानसभा में जीत दर्ज की थी।

हल्द्वानी के एमबी राजकीय महाविद्यालय में 12वें राउंड तक चली मतगणना में इस बार सरिता आर्य को 31443 व कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य को 23525 वोट मिले हैं। जबकि आआपा के हेम आर्य को 2758, उक्रांद प्रत्याशी ओमप्रकाश को 897 व बसपा प्रत्याशी राजकमल सोनकर को 818 वोट लेकर जमानत भी नहीं बचा पाए। वहीं इससे पूर्व 2017 के चुनाव में भाजपा के तत्कालीन प्रत्याशी संजीव आर्य को 30,036 व कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सरिता आर्य को 22,789 वोट मिले थे।

एक परी कथा सा रहा है सरिता का जीवन
नैनीताल। मुख्यालय के निकटवर्ती गांव में अपनी दलित माता के हाथों में दलित पली एक बालिका का नैनीताल जैसी देश की दूसरी बनी नगर पालिका की पहली महिला अध्यक्ष व पहली महिला विधायक बनने के बाद महिला कांग्रेस के शीर्ष पद पहुंचने का सफर किसी परी कथा की तरह रहा है, और इस कथा में सबसे बड़ी भूमिका सरिता आर्या के मृदुभाषी होने तथा पदों की प्राप्ति के बावजूद स्वयं के व्यवहार में कोई परिवर्तन खासकर किसी तरह का दंभ रखे बिना छोटों-बढ़ों सबको सम्मान देने की रही है। किसी भी व्यक्ति से हाथ जोड़कर कुशल क्षेम पूछना और कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि होने के बावजूद पीछे की पंक्ति में बैठे परिचितों का अभिनंदन करना उनकी पहचान है।

सरिता के राजनीतिक सफर की बात करें तो अपनी मां के साथ निकटवर्ती गांव भूमियाधार में रहने वाली एक ग्रामीण बालिका किसी परी कथा की तरह एक आईएएस अधिकारी की पत्नी बनीं, और इसके बाद दो बेटों की मां व एक गृहणी के रूप में घर-गृहस्थी संभाल रही सरिता का सार्वजनिक जीवन में पदार्पण वर्ष 1990 में ऑल इंडिया वीमन कांफ्रेंस में जुड़ने के साथ हुआ। वर्ष 2003 में वह सीधे व पहले प्रयास में ही नैनीताल नगर पालिका अध्यक्ष की बड़ी भूमिका के लिए निर्वाचित हुईं और 2008 तक इस पद पर उनका बेदाग कार्यकाल रहा। आगे 2009 में ऑल इंडिया वीमन कांफ्रेंस ने उन्हें नगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी सोंपी, जिसके जरिए अन्य दलों की महिला नेत्रियों के साथ भी उनके मधुर संबंध रहे।

वर्ष 2012 में उन्होंने मतदान से मात्र एक पखवाड़े पहले टिकट मिलने पर उक्रांद व भाजपा के हाथों रही नैनीताल सीट पर कांग्रेस को रिकार्ड 23 वर्षों के बाद सत्ता में वापस ला दिया। इधर राज्य की राजनीति में बदलते समीकरणों, जनपद के अन्य अनुसूचित जाति के नेता यशपाल आर्य के जनपद से बाहर से लड़ने से खाली हुई अनुसूचित नेता की जगह को बखूबी भरते हुए सरिता पहले मंत्री स्तरीय संसदीय सभा सचिव का पद प्राप्त करने के बाद महिला कांग्रेस के शीर्ष पर पहुंची। इधर खुद के साथ महिला कांग्रेस की नेत्रियों को राज्य में 20 फीसद सीटों पर टिकट दिलाने के लिए संघर्ष करते हुए व संजीव आर्य व यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ कांग्रेस में आने के बाद बदली परिस्थितियों में उन्होंने कांग्रेस से करीब 18 वर्ष पुराना रिश्ता तोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था, और अब यह रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : चुनाव खर्च: नैनीताल जिले में भाजपा प्रत्याशी आगे, हरीश रावत तीसरे स्थान पर

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 20 फरवरी 2022। लोकतंत्र के महापर्व में प्रत्याशियों के लिए धन खर्च करना जरूरी हो गया है। शायद इसीलिए चुनाव आयोग ने भी विधानसभा में खर्च की सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 40 कर दी है। अलबत्ता, अभी भी उत्तराखंड की पर्वतीय सीटों में प्रत्याशी पुरानी सीमा या नई सीमा के आधे तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं।

अलबत्ता नैनीताल सीट की बात करें तो भले अधिक खर्च करने के आरोप कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य पर लग रहे हैं, परंतु चुनाव आयोग को प्रत्याशियों द्वारा दिए गए खर्च के ब्यौरों के अनुसार खर्च में भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य आगे हैं। सरिता ने 10 लाख 45 हजार 570 रुपए तो कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य ने 10 लाख 40 हजार 96 और आआपा प्रत्याशी हेम आर्य ने मात्र 5 लाख 68 हजार 711 रुपए खर्च किए हैं।

वही नैनीताल जनपद में सर्वाधिक खर्च करने वाले प्रत्याशियों की बात करें तो भीमताल सीट के भाजपा प्रत्याशी राम सिंह कैड़ा ने सर्वाधिक 26.64 लाख रुपये, इसी सीट के निर्दलीय प्रत्याशी लाखन सिंह नेगी ने 23.88 लाख जबकि लालकुआं सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत ने 20 लाख रुपए खर्च किए हैं, और वह तीसरे स्थान पर हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : लोकतंत्र के महापर्व में मतदान कर ऐसे निभाया फर्ज

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 14 फरवरी 2022। लोकतंत्र के महापर्व के लिए कुमाऊं मंडल एवं जनपद मुख्यालय सहित पूरी नैनीताल सुरक्षित विधान सीट में 18वीं बार हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए सुबह आठ बजे शुरू हुआ। नैनीताल विधानसभा में 58184 पुरुष व 51786 महिलाओं सहित कुल 109970 पंजीकृत मतदाताओं के लिए 2 सखी-किंडर गार्डन व सीआरएसटी तथा 3 आदर्श-एशडेल, शैले हौल व लोनिवि डाक बंगला भवाली सहित कुल 164 बूथ बनाए गए थे।

बूथों पर मतदान कर्मी कोरोना के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए दस्ताने पहने हुए थे तथा प्रत्येक मतदाता की भी थर्मल स्कैनिंग की जा रही थी और दस्ताने उपलब्ध कराए जा रहे थे। मतदान केंद्रों पर ‘आई एम प्राउड वोटर’ लिखा सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया था, जिस पर मतदाता फोटो खींच रहे थे। मतदाताओं को बूथ के अंदर जाने पर भी मोबाइल ले जाने से नहीं रोका जा रहा था।

वहीं मुख्यालय में मतदान केंद्रों पर अधिक भीड़ नहीं दिखी। मतदाता आराम से आकर मतदान कर रहे थे। पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं में खास उत्साह देखा गया। मतदाता राज्य के बेहतर भविष्य के लिए और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मतदान करने की बात कहते सुने गए। दिव्यांग एवं वृद्ध मतदाता भी अपने रिश्तेदारों की मदद से मतदान केंद्र पर पहंुचे। प्रशासन की ओर से ऐसे मतदाताओं को लाने के लिए अलग से कोई प्रबंध मुख्यालय में नहीं दिखे। अलबत्ता ग्रामीण क्षेत्रों में डोली की व्यवस्था बताई गई। रिटर्निंग ऑफीसर प्रतीक जैन ने बताया कि 65 मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे।

सुबह से ही भाजपा के नेता व पदाधिकारी अपने बूथों पर ‘मेरा बूथ-सबसे मजबूत’ नारे के साथ पन्ना प्रमुख की भूमिका में सक्रिय दिखे। नगर के सूखाताल, शेरवानी, वैभरली कंपांउंड, हंस निवास व नैनीताल क्लब बूथों पर पार्टी के काउंटरों पर काफी भीड़ दिख रही है। सीआरएसटी बूथ पर भाजपा के साथ कांग्रेस के काउंटर पर भी भीड़ दिखी। कांग्रेस के बूथों पर भी चुनिंदा बूथों पर खासी भीड़ दिखी। अन्य प्रत्याशियों के कुछ को छोड़कर अधिकांश बूथों पर अपेक्षाकृत सन्नाटा रहा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : आज दीजिए सोच-समझकर अपने राज्य-अपने दीर्घकालीन भविष्य के लिए वोट

-अगर अगले पांच साल हुक्मरानों पर अंगुली उठाने का हक चाहते हैं, तो आज अंगुली उठाएं
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 14 फरवरी 2022। उत्तराखंड में आज लोकतंत्र का महापर्व है। यही लोकतंत्र है, जो भारत को पूरे विश्व के देशों में सबसे महान बनाता है। यहां जनता अपना नेता चुनती है। यहां मतदाताओं की अंगुली से सत्ता बरकरार रहती है या बदल जाती है। यहां मतदाताओं की अंगुली ही इतिहास बनाती व बदलती है। देश ने जो तरक्की की है उसमें देश के हर मतदाता का योगदान है, क्योंकि जनता ने ही अपनी सरकारें चुनी हैं। यह भी देखें : AWARD WINNING FILM : आपके एक वोट की कीमत 

कई बार लोग सरकारों को दोष देते हैं, तो यह भूल जाते हैं कि उन सरकारों को लाने का दोष तो सबसे पहले उनका था। इनमें वह लोग भी होते हैं जो किन्ही कारणों से मतदान नहीं करते। वास्तव में ऐसे लोग सरकारों पर अंगुली उठाने के हकदार ही नहीं होते। इसलिए यदि आप अगले पांच साल हुक्मरानों पर अंगुली उठाने का हक चाहते हैं, तो आज अंगुली उठाएं, और मतदान करें।

मतदान करें तो सर्वप्रथम अपने राज्य का हित देखें। राज्य या देश का हित सर्वोपरि होता है। फिर राज्य के हितों की कसौटी पर पार्टियों या पार्टियों के प्रत्याशियों को परखें, और सोच-समझकर मतदान करें। अपने हित न देखें। क्योंकि आपके हित आपके राज्य के हितों में निहित हैं। राज्य मजबूत होगा तो आपके हितों की पूर्ति स्वयं हो जाएगी। निजी हित न देखें। निजी हितों की पूर्ति करने में तो आप स्वयं समर्थ हैं। निजी हितों की पूर्ति हमेशा स्वयं ही करनी होती है। राज्य या सरकार केवल उसके लिए आपको संरक्षण प्रदान करती हैं। निजी या संकुचित सोच हमेशा हमें संकुचित ही बनाती है। इससे वास्तविक अर्थों में न संकुचित सोच वालों का भला होता है, और न ही राज्य का। एक बार पुनः निवेदन, मतदान करें और अवश्य करें और सोच समझकर व जाति-धर्म की सीमाओं में न सिमटकर, बड़ी सोच के साथ राज्य हित में करें।

रात गई-बात गई, बीती रात्रि की भूलें, नया सवेरा है…
चुनाव की रात आधुनिक राजनीति में कयामत की रात कही जाती है। इस अंधेरी रात्रि क्या-क्या हुआ है, बहुतों को पता है। मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए बीती रात्रि उत्तराखंड की अनेकों विधानसभाओं में जीत की गलत तरीके से जुगत भिड़ाने वाले प्रत्याशी और उनके समर्थक पूरी रात्रि ‘निशाचरों’ की भांति सक्रिय रहे हैं। वे एक रात्रि में अपना भविष्य सुधारना व जनता के भविष्य को बंधक बनाने की कोशिश में लगे रहे। कोई रोया, कोई गिड़गिड़ाया, किसी को अंतिम समय में ईश्वर आए तो किसी ने रुपए, शराब बांटी, और मतदाताओं को भावनात्मक तरीके से, जबरन या अन्यान्य तरीकों से खुद को मतदान करने में लगे रहे।

चुनाव प्रचार तभी तक ठीक है, जब प्रत्याशी संयत तरीके से जनता से मतदान की अपील करें और जनता को बिना किसी भय या प्रलोभन के मतदान करने दें। बहरहाल, कल तक के दिन प्रत्याशियों के थे और आज का दिन मतदाताओं का है। रात गई-बात गई, बीती रात्रि की भूलें, नया सवेरा है। बीती रात्रि मिले प्रलोभन, भावनात्मक अपीलें पांच साल नहीं चलेंगी। प्रलोभनों को भूल, अपनी समझ से, सोच-समझकर मतदान करें। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : देश में हिजाब विवाद के बीच उत्तराखंड में पर्दानशीन महिलाओं सहित विभिन्न वर्गों के लिए मतदान हेतु किए गए हैं विशेष प्रबंध

