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January 18, 2025

हल्द्वानी हिंसा के मुख्य आरोपित अब्दुल मालिक के काम नहीं आई सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की पैरवी

High Court of Uttarakhand Nainital Navin Samachar

नवीन समाचार, नैनीताल, 10 जनवरी 2025 (Khurshids advocacy did not work for Abdul Malik) हल्द्वानी के वनभूलपुरा में 8 फरवरी 2024 को हुई बहुचर्चित हिंसा के मुख्य आरोपित अब्दुल मलिक की सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता की पैरवी के बावजूद जेल से बाहर निकलने की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने उसकी जमानत याचिका रद्द कर दी है और उसे निचली अदालत में जमानत के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया है और निचली अदालत को आरोप पत्र और अन्य साक्ष्यों का अवलोकन कर निर्णय लेने के लिए कहा है।

मामले का विवरण 

Mastermind of Haldwani Violence, Sword ofArrest hangs on Abdul Maliks Wife Sofiya, Khurshids advocacy did not work for Abdul Malik,8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा के दौरान प्रशासन और पुलिस की टीम पर अतिक्रमणकारियों और अन्य लोगों ने पथराव, आगजनी और गोलीबारी की थी। हिंसा के दौरान दंगाइयों ने कई वाहनों सहित थाने को भी घेरकर गोलीबारी की, जिसमें कई लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक लोग घायल हुए।

जांच और गिरफ्तारी

पुलिस ने हिंसा के बाद व्यापक जांच की, जिसके दौरान 100 से अधिक दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया। इन्हीं में अब्दुल मलिक को भी गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने अब्दुल मलिक पर दंगा भड़काने और दंगाइयों का सहयोग करने के आरोप लगाए। 

जमानत याचिका पर तर्क 

जमानत प्रार्थना पत्र में अब्दुल मलिक की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कॉंग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने पैरवी करते हुए दावा किया कि घटना के समय वह दिल्ली में मौजूद था और उसे गलत तरीके से फंसाया गया। यह भी तर्क दिया कि जब उसने अपराध किया ही नहीं, तो उसके विरुद्ध झूठा अभियोग क्यों दर्ज किया गया। अब्दुल मलिक ने यह भी बताया कि अतिक्रमण के मामले में उसे पहले ही उच्च न्यायालय की एकलपीठ से जमानत मिल चुकी है।

न्यायालय का निर्णय (Khurshids advocacy did not work for Abdul Malik)

खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि निचली अदालत चार्जशीट और अन्य दस्तावेजों का विश्लेषण करके उचित निर्णय ले। खंडपीठ ने अब्दुल मलिक की याचिका खारिज कर दी, जिससे उसे निचली अदालत में पुनः जमानत के लिए आवेदन करना होगा।  न्यायालय के इस निर्णय ने हिंसा से जुड़े गंभीर मामलों में साक्ष्य और जांच की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया है। (Khurshids advocacy did not work for Abdul Malik)

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