नैनीताल के चड़ता गांव के लोग विशाल सांप को ‘किंग कोबरा’ (King Cobra) समझ दहशत में…

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King Cobra, World’s longest venomous ‘Himalayan King Cobra’ seen in Takula on Nainital-Haldwani road amid traffic of tourists, People were thrilled with fear after seeing a poisonous snake twice the length of a human, sailaaniyon ke aavaagaman ke beech naineetaal-haldvaanee rod par taakula mein dikha duniyaan ka sabase lamba vishadhar ‘himaalayan king kobara’ -manushy se dogunee lambaee ke vishadhar ko dekhakar bhay ke saath romaanchit hue log

King Cobra
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नवीन समाचार, नैनीताल, 16 अगस्त 2023 (King Cobra)। नैनीताल के निकटवर्ती हल्द्वानी रोड पर एरीज मोड़ के पास स्थित चड़ता गांव में बुधवार को एक विशाल सांप नजर आया। गांव निवासी प्रमोद सनवाल ने सांप को सर्वप्रथम देखा, इसके बाद सांप को देखने के लिए ग्रामीण जुट गए और सांप को उसके विशाल आकार के कारण जहरीला किंग कोबरा समझ डर गए।

King Cobraग्रामीणों ने ‘नवीन समाचार’ को देखे गए सांप की फोटो उपलब्ध कराकर इस सांप के बारे में जानना चाहा। ‘नवीन समाचार’ ने वन विभाग के सर्प विशेषज्ञ निमिष दानू से इस बारे में जानकारी ली तो उन्होंने इसे ‘ब्राउन ट्रिंकेट’ प्रजाति का सांप बताया। बताया कि इसे स्थानीय भाषा में ‘घोड़ा पछाड़’ सांप कहते हैं, क्योंकि माना जाता है कि यह घोड़े से भी अधिक तेज दौड़ता है।

जबकि इसका वैज्ञानिक नाम धामन है। यह जहरीला सांप नहीं होता, बल्कि अपनी फुर्ती और बड़े आकार तथा फुंफकारकर डराता है। चूहे इसका प्रमुख रूप से भोजन होते हैं, किंतु ग्रामीण इसकी विशालता और किंग कोबरा जैसा मानकर मार डालते हैं, जो कि नहीं करना चाहिए।

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-मनुष्य से दोगुनी लंबाई के विषधर को देखकर भय के साथ रोमांचित हुए लोग
नवीन समाचार, नैनीताल, 31 मई 2023 (King Cobra) नैनीताल को दुनिया के सबसे लंबे, 18 फिट तक लंबे मिलने वाले किंग कोबरा (King Cobra) को अब प्राकृतिक वास स्थल के रूप में माना जाने लगा है। इधर बुधवार को जनपद मुख्यालय से करीब 4 किमी दूर हल्द्वानी रोड पर समुद्र तट से करीब 5000 हजार फीट की ऊंचाई पर महात्मा गांधी के नाम से गांधी ग्राम के रूप में प्रसिद्ध ताकुला में दुनियां का सबसे लंबा माने जाने वाले विषधर हिमालयन किंग कोबरा देखा गया। यह भी पढ़ें : सैलानियों के आवागमन के बीच नैनीताल-हल्द्वानी रोड पर ताकुला में दिखा दुनियां का सबसे लंबा विषधर ‘हिमालयन किंग कोबरा’  देखें वीडियो:

राष्ट्रीय राजमार्ग के पास सैलानियों के आवागमन के बीच जिसने भी इसे देखा भय मिश्रित रोमांच के साथ इसे देखता ही रह गया। ताकुला गांव निवासी बसंत मेहरा इसके फोटो व वीडियो लेने में सफल रहे। क्षेत्र में इतने बड़े सांप के दिखने के बाद दहशत का माहौल भी बना हुआ है। यह भी पढ़ें : नाबालिग किशोरी को भगाने के प्रयासों से लोग हुए आक्रोशित, आक्रोश देख दूसरे समुदाय के 42 व्यापारी गायब !