Uttarakhand Election 2022: चुनाव आयोग के आदेश पर बने 150 आदर्श पोलिंग बूथनवीन समाचार, देहरादून, 13 फरवरी 2022। देश में चल रहे हिजाब संबंधी विवाद से इतर उत्तराखंड में निर्वाचन आयोग पर्दानशीन (बुर्काधारी) महिलाओं, गर्भवती महिलाओं, विकलांगों व वृद्धों आदि को लोकतंत्र के महापर्व में उनका मताधिकार दिलाने के लिए बखूबी प्रबंध कर रहा है।

बताया गया है कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर राज्य में 150 आदर्श पोलिंग बूथ और लैंगिक समानता व महिलाओं की निर्वाचन में भागीदारी निर्धारित करवाने के उद्देश्य से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक-एक तथा 30 अतिरिक्त सहित कुल 100 सखी पोलिंग बूथ स्थापित किये गये हैं। आदर्श पोलिंग बूथों में यथासम्भव मतदाताओं का स्वागत पुष्प गुच्छ या एक-एक फूल से करने जैसी भी सुविधा होगी, किया जाएगा तथा सुविधानुसार रेड कार्पेट की व्यवस्था भी होगी।

उत्तरकाशी जिले में 3, चमोली 3, रुद्रप्रयाग 2, टिहरी 6, देहरादून में 18, हरिद्वार में 19, पौङी गढ़वाल 6, पिथौरागढ़ 4, बागेश्वर 2, अल्मोड़ा 6, चम्पावत 2, नैनीताल 12 और ऊधमसिंह नगर जिले में 17 सखी मतदान केंद्र स्थापित किये गये हैं। इन केन्द्रों में चुनाव के दौरान समस्त मतदान कर्मी, पुलिस व सुरक्षाकर्मी महिला ही तैनात किये गये हैं। पर्दानशीन (बुर्काधारी) महिलाओं के लिये विशेष व्यवस्था की गयी है। इनकी शिनाख्त व उंगली में अमिट स्याही का प्रयोग मतदान अधिकारी द्वारा उनकी सामाजिक भावना, गोपनीयता एवं शिष्टता को ध्यान में रखकर किया जायेगा। गर्भवती महिलाओं के लिये विशेष तौर पर आराम कक्ष बनाया गया है व इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि उन्हें लाइन में न खड़ा होना पड़े।

इसके अलावा राज्य में भवन व सुविधाओं की भौतिक संरचना, पंक्ति प्रबंधन में सुधार और मतदान कर्मियों व स्वयं सेवकों का उचित व्यवहार के तीन मानकों पर 150 आदर्श पोलिंग बूथ स्थापित किये गये हैं। इनमें उत्तरकाशी जिले में 6, चमोली 6, रुद्रप्रयाग 5, टिहरी 10, देहरादून 23, हरिद्वार 24, पौङी गढ़वाल 10, पिथौरागढ़ 8, बागेश्वर 5, अल्मोड़ा 10, चम्पावत 5, नैनीताल 17 और ऊधमसिंह नगर जिले में 21 आदर्श पोलिंग बूथ स्थापित किये गये हैं। इन आदर्श पोलिंग बूथों में साफ-सुथरी दीवारों की पुताई के साथ निर्वाचन सम्बन्धी संदेश के रूप में वॉल पेंटिंग की गई हो। मतदाता कर्मियों व पोलिंग एजेंट्स के लिये गुणवत्तायुक्त फर्नीचर की व्यवस्था की गई है। इन केंद्रों में बिजली (पैट्रोमैक्स का अतिरिक्त प्रबन्ध), महिला व पुरूष के लिये अलग-अलग शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था, प्रतीक्षालय, रैम्प और व्हील चेयर दिव्यांगजनों के लिये सुनिश्चित की गई है। बीएलओ मतदाता सूची के साथ निर्धारित स्थान पर उपलब्ध रहेंगे।

पंक्ति प्रबंधन में सुधार के अंतर्गत पंक्तियों के लिये रस्सियों का प्रयोग होगा। पंक्तियों में खड़े मतदाताओं के लिये स्वयं सेवक, टोकन वितरण व पीने का पानी उपलब्ध करवाया जाएगा। नेत्रहीनध्दुर्बलध्बुजुर्ग एवं गर्भवती तथा धात्री माताओं (स्तनपान कराने वाली) को मतदान के लिये प्राथमिकता दी जायेगी। पंक्ति लम्बी होने पर बुजुर्ग एवं दिव्यांग मतदाताओं हेतु प्रतीक्षालय में बैठने की उचित व्यवस्था की गई है। मतदान कर्मियों व स्वयं सेवकों का उचित व्यवहार सुनिश्चित किया गया है। मतदान कर्मियों की यथासम्भव एक जैसी पोशाक होगी। मतदाताओं से फीडबैक फार्म भरवाया जायेगा। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 फरवरी 2022। जिलाधिकारी-जिला निर्वाचन अधिकारी धीराज गर्ब्याल ने विधान सभा चुनाव को शांतिपूर्ण, निष्पक्ष, पारदर्शिता एवं निर्भीकता के साथ सम्पन्न कराये जाने हेतु मतदान दिवस 14 फरवरी को जिले भर में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है। इसके साथ ही डीएम ने जनपद के समस्त मतदाताओं से लोकतन्त्र के महापर्व में ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाग करते हुए मतदान करने की अपील की है।

उन्होने बताया कि 14 फरवरी सोमवार को मतदान के दौरान जिले के सभी सरकारी, गैर सरकारी प्रतिष्ठान एवं कल कारखानों, शैक्षिणक संस्थानों, अर्द्ध-निकायों, कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत कार्यरत कारीगरों, मजदूरों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों एवं दुकानों में कार्यरत, मजदूरों के लिए अवकाश रहेगा। साथ ही सभी बैंक, कोषागार व उपकोषागार भी बंद रहेंगे।

इधर नैनीताल के संयुक्त मजिस्ट्रेट रिटर्निंग ऑफिसर प्रतीक जैन ने बताया कि चुनाव के दृष्टिगत शनिवार 12 फरवरी की शाम 6 बजे तक ही प्रचार-प्रसार की अनुमति दी जायेगी। इसके उपरांत ‘कूलिंग ऑफ डे’ प्रभावी हो जायेगा एवं सभी मतदान केंद्रों के 200 मीटर की परिधि में धारा 144 लागू हो जाएगी। आगे मतदान के दिन मतदान केंद्र के 200 मीटर की परिधि में किसी भी तरह की प्रचार सामग्री का प्रयोग दण्डनीय अपराध माना जायेगा।

श्री जैन ने शुक्रवार को तीसरा रैण्डामाइजेशन कर चुनाव पार्टियों को मतदान केंद्र आवंटित कर दिए गए। उन्होंने बताया क 14 फरवरी को प्रातः 8 बजे से सायं 6 बजे तक मतदान होगा। उन्होंने बताया कि नैनीताल विधानसभा में तीन मॉडल बूथ एशडेल मल्लीताल, शैले हॉल तथा लोनिवि डाक बंगला भवाली में व दो सखी बूथ सीआरएसटी मल्लीताल व नर्सरी स्कूल मॉल रोड में बनाये जा रहे हैं। मतदान कार्मिक एमबीपीजी हल्द्वानी में 12 व 13 फरवरी को पोस्टल बैलेट के माध्यम से अपना मतदान कर सकते हैं।

13 फरवरी को सभी पोलिंग पार्टियां एमबीपीजी कॉलेज से प्रातः 8 बजे से अपने मतदान केंद्रों को प्रस्थान करेंगे। श्री जैन ने बताया कि बुजुर्ग एवं दिव्यांगजनों के लिए कुली व खच्चरों की व्यवस्था समाज कल्याण विभाग द्वारा की जा रही है। सभी मतदान केंद्रों में रैम्प की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में बर्फबारी होने से मतदान केंद्र तक पहुंचने के मार्ग अवरूद्व हुये हैं उनको सुचारू करने हेतु कार्यदायी संस्थाओं को निर्देशित कर दिया गया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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-संजीव सबसे पढ़े लिखे, हेम सबसे अमीर, सरिता सबसे अनुभवी व बसपा प्रत्याशी सबसे गरीब
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 फरवरी 2022। कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य 43 वर्ष के हैं। उन्होने बी कॉम आनर्श, एमबीए व आईआईपीएम किया है। उन्होंने नैनीताल के बिड़ला विद्या मंदिर से 1996 में इंटरमीडिएट तथा श्रीराम कॉलेज से 1999 में बीकॉम ऑनर्स किया है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ने अपने शपथ पत्र में खुद को डीएसबी विश्वविद्यालय नैनीताल से बीए बताया है। अलबत्ता बताना समीचीन है कि नैनीताल में डीएसबी विश्वविद्यालय नहीं बल्कि कुमाऊं विश्वविद्यालय का डीएसबी परिसर है।

सरिता आर्य

वहीं शपथ पत्र के अनुसार 61 वर्षीय सरिता आर्या ने 1977 में राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भवाली से हाईस्कूल उत्तीर्ण किया हैं। उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी ओम प्रकाश भी राजकीय इंटर कॉलेज मंगोली से वर्ष 1992 में हाईस्कूल उत्तीर्ण हैं। जबकि हल्द्वानी निवासी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी राजकमल सोनकर लक्ष्मी शिशु मंदिर बरेली रोड हल्द्वानी से 7वीं कक्षा उत्तीर्ण हैं। वहीं सबसे धनी प्रत्याशियों की बात करें तो आआपा प्रत्याशी हेम आर्य सर्वाधिक संपत्ति के मालिक हैं, जबकि बसपा प्रत्याशी सबसे गरीब हैं।

अलबत्ता राजनीतिक अनुभव की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य सबसे अनुभवी हैं। वह नैनीताल नगर पालिका की अध्यक्ष व नैनीताल की विधायक रह चुकी हैं, तथा सात वर्षों तक महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वहीं संजीव आर्य निवर्तमान विधायक होने के साथ मंडी परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं। उक्रांद प्रत्याशी ग्राम प्रधान रहे हैं। आप व बसपा प्रत्याशी प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी राजनीतिक पद पर नहीं रहे हैं। वह आज तक कोई चुनाव जीते भी नहीं हैं।

हेम आर्य सबसे अमीर, बसपा प्रत्याशी सबसे गरीब

हेम आर्य।

आआपा प्रत्याशी हेम आर्य ने अपने शपथ पत्र में खुद के पास 23.48 लाख एवं पत्नी नीमा आर्य के पास 5.47 लाख की चल संपत्ति तथा खुद के पास जिलिंग स्टेट में करीब 13.5 करोड़ रुपए मूल्य की 178 नाली भूमि सहित 14.5 करोड़ एवं पत्नी के पास 2 करोड़ रुपए यानी कुल करीब 17 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई है। अलबत्ता उन्होंने इस वर्ष करीब 4.85 लाख की आयकर विवरिणी भरी है। हेम पर 16.5 लाख के कार एवं कृषि लोन भी हैं।

उक्रांद प्रत्याशी ओम प्रकाश

वहीं कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य के शपथ पत्र के अनुसार उनके पास कुल 2.43 करोड़ व पत्नी के पास 42.73 लाख की चल संपत्ति एवं खुद के पास 3.35 करोड़ व पत्नी के पास 2.32 करोड़ की अचल संपत्तियां हैं। जबकि भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य के पास भूमियाधार में पांच लाख रुपए मूल्य का आवासीय भवन जबकि बड़े बेटे के पास वर्ष 2010 में खरीदी गई वर्तमान के बाजार मूल्य के अनुसार 50 लाख की अचल संपत्ति है। कोई वाहन इत्यादि भी नहीं हैं। नगदी भी खुद के पास केवल 15 हजार एवं दो बेटों के पास 5-5 हजार रुपए की और बैंक खातों में करीब 22 हजार रुपए ही जमा हैं।

