March 29, 2024

नैनीताल : हर्षोल्लास से मनायी गयी भारत रत्न (Govind Ballabh Pant) की 136वीं जयंती, पहली बार शामिल हुयीं उनी पुत्रवधु पूर्व सांसद इला पंत एवं पौत्र…

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Govind Ballabh Pant

नवीन समाचार, नैनीताल, 10 सितंबर 2023। रविवार को पूरे देश-प्रदेश के साथ नैनीताल जनपद मुख्यालय में में भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत (Govind Ballabh Pant) जी के 136वें जन्मदिन को समारोह पूर्वक मनाया गया। नैनीताल क्लब के सभागार में आयोजित इस समारोह में पहली बार पंडित पंत की पुत्रवधु 12वीं लोकसभा में भाजपा की सांसद रहीं इला पंत ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप मे प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

(Govind Ballabh Pant)इस दौरान श्रीमती पंत ने कार्यक्रम से जुड़े सभी पदाधिकारियों को भव्य कार्यक्रम आयोजित करने पर बधाई देते हुए भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी की जीवनी पर प्रकाश डाला। कहा कि पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी एवं कुशल प्रशासक थे, समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाने में अहम भूमिका निभाई। देश की आजादी से पूर्व एवं देश की आजादी के बाद भी उन्होंने देश सेवा के लिए जो कार्य किये, वे सभी कार्य हमें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देते रहेंगे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित किया। हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है भावी पीढी को देश के इस महान सपूत के जीवन के बारे जानकारी होनी चाहिए। कहा कि पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी का पहाड़ के प्रति विशेष लगाव था। जीवन में तमाम समस्याओं के बावजूद भी वे अपने कर्तव्य पथ से कभी पीछे नहीं हटे। पन्त जी के पास कई महत्वपूर्ण दायित्व रहे ऐसे महान सपूत से प्रेरणा लेकर हमें आगे बढ़ना होगा

भाजपा नेता पूरन मेहरा व गोपाल रावत के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में जनपद के अपर जिलाधिकारी पीआर चौहान ने कहा कि पं. गोविंद बल्लभ पंत जी ने देश की आजादी के लिए पूरा जीवन खपाया। उन्होंने पहाड़ के विकास एवं संस्कृति के संरक्षण का कार्य किया। कहा कि उत्तराखण्ड देवभमि के साथ वीरभूमि भी है। पं.गोविंद बल्लभ पंत जैसे क्रांतिकारी इसी देवभूमि में पैदा हुए। इस अवसर पर जनपद के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के अपने विद्यालय में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।

पुरस्कृत हुए छात्र-छात्राओं में खुर्पाताल के यश, जोग्यूड़ा की प्रियंका आर्या, अधौड़ा की पीहू महरा, फगुनियाखेत की लक्की जोशी, थापला की डौली, जलाल गॉव के गौरव बिष्ट, मंगोली के कार्तिक कोरंगा, खुर्पाताल की महिमा कनवाल शामिल रहीं। इनके अलावा प्रकृति प्रेमी चंदन मेहरा व ऐपण कलाकार मंजू रौतेला सहित कई समाज सेवी भी सम्मानित किये गये। इस दौरान स्कूली छात्र-छात्राओ ने छोलिया नृत्य, देश भक्ति के गीतों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में विविध रंग भरे।

कार्यक्रम में स्वर्गीय पं. गोविंद बल्लभ पंत के पौत्र सुनील पंत, सरिता पन्त, पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल, पूर्व विधायक संजीव आर्य, संयोजक राजेश कुमार, समन्वयक ललित भट्ट, प्रो. लक्ष्मण सिंह, सुनील शर्मा, केएस रौतेला, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र सिंह रावत, शांति मेहरा, दया किशन पोखरिया, आनंद बिष्ट, कुंदन बिष्ट, विमला अधिकारी सहित बड़ी संख्या में आम व खास लोग मौजूद रहे।

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नैनीताल बैंक ने भी भारत रत्न (Govind Ballabh Pant) एवं बैंक के संस्थापक पंडित गोविंद बल्लभ पंत को 136 वीं जयंती पर किया याद

नैनीताल। भारत रत्न पंडित गोविद बल्लभ पंत की 136वीं जयंती के मौके पर नैनीताल बैंक के प्रधान कार्यालय स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी निखील मोहन ने कहा कि पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने जीवन पर्यन्त समाज सेवा के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान दिया था।

उन्होंने प्रदेश के सर्वांगीण विकास हेतु कई कार्य किये गए और इसी क्रम में 31 जुलाई 1922 में नैनीताल बैंक की स्थापना की, जो की आज सफलतापूर्वक 101 वर्ष पूरे कर प्रदेश के साथ साथ चार अन्य राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहा है। इस मौके पर महेश जिंदल, संजय लाल साह, महेश गोयल, पीडी भट्ट, राहुल प्रधान, संजय गुप्ता, मुकुल सनवाल, अनिल जोशी, राजेंद्र सिंह सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।

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यह भी पढ़ें : हर्षोल्लास से मनाई गई उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश के पहले भारत रत्न पंडित पंत (Govind Ballabh Pant) की जयंती…

-मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री भट्ट ने कहा अपने पूर्वजों, देश की महान हस्तियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें बच्चे
-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले कई गणमान्य लोग सम्मानित, ग्रामीण क्षेत्रों के मेधावी बच्चों को किया गया पुरस्कृत, सांसद व विधायक ने कुमाउनी में दिया अपना संबोधन
(Govind Ballabh Pant) पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 135वीं जयंती पर मंचासीन केंद्रीय मंत्री के समक्ष देशभक्ति गीत प्रस्तुत करते नन्हे बच्चे।डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 सितंबर 2022। उत्तराखंड निवासी एकमात्र एवं उत्तराखंड सहित संयुक्त उत्तर प्रदेश के पहले भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 135वीं जयंती शनिवार को नगर में पूरे हर्षोल्लास एवं कार्यक्रमों के साथ मनाई गई। नगर के मल्लीताल पंत पार्क में हुए आयोजन में अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहे करीब एक दर्जन लोगों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे केंद्रीय पर्यटन एवं रक्षा राज्य मंत्री व क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट ने आज से ही शुरु हो रहे श्राद्ध पक्ष से जोड़ते हुए कार्यक्रम में उपस्थित लोगों एवं खासकर बच्चों को अपने पूर्वजों व देश की महान हस्तियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। कहा, श्राद्ध का मतलब पितरों के प्रति श्रद्धा है।

