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January 14, 2025

उत्तराखंड में निकाय चुनाव में आरक्षण पर आया हाई कोर्ट का अनंतिम निर्णय, अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे चुनाव परिणाम….

Uttarakhand Nikay Chunav

नवीन समाचार, नैनीताल, 10 जनवरी 2025 (High Courts Provisional decision on Reservation) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नगर निकाय और पंचायत चुनाव की आरक्षण नियमावली 2024 को चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई चुनाव के बाद करने का निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने शुक्रवार देर रात तक चली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं से प्रति शपथ पत्र दाखिल करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च को निर्धारित की गई है। चुनाव परिणाम उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे। 

याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां

(High Courts Provisional decision on Reservation)याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में दलील दी कि राज्य सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर आरक्षण अधिसूचना जारी की। जिस दिन अधिसूचना जारी हुई, उसी दिन चुनाव कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया, जिससे उन्हें आपत्ति दर्ज कराने का अवसर नहीं मिला। उन्होंने बताया कि नियमों के तहत आरक्षण अधिसूचना जारी होने के बाद आपत्तियां दर्ज करने का प्रावधान है, जिसका पालन नहीं किया गया।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि निकायों और निगमों में आरक्षण तय करते समय राज्य सरकार व चुनाव आयोग ने मनमानी की। जिन क्षेत्रों में ओबीसी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य वर्गों की जनसंख्या दस हजार से कम थी, वहां आरक्षण नहीं होना चाहिए था। इसके विपरीत, जहां इनकी संख्या अधिक थी, वहां आरक्षण आवश्यक था। उदाहरण स्वरूप, अल्मोड़ा नगर निगम क्षेत्र में इन वर्गों की जनसंख्या कम है, फिर भी वहां आरक्षण लागू किया गया। जबकि, देहरादून और हल्द्वानी जैसे क्षेत्रों में, जहां इनकी जनसंख्या अधिक है, वहां आरक्षण नहीं दिया गया।

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि निकायों का आरक्षण नियमों के अनुसार निर्धारित किया गया है। सरकार ने यह भी तर्क दिया कि इस मामले को चुनाव याचिका के रूप में चुनौती दी जानी चाहिए, अन्य किसी याचिका में नहीं।

अल्मोड़ा और अन्य निकायों में आरक्षण पर विवाद

अल्मोड़ा, गुप्तकाशी, महुवा डाबरा, उत्तरकाशी, धारचूला, द्वाराहाट सहित 10 से 12 निकायों में आरक्षण को लेकर विवाद है। गुप्तकाशी की याचिका में कहा गया कि पहली बार नगर पंचायत बने इस क्षेत्र में कुल 527 अनुसूचित जाति (एससी) मतदाता हैं, जहां एससी महिला आरक्षण लागू करना अनुचित है। उत्तरकाशी की याचिका में बताया गया कि वहां आरक्षण को तीन बार बदला गया, जो प्रक्रियागत त्रुटि है।

न्यायालय की गंभीर टिप्पणियां

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पूछा कि आरक्षण निर्धारण के लिए किस डाटाबेस का उपयोग किया गया। न्यायालय ने इसे प्रथम दृष्टया संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन बताया और रोटेशन तथा संशोधन के सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। न्यायालय ने कहा कि कुल पदों के समानुपात में आरक्षण तय किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया।

चुनाव प्रक्रिया प्रभावित न हो (High Courts Provisional decision on Reservation)

राज्य सरकार ने न्यायालय में तर्क दिया कि आरक्षण पर आदेश देने से पूरी चुनाव प्रक्रिया प्रभावित होगी। उच्च न्यायालय ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि चुनाव परिणाम उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि यह प्रारंभिक आदेश है और अंतिम निर्णय आना अभी बाकी है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि अदालत बाद में आरक्षण को गलत पाती है, तो पूरे चुनाव को निरस्त किया जा सकता है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी। (High Courts Provisional decision on Reservation)

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