बसपा प्रत्याशी राजकमल सोनकर

जबकि उक्रांद प्रत्याशी ओम प्रकाश के पास 7.23 लाख व पत्नी के पास 1.91 लाख की चल एवं ग्राम गहलना में 8 नाली विरासतन एवं 7.2 लाख में खरीदी हुई वर्तमान में करीब 64 लाख रुपए की 64 नाली सहित कुल 72 लाख रुपए मूल्य की अचल संपत्ति है। उन पर 7.78 लाख का बैंक ऋण भी है। वहीं बसपा प्रत्याशी राजकमल सोनकर हल्द्वानी के गांधी नगर वार्ड संख्या एक निवासी हैं। उनके पास ग्राम गहलना पट्टी खुर्पाताल में भी उनकी कृषि भूमि है। राजकमल कुल 50 हजार 800 रुपए की चल एवं पांच लाख रुपए मूल्य के पैतृक घर की संपत्ति के मालिक हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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नवीन समाचार, देहरादून, 31 जनवरी 2022। नाम वापसी के बाद उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों के लिए नामांकन कराने वाले कुल 750 दावेदारों में से 632 प्रत्याशी चुनाव मैदान में रह गए हैं। इससे पहले से 23 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र जांच के दौरान खारिज कर दिए गए थे। जबकि नामांकन वापसी के दिन सोमवार को राज्यभर में कुल 95 दावेदारों ने अपने नामांकन वापस ले लिए।

सोमवार को नाम वापसी के दिन देहरादून जिले में सर्वाधिक 24, टिहरी जिले में पांच, नैनीताल में नौ, यूएस नगर में 13, अल्मोड़ा में छह, पिथौरागढ़ में तीन, बागेश्वर में तीन, चम्पावत में एक, हरिद्वार में 17, उत्तरकाशी में चार, पौड़ी में पांच, चमोली में तीन और रुद्रप्रयाग जिले में दो दावेदारों ने नाम वापस लिए। इसके बाद राज्य में नैनीताल जिले की नैनीताल, पौडी की यमकेश्वर और टिहरी के देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से सबसे कम पांच-पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। जबकि राज्य में देहरादून जिले की धर्मपुर विधानसभा सीट पर सर्वाधिक 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में रह गए हैं। नैनीताल जनपद की 6 विधानसभाओं में कुल 58 पुरुष व 5 महिलाओं सहित 63 प्रत्याशी चुनाव मैदान में रह गए हैं। 

राज्य में मतदाताओं की स्थिति पर एक नजर
चुनाव आयोग के अनुसार विधानसभा चुनावों के लिए राज्य में कुल 82 लाख 37 हजार 913 मतदाता है। जिसमें से 42 लाख 24 हजार 288 पुरुष जबकि 39 लाख 19 हजार 334 महिला मतदाता हैं। इनमें कुल 93 हजार 964 हैं सर्विस वोटर हैं। यह मतदाता राज्य में कुल 11 हजार 647 पोलिंग बूथों पर आगामी 24 फरवरी को मतदान करेंगे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नैनीताल से सभी नामांकन पत्र स्वीकृत, निर्दलीय लड़ सकते हैं आआपा के दो प्रत्याशी !

उत्तराखंड समाचार: 2014डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 29 जनवरी 2022। आसन्न विधानसभा चुनाव में नैनीताल विधानसभा से नामांकन करने वाले सभी सात प्रत्याशियों के नामांकन पत्र जांच में सही पाए गए हैं। रिटर्निंग ऑफिसर प्रतीक जैन के दिशा निर्देशन में सहायक रिटर्निंग ऑफिसर नवाजिश खलीक व उनके साथ लगी टीमों द्वारा शनिवार को की गई नामांकन पत्रों की जांच के बाद यह बात कही गई।

बताया गया कि कांग्रेस पार्टी से संजीव आर्या, भाजपा से सरिता आर्या, आम आदमी पार्टी से भुवन चंद्र, मीनाक्षी आर्या व हेम आर्य, उक्रांद से ओम प्रकाश तथा बसपा से राजकमल सोनकर के द्वारा जमा कराए गए नामांकन पत्रों में कोई कमी नही पाई गई है।रिटर्निंग ऑफिसर श्री जैन ने बताया कि पूर्व में आप पार्टी के दो प्रत्याशियों भुवन चंद्र व मीनाक्षी आर्या द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किया गया था। लेकिन वह आम आदमी पार्टी से ना खड़े होकर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। आगे प्रत्याशी चाहें तो 31 जनवरी तक अपना नाम वापस ले सकते हैं।

इधर आम आदमी पार्टी के पूर्व में घोषित प्रत्याशी डॉ. भुवन आर्य ने कहा कि नामांकन करने के बाद उनका टिकट क्यों काटा गया, उन्हें नहीं पता है। इस बारे में शीर्ष नेतृत्व से न ही उन्हें कोई जानकारी दी गई है, और न ही उनका कोई संपर्क हुआ है। अगले दो दिनों में वह निर्दलीय चुनाव लड़ने या न लड़ने पर कोई निर्णय लेंगे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : भाजपा की विधानसभा प्रत्याशी सरिता आर्य के जाति प्रमाण पत्र का मामला निस्तारित

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 28 जनवरी 2022। रिटर्निंग ऑफीसर प्रतीक जैन ने नैनीताल से भाजपा की विधानसभा प्रत्याशी सरिता आर्य के जाति प्रमाण पत्र पर की गई आपत्ति को निस्तारित कर दिया है। श्री जैन के हवाले से तहसीलदार नवाजीश खलीक ने बताया कि श्रीमती आर्य को जन्म से ही अनुसूचित जाति के परिवेश में रहने के आधार पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है। देखें सरिता आर्य की जाति प्रमाण पत्र की जांच रिपोर्ट : Sarita Arya Jati praman Patra mamla

उनके प्रमाण पत्र में पिता का नाम अंकित न होने व मां व पति का नाम अंकित होने को लेकर भी आपत्ति थी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में माता का नाम प्रमाण पत्र में अंकित करना अनिवार्य है। श्रीमती आर्य ने यह प्रमाण पत्र अपने विवाह के उपरांत बनाया था। कोई भी शादीशुदा महिला चाहे तो वह अपने अभिलेखों में पति का नाम अंकित करा सकती है।

उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की रूलिंग भी है कि यदि कोई व्यक्ति साबित करता है कि वह बचपन से अनुसूचित परिवेश में ही रहा है तो उसे अनुसूचित जाति का माना जा सकता है। यदि कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति किसी सवर्ण जाति के बच्चे को गोद लेता है और अपने परिवेश में ही रखता है, तो उसे भी अनुसूचित जाति का लाभ मिल सकता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य ने एक एवं आप प्रत्याशी ने 10 प्रस्तावकों संग नामांकन कराया

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 जनवरी 2022। भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी सरिता आर्य एवं आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी डॉ. भुवन चंद्र ने शुक्रवार को अपना नामांकन करा लिया। अपने नामांकन पत्र के साथ सरिता ने भाजपा का सिंबल प्रस्तुत किया। नामांकन के दौरान उनके साथ प्रस्तावक के रूप में पार्टी के नगर महासचिव मोहन नेगी एवं कानूनी सलाहकार के रूप में पूर्व जिला महासचिव दया किशन पोखरिया मौजूद रहे। नामांकन के उपरांत कक्ष से बाहर आकर श्रीमती आर्य ने अपनी जीत के प्रति विश्वास जताया और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ विजय चिन्ह बनाया।
उनके बाद आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भुवन चंद्र ने पार्टी के राज्य में पंजीकृत न होने की वजह से 10 प्रस्तावकों प्रदीप दुम्का, देवेन्द्र लाल, शाकिर अली, महेश आर्या, मो. शान बुरहान, सुनील कुमार, विद्या देवी, प्रमोद सहदेव व सनी सिलेलान के साथ नामांकन कराया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : भाजपा के एक और दावेदार हेम आर्य ने लिया नामांकन पत्र

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 जनवरी 2022। भाजपा के एक और दावेदार हेम आर्य ने भी मंगलवार को नामांकन पत्र ले लिया है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भाजपा की घोषित प्रत्याशी सरिता आर्य के साथ ही एक अन्य दावेदार दिनेश आर्य भी नामांकन पत्र ले चुके हैं। अलबत्ता, अभी तीनों में से किसी ने भी नामांकन नहीं कराया है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा की प्रत्याशी सरिता आर्य की जाति को लेकर एक बार फिर विवाद उठा है। इसके बाद भाजपा के दावेदारों में फिर से उम्मीद जगी है। बताया जा रहा है कि हेम आर्य ने इसी कारण से नामांकन पत्र लिया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य ने कराया नामांकन

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 जनवरी 2022। नैनीताल विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में संजीव आर्य ने अपना नामांकन करा लिया है। मंगलवार सुबह नगर की आराध्य देवी माता नयना के मंदिर में आशीर्वाद लेने के बाद अपराह्न संजीव पार्टी के जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल, नगर अध्यक्ष अनुपम कबडवाल, डॉ. हरीश बिष्ट व नवीन पंत आदि प्रस्तावकों के साथ जिला कलक्ट्रेट परिसर स्थित नामांकन कार्यालय पहुंचे एवं रिटर्निंग ऑफीसर एसडीएम प्रतीक जैन को नामांकन पत्र सोंपे।

इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं की नगर के मल्लीताल स्थित एक होटल में बैठक भी आयोजित हुई, जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं ने फूल माला पहनाकर संजीव का स्वागत किया और उनकी जीत को ऐतिहासिक बनाने का संकल्प लिया। इस मौके पर रुचिर साह, खुशाल हाल्सी, अमित साह, गोपाल बिष्ट, राजेश वर्मा व मंजू बिष्ट आदि पार्टी कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कांग्रेस व आप प्रत्याशियों ने खरीदे नामांकन पत्र

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 24 जनवरी 2022। नैनीताल विधानसभा से आसन्न विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सोमवार को दो नामांकन पत्र लिए गए। पहला नामांकन पत्र ग्राम डोनी तल्ली पोस्ट ऑफिस पहाड़पानी तहसील धारी नैनीताल निवासी भुवन चंद्र पुत्र स्वर्गीय चनी राम ने स्वयं के लिए एवं दूसरा रवि बिष्ट पुत्र नारायण सिंह बिष्ट निवासी ग्राम बल्दियाखान पोस्ट ऑफिस पटवाडांगर नैनीताल ने कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी संजीव आर्य पुत्र यशपाल आर्य निवासी छड़ायल सुयाल मानपुर पश्चिम हल्द्वानी नैनीताल प्रतिनिधि के तौर पर खरीदा।

उल्लेखनीय है कि भुवन चंद्र आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हैं। वहीं पूर्व में भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य, भाजपा के ही दिनेश आर्य, नगारी गांव निवासी दिनेश चंद्र व गहलना निवासी ओमप्रकाश सहित कुल 4 प्रत्याशियों एवं उनके प्रतिनिधियों ने नामांकन पत्र खरीदे हैं, अलबत्ता अभी तक किसी भी प्रत्याशी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया है। इधर बताया गया है कि आप प्रत्याशी भुवन चंद्र मंगलवार 25 जनवरी को जबकि भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य 27 जनवरी को नामांकन करेंगी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : ऐतिहासिक विधानसभा में प्रत्याशी वही पर पार्टियां बदलीं, कई मिथक भी दांव पर

-राज्य बनने के बाद हर बार बदलती रही है विजेता पार्टी और विधायक, जो जीतता है-हमेशा सत्ता में रहता है
-बंशीधर भगत के बाद मंत्री नहीं बना कोई भी विधायक
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 जनवरी, 2021। देश-प्रदेश की प्रतिष्ठित व ऐतिहासिक नैनीताल विधानसभा में राज्य बनने के बाद हर विधानसभा चुनाव में कभी भी कोई पार्टी व कोई प्रत्याशी लगातार दूसरी बार व दो बार नहीं जीत पाया है। अलबत्ता यह जरूर हुआ है कि नैनीताल का कोई भी विधायक विपक्ष में नहीं बैठा है। यह रिकॉर्ड राज्य बनने से पूर्व से बरकरार है। जबकि राज्य बनने के बाद नैनीताल का केवल एक ही विधायक मंत्री बन पाया है, और वह भी राज्य बनने से पूर्व जीतकर। राज्य बनने के बाद नैनीताल का कोई भी विधायक राज्य में मंत्री नहीं बन पाया है। अलबत्ता, इस बार पहली बार नैनीताल विधानसभा में यह रोचक स्थिति है कि प्रत्याशी पिछले ही हैं, परंतु एक-दूसरे के दलों से। अब देखने वाली बात होगी कि इस बार इनमें से कितने मिथक आगामी विधानसभा चुनाव में टूटते हैं, या बरकरार रहते हैं।

उत्तराखंड बनने से पूर्व लगातार चार बार बंशीधर भगत नैनीताल विधानसभा से भाजपा के विधायक रहे। इस कारण ही राज्य की अंतरिम विधानसभा में वह मंत्री बने। अब तक वह ही नैनीताल के अंतिम विधायक होने का थामे हुए हैं, जो मंत्री बने। राज्य बनने के बाद 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में डॉ. नारायण सिंह जंतवाल उत्तराखंड क्रांति दल के टिकट पर लड़ते हुए 2347 मतों के अंतर से जीते। आगे 2007 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खड़क सिंह बोहरा ने जंतवाल को कांटे के मुकाबले में मात्र 367 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट जीती।