श्री भट्ट ने अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही उत्तराखंड से आने वाले पंडित गोविंद बल्लभ पंत के साथ ही भारत के पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल बीसी जोशी, पूर्व सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत व राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख अजीत डोभाल के उदाहरण देकर बताया कि मेहनत एवं अच्छे संस्कारों से कोई भी व्यक्ति कुछ भी बन सकता है। अपने कुमाउनी में दिए संबोधन में इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग कुछ बड़ा करते हैं, उन्हें ही पंडित पंत एवं इन हस्तियों की तरह हमेशा याद किया जाता है।

उन्होंने नगर में पार्किंग, श्मशान घाट के लिए सड़क एवं बलियानाला के सुदृढ़ीकरण के लिए योजनाएं स्वीकृत करने की बात भी कही। साथ ही कहा कि वह अपनी लोकसभा के विरोधी विचारधारा वाले लोगों के भी सांसद है, इसलिए सभी की समस्याएं उनकी अपनी समस्याएं हैं। इनके निदान के लिए कार्य करना उनका दायित्व है। विधायक सरिता आर्य ने भी कुमाउनी में अपना संबोधन दिया और पंडित पंत के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल, आयोजन समिति के मुख्य संयोजक पूरन मेहरा व संयोजक गोपाल रावत सहित अन्य अनेक लोगों ने भी विचार रखे और पं. पंत के जीवन के अनेक जाने-अनजाने कृत्यों एवं विशेषताओं से अवगत कराया। कार्यक्रम के दौरान नगर के अनेक विद्यालयों के मेधावी बच्चों व लोक कलाकारों ने देशभक्ति पूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इस मौके पर पंडित पंत के ऐतिहासिक चित्रों व पत्रों तथा उनसे संबंधित समाचार पत्रों व दस्तावेजों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

समारोह में आयोजन के उत्तराखंड संयोजक ललित भट्ट, केसी पंत, मुन्नी तिवाड़ी, भुवन हरबोला, आनंद बिष्ट, संजय कुमार ‘संजू’, बीना आर्य, डॉ. रमेश पांडे, दिग्विजय बिष्ट, वेद साह, मारुति साह, अनुपम कबडवाल, कैलाश सुयाल, रईश भाई, हरीश भट्ट, बिमला अधिकारी, पीजी शिथर, डॉ. सतपाल बिष्ट, डॉ. महेंद्र राणा, केएल आर्या व केएस रौतेला सहित बड़ी संख्या में नगर के गणमान्यजन मौजूद रहे। कार्यक्रम में अभिषेक मेहरा, विश्वकेतु वैद्य, अरविंद पडियार, कलावती असवाल व मीनू बुधलाकोटी सहित अनेक अन्य लोगों ने भी योगदान दिया।

यह हुए सम्मानित
नैनीताल। पंडित पंत जयंती समारोह में इतिहासकार डॉ. अजय रावत, पुलिस अधिकारी विजय थापा, वरिष्ठ पत्रकार चंद्रेक बिष्ट, चिकित्सक डॉ. सुशील भट्ट, उत्तराखंड बॉक्सिंग एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष नवीन टम्टा, पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल व जन्मान्ध सूरदास महाराज के साथ ही एक नई पहल करते हुए विद्युत विभाग में लाइनमैन के तौर पर अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करने वाले रेवाधर, गजेंद्र रावत, कंचन जोशी व ईश्वरी दत्त मेलकानी को सम्मानित किया गया।

इनके अलावा निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी कक्षाओं में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले बजून के विक्रम बोहरा व ममता कनवाल, अधौड़ा की मोनिका मेहरा, फगुनियाखेत की योगिता जोशी, सिलमोड़िया की भावना आर्या व करन सिंह, थापना की कल्पना पंत, खुर्पाताल की महिमा कनवाल, खमारी के संकल्प ध्यानी, जलालगांव के गौरव बिष्ट व खुड़लियाखेत की कोमल को पुरस्कृत किया गया।

नैनीताल बैंक ने बैंक के संस्थापक के रूप में भारत रत्न पंडित पंत को 135 वीं जयंती पर किया याद
नैनीताल बैंक के मुख्यालय में भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की मूर्ति पर श्रद्धांजलि अर्पित करते बैंक के अधिकारी व कर्मचारी।नैनीताल। भारत रत्न पंडित गोविद बल्लभ पंत की 135 वीं जयंती के मौके पर नैनीताल बैंक के प्रधान कार्यालय में भी विशेष कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर बैंक के संस्थापक के रूप में पं. पंत की बैक मुख्यालय में स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी निखिल मोहन ने कहा कि पंडित पंत ने जीवन पर्यन्त समाज सेवा के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने देश-प्रदेश के सर्वांगीण विकास हेतु कई कार्य किये।

इसी क्रम में 31 जुलाई 1922 को नैनीताल बैंक की स्थापना भी की, जो आज सफलतापूर्वक 100 वर्ष पूरे कर प्रदेश के साथ-साथ चार अन्य राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहा है। बैंक सदैव पंडित पंत द्वारा किये गए कार्यो के लिए उनको याद रखेगा तथा उनके आदर्शो का अनुसरण करता रहेगा। इस मौके पर बैंक के मुख्य परिचालन अधिकारी अरुण कुमार अग्रवाल, महेश जिंदल, संजय लाल साह, रमन गुप्ता, महेश गोयल, पीडी भट्ट, राहुल प्रधान, संजय गुप्ता, सचिन कुमार, विवेक शाह, प्रियांशु त्रिपाठी, प्रिया चौहान व लोकपाल सिंह सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के एकमात्र भारत रत्न पं. पंत की जयंती समारोह में शामिल होंगे केंद्रीय मंत्री

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 9 सितंबर 2022। देश के पूर्व गृह मंत्री एवं उत्तराखंड के एकमात्र भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत का शनिवार को जन्म दिवस पंत पार्क मल्लीताल नैनीताल सहित पूरे उत्तराखंड एवं उनके जन्म स्थान खूंट एवं दिल्ली में समारोह के साथ हर्षोल्लास पूर्वक धूमधाम से मनाया जाएगा। इन समारोहों में विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के गणमान्य लोग एवं आमजन भाग लेकर पं पंत को श्रद्धा-सुमन अर्पित करगें।

नैनीताल के कार्यक्रम के मुख्य संयोजक पूरन सिंह मेंहरा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि तत्कालीन संयुक्त नैनीताल जनपद के तराई को बसाने में पं पंत का बहुत बड़ा व प्रमुख योगदान रहा। अल्मोड़ा जनपद के खूंट गांव में 10 सित्मबर 1887 को पैदा हुए पं. पंत हिमालय जैसे शांत व चट्टान जैसे अडिग नेता थे। उनके देश के स्वाधीनता संग्राम में दिए गए अपार योगदान के लिए 1957 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा।

मेहरा ने बताया कि नैनीताल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अजय भट्ट सहित अनेक गणमान्य लोग एवं अधिकारी तथा विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के लोग अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करेंगे।

