अश्वत्थामा, कृपाचार्य व महाअवतार बाबा से मिलने व जीते जी 110 समाधियां लेने वाले पायलट बाबा को आज दी गयी अंतिम समाधि, जानिये उनके बारे में सब कुछ…
नवीन समाचार, हरिद्वार, 19 अगस्त 2024 (Know all about Pilot Baba who met Ashwatthama, Pilot Baba, Ashwatthama , Kripacharya, Maha Avtar Baba, Mahabharat, 10 samadhis, Samadhi,)। जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर और आध्यात्मिक गुरु पायलट बाबा ने 86 वर्ष की आयु में देह त्याग दिया है। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार गुरुवार को उन्हें हरिद्वार में उनके मानने वालों और अखाड़े के लोगों ने समाधि दी। पायलट बाबा की आध्यात्मिक शिक्षा और उनकी समाधि के रहस्यों पर आधारित विचारधारा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। आइये जानते हैं पायलट बाबा के बारे में सब कुछ…
पायलट बाबा का असली नाम कपिल सिंह था। भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट थे और उन्होंने 1965 और 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया था। संन्यास लेने से पहले, वे विंग कमांडर के पद पर कार्यरत थे, जिसके बाद उन्हें पायलट बाबा के नाम से जाना जाने लगा।
पायलट बाबा का जन्म बिहार के सासाराम में हुआ था। उन्होंने बीएचयू से एमएससी की पढ़ाई की थी। 1957 में उन्हें फाइटर पायलट के रूप में वायुसेना में कमीशन मिला। उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 के पाकिस्तान के साथ युद्ध में हिस्सा लिया। वायुसेना में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें शौर्य चक्र, वीर चक्र, और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।
ऐसे हुआ जीवन परिवर्तित
1996 में एक इंटरव्यू के दौरान पायलट बाबा ने अपनी जीवन यात्रा के एक महत्वपूर्ण मोड़ का किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि एक बार जब वे उत्तर पूर्वी राज्यों में मिग एयरक्राफ्ट के साथ उड़ान भर रहे थे, तो उनके फाइटर प्लेन में तकनीकी खराबी आ गई और विमान उनके नियंत्रण से बाहर हो गया। उस समय उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु हरि बाबा का स्मरण किया और महसूस किया कि उनके गुरु कॉकपिट में उनके साथ उपस्थित थे और उन्हें सुरक्षित लैंडिंग के लिए मार्गदर्शन कर रहे थे। इस चमत्कारी घटना के बाद, उन्हें वैराग्य प्राप्त हुआ और उन्होंने 33 वर्ष की आयु में वायुसेना से सेवानिवृत्ति लेकर संन्यास ग्रहण कर लिया।
अश्वत्थामा, कृपाचार्य व महाअवतार बाबा से मिलने का दावा
संन्यास ग्रहण करने के बाद, पायलट बाबा ने 16 वर्षों तक हिमालय में तपस्या की। अपनी किताबों “Unveils Mystery of Himalaya (Part 1)” और “Discover Secret of the Himalaya (Part 2)” में उन्होंने अपने आध्यात्मिक अनुभवों को साझा किया। उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने महाभारत कालीन अश्वत्थामा से भेंट की थी, जिन्हें भगवान कृष्ण द्वारा कलियुग के अंत तक अमर होने का श्राप मिला था। इस प्रकार, अश्वत्थामा को चिरंजीवी माना जाता है।
इसी तरह पायलट बाबा ने महावतार बाबाजी और एक अन्य चिरंजीवी कृपाचार्य से मिलने का भी दावा किया था। अपनी किताबों में उन्होंने समाधि के रहस्यों और उसके विज्ञान के बारे में विस्तार से बताया।
110 बार समाधि लेने का दावा (Know all about Pilot Baba who met Ashwatthama, Maha Avtar )
पायलट बाबा का दावा था कि उन्होंने अपने जीवनकाल में 110 बार समाधि ली। पायलट बाबा ने बताया था कि उन्होंने 1976 में पहली बार समाधि ली थी। आगे कई बार ऐसा भी हुआ कि लोगों ने सोचा कि वे समाधि के बाद वापस नहीं लौटेंगे, लेकिन वे हर बार लौट आए। इस अद्वितीय अनुभव के कारण पायलट बाबा के अनुयायियों के बीच उनका गहरा आकर्षण बना रहा।
उन्होंन कहा था कि समाधि की अवस्था को प्राप्त करने के लिए शरीर में संतुलन और धैर्य का होना आवश्यक है। समाधि की अवस्था को वे मृत्यु से परे जाने वाली अवस्था मानते थे, जिसमें व्यक्ति बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग होकर अपने भीतर की ओर ध्यान केंद्रित करता है। (Know all about Pilot Baba who met Ashwatthama)
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