100 करोड़ से मेरू विवि बनेगा कुमाऊं विश्वविद्यालय, पटवाडांगर में स्थापित होगा तीसरा परिसर

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 5 फरवरी 2025 (Kumaon Univ will MERU-New Campus in Patwadangar)। 1972 में स्थापित कुमाऊं विश्वविद्यालय के लिए दो बड़े समाचार हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय अब 100 करोड़ रुपये की लागत से 9 नये केंद्रों के साथ एनईपी यानी नई शिक्षा नीति के तहत मेरू यानी ‘मल्टी एजुकेशन रिसर्च यूनिवर्सिटी’ यानी ‘बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय’ के रूप में एक नये-बड़े स्तर का विश्वविद्यालय बनने जा रहा है, और इसका तीसरा परिसर नैनीताल के निकट, लगभग 10 किमी दूर पटवाडांगर में 7 नये केंद्रों के साथ स्थापित होने जा रहा है। इसके लिये राज्य सरकार ने कुमाऊं विश्वविद्यालय को 26.4 एकड़ भूमि हस्तांतरित कर दी है। इसका शासनादेश भी हो गया है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने बुधवार को ‘नवीन समाचार’ को एक्सक्लूसिव जानकारी देते हुए बताया कि कुमाऊं विश्वविद्यालय को पटवाडांगर में 26.4 एकड़ भूमि हस्तांतरित होने का शासनादेश जारी हो गया है। अब यहां जिला प्रशासन जल्द ही भूमि का चिन्हीकरण कर कुमाऊं विश्वविद्यालय को हस्तांतरित करेगा। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से तय कार्यदायी संस्था ब्रिटकुल यहां 7 संस्थानों युक्त नये परिसर का निर्माण करेगी। प्रो. रावत ने बताया कि कुमाऊं विश्वविद्यालय में मेरू विवि के तहत नौ नये केंद्र स्थापित होने हैं, इनमें से 2 केंद्र विवि के भीमताल परिसर में एवं अन्य 7 केंद्र पटवाडांगर परिसर में स्थापित होंगे।
कुमाऊं विश्वविद्यालय में स्थापित होने वाली नौ नये केंद्र
1. सतत शहरी विकास केंद्र
2. व्यावसायिक विकास और उद्यमिता केंद्र
3. गैर पारंपरिक ऊर्जा अध्ययन केंद्र
4. आपदा प्रबंधन केंद्र
5. एडवांस कंप्यूटिंग केंद्र
6. हिमालयी औषधीय पौधे और कल्याण जीवन शैली में उत्कृष्टता केंद्र
7. विधि एवं शिक्षा संकाय
8. बायोमेडिकल साइंसेज और नैनो टेक्नोलॉजी संकाय
9. केंद्रीकृत इंस्ट्रुमेंटेशन सुविधा
देश के 26 मेरू विवि में उत्तराखंड का एकमात्र विवि होगा कुमाऊं विश्वविद्यालय
नैनीताल। उल्लेखनीय है कि नयी शिक्षा नीति के तहत देश भर में 26 नये मेरू यानी बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विवि स्तर के विश्वविद्यालय स्थापित होने हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय इनमें से उत्तराखंड का एकमात्र विश्वविद्यालय है। इसके लिये बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विवि को 18 फरवरी 2024 को 100 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ था, जिसमें से 2.7 करोड़ रुपये पूर्व में ही मिल चुके हैं, और अब 40 करोड़ रुपये भी जल्द ही मिलने हैं।
कुलपति प्रो. रावत ने बताया कि इस धनराशि से कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर में गणित, योग व विधि विभागों के भवनों के साथ कई पुराने भवनों एवं कैंटीन आदि की जगह ‘जी प्लस 2’ यानी तीन मंजिला भवन ब्रिडकुल के द्वारा बनाये जा रहे हैं। इनकी निविदा हो चुकी है, जबकि अब पटवाडांगर परिसर के लिये भूमि के चिन्हीकरण के बाद वहां 7 केंद्रों के भवनों के निर्माण के लिये निविदा प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान करना होगा उद्देश्य
नैनीताल। कुलपति प्रो. डीएस रावत के अनुसार मेरू यानी बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय केंद्र सरकार की विश्वविद्यालयों के लिए एक उन्नत मॉडल विकसित करने की योजना है। इसके तहत विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं को बेहतर बनाना, शोध गतिविधियों को बढ़ावा देना, कौशल विकास पर आधारित शिक्षा को प्राथमिकता देना तथा गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करना प्रमुख उद्देश्य हैं।
इससे विश्वविद्यालय को नई शोध परियोजनाएं संचालित करने और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार करने का अवसर मिलेगा। बताया जा रहा है कि मेरू विवि केंद्र सरकार की कुमाऊं विश्वविद्यालय सहित चिन्हित विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के तहत बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ राज्य विश्वविद्यालयों के स्तर से ऊपर लाकर आगे केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्तर पर लाने की है।
पटवाडांगर की राष्ट्रीय स्तर की पुरानी पहचान पुर्नस्थापित होगी (Kumaon Univ will MERU-New Campus in Patwadangar)

नैनीताल। नैनीताल जनपद मुख्यालय के निटक अपनी तरह की एक अनूठी वनस्पति पटवा के नाम से स्थापित पटवाडांगर की अंग्रेजी दौर में 1903 में राज्य रक्षालस संस्थान की स्थापना के बाद से 1996 तक राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रही है। 103 एकड़ भूमि पर फैला यह संस्थान देश के उन दो राष्ट्रीय संस्थानों में शामिल रहा है, जहां रैबीज के टीके बनाये जाते थे। (Kumaon Univ will MERU-New Campus in Patwadangar, Nainital News, Kumaon University News, Kumaon University will become MERU University, Kumaon University’s New 3rd Campus will be in Patwadangar)
1996 में पुराने परंपरागत तरीके की जगह जैव प्रौद्योगिकी की नयी विधि आने के बाद यह बंद हुआ तो 2005 में पंतनगर विवि को और 2019 में जैव प्रौद्योगिकी संस्थान हल्दी पंतनगर को दे दिया गया, लेकिन पंतनगर से काफी दूर होने के कारण यह प्रयोग असफल रहे। दूसरी ओर 2015 से ही कुमाऊं विश्वविद्यालय इसे लेने के प्रयास में जुटा था। बीच में यहां फिल्म सिटी बनाने की बात भी हुई। आखिर अब यहां कुमाऊं विश्वविद्यालय का तीसरा परिसर बनने और पटवाडांगर की राष्ट्रीय स्तर की पुरानी पहचान पुर्नस्थापित होने का रास्ता साफ हो गया है।
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