यह भी पढ़ें : पं. पंत की 134वीं जयंती पर कई लोग सम्मानित, कुमाऊं विवि में पं. पंत के नाम से जाना जाएगा शोध एवं नवोन्मेश केंद्र

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 10 सितंबर 2021। उत्तराखंड निवासी एकमात्र भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 134वीं जयंती दो वर्ष के अंतराल के बाद नगर में पूरे हर्षोल्लास एवं कार्यक्रमों के साथ मनाई गई। मास्क एवं सामाजिक दूरी के नियमों का यथासंभव पालन करते हुए नगर के मल्लीताल पंत पार्क में हुए आयोजन में अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहे लोगों को सम्मानित किया गया। वहीं कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने विश्वविद्यालय में पं. पंत के नाम पर शोध एवं नवोन्मेश केंद्र स्थापित करने की घोषणा की।

‘नवीन समाचार’ के संस्थापक-संपादक डॉ. नवीन जोशी को सम्मानित करते कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति, पूर्व विधायक एवं अन्य।

प्रो. जोशी ने बताया कि इस केंद्र में कुमाऊं विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ ही इंटरमीडिएट स्तर के अन्य छात्रों को भी शोध एवं नए प्रयोग करने के लिए अनुदान भी दिए जाएंगे। कार्यक्रम के दौरान गोमूत्र से कैंसर सहित अन्य असाध्य रोगों की चिकित्सा करने वाले प्रदीप भंडारी, समाजसेवी मुन्नी तिवारी, व्यवसायी कान्हा साह, अम्तुल्स पब्लिक स्कूल के उप प्रधानाचार्य शिक्षाविद् डॉ. मनोज बिष्ट, ‘नवीन समाचार’ के संस्थापक-संपादक, पत्रकार डॉ. नवीन जोशी व आरएसएस के जिला प्रचारक मनोज जी को सम्मानित किया गया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुभारंभ कुमाऊं मंडल के आयुक्त सुशील कुमार, अपर आयुक्त प्रकाश चंद्र, एसएसपी प्रीति प्रियदर्शिनी, एसडीएम प्रतीक जैन, पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल व भाजपा के प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट आदि द्वारा पं. पंत की विशाल मूर्ति पर माल्यार्पण तथा उनके जीवनवृत्त पर आधारित चित्रों की स्थानीय अभिलेखागार द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन करने से हुई।

कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में श्री भट्ट ने कहा कि पं. पंत को महानता न जन्म से मिली, न ही उन पर थोपी गई, वरन उन्होंने महानता अर्जित की। वे भारत माता के सच्चे सपूत थे। उन्होंने देश आजाद होने से पहले व बाद देशवासियों को देश के लिए जीने का सही सलीका सिखाया। डॉ. जंतवाल ने पंत के जीवन के कई अनजाने पहलुओं से अवगत कराया। मुख्य संयोजक पूरन मेहरा व गोपाल रावत ने उम्मीद जताई कि उनसे प्रेरणा लेकर उत्तराखंड से और भी भारत रत्न निकलेंगे।

इस दौरान जीजीआईसी, एशडेल, सैनिक व सीआरएसटी आदि के छात्र-छात्राओं ने रंगारंग देश भक्ति व कुमाउनी लोकगीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की शुरुआत व समापन राष्ट्रगीत व राष्ट्रगान से हुआ। सभी बच्चों को आयोजकों की ओर से उपहार एवं मिष्ठान्न वितरित किए गए। कार्यक्रम में पूर्व विधायक सरिता आर्य, पूर्व पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण व संजय कुमार संजू, पालिका सभासद निर्मला चंद्रा, प्रेमा अधिकारी, गजाला कमाल, रेखा आर्या, राजू टांक, सागर आर्या, भगवत रावत, सपना बिष्ट, पुष्कर बोरा, मोहन नेगी व सुरेश चंद्र, मोहन बिष्ट, ललित भट्ट, रईश भाई, बिमला अधिकारी, पीजी शिथर, डॉ. सतपाल बिष्ट, डॉ. महेंद्र राणा, केएल आर्या, अभिषेक मेहरा, विश्वकेतु वैद्य, आनंद बिष्ट, अरविंद पडियार, कलावती असवाल व मीनू बुधलाकोटी सहित अनेक लोगों ने योगदान दिया। संचालन नवीन पांडे व हेमंत बिष्ट ने किया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत : हिमालय सा व्यक्तित्व और दिल में बसता था पहाड़

-लखनऊ, दिल्ली की रसोई में भी कुमाऊंनी भोजन बनता था, पर्वतीय लोगों से अपनी बोली- भाषा में करते थे बात

डॉ. नवीन जोशी नैनीताल। देश की आजादी के संग्राम और आजादी के बाद देश को संवारने में अपना अप्रतिम योगदान देने वाले उत्तराखंड के लाल भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत का व्यक्तित्व हिमालय जैसा विशाल था। वह राष्ट्रीय फलक पर सोचते थे, लेकिन दिल में पहाड़ ही बसता था। उन्हें पहाड़ और पहाड़वासियों से अपार स्नेह था। पंत आज के नेताओं के लिए भी मिसाल हैं। वे महान ऊंचाइयों तक पहुंचने के बावजूद अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहे और स्वार्थ की भावना से कहीं ऊपर उठकर अपने घर से विकास की शुरूआत की। उनके घर में आम कुमाऊंनी रसोई की तरह ही भोजन बनता था और आम पर्वतीय ब्राह्मणों की तरह वे जमीन पर बैठकर ही भोजन करते थे। 

पंडित पंत के ग्राम खूँट स्थित पुस्तैनी घर के भग्नावशेष

1945 से पूर्व संयुक्त प्रांत के प्रधानमंत्री (प्रीमियर) रहने के दौरान तक पं. पंत तल्लीताल नया बाजार क्षेत्र में रहते थे। यहां वर्तमान क्लार्क होटल उस समय उनकी संपत्ति था। यहीं रहकर उनके पुत्र केसी पंत ने नगर के सेंट जोसफ कालेज से पढ़ाई की। वह अक्सर यहां तत्कालीन विधायक श्याम लाल वर्मा, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इंद्र सिंह नयाल, दलीप सिंह कप्तान आदि के साथ बी. दास, श्याम लाल एंड सन्स, इंद्रा फार्मेसी, मल्लीताल तुला राम आदि दुकानों में बैठते और आजादी के आंदोलन और देश के हालातों व विकास पर लोगों की राय सुनते, सुझाव लेते, चर्चा करते और सुझावों का पालन भी करते थे।

