उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अपने माता-पिता व बहन सहित 5 लोगों की 85 बार चाकू मारकर हत्या करने के बाद फांसी की सजा पाये अभियुक्त को छोड़ने के दिये आदेश
नवीन समाचार, नैनीताल, 9 जुलाई 2024 (High Court released accused sentenced to death)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में दीपावली की रात अपने पिता, माता, गर्भवती बहन, बहन के गर्भ में पल रहे पूरे माह के शिशु व भांजी आदि पांच सदस्यों की निर्मम तरीके से 85 वार कर घर में अंधेरा करने वाले फांसी की सजा पाये अभियुक्त को छोड़ दिया है। उसे उसके स्वास्थ्य कारणों के आधार पर अंडरगॉन पर छोडा़ गया है।
अभियुक्त की अधिवक्ता मनीषा भंडारी का कहना था कि वह दस साल से मानसिक रोग से गुजर रहा है। उसकी दवा भी चल रही है। इसलिए उसने जितनी भी सजा काट ली है उसी पर उसे छोड दिया जाए। इसके बाद न्यायालय ने उसे इसी आधार पर छोड़ दिया गया है। पूर्व में न्यायालय ने सुनवाई के बाद विगत चार जुलाई को निर्णय को सुरक्षित रख लिया था।
यह था मामला
उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार 23 अक्टूबर 2014 को अभियुक्त हरमीत सिंह ने देहरादून के आदर्श नगर में अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गयी थी। अभियुक्त ने पांच लोगों की हत्या करने में चाकू से 85 बार वार किया था। इसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से भी हुई थी।
यह था हत्या का कारण
पुलिस ने जांच में पाया कि हरमीत के पिता की दो शादियां थी। उसे शक था कि उसके पिता सारी संपत्ति को सौतेली बहन के नाम पर कर देंगे। उसकी सौतेली बहन एक सप्ताह पहले अपने प्रसव के लिए अपनी बेटी के साथ मायके आई हुई थी उसका जन्मदिन 25 अक्टूबर को था। इस कारण वह 25 अक्टूबर को ही प्रसव कराकर बच्चे को जन्म देना चाहती थी। लेकिन इस दौरान ही दीपावली की रात को हरमीत ने घर पर पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी। इस हत्याकांड का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया था।
अभियुक्त ने घटना को चोरी का अंजाम देने के लिए अपना हाथ भी काट लिया था। 24 अक्टूबर 2014 को पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद उसके विरुद्ध अभियोग दर्ज किया था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) आशुतोष मिश्रा ने 5 अक्टूबर 2021 को उसे फांसी की सजा सुनवाई साथ मे एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम ने फांसी की सजा की पुष्टि करने के लिए हाईकोर्ट में रिफरेंस भेजा था।
इस कारण मिली राहत (High Court released accused sentenced to death)
लेकिन उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने पिता, सौतेली मां और बहिन और भांजी की चाकू से गोद कर निर्मम हत्या करने वाले अभियुक्त की फांसी की सजा को मेडिकल आधार पर गैर इरादतन हत्या में बदल दिया है। इसके बाद लगभग 10 वर्ष की सजा पा चुके अभियुक्त का जेल से बाहर आना तय हो गया है। इस मामले में अभियुक्त की अधिवक्ता मनीषा भंडारी की ओर से कहा गया कि अभिुयक्त मानसिक रूप से बीमार है और निचली अदालत की ओर से इस तथ्य की अनदेखी की गयी है।
इस पर पीठ ने मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर गैर इरादन हत्या मानते हुए फांसी की सजा को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 304 में बदल दिया। इस सजा के तहत अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। अभियुक्त अधिकतम 10 साल की सजा जेल में रहते हुए काट चुका है। (High Court released accused sentenced to death)
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