आदि कैलाश यात्रा के लिए अपलोड हुए प्रपत्र एवं दरें तय, बुकिंग शुरू
नवीन समाचार, नैनीताल, 6 मार्च 2023। देवाधिदेव महादेव के चीन में स्थित घर कैलाश की प्रति भारत वर्ष में ही उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद में पड़ने वाले कैलाश की प्रतिकृति आदि कैलाश, ऊं पर्वत व पार्वती सरोवर के दर्शन कराने वाली यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। कुमाऊँ मंडल विकास निगम द्वारा वर्ष 1991 से निरन्तर आयोजित की जा रही यह यात्रा इस वर्ष 4 मई से नवम्बर माह के अंत तक आयोजित की जाएगी। यह भी पढ़ें : नैनीताल से हल्द्वानी के लिए निकली युवती तीन दिन से गुमशुदा…
निगम के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर के हवाले से महाप्रबंधक एपी बाजपेयी ने बताया कि वर्ष 2023 की यात्रा के संचालन हेतु सभी आवश्यक कार्यवाहियां पूर्ण कर ली गई है। पर्यटकों की सामान्य जानकारी हेतु प्रतिदिन के दलवार कार्यक्रमों के लिए व्यवस्थागत सुविधाएं आवेदन प्रपत्र एवं दरों का निर्धारण कर लिया गया है ओर इसे निगम की वेबसाईट पर प्रदर्शित करने हेतु अपलोड कर लिया गया है। यह भी पढ़ें : दूसरे धर्म के पड़ोसी के साथ गायब हुई 20 वर्षीय युवती, ग्रामीण कोतवाली में धरने पर बैठे…
उन्होंने बताया कि धार्मिक महत्व के साथ ही साहसिक एवं प्राकृतिक पर्यटन की त्रिवेणी मानी जाने वाली इस यात्रा में प्रतिभाग करने हेतु यात्री निगम के जनसंपर्क कार्यालयों अथवा केन्द्रीय आरक्षण केन्द्र, नैनीताल के माध्यम से बुकिंग करा सकते हैं। यह यात्रा काठगोदाम से चलकर और काठगोदाम में वापस लौटने तक कुल 7 रात्रि एवं 8 दिवसों की तथा धारचूला से शुरू होकर धारचूला लौटने तक कुल 4 रात्रि एवं 6 दिवसों की निर्धारित की गई है। यह भी पढ़ें : महिला पुलिस कर्मी के पति व पिता की दबंगई, पुलिस लाइन में की एएसआई की पिटाई…
उन्होंने बताया कि इस वर्ष 2023 की यात्रा हेतु पैकेज की दरें काठगोदाम से 45 हजार रुपए एवं धारचूला से 35 हजार रुपए प्रति यात्री निर्धारित की गई हैं। इसमें आवास, भोजन, परिवहन, गाईड इत्यादि की सुविधायें भी सम्मिलित हैं। मई एवं जून माह में अधिकतम 40 यात्रियों के 20 दलों के लिए यात्रा का निर्धारण किया गया है। यह भी पढ़ें : युवती से यौन उत्पीड़न की हद, तन तो लूटा ही अब धन लूटने की ओर…
यात्रा के दौरान यात्री काठगोदाम से भीमताल, कैंची, अल्मोड़ा, चितई, जागेश्वर, पिथौरागढ़, जौलजीबी, धारचूला, बूंदी, छियालेख, गर्ब्यांग, नपलच्यू, कालापानी, नाभीढांग सेओम पर्वत के दर्शन करते हुए वापस गुंजी, नाबी, कुट्टी एवं ज्योलिंगकांग से आदि कैलाश एवं पार्वती सरोवर के दर्शन करते हुए वापसी में गुंजी, बूंदी, धारचूला, डीडीहाट, चौकोड़ी, पाताल भुवनेश्वर, शेराघाट, अल्मोड़ा, भीमताल होते हुए काठगोदाम लौटेंगे और इस दौरान पिथौरागढ़, धारचूला गुंजी, बूंदी, चौकोड़ी व भीमताल में रात्रि विश्राम करेंगे। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-देखने में कैलास पर्वत की तरह ही है ‘छोटा कैलास’ पर्वत
-बड़ी मान्यता है भीमताल विकास खंड की ग्राम सभा पिनरौ में स्थित शिव के इस धाम की
-पर्वतीय क्षेत्रों से अधिक यूपी के मैदानी क्षेत्रों से पहुंचते हैं श्रद्धालु, महाशिवरात्रि पर लगता है बड़ा मेला
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल। देवों के देव कहे जाने वाले महादेव शिव का सबसे बड़ा धाम है कैलास पर्वत, जहां से विराजते हैं। लेकिन बहुत लोग जानते हैं कि नैनीताल जनपद में भी शिव के कैलास की प्रतिकृति छोटा कैलास के रूप में मौजूद है। अपनी दुर्गमता के कारण मीडिया की पहुंच से दूर भीमताल ब्लॉक के पिनरौ ग्राम सभा स्थित छोटा कैलास की प्रसिद्धि निकटवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में ही नहीं यूपी के सुदूर मैदानी क्षेत्रों तक फैली हुई है, और संभवतया इसीलिये यहां कमोबेश स्थानीय पर्वतीय लोगों से अधिक यूपी के सैलानी, नुकीली-पथरीली चट्टानों पर और कई हरिद्वार से मीलों नंगे पैर चलते हुए कांवड़ लेकर यानी कठोर तपस्या करते हुए पहुंचते हैं, और पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। खास बात यह भी है कि पहाड़ की चोटी पर यहां कोई बड़ा मंदिर नहीं है, और शिव पार्थिव लिंग स्वरूप में खुले में विराजते हैं। इधर हाल में कुछ दूरी पर एक मंदिर बनाया गया है। देखें वीडिओ:
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नैनीताल का छोटा कैलास पर्वत दिखने में करीब-करीब चीन में स्थित कैलास पर्वत जैसा ही है। संभवतया इसी कारण इस स्थान का नाम छोटा कैलास पड़ा हो। पौराणिक मान्यता की बात करें तो पौराणिक इतिहासकारों के अनुसार मानसखंड के अध्याय 40 से 51 तक नैनीताल से लेकर कैलास तक के क्षेत्र के पुण्य स्थलों, नदी, नालों और पर्वत श्रृंखलाओं का 219 श्लोकों में वर्णन मिलता है।देखें वीडिओ:
मानसखंड में नैनीताल को कैलास मानसरोवर की ओर जाते समय चढ़ाई चढ़ने में थके अत्रि, पुलह व पुलस्त्य नाम के तीन ऋषियों ने मानसरोवर का ध्यान कर उत्पन्न किया गया त्रिऋषि सरोवर, भीमताल को महाबली भीम के गदा के प्रहार तथा उनके द्वारा अंजलि से भरे गंगा जल से उत्पन्न किया गया भीम सरोवर, नौकुचियाताल को नवकोण सरोवर, गरुड़ताल को सिद्ध सरोवर व नल-दमयंती ताल को नल सरोवर कहा गया है। नैनीताल के पास का नाटा भद्रवट, भीमताल के बगल का सुभद्रा नाला, दोनों के गार्गी यानी गौला नदी में मिलन का स्थल भद्रवट यानी चित्रशिला घाट-रानीबाग कहा गया है। इसी गार्गी नदी के शीर्ष पर नौकुचियाताल से आगे करीब 1900 मीटर की ऊंचाई का पर्वत छोटा कैलास कहा जाता है।
पास में ही देवस्थल नाम का स्थान है, जहां पिछले वर्ष एशिया की सबसे बड़ी 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेल्जियम से देश को समर्पित किया था। नीचे गौला नदी के छोर पर युगदृष्टा हैड़ाखान बाबा का धाम स्थित है। छोटा कैलास पहुंचने के लिये हल्द्वानी से रानीबाग, अमृतपुर होते हुए करीब 30 किमी और भीमताल से जंगलियागांव होते हुए करीब 20 किमी सड़क के रास्ते छोटे वाहनों से ग्राम सत्यूड़ा पहुंचा जाता है। यहां से करीब तीन किमी की खड़ी चढ़ाई शिव के इस धाम पर पहुंचाती है। महाशिवरात्रि के दिन यहां हर वर्ष बड़ा मेला लगता है, जिसमें पहली शाम से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। रात भर भजन-कीर्तन व जागरण किया जाता है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार हर वर्ष एक लाख से अधिक सैलानी यहां एक दिन में पहुंचते हैं। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 21 मार्च 2021। भीमताल विकास खंड के क्षेत्र पंचायत प्रमुख यानी ब्लॉक प्रमुख डॉ. हरीश बिष्ट ने जनपद के छोटा कैलाश धाम को आदि कैलाश व कैलाश मानसरोवर की यात्रा से जोड़ने के लिए शासन से पत्राचार करने की बात कही है। साथ ही उन्होंने छोटा कैलाश धाम में एक परिक्रमा मार्ग का निर्माण व पौधारोपण करने तथा दो सप्ताह बाद यहां शौचालयों का निर्माण कार्य शुरू करने की बात भी कही।
डॉ. बिष्ट सोमवार को यहां आदि कैलाश समिति की खुली बैठक में शामिल होने पहुंचे थे। इस दौरान मंदिर के पुजारी ललित मोहन पलड़िया व समिति के अध्यक्ष गुमान सिंह ने डॉ. बिष्ट का माला पहनाकर स्वागत किया तथा करीब 2.25 लाख की आय व 80 हजार के खर्च का ब्यौरा भी पेश किया। सामाजिक कार्यकर्ता नवीन क्वीरा ने यहां एक और पेयजल टैंक और मौजूदा पाइपों की जगह वनाग्निरोधी पीपीसी पाइप लाइन लगाने की आवश्यकता जतायी। बैठक में सचिव नंदन सिंह, त्रिलोचन पलड़िया, धर्मेंद्र शर्मा, राजू पलड़िया, मनोहर पलड़िया, उमेश पलड़िया, ईश्वरी दत्त पलड़िया, दुर्गा दत्त पलड़िया, इंदर मेहता, दीवान सिंह सम्भल, विपिन जोशी, दिग्विजय बिष्ट, नवीन पलड़िया आदि लोग भी मौजूद रहे।
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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 9 फरवरी 2023। वर्ष 2020, 2021 और 2022 की तरह इस वर्ष भी यानी 2023 में भी लगातार चौथे वर्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा नहीं होगी। यात्रा पर छाया असमंजस का कुहासा गुरुवार को कमोबेश पूरी तरह छंट गया है। यह भी पढ़ें : नैनीताल में गृहस्वामी गए बेटी का निकाह कराने, चोरों ने खंगाल दिया बंद घर…
राज्यसभा में कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर कर्नाटक से बीजेपी सांसद नारायण कोरगप्पा के सवाल पर विदेश मंत्रालय की ओर से केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कह दिया है कि इस वर्ष भी यात्रा नहीं होगी, क्योंकि स्थितियां यथावत हैं। यह भी पढ़ें : नैनीताल: हल्द्वानी हाईवे के पास पेड़ पर लटकता मिला गुलदार का शव….
