March 28, 2024

(Mazaar in Uttarakhand) सरकार ने 500 से अधिक अवैध मजारें हटायीं, फिर भी बेखौफ होकर सरकारी विद्यालय के परिसर में बना दी अवैध मजार….

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Mazaar in Uttarakhand

नवीन समाचार, देहरादून, 22 नवंबर 2023। उत्तराखंड में जहां राज्य सरकार पिछले दिनों मजारों को ध्वस्त करने के लिये अभियान चलाये हुई थी। इस दौरान 500 से भी ज्यादा मजारें हटा दिए जाने के बावजूद, इससे बेपरवाह, बेखौफ होकर सरकार की नाक के नीचे, राजधानी देहरादून के पास देहरादून जिले में एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय के परिसर में एक अवैध मजार (Mazaar in Uttarakhand)बनाने का मामला प्रकाश में आया है।

(Mazaar in Uttarakhand) उत्तराखंड : देहरादून में मजार जिहादियों का हौसला बुलंद, सरकारी स्कूल में बना  दी अवैध मजारएक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देहरादून जिले के रायपुर ब्लॉक के माजरी मासी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय अजबपुर के परिसर में एक अवैध मजार (Mazaar in Uttarakhand) बना दी गई है। बताया गया है कि यह मजार किसने और कैसे बनाई इस बारे में विद्यालय के अध्यापक भी खामोश है।

(Mazaar in Uttarakhand) उत्तराखंड : देहरादून में मजार जिहादियों का हौसला बुलंद, सरकारी स्कूल में बना  दी अवैध मजारविद्यालय के बच्चे कक्षा में आते-जाते इस मजार के आगे से गुजरते हैं। कुछ हिंदू बच्चे मजार के भीतर जाते भी देखे गए हैं। विद्यालय में कार्यरत शिक्षिकाएं कहती हैं कि हम बच्चों को वहां जाने से नहीं रोकते, हम केवल यहां पढ़ाने आते हैं और बच्चे क्या करते हैं हम इस ओर ध्यान नहीं देते।

रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले भी हरिद्वार जिले में बहादराबाद के सरकारी स्कूल में भी मजार (Mazaar in Uttarakhand) बना दी गई थी, जिसे प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था। इसी तरह देहरादून जिले के पुलिस थाने में भी मजार (Mazaar in Uttarakhand) बना दी गई थी, जिसे धामी सरकार ने हटवाया। अभी भी देहरादून के दून अस्पताल, वन अनुसंधान केंद्र और भट्टा नवादा के जंगल में वन भूमि पर सहित कई क्षेत्रों में मजारें बनाकर (Mazaar in Uttarakhand) जमीन पर कब्जा कर अंधविश्वास का धंधा बेखौफ चल रहा है।

आसपास के लोगों ने बताया कि भट्टा नवादा जंगल में बनी मजार (Mazaar in Uttarakhand) की जमीन किसी पूर्व अधिकारी मित्तल की बतायी जा रही है, लेकिन यह जमीन पहली नजर में वन विभाग की लगती है क्योंकि आसपास बड़े-बड़े पेड़ हैं। रिपोर्ट के अनुसार भट्टा नवादा में वन भूमि पर मुस्लिम और ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण कराए गए लोगों ने बड़े पैमाने पर कब्जे किए हुए हैं और देहरादून जिला प्रशासन और वन विभाग आंखे मूंदे बैठा हुआ है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जंगल में अभी भी एक दर्जन से अधिक मजारें (Mazaar in Uttarakhand) हैं, जिसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों ने छुपाई हुई है। जगह जगह मजारें (Mazaar in Uttarakhand) देखे जाने पर हिंदू संगठन की नेता राधा सेमवाल धोनी ने कहा है कि प्रशासन की नाक के नीचे मजार जिहाद (Mazaar in Uttarakhand) हो रहा है सरकार को इसे सख्ती से रोकना चाहिए।

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यह भी पढ़ें : Mazaar in Uttarakhand : खतरनाक साजिश ! यहां हिंदुओं के 70 से अधिक घरों में मिलीं मजारें…

