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July 11, 2025

हाईकोर्ट ने हटाई त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगी रोक, निर्वाचन आयोग को तीन दिन में नया कार्यक्रम घोषित करने के निर्देश

(Vigilance Trap vs Pre-Investigation-HC Debates (800 Cr Scam-No Registration-No Trace-High Court (Land Scam in Haldwani-High Court Demands Answers (Nazul-railway-Forest department land being Sold) (Panchayat Polls Stayed-Next Hearing For June 25 (Ban on Three-Tier Panchayat Elections Continues) (High Court Stayed Ban on Kllegal mining in Kanda) (Divorced Woman Mother of Children-Love Married)

नवीन समाचार, नैनीताल, 27 जून 2025 (High Court lifts ban on three-tier panchayat ele)। उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। नैनीताल स्थित उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने आरक्षण रोस्टर निर्धारण के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चुनाव पर लगी रोक को हटा दिया है।

साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग को पूर्व में जारी चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे बढ़ाते हुए नवीन कार्यक्रम घोषित करने के निर्देश दिये हैं। इस निर्णय के बाद प्रदेश भर में पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दोबारा प्रारंभ होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

आरक्षण में विसंगतियों पर उठे सवाल, सरकार को तीन सप्ताह में जवाब देने के निर्देश

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सरकार की ओर से महाधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित किया तथा वर्तमान पंचायत चुनाव को प्रथम चरण के रूप में माना जाना आवश्यक था। यह भी बताया गया कि नया रोस्टर तदनुसार लागू किया गया।

नियमावली व परिपत्र को दी गई थी चुनौती (High Court lifts ban on three-tier panchayat ele)

बागेश्वर जनपद निवासी गणेश कांडपाल सहित कई याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार की ओर से जारी 9 व 11 जून 2025 की नियमावली व परिपत्र को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार ने अब तक के आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित कर नई व्यवस्था को वर्तमान चुनाव से लागू करने का निर्णय लिया है, जो कि न्यायालय के पूर्व निर्देशों व पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 126 के विरुद्ध है। उनका यह भी तर्क था कि जब तक किसी नियम को सरकारी गजट में प्रकाशित नहीं किया जाता, तब तक वह प्रभावी नहीं माना जा सकता।

इन सभी तर्कों पर विचार करते हुए खंडपीठ ने चुनाव पर लगी रोक हटाई और सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर तीन सप्ताह में उत्तर प्रस्तुत करे। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी प्रत्याशी को आरक्षण रोस्टर या निर्वाचन प्रक्रिया पर आपत्ति है, तो वह न्यायालय में अपना पक्ष रख सकता है।

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