गौरतलब है कि श्री कोरगप्पा ने सवाल पूछा था कि साल 2023 में कैलाश मानसरोवर यात्रा की क्या स्थिति है ? इसके जबाव में विदेश मंत्रालय ने बताया कि यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को देखते हुए साल 2020, 2021 और 2022 में कोरोना के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा रोकने का फैसला लिया गया था। यात्रा की बहाली के लिए यात्रियों की सुरक्षा जरूरी है. फिलहाल स्थिति वैसी ही है। यह भी पढ़ें : अवैध संबंधों की परिणति: पत्नी रात्रि में चुपके से पड़ोसी के पास चली गई, पीछे से आई पति ने पड़ोसी को कुल्हाड़ी से काट डाला…
वहीं दूसरे सवाल में सांसद नारायण कोरगप्पा ने कैलाश मानसरोवर यात्रियों की संख्या को लेकर जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में विदेश मंत्रालय ने बताया है कि साल 2015 में 999, 2016 में 983, 2017 में 919, 2018 में 1328 और 2019 में 1346 यात्री मानसरोवर यात्रा पर गए थे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 31 मई 2022। आखिर दो वर्षों के अंतराल के बाद देवाधिदेव महादेव के भक्त अपने भगवान भोले के उनके छोटे घर में दर्शन कर पाएंगे। मंगलवार को आदि कैलाश यात्रा का प्रथम दल सुबह 8 बजे भीमताल स्थित कुमाऊं मंडल विकास निगम के पर्यटक आवास गृह पहुँचा। यहां दल में शामिल 15 महिलाओ सहित कुल 30 यात्रियों का निगम की पारंपरिक कुमाउनी परिधानों-रंग्वाली पिछौड़े में सजी महिला कर्मियों ने तिलक लगाकर स्वागत किया। छोलिया नर्तकों ने भी स्वागत में नृत्य प्रस्तुत कर यात्रा में लोक संस्कृति के रंग भरे और इसके बाद दल के यात्री नाश्ता कर सुबह साढ़े 10 बजे आग के लिए रवाना हुए।
बताया गया है कि आगे यात्रा दल आज बाबा नीब करौरी के कैंची धाम व चितई गोलू मंदिर के दर्शन करते हुए दोपहर का भोज जागेश्वर धाम में करेगा, और शाम पर पिथौरागढ़ पहुंचकर वहीं पर्यटक आवास गृह में रात्रि विश्राम करेगा। प्रथम दल को रवाना करने के लिये निगम के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर एवं महाप्रबंधक एपी वाजपेई स्वयं मौजूद रहे, और यात्रियों का उत्साहवर्धन किया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-अभी से जून तक के लिए 700 यात्री कर चुके हैं इस यात्रा के लिए पंजीकरण
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 30 मई 2022। कोविड महामारी के दो साल बाद कुमाऊं मंडल विकास निगम की ओर से संचालित आदि कैलास यात्रा मंगलवार से शुरू रही है। यात्रा को लेकर भोले के भक्तों में गजब का उत्साह है। बताया गया है कि अभी से जून माह तक के पंजीकरण पूरे हो चुके हैं। अब तक 700 से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। यात्रा पर 15 महिलाओं सहित 30 यात्रियों का पहला दल 31 मई को भीमताल टीआरसी से धारचूला के लिए रवाना होगा।
उल्लेखनीय है कि कुमाऊं मंडल विकास निगम ने इस बार नोएडा की संस्था ‘डिवाइन मंत्रा प्राइवेट लिमिटेड-ट्रिप टु टेंपल्स’ के साथ अनुबंध किया है। संस्था को परिवहन, यात्री पंजीकरण की जिम्मेदारी दी गई है। निगम 1990 से आदि कैलास यात्रा आयोजित करा रहा है। पहले इस यात्रा के लिए सड़क ना होने के कारण आवागमन में करीब 200 किलोमीटर पैदल चलना होता था। अब भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार के प्रयासों और सीमा सड़क निर्माण विभाग के प्रयासों से नावीढांग एवं जोलीकांग तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है। इससे यात्रियों को करीब 100 किमी से अधिक पैदल नहीं चलना होगा। केएमवीएन के महाप्रबंधक एपी वाजपेयी ने बताया कि यात्रा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
रोमांच के साथ धार्मिक महत्व की है यात्रा
नैनीताल। स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलाश एवं ॐ पर्वत की यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा जितनी ही प्रमुखता दी गई है। पिथौरागढ़ जिले में भारत तिब्बत सीमा के पास स्थित आदि कैलास जो कैलास पर्वत की प्रतिकृति है। मान्यता है कि आदि कैलास पर भी समय-समय पर भोले बाबा का निवास रहा है, और पास ही स्थित पार्वती सरोवर में माता पार्वती का स्नान स्थल हुआ करता था। ॐ पर्वत तीन देशों की सीमाओं से लगा है। इस स्थान के धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का वर्णन महाभारत, रामायण एवं वृहत पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है।
यात्रा में इन धार्मिक पड़ावों से गुजरेंगे श्रद्धालु
नैनीताल। आदि कैलास एवं ॐ पर्वत यात्रा सिर्फ दो स्थानों की नहीं बल्कि अनेक धार्मिक तीर्थों को समेटे हैं। काठगोदाम, भीमताल से काठगोदाम तक आठ दिनों में होने वाली यह यात्रा नीब करौरी बाबा आश्रम कैंची धाम, चितई गोलू मंदिर, जागेश्वर धाम, पाताल भुवनेश्वर, पार्वती मुकुट, ब्रह्मा पर्वत, शेषनाग पर्वत, शिव मंदिर, पार्वती सरोवर, गौरीकुंड, महाभारत काल के बहुत से स्थानों जैसे पांडव किला, कुंती पर्वत, पांडव पर्वत एवं वेदव्यास गुफा से होकर गुजरेगी। खूबसूरत पहाड़ियों से घिरे, नैसर्गिक दृश्यों से परिपूर्ण, मन को रोमांचित करने वाली इस यात्रा को बेहतर व सुविधाजनक बनाने के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम और संस्था की ओर से यात्रा में हवन पूजा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन का भी प्रबंध किया गया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : पहली बार वाहन से हो सकेगी पूरी आदि कैलाश यात्रा, केएमवीएन ने डिवाइन मंत्रा से मिलाए हाथ
-अब तक करीब 200 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था, अब आठ दिन की यात्रा में केवल 5 किलोमीटर ही पैदल चलना होगा
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 24 मार्च 2022। भारत-तिब्बत सीमा के निकट तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण होने के साथ कुमाऊं मंडल विकास निगम इस वर्ष जून से अक्टूबर माह तक वाहन से आदि कैलाश यात्रा कराएगा। इस हेतु निगम ने नोएडा की संस्था डिवाइन मंत्रा प्राइवेट लिमिटेज (ट्रिप टु टैम्पल्स) के साथ हाथ मिला लिए हैं। दो वर्ष से कोरोना की वजह से नहीं हो पा रही आदि कैलाश व कैलाश यात्रा के बाद यह भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिए बड़ा शुभ समाचार हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि पिथौरागढ़ जनपद में पड़ने वाला आदि कैलाश हूबहू शिव के धाम कहे जाने वाले चीन स्थित कैलाश पर्वत की प्रतिकृति है। निगम 1990 से यहां के लिए करीब 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा आयोजित करता रहा है। अब नाभिढांग व जोलिंगकौंग तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण होने के बाद अब यात्रियों को केवल आदि कैलाशएवं पार्वती सरोवर के दर्शन हेतु पांच किलोमीटर की ही पैदल यात्रा करनी होगी। 8 दिवसीय इस यात्रा के दौरान यात्रा काठगोदाम से भीमताल, नीब करौरी बाबा आश्रम, चितई गोलू मंदिर, जागेश्वर मंदिर समूह, पार्वती मुकुट, ब्रह्मा पर्वत, शेषनाग पर्वत, शिव मंदिर, पार्वती सरोवर, गौरीकुंड, महाभारतकालीन पाताल भुवनेश्वर, पांडव किला, कुंती पर्वत, पांडव पर्वत व वेदव्यास गुफा के दर्शन कराते हुए गुजरेगी।
निगम के प्रबंध निदेशक नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से स्थानीय लोगों को होम स्टे एवं अन्य माध्यमों से रोजगार देने एवं यात्रियों को स्थानीय संस्कृति के दर्शन कराने का प्रयास किया जाएगा। इस तरह यह यात्रा धर्म एवं संस्कृति का अद्भुत समन्वय होगी। वहीं महाप्रबंधक एपी बाजपेई ने कहा कि अब तक पैदल मार्ग होने की वजह से आदि कैलाश न जा पाने वाले शिवभक्तों को इस यात्रा का लाभ मिलेगा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 15 जून 2019। कैलाश मानसरोवर यात्रा का दूसरा दल रविवार को कुमाऊं मंडल में प्रवेश कर गया है। गुजरात के 12, दिल्ली के 9, हरियाणा व महाराष्ट्र के 6-6, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के 5-5 तथा उत्तराखंड व पश्चिम बंगाल के एक-एक सहित कुल 7 महिलाओं व 38 पुरुषों का 45 सदस्यीय दल भोले के जयकारे लगाते हुए अपराह्न तीन बजे पर्यटक आवास ग्रह काठगोदाम में पहुँचा। यहां पहुंचने पर केएमवीएन के महाप्रबंधक अशोक जोशी सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने दल के सदस्यों का स्वागत किया एवं आगे की यात्रा के लिए शुभकामनाएं देते हुए दिन के भोजन के बाद दल सवा चार बजे काठगोदाम से अल्मोड़ा को रवाना हो गया। दल में उत्तराखंड से केवल एक भाग्यशाली यात्री देहरादून के जोहराड़ी रोड जाखन निवासी अरविंद धर शामिल हैं।
निपटा कैलास मानसरोवर यात्रा में सामान ढुलाई का विवाद, अशोक सिंह के नाम खुली निविदा
कैलास मानसरोवर यात्रा में सामान की ढुलाई का विवाद निपट गया है। इस मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देशों पर यात्रा के आयोजक केएमवीएन यानी कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा दोनों निविदादाताओं के साथ की गयी सौदेबाजी से निगम को बड़ा फायदे हुआ है। निविदा याचिकाकर्ता के बजाय उसी पुराने निविदादाता अशोक सिंह के नाम हुआ है, जिन्हें निगम के कार्यवाहक एमडी विनोद कुमार सुमन ने पहले भी सौदेबाजी कर निचली दर पर निविदा आवंटित की थी।