बाद में वह फांसी गधेरा स्थित जनरल वाली कोठी में रहने लगे। यहीं से केसी पंत का विवाह बेहद सादगी से नगर के बिड़ला विद्या मंदिर में बर्शर के पद पर कार्यरत गोंविद बल्लभ पांडे ‘गोविंदा’ की पुत्री इला से हुआ। केसी पूरी तरह कुमाऊंनी तरीके से सिर पर मुकुट लगाकर और डोली में बैठकर दुल्हन के द्वार पहुंचे थे। इस मौके पर आजाद हिंद फौज के सेनानी रहे कैप्टन राम सिंह ने बैंड वादन किया था। आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए वे पंत सदन (वर्तमान उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का आवास) में रहे, जोकि मूलत: रामपुर के नवाब की संपत्ति था और इसे अंग्रेजों ने अधिग्रहीत किया था।

उनके लखनऊ के बदेरियाबाग स्थित आवास पर पहाड़ से जो लोग भी पहुंचते थे, पंत उनके भोजन व आवास की स्वयं व्यवस्था कराते थे और उनसे कुमाऊंनी में ही बात करते थे। उनका मानना था कि पहाड़ी बोली हमारी पहचान है। वह अन्य लोगों से भी अपनी बोली-भाषा में बात करने को कहते थे। साह पं. पंत की वर्तमान राजनेताओं से तुलना करते हुए कहते हैं कि पं. पंत के दिल में जनता के प्रति दर्द था, जबकि आज के नेता नितांत स्वार्थी हो गये हैं। पंत में सादगी थी, वह लोगों के दुख-दर्द सुनते और उनका निदान करते थे। वह राष्ट्रीय स्तर के नेता होने के बावजूद अपनी जड़ों से जुड़े हुए थे। उन्होंने नैनीताल जनपद में ही पंतनगर कृषि विवि की स्थापना और तराई में पाकिस्तान से आये पंजाबी विस्थापितों को बसाकर पहाड़ के आँगन को हरित क्रांति से लहलहाने सहित अनेक दूरगामी महत्व के कार्य किये। पं. पंत के करीबी रहे नगर के दिवंगत समाजसेवी किशन लाल साह ‘कोनी’ ने 125वीं जयंती की पूर्व संध्या पर पं. पंत के नैनीताल नगर से जुड़ी यादों को साझा करते हुए बताया कि वह जब भी उनके घर जाते थे, उनकी माताजी पर्वतीय दालों भट, गहत आदि लाने के बारे में पूछतीं और हर बार रस-भात बनाकर खिलाती थीं।

पन्त के जीवन के कुछ अनछुवे पहलू

राष्ट्रीय नेता होने के बावजूद पं. पंत अपने क्षेत्र-कुमाऊं, नैनीताल से जुड़े रहे। केंद्रीय गृह मंत्री और संयुक्त प्रांत के प्रधानमंत्री रहते हुई भी वह स्थानीय इकाइयों से जुड़े रहे। उनकी पहचान बचपन से लेकर ताउम्र कैसी भी विपरीत परिस्थितियों में सबको समझा-बुझाकर साथ लेकर चलने की रही। कहते हैं कि बचपन में वह मोटे बालक थे, वह कोई खेल भी नहीं खेलते थे, एक स्थान पर ही बैठे रहते थे, इसलिए बचपन में वह ‘थपुवा” कहे जाते थे। लेकिन वे पढ़ाई में होशियार थे। कहते हैं कि गणित के एक शिक्षक ने कक्षा में प्रश्न पूछा था कि 30 गज कपड़े को यदि हर रोज एक मीटर काटा जाए तो यह कितने दिन में कट जाएगा, जिस पर केवल उन्होंने ही सही जवाब दिया था-29 दिन, जबकि अन्य बच्चे 30 दिन बता रहे थे। अलबत्ता, इस दौरान उनका काम खेल में लड़ने वाले बालकों का झगड़ा निपटाने का रहता था। उनकी यह पहचान बाद में गोपाल कृष्ण गोखले की तरह तमाम विवादों को निपटाने की रही। संयुक्त प्रांत का प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते वह रफी अहमद किदवई सरीखे अपने आलोचकों और अनेक जाति-धर्मों में बंटे इस बड़े प्रांत को संभाले रहे और यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री रहते 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौर में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू अपने चीनी समकक्ष चाऊ तिल लाई से बात नहीं कर पा रहे थे, तब पं पंत ही थे, जिन्होंने चाऊलाई को काबू में किया था। इस पर चाऊलाई ने उनके लिए कहा था-भारत के इस सपूत को समझ पाना बड़ा मुश्किल है। अलबत्ता, वह कुछ गलत होने पर विरोध करने से भी नहीं हिचकते थे। कहते हैं कि उन्होंने न्यायाधीश से विवाद हो जाने की वजह से अल्मोड़ा में वकालत छोड़ी और पहले रानीखेत व फिर काशीपुर चले गए। इस दौरान एक मामले में निचली अदालत में जीतने के बावजूद उन्होंने सेशन कोर्ट में अपने मुवक्किल का मुकदमा लड़ने से इसलिए इंकार कर दिया था कि उसने उन्हें गलत सूचना दी थी, जबकि वह दोषी था।

राजनीति और संपन्नता उन्हें विरासत में मिली थी। उनके नाना बद्री दत्त जोशी तत्कालीन अंग्रेज कमिश्नर सर हेनरी रैमजे के अत्यधिक निकटस्थ सदर अमीन के पद पर कार्यरत थे, और उनके दादा घनानंद पंत टी-स्टेट नौकुचियाताल में मैनेजर थे। कुमाऊं परिषद की स्थापना 1916 में उनके नैनीताल के घर में ही हुई थी। प्रदेश के नया वाद, वनांदोलन, असहयोग व व्यक्तिगत सत्याग्रह सहित तत्कालीन समस्त आंदोलनों में वह शामिल रहे थे। अलबत्ता कुली बेगार आंदोलन में उनका शामिल न होना अनेक सवाल खड़ा करता है। इसी तरह उन्होंने गृह मंत्री रहते देश की आजादी के बाद के पहले राज्य पुर्नगठन संबंधी पानीकर आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ जाते हुए हिमांचल प्रदेश को संस्कृति व बोली-भाषा का हवाला देते हुए अलग राज्य बनवा दिया, लेकिन वर्तमान में कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल के पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इंद्र सिंह नयाल के इसी तर्ज पर उत्तराखंड को भी अलग राज्य बनाने के प्रस्ताव पर बुरी तरह से यह कहते हुए डपट दिया था कि ऐसा वह अपने जीवन काल में नहीं होने देंगे। आलोचक कहते हैं कि बाद में पंडित नारायण दत्त तिवारी (जिन्होंने भी उत्तराखंड मेरी लाश पर बनेगा कहा था) की तरह वह भी नहीं चाहते थे कि उन्हें एक अपेक्षाकृत बहुत छोटे राज्य के मुख्यमंत्री के बारे में इतिहास में याद किया जाए।  1927 में साइमन कमीशन के विरोध में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को बचाकर लाठियां खाई थीं। इस पर भी आलोचकों का कहना है कि ऐसा उन्होंने नेहरू के करीब आने और ऊंचा पद प्राप्त करने के लिए किया। 1929 में वारदोली आंदोलन में शामिल होकर महात्मा गांधी के निकटस्थ बनने तथा 1925 में काकोरी कांड के भारतीय आरोपितों के मुकदमे कोर्ट में लड़ने जैसे बड़े कार्यों से भी उनका कद बढ़ा था।