नैनीताल के निकटवर्ती पहाड़ी गांव-देवीधूरा तक चढ़ आया हाथियों का झुंड

बसंत ने बताया कि वह आज सुबह करीब साढ़े दस बजे ताकुला से नैनीताल को पैदल आ रहे थे। इस बीच पुरानी चुंगी के पास वर्ष 1900 के आसपास बनी तीन पुलिया के पास उन्हें यह बड़ा सांप दिखाई दिया। उन्होंने अपने मोबाइल कैमरे में इस सांप के वीडियो को कैद किया। नैनीताल प्राणी उद्यान के वन्य जीव चिकित्सक रहे व वर्तमान में मुख्य पिथौरागढ़ के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश भारद्वाज ने इस वीडियो के आधार पर सांप के हिमालयन किंग कोबरा होने की पुष्टि की है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड: कैबिनेट बैठक में लिए 7000 पदों पर भर्ती व दर्जनों नए पदों, नई तहसील आदि के 52 बड़े निर्णय 

उन्होने कहा कि इसकी सामान्य लंबाई 10 से 18 फीट तक लंबी हो सकती है। सामान्य यह समय सांपों के प्रजनन काल का होता है। उन्होंने संभावना जताई कि यह मादा किंग कोबरा हो सकती है जो बच्चे पैदा करने के लिए घौंसला आदि बनाने की तैयारी कर रही हो। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व में क्षेत्र में ज्योलीकोट, बेलुवाखान के साथ ही मुक्तेश्वर में भी किंग कोबरा के दिखाई देने के साथ अंडे देने की घटनाएं भी कैमरे में कैद हो चुकी हैं। यह भी पढ़ें : अल्मोड़ा में बारात के लिए आए 16 साल के नाबालिग की नदी में डूबने से मौत, हल्द्वानी में युवक का शव मिलने से सनसनी 

भगवान शिव का गले का हार है नागराज वासुकी ही है किंग कोबरा

नैनीताल। मान्यता है कि भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाने वाला वासुकी नाग हिमालयन किंग कोबरा ही है। पूर्व वन क्षेत्राधिकारी रहे आचार्य कैलाश चंद्र सुयाल ने बताया कि भगवान भोलेनाथ की गले की शोभा बढ़ाने वाले वासुकी नाग यानी किंग कोबरा के दर्शन बेहद शुभ होते हैं। यह विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सामान्यतः इंसानों पर हमला नहीं करता है। रानीबाग से ऊपर का वन क्षेत्र सम शीतोष्ण वन की श्रेणी में आता है यह वातावरण किंग कोबरा के लिए मुफीद माना जाता है। (King Cobra) (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

नैनीताल के मुक्तेश्वर में विश्व रिकॉर्ड ऊंचाई पर देखा गया किंग कोबरा..

नवीन समाचार, नैनीताल, 03 सितंबर 2020। प्राकृतिक जैव विविधता से समृद्ध उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में विश्व में सर्वाधिक 2,170 मीटर की ऊंचाई पर सांपों का राजा कहा जाने वाला किंग कोबरा पहली बार कैमरे में रिकॉर्ड हुआ है। किंग कोबरा को नैनीताल जनपद के मुक्तेश्वर के पास देखा गया है। इससे वन विभाग के अधिकारी आह्लादित हैं। इसे राज्य एवं खासकर नैनीताल जनपद की समृद्ध जैव विविधता का परिचायक माना जा रहा है। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में 26 साल की शिक्षिका की संदिग्ध मौत, मौत से पहले दी जानकारी 

उल्लेखनीय है कि कुछ वर्षों पूर्व तक नैनीताल व पहाड़ों पर सांप दिखना बहुत बड़ी बात होती थी, किंतु इधर जनपद का ज्योलीकोट क्षेत्र किंग कोबरा के प्राकृतिक आवास स्थल के रूप में स्थापित हो चुका है। जबकि 1900 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित जिला-मंडल मुख्यालय में अक्टूबर-नवंबर 2017 में किंग कोबरा देखे जाने की तीन घटनाएं हुई थीं। यह भी पढ़ें : पर्यटन नगरी में बड़ा हादसा, स्कूटी सहित खाई में गिरी युवती, मौत

