गौला पुल के टूटने से 45 किमी की आबादी को खर्च करने पड़ रहा 4 गुना तक किराया, जानें गौला नदी पर बने पुलों का पूरा इतिहास
-20 वर्षों में 15 वर्ष ही चला, 3 बार टूटा, धामी सरकार के कार्यकाल में ही दूसरी बार बही संपर्क सड़क
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 14 सितंबर 2024 (History of Bridge on Gaula in Haldwani-Kathgodam)। हल्द्वानी में बीती 14 सितंबर को तीसरी और धामी सरकार के कार्यकाल में ही दूसरी बार क्षतिग्रस्त हुआ गौला पुल गौलापार के लगभग 45 मिलोमीटर क्षेत्र में रहने वाली लाखों की आबादी के लिये परेशानी का कारण बन गया है। इस कारण लोगों को अपनी कृषि उपजों को हल्द्वानी मंडी में लाने और दैनिक कार्यों, नौकरी इत्यादि के लिये हल्द्वानी आने में 10 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा है।
साथ ही नियमित बसों की सुविधा न होने के कारण तीन पहिया ऑटो की सवारी करते हुए 4 गुना तक धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। बताया गया है कि हल्द्वानी से सीतापुर का ऑटो से किराया जो 30 रुपये था, अब 120 रुपये तक देना पड़ रहा है।
इस आलेख में हम हल्द्वानी के गौला पुलों के इतिहास और इनके लगातार टूटने की यात्रा तथा आगे भी इस पर संभावित खतरों को रेखांकित कर रहे हैं। जो बताते हैं कि गौला नदी में खनन और पुल की मरम्मत में गुणवत्ता पर कितनी अधिक गंभीरता से सोचने और कार्य करने की आवश्यकता है। क्योंकि इससे सरकार की छवि भी दूषित हो रही है और भ्रष्टाचार को लेकर भी प्रश्न खड़े हो रहे हैं।
काठगोदाम के पुल
सबसे पहले 1913-14 में अंग्रेजों ने काठगोदाम में गौला नदी पर 350 फीट लंबा धनुषाकार पैदल झूला पुल बनाया था। यह पुल लार्ड हार्डिंग के नाम पर था, लेकिन 24 मई 1961 की आंधी में यह पुल उस समय टूट गया जब उसकी मरम्मत का काम चल रहा था। इसके नट-बोल्ट खोले गये थे। इसके बाद 1975 में काठगोदाम में वाहनों के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने नया पुल बनाया, जो आज भी सुरक्षित है।
हल्द्वानी का पुल
हल्द्वानी में बढ़ते यातायात को देखते हुए 1980 से हल्द्वानी के राजपुरा से वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम के पास से गौलापार को जाने वाले मार्ग के समानांतर गौला पुल की मांग की जाने लगी। इस पर वर्ष 1993 में एक पुल की योजना बनी और तब इसका बजट 2.74 करोड़ रुपये तय हुआ।
लेकिन 11 वर्ष के बाद वर्ष 2004 में राजपुरा की जगह हल्द्वानी के बनभूलपुरा के पास 9.77 करोड़ रुपये की लागत से गौला में 364.76 मीटर लंबा 9 पीलरों का नया पुल बनकर तैयार हुआ। लेकिन 4 वर्ष में ही जुलाई 2008 में यह पुल गौला नदी के तेज बहाव और इसके पीलरों तक होने लगे अवैध खनन के कारण कई पीलरों के साथ ढह गया।
इसके बाद, 2008 में वुडहिल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इसे 19.5 करोड़ रुपये की लागत से फिर से बनाना शुरू किया, और 2013 में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से इसका पुनर्निर्माण हुआ।
2013 में पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद यह पुल पुनर्निर्मित हुआ, लेकिन इसके ध्वस्त होने का सिलसिला नहीं रुका। 19 अक्तूबर 2021 को दो दिन की तेज बारिश ने इसकी संपर्क सड़क का 15 मीटर हिस्सा बह गया। तब भी प्रदेश में पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री थे और उनकी सरकार के कार्यकाल में एनएचएआई ने इसे 15 लगभग दिन में ही इसे अस्थायी उपचार कर फिर से वाहनों के लिये शुरू कर दिया था। हालांकि इस पर पूरा कार्य होने में लगभग 9 करोड़ रुपये लगे थे। देखें हल्द्वानी के गौला पुल के धंसने का लाइव वीडियो :