उच्च न्यायालय के निर्देशों पर हुई नयी सौदेबाजी में अशोक सिंह ने खुद ही पूर्व में दी गयी अपनी निविदा-खच्चर से न्यूनतम निर्धारित दर 86 पैंसे के स्थान पर 71 पैसे प्रति किग्रा प्रति किमी, कुली के माध्यम से 1.86 रुपए के स्थान पर 1.53 रुपए प्रति किग्रा प्रति किलोमीटर एवं वाहन से सामान ले जाने पर 18 रुपए के स्थान पर 7 रुपए प्रति कुंतल प्रति किमी पर करने की हामी भर दी है। जबकि दूसरे निविदादाता व उच्च न्यायालय गए याचिकाकर्ता ने इससे एक-एक पैंसे अधिक की दरें दी थीं। निगम के जीएम जोशी के अनुसार अशोक सिंह ने बताया कि अशोक सिंह पहले ही पहले बैच के यात्रियों का सामान आगे पहुंचा चुके हैं। यात्रियों का सामान आगे पहुंचाने की जिम्मेदारी निगम की होती है। यात्रियों से सभी खर्चों के लिए कई वर्षों से केवल 35 हजार रुपए प्रति यात्री निगम को मिलते हैं। निविदा की दर घटने से निगम को लाभ हुआ है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व बीती 28 मई को खुली निविदाओं में से एक निविदादाता कुंदन सिंह ने खच्चरों से सामान ढुलाई के लिए 1 रुपया 45 पैसा प्रति किमी प्रति किलो की दर दी थी, और निगम द्वारा की गयी सौदेबाजी में वे एक रुपए 25 पैंसे प्रति किमी प्रति किग्रा की दर पर राजी हुए थे। जबकि 1 जून को निगम के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक नैनीताल के डीएम विनोद कुमार सुमन ने दूसरे 1.70 रुपए प्रति किग्रा प्रति किमी की दर देने वाले निविदादाता अशोक सिंह से सौदेबाजी कर 86 पैंसे प्रति किग्रा प्रति यात्री की दर तय कर कर उन्हें काम दे दिया था। निगम के इस फैसले को कुंदन भंडारी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिस पर न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की एकलपीठ ने निविदा प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इस आदेश को ही निगम ने खंडपीठ में चुनौती
पहले दल में नैनीताल से चार सहित उत्तराखंड के 5 यात्री शामिल
-आज पहुंचेगा कैलास यात्रा का पहला दल, उत्तराखंड के पांच यात्री भी शामिल
नवीन समाचार, नैनीताल, 11 जून 2019। विश्व की विशिष्ट, दो देशों भारत व चीन से होकर गुजरने वाली व दुनिया की सबसे लंबी यात्राओं में शामिल कैलास मानसरोवर यात्रा बुधवार 12 जून को अपने तय कार्यक्रम के अनुसार शुरू हो जाएगी। अधिकतम 60 यात्रियों की क्षमता वाले पहले दल में 50 पुरुष एवं 9 महिलाओं सहित कुल 59 यात्री शामिल हो रहे हैं।
जानकारी देते हुए यात्रा के भारतीय क्षेत्र में आयोजक केएमवीएन के महाप्रबंधक अशोक जोशी ने बताया कि यात्रियों में उत्तराखंड की एक महिला सहित कुल 5 यात्री भी शामिल हैं। यात्रा का पहला दल बुधवार को सुबह 6 बजे दिल्ली से चलकर दोपहर 1 से दो बजे के बीच में कुमाऊं मंडल के प्रवेश द्वार काठगोदाम पहुंच जाएगा, जहां केएमवीएन के पर्यटक आवास गृह में निगम की उपाध्यक्ष रेनू अधिकारी एवं निगम के अधिकारी यात्रियों का पारंपरिक तरीके से स्वागत करेंगे एवं दिन के भोजन के बाद अल्मोड़ा के लिए रवाना करेंगे। उत्तराखंड के यात्रियों में बड़ा बाजार मल्लीताल नैनीताल के अक्षय अग्रवाल, दिनेश चंद्र अग्रवाल व सरिता अग्रवाल, मयूर विहार पीली कोठी बड़ी मुखानी हल्द्वानी के कमल कांत पांडे, कपकोट बागेश्वर के नीरज बिष्ट भी शामिल हैं।
यह भी पढ़ें : कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया हो रही है, इतना देना होगा शुल्क
नवीन समाचार, नैनीताल, 22 मार्च 2019। पड़ोसी देश चीन में स्थित हिंदू, बौद्ध सहित कई धर्मों की आस्था के प्रमुख केंद्र कैलाश मानसरोवर की यात्रा की ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया आगामी 29 मार्च से शुरू होने जा रही है। यात्रा के लिए केएमवाई डॉट जीओवी डॉट इन वेबसाइट के जरिये ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यात्रियों के लिए ऑनलाइन आवेदन की आखिरी तिथि 16 अप्रैल जबकि यात्रियों के साथ जाने वाले लाइजनिंग ऑफीसरों के लिए अंतिम तिथि 30 अप्रैल है। एक यूजर आईडी से यानी एक बैच में साथ जाने के लिए अधिकतम दो आवेदन किये जा सकते हैं।
उत्तराखंड के परंपरागत मार्ग से लिपुलेख मार्ग से प्रस्तावित यात्रा के लिए यात्रियों को 5000 रुपये पुष्टि राशि, यात्रा की आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम को 30 हजार रुपये, चिकित्सा जांच के लिए 3,100 तथा स्ट्रेस ईको जांच के लिए 2,500 रुपये, चीन का वीजा शुल्क 2400, कुलियों के लिए 12,189 रुपये, टट्टुओं के लिए 16081 व सामूहिक क्रियाकलापों के लिए 4000 रुपये यानी कुल 75 हजार 270 रुपये का शुल्क भारतीय मुद्रा में एवं 901 अमेरिकी डॉलर तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के लिए तथा चीन की सीमा में कुलियों एवं ट्टुओं आदि के लिए 2340 चीनी मुद्रा देनी होगी। इस तरह कुल मिलाकर करीब 1.6 लाख रुपये प्रति यात्री खर्च होने का अनुमान बताया गया है। यात्रा पर 18 दलों के जाने एवं 24 दिन लगने का अनुमान बताया गया है। वहीं सिक्किम के नाथुला दर्रे से जाने के लिए अतिरिक्त 4000 रुपये भारतीय मुद्रा एवं 1100 अमेरिकी डॉलर अतिरिक्त देने होंगे।
विस्तृत विवरण देखें यहां
यह भी पढ़ें : नयी व्यवस्था, इस बार कैलाश मानसरोवर यात्रा पर यात्रियों की संख्या बढ़नी तय
नवीन समाचार, नैनीताल, 24 फरवरी 2019। आगामी एक जून से शुरू होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा में इस बार यात्रियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। इस यात्रा में यात्रियों की कम संख्या के आ पाने की समस्या का समाधान निकाला जा रहा है, जिसके तहत अब किसी यात्री के द्वारा अंतिम समय में यात्रा स्थगित करने की स्थिति में उसकी जगह दूसरे यात्रियों को यात्रा पर भेजा जा सकेगा।
उललेखनीय है कि केएमवीएन यानी कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा संचालित कैलाश मानसरोवर यात्रा में हर वर्ष 18 दलों में 60-60 यानी कुल 1080 यात्रियों के जाने का प्राविधान है, किंतु कभी भी यात्रियों का आंकड़ा एक हजार की संख्या को भी नहीं छू पाया है। इस कारण निगम को व्यवस्थाओं में पूरा खर्च करने के बावजूद यात्रियों के न आने से बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। इसका कारण यह है कि आखिरी समय में कई यात्री निजी अथवा स्वास्थ्य कारणों से नहीं आ पाते हैं। वहीं अनेक यात्री यात्रा के लिए आवेदन करने और चयनित होने के बावजूद यात्रा नहीं कर पाते हैं। निगम के एमडी रोहित मीणा ने कहा है कि इस बार इस समस्या का समाधान किया जा रहा है। यात्रा की आयोजक विदेश मंत्रालय यात्रा निरस्त करने के नियमों में बदलाव करने जा रहा है।
यात्रियों को ठंड से बचने को बुखारी व निगम कर्मियों को अलग ट्रेक सूट मिलेंगे
नैनीताल। केएमवीएन इस बार यात्रियों को कैंपों में ठंड से बचाने के लिए बुखारी की तथा यात्रा में लगे अपने कर्मियों को अलग ट्रेक सूट देगा ताकि वे यात्रियों से अलग नजर आयंे और आपात स्थिति में भी उन्हें पहचाना जा सके। इसके अलावा अल्मोड़ा व जागेश्वर में यात्रियों को यात्रा से संबंधित दिशा-निर्देश दिये जाने की नयी व्यवस्था भी इस बार की जाएगी।
पूर्व समाचार : कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर बहाल, 15वें-16वें दलों को हरी झंडी
नैनीताल। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम की खराबी व इस कारण पिथौरागढ़ से सेना के हेलीकॉप्टरों के गुंजी के लिए उड़ान न भर पाने के कारण अपने पौराणिक मार्ग से होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से बहाल होने जा रही है। यात्रा के स्थगित किये गये 4 में से 2 दलों को भारतीय विदेश मंत्रालय ने अनुमति दे दी है। यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम को ईमेल से भेजी गयी जानकारी के अनुसार यात्रा का 15वां दल आगामी मंगलवार 21 अगस्त को दिल्ली में एकत्र होगा, तथा विभिन्न औपचारिकताओं को पूरा कर 25 अगस्त को दिल्ली से चलकर काठगोदाम होते हुए अल्मोड़ा पहुंचेगा। वहीं 16वां दल 25 को दिल्ली में जुटेगा और 29 को यहां पहुंचेगा। उल्लेखनीय है कि मूल कार्यक्रम के तहत 15वें दल को सात अगस्त और 16वें दल को 11 अगस्त को अल्मोड़ा पहुंचना था, वहीं 15 को 17वां तथा 19 को 18वें दल का आगमन होना था। लेकिन आखिरी 4 दलों के यात्रा कार्यक्रम में 18 दिनों का विलंब हो गया है। निगम के जीएम त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने इस जानकारी की पुष्टि करने के साथ ही 16वें दल के कुछ सदस्यों द्वारा 26 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार होने के दृष्टिगत आशंकाएं व्यक्त करने की जानकारी दी है।
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खराब मौसम और अन्य दिक्कतों ने कैलास मानसरोवर यात्रियों को इस कदर परेशान कर दिया है कि अब वो यात्रा बीच में ही छोड़ने लगे हैं। 10वें दल के दो यात्रियों ने जहां 3 दिन पूर्व पिथौरागढ़ से ही यात्रा छोड़ दी थी। इस दल के तीन और यात्रियों ने वापसी कर ली है। इसके अलावा पिछले कई दिन से चौकोड़ी में रुक कर मौसम खुलने का इंतजार कर रहे 11वें दल के दो सदस्यों ने भी यात्रा बीच में छोड़ दी है। इस तरह कुल सात लोग यात्रा बीच में छोड़ चुके हैं। वहीं 10वें दल के पिथौरागढ़ में अटके हुए 19 सदस्य अब 11वें दल के साथ आगे की यात्रा करेंगे। इन 19 यात्रियों की वीजा अवधि बढ़ाने की नौबत आ गई है। 10वें दल के 25 यात्री चार-पांच दिन पूर्व ही गुंजी पहुंच चुके थे जबकि मौसम खराब होने से दल के 24 सदस्य उस दिन से गुंजी नहीं जा पाए। गुंजी जाने के लिए ये यात्री मौसम खुलने के इंतजार में रोज पिथौरागढ़ के नैनीसैनी एयरपोर्ट पहुंच रहे थे, मगर घंटों इंतजार के बाद भी मौसम इनकी राह में बाधा बना रहा। क्षुब्ध होकर इन यात्रियों ने बीते शनिवार को नैनीसैनी हवाई पट्टी पर धरना दिया और सरकार व वायुसेना अधिकारियों पर उनकी समस्या की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने लंबे समय से मौसम खराब होने के बावजूद छोटे हेलीकॉप्टर उपलब्ध नहीं कराने को लेकर भी रोष जताया। परेशान दो यात्रियों ने उसी दिन यात्रा बीच में छोड़ने का निर्णय लिया और वापस चले गए। 12 दिन से पिथौरागढ़ में ही फंसे होने और अन्य दिक्कतों के चलते इस दल के 3और सदस्यों ने भी यात्रा बीच में छोड़ दी है।