जबकि उत्तराखण्ड वन्य जीव बोर्ड के सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय छायाकार व प्रकृतिविद् पद्मश्री अनूप साह के अनुसार करीब 60 वर्ष पहले नगर के हीरा लाल साह ठुलघरिया द्वारा नगर के बारापत्थर क्षेत्र में करीब 7000 फिट यानी 2,134 मीटर की ऊंचाई पर और जून 2014 में नगर के मान परिवार ने किलबरी रोड में समुद्र तल से करीब 7500 फिट यानी 2286 मीटर की ऊंचाई पर किंग कोबरा को देखने का दावा किया था, जो कि इतनी अधिक ऊंचाई के लिहाज से श्री साह के अनुसार विश्व कीर्तिमान था। लेकिन तब इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी थी। गौरतलब है कि पूर्व में जनपद के कालाढुंगी क्षेत्र में वन विभाग को 22 फिट लंबे किंग कोबरा के सड़े-गले अवशेष मिले थे, जो कि लंदन के चिड़ियाघर में रखे गये 18.5 फिट के विश्व रिकॉर्डधारी लंबे सांप से भी अधिक लंबा था। परंतु इसका कोई प्रमाण सुरक्षित नहीं रखा गया। यह भी पढ़ें : 14 वर्षीय बच्ची के शव को कब्र से निकालकर पोस्टमॉर्टम कराया गया, पिता पर हत्या का आरोप 

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव या नैनीताल किंग कोबरा का प्राकृतिक आवास स्थल !
नैनीताल। नैनीताल जनपद के मुक्तेश्वर सरीखे समुद्र सतह से 2,170 मीटर की ऊंचाई पर बसे स्थान पर किंग कोबरा की उपस्थिति को कई लोग ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव भी मान रहे हैं, वहीं इस बारे में पूछे जाने पर वन संरक्षक दक्षिणी कुमाऊं वृत्त डा. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि नैनीताल किंग कोबरा का प्राकृतिक आवास हो सकता है। संभव है कि यह हमेशा से यहां रहता हो, परंतु पहले इसके फोटो आदि लिये जाने के प्रमाण नहीं थे। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के व्यवसायी की बालाजी से लौटते हुए यूपी में दुर्घटना में मौत, पत्नी-बच्चे भी थे साथ में 

अब सूचना-प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव से इसकी पुष्टि होना सुखद है। इसकी यहां उपस्थिति इस क्षेत्र की अब भी समृद्ध जैव विविधता होने का प्रमाण भी है। इस आधार पर विशेषज्ञ भी स्वीकार कर रहे हैं कि क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता, मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र व आहार श्रृंखला के परिचायक किंग कोबरा का यहां मिलना इस क्षेत्र के लिये बड़ी उपलब्धि हो सकता है, और इस क्षेत्र को सर्पराज के संरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। परीक्षण किया जाये तो किंग कोबरा की यहां उपस्थिति देश के लिये बड़ी उपलब्धि हो सकती है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड : मौलवी ने महिलाओं के लिए जारी किया फरमान, मोबाइल के इस्तेमाल, शादी-विवाह के कार्यक्रम में जाने और वहां लड़कों के स्वागत करने पर रोक लगाने को कहा…

इसलिए महत्वपूर्ण है किंग कोबरा
नैनीताल। यह प्रश्न उठता है कि किंग कोबारा जैसे जहरीले प्राणी के बारे में इतनी चर्चा की जाए और मनुष्य इतने विषैले सांप को बचाने का प्रयास क्यों करे। इसका उत्तर बाघों के संरक्षण के लिये चल रही देश व्यापी मुहिम में समाहित है। पारिस्थितिकी तंत्र की आहार श्रृंखला में बाघ की तरह सबसे ऊपर स्थित इस जीव की पहाड़ में उपस्थिति का अर्थ है, यहां इसकी आहार श्रृंखला के अन्य जीव भी भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। इसका मुख्य भोजन छोटे सांप हैं। वह अन्य जीव जंतुओं को खाते हुऐ क्षेत्र में पारिस्थितिकीय संतुलन बनाते हैं। यह भी पढ़ें : पर्यटन नगरी में बड़ा हादसा, स्कूटी सहित खाई में गिरी युवती, मौत

यह भी पढ़ें : स्कूल में घुसा 10 फिट लंबा किंग कोबरा, फैली दहशत, पर देखा तो बोले WOW…