2012 में नैनीताल के अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो जाने के बाद हुए पहले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हेम आर्य को कांग्रेस प्रत्याशी सरिता आर्य से 6308 वोटों के अंतर से हारना पड़ा और सीट 23 वर्षों के बाद कांग्रेस के खाते में चली गई। आगे 2017 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सरिता आर्य को भाजपा प्रत्याशी संजीव आर्य ने 6308 वोटों के अंतर से हराया। तब संजीव को 30 हजार 36 व सरिता आर्य को 22 हजार 789 वोट मिले। अब 2022 के चुनाव में संजीव आर्य भाजपा से कांग्रेस और सरिता आर्य कांग्रेस से भाजपा में आकर आमने-सामने हैं तो दोनों के समक्ष ही अपनी जीत के साथ कई मिथक तोड़ने व बनाए रखने की चुनौती भी होगी।

विकास की बात करं तो पिछले 15 वर्षों से अनुसूचित जाति के कोटे की इस सीट में पर्यटन नगरी व पर्यटन से जुड़ा क्षेत्र होने के बावजूद राज्य बनने के 21 वर्षों में चारों विधायक विधानसभा मुख्यालय को एक बड़ी पार्किंग, पर्यटन का एक भी कोई बड़ा आयाम, कोई भी बड़ा विकास कार्य नहीं दिला पाए हैं। जबकि नगर की समस्याएं भी सीवर लाइन व नगर के आधार बलियानाला में जारी भूस्खलन की तरह बढ़ती जा रही हैं। जबकि निकटवर्ती गांवों की स्थिति भी ‘दीपक तले अंधेरा’ जैसी है। जहां दूर-दराज के गांवों तक सड़क पहुंचाने के दावे किए जाते हैं, जमीरा व गैरीखेत सरीखे नगर के कई निकटवर्ती गांवों के लोग आज भी पांच किलोमीटर तक पैदल चलने को मजबूर हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : तो भाजपा ने इसलिए बनाया सरिता आर्य को नैनीताल से प्रत्याशी !

-भाजपा राज्य की दूसरी विधान सभाओं के साथ उत्तर प्रदेश व पंजाब में कर सकती है सरिता का सदुपयोग
डॉ. नवीन जोशी, नैनीताल। भाजपा ने नैनीताल विधान सभा सीट पर कांग्रेस से गत दिवस भाजपा में आई सरिता आर्य को टिकट दे दिया है। उन्हें टिकट मिलने के पीछे उनकी बड़ी राजनीतिक प्रोफाइल आधार मानी जा रही है।

सरिता आर्य

सरिता देश की दूसरे नंबर की सबसे पुरानी व प्रतिष्ठित नैनीताल नगर पालिका की पहली महिला पालिका अध्यक्ष व नैनीताल में कांग्रेस पार्टी को 23 वर्षों के बाद सत्ता में लौटाने वाली पहली महिला विधायक के साथ पिछले सात वर्षों से महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रही हैं। उन्होंने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व सोनिया गांधी के बाद दूसरे नंबर की महिला नेत्री प्रियंका गांधी को उनके यूपी के चुनाव की रणनीति के सबसे बड़े नारे ‘लड़की हूं-लड़ सकती हूं’ को चुनौती दी है।

वह कुमाउनी के साथ सिख समुदाय से भी आती हैं। इस लिहाज से भाजपा उनका इस्तेमाल नैनीताल सीट के साथ ही उत्तराखंड की अन्य सीटों पर महिलाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए और कांग्रेस पार्टी को महिलाओं के मुद्दे पर सीधे घेरने-चुनौती देने के लिए इस्तेमाल कर सकती है। उनका उपयोग यूपी के साथ पंजाब के चुनाव में भी पार्टी कर सकती है।

मुकाबला लगातार दूसरी बार संजीव व सरिता के बीच !
नैनीताल। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से कांग्रेस से आए संजीव आर्य और कांग्रेस से सरिता आर्य आमने-सामने थे, जबकि इस बार भाजपा से कांग्रेस में गए संजीव आर्य व कांग्रेस से भाजपा में आई सरिता आर्य के बीच ही मुकाबला होना तय है। अंतर सिर्फ इतना है, दोनों इस बार विरोधी पार्टियों से होंगे। नैनीताल के भाजपा कार्यकर्ताओं ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से भाजपा में आए संजीव आर्य को चुनाव लड़ाया। संजीव ने खुद भी कांग्रेस पार्टी से कई जनप्रतिनिधियों एवं समाज में प्रतिष्ठित स्थान रखने वाले लोगों को भाजपा से जोड़कर सात हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।

संजीव को इस चुनाव में 30 हजार 36 व सरिता को 22 हजार 789 तथा निर्दलीय के रूप में हेम आर्य को 5,505 वोट मिले थे। इससे पूर्व 2012 के चुनाव में सरिता आर्य ने 25 हजार 563 वोट हासिल कर भाजपा के हेम आर्य को 6308 वोटों के अंतर से हराया। लेकिन सरिता आर्य की कमजोरी यह है कि उनके साथ अब तक एक भी स्थानीय कार्यकर्ता, किसी जनप्रतिनिधि ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में नहीं आए हैं, और इसकी संभावना भी कम लग रही है।

तब टिकट की घोषणा के दिन शामिल हुए थे संजीव को अब तीन दिन पूर्व शामिल सरिता को टिकट
नैनीताल। इसे नैनीताल के भाजपा कार्यकर्ताओं व खासकर चुनाव में खुद को प्रत्याशी मानने वाले कार्यकर्ताओं की कमजोरी माना जाए या पार्टी नेतृत्व की मनमानी, 2017 के चुनाव से ठीक पहले 16 जनवरी 2017 को संजीव आर्य अपने पिता यशपाल आर्य के साथ भाजपा में शामिल हुए थे, और दोनों पिता-पुत्र को इसी दिन नैनीताल लोक सभा की दोनों अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नैनीताल व बाजपुर विधानसभा सीटों से टिकट मिल गए थे।

इस बार भी सरिता आर्य ने 17 जनवरी को कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और 20 जनवरी को उन्हें टिकट मिलने की घोषणा हो गई है। ऐसे में भाजपा के कार्यकर्ता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। इसकी बानगी यह है कि सरिता एक महिला नेत्री हैं, फिर भी सबसे पहले भाजपा की महिला मोर्चा ने उनका विरोध दर्ज कराया है। दूसरे उनका घर भवाली मंडल के अंतर्गत निकटवर्ती भूमियाधार मंडल में है, और भवाली मंडल ने भी उनका विरोध किया है। अब शुक्रवार को भाजपा के अन्य दावेदार भी उनके विरुद्ध कोई घोषणा कर सकते हैं। उनके भाजपा से प्रत्याशी घोषित होने पर जहां भाजपा की ओर से किसी तरह के उत्साह का समाचार नहीं है, वहीं कांग्रेस राहत महसूस कर रही है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड चुनाव : भाजपा-कांग्रेस में ‘पहले आप-पहले आप’, सपा ने घोषित किए टिकट, जानें भाजपा-कांग्रेस कब करेंगे टिकटों की घोषणा…

नवीन समाचार, देहरादून, 16 जनवरी 2022। उत्तराखंड के आसन्न विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों-भाजपा और कांग्रेस की ओर से टिकटों की घोषणा में और विलंब हो सकता है। बताया जा रहा है कि दोनों पार्टियां ‘लखनऊ स्टाइल’ में ‘पहले आप-पहले आप’ खेल रही हैं, और अब माना जा रहा है कि दोनों पार्टियां 21 जनवरी को नामांकन शुरू होने तक टिकट के लिए एक-दूसरे का धैर्य टूटने का इंतजार कर सकती हैं। ऐसे में दोनों पार्टियां 20 जनवरी तक टिकट घोषित न करें तो आश्चर्य नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि दोनों टिकटों की घोषणा होने पर अपने नाराज कार्यकर्ताओं को टिकट लड़ने या पाला बदल करने और अपना टिकट घोषित करने के बाद दूसरे दल को अपनी रणनीति बदलने का मौका नहीं देना चाहते।

इधर रविवार को आप यानी आम आदमी पार्टी के बाद समाजवादी पार्टी ने भी टिकट घोषित कर दिए हैं। सपा ने प्रदेश के 11 जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और उत्तराखंड प्रभारी राजेन्द्र चौधरी ने सूची जारी करते हुए बताया कि धर्मपुर विधानसभा सीट पर मो नासिर, कैंट से डॉ. राकेश पाठक, उत्तरकाशी की पुरोला से चैन सिंह और गंगोत्री से पंडित विजय बहुगुणा, चमोली जिले में बदरीनाथ, थराली और कर्णप्रयाग विधानसभा सीटों से विरेंद्र कैरूनी, किशोर कुमार और गजेंद्र सिंह, पौड़ी जिले में यमकेश्वर, पौड़ी, श्रीनगर, चौपटाखाल और लैंसडाउन विधानसभा सीटों पर विपिन बड़ोनी,

राजेंद्र प्रसाद, सुभाष नेगी, जयप्रकाश टम्टा, और संदीप रावत, पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, डीडीहाट, पिथौरागढ़, और गंगोलीहाट से मनोज प्रसाद, सुरेंद्र सिंह गुरुंग, रमेश बिष्ट व गोपाल दास, बागेश्वर जिले के कपकोट और बागेश्वर से हरिराम शास्त्री और लक्ष्मी देवी, अल्मोड़ा जिले की द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, सोमेश्वर, अल्मोड़ा, जागेश्वर से गणेश कांडपाल, मुकेंद्र, सुनीता, बलवंत आर्य, अर्जुन सिंह और रमेश सनवाल, चंपावत जिले की लोहाघाट से मोहम्मद हारून, नैनीताल जिले की हल्द्वानी व कालादूंगी विधानसभा सीट पर सुऐब अहमद और राजेंद्र कुमार वालिया, ऊधमसिंह नगर जिले की काशीपुर और बाजपुर सीटों से सरदार बलजिंदर सिंह और मनीषा तथा हरिद्वार जिले की रुड़की से राजा त्यागी तथा देहरादून की धरमपुर से मो. नासिर व देहरादून कैंट से डॉ. राकेश पाठक को टिकट दिया गया है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : राजनीतिक दलों को 36 दिन में 36 का आंकड़ा छूने को साधने होंगे 82.47 लाख भाग्यविधाता

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 9 जनवरी 2022। आज से 36 दिन बाद 14 फरवरी को जब देश-दुनिया के लोग अपने प्रेमियों के करीब हो वैलेंटाइन डे मना रहे होंगे, इस अवधि में उत्तराखंड के राजनीतिक दलों के लिए 70 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी 36 का आंकड़ा प्राप्त करने के लिए 1 जनवरी 2022 को 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके 82 लाख 47 हजार 886 मताधिकार प्राप्त वयस्कों को साधने की चुनौती होगी। इस दौरान राज्य के मतदाता अगले पांच वर्षों के लिए अपने भाग्यविधाताओं को चुनने के लिए खुद भाग्यविधाता की भूमिका में होंगे। आइए देखते हैं कि आगामी चुनाव में राज्य एवं इसके 13 जनपदों में मतदाताओं की संख्या संबंधी आंकड़े कैसे हैं।

गत 5 जनवरी 2022 को तैयार की गई निर्वाचक सूची अनुसार राज्य में 81 लाख 43 हजार 922 सामान्य मतदाता व 93 हजार 964 सर्विस मतदाता यानी कुल 82 लाख 47 हजार 885 मतदाता आगामी विधानसभा चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करेंगे। निर्वाचन आयोग ने राज्य में मतदाताओं की सुविधा के लिए पूर्व में मतदेय स्थलों की संख्या पिछली बार के 11 हजार 24 को बढ़ाकर 11 हजार 647 कर दिया है। मतदेय स्थलों की संख्या चंपावत जिले में सबसे कम 333, रुद्रप्रयाग में 361, बागेश्वर जिले में 376, उत्तरकाशी जिले में 539, चमोली में 574, पिथौरागढ़ में 599, अल्मोड़ा में 911, पौड़ी में 944, टिहरी में 951, नैनीताल में 1005, ऊधमसिंह नगर में 1465 हरिद्वार में 1716 व देहरादून में सर्वाधिक 1873 हो गई है। उल्लेखनीय है कि राज्य में 80 वर्ष की आयु पार कर चुके 68 हजार 428 पुरुष और 90 हजार 312 महिला मतदाता हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