वास्तव में 30 अगस्त है पं. पंत का जन्म दिवस 

नैनीताल। पं. पंत का जन्म दिन हालांकि हर वर्ष 10 सितम्बर को मनाया जाता है, लेकिन वास्तव में उनका जन्म 30 अगस्त 1887 को अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था। वह अनंत चतुर्दशी का दिन था। प्रारंभ में वह अंग्रेजी माह के बजाय हर वर्ष अनंत चतुर्दशी को अपना जन्म दिन मनाते थे। 1946 में अनंत चतुर्दशी यानी जन्म दिन के मौके पर ही वह संयुक्त प्रांत के प्रधानमंत्री बने थे, यह 10 सितम्बर का दिन था। इसके बाद उन्होंने हर वर्ष 10 सितम्बर को अपना जन्म दिन मनाना प्रारंभ किया।

पंत जी को था अपनी माटी से अगाध प्रेम 

नैनीताल। कहते है व्यक्ति वही बड़ा होता है, जो बड़ा होने के बावजूद अपनी मिट्टी से जुड़ा होता है। भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत ऐसे ही महान व विरले व्यक्तित्वों में से एक थे। उत्तर प्रांत के प्रथम प्रधानमंत्री (1937 से 1939), उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (1946 से 1954) एवं देश के गृहमंत्री (1955 से 1961) रहने वाले पं पंत को आज उनके देश के लिए किये गए कायां के लिए तो देश याद कर ही रहा है लेकिन उनकी अपनी मिट्टी के लिए किए गए कार्यो की श्रृंखला भी बेहद लंबी है। पं. पंत 1905 में अल्मोड़ा के रैमजे इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इलाहाबाद चले गए थे। यहां इलाहाबाद विवि में पंडित मोती लाल नेहरू, पं. जवाहर लाल नेहरू, सर तेज बहादुर स्प्रू आदि से सान्निध्य में उन्हें राजनीतिक चेतना का माहौल मिला। लिहाजा इलाहाबाद पहुंचने के एक माह बाद ही 20 जुलाई 1905 को वह अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने को खड़े हो गए। इस बीच वह गर्मियों में समय निकाल अल्मोड़ा जरूर आते थे और 1910 में उन्होंने इलाहाबाद में बड़े संपर्को के बावजूद अल्मोड़ा से ही वकालत प्रारंभ की। बाद में उन्होंने रानीखेत व काशीपुर में भी वकालत की। उनके कारण ही काशीपुर में कुमाऊं के अन्य अंचलों के बजाय आजादी की ज्वाला अधिक प्रज्वलित रही। तब कुमाऊं में नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा लागू करने का उन्हें श्रेय मिला। उन्होंने कुमाऊं में राट्रीय आंदोलनों को अहिंसा के आधार पर संगठित किया। वह कुमाऊं परिषद के भी सहयोगी रहे। राजनीतिक रूप से उनका काफी प्रभाव था, फलस्वरूप 1934 में वह रुहेलखंड कुमाऊं क्षेत्र से केंद्रीय विधानसभा के लिए निर्विरोध चुने गए। 1950 में उन्होंने बतौर उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में 14 हजार एकड़ भूमि को कृषि योग्य बनाकर 693 विस्थापितों, 504 राजनीतिक पीड़ितों व 75 भूतपूर्व सैनिकों के 33 गांव बसाए। 450 किलोवाट क्षमता के बिजलीघर की स्थापना हुई। रामपुर से बाजपुर व काशीपुर को जोड़ने वाली सड़क बनाई। रुद्रपुर में पूर्वी बंगाल से आये तीन सौ विस्थापितों को बसाया। हल्द्वानी व नैनीताल को दूध की आपूर्ति के लिए डेयरी फार्म स्थापित किया। 16 हजार एकड़ पर राजकीय कृषि फार्म बनवाया। पंतनगर स्थित उनके नाम का पंत विवि भी उन्हीं के योगदान से बना और एक हजार एकड़ में बाग लगाए गए। हाईकोर्ट छोड़ जिले में करते थे बैरिस्टरी तराई को विकसित कर रहने योग्य बनाया

भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के बारे में और अधिक जानकारी यहाँ भी पढ़ सकते हैं। 

भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत संयुक्त प्रान्त के प्रथम प्रधानमंत्री सन् (१९३७ से १९३९)  मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश ( सन् १९४६ से १९५४),  गृहमंत्री भारत सरकार ( सन् १९५५ से १९६१)पं. गोविन्द बल्लभ पंत का जन्म अल्मोडा के एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इस परिवार का सम्बन्ध कुमाऊं की एक अत्यन्त प्राचीन और सम्मानित परम्परा से है। पन्तों की इस परम्परा का मूल स्थान महाराष्ट्र में कोंकण प्रदेश माना जाता है और इसके आदि पुरुष माने जाते हैं जयदेव पंत। ऐसी मान्यता है कि ११वीं सदी के आरम्भ में जयदेव पंत तथा उनका परिवार कुमाऊं में आकर बस गया था।     पन्तों की वह शाखा, जिसमें पं० गोविन्द बल्लभ पंत के प्रपितामह श्री कमलाकांत नाथू का जन्म हुआ था, अल्मोडा जिले में गंगोलीहाट के समीप उपराडा, जजूट के निकट बस गई थी। यहां से इनकी एक शाखा खूंट चली गई और एक अन्य शाखा छखाता (भीमताल) को चली गई। कमलाकांत के पांच पुत्र थे १. महादेव, २. दुर्गादत्त, ३. शम्भूबल्लभ, ४. घनानंद ५. प्रेम बल्लभ। इनमें से चौथे पुत्र घनानंद, गोविन्द बल्लभ पंत के पितामह थे। घनानंद पंत के तीन पुत्र थे १. नरोत्तम, २. मनोरथ ३. हरि।  मनोरथ जी का जन्म १८६८ में हुआ। उनका विवाह १८७८ में अल्मोडा के सदर अमीन श्री बद्रीदत्त जोशी की कन्या से हुआ। बद्रीदत्त जोशी ने अपने दामाद मनोरथ को अल्मोडा बुलाकर कुमाऊं कमिश्नर के विश्वस्त अधिकारी होने की वजह से मनोरथ को अल्मोडा की अदालत में रखवा दिया। जहां कुछ वर्षो वाद वे अहलमद हो गये।१८९० में मनोरथ पंत का स्थानान्तरण जिला गढवाल के पौडी में हो गया। बाद में उनका तबादला काशीपुर हो गया। कुछ समय तक हल्द्वानी में कार्यवाहक नायब तहसीलदार के पद पर भी कार्य करने के बाद पुनः काशीपुर आये। उन दिनों पंत जी काशीपुर में वकालत करने लगे थे। १९१३ में मनोरथ जी को हैजा हो जाने से उनका देहान्त हो गया। उस समय उनकी आयु ४५ वर्ष की थी।  यहीं पर १८८७ में बालक गोविन्द बल्लभ का जन्म हुआ। श्री मनोरथ पंत गोविन्द के जन्म से तीन वर्ष के भीतर अपनी पत्नी के साथ पौडी गढवाल चले गये थे। बालक गोविन्द भी कुछ बडा होने पर दो-एक बार पौडी गया परन्तु स्थायी रुप से अल्मोडा में ही रहा जहां उसका लालन-पोषण उसकी मौसी धनीदेवी ने किया। गोविन्द ने १० वर्ष की आयु तक शिक्षा घर पर ही ग्रहण की। १८९७ में गोविन्द को स्थानीय रामजे कालेज में प्राथमिक पाठशाला में दाखिल करा दिया गया और यज्ञोपवीत किया गया। १८९९ में १२ वर्ष की आयु में उनका विवाह पं. बालादत्त जोशी की कन्या गंगा देवी से हो गया, उस समय वह ७वीं क्लास में थे। गोविन्द ने लोअर मिडिल की परीक्षा संस्कृत, गणित, अंग्रेजी विषयों में विशेष योग्यता के साथ प्रथम श्रेणी में पास की। गोविन्द इण्टर की परीक्षा पास करने तक यहीं पर रहा। इसके पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया तथा बी.ए. में गणित, राजनीति और अंग्रेजी साहित्य विषय लिए।  इलाहाबाद उस समय भारत की विभूतियां पं० जवाहरलाल नेहरु, पं० मोतीलाल नेहरु, सर तेजबहादुर सप्रु, श्री सतीशचन्द्र बैनर्जी व श्री सुन्दरलाल सरीखों का संगम था तो वहीं विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विद्वान प्राध्यापक जैनिग्स, कॉक्स, रेन्डेल, ए.पी. मुकर्जी सरीखे थे। इलाहाबाद में नवयुवक गोविन्द को इन महापुरुषों का सान्निध्य एवं सम्फ मिला तथा इलाहाबाद के जागरुक, व्यापक और राजनैतिक चेतना से भरपूर वातावरण मिला।  गोविन्द के इलाहाबाद पहुंचने के एक महीने बाद ही २० जुलाई, १९०५ को बंगभंग की सरकारी घोषणा होने पर अंग्रेजी शासकों के खिलाफ आर्थिक युद्ध लडने की प्रेरणा दी।         

पंत जी की कानून में स्वाभाविक रुचि थी। गर्मियों की छुट्टियों में अल्मोडा जाते थे तो कानून की पुस्तके ले जाते थे तथा खूब अघ्ययन करते थे। १९०९ में गोविन्द बल्लभ पंत को कानून की परीक्षा में विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम आने पर ”लम्सडैन“ स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।१९१० में गोविन्द बल्लभ पंत ने अल्मोडा से वकालत आरम्भ की। अल्मोडा में एक बार मुकदमें में बहस के दौरान उनकी मजिस्ट्रेट से बहस हो गई। अंग्रेज मजिस्ट्रेट को नये वकील का अधिकारपूर्वक कानून की व्याख्या करना बर्दाश्त नहीं हुआ, गुस्से में बोला- ”मैं तुम्हें अदालत के अन्दर नहीं घुसने दूंगा“ पर बिना हतप्रभ हुए गोविन्द बल्लभ ने तत्काल उत्तर दिया- ”मैं, आज से तुम्हारी अदालत में कदम नहीं रखगा।“     

अल्मोडा के बाद पंतजी ने कुछ महीने रानीखेत में वकालत की, पर वह तहसील भी अल्मोडा के मजिस्ट्रेट के अधीन थी। अतः स्वाभिमानी पंत जी वहां से काशीपुर आ गये। उस समय कुमाऊं तथा गढवाल के बहुत बडे भाग के पर्वतीय इलाकों को कपडा तथा खाद्यान्न काशीपुर से ही भेजा जाता था। उन दिनों काशीपुर के मुकदमें एस.डी.एम. (डिप्टी कलक्टर) की कोर्ट में पेश हुआ करते थे। यह अदालत ग्रीष्म काल में ६ महीने नैनीताल व सर्दियों के ६ महीने काशीपुर में। इस प्रकार पंतजी का काशीपुर के बाद नैनीताल से सम्बन्ध जुडा।सन् १९१२-१३ में पंतजी काशीपुर आये उस समय उनके पिता जी रेवेन्यू कलक्टर थे। श्री कुंजबिहारी लाल जो काशीपुर के वयोवृद्ध प्रतिष्ठित नागरिक थे, का मुकदमा पंतजी द्वारा लिये गये सबसे पहले मुकदमों में से एक था। इसकी फीस उन्हें ५ रु० मिली थी। 

१९०९ में पंतजी के पहले पुत्र की बीमारी से मृत्यु हो गयी, तथा कुछ समय बाद पत्नी गंगादेवी की भी मृत्यु हो गयी। उस समय उनकी आयु २३ वर्ष की थी। वह गम्भीर व उदासीन रहने लगे तथा समस्त समय कानून व राजनीति में देने लगे। घरवालों के दबाव पर १९१२ में पतजी का दूसरा विवाह अल्मोडा में हुआ। उसके बाद पंतजी काशीपुर आये। पंतजी काशीपुर में सबसे पहले नजकरी में नमकवालों की कोठी में एक साल तक रहे। १९१३ में पंतजी काशीपुर के मौहल्ला खालसा में ३-४ वर्ष तक रहे। अभी नये मकान में आये एक वर्ष भी नहीं हुआ था कि उनके पिता मनोरथ पंत का देहान्त हो गया। इस बीच एक पुत्र की प्राप्ति हुई पर उसकी कुछ महीनों बाद मृत्यु हो गयी। बच्चे के बाद उनकी पत्नी भी १९१४ में स्वर्ग सिधार गई। १९१६ में पंतजी राजकुमार चौबे की बैठक में चले गये। चौबे जी पंतजी के अनन्य मित्रों में से थे। उनके द्वारा दबाव डालने पर पुनःविवाह के लिए राजी होना पडा तथा काशीपुर के ही श्री तारादत्त पाण्डे जी की पुत्री कलादेवी से विवाह हुआ। उस समय पन्तजी की अवस्था ३० वर्ष की थी। गोविन्द बल्लभ पंत जी का मुकदमा लडने का ढंग निराला था, जो मुवक्किल अपने मुकदमों के बारे में सही-सही नहीं बताते या कुछ छिपाते तो पंतजी उनका मुकदमा लेने से इन्कार कर देते थे।