कैलाश जोशी @ नवीन समाचार, ज्योलीकोट, 27 जून 2020। जनपद के ज्योलीकोट स्थित एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में एक करीब 9-10 फिट लंबा, मोटा, पूर्ण वयस्क किंग कोबरा देखे जाने से सनसनी फैल गई। लेकिन उसे प्रत्यक्ष के साथ ही चित्रों व वीडियो में देखना भी बेहद रोमांचक था। बाद में उसे पकड़ के जंगल में छोड़ दिया गया। उल्लेखनीय है कि किंग कोबरा को सांपों का राजा कहा जाता है, और इसकी मौजूदगी क्षेत्र की उत्कृष्ट जैव विविधता की परिचायक बताई जाती है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के व्यवसायी की बालाजी से लौटते हुए यूपी में दुर्घटना में मौत, पत्नी-बच्चे भी थे साथ में 

प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार की देर शाम यह किंग कोबरा निकटवर्ती वन क्षेत्र से ज्योलीकोट के शैक्षणिक संस्थान के परिसर में घुस गया। लगभग 9-10 फिट लंबे कोबरा के घुस आने से परिसर में दहशत एवं आसपास सनसनी फैल गई। परिसर के ही एक कर्मचारी ने हिम्मत का परिचय देते हुए उसे किसी तरह पकड़ लिया। इस दौरान उसे देखकर लोग रोमांचित हो गये। बाद में उसे वन क्षेत्र में छोड़ दिया दिया। उल्लेखनीय है कि ज्योलीकोट क्षेत्र किंग कोबरा के प्राकृतिक आवास स्थल के रूप में पहचान पा चुका है। यहां 10 वर्ष पूर्व किंग कोबरा की मौजूदगी का पता चला था। यहां किंग कोबरा द्वारा प्रजनन करने एवं मादा कोबरा द्वारा एक दर्जन बच्चों को जन्म देने की घटनाएं भी प्रकाश में आ चुकी हैं। उसके बाद से आसपास के इलाकों में इनकी तादाद काफी बढ़ गयी है और आये दिन किंग कोबरा यहां देखे जाते है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड : मौलवी ने महिलाओं के लिए जारी किया फरमान, मोबाइल के इस्तेमाल, शादी-विवाह के कार्यक्रम में जाने और वहां लड़कों के स्वागत करने पर रोक लगाने को कहा…

यह भी पढ़ें : कांग्रेस नेता के घर में बिस्तर पर निकला किंग कोबरा

नैनीताल, 19 अगस्त 2018। पर्वतीय नगर नैनीताल में एक घर में बिस्तर पर किंग कोबरा निकलने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। शनिवार देर रात्रि दो बार नैनीताल नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके कांग्रेस नेता राजेंद्र व्यास को रात्रि में सोते हुए करीब साढ़े 10 बजे बिस्तर में सरसराहट महसूस हुई। पहले वह इसे आधी नींद में सपना व बाद में चूहा आदि सोचते रहे। बाद में देखा तो वह एक सांप था, और बिस्तर पर फन फैलाये हुए था। इस पर घर के सदस्यों, उनके छोटे भाई भाजपा एवं ब्लड डोनर्स एसोसिएशन से जुड़े पवन व्यास आदि ने सांप की आंखों पर रोशनी लगा कर किसी तरह उसे रोके रखा और नगर के सांप पकड़ने के विशेषज्ञ निमिश दानू को इसकी जानकारी दी। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद निमिश ने किसी तक सांप को कब्जे में लिया, और बताया कि यह एक वयस्क किंग कोबरा है।

उल्लेखनीय है कि नैनीताल एवं आसपास के पर्वतीय क्षेत्रों में सामान्यतया मैदानी क्षेत्रों की तरह सांप नहीं पाये जाते हैं, किंतु बीते कुछ वर्षों से यहां किंग कोबरा देखे जाने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। किंग कोबरा को सांपों के पारिस्थितिकी व भोजन तंत्र का सबसे ऊपर का जीव है, और इसकी उपस्थिति को स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र की मजबूती का सबूत भी माना जाता है। अलबत्ता, घर व खासकर सोते हुए बिस्तर पर किंग कोबरा के फन फैलाकर मिलने से घर के सदस्यों में घंटों के बाद भी दहशत की स्थिति देखी जा रही है।

यह भी पढ़ें : एक सांप खाकर ज्योलीकोट में घर में घोंसला बनाने घुसी मादा किंग कोबरा !