इन परेशानियों का कारण : विदेश मंत्रालय की ओर से यात्रा को पिथौरागढ़ से गुंजी के लिए वायु सेना के बड़े हेलीकॉप्टरों की व्यवस्था करना रहा है। विदेश मंत्रालय की ओर से भलमनसाहत में उठाया गया यह कदम उल्टा पड़ रहा है। क्योंकि सुबह की जिस अवधि में बड़े हेलीकॉप्टरों को उड़ने की अनुमति है, उस दौरान इस वर्ष ही नहीं हमेशा गुंजी जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बादल छाये रहते हैं, और दिन में 11-12 बजे जब बादल हटते हैं, उस समय के बाद बड़े हेलीकॉप्टरों को उड़ान भरने की अनुमति नहीं है। ऐसी स्थितियों से न केवल यात्री तंग आ चुके हैं, वरन पिथौरागढ़ जिला प्रशासन के साथ यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक केएमवीएन यानी कुमाऊं मंडल विकास निगम के समक्ष भी यात्रियों के राशन आदि की सामग्री आदि के मामले में समस्या आने लगी है। गत दिवस यात्रियों के एक शिष्टमंडल ने पिथौरागढ़ के डीएम से मिलकर इस समस्या से बाहर निकालने, उन्हें मौसम साफ होने पर गुंजी पहुंचाने अथवा वापस भेज देने का अनुरोध किया था। इस पर पिथौरागढ़ के डीएम ने यात्रा को देखने वाले विदेश मंत्रालय के पूर्वी एशिया विभाग को पत्र लिखकर छोटे हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने की मांग की।
केएमवीएन ने शुरू में ही दे दिया था धारचूला से बुदी हेली सेवा का विकल्प
नैनीताल। पिथौरागढ़ के डीएम ने शनिवार को यात्रियों के अनुरोध के बाद विदेश मंत्रालय से निजी कंपनियों के 5 छोटे 5-6 सीटर हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है, ताकि यात्रियों को धारचूला तक सड़क मार्ग से ले जा कर वहां से इन हेलीकॉप्टरों के जरिये बुदी तक भेजा जा सके। उल्लेखनीय है कि यात्रा के आयोजन का लंबा अनुभव रखने वाली केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल ने यात्रा के शुरू होने से पूर्व ही विदेश मंत्रालय को यही विकल्प सुझाया था। लेकिन तब संभवतया विदेश मंत्रालय ने इस विकल्प को दरकिनार तक सेना के सुरक्षित हेलीकॉप्टरों का बेहतर विकल्प स्वीकार किया होगा।
यह है समस्या का मूल कारण
नैनीताल। कैलाश मानसरोवर यात्रा के सुचारू न हो पाने के पीछे समस्या यह है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित गुंजी में अधिकांश समय बादल घिरे रहते हैं। इसलिए वहां अक्सर हेलीकॉप्टरों का उतरना कठिन होता है, जबकि अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर स्थित गुंजी में यह समस्या नहीं होती है। लेकिन गुंजी में छोटे हेलीकॉप्टर ही उतर सकते हैं। इधर यात्रियों को पिथौरागढ़ से गुंजी व गुंजी से पिथौरागढ़ लाने के लिए तैनात सेना के बड़े हेलीकॉप्टरों को 11 से 12 बजे के बीच उड़ान की अनुमति नहीं है, जबकि इसी समय के दौरान मौसम खुल रहा है। लेकिन अनुमति न होने के कारण वे उड़ नहीं पा रहे हैं, और नैनी सैनी हवाई अड्डे तक जाने के बाद यात्रियों को लौटना पड़ रहा है।
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- तय समय पर नहीं आयेंगे 15वें से 18वें दल
नैनीताल, 2 अगस्त 2018। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कुमाऊं मंडल विकास निगम के द्वारा कुमाऊं-उत्तराखंड के पौराणिक लिपुलेख दर्र के मार्ग से आयोजित की जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के आखिरी चार बैचों को ‘विलंबित’ कर दिया है। ऐसा यात्रा मार्ग पर मौसम की खराबी की वजह एवं निगम के अनुरोध पर किया गया है। आगे निगम के एमडी धीराज गर्ब्याल ने साफ़ किया कि यात्रा को रोका नहीं वरन विलंबित (Delayed) किया गया है। बताया कि जैसे-जैसे यात्री दल आगे बढ़ेंगे, वैसे-वैसे विलंबित दलों के यात्रियों को यात्रा में लाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि यात्रा पर आ चुके कई दल पहले ही मौसमी दुश्वारियों के कारण पहले ही काफी विलंब से चल रहे हैं, व जगह-जगह फंसे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि कैलाश यात्रा में कुल 18 दल शामिल होते हैं। 12 जून को पहले दल के अल्मोड़ा पहुंचने से इसकी औपचारिक शुरूआत हुई है। पहले छः दलों में कुल 343 यात्री यात्रा पूरी कर वापस जा चुके हैं। लेकिन इधर 7वां दल जिसे 26 जुलाई को दिल्ली वापस पहुंचना था अभी भी गुंजी में फंसा है। इसी तरह 8वें व 9वें दल के यात्री भी देरी से तिब्बत में हैं। यात्रा पर जा रहे 10वें दल के आधे यात्री पिथौरागढ़ व आधे गुंजी में हैं। वहीं 11वें दल के 43 यात्री चौकौड़ी, 12वें दल के यात्री अल्मोड़ा तथा 13वें दल के यात्री भीमताल में रोके गये हैं। तय समय सारिणी के अनुसार इन तीन दलों को क्रमशः चीन, नाबीढांग व गुंजी पहुंच जाना चाहिए था। जबकि 14 वें दल के यात्री दिल्ली में औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। इधर यात्रा में हो रही देरी को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने सबंधित दलों को लाइजनिंग अधिकारियों को 15 से 18 तक के बैच के यात्रियों को फिलहाल यात्रा ‘विलंबित’ होने की जानकारी देने को कहा है। आगे मौसम में सुधार होने पर इन्हें बुलाया जाएगा।
आदि कैलाश यात्रा रोकी, 1 करोड़ का नुकसान
नैनीताल। कुमाऊं मंडल विकास निगम ने अपने स्तर से आयोजित की जाने वाली आदि कैलाश यात्रा को निरस्त कर दिया है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष इस यात्रा में 424 यात्री गये थे, और इस वर्ष मार्च माह में ही 300 लोगों ने इस यात्रा के लिए बुकिंग करा दी थी। किंतु 1 व 2 जुलाई को यात्रा मार्ग पर नज्यंग व मालपा में हुए भूस्खलन के कारण यात्रा में व्यवधान आया और चार दलों में केवल 179 यात्री ही यात्रा कर पाये। इससे निगम को करीब 1 करोड़ का नुकसान हुआ है। निगम के एमडी धीराज गर्ब्याल ने कहा कि यात्रा मार्ग के दुरुस्त न होने और हेलीकॉप्टर न मिल पाने के कारण यात्रा को रोक दिया गया है।
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-कैलाश मानसरोवर यात्रा में यात्रियों को 9 दिन तक अतिरिक्त रुकाना पड़ गया
-आदि कैलाश यात्रा में यात्रियों के न जा पाने से हुआ करीब एक करोड़ रुपए का नुकसान
-आदि कैलाश यात्रियों के लिए छोटे हेलीकॉप्टर का प्रबंध करने जा रहा है केएमवीएन
नवीन जोशी, नैनीताल। खराब हुए मौसम ने कैलाश एवं आदि कैलाश यात्राओं की आयोजक केएमवीएन यानी कुमाऊं मंडल विकास निगम को करीब सवा करोड़ रुपए का नुकसान करा दिया है। इसमें से करीब एक करोड़ रुपए का नुकसान आदि कैलाश यात्रा के नज्यंग व मालपा में हुए भूस्खलन के कारण सुचारू न हो पाने के कारण हुआ है, जिससे प्राप्त आय से निगम को काफी हद तक कैलाश यात्रा में आने वाले अतिरिक्त खर्चों को वहन करने में मदद मिलती है। वहीं कैलाश यात्रा के यात्रियों को निगम को 8-9 दिनों तक भी बिना कोई अतिरिक्त किराया लिये टिकाना पड़ा है। इससे भी निगम को करीब 22 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में आदि कैलाश यात्रा को सुचारू करने के लिए निगम छोटे हेलीकॉप्टर का प्रबंध करने जा रहा है।
पहले आदि कैलाश यात्रा की करें। 2016 में 222 ओर पिछले वर्ष यानी 2017 में आदि कैलाश यात्रा पर 424 यात्री गये थे, और इस वर्ष की यात्रा के लिए भी मार्च माह में ही 300 यात्रियों ने बुकिंग करा ली थी। इससे इस वर्ष पिछले वर्ष से भी अधिक यात्रियों के यात्रा पर जाने की पूरी संभावना थी। किंतु इस वर्ष 1-2 जुलाई को नज्यंग व मालपा में हुए भूस्खलन के बाद पैदल मार्ग बंद होने से यात्रा को आगे संचालित करने में समस्या आ गयी। ऐसे में निगम बमुश्किल 7 बैचों में अब तक 179 यात्रियों को ही आदि कैलाश की यात्रा करा पाया है।यात्रा मार्ग में हुए भूस्खलन के कारण 8वें व 11वें बैच के 60 यात्रियों ने पहले बुकिंग करा चुके यात्रियों ने अपनी बुकिंग निरस्त करा दी। ऐसे में निगम को प्रति यात्री करीब 5000 रुपए जीएसटी यात्रियों को पूरी बुकिंग धनराशि लौटाने के बावजूद स्वयं वहन करनी पड़ी। इसके अलावा भी पिछले वर्ष जहां निगम को आदि कैलाश यात्रा से करीब पौने दो करोड़ रुपए की आय हुई थी, वहीं अब तक करीब 80 लाख रुपए की ही आय हुई है। इस प्रकार करीब 1 करोड़ की हानि हो गयी है। वहीं कैलाश यात्रा में 6 बैचों के यात्रियों को अतिरिक्त दिन ठहराने से भी निगम को करीब 22 लाख का नुकसान उठाना पड़ा है। इस संबंध में पूछे जाने पर नुकसान को स्वीकारते हुए निगम के एमडी धीराज गर्ब्याल ने कहा कि कैलाश यात्रा दो देशों के बीच होने व धार्मिक महत्व के कारण प्रतिष्ठित यात्रा है। इस यात्रा से निगम को कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता है। बल्कि आदि कैलाश यात्रा से प्राप्त आय से निगम काफी हद तक कैलाश यात्रा के खर्चों को वहन करता रहा है। आगे आदि कैलाश यात्रा को सुचारू करने, यात्रियों को पैदल की जगह राज्य सरकार के छोटे हेलीकॉप्टर से बुदी तक ले जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
कैलाश यात्रा के पूर्वाभ्यास के रूप में यात्री करते हैं आदि कैलाश की यात्रा