लेकिन तीन साल बाद 14 सितंबर 2024 को फिर से इसे जोड़ने वाली संपर्क सड़क एक बार फिर से नदी के बहाव में बह गई है। गौरतलब है कि पुल के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। इधर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी गौला पुल की सुरक्षा को लेकर चिंता जतायी थी और आइआइटी रुड़की व कुमाऊं मंडल के आयुक्त की जांच में भी पुल के डिजाइन और निर्माण सामग्री को लेकर कई प्रश्न खड़े किए गए थे। इस बीच इसी महीने पुल की सुरक्षा के लिए 28 करोड़ रुपये की लागत से बचाव कार्यों की निविदा जारी हुआ था, लेकिन काम शुरू होने से पहले ही सड़क दोबारा बह गई।
नुकसान का आकलन
गौला नदी के तेज बहाव से चोरगलिया रोड और गौला पुल की सड़कों को भी भारी नुकसान हुआ है। अधिकारियों के अनुसार चोरगलिया रोड के रेलवे क्रॉसिंग के पास गौला पुल की संपर्क सड़क 15 फीट लंबी और 20 फीट चौड़ी हिस्से के साथ नदी में समा गई है। गौला नदी के तेज बहाव के कारण रेलवे, एनएचएआई, खेल विभाग, और लोक निर्माण विभाग को 15 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई और स्थायी सुरक्षा कार्यों के लिए 63 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे। खासकर सड़क की मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।
मरम्मत पर विशेष व गंभीर प्रयास किये जाने की आवश्यकता
चूंकि यह पुल कई बार टूट चुका है, और इसके निर्माण की गुणवत्ता को लेकर भी समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। अवैध खनन और नदी के तेज बहाव ने पुल की सुरक्षा को हमेशा चुनौती रही है। अवैध खनन की स्थिति इतनी भयावह है कि पिछले 5 वर्षों में यहां गौला नदी में हो रहे खनन, इस कारण बनने वाले गड्ढों में डूबने के कारण दो खदान मजदूरों सहित पांच लोगों की मौत भी हो चुकी है।
इसके बावजूद चुगान की जगह हो रहा उप खनिजों का खनन सरकारों की प्राथमिकता में बना हुआ है। अब इसकी मरम्मत पर विशेष व गंभीर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। इस बार फिर पुल के एप्रोच रोड के बहने से यह स्पष्ट हो गया है कि स्थायी सुरक्षा कार्य की आवश्यकता है। (History of Bridge on Gaula in Haldwani-Kathgodam, Uttarakhand News, Nainital News, Haldwani News, History)
हल्द्वानी के गौला पुल की समयरेखा: (History of Bridge on Gaula in Haldwani-Kathgodam)
ब्रिटिश काल (1913-14):
अंग्रेजी शासन के दौरान, 1913-14 में काठगोदाम में लार्ड हार्डिंग के आदेश पर एक आकर्षक पैदल धनुषाकार पैदल पुल का निर्माण किया गया। यह पुल 350 फीट लंबा था और निचले हिस्से से नहर भी जाती थी। 24 मई 1961 में इसकी की जा रही मरम्मत के दौरान जब इसके नट-बोल्ट खोले गए थे, अचानक आई आंधी के कारण टूट गया।
1975:
काठगोदाम में गौला नदी पर उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने एक पुल का निर्माण किया, जो अब तक खड़ा है।
2003:
हल्द्वानी में बढ़ते यातायात और नगर के विस्तार को देखते हुए गौला नदी पर एक बायपास पुल का निर्माण 4.46 करोड़ रुपये की लागत से हुआ। यह पुल गौजाजाली के निकट स्थित था।
जुलाई 2008:
2003 में बने पुल को गौला नदी के उफान और अवैध खनन के चलते नुकसान हुआ और यह पुल बह गया। इसके बाद पुल का पुनर्निर्माण किया गया। वुडहिल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 19.5 करोड़ रुपये की लागत से इसे दोबारा बनाया।
2013:
पुल का पुनर्निर्माण कार्य पूरा हुआ। यह पुल 364.76 मीटर लंबा था, जिसमें पानी के अंदर नौ पिलर थे। हालांकि, अवैध खनन और बारिश के कारण इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे।
19 अक्तूबर 2021:
पुल की एप्रोच सड़क बह गई, जिसे सुधारने के लिए नौ करोड़ रुपये खर्च किए गए। अस्थायी कार्य करके पुल पर यातायात फिर से शुरू किया गया।
14 सितंबर 2024:
तीन साल बाद फिर से एप्रोच सड़क का बड़ा हिस्सा गौला नदी के तेज बहाव के कारण बह गया। इस दौरान चोरगलिया सड़क को भी काफी नुकसान हुआ। नदी के प्रोटेक्शन वर्क के लिए 28 करोड़ रुपये के कार्यों का टेंडर जारी किया गया था, लेकिन काम शुरू होने से पहले ही सड़क बह गई। (History of Bridge on Gaula in Haldwani-Kathgodam, Uttarakhand News, Nainital News, Haldwani News, History)
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