  • किंग कोबरा के प्राकृतिक आवास स्थल के रूप में स्थापित हुआ ज्योलीकोट
  • 2007 में घोंसला बना था, हुए थे 17 बच्चे, भवाली रोड पर मस्जिद तिराहे के पास छोड़े गए थे

नैनीताल। मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर ज्योलीकोट किंग कोबरा के प्राकृतिक आवास स्थल (नेचरल हैबिटैट) के रूप में स्थापित होता जा रहा है। क्षेत्र में वर्ष 2007 में घोंसला बनाकर 17 बच्चे देने से प्रकाश में आये किंग कोबरा अब यहां घरों में भी घुसने लगे हैं।

स्थानीय निवासी भाजपा नेता पुष्कर जोशी ने बताया कि रविवार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे यहां ग्राम गांजा में एक पूर्ण वयस्क करीब किंग कोबरा एक महिला जानकी देवी पत्नी स्वर्गीय प्रताप सिंह के घर में घुस गया। इससे इस परिवार सहित पूरे गांव में दहशत फैल गयी। बाद में सूचना दिये जाने के बाद रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर से पहुंचे वन कर्मियों ने काफी मसक्कत से कोबरा को कब्जे में ले लिया। कोबरा इस दौरान करीब 3 फिट का एक सांप भी आधा निगल रहा था। माना जा रहा है कि यह एक मादा किंग कोबरा थी, जो सांप को आहार बनाकर इस मौसम में घर में घोंसला बनाने की फिराक में थी।

यह भी पढ़ें : नैनीताल में मिले किंग कोबरा के नर-मादा, विश्व रिकार्ड, ग्लोबल वार्मिंग या समृद्ध जैव विविधता का प्रमाण !

-सर्पराज के प्राकृतिक आवास स्थल के रूप में स्थापित हो रहा नैनीताल का दावा
-पूर्व में विश्व रिकार्ड 22 फिट लंबे किंग कोबरा के कालाढुंगी में मिले थे अवशेष
नवीन जोशी, नैनीताल। कुछ वर्षों पूर्व तक नैनीताल व पहाड़ों पर सांप दिखना बहुत बड़ी बात होती थी, किंतु इधर इस वर्ष नगर में हाल के कुछ महीनों में ही चार सांप नजर आये हैं, और सर्वाधिक दिलचस्प बात यह है कि इनमें से दो सर्पराज कहे जाने वाले किंग कोबरा थे। पहले बीती पांच अक्टूबर 2017 की रात्रि में नगर की माल रोड पर स्थित क्लासिक होटल में करीब 15 फिट लंबा नर किंग कोबरा घुस गया था, जिसे छह अक्टूबर को पकड़ा गया। जबकि इधर 14 नवंबर को नगर के तल्लीताल जॉय विला क्षेत्र में एक करीब 12 फिट लंबी मादा किंग कोबरा पकड़ी गयी है। इस प्रकार ऐतिहासिक तौर पर पहली बार नगर में सर्पराज के पाये जाने के पहले पुख्ता तथ्यपूर्ण प्रमाण प्रमाण प्राप्त हुए हैं।

विश्व रिकार्ड हो सकती है किंग कोबरा की नैनीताल में उपस्थिति

नैनीताल। उल्लेखनीय है कि सर्पराज कहे जाने वाले अनुसूचि एक में शामिल किंग कोबरा को मैदानी क्षेत्रों में पाया जाने वाला जीव माना जाता है। उत्तराखण्ड वन्य जीव बोर्ड के सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय छायाकार व प्रकृतिविद् अनूप साह के अनुसार करीब 60 वर्ष पहले नगर के हीरा लाल साह ठुलघरिया द्वारा नगर के बारापत्थर क्षेत्र में करीब 7000 फिट की ऊंचाई पर और इधर जून 2014 में नगर के मान परिवार ने किलबरी रोड में समुद्र तल से करीब 7500 फिट की ऊंचाई पर किंग कोबरा को देखने का दावा किया था, जो कि इतनी अधिक ऊंचाई के लिहाज से श्री साह के अनुसार विश्व कीर्तिमान है। श्री साह के अनुसार इससे अधिक लंबे किंग कोबरा के पाये जाने के कोई रिकार्ड नहीं हैं। जोकि लंदन के चिड़ियाघर में रखे गये सर्वाधिक 18.5 फिट के सांप से भी अधिक लंबा था। परंतु इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं था। लेकिन इधर इसे 1938 मीटर (6358 फिट) की ऊँचाई पर बसे शहर के ऊपरी क्षेत्रों में देखने की पहली बार पुष्टि हुई है। गौरतलब है कि पूर्व में जनपद के कालाढुंगी क्षेत्र में वन विभाग को 22 फिट लंबे किंग कोबरा के सड़े-गले अवशेष मिले थे, जो कि विश्व रिकॉर्ड बताया जाता है।