नैनीताल। कैलाश यात्रा में जिस तरह प्राकृतिक रूप से बने शिवलिंग के दर्शन होते हैं, उसी तरह आदि कैलाश यात्रा में यात्रियों को प्राकृतिक रूप से हिमालय पर बर्फ से बने ‘ऊं पर्वत’ के दर्शन होते हैं। आदि कैलाश यात्रा चूंकि पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में होती है, इसलिए इस यात्रा के लिए कैलाश यात्रा की तरह बीजा व पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे में अधिक दुर्गम कैलाश यात्रा पर जाने के इच्छुक देश भर के शिव के भक्त श्रद्धालु पहले आदि कैलाश यात्रा पर जाकर अपनी क्षमताओं को जानने के लिए भी आदि कैलाश यात्रा करते हैं। खासकर श्रावण के माह में आदि कैलाश जाने के लिए देश भर के शिव भक्तों की खासी इच्छा रहती है। आदि कैलाश यात्रा से स्थानीय पोनी-पोर्टरों को कैलाश यात्रा से भी अधिक लाभ इस रूप में मिलता है कि इस यात्रा में उन्हें यात्रा पर जाने से लेकर लौटने तक का पूरा किराया मिलता है, जबकि कैलाश यात्रा पर उन्हें यात्रियों को चीन सीमा तक छोड़ने के बाद कई बार बिना यात्रियों के भी वापस लौटना पड़ता है।
यात्रा मार्ग के व्यापारियों आदि को भी हो रहा है नुकसान
नैनीताल। इस वर्ष कैलाश यात्री भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिये पिथौरागढ़ से सीधे गुंजी जा रहे हैं। इससे यात्रा मौसम की दुश्वारियों के बावजूद पैदल चलने के लिहाज से काफी आसान तो हुई है, परंतु धारचूला से लेकर गुंजी तक के छोटे व्यवसायियों तथा पोनी-पोर्टरों को पूर्व में यात्रा के पैदल पौराणिक मार्ग से होने पर जो लाभ मिलता था, वह इस वर्ष नहीं मिल रहा है। केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि पिछले वर्षों में स्थानीय लोगों को कैलाश यात्रा करीब पौने चार करोड़ रुपए की आय दिलाती थी, जिसमें इस बार भारी कमी आयी है।
पूर्व समाचार : आखिर 10 दिनों के बाद सुचारु हुई कैलाश यात्रा, 12वां दल भी तय समय पर आएगा
-विदेश मंत्री की चिंता भी हुई दूर, सोमवार को संसद में भी दी गयी थी यात्रियों के फंसे होने की जानकारी, यात्रियों का चीन में वीजा भी एक सप्ताह के लिए आगे बढ़ाया गया
नैनीताल, 24 जुलाई 2018। आखिर मौसम मेहरबान हुआ, और कैलाश यात्रा मंगलवार को सुचारू हो गयी। मंगलवार सुबह गुंजी में पिछले 10 दिनों से फंसे 5वें दल के यात्रियों को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से आया गया और पांचवे दल के यात्रियों को पिथौरागढ़ से गुंजी छोड़ दिया गया। आगे दिन तक छठे दल के 9 दिन से फंसे यात्रियों को भी पिथौरागढ़ ले आने तथा नौवें दल के यात्रियों को गुंजी पहुंच जाने की उम्मीद है। इसके साथ ही आज ही पांचवे दल के यात्रियों के शाम तक अल्मोड़ा और छठे दल के यात्रियों के चौकोड़ी आने तथा 10वें व 11वें दल के क्रमशः अल्मोड़ा व चौकोड़ी में फंसे यात्रियों के शाम तक पिथौरागढ़ पहुंच जाने की भी पूरी उम्मीद है। इस तरह एक-दिन में ही पिछले 10 दिनों से जारी गतिरोध के समाप्त होने व सुचारू होने की स्थितियां बन गयी हैं। उल्लेखनीय है कि सोमवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में भी कैलाश यात्रियों के यात्रा मार्ग में फंसे होने की जानकारी संसद में दी थी।
दो देशों की सीमा में होने वाली इस प्रतिष्ठित व पौराणिक काल से चली आ रही विश्व की अनूठी व लंबी यात्रा के भारत में आयोजक केएमवीएन के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने इसके साथ ही बताया कि आगे जा रहे आठवें, नौवें आदि दलों के यात्रियों का चीन में बीजा भी एक सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। साथ ही पूर्व में किये गये अनुरोध के विपरीत 12वें दल के यात्रियों को अपने नियत समय पर ही भेजने के लिए पुनः विदेश मंत्रालय से अनुरोध कर दिया गया है।
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कैलाश मानसरोवर यात्रा में आ रही समस्याओं के निदान व खास तौर पर यात्रियों को लाने-ले जाने के लिये कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल सोमवार को देहरादून में उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मिले। इस मुलाकात में उन्होंने रास्ते मे लंबे समय से फंसे 4 बैच के कैलाश यात्रियों को धारचूला से बुदी के बीच लाने-ले जाने के लिये 4 छोटे हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने की मांग की। गर्ब्याल ने कुमाऊं मंडलायुक्त राजीव रौतेला द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ली गई बैठक में भी यह मांग की। इस पर आयुक्त ने मुख्य सचिव से स्वयं भी अनुरोध करने की बात कही। वही मुख्य सचिव सिंह ने भी विदेश मंत्रालय से इस बारे में बात कर 4 हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने की मांग की। उल्लेखनीय है कि मौसम की खराबी के कारण सेना के बड़े हेलीकॉप्टर पिछले 1 सप्ताह से पिथौरागढ़ से गुंजी के लिये उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। इस कारण 4 दलों के 168 यात्री रास्ते में फंसे हुए हैं। इस कारण केएमवीएन ने विदेश मंत्रालय से 12वें दल के यात्रियों को दिल्ली में ही रोकने का अनुरोध भी किया है।
दुश्वारियां का असर आगे के बैचों में यात्रियों की संख्या पर
नैनीताल। कैलाश मानसरोवर यात्रा में पिथौरागढ़ से आगे हेलीकॉप्टरों की उड़ान में आ रही दिक्कतों का प्रभाव यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की संख्या पर पड़ने लगा है। 10वें बैच में 11 महिलाओं सहित केवल 49 यात्री ही आये, जबकि अब 11वें दल में भी केवल 43 यात्री ही रविवार को दिल्ली से चलकर काठगोदाम पहुंचने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक यात्रा दल में 60 यात्री अपेक्षित होते हैं, और अत्यधिक संख्या में यात्रियों के आवेदनों के कारण यात्रियों का चयन लॉटरी के जरिये किया जाता है।
पूर्व समाचार : कैलाश मानसरोवर यात्रा हुई बिचौलिया मुक्त, हजारों स्थानीय लोग कमाएंगे करोड़ों, पलायन भी रुकेगा, जानें कैसे..
-पोनी-पोर्टरों का पहली बार निगम ने किया पंजीकरण व किया आपदा-बचाव को प्रशिक्षित
-यात्रियों को भी पोनी-पोर्टरों के बिचौलिये ठेकेदारों को दिया-जाने वाला 2-3 हजार का खर्च बचेगा
-नाबी गांव के 20 परिवारों के पास अनुकूलन के लिए एक रात्रि ‘होम स्टे’ भी करेंगे यात्री, सीमांत क्षेत्रों से व्यापक पैमाने पर पलायन पर भी लगेगी लगाम
-पहले दल के साथ मुख्यमंत्री रावत भी शामिल हो सकते हैं नाबी में होम स्टे में
नवीन जोशी, नैनीताल। यात्रा मार्ग को लेकर रहे तमाम संशयों के बाद अपने परंपरागत मार्ग से ही मंगलवार से शुरू होने जा रही आदि कैलाश यात्रा में इस बार काफी कुछ नया होने जा रहा है। यात्रा जहां पहली बार धारचूला से 42 किमी आगे गर्बाधार तक छोटे वाहनों से जाएगी, और इस प्रकार यात्रियों को आने-जाने में कुल 84 किमी कम पैदल चलना पड़ेगा, वहीं दो पड़ाव सिरखा व गाला यात्रा से हट जाएंगे, तथा नाबी और कालापानी जुड़ जाएंगे। नाबी में यात्री पहली बार आगे की उच्च हिमालयी यात्रा के लिए ‘होम स्टे’ करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी पहले दल के यात्रियों के साथ नाबी में हो सकते हैं। यात्रा में जाने वाले सभी यात्रियों का 5-5 लाख रुपए का बीमा होगा, और यात्रियों के साथ जाने वाले सभी 600 पोनी-पोर्टर आपदा की स्थितियों के लिए प्रशिक्षित होंगे। वहीं सबसे बड़ी बात, पहली बार यात्रा बिचौलियों से मुक्त होगी, तथा यात्रा के जरिये हजारों स्थानीय लोग 2 करोड से अधिक रुपए की सीधे एवं करीब एक करोड़ अपरोक्ष तौर पर अतिरिक्त आय भी प्राप्त करेंगे।
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यात्रा के भारतीय क्षेत्र में आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने बताया कि पहली बार यात्रा से बिचौलियों को दूर कर दिया गया है, तथा यात्रा मार्ग के स्थानीय लोगों को सीधे लाभ दिया जा रहा है। पहली बार यात्रा में नाबी गांव का पड़ा जोड़ा गया है, जहां कैलाश के साथ ही आदि कैलाश यात्रा के यात्री स्थानीय मौसम व परिस्थितियों से साम्य-अनुकूलन बनाने के लिए एक रात्रि ‘होम स्टे’ करेंगे। इससे नाबी गांव के 20 होम स्टे के लिए प्रशिक्षित पूरी तरह आवश्यक सुविधाओं से युक्त किये गये परिवार सीधे तौर पर यात्रा में आने वाले यात्रियों से प्रति यात्री 800 रुपए की दर से प्राप्त करेंगे। इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं अन्य गतिविधियों के जरिये भी स्थानीय लोगों को आय मिलेगी। इसके अलावा निगम ने पहली बार यात्रियों के साथ जाने वाले पोनी-पोर्टरों (घोड़े वाले व कुली) की व्यस्था अपने हाथ में लेते हुए 600 लोगों का पंजीकरण कराने के साथ उन्हें आपदा राहत का प्रशिक्षण दिलाया है। इससे हर यात्री से पोर्टरों को 15-16 हजार रुपए की आय प्राप्त हो सकती है। उल्लेखनीय है कि यात्रा पर अधिकतम 1080 यात्री जा सकते हैं, तथा अधिकांश यात्री इनकी सेवा लेते ही हैं। इस प्रकार केवल पोनी-पोर्टरों व होम-स्टे से ही स्थानीय लोगों को करीब पौने दो करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हो सकती है। उल्लेखनीय है कि पहले पोनी-पोर्टरों की व्यवस्था सीधे निगम के बजाय बिचौलियों के माध्यम से यात्रियों को करनी पड़ती थी, जबकि इस बार बिचौलियों की भूमिका हटा दी गयी है। एमडी श्री गर्ब्याल ने बताया कि अब पोनी-पोर्टरों को उनके पंजीकरण के आधार पर नंबर से यात्रियों से सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस प्रकार यात्रियों को भी बिचौलियों को दिया जाने वाले प्रति पोनी-पोर्टर करीब 2-3 हजार रुपए का अतिरिक्त हिस्सा बचेगा। इसके अलावा आदि कैलाश यात्रा के यात्रियों से भी स्थानीय लोगों को इसी तरह की करोड़ों रुपए की आय घर पर होने जा रही है। निगम की इस पहल से सीमांत क्षेत्रों से होने वाले पलायन पर भी लगाम लगने की उम्मीद की जा रही है। उल्लेखनीय है कि 1981 से चल रही कैलाश मानसरोवर यात्रा के तहत 2017 तक 442 दलों में कुल मिलाकर 15,952 यात्री यात्रा पर गये हैं। इनमें सर्वाधिक 921 यात्री वर्ष 2017 एवं 910 यात्री 2014 में 18-18 दलों में यात्रा में गये हैं।
