कुमाऊं-उत्तराखंड की शीला पंत की ‘मादर-ए-वतन-पाकिस्तान’ बनने की अनसुनी प्रेम कहानी इन दिनों फिर चर्चा में…
नवीन समाचार, मुजफ्फरनगर, 10 दिसंबर 2024 (Love Story of Shila Irin Pant-Mother of Pakistan)। पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री नवाबजादा लियाकत अली खान और उनकी पत्नी कुमाऊं उत्तराखंड की मूल निवासी शीला आयरीन पंत की प्रेम कहानी इन दिनों एक बार फिर चर्चा में है। खासतौर पर मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश में, जहां उनके परिवार की शत्रु संपत्ति और एक ऐतिहासिक कोठी का जिक्र इन दिनों लोगों को इतिहास की ओर खींच रहा है।
पश्चिमी यूपी से पाकिस्तान तक का सफर
लियाकत अली खान, जो पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर से ताल्लुक रखते थे, करनाल के नवाब के बेटे थे। उनकी रियासत का हिस्सा हरियाणा से मुजफ्फरनगर तक फैला हुआ था। लंदन में वकालत पढ़ने के बाद उन्होंने मुस्लिम लीग ज्वाइन की और मोहम्मद अली जिन्ना के करीबी बन गए। आजादी से पहले भारत की पहली अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री रहे लियाकत का कार्यकाल विवादित रहा।
प्रेम कहानी की शुरुआत
1920 के दशक के आखिर में लखनऊ में एक चैरिटी कार्यक्रम के दौरान लियाकत अली की मुलाकात शीला आयरीन पंत से हुई। अल्मोड़ा की इस लंबी, खूबसूरत और प्रखर युवती ने लियाकत को पहली ही नजर में मोहित कर लिया। शीला के परिवार का कुमाउनी ब्राह्मण से ईसाई बनने का सफर भी रोचक था। उनके पिता ब्रिटिश सेना में मेजर जनरल थे, जिन्होंने बेहतर तरक्की के लिए धर्म परिवर्तन किया था।
शादी से फैली सनसनी
शीला ने 1931 में लियाकत से निकाह के लिए इस्लाम कबूल कर अपना नाम कहकशां रखा। इस शादी ने पहाड़ों में सनसनी फैला दी। हालांकि शीला के परिवार ने इसे सहजता से लिया, लेकिन मुस्लिम लीग के कुछ नेता इसके खिलाफ थे। जिन्ना के समर्थन ने इस शादी को मान्यता दी।
मुजफ्फरनगर में शानदार कोठी
लियाकत ने अपनी पत्नी के लिए मुजफ्फरनगर में एक शानदार कोठी बनवाई, जिसे अब स्कूल में तब्दील कर दिया गया है। यह कोठी उनके प्यार और भव्य जीवनशैली की गवाही देती है।
मादर-ए-वतन का खिताब
शीला आयरीन, जो पाकिस्तान में बेगम राणा लियाकत खान के नाम से जानी गईं, ने पाकिस्तान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। वह जुल्फिकार अली भुट्टो की कैबिनेट में मंत्री रहीं और सिंध की गवर्नर भी बनीं। पाकिस्तान में उन्हें मादर-ए-वतन का खिताब मिला।
- कहानियां जो अब भी जीवंत हैं (Love Story of Shila Irin Pant-Mother of Pakistan)
उत्तराखंड के पहाड़ों से जुड़ी इस प्रेम कहानी के किस्से आज भी जीवंत हैं। यह कहानी न केवल इतिहास का हिस्सा है, बल्कि इसे गाहे-बगाहे किताबों और किस्सों में याद किया जाता है। (Love Story of Shila Irin Pant-Mother of Pakistan)
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