उत्तराखंड चुनाव का कार्यक्रम:

  • नामांकन की अधिसूचना जारी होगी: 21 जनवरी को, इसी दिन से नामांकन पत्रों की बिक्री व नामांकन पत्र जमा हो सकेंगे।
  • नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख: 28 जनवरी
  • नामांकन पत्रों की जांच 29 जनवरी को होगी।
  • नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख: 31 जनवरी इसके बाद अंतिम तौर पर प्रत्याशियों की सूची जारी होगी व निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित होंगे।
  • मतदान: 14 फरवरी को होगा।

जिला पुरुष महिला अन्य सर्विस मतदाता
उत्तरकाशी 120924 114500 03 3388
चमोली 152551 146161 03 10396
रुद्रप्रयाग 95344 973778 02 5388
टिहरी 271623 258237 05 5753
देहरादून 776135 705658 81 9805
हरिद्वार 751231 665660 135 2179
पौड़ी 295006 282102 09 16170
पिथौरागढ 190844 190736 01 14591
बागेश्वर 109930 106834 01 4607
अल्मोड़ा 276063 262762 01 7228
चंपावत 106090 97061 00 3028
नैनीताल 4031124 369777 11 5423
ऊधमसिंह 675423 622468 48 5494

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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 8 जनवरी 2022। उत्तराखंड में दूसरे चरण में 14 फरवरी (याद रखने के लिए वैलेंटाइन डे) को विधान सभा चुनाव होगे। शनिवार अपराह्न साढ़े तीन बजे नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने इस बारे में जानकारी दी। इसके साथ राज्य में शनिवार शाम से ही चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। देखें चुनाव आयोग की विस्तृत प्रेस पत्रकार वार्ता:

चुनाव आयोग द्वारा की गई घोषणा के अनुसार राज्य में चुनाव में मतदान एक चरण में 14 फरवरी को होगा, जबकि 10 मार्च को मतगणना के उपरांत चुनाव परिणामों की घोषणा की जाएगी। इससे पहले राज्य में जनवरी माह में नामांकन की प्रक्रिया होगी। 21 जनवरी को अधिसूचना होगी जारी, 28 जनवरी को नामांकन की अंतिम तिथि होगी। 29 जनवरी को नामांकन पत्रों की जाँच की जाएगी जबकि 31 जनवरी नामांकन वापसी की अंतिम तारीख होगी। 16 जनवरी को चुनाव कार्यक्रम की पुर्नसमीक्षा की जाएगी। मतदान के लिए एक घंटा अतिरिक्त समय दिया जाएगा।

चुनाव प्रचार के दौरान रैलियों-नुक्कड़ सभाओं आदि पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इनके लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होगी, और प्रशासन स्थितियों को देखकर ही इनकी अनुमति देगा। प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर संबंधित प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चुनाव के बाद भी चुनाव आचार संहिता करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। सभी 70 विधानसभा सीटों पर सुरक्षा बलों की मौजूदगी में आयोग की ओर से चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने माना कि उत्तराखंड में फरवरी माह में बर्फबारी की संभावनाओं के बीच चुनाव कराना चुनौती होगा। जीत के बाद विजय जुलूस पर भी प्रतिबंध रहेगा।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च को समाप्त हो रहा है। श्री चंद्रा ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मतदाताओं की कोविड से सुरक्षा के साथ पूर्ण रूप से पारदर्शी व निश्पक्ष तरीके से चुनाव कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड्स की जानकारी चुनाव प्रक्रिया के दौरान तीन बार सार्वजनिक की जाएगी। राजनीतिक पार्टियों को जानकारी देनी होगी कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को क्यों टिकट दिया गया।

आयोग चुनाव में धनबल के प्रयोग एवं सरकारी मशीनरी का प्रयोग न हो पाना भी सुनिश्चित करेगा। सुविधा एप के माध्यम से प्रत्याशी और राजनीतिक पार्टियां विभिन्न अनुमतियां ले सकेंगे। साथ ही ‘सी विलिल’ एप का भी उपयोग किया जाएगा। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति ‘जनभागीदारी’ करते हुए चुनाव में धन-बल के दुरुपयोग की जानकारी आयोग तक पहुंचा सकेगा। चुनाव की घोषणा के बारे में विस्तृत जानकारी भी इसी लिंक पर दी जाएगी। इसके लिए इस लिंक को रिफ्रेश करते रहें।

चुनाव की प्रक्रिया में शामिल सभी कर्मचारियों को कोरोना के दोनों टीकों के साथ बूस्टर डोज भी लगाई जाएगी तथा उन्हें ‘प्रथम पंक्ति के कोरोना योद्धा’ माना जाएगा। सभी मतदान केंद्रों को पूर्ण रूप से सेनिटाइज किया जाएगा। 15 जनवरी तक कोई भी भौतिक रूप से चुनाव रैली, पदयात्रा निकाली जा सकेगी। राजनीतिक पार्टियों से पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान भी राजनीतिक दलों से वर्चुअल माध्यम से चुनाव प्रचार करने को कहा गया है। घर-घर दस्तक यानी डोर-टु-डोर कैंपेन में पांच कार्यकर्ताओं को भी अनुमति होगी। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 29 दिसंबर 2021। उत्तराखंड में आगामी आगामी विधानसभा चुनाव को स्थगित करने को लेकर याचिका दायर की गई है। इस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई आगामी तीन जनवरी को होगी। उल्लेखनीय है कि गत दिवस इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से चुनाव आयोग से चुनाव स्थगित करने व रैलियों पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल आगामी मार्च में समाप्त हो रहा है, लिहाजा उससे पहले विधानसभा चुनाव किए जाने प्रस्तावित हैं। हालांकि इस हेतु अभी घोषणा नहीं हुई है। इसी बीच अधिवक्ता शिव भट्ट ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में सचिदानन्द डबराल व अन्य बनाम भारत सरकार से संबंधित विचाराधीन जनहित याचिका में पारित आदेशों का जिक्र करते हुए तथा विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा कोविड नियमों का अनुपालन किए बिना की जा रही रैलियों की तस्वीरें संलग्न कर एक प्रार्थना पत्र दिया है। उनका कहना है कि इन रैलियों में हो रहे कोविड के नियमों के उल्लंघन से राज्य में कोरोना संक्रमण फैलने की पूरी आशंका है।

खासकर कोरोना के नए, अन्य संस्करणों की तुलना में 300 प्रतिशत से अधिक तेजी से फैलने वाले बताए जा रहे ओमिक्रॉन से राज्यवासियों के जीवन की रक्षा के लिए चुनावी रैलियों जैसी बड़ी सभाओं से बचना आवश्यक है। याचिका में सभी राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वे अपनी रैलियां वर्चुअल रूप से ही करें। साथ ही अदालत से नए साल के जश्न के दौरान होने वाली पार्टियों पर प्रतिबंध लगाने तथा विधान सभा के चुनाव स्थगित करने और इस सम्बंध में केंद्रीय चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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-2017 के मुकाबले चार लाख अधिक-लगभग 80 लाख मतदाता करेंगे विधानसभा चुनावों में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला
नवीन समाचार, देहरादून, 13 दिसंबर 2021। मतदाता लोकतंत्र में असली भाग्यविधाता होते हैं। यह अलग बात है कि वह चुनाव में जिन्हें चुनते हैं, उन्हें भाग्यविधाता कहा जाता है। उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में लगभग 80 लाख से अधिक मतदाता नई सरकार चुनने के लिए अपने मत का प्रयोग करेंगे। राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा एक नवंबर को जारी अनंतिम मतदाता सूची में 78.46 नाम शामिल थे। इसके बाद चलाए जा रहे विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम के बाद इसमें तीन लाख नए नाम जोड़े गए हैं और करीब 50 हजार नाम हटाए गए हैं। अभी अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा है कि मतदाताओं का आंकड़ा लगभग 80 लाख का होगा।

उल्लेखनीय है कि बीते चुनाव में करीब 76 लाख मतदाता पंजीकृत थे। इस बार मतदाताओं की संख्या में करीब चार लाख की वृद्धि होने जा रही है। अनंतिम मतदाता सूची में दो लाख मतदाता जुड़े हैं और इनमें संख्या में अभी भी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। अभी तक जो मतदाता सूची जारी हुई है उसमें सबसे अधिक 14.08 लाख मतदाता देहरादून में हैं। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 7.42 लाख और महिला मतदाताओं की संख्या 6.65 लाख है। वहीं सबसे कम मतदाता 2.13 लाख उत्तरकाशी में हैं। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 दिसंबर 2021। उत्तराखंड के लिए सी वोटर का नया सर्वे आ गया है। इस सर्वे के अनुसार भाजपा को 40 फीसद, कांग्रेस को 36 फीसद, आप को 13 एवं अन्य को 11 फीसद वोट मिलता नजर आ रहा है। वहीं सीटों की बात करें तो भाजपा को 33 से 39, कांग्रेस को 29 से 35, आप को 1 से 3 व अन्य को शून्य से एक सीटें मिलती नजर आ रही हैं।

इन आंकड़ों की गत माह से तुलना करें तो नवंबर माह में भाजपा को 36 से 40, कांग्रेस को 30 से 34, आप को शून्य से दो व अन्य को शून्य से एक सीट मिलती बताई गई थी।

इसके अलावा मुख्यमंत्री के रूप में पसंदीदा चेहरे की बात करें तो हरीश रावत 33 फीसद, पुष्कर सिंह धामी 27 फीसद, अनिल बलूनी 18 फीसद, कर्नल कोठियाल 9 फीसद व अन्य 13 फीसद जनता की पसंद बताए गए हैं। जबकि गत माह हरीश रावत 31 व पुष्कर सिंह धामी 28 फीसद लोगों की पसंद बताए गए थे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नैनीताल: कांग्रेस के एक दावेदार ने नहीं जताई दावेदारी, दिए कुछ और संकेत…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 नवंबर 2021। नैनीताल विधानसभा से कांग्रेस पार्टी से दो दावेदार सरिता आर्य और हेम आर्य आगामी विधानसभा चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे थे। लेकिन इस बीच भाजपा से विधायक संजीव आर्य के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो जाने के बाद स्थितियां बदल गई हैं।

सरिता आर्य ने संजीव के कांग्रेस में शामिल होने के दिन ही तत्काल अपनी कड़ी प्रतिक्रिया सार्वजनिक कर दी थी, लेकिन हेम आर्य खामोश हैं। इधर, कांग्रेस पार्टी के दूसरे राज्यों से नियुक्त पर्यवेक्षकों के समक्ष विधानसभावार दावेदारों द्वारा दावेदारी पेश की जा रही है, और पर्यवेक्षक दावेदारों से बात कर रहे हैं। बताया गया है कि आगे पर्यवेक्षक सभी दावेदारों के बारे में अपनी रिपोर्ट पार्टी हाइकमान को सोंपेंगे।

नैनीताल विधानसभा की बात करें तो केवल दो दावेदारों-संजीव आर्य व सरिता आर्य ने ही पर्यवेक्षकों के समक्ष अपनी दावेदारी जताई है, जबकि हेम आर्य ने ऐसा नहीं कर चौंकाया है। इस बारे में पूछे जाने पर हेम ने कहा कि स्वास्थ्य कारणों से वह दावेदारी नहीं कर पाए। अब वह सीधे प्रदेश प्रभारी को अपनी दावेदारी भेज रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह पिछले पांच वर्ष और उससे पहले से भी लगातार क्षेत्र में हैं।

यह भी कहा कि पार्टी जिताऊ प्रत्याशी को ही टिकट देगी और वह ही जिताऊ प्रत्याशी हैं। अलबत्ता यह पूछे जाने पर कि टिकट नहीं मिला तो उनका अगला कदम क्या होगा, हेम आर्य ने कहा-अभी वह कांग्रेस के समर्पित सिपाही हैं। और पूछे जाने पर उन्होंने स्वीकारा कि दूसरे दलों से भी बात चल रही है। उल्लेखनीय है कि हेम शुक्रवार को पूर्व सीएम के कार्यक्रम में भी मौजूद नहीं थे, जिसमें संजीव और सरिता श्री रावत के दांयी व बांयी ओर नजर आये।

दूसरे दलों में यह है स्थिति
नैनीताल। विधायक संजीव आर्य के जाने के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से हाल ही में मुख्यमंत्री के जनसंपर्क अधिकारी बनाए गए दिनेश आर्य पार्टी के प्रमुख प्रत्याशी बताए जा रहे हैं। अंबा आर्य भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, जबकि एक दिन पूर्व ही एक मोहन पाल ने भी बोट हाउस क्लब में पत्रकार वार्ता आयोजित कर और शहर में होर्डिंग लगाकर अपनी दावेदारी जताई है।

हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि यशपाल व संजीव के जाने के बाद भाजपा हाइकमान की ओर से बाजपुर व नैनीताल की सीटें हर हाल में जीतने का संदेश दिया गया है। इस आधार पर माना जा रहा है कि इन सीटों से पार्टी अन्य हैवीवेट प्रत्याशी भी उतार सकती है। उधर आम आदमी पार्टी की ओर से बताया गया है कि डॉ. भुवन आर्य को नैनीताल विधान सभा का प्रभारी बनाकर अघोषित तौर पर प्रत्याशी बना दिया है। अन्य दलों की ओर से अभी कोई नाम सामने नहीं आया है।

इन कांग्रेसियों ने जताई है नैनीताल जनपद की विभिन्न सीटों से दावेदारी
रामनगर से कोई नहीं, हल्द्वानी से सुमित हृदयेश, दीपक बल्यूटिया, ललित जोशी, हुकुम सिंह कुंवर, शशि वर्मा व शोभा बिष्ट, लालकुआं से हरीश दुर्गापाल, हरेंद्र बोरा, संध्या डालाकोटी, खष्टी बिष्ट, बीना जोशी व गोपाल नेगी। कालाढूंगी से महेश शर्मा, भोला भट्ट, विजय सिजवाली व तारा सिंह। नैनीताल से संजीव आर्य व सरिता आर्य तथा भीमताल से दान सिंह भंडारी, जया बिष्ट व कृपाल सिंह मेहरा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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-पांचवे राउंड तक दिवंगत भाजपा नेता प्रकाश पंत की पत्नी भाजपा प्रत्याशी चंद्रा पंत 1197 वोटों से आगे
नवीन समाचार, पिथौरागढ़, 28 नवंबर 2019। महाराष्ट्र में तीन दिन की सरकार खोने से सकते में आई भाजपा के लिए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से खुशखबरी आने जा रही है। यहां तत्कालीन वित्त मंत्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन के कारण रिक्त हुई सीट पर हुए विधानसभा के उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी-स्वर्गीय पंत की धर्मपत्नी चंद्रा पंत 3600 मतों के अंतर से जीत गई हैं। वहीँ कांग्रेस की अंजु लुंठी दूसरे, नोटा तीसरे व सपा के मनोज कुमार भट्ट चौथे स्थान पर रहे हैं। इससे पूर्व वे 10 राउंड बाद 3350 वोट, छठे राउंड तक 84 बूथों की हुई मतगणना में 1446 वोटों के अंतर से और पांचवे राउंड तक 1197 वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी अंजु पंत से आगे चल रही थीं। उन्हें पांचवे राउंड तक 25628 वोटों की गिनती में से 12948 जबकि अंजु लुंठी को 11751, सपा के मनोज कुमार भट्ट को 472 व नोटा को 457 वोट मिले थे। इससे पूर्व भी सभी राउंड में चंद्रा कांग्रेस प्रत्याशी से मामूली अंतर से आगे ही रही हैं।

चंद्रा पंत की जीत भाजपा के लिए इसलिए भी खास और कांग्रेस के लिए झटका है कि इस चुनाव के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत पूरे समय पिथौरागढ़ में जमे हुए थे, और लगातार इस जीत से पार्टी को संजीवनी मिलने की बात कर रहे थे। लेकिन इस हार के साथ कांग्रेस प्रदेश में और कमजोर होती हुई दिख रही है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के इतिहास में मोदी की सुनामी में बह गए उत्तराखंड के कई मिथक

नवीन समाचार, नैनीताल, 24 मई 2019। इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तराखंड की पांचों सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ ही प्रदेश में कई मिथक इस बार मोदी सुनामी में बह गए। उल्लेखनीय है कि नैनीताल के नवागत सांसद अजय भट्ट के साथ यह दुर्योय युक्त मिथक जुड़ा था कि वे जब भी अपनी परंपरागत रानीखेत सीट से जीते, तब-तब उनकी पार्टी भाजपा की राज्य में सरकार नहीं बनी, और जब-जब हारे, तब-तब भाजपा की सरकार बनी। किंतु सीट बदलते और लोक सभा चुनाव लड़ते ही यह मिथक अजय भट्ट तोड़ चुके हैं। अब वे स्वयं भी प्रचंड बहुमत से जीते हैं, और उनकी पार्टी की भी प्रचंड बहुमत से जीत के बाद केंद्र में सरकार बनने की महज औपचारिकता शेष है। वहीं नैनीताल लोक सभा सीट के साथ एक अन्य, यह मिथक भी जुड़ा था कि जिस पार्टी के प्रत्याशी नैनीताल से जीतते हैं, उसी पार्टी की सरकार केंद्र में बनती है। यानी नैनीताल हमेशा केंद्र की राजनीति के साथ कदमताल करता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। नैनीताल से भाजपा जीती है, और इसी पार्टी की केंद्र में सरकार बनने जा रही है।

इसी तरह पहली बार, प्रदेश में सत्ता संभाल रही पार्टी बीजेपी ने वर्ष 2014 के अपने प्रदर्शन को दोहराते हुए क्लीन स्वीप किया और प्रदेश में पड़े कुल मतों में से 61 फीसदी से ज्यादा वोट उसके पक्ष में गए। सभी सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी रेकॉर्ड मतों के अंतर से जीते। पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने नैनीताल सीट पर दिग्गज कांग्रेस नेता हरीश रावत को 3.40 लाख मतों के अंतर से पटखनी दी जबकि अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे तीरथ सिंह रावत ने पौड़ी गढ़वाल सीट पर बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लड़ने वाले वरिष्ठ बीजेपी नेता भुवन चंद्र खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी को तीन लाख से ज्यादा मतों से हराया। 

वहीँ टिहरी से मालाराज्य लक्ष्मी शाह ने तीन लाख से ज्यादा मतों से, हरिद्वार में रमेश पोखरियाल निशंक ने 2.58 लाख और अल्मोड़ा से अजय टम्टा ने 2.32 लाख मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंदियों को मात दी। इससे पहले कभी प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। वर्ष 2014 में जब बीजेपी ने पांचों सीटें जीती थीं तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। वर्ष 2009 के आम चुनावों में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को विजय हाथ लगी थी और उस समय प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। वर्ष 2004 के आम चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकाल के समय बीजेपी के हाथ तीन सीटें लगी थीं जबकि एक सीट कांग्रेस और एक समाजवादी पार्टी ने जीती थी। टिहरी सीट पर तत्कालीन टिहरी रियासत की महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह की यह लगातार तीसरी जीत है। यहां कहा जाता है कि भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद रहने के दौरान मतदान होने पर टिहरी राजपरिवार के सदस्य को चुनावों में हार का सामना करना पड़ता है। इस बार उत्तराखंड में 11 अप्रैल को मतदान हुआ था जबकि बदरीनाथ के कपाट 10 मई को श्रद्धालुओं के लिए खुले थे। प्रदेश बनने के बाद हरिद्वार सीट से किसी भी सांसद के लगातार दो बार नहीं जीत पाने का मिथक भी टूट गया। 2014 में यहां से सांसद चुने गए पूर्व मुख्यमंत्री रमेंश पोखरियाल निशंक ने शानदार तरीके से इस बार दोबारा विजय प्राप्त की। इस संबंध में एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, ‘इस बार देश में मोदी की सुनामी ऐसी आई जिसमें सभी मिथक बह गए। 

यह भी पढ़ें : केंद्र की नई सरकार में मंत्री पद पर उत्तराखंड से अजय भट्ट का दावा सबसे मजबूत…

-पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत को छोड़कर राज्य के पांच में से चार सांसद बताये जा रहे दावेदार, पर अजय भट्ट दावेदारी में सबसे आगे..
नवीन समाचार, नैनीताल, 24 मई 2019। लोक सभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद आगे प्रदेश के सांसदों को मंत्री पद मिलने पर भी कयास लगने प्रारंभ हो गये हैं। पहली बार चुनाव लड़े व बड़े अंतर से जीते पौड़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत को छोड़कर राज्य के पांच में से चार सांसदों को केंद्र में मंत्री पद का दावेदार बताया जा रहा है। इनमें भी नैनीताल के सांसद अजय भट्ट का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। कारण, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तक भट्ट की सीधी पहुंच है। उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में स्वयं की सीट हारकर भी पार्टी को 70 में से 53 सीटें जीतने का निकार्ड बनाने का श्रेय भी दिया जाता है। वे पूर्व में राज्य विधानसभा में उप नेता एवं नेता प्रतिपक्ष सहित स्वास्थ्य मंत्री आदि कमोबेश सभी पदों का दायित्व संभाल कर संसदीय एवं विधायी ज्ञान भी रखते हैं। वहीं इस लोक सभा चुनाव में उन्होंने जिस तरह राज्य में कांग्रेस के सबसे मजबूत प्रत्याशी बताये जा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री के विरुद्ध राज्य में इस चुनाव ही नहीं अब तक के इतिहास में इस सीट पर सर्वाधिक सात लाख 72 हजार 195 यानी कुल मतों के 61.35 फीसद वोट प्राप्त किये और तीन लाख 39 हजार 96 वोटों के रिकार्ड अंतर से हराया है, और पिछली बार इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के दो लाख 84 हजार 717 वोटों से जीत के रिकार्ड को भी तोड़ दिया है। उनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते हरिद्वार सांसद डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, पिछली बार भी केंद्र में मंत्री रहे व दलित वर्ग से आने के नाते अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा और दो बार की सांसद होने के नाते टिहरी की सांसद माला राज्य लक्ष्मी के भी केंद्र में मंत्री बनने की उनके प्रशंसक उम्मीद कर सकते हैं। अलबत्ता, इस बारे में अजय भट्ट का कहना है, ईश्वर की जैसी मर्जी होगी, वैसे देखेंगे।

यह भी पढ़ें : देखें कैसे जाति-धर्म-क्षेत्र की दीवारें तोड़ राउंड वार बढ़ते गये भाजपा प्रत्याशी अजय को ‘अजेय’ बनाने के आंकड़े, भाजपा प्रत्याशी की जीत में टूटीं जाति-धर्म-क्षेत्र की दीवारें

नवीन समाचार, नैनीताल, 23 मई 2019। भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट ने समाचार लिखे जाने तक नैनीताल लोक सभा क्षेत्र से प्रदेश में सर्वाधिक तीन लाख 35 हजार 670 वोटों की अजेय बढ़त हासिल कर ली है। उन्हें सात लाख 45 हजार 961 एवं दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को चार लाख 24 हजार 729 वोट मिले हैं, जबकि तीसरे स्थान पर बसपा प्रत्याशी इं. नवनीत अग्रवाल को 28059 मिले हैं, जबकि चौथे स्थान पर नोटा यानी किसी को नहीं को 10 हजार 239 वोट मिले हैं। वहीं चार प्रत्याशियों-कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी लेनिनिस्ट लिबरेशन के कामरेड डा. कैलाश पांडेय, बहुजन मुक्ति पार्टी के इं. ज्योति प्रकाश टम्टा, प्रगतिशील लोक मंच के प्रेम प्रसाद आर्य व निर्दलीय सुकुमार विश्वास को नोटा से भी कम वोट मिले हैं। उल्लेखनीय है कि 2014 के लोक सभा चुनाव में इस सीट पर कोश्यारी को कुल पड़े 11,01,435 मतों में से 57.78 फीसद यानी 6,36,669 मत मिले, जबकि उनके विरोध में अन्य सभी प्रत्याशियों को मिलकार 4,64,666 वोट ही मिले थे। वहीं इस बार भाजपा प्रत्याशी भट्ट को कुल पड़े 12 लाख 22 हजार 803 वोटों में से सात लाख 45 हजार 961 यानी 61 फीसद यानी पिछली बार से 3.22 फीसद अधिक वोट मिले हैं। यह तभी संभव है जब भट्ट ने किसी एक जाति, धर्म या क्षेत्र विशेष के वोट ही हासिल किये हों, अथवा किसी खास जाति, धर्म या क्षेत्र विशेष के वोट हासिल न किये हों। राजनीतिक विश्लेषकों के द्वारा खासकर यह भी माना जा रहा था कि मुस्लिम मतदाता बहुल जसपुर, किच्छा, खटीमा, हल्द्वानी व बाजपुर विधानसभाओं में भट्ट कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत से पीछे रह सकते हैं, लेकिन ऐसी सभी आशंकाएं निराधार साबित हुई हैं।

नैनीताल विधानसभा से 10 हजार वोटों से जीते..