काशीपुर में एक बार गोविन्द बल्लभ पंत जी धोती, कुर्ता तथा गाँधी टोपी पहनकर कोर्ट गये। वहां अंग्रेज मजिस्ट्रेट द्वारा आपत्ति करने पर निर्भीकता पूर्वक कहा- मैं कोर्ट से बाहर जा सकता हूं पर यह टोपी नहीं उतार सकता।एक बार एक थानेदार पर घुसखोरी का मुकदमा चला। उसकी ओर से गवाही देने के लिए नैनीताल से पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट मिस्टर ब्रस आये। तो पंतजी ने कोर्ट में उनसे गवाह के कठघरे में खडा होने को कहा तो वह क्रोध म गरम होकर असंगत बाते कह गया। नतीजतन उसका सारा केस ही खराब हो गया।  पन्त जी की वकालत की काशीपुर में धाक शीघ्र ही जम गई। और उनकी आय ५०० रुपए मासिक से भी अधिक हो गई। पंत जी का राजनीतिक जीवन के बारे में बताते हुए वयोवृद्ध समाजसेवी पं० रामदत्त पंत ने बताया था कि पंत जी के कारण काशीपुर राजनीतिक तथा सामाजिक दृष्टियों से कुमायूं के अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक जागरुक था। अंग्रेज शासकों ने काशीपुर नगर को काली सूची में शामिल कर लिया। पंतजी के नेतृत्व के कारण नौकरशाही काशीपुर को ”गोविन्दगढ“ कहती थी।  १९१४ में काशीपुर में प्रेमसभा की स्थापना पंत जी के प्रयत्नों से ही हुई। ब्रिटिश शासकों को यह भ्रांति हो गई कि समाज सुधार के नाम पर यहां आतंकवादी कार्यो को प्रोत्साहन दिया जाता है। फलस्वरुप इस सभा को उखाडने के अनेक प्रयत्न किये गये पर पंत जी के प्रयत्नों से उनकी नहीं चली। १९१४ में पंत जी के प्रयत्नों से ही उदयराज हिन्दू हाईस्कूल की स्थापना हुई। राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के आरोप में ब्रिटिश सरकार ने इस स्कूल के विरुद्ध डिग्री दायर कर नीलामी के आदेश पारित कर दिये। पंत जी को पता चलने पर उन्होंने चन्दा मांगकर इसको पूरा किया।       

१९१६ में पंतजी काशीपुर की नोटीफाइड ऐरिया कमेटी में नामजद किये गये। बाद में कमेटी की शिक्षा समिति के अध्यक्ष बने। कुमायूं में सबसे पहले निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा लागू करने का श्रेय पंतजी को ही है। पंतजी ने कुमायूं में राष्ट्रीय आन्दोलन को अंहिसा के आधार पर संगठित किया। आरम्भ से ही कुमाऊं के राजनैतिक आन्दोलन का नेतृत्व पंतजी के हाथों में रहा। कुमाऊं में राष्ट्रीय आन्दोलन का आरम्भ कुली उतार, जंगलात आंदोलन, स्वदेशी प्रचार तथा विदेशी कपडों की होली व लगान-बंदी आदि से  हुआ। बाद में धीरे-धीरे कांग्रेस द्वारा घोषित असहयोग आन्दोलन की लहर कुमायूं में छा गयी। १९२६ के बाद यह कांग्रेस में मिल गयी। 

दिसम्बर १९२० में कुमाऊं परिषद का वार्षिक अधिवेशन काशीपुर में हुआ। जहां १५० प्रतिनिधियों के ठहरने की व्यवस्था काशीपुर नरेश की कोठी में की गई। पंतजी ने बताया कि परिषद का उद्देश्य कुमाऊं के कष्टों को दूर करना है न कि सरकार से संघर्ष करना। अब पंतजी की वकालत की ख्याति कुमाऊं की परिधि से निकलकर सारे प्रान्त में व्याप्त हो चुकी थी। मित्रों द्वारा हाईकोर्ट में वकालत का सुझाव देने पर उन्होंने कहा- इलाहाबाद वकालत के लिए भले ही अच्छी जगह हो, लेकिन देशसेवा के लिए नैनीताल ही उपयुक्त है। २३ जुलाई, १९२८ को पन्तजी नैनीताल जिला बोर्ड के चैयरमैन चुने गये। १९२०-२१ में चैयरमैन रह चुके थे।  पंत जी के राजनैतिक सिद्धान्त का एक आवश्यक अंग था कि अपने क्षेत्र अथवा जिले की राजनीति की कभी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। जिस प्रकार वृक्ष के वृहदाकार हो जाने पर उसकी जड का महत्व कम नहीं होता उसी प्रकार कार्य क्षेत्र व्यापक हो जाने पर व्यक्ति को स्थानीय राजनीति में सक्रिय भाग लेना चाहिए तथा वहां की समस्याओं को हल करने का पूरा प्रयास करना चाहिए। महात्मा गांधी जी की कुमायूं यात्रा वहां के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का उज्जवल अध्याय है। १९२९ में गांधी जी कोसानी से रामनगर होते हुए काशीपुर भी गये। काशीपुर में गांधी जी लाला नानकचन्द खत्री के बाग में ठहरे थे। एक सजी हुई बैलगाडी में, जिसके पीछे एक विशाल जुलूस था,  गाँधी जी बैठे थे। काशीपुर में गाँधी जी को दो हजार रुपये तथा कुछ स्वर्णाभूषण प्राप्त हुए। काशीपुर से रवाना होने से पूर्व गांधी जी ने गोविन्द बल्लभ पंत से पूछा कि दान में प्राप्त धनराशि का वहां की जनता के लिए क्या उपयोग किया जा सकता है तो पंत जी ने काशीपुर में एक चरखा संघ की स्थापना का सुझाव दिया, जिसकी बाद में विधिवत स्थापना हुई। 