लंबा है इस क्षेत्र में किंग कोबरा मिलने का इतिहास

नैनीताल। वन्य जीव प्रेमी विनोद पांडे के अनुसार किंग कोबरा को वर्ष 1998 में निकटवर्ती बेलुवाखान में और वर्ष 2005 में भवाली सेनेटोरियम के पास भी देखा गया। वहीं सर्प विशेषज्ञ मनीश राय ने इस क्षेत्र में किंग कोबरा का पहला घोंसला वर्ष 2006 में तल्ला रामगढ़ में देखा व इस पर शोध किये। इसके अलावा नैनीताल नगर में सूखाताल में प्रसाद भवन, फ्लैट्स, टैक्सी स्टैंड आदि स्थानों पर तथा प्रदेश के चम्पावत, लोहाघाट, बागेश्वर, आदि बद्री, रूद्रप्रयाग व तराई-भाबर में करीब 10 से 17 फुट लंबे किंग कोबरा को देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं।

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव या नैनीताल किंग कोबरा का प्राकृतिक आवास स्थल !
इधर नैनीताल में किंग कोबरा की उपस्थिति को कई लोग ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव भी मान रहे हैं, वहीं इस बारे में पूछे जाने पर वन संरक्षक दक्षिणी कुमाऊं वृत्त डा. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि नैनीताल किंग कोबरा का प्राकृतिक आवास हो सकता है। संभव है कि यह हमेशा से यहां रहता हो, परंतु पहले इसके फोटो आदि लिये जाने के प्रमाण नहीं थे। अब सूचना-प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव से इसकी पुष्टि होना सुखद है। इसकी यहां उपस्थिति इस क्षेत्र की अब भी समृद्ध जैव विविधता होने का प्रमाण भी है। इस आधार पर विशेषज्ञ भी स्वीकार कर रहे हैं कि क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता, मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र व आहार श्रृंखला के परिचायक किंग कोबरा का यहां मिलना इस क्षेत्र के लिये बड़ी उपलब्धि हो सकता है, और इस क्षेत्र को सर्पराज के संरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। परीक्षण किया जाये तो किंग कोबरा की यहां उपस्थिति देश के लिये बड़ी उपलब्धि हो सकती है।

सर्वाधिक विषैले के साथ ही सहनशील भी होता है किंग कोबरा

नैनीताल। अनूप साह के अनुसार किंग कोबरा सबसे अधिक  विषैला सांप होने के साथ ही अत्यन्त सहनशील सांप भी है, यह आमतौर पर बिना कारण किसी प्राणी को नहीं काटता है। इसमें इतना विष होता है कि यह एक बार में ही 20 लोगों को मार सकता है, बावजूद पूरे भारत मे सांपो के काटने से जहां प्रतिवर्ष 50000 मौतें  होती हैं, वहीं किंग कोबरा के काटने से पिछले 20 साल में मात्र चार व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। इसलिए इस सर्प से भयभीत होने का कारण नहीं है। श्री साह इस आधार पर भी किंग कोबरा की विषेश सुरक्षा किये जाने की मांग उठा रहे हैं।

क्यों महत्वपूर्ण है किंग कोबरा

नैनीताल। नि:संदेह यह प्रश्न उठता है कि मनुष्य इतने विषैले सांप को बचाने का प्रयास क्यों करे। इसका उत्तर बाघों के संरक्षण के लिये चल रही देश व्यापी मुहिम में समाहित है। पारिस्थितिकी तंत्र की आहार श्रृंखला में बाघ की तरह सबसे ऊपर स्थित इस जीव की पहाड़ में उपस्थिति का अर्थ है, यहां इसकी आहार श्रृंखला के अन्य जीव भी भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। इसका मुख्य भोजन छोटे सांप हैं। वह अन्य जीव जंतुओं को खाते हुऐ क्षेत्र में पारिस्थितिकीय संतुलन बनाते हैं।

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