नैनीताल। उत्तराखंड एवं कुमाऊं मंडल की सर्वप्रमुख नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट एवं कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री के बीच जितने कांटे के मुकाबले की उम्मीद की जा रही थी, उतनी मतगणना के दौरान नहीं दिखी। बल्कि आंकड़े राउंड-दर-राउंड किस्मत के धनी अजय भट्ट को ‘अजेय’ बनाने की ओर बढ़ते दिखाई दिये। नैनीताल विधानसभा की बात करें तो पहले राउंड में भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट को 2160 व कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को 1571 वोट मिले यानी पहले राउंड के कुल 3998 वोटों में करीब 504 फीसद वोट भट्ट को तो 39 फीसद वोट रावत को मिले। वहीं दूसरे राउंड में भट्ट को 2766 और रावत को 1601 वोट मिले और यहां तक भट्ट को 4926 व रावत को 3172 वोट मिल चुके थे। आगे तीसरे राउंड में भट्ट को 2630 तथा रावत को 1497 वोट मिले एवं यहां तक भट्ट को 7556 व रावत को 4669 वोट मिल चुके थे।

वहीं चौथे राउंड में भट्ट को 2663 एवं रावत को 1805 वोट मिले एवं चौथे राउंड तक भट्ट को 10219 एवं रावत को 6474 वोट मिल चुके थे। वहीं पांचवे राउंड में अजय भट्ट को 2490 व हरीश रावत को 1310 वोट मिले, एवं पांचवे राउंड तक भट्ट के 12709 एवं रावत के 7784 वोट मिले। सातवें राउंड में रावत कुछ हद तक भट्ट के करीब पहुंचे, किंतु पीछे ही रहे। इस राउंड में भट्ट को 2594 व रावत को 2518 वोट मिले और यहां तक भाजपा के वोटों की संख्या रावत के 12465 के मुकाबले करीब डेढ़ गुना यानी 18134 हो गयी। आठवें राउंड में भट्ट को 2973 व रावत को 2683 वोट मिले व यहां तक भट्ट को मिले वोटों की संख्या 21107 व रावत के वोटों की संख्या 15148 हो गयी। वहीं नौवें राउंड में भट्ट को 2839 व रावत को 2440 वोट मिले एवं यहां तक भट्ट के वोटों की संख्या 23946 व रावत के वोटों की संख्या 17588 हो गयी थी। जबकि 11वें राउंड में भट्ट को 2777 तथा रावत को 1501 वोट मिले एवं यहां तक भट्ट को 29663 व रावत को 21291 वोट मिल चुके थे। जबकि 12वें राउंड में भट्ट को 2629 व रावत को इसके एक तिहाई से भी कम 834 वोट मिले एवं यहां तक भट्ट को 32292 व रावत को 22125 वोट मिले। इस प्रकार नैनीताल विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी की जीत का अंतर 10 हजार 167 वोटों का रहा।

भीमताल से 15109 वोटों से जीते भट्ट, चौथे राउंड में तीन गुना अधिक वोट हासिल कर चुके थे

भीमताल विधानसभा में पहले राउंड में भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट को 2442 व कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को 2064 वोट मिले, वहीं दूसरे राउंड में भट्ट को 2765 व रावत को 1018 यानी करीब एक तिहाई वोट मिले एवं यहां तक दो राउंड में भाजपा के वोटों की संख्या 5207 व कांग्रेस प्रत्याशी को 3082 वोट मिल चुके थे। आगे तीसरे राउंड में भट्ट को 2770 व रावत को 1486 वोट मिले एवं यहां तक भट्ट को 7977 तथा रावत को 4568 वोट मिल चुके थे। वहीं चौथे राउंड में भट्ट को 4431 व रावत को 2019 वोट मिले और चौथे राउंड तक भट्ट को 19489 व रावत को 6319 वोट मिल चुके थे, और यहां तक भट्ट को मिले वोट रावत के मुकाबले तीन गुने हो गये थे। पांचवे राउंड में भट्ट को 2177 व रावत को 1268 वोट मिले एवं यहां तक भट्ट को मिले वोटों की संख्या 12334 तथा रावत के वोटों की संख्या 6419 यानी अंतर करीब दोगुने से थोड़े कम का हो गया था। वहीं छठे राउंड में भट्ट को 1922 जबकि रावत को आधे से भी कम 863 वोट मिले और यहां तक भट्ट को 14256 व रावत को 7282 वोट मिले थे, और दोनों के वोटों का अंतर दो गुने का रहा। सातवें राउंड में भट्ट को 3058 व रावत को 2846 वोट मिले एवं यहां तक भाजपा के वोटों की संख्या 17314 एवं कांग्रेस के वोटों की संख्या 10128 हो गयी थी। आठवें राउंड में अजय भट्ट को 2919 व हरीश रावत को 1883 वोट मिले। इसके साथ आठवें राउंड तक भट्ट के वोटों का जोड़ 20233 एवं रावत को 12011 वोट हो गया था। वहीं नौवें राउंड में भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट को 2312 व हरीश रावत को 1702 वोट मिले, जिसके बाद नौवें राउंड में भट्ट के वोटों का जोड़ 22545 एवं रावत के वोटों का जोड़ 13713 हो गया। 11वें राउंड में भट्ट को 3419 व रावत को 2024 वोट मिले एवं यहां तक भट्ट के वोटों की संख्या 28888 व रावत की 17539 हो गयी। 12वें राउंड में भट्ट को 3475 व रावत को 1231 वोट मिले और यहां तक भट्ट को 32363 तथा रावत को 18770 वोट हो चुके थे। वहीं 13वें राउंड में भट्ट को 2020 व रावत को 954 वोट मिले एवं यहां तक भट्ट को 34383 व रावत को 19724 वोट मिल चुके थे। इस प्रकार भीमताल विस से भाजपा प्रत्याशी की जीत का आंकड़ा 15109 वोटों का रहा।

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-गली-मोहल्लों, चाय की दुकानों आदि पर चल रही हर चुनावी चर्चाओं के केंद्र में है यह शब्द
नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 9 अप्रैल 2019। प्रदेश में लोक सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार की समय सीमा बीतने तक पार्टियों के जीत-हार के समीकरण जन चर्चाओं में ‘देश’ शब्द पर सिमट गये हैं। खासकर भाजपा के समर्थक मतदाताओं के लिए ‘देश’ शब्द एक तरह का ‘कूट शब्द’ बन गया है। लोग एक-दूसरे से पूछ रहे हैं, किसे वोट देंगे या कौन जीत रहा है। उत्तर मिल रहा है ‘देश’, तो समझ लें बात भाजपा की हो रही है। पूर्व के ‘चौकीदार चोर है’ जैसे शब्द अब सुनने को नहीं मिल रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी यही स्थिति है। खासकर प्रधानमंत्री मोदी के लिए यदि सोशल मीडिया पर कहीं यदि एक शब्द दिखता है तो उसके समर्थन में दर्जनों लोग आ जा रहे हैं, और समर्थन में गिने-चुने। लोग लोक सभा चुनाव को देश का चुनाव बताते हुए इस दौरान स्थानीय मुद्दों को आगे शीघ्र आने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए छोड़ने की बात भी कर रहे हैं।

कारण साफ हैं। भाजपा ने इस चुनाव में देश और ‘राष्ट्रवाद’ पर अपने प्रचार को केंद्रित रखा है, साथ ही कांग्रेस के घोषणा पत्र में अन्य बिंदुओं से इतर ‘देशद्रोह’ व ‘अफस्पा’ हटाने जैसे बिंदुओं को खुद भी जनता के बीच रखा है, ऐसे में आजादी के बाद से ही राष्ट्रीय चरित्र वाले व हर दूसरे घर से सैनिकों वाले पर्वतीय क्षेत्रों में लोग पूरे चुनाव में ‘देश’ शब्द पर केंद्रित हो गये हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र के ये दो बिंदु इस चुनाव की दिशा तय करने वाले साबित होंगे। वहीं कांग्रेस ने 72000 रुपए प्रति वर्ष की न्याय योजना एवं खासकर नैनीताल सीट पर हरीश रावत को वरिष्ठ नेता बताते हुए माहौल बनाने की कोशिश की है। किंतु मुख्यालय में भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों की रैलियों में आई भीड़ पर भी लोग चर्चा कर रहे हैं। वहीं चुनाव में ‘गड़े मुर्दे’ उखाड़ने की कोशिशें भी एक दल के समर्थकों के द्वारा बढ़-चढ़ कर की जा रही हैं।

वाकई इस चुनाव में ‘इकलू…’ हो गये हरीश रावत !

चुनाव प्रचार के दौरान हरीश रावत बेतालघाट में, साथ में केवल सुरक्षा कर्मी, और कोई नहीं !

लोक सभा चुनाव के लिए मतदान तक पहुंचते कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में जब उन्हें सहारे की जरूरत थी, ‘दीदी’ ठीक मौके पर हाथ छुड़ा देहरादून, हरिद्वार चली गयीं। पार्टी के दोनों तरह के अन्य नेता, जिन्हें हरदा कभी लोक सभा के लिए आगे भी करते दिखे थे, और जिन्हें पीछे कर आगे बढ़े थे, पूरे चुनाव में उनके साथ केवल दिखाने भर को रहे। यहां तक कि उनके ‘रणजीत’ भी इस बार उनके साथ नहीं दिखे। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी हाईकमान-तत्कालीन उपाध्यक्ष व मौजूदा अध्यक्ष राहुल गांधी की जगह स्वयं को सीधे मोदी के बरक्स खड़े करना भी इस चुनाव में हरीश रावत को भारी पड़ा है। इस बार उनकी मदद को न ही राहुल आये और ना ही उनकी बहन प्रियंका। रही सही कसर उनके भाजपाई समकक्ष भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें ‘इकलू बानर’ कह कर पूरी कर दी, जिसे हरीश रावत के साथी इस चुनाव में सही साबित करने पर तुले दिखे। जरूर रावत ने इस चुनाव में अपनी रणनीति बदली। जनता में व्यापक प्रभाव वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करने से बचे। शायद पिछले विधानसभा चुनाव में चुनाव को ‘मोदी बरक्स हरीश रावत’ करने की अपनी भूल को उन्होंने स्वीकार कर लिया। मोदी के बजाय स्थानीय मुद्दों, कुछ हद तक क्षत्रिय और मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने की भी कोशिश की। लेकिन सच्चाई यह है कि इस बार उनका कोई दांव चलता नजर नहीं आ रहा है, और वे इस चुनाव में ‘इकलू….’ ही नजर आ रहे हैं।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 7 अप्रैल 2019। पिछले दिनों चुनावी रण में जीत के लिए खेतों में उतरे प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री एवं आगरा से सांसद प्रत्याशी हेमा मालिनी व पूर्व सीएम व नैनीताल से सांसद प्रत्याशी हरीश रावत की कड़ी में एक और नेत्री का नाम एक तरह का कार्य करने के लिये जुड़ गया है। गत दिवस हेमा मालिनी की आगरा के एक खेत में गेहूं काटने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, वहीं इसके एक-दो दिन बाद हरीश रावत की नैनीताल लोकसभा के बेतालघाट क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं से लेकर घास की डलिया अपने सिर पर रख लिया था। अब इसी तर्ज पर महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य ने नैनीताल विधानसभा से लगते कोटाबाग के डॉन परेवा क्षेत्र में रविवार को कटे गेहूं का गट्ठा अपने सिर पर रखकर स्वयं को जनता से जुड़ा दिखाने की कोशिश की है। आगे देखने वाली बात होगी कि इन नेताओं के इस फोटो खिंचाऊ परिश्रम का जनता पर कितना असर आगामी चुनाव में दिखाई देता है।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 1 अप्रैल 2019। हालांकि यह नियमों के अधीन ही है कि लोक सभा चुनाव में देश का कोई नागरिक देश के किसी भी राज्य की और किसी भी लोक सभा सीट से नियमानुसार नामांकन पत्र भरकर चुनाव मैदान में उतर सकता है, तो भी नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा क्षेत्र में संभवतया पहली बार यह अभूतपूर्व स्थिति बनी है, जब चुनाव में उतरे तीनों राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रत्याशी दूसरों से तो स्वयं को मतदान करने की पुरजोर अपील करेंगे किंतु वे स्वयं को मतदान नहीं कर पाएंगे। ऐसा इसलिये कि तीनों प्रत्याशियों ने अपने नामांकन में अपना पता नैनीताल लोक सभा से बाहर का प्रदर्शित किया है। भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोक सभा के रानीखेत के, बसपा प्रत्याशी नवनीत अग्रवाल यूपी की बरेली लोक सभा के और कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत देहरादून के निवासी हैं। इसलिये इस लोक सभा से चार में से तीन प्रत्याशी स्वयं के लिए मतदान की अपील करेंगे किंतु स्वयं को मतदान नहीं कर पाएंगे।