आज से शुरू हो रही है यात्रा, पहले दल में रिकार्ड 59 यात्रियों के पहुंचने की संभावना
नैनीताल। तमाम किंतु-परंतुओं को नजरअंदाज करते हुए पूरे एक वर्ष के इंतजार के बाद दो देशों के रास्तों से होकर गुजरने वाली विश्व की अनूठी व सबसे बड़ी कैलाश मानसरोवर यात्रा मंगलवार 12 जून से शुरू होने जा रही है। यात्रा का पहला दल आज दिल्ली से चलकर कुमाऊं के प्रवेश द्वार काठगोदाम से कुमाऊं में प्रवेश करेगा। जहां यात्रा के भारतीय क्षेत्र में आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल व महाप्रबंधक त्रिलोक सिंह मर्तोलिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी पहले दल के सदस्यों का औपचारिक स्वागत करेंगे। अधिकतम 60 सदस्यों के दल की इस यात्रा के पहले दल में रिकार्ड 59 यात्री शामिल हो रहे हैं। श्री गर्ब्याल ने बताया कि इस बार पिछले वर्षों से अलग पहली बार भारतीय विदेश मंत्रालय के स्तर से 60 के दल के लिए 8 अधिक यात्रियों को बुलाया गया, लेकिन 8 के स्वास्थ्य परीक्षण में सफल न होने एवं एक के आखिरी क्षणों में दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण 59 यात्री ही आ पा रहे हैं। आगे भी हर दल के अतिरिक्त यात्री बुलाए जाएंगे। ऐसे में इस बार पूरी यात्रा के दौरान भी रिकार्ड बन सकते हैं।
पहले दल में सर्वाधिक 14 यात्री दिल्ली व 11 यूपी के
नैनीताल। मंगलवार से शुरू होने जा रही कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले 59 सदस्यीय दल में 42 पुरुष एवं 17 महिला यात्री शामिल होंगे। वहीं यात्रियों में सर्वाधिक 14 यात्री दिल्ली, 11 उत्तर प्रदेश, 7 राजस्थान, 5 महाराष्ट्र, 4 हरियाणा, 3-3 मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल व छत्तीसगढ़, 2-2 गुजरात, केरला व उत्तराखंड तथा चंडीगढ़, कर्नाटक व तेलंगाना से 1-1 यात्री शामिल हैं। उत्तराखंड के यात्रियों में अजबपुर कलां निवासी देवपाल सिंह व आदर्श कॉलोनी रुद्रपुर निवासी महेश कुमार पहले दल में महादेव के धाम के दर्शन करने जाने वाले पहले दल में शामिल होकर भाग्यशाली साबित हुए हैं।
लखनपुर-नज्यंग के बीच सड़क ठीक, पैदल ही होगी यात्रा, दो पड़ाव घटेंगे-दो ही बढ़ेंगे
नैनीताल। इस बार लखनपुर व नज्यंग के बीच सड़क निर्माण के दौरान भारी भूस्खलन हो जाने के कारण यात्रा मार्ग पर लगातार संशय बना रहा। किंतु इधर निगम के स्तर पर आयोजित होने वाली आदि कैलाश यात्रा के सफल संचालन के बाद अब साफ हो गया है कि मार्ग दुरुस्त हो गया है, तथा यात्रा पिथौरागढ़ से हेलीकॉप्टर से सीधे गुंजी जाने के बजाय दूसरे दिन धारचूला से पहली बार छोेटे वाहनों से 42 किमी आगे गर्बाधार तक तथा वहां से लखनपुर व नज्यंग होते हुए 15 किमी चलकर बुदी पहुंचेगी। अलबत्ता निगम के एमडी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि गुंजी में हेलीकॉप्टरों के उतरने में छियालेख से ऊपर बादल आने और लखनपुर-नज्यंग के बीच बारिश होने पर मार्ग खराब होने की स्थितियों में राज्य सरकार के हेलीकॉप्टर से धारचूला से बुदी तक जाने का विकल्प भी रखा गया है। इस बार यात्रा में गर्बाधार तक सड़क बन जाने के कारण धारचूला से आगे के सिरखा व गाला पड़ावों पर यात्री नहीं रुकेंगे, यानी यह पड़ाव कम हो जाएंगे, वहीं यात्रियों को नये पड़ाव नाबी में होम स्टे कराया जाएगा तथा इसके साथ काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी भी पहली बार यात्रा में नया पड़ाव होगा।
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-हर दल में यात्रियों की संख्या से दो गुनी संख्या में जाने वाले पोनी-पोर्टर आपदा राहत कार्यों के लिए किये गए प्रशिक्षित
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं मंडल के अंतर्गत कुमाऊं मंडल विकास निगम यानी केएमवीएन के द्वारा संचालित की जाने वाली प्रतिष्ठित कैलाश मानसरोवर यात्रा के साथा ही आदि कैलाश, पिंडारी, सुंदरढूंगा, मिलम व पंचाचूली आदि की सभी पैदल यात्राओं पर जाने वाले यात्रियों का अब 5 लाख रुपए का ग्रुप दुर्घटना बीमा कराया जाएगा। साथ ही सभी यात्रा मार्ग पर यात्रियों के साथ करीब दोगुनी संख्या में जाने वाले सभी पोनी-पोर्टर यानी कुली व घोड़े-खच्चर वाले आपदा राहत कार्यों के लिए प्रशिक्षित किये जा रहे हैं। इस प्रकार अब कुमाऊं मंडल के अंतर्गत होने वाली सभी पैदल-ट्रेकिंग यात्राएं पूरी तरह सुरक्षित कही जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि अब तक अत्यधिक महत्वपूर्ण व प्रतिष्ठित होने के साथ ही लिपुपास दर्रे के बेहद दुर्गम व कठिन तथा खतरनाक मार्ग से होने वाली कैलाश मानसरोवर की यात्रा में ही हर दल के साथ इधर कुछ वर्षो से करीब 5-6 एसडीआरएफ यानी राज्य आपदा मोचन दल के सदस्य शामिल होते हैं, जबकि इधर केएमवीएन ने यात्रा में यात्रियों के सामान लेकर चलने वाले करीब 350 पोनी-पोर्टरों को आपदा राहत का प्रशिक्षण दिला दिया है। ऐसे में हर यात्रा दल में करीब 50-50 पोनी व पोर्टर यानी कुल 100 अतिरिक्त लोग किसी तरह की आपदा आने की स्थिति में एसडीआरएफ के जवानों के सहायक के रूप में कैलाश यात्रियों को बचाने में अपना योगदान दे पाएंगे।
आदि कैलाश के सभी यात्रियों का भी होगा 5 लाख का बीमा
नैनीताल। कैलाश मानसरोवर यात्रियों का बीते कुछ वर्षों से 5 लाख रुपए का ग्रुप दुर्घटना बीमा कराया जाता है, वहीं इसी तर्ज पर आदि कैलाश के यात्रियों का भी बीते वर्ष से 5 लाख का बीमा कराना प्रारंभ हुआ है। केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि अब इसी तर्ज पर इस वर्ष से पिंडारी, सुंदरढूंगा, मिलम व पंचाचूली आदि सभी पैदल यात्राओं के ट्रेकिंग रूट्स पर जाने वाले यात्रियों का भी 5-5 लाख रुपए का ग्रुप दुर्घटना बीमा कराया जाएगा।
पोनी-पोर्टरों का भी होगा 2-2 लाख का बीमा
नैनीताल। केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि ट्रेकिंग रूट्स पर जाने वाले यात्रियों की तर्ज पर केएमवीएन सभी मार्गों पर यात्रियों के साथ जाने वाले पोनी-पोर्टरों का भी 2-2 लाख का ग्रुप दुर्घटना बीमा कराएगी।
कैलाश यात्रा के लिए 2290 ने कुमाऊं के रास्ते के लिए किया आवेदन
नैनीताल। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की समय सीमा बीतने तक कुल करीब 3800 आवेदन किये गए हैं। इनमें से 2290 आवेदन कुमाऊं के लिपुपास दर्रे के परंपरागत दुर्गम पैदल रास्ते से यात्रा करने के लिए और 1510 सिक्किम के नाथुला दर्रे के सुविधाजनक रास्ते के लिए किये गये हैं। उल्लेखनीय है कि लिपुपास दर्रे से 18 दलों में अधिक से अधिक 60 यानी कुल 1080 और नाथुला से अधिकतम 50-50 के आठ दलों में अधिकतम 400 यात्री ही लॉटरी की पद्धति से चयनित होकर कैलाश जा पाएंगे।
कैलाश मानसरोवर यात्रा-2018: विदेश मंत्रालय की ताज़ा बैठक के बाद भी किन्तु-परन्तु…
घटेंगे नहीं दिन, 24 दिन में ही होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा
-भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित हुई बैठक में निगम से पूरे दिनों का ही प्रस्ताव तैयार करके लाने को कहा
-मौसम संबंधित अनिश्चितताओं के मद्देनजर लिया गया है निर्णय
नैनीताल, 4 अप्रैल 2018। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर विदेश मंत्रालय की ताज़ा बैठक के बाद भी किन्तु-परन्तु बरक़रार हैं। लगता है केंद्र सरकार मौसम संबंधी अनिश्चितताओं को भी दृष्टिगत रख रही है। इसलिए अब तय हुआ है कि यात्रा के समय में कमी न की जाए। पहले हेलीकॉप्टरों के माध्यम से यात्रा के होने पर यात्रा के लिए दोनों ओर दो-दो दिन कम करके प्रस्ताव तैयार किया गया था, परंतु भारतीय विदेश मंत्रालय ने अब यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम यानी केएमवीएन से दो-दो दिन कम करने की जगह पूरे दिनों का नये सिरे से प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। इस प्रकार यात्रा के लिए उपलब्ध दो अतिरिक्त दिन इस दौरान किसी तरह की मौसम की दुश्वारियां आने पर उपयोग किये जाएंगे।
बुधवार को नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय की बैठक के बाद ‘राष्ट्रीय सहारा’ से बात करते हुए निगम के महाप्रबंधक त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने बताया कि यात्रा पहली प्राथमिकता में भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिये होगी। यात्री पिथौरागढ़ से एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के जरिये गुंजी पहुचेंगे। किंतु गुंजी में सेना के इन बड़े हेलीकॉप्टरांे के उतरने में कई बार मौसम संबंधी समस्याएं रहती हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार के हेलीकॉप्टरों की पिथौरागढ़ से बुदी तक सेवाएं लेने का विकल्प भी रखा गया है। इसके अलावा यदि यात्रा की अवधि तक पैदल मार्ग दुरुस्त हो जाता है तो तीसरा व अंतिम विकल्प यह भी है। लिहाजा यात्रा के बाबत अभी तक भी बनी इन अनिश्चितताओं के दृष्टिगत भारतीय विदेश मंत्रालय के निर्देशों पर यात्रा दलों को पूरा समय देते हुए नये सिरे से प्रस्ताव जल्द ही तैयार कर मंत्रालय को भेजा जाएगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये यहाँ क्लिक करके कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन
पैदल के लिए 12 और हेली के लिए 14 जून को कुमाऊँ पहुंचेगा पहला दल
-कुमाऊं मंडल विकास निगम ने विदेश मंत्रालय को भेजा प्रस्ताव
-ग्रिफ के मई माह में मार्ग दुरुस्त कर लेने के विश्वास को जांचने मई के आखिर में आएगा विदेश मंत्रालय का दल
नवीन जोशी, नैनीताल, 9 मार्च, 2018। दो देशों भारत एवं चीन के रास्ते एवं हिंदुओं के साथ ही जैन, बौद्ध एवं तिब्बती धर्मों की आस्था से जुड़ी देवों के देव महादेव के सबसे बड़े धाम कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर छाये संशय देर से सही, किंतु लगातार दूर होते जा रहे हैं। यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम ने शुक्रवार (9 मार्च) की शाम विदेश मंत्रालय के निर्देशों पर मंत्रालय को यात्रा के लिए प्रस्ताव भेज दिया है।
इस प्रस्ताव के अनुसार लखनपुर से नजंग के बीच के पैदल मार्ग के चलने योग्य नहीं होने की स्थिति में पहला दल 14 जून को दिल्ली से चलकर उत्तराखंड में कुमाऊं के प्रवेश द्वार काठगोदाम पहुंचेगा, और इस दिन अल्मोड़ा में रात्रि विश्राम करेगा। अगले दिन यानी 15 जून को यात्रा पिथौरागढ़ व 16 को सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से गुंजी पहुंचेगी। 17 जून को यात्रियों को आसपास के गांवों की सैर कराकर स्थानीय माहौल से अभ्यस्त एवं वहां की लोक संस्कृति से परिचित कराया जाएगा। इस हेतु यात्री पहले नपलच्यू गांव जाएंगे, और यहां से रौंगकॉंग जाकर वहां दिन का भोजन होगा, और यहां से नाभी गांव जाकर रात्रि विश्राम करेंगे। आगे 18 को यात्री वापस गुंजी आएंगे, और उनके मेडिकल टेस्ट होंगे। 19 को यात्री नाभीढांग पहुंचेंगे और 20 को लिपुपास दर्रा पार कर चीन के क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। इस तरह यात्रा में धारचूला, सिरखा, गाला व बुदी के पड़ाव कम हो जाएंगे तथा यात्रा में एक ओर दो दिन कम लगेंगे। केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल एवं जीएम त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने बताया कि निगम हर तरह से यात्रा के लिए तैयार है।
मई में विदेश मंत्रालय का दल यात्रा मार्ग का निरीक्षण कर लेगा निर्णय
नैनीताल। गौरतलब है कि कैलाश यात्रा मार्ग पर सड़कों का निर्माण कर रही ग्रिफ ने मई माह तक लखनपुर से नजंग के बीच मार्ग को दुरुस्त कर लेने का विश्वास जताया। लिहाजा, यात्रा पैदल होगी अथवा हेली से, इसका निर्णय आगामी मई माह में विदेश मंत्रालय की टीम यात्रा मार्ग का निरीक्षण करने के बाद लेगी।
पैदल हुई तो 12 को आएगा पहला दल
नैनीताल। उल्लेखनीय है कि केएमवीएन ने पूर्व में विदेश मंत्रालय को पिछले वर्ष की तरह 12 जून से यात्रा कुमाऊं पहुंचकर आगे बढ़ने का प्रस्ताव भी भेजा है। अलबत्ता, यह प्रस्ताव तभी प्रभावी होगा जब मई माह के आखिर तक लखनपुर व नजंग के बीच यदि मार्ग दुरुस्त हो जाता है (जिसकी संभावना कम ही लगती है) तो यात्रा का पहला दल पिछले वर्ष की भांति ही 12 जून को दिल्ली से चलकर उत्तराखंड में कुमाऊं के प्रवेश द्वार काठगोदाम पहुंचेगा, और इस दिन अल्मोड़ा में रात्रि विश्राम करेगा। अगले दिन यानी 13 को यात्रा धारचूला, 14 को बुदी, 15 को गुंजी, 16 को गंुजी में मेडिकल, 17 को नाभीढांग एवं 18 को लिपुपास दर्रा पार कर चीन में प्रवेश करेगी।
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पूर्व आलेख : कैलाश मानसरोवर यात्रा पर संशय खत्म, सेना के हेलीकॉप्टरों से पिथौरागढ़ से सीधे गुंजी जाएंगे यात्री
-करीब छह दिन छोटी हो जाएगी यात्रा, गुंजी में दो की जगह तीन दिन रहकर कराया जाएगा उच्च हिमालयी क्षेत्र में यात्रा के लिए अभ्यस्त
नवीन जोशी, नैनीताल, 8 मार्च, 2018। लखनपुर व नजंग के बीच पिछले पखवाड़े हुए भारी भूस्खलन के बाद कैलाश मानसरोवर पर छाये संशय के बादल छंट गये लगते हैं। हमने गत 28 फरवरी को इस बारे में ‘इतिहास में पहली बार कैलाश मानसरोवर यात्रा के पारंपरिक मार्ग पर संशय’ शीर्षक से प्रमुखता से आलेख प्रकाशित किया था, जिसके बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस विषय को बेहद गंभीरता से लेते हुए बेहद सक्रियता दिखाते हुए यात्रा के होने पर छाये संशय को पूरी तरह खत्म कर दिया है। साथ ही इतिहास में पहली बार यात्रा शुरू होने से पूर्व ही यात्रा के लिए भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों के माध्यम से पिथौरागढ़ से यात्रियों को सीधे गुंजी ले जाने का कार्यक्रम तय कर दिया है। इस हेतु भारतीय सेना के दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर पिथौरागढ़ में तैनात होंगे। इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि इस बार अपने पारंपरिक मार्ग से कैलाश यात्रा सर्वाधिक सुगम तथा करीब छह दिन की कम अवधि में पूरी हो जाएगी।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी शफीउर रब्बी की ओर से यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम यानी केएमवीएन के प्रबंध निदेशक को बृहस्पतिवार को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि कैलाश यात्रियों को हेली सेवा के उपलब्ध कराने को ‘सर्वोच्च प्राथमिकता के स्तर’ पर रखा गया है। इस बाबत 5 मार्च को भारतीय सेना के साथ बैठक में सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिये यात्रा कराने पर सहमति बन गयी है। इस संदर्भ में केएमवीएन को कहा गया है कि वह गुंजी में यात्रियों को यात्रा हेतु अभ्यस्त करने का प्रबंध करे। इस बारे में केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि गुंजी के उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण यहां यात्रियों को पूर्व के दो के बजाय तीन दिन रोका जाएगा। इस दौरान यात्रियों को एक दिन निकट के किसी गांव में ले जाकर ‘होम-स्टे’ भी कराया जाएगा, तथा तीसरे दिन मेडिकल जांच कराने के बाद आगे की यात्रा पर भेजा जाएगा। गुंजी तक सीधे पहुंच जाने से यात्रियों को धारचूला से सिरखा तक 56 किमी सड़क पर वाहनों एवं आगे गुंजी तक 54 किमी पैदल यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। इससे धारचूला, सिरखा एवं बुदी में यात्रा के पड़ावों की जरूरत भी नहीं रह जाएगी, और इस तरह यात्रा में आते और जाते हुए तीन-तीन दिन यानी कुल छह दिन यात्रा छोटी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि अभी यात्रा में करीब 24 दिन लगते हैं, जो कि 18 दिन में ही पूरी हो सकती है। अलबत्ता, यह भी बताया जा रहा है कि सेना के हेलीकॉप्टरों से यात्रा लखनपुर व नजंग के बीच सड़क न बनने की स्थिति में होगी। यदि यह पैदल रास्ता खुल जाता है, तो पैदल यात्रा भी करायी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि इस समस्या के समाधान के लिए दो दिन पूर्व पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने नेपाल की ओर दो लकड़ी के अस्थाई पुल बनाकर यात्रा कराने की भी तैयारी की थी। गौरतलब है कि यह मार्ग बंद हो जाने से कैलाश यात्रियों के साथ शीतकालीन प्रवास पर नीचे आए उच्च हिमालयी क्षेत्रों के हजारों लोगों का अपने घरों को लौटना भी शुरू नहीं हो पा रहा है।
आदि कैलाश यात्रा पर छाया संशय भी खत्म, राज्य के हेली या दारमा घाटी से होगी
नैनीताल। केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल ने आदि कैलाश यात्रा पर भी संशय समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि यात्रा अवश्य कराई जाएगी। श्री गर्ब्याल ने बताया कि इसके लिए एक ओर राज्य सरकार से हेलीकॉप्टरों की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की गयी है। दूसरे आईटीबीपी की ओर से सुझाये गये दारमा घाटी के मार्ग से यात्रा कराने की भी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बताया कि इस ओर से बेदांग तक वाहनों से और वहां से 12 किमी की ट्रेकिंग कराई जा सकती है। बेदांग में निगम ने करीब 30 यात्रियों के ठहरने की सुविधा विकसित कर ली है, जिसे क्षेत्रीय गांवों में होम स्टे सुविधा का लाभ ग्रामीणों को देते हुए 60-70 तक बढ़ाया जा सकता है।
राज्य सरकार को भी तैयार रखने होंगे अपने हेलीकॉप्टर
नैनीताल। भारतीय सेना के बड़े एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के जरिये पिथौरागढ़ से गुंजी तक यात्रा कराने में मौसम की समस्या बाधा खड़ी हो सकती है। क्षेत्रीय जानकारों को कहना है कि गुंजी में यात्रा के दौरान अक्सर बादल छाने की समस्या रहती है। ऐसे में सेना के हेलीकॉप्टरों के उतरने में दिक्कत आ सकती है। इस समस्या का समाधान यात्रा के लिए एक-दो दिन अतिरिक्त रखकर मौसम साफ होने का इंतजार करके किया जा सकता है। इससे बेहतर विकल्प छोटे हेलीकॉप्टरों से बुदी तक ही यात्रियों को ले जाने का भी है। बुदी तक यदि राज्य या केंद्र सरकार से हेली सुविधा मिलती है तो कैलाश के साथ ही आदि कैलाश यात्रियों एवं प्रवास पर नीचे आये हजारों क्षेत्रीय लोगों को भी लाभ मिल सकता है।
इस वर्ष नेपाल से भी होकर गुजरेगी पारंपरिक कैलाश मानसरोवर यात्रा