१० अगस्त, १९३१ को भवाली में उनके सुपुत्र श्रीकृष्ण चन्द्र पंत का जन्म हुआ।नवम्बर, १९३४ में गोविन्द बल्लभ पंत रुहेलखण्ड-कुमाऊं क्षेत्र से केन्द्रीय विधान सभा के लिए निर्विरोध चुन लिये गये।साम्प्रदायिकता की निन्दा करते हुए पंत जी का कहना था कि ऐसे दंगे हमें अपने लक्ष्य से मीलों दूर फेंक देते हैं। हिन्दू और मुसलमान एक जाति के हैं। उनकी नसों में एक ही खून दौड रहा है। धर्मान्धता हमारे उद्देश्य में भारी अटकाव है।१७ जुलाई, १९३७ को गोविन्द बल्लभ पंत संयुक्त प्रान्त के प्रथम मुख्यमंत्री बने। जिसमें नारायण दत्त तिवारी संसदीय सचिव नियुक्त किये गये थे। स्वतंत्रता के पुनीत अवसर पर गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा दिया गया सन्देशः-मित्रों और साथियों, इस ऐतिहासिक अवसर पर आप लोगों के प्रति हार्दिक शुभकामनाएं प्रक करते हुए मुझे हर्ष होता है। हम अपनी मंजिल पर पहुंच चुके हैं। हमें अपना लक्ष्य मिल गया है। भारतीय संघ के स्वतंत्र राज्य में मैं आपका स्वागत करता हूं। जनता के प्रतिनिधि राज्य और उसकी विभिन्न शाखाओं का नियंत्रण और संचालन करेगें और जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की सरकार केवल सिद्धान्त नहीं रहेगा वरन अब वह सब प्रकार से सक्रिय रुप धारण करेगा और सभी मानों में यह सिद्धान्त व्यवहार में लाया जाएगा। पन्त जी १९४६ से दिसम्बर १९५४ तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। पंतजी को भूमि सुधारों में पर्याप्त रुचि थी। २१ मई, १९५२ को जमींदारी उन्मूलन कानून को प्रभावी बनाया।

मुख्यमंत्री के रुप में उनकी विशाल योजना नैनीताल तराई को आबाद करने की थी। जून १९५० के अन्त तक १४,००० एकड भूमि को कृषि योग्य बना दिया गया था। ६९३ विस्थापित व्यक्तियों, ५०४ राजनीतिक पीडतों तथा ७५ भूतपूर्व सैनिकों को भूमि दी गई। ३३ गांव बसाये गये। ४५० किलोवाट क्षमता वाले एक बिजली घर की स्थापना की गई। रामपुर तथा बाजपुर और काशीपुर को मिलाने वाली सडके बनाई गई। रुद्रपुर नगर का विकास किया गया। पूर्वी बंगाल से आये  हुए ३०० विस्थापित परिवारों को बसाया गया। तराई में गन्ने की खेती का विकास किया गया। १६ नये गांव बसाये गये। हल्द्वानी व नैनीताल नगर को दूध उपलब्ध कराने हेतु डेरी फार्म की स्थापना की गई। सोलह हजार एकड का राजकीय फार्म बनाया गया। जी.बी. पंत कृषि विश्वविद्यालय, व हवाई अड्डा उन्हीं की देन है। एक हजार एकड भूमि पर बाग लगाये गये। वन रोपण का काम भी चलवाया। इस तरह पंत जी एक विद्वान कानून ज्ञाता होने के साथ ही महान नेता व महान अर्थशास्त्री भी थे। कृष्णचन्द्र पंत उनके   पुत्र  केन्द्र सरकार में विभिन्न पदों पर रहते हुए  योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे।

यह भी पढ़ें : सरोवरनगरी में ऐसे हर्षोल्लास से मनाई गई भारत रत्न पं. पंत की 132वीं जयंती -मेधावी छात्र-छात्राएं व उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोग हुए सम्मानित

नवीन समाचार, नैनीताल, 10 सितंबर 2019। जिला व मंडल मुख्यालय सरोवर नगरी में भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गयी। पंत पार्क में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक संजीव आर्या, विशिष्ट अतिथि कुमाऊं मंडल के आयुक्त राजीव रौतेला, डीएम सविन बंसल व एसएसपी सुनील कुमार मीणा आदि ने पंडित पंत के मूर्ति पर माल्यापर्ण कर श्रद्धासुमन अर्पित किये, तथा क्षेत्रीय अभिलेखागार द्वारा पं. पंत के जीवन पर आधारिज चित्र प्रर्दशनी का फीता काट कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर नगर के स्कूली छात्रों-छात्राओं व कुमाऊँ सांस्कृतिक उत्थान समिति के कलाकारों ने देशभक्ति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इस अवसर पर पंडित पंत जन्म दिवस समारोह समिति की ओर से अजय कुमार, कार्तिक कनवाल, गरिमा नेगी, चेतन कोटलिया, दिनेश मेहरा, चेतना बिष्ट, तनूजा अधिकारी, ममता कनवाल, मनीषा कनवाल, योगेश बिष्ट व जमुना बिष्ट आदि 11 मेधावी छात्र-छात्राओं के साथ ही माज में उत्कृष्ट कार्यों हेतु केदार सिंह रावत, हेमा रावत, डा. नारायण सिंह जंतवाल, मनोज कुमार, जीत सिंह आनन्द, शंकर दत्त जोशी व विश्वकेतु वैद्य को सम्मानित किया गया।

मंगलवार को पंत पार्क नैनीताल में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में अपने सम्बोधन ने पं. पंत की जीवनी एवं उनके द्वारा स्वाधीनता संग्राम से लेकर देश को सशक्त बनाने में योगदान को याद किया। मुख्य अतिथि विधायक श्री आर्या ने कहा कि पं पंत से प्रेरणा लेकर हमें राष्ट्र व समाज की सेवा के लिए हमें आगे होना यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। कार्यक्रम में प्रदेश संयोजक ललित मोहन भट्ट, मुख्य संयोजक पूरन मेहरा, संयोजक गोपाल रावत, सुरेंद्र सिंह, पूर्व सांसद डा. महेंद्र पाल, पूर्व विधायक डा. नारायण सिंह जंतवाल, दिनेश आर्य, भुवन चंद्र हरबोला, पीजी शिथर, कैलाश रौतेला, भानु पंत, दया किशन पोखरिया, दयाकिशन पोखरिया, केएल आर्य, जगमोहन बिष्ट, ज्योति प्रकाश व पूर्व दायित्वधारी शांति मेहरा सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन गोपाल रावत व नवीन पांडे ने किया। इधर सूचना विभाग में अतिरिक्त सूचनाधिकारी गोबिंद बिष्ट ने पंत जी के चित्र पर माल्यार्पण कर याद किया। इस अवसर पर पत्रकार चन्द्रेक बिष्ट, नवीन जोशी, प्रकाश पाण्डेय, दीवान गिरी गोस्वामी, सुधीर कुमार, दीवान सिंह बिष्ट,उमेद सिंह जीना, मोहन चंद्र फुलारा के अलावा अनेक लोग मौजूद रहे। साथ ही जनपद के सरकारी कार्यालयों व अन्य सार्वजनिक स्थानों में भी पंत के चित्र पर माल्यापर्ण कर उन्हें भावपूर्ण स्मरण किया गया।

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