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-25 वर्ष की आयु में यूपी के सबसे कम उम्र के विधायक बने बाद में स्वास्थ्य मंत्री रहे नैनीताल के प्रताप भैया
-इस सभा में बाद में नेपाल के विदेश सचिव रहे उद्धव देव भट्ट भी एक युवा के रूप में थे मौजूद
-दर्जनों स्कूल खोल शिक्षा की अलख भी जलायी, जाति प्रथा के रहे विरोधी

तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के साथ भैया जी
तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ भैया जी

नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल। आज के दौर में जबकि राजनेता अपना जन-धन व बाहु बल दिखाकर ही स्वयं को बड़ा नेता दिखाने की कोशिश करते हैं, वहीं 25 वर्ष की आयु में यूपी के सबसे कम उम्र के विधायक बनने का रिकार्ड बनाने वाले नैनीताल निवासी यूपी के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री स्वर्गीय प्रताप भैय्या जैसे नेता भी रहे, जिनके कई किस्से आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। उन्होंने खुद को दिखाने के लिये भीड़ जुटाने के बजाय खुद से पहल करते हुए क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने के साथ ही जाति प्रथा के विरुद्ध भी ऐसे अनूठे कार्य किये, कि लोग खुद-ब-खुद उनके साथ होते चले गये।
युवा प्रताप का उनके पहले 1956 के विधानसभा चुनाव का किस्सा आज के राजनेताओं के लिये अनुकरणीय हो सकता है। इस चुनाव में प्रताप लखनऊ विवि से पढ़ाई पूरी करके प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर घर से दूर, अनजान सी तत्कालीन संयुक्त नैनीताल जनपद की खटीमा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। खटीमा में न उनकी पार्टी का ढांचा था, और ना बहुत समर्थक ही। इसकी परवाह किये बिना अपनी सभा से पूर्व उन्होंने दिन में खुद ही सभा स्थल पर दरी बिछायी और खुद ही घंटी बजाकर लोगों को अपनी सभा की जानकारी भी दी। ऐसे में शाम को जब वे सभा को संबोधित करने लगे तो हर कोई उनका मुरीद हो गया था कि सुबह यही लड़का सभास्थल पर दरी बिछा रहा था। इस चुनाव में एक और खास बात यह भी रही कि उनकी इस सभा की अध्यक्षता उस समय एक अनजान नेपाली युवक उद्धव देव भट्ट ने की थी, जोकि बाद में नेपाल के विदेश सचिव रहे। उनके जीवन के कई और भी दिलचस्प उदाहरण मिलते हैं। अपने जीवन के आखिरी दिनों तक वे विधि विचार गोष्ठी व हाथ-हल किसान गोष्ठी सहित कई गोष्ठियां व अन्य कार्यक्रम करते थे, और इनमें कितने कम लोगों की उपस्थिति होती, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था, और वे गोष्ठी शुरू करने के लिये किसी का इंतजार भी नहीं करते थे। एक बार तो उनकी गोष्ठी में उनके पुत्र, कुछ अन्य परिजन तथा जूनियर अधिवक्ता मिलाकर कुल पांच लोग ही गोष्ठी शुरू होने के समय तक पहुंचे थे। बावजूद उन्होंने यह कहकर गोष्ठी शुरू कर दी कि ये ही उनके ‘पंच परमेश्वर’ हैं। उन्होंने नैनीताल के प्रतिष्ठित शहीद सैनिक विद्यालय सहित एक सौ से अधिक स्कूलों की स्थापना कर उन्होंने समाज में शिक्षा की ज्योति जलाई। उन्होंने स्वयं और पुत्र ज्योति प्रकाश के नाम के पीछे जाति न लिखकर अपने स्कूलों में छात्रों की जाति न लिखने का नया प्राविधान भी बनाया, जो आज भी लागू है।

यह भी पढ़ें : केवल इस वर्ग के वोटों के भरोसे नैनीताल से लड़ने आये हैं हरीश रावत…!

-नैनीताल सीट पर भाजपा को मोदी तो कांग्रेस अल्पसंख्यक, अनुसूचित व क्षत्रिय वोटों के ध्रुवीकरण से उम्मीद
नवीन समाचार, नैनीताल, 25 मार्च 2019। पहले नां कहने के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत ने आखिर नैनीताल से टिकट हासिल करने के बाद नामांकन भी कर लिया है। सबके मन में एक सवाल है कि पहले हरीश रावत क्यों नैनीताल से लड़ने से पीछे हट गये थे, और फिर अचानक आखिर में फिर हरिद्वार सीट छोड़कर नैनीताल आ गये। वह भी तब, जब नैनीताल सीट से कांग्रेस के केवल दो विधायक हल्द्वानी से डा. इंदिरा हृदयेश और जसपुर से आदेश चौहान ही हैं, और इनमें से भी इंदिरा रावत का लगातार प्रबल विरोध कर रही थीं। वहीं हरिद्वार में कांग्रेस के तीन विधायक हैं और तीनों हरीश रावत के पक्ष में रहे हैं।

इसका केवल एकमात्र कारण, जैसा कि स्वयं हरीश रावत भी कह चुके थे, भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव न लड़ने पर हरीश रावत नैनीताल सीट पर लड़ने के लिए आये। तो क्या हरीश रावत व कोश्यारी के बीच कोई सांठ-गांठ थी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो ऐसा नहीं है, बल्कि असली वजह है हरीश रावत को इस सीट पर सर्वाधिक करीब 26 फीसद क्षत्रिय वोटों के ध्रुवीकरण का अपनी पक्ष में होने की उम्मीद। रावत को लगता है कि कोश्यारी के लड़ते भाजपा-कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी क्षत्रिय होते, लिहाजा वे क्षत्रियों के वोटों को अपनी पक्ष में नहीं कर पाते। लेकिन जैसे ही भाजपा से ब्राह्मण प्रत्याशी अजय भट्ट को टिकट मिलने की घोषणा हुई, तत्काल हरीश रावत ने पैंतरा बदला और नैनीताल से चुनाव लड़ने के लिए हाईकमान पर आठ कांग्रेसी विधायकों को लेकर लामबंदी शुरू कर दी।
उल्लेखनीय है कि हरीश रावत के बिना भी नैनीताल से कांग्रेस क्षत्रिय प्रत्याशी डा. महेंद्र सिंह पाल को टिकट देने के पक्ष में थी। डा. पाल के टिकट के बीच हरीश रावत का आ खड़ा होना भी इसी क्षत्रिय वोटों की राजनीति के कारण रहा है। कारण दो बार सांसद डा. महेंद्र पाल तीसरी बार चुनाव जीत जाते तो उत्तराखंड से बड़ा क्षत्रिय चेहरा बन सकते थे, जो कि हरीश रावत नहीं चाहते थे। इसलिये भी वे पाल की राह में आये और टिकट हासिल कर लिया।

दोनों प्रत्याशी रानीखेत के, एक मौजूदा तो दूसरा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष

नैनीताल संसदीय सीट पर अब जबकि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों ने अपने नामांकन कर दिये हैं तो यह सीट जैसे रानीखेत में तब्दील हो गयी है। भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट व कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत दोनों रानीखेत से आते हैं। यह भी इत्तफाक है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जहां अजय भट्ट पार्टी अध्यक्ष होते हुए पार्टी को रिकार्ड 57 सीटें जितवाने के बावजूद अपनी रानीखेत सीट नहीं बचा पाये थे तो हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए हरिद्वार ग्रामीण व किच्छा सीटें हारने का अनूठा निकार्ड बनाया था।

इस संसदीय सीट की 14 में से 11 विधानसभा सीटों पर भाजपा, केवल दो पर कांग्रेस और एक पर भाजपा से निकटता रखने वाले निर्दलीय प्रत्याशी का कब्जा है। कांग्रेस के दो में से एक विधायक, हल्द्वानी की विधायक व नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत से बुरी तरह से उखड़ी हुई हैं, ऐसे में पूरा चुनाव की बहस का मुद्दा कौन अधिक मजबूत से अधिक कौन कमजोर पर आ टिकी है। ऐसे में जहां भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट की जीत का आधार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रणकौशल व उनकी आगामी 28 मार्च को प्रस्तावित जनसभा पर टिका हुआ है तो कांग्रेस प्रत्याशी की जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि वे कांग्रेस के वोट बैंक माने जाने वाले दलित व अल्पसंख्यक मतदाताओं के साथ क्षत्रिय मतदाताओं को कितना अपने पक्ष में कर पाते हैं। हालांकि आखिर तक टिकट की दौड़ में आगे बने रहे दो बार के पूर्व सांसद व क्षत्रिय वर्ग से ही आने वाले डा. महेद्र पाल पक्ष का कहना है कि रावत ने पाल का टिकट कटवाकर राज्य में कोई दूसरा क्षत्रिय नेता न बनने देने का काम किया है, इसलिये क्षत्रिय वर्ग रावत से नाराज है और उनके पक्ष में लामबंद नहीं होगा।
यह है नैनीताल सीट के मतदाताओं के आंकड़े
वहीं मतदाताओं के आंकड़ों की बात करें तो इस सीट पर 9,37,354 पुरुष व 8,41,420 महिलाएं व 26 अन्य मिलाकर कुल 17,78,800 मतदाता हैं। इनमें सर्विस वोटरों की संख्या 9,756 पुरुष व 181 महिलाएं मिलाकर कुल 9,937 है। इस सीट की करीब 63 फीसद आबादी ग्रामीण व 37 फीसद शहरी क्षेत्र में रहती है। वहीं जातिगत आधार पर सर्वाधिक 29 फीसद क्षत्रिय, करीब 16 फीसद ब्राह्मण, 16 फीसद मुस्लिम, 12.5 फीसद अनुसूचित जाति, 12.5 फीसद सिख, 6 फीसद बंगाली, 4-4 फीसद राय सिख एवं वैश्य तथा करीब 8 फीसद अन्य जातियों के लोग रहते हैं।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के दो डीएम के मतदाता जागरूकता गीत हुए वायरल, देखें-सुनें…

नवीन समाचार, हरिद्वार/चंपावत, 23 मार्च 2019। कुछ बिरले लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने कार्य के साथ ही कला के क्षेत्र में भी अच्छा दखल रखते हैं। उत्तराखंड में ऐसे ही दो प्रशासनिक अधिकारी हैं हरिद्वार जिले के डीएम आईएएस अधिकारी दीपक रावत और चंपावत जिले के डीएम के पद पर कार्यरत आईएएस रणवीर सिंह चौहान। खास बात यह है कि दोनों अधिकारियों की गायकी प्रतिभा सर्वप्रथम नैनीताल में दिखाई दी थी, जब नैनीताल जिले के डीएम रहते दीपक रावत शरदोत्सव व नैनीताल विंटर कार्निवाल के मंच पर अक्सर माइक संभालकर तथा कई बार निजी जीवन में भी और कार्यालय में भी गीत गुनगुनाने लगते थे, वहीं नैनीताल के सीडीओ रहते रणवीर सिंह चौहान ने ‘नैनीताल सिटी एंथम’ – ‘ये नैनीताल है’ स्वयं गाकर और उसमें एक्ट भी करके तैयार किया था। इसे आज भी नैनीताल में नैनीताल के स्थापना दिवस व नैनीताल विंटर कार्निवाल तथा गर्मियों के सीजन में कई सार्वजनिक मौकों पर बजाया जाता है। इंटरनेट पर भी वह गीत खासा हिट है। वहीं इधर पहले चौहान ने और अब रावत ने भी भारत सरकार के स्वीप कार्यक्रम के तहत मतदाता जागरूकता अभियान के गीत तैयार किये हैं जो उत्तराखंड में मतदाता जागरूकता के लिए थीम सोंग के तौर पर पुनः काफी पसंद किये जा रहे हैं। चौहान के गीत के बोल हैं ‘हक है जो तेरा कर ले तू उसको अदा, अपनी शक्ति को अब तो तुम पहचान लो, वोट दो, अब की बार ये मौका ना हाथ से जाने दो…’ वहीं रावत के गीत के बोल हैं ‘अपने अधिकारों का सम्मान करें, चलो मतदान करें, खुद अपनी नगरी का नवनिर्माण करें चलो मतदान करें…’

आईएएस दीपक रावत का मतदाता जागरूकता गीत : 

आईएएस रणवीर सिंह चौहान का मतदाता जागरूकता गीत :

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