नवीन जोशी, नैनीताल, 5 मार्च 2018। जी हां, इस बार लगता है कि अपने परंपरागत व पौराणिक लिपुपास मार्ग के रास्ते होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा लखनपुर व नजंग के बीच 2 किमी नेपाल के भीतर से भी गुजरेगी। इस बारे में सोमवार 5 मार्च 2018 को पिथौरागढ़ के वन सभागार मे हुई में हुई दोनों देशों के जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक में सहमति बन गयी है। हालांकि आधिकारिक तौर पर दोनों देशों के केंद्रीय स्तर से ही इस विषय में आखिरी फैसला होगा। बैठक में पिथौरागढ के जिलाधिकारी सी रविशंकर व नेपाल के सीमांत र्दाचुला जिले के प्रमुख जिल्लाधिकारी जर्नादन गौतम एवं अन्य संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति में हुई बैठक में दोनों देशों के सामरिक महत्व के विभिन्न मुद्दों के अलावा तय हुआ कि लखनपुर व नजंग में काली नदी पर भारत-नेपाल के बीच लकड़ी के दो अस्थायी पुल बनाये जाएंगे, जिनसे कैलाश मानसरोवर यात्रियों के साथ ही भारत के सीमांत उच्च हिमालयी क्षेत्रों के हजारों निवासी भी निचले क्षेत्रों में किये जा रहे शीतकालीन प्रवास के बाद अपने घरों को लौट पाएंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत में पिथौरागढ़ की व्यास घाटी के पौराणिक मार्ग से होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग गत दिनों लखनपुर और नजंग के बीच भूस्खलन होने के कारण बंद हो गया है। इसमें कई जेसीबी व अन्य वाहन भी दब गए हैं। था। बैठक मे इस क्षेत्र के लिये नेपाल होते हुये पैदल रास्ते के निर्माण और काली नदी मे बनाने पर सहमति हुई। इसके साथ ही बैठक मे काली नदी मे प्रस्तावित 6 अन्य पुलों को बनाने के लिये भी दोनों देशो की सरकारों को प्रस्ताव भेजने पर भी बात हुई है, तथा सीमा पर अवैध गतिविधियों, विशेष तौर पर मानव तस्करी व वन्य जीवों के अंगों की तस्करी पर मिलजुल कर कार्य करने पर भी फैसला भी लिया गया। इसके लिए दोनों देशों के प्रशासन, पुलिस और सुरक्षा बलों के बीच लगातार संवाद रखने, सूचनाओं का आदान-प्रदान करने पर सहमति बनी है।
केएमवीएन के एमडी ने बूदी तक हेलीकॉप्टर सेवा लागू करने का दिया है सुझाव
नैनीताल। लखनपुर व नजंग के बीच नेपाल के रास्ते से होकर गुजरने के लिए लकड़ी के दो अस्थायी पुल बनाने के लिए की गयी पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की पहल के इतर यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने बीती 3 मार्च को पिथौरागढ़ के डीएम को पत्र लिखकर धारचूला से बुदी तक कैलाश मानसरोवर यात्रियों और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए केदारनाथ की तर्ज पर हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करना का सुझाव बेहतर बताया है। श्री गर्ब्याल ने बताया कि बुदी से आगे गुंजी में मौसमी दिक्कतों को देखते हुए बुदी में हेलीकॉप्टर सुविधा देने और यहां से कैलाश यात्रियों के लिए पोनी-पोर्टर की व्यवस्था किया जाना सबसे बेहतर सुझाव है।
कैलाश यात्रा मार्ग के लिए जवानों का प्रशिक्षण प्रारंभ
नैनीताल। कैलाश मानसरोवर यात्रा में यात्रियों की सुरक्षा के लिए तैनात होने वाले पुलिस कर्मियों के लिए मुख्यालय स्थित रिजर्व पुलिस लाइन में सोमवार से 5 दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ हो गया है। एसडीआरएफ के पूर्व कुमाऊं प्रभारी एएसपी नैनीताल की अगुवाई में इस दौरान नैनीताल पर्वतारोहण क्लब के प्रशिक्षक सुनील वैद्य एवं राजभवन स्थित एसडीआरएफ सब टीम के जवानों के द्वारा जनपद के सभी थाना-कोतवालियों के चयनित पुलिस कर्मियों को यात्रा के दौरान जरूरी मूलभूत प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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- हिंदुओं के साथ ही जैन, बौद्ध, सिक्ख और बोनपा धर्म के एवं तीन देशों (भारत, नेपाल और चीन) के श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी है कैलाश मानसरोवर यात्रा
- उत्तराखंड से शिव के धाम कैलाश मानसरोवर का मार्ग पौराणिक है, पांडवों के द्वारा भी इसी मार्ग से कैलाश जाने के पौराणिक संदर्भ मिलते हैं
- विश्व की सबसे कठिनतम और प्राचीनतम पैदल यात्राओं में शुमार 1,700 किमी लंबी (230 किमी की पैदल दूरी) है कैलाश मानसरोवर की यात्रा
नवीन जोशी, नैनीताल, 28 फरवरी 2018। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन को साधते हुए नाथुला के रास्ते फिर से कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू कराने की उत्साहजनक खबर के बीच उत्तराखंड के लिपुपास दर्रे से 1981 से लगातार हो रही परंपरागत यात्रा के पारंपरिक व पौराणिक मार्ग पर इतिहास में पहली बार संशयपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गयी है। इस कारण पहली बार जून माह में शुरू होने वाली इस यात्रा के लिए फरवरी माह के बीतते भी कार्यक्रम तय नहीं किया जा सका है। इसका कारण चीन सीमा तक बन रहे लिपुपास राष्ट्रीय राजमार्ग पर लखनपुर से नजंग के बीच पैदल मार्ग के समानांतर ही बेहद कड़ी चट्टानों पर सीमा सड़क संगठन द्वारा किया जा रहा निर्माण है, जिस कारण चट्टानों के मलबे के बीच यात्रा के लिए पैदल मार्ग भी नहीं रह गया है। वहीं इसी पखवाड़े हुए भूस्थलन से लखनपुर से खांडेरा के बीच कार्यदायी संस्था की सड़क निर्माण में लगी मशीनें दब जाने के बाद कार्य रुक गया है।
इधर भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार सीमा सड़क संगठन ने अब तक भारतीय विदेश मंत्रालय को इस सड़क के जून में यात्रा शुरू तक पैदल मार्ग दुरुस्त होने के बारे में स्थिति साफ नहीं की है, जिस कारण भारतीय विदेश मंत्रालय भी गत 20 मार्च से यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू करने के बावजूद यात्रा का रूट एवं कार्यक्रम जारी नहीं कर पाया है, और आगे 1 मार्च को दिल्ली में होने वाली बैठक में भी इस बाबत स्थिति साफ होने की कम ही उम्मीद जताई जा रही है। बहरहाल, यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने कहा कि यह यात्रा निगम ही नहीं उत्तराखंड प्रदेश और देश की प्रतिष्ठा से जुड़ी है, इसलिए निगम हर स्थिति में यात्रा के आयोजन के लिए तैयार है।
आईटीबीपी ने दिया 19000 फिट ऊंचे सिनला पास के मार्ग का विकल्प
नैनीताल। भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस के उपमहानिरीक्षक बरेली ने इसी सप्ताह 22 फरवरी को पिथौरागढ़ के डीएम को पत्र लिखकर कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए धारचूला से दारमा घाटी के तिदांग, बेदांग से 19000 फीट ऊंचाई पर स्थित सिनला पास के रास्ते जौलिंगकांग यानी आदि कैलाश-ऊं पर्वत होते हुए वापस नीचे कुट्टी आकर गुंजी से होते हुए 17000 फिट ऊंचाई के लिपुपास दर्रे से होते यात्रा पर जाने का विकल्प सुझाया है। हालांकि अत्यधिक दुरूह मार्ग से इतनी अधिक ऊंचाई से होकर गुजरने वाले इस मार्ग का विकल्प व्यवहारिक नहीं माना जा रहा है। इस मार्ग पर कुट्टी से गूंजी के 19 किमी के मार्ग में 9 किमी गाड़ी के मार्ग में बरसात के दिनों में सड़क खराब होने की स्थिति भी आ सकती है।
नेपाल के रास्ते पुल बनाने का भी दिया जा रहा है विकल्प
नैनीताल। लखनपुर से आगे मार्ग की बाधा को देखते हुए काली नदी पर पुल बनाकर नेपाल की ओर से आगे बढ़ने का मार्ग भी सुझाया गया है। बताया गया है कि यहां यदि स्थानीय एनजीओ के माध्यम से पुल बनवाने पर डेढ़ से दो करोड़ रुपए तक का खर्च आ सकता है। इसलिए ही आईटीबीपी की ओर दारमा घाटी का मार्ग सुझाया गया है।
बुदी तक हेलीकॉप्टर से यात्रियों को ले जाने का भी है विकल्प
नैनीताल। उल्लेखनीय है कि पिछली बार 13 अगस्त की रात्रि मांगती नाला के पास हुए भयानक भूस्खलन के बाद यात्रा बाधित हुई थी। इस आलोक में केएमवीएन ने इस बार बुदी तक यात्रियों को हेलीकॉप्टर से ले जाने, अथवा 46 किमी सड़क पर वाहनों एवं 12 किमी पैदल चलकर बुदी जाने का विकल्प सुझाया है। हेलीकॉप्टर की सुविधा राज्य सरकार की ओर से दी जा सकती है। इस विकल्प में जुलाई के बाद बरसात का मौसम शुरू होने पर कोहरे व बादलों तथा मौसम की खराबी से समस्या आ सकती है, बावजूद मौसम सही होने पर यात्रा जारी रखी जा सकती है।
आदि कैलाश यात्रा की बुकिंग भी प्रभावित
नैनीताल। कैलाश यात्रा का कार्यक्रम जारी न होने व मार्ग पर संशयपूर्ण स्थितियों के बीच केएमवीएन द्वारा अपने स्तर से आयोजित होने वाली आदि कैलाश-प्राकृतिक ऊं पर्वत के दर्शन कराने वाली यात्रा पर भी संशयपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गयी है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष मांगती नाले में आयी आपदा के कारण 3 दलों की यात्रा न हो पाने के बावजूद 12 दलों में 432 यात्री आदि कैलाश गये थे। इस वर्ष भी काफी यात्री इस हेतु निगम से जानकारी जुटा रहे हैं, किंतु निगम यात्रा के लिए तय जानकारी नहीं दे पा रहा है।
नाथुला जैसी ही आसान होगी उत्तराखंड के रास्ते भी कैलाश मानसरोवर यात्रा
अब यात्रियों को 43 किमी ही चलना होगा पैदल, पैदल यात्रा पथ पर भी गब्र्याग से गुंजी और गुंजी से कालापानी के बीच जीपों से होगी यात्रा
नवीन जोशी नैनीताल। केंद्र सरकार के अरुणांचल प्रदेश नाथुला दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नया सुगम, वाहनों का यात्रा पथ खोल दिए जाने को उत्तराखंड ने चुनौती की तरह लिया है। राज्य के मौजूदा पौराणिक एवं परंपरागत मार्ग की प्रतिस्पर्धा में दुर्गम पैदल पथ के कारण की दुश्वारियों को दूर करने के बाबत उत्तराखंड ने प्रयत्न शुरू कर दिए हैं। अब इस यात्रा में यात्रियों को भारतीय भूभाग में 43 किमी ही पैदल चलना पड़ेगा, जबकि इस मार्ग पर 85 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। मुख्यमंत्री हरीश रावत की घोषणा के बाद कुमाऊं मंडल विकास निगम इस यात्रा की पैदल दूरी कम करने में जुट गया है।
उल्लेखनीय है कि यात्रा के पैदल मार्ग पर बन चुकी सड़क के हिस्सों पर जीप चलाने की भी योजना है। इस पर शासन व निगम स्तर पर पहल भी शुरू हो गई है। निगम ने बीच की सड़क के हिस्सों में हेलीकॉप्टर से जीपें उतारने के प्रयास भी शुरू कर दिये हैं।