देश की प्राचीनतम नगर पालिका नैनीताल हर दूसरी बार हो रही अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित, जानें क्या हैं यहां चुनावी संभावनाएं, पूर्व अध्यक्ष लड़ेंगे सभासद का चुनाव
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 5 दिसंबर 2024 (Electoral Possibilities of Municipality Nainital)। देश की प्राचीनतम नगर पालिका नैनीताल हर दूसरी बार अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित हो रही है। इससे यहां राजनीतिक समीकरण बदल गये हैं। चुनाव में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के दो-तिहाई से अधिक दावेदार चुनाव लड़ने के योग्य ही नहीं रह गये हैं। जबकि अनुसूचित जाति के सशक्त दावेदारों की तलाश शुरू हो गयी है। सामान्य श्रेणी के एक पूर्व पालिकाध्यक्ष तो अब नगर की जगह अपने वार्ड से सभासद पद का चुनाव लड़ने को तत्पर हैं। आइये जानते हैं क्या हैं यहां चुनावी संभावनाएं… यह भी पढ़ें :
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ऐसे नैनीताल बनी देश की प्राचीनतम नगर पालिकाओं में से एक
अंग्रेजों के भारत में आगमन के शुरुआती दौर में ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले 1687 में मद्रास शहर के लिए नगर निगम नामक स्थानीय संस्था की स्थापना की। इसके बाद 1793 के चार्टर एक्ट के अधीन मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई तीन महानगरों में नगर निगम स्थापित किए गए। आगे 1857 के गदर यानी पहले स्वाधीनता संग्राम एवं अन्य कई युद्धों के दौर में तत्कालीन ईस्ट इण्डिया कंपनी आर्थिक रूप से कमजोर हो गई थी। ऐसे में स्थानीय सरकारों के माध्यम से जनता से अधिक कर वसूलने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने म्युनिसिपैलिटी एक्ट लागू किया। यह भी पढ़ें :
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इसकी शुरुआत अंग्रेजों की अपनी बस्तियों-मसूरी में 1842 और नैनीताल में 1845 में पालिका बनाने की कवायद शुरू हुयी। ऐसे में 1841 में बसना प्रारंभ होने के चार वर्ष के भीतर ही नैनीताल देश की दूसरी पालिका बन गया था। हालांकि 3 अक्टूबर 1850 को यहाँ औपचारिक रूप से तत्कालीन कमिश्नर लूसिंग्टन की अध्यक्षता तथा मेजर जनरल सर डब्ल्यू रिचर्ड, मेजर एचएच आर्नोल्ड, कप्तान डब्ल्यूपी वा व पीटर बैरन की सदस्यता में पहली पालिका बोर्ड का गठन हुआ। इसलिये मसूरी को तत्कालीन नोर्थ प्रोविंस की प्रथम एवं नैनीताल को दूसरी नगरपालिका होने का गौरव हासिल है।
हर दूसरी बार अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित हो रही है नैनीताल नगर पालिका
नैनीताल। नैनीताल नगर पालिका में अध्यक्ष पद लगातार हर दूसरी बार अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित होती जा रही है। राज्य बनने से पूर्व 1997 में अनुसूचित जाति के आरक्षण पर संजय कुमार ‘संजू’ यहां निर्दलीय अध्यक्ष बने थे, जो कि अब बीच में बसपा व भाजपा में जाने के बाद वर्तमान में कांग्रेस पार्टी में हैं। उनके बाद 2003 में भी नैनीताल अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित हुई और सरिता आर्य कांग्रेस से अध्यक्ष बनीं।
आगे 2003 से सभासद रहे मुकेश जोशी 2008 में निर्दलीय चुनाव लड़कर अध्यक्ष बने। अभी वह कांग्रेस पार्टी में हैं। 2013 में पुनः अनुसूचित जाति के आरक्षण पर श्याम नारायण उक्रांद के टिकट पर और 2018 से सीट सामान्य होने पर सचिन नेगी कांग्रेस से अध्यक्ष बने। अब पुनः नैनीताल अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित हो गयी है।
भाजपा के लिये इतिहास रचने का मौका
उल्लेखनीय है कि भाजपा देश की दूसरी सबसे पुरानी नैनीताल नगर पालिका के इतिहास में कभी भी चुनाव नहीं जीत पायी है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी के लिये यहां चुनाव में जीत के साथ इतिहास रचने का मौका होगा।
कांग्रेस के लिये लड़ाई यशपाल-संजीव आर्य की प्रतिष्ठा का प्रश्न
नैनीताल। नैनीताल में पालिकाध्यक्ष का पद कांग्रेस पार्टी के साथ ही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व पूर्व विधायक संजीव आर्य की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। इसलिये भी कि अभी यहां कांग्रेस से संजीव नेगी पालिकाध्यक्ष थे। इसलिये कांग्रेस व आर्य परिवार के लिये नैनीताल जीतकर सीट बचाने की चुनौती होगी। वहीं दावेदारों की बात करें तो कांग्रेस के पास पूर्व सभासद एवं होटल व्यवसायी तथा पूर्व विधायक बिहारी लाल के पुत्र सुभाष कुमार, पूर्व पालिकाध्यक्ष संजय कुमार ‘संजू’, पूर्व सभासद दीपक कुमार ‘भोलू’ एवं पार्टी के पुराने नेता राजेंद्र व्यास प्रमुख दावेदार हैं। आगे देखना होगा कि कांग्रेस किसे टिकट देती है।
पूर्व पालिकाध्यक्ष ने जताया सभासद का चुनाव लड़ने का संकल्प
नैनीताल। नैनीताल नगर पालिका के पूर्व पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी ने नैनीताल के पालिकाध्यक्ष पद के अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित होने के बाद मल्लीताल बाजार वार्ड से सभासद पद पर चुनाव लड़ने का संकल्प जताया है। ‘राष्ट्रीय सहारा’ से भेंट में श्री जोशी ने कहा कि वह नगर हित में पूर्व में अध्यक्ष रहने के बावजूद बिना अपनी प्रतिष्ठा गिरने के भय के सभासद पद पर चुनाव लड़ेंगे। वह चाहते हैं कि पालिका में वरिष्ठ एवं पालिका अधिनियम के जानकार लोग आयें। वह वर्ष 2003 से 2008 तक पालिका बोर्ड में सभासद और 2008 से 2013 तक अध्यक्ष रहे हैं और पालिका के कार्यों की अच्छी जानकारी रखते हैं।
भवाली में यह स्थिति (Electoral Possibilities of Municipality Nainital)
भवाली में नगर पालिका अध्यक्ष पद की बात करें तो महिलाओं के लिये आरक्षित इस सीट पर पूर्व पालिकाध्यक्ष मीना बिष्ट को भाजपा का संभावित प्रत्याशी माना जा रहा है। मीना वर्ष 2013 में भवाली की पालिकाध्यक्ष बनी थीं और 2018 में भी प्रत्याशी थीं, लेकिन तब भाजपा ने उन की जगह तभी यशपाल आर्य के साथ कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आये संजय वर्मा को टिकट दिया था और संजय चुनाव जीते थे। इस प्रकार भवाली सीट पिछले 2 चुनाव से लगातार भाजपा के पास है और यहां मीना बिष्ट के रूप में भाजपा लगातार तीसरी जीत की राह पर नजर आ रही है। (Electoral Possibilities of Municipality Nainital)
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