नवीन समाचार, ऋषिकेश, 14 सितंबर 2023 (Mazaar in Uttarakhand)। उत्तराखंड में ऋषिकेश के भट्टोवाला क्षेत्र में हिंदू घरों में मजारें (Mazaar in Uttarakhand) बनाए जाने का मामला सामने आया है। यहां 70 से अधिक हिंदुओं के घरों में मजारें चिन्हित हुई हैं। इस पर हिंदू संगठन मजार वाले घरों के स्वामियों से सहमति लेकर मजारों को तोड़ने का सिलसिला शुरू कर चुके है। अब तक करीब डेढ़ दर्जन मजारों को ध्वस्त भी किया जा चुका है। जबकि अन्य को ध्वस्त किया जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक षड्यंत्र के तहत मुस्लिम खादिम धर्म नगरी के रूप में विख्यात ऋषिकेश और देहरादून जिले के अन्य भागों में ऐसी मजारें (Mazaar in Uttarakhand) हिंदुओं की जमीनों को हथियाने के लिए बनवा रहे हैं। यहां मुस्लिम खादिम गरीब, परेशान, बीमार हिंदुओं को यह कहकर बरगलाते हैं कि यदि वह अपने घर में मजार बना लेंगे तो उनकी समस्याओं का समाधान हो जायेगा। इसी आधार पर हिंदू घरों में यह मजारें बन गयी हैं, और इन पर मासूम, कम पढ़े-लिखे हिंदू आस्था भी व्यक्त कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऋषिकेश का सनातन स्वरूप है। यहां कभी गैर हिंदुओं के रात्रि विश्राम पर भी रोक लगी हुई थी। गंगा क्षेत्र में आज भी हिंदू ही रहते हैं। मुस्लिम आबादी शहर से बाहर रहती थी। पिछले 10-15 सालों से देवभूमि उत्तराखंड में मजार जिहाद (Mazaar in Uttarakhand) का एक ताना-बाना बुना गया। सरकारी जंगलों की जमीनों पर सैकड़ों अवैध मजारें बनाई गईं। उसके बाद ऐसे भोले-भाले लोगों की जमीनों पर मुस्लिम खादिमों की निगाहें गईं जहां महिलाएं रहती हैं और उनके पुरुष या तो बाहर काम करते हैं अथवा नहीं है।

ऐसी बात की पुष्टि तब हुई जब हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भट्टोवाला क्षेत्र में उन लोगों से बातचीत की और उन्हें मजार हटाने और इसके मुस्लिम मजहब प्रचार होने की बात समझाई। कई मजारों में “भूमिया देवता पीर मजार” (Mazaar in Uttarakhand) लिखा देखा गया और मजार में मक्का मदीना की टाइल लगी हुई थी।

इन भोले-भाले हिंदू लोगों को यह तक पता नहीं था कि मजार मुस्लिम पीर-फकीरों की बनाई जाती है और ये अवैध मजारें (Mazaar in Uttarakhand) हैं। बहरहाल यहां एक मजार जिहाद (Mazaar in Uttarakhand) के षड्यंत्र के तहत 70 से अधिक मजारें दिखाई दी हैं, जिन्हें एक-एक कर तोड़ा जा रहा है।

Mazaar in Uttarakhandहिंदू संगठन से जुड़े चंद्र भूषण शर्मा का कहना है कि योग नगरी में यह एक बड़ा षड्यंत्र चल रहा है। खादिमों के साथी लोग यहां लोगों के घरों में चावल दिखाकर उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं कि उनकी जमीन में हमारे देवता हैं उनका मंदिर या चिन्ह बनाना है। ऐसी भी जानकारी मिली है कि खादिम पहले यहां की महिलाओं को अपने यहां बड़ी मजार पर आने को बोलते हैं, चादर चढ़वाते हैं, फिर उन्हें बरगलाते हैं कि दुआ कबूल होने या काम होने पर अपने घर में मजार (Mazaar in Uttarakhand) बनाओ।

इस तरह वह हिंदुओं के घरों में घुसपैठ करके उनकी सम्पत्ति पर कब्जे कर रहे हैं। कुछ लोगों को उन्होंने चावल देखने के धंधे भी सिखा कर उगाही का धंधा भी शुरू करवा दिया। सनातन नगरी ऋषिकेश में ये एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है और यहां मुस्लिम लोग अपने पैर पसार रहे हैं।

ऋषिकेश के अलावा पछुवा देहरादून में भी इसी तरह की अवैध मजारें सामने आई थीं, जिन्हें प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था, लेकिन ऋषिकेश की इन अवैध मजारों (Mazaar in Uttarakhand) पर देहरादून ऋषिकेश प्रशासन खामोश रहा, लेकिन यहां हिंदू संगठनों ने इन्हें हटाने का अभियान शुरू किया और अभी तक करीब डेढ़ दर्जन मजारें हटा दी गई हैं। यह जानकारी भी सामने आयी है कि देहरादून शहर में 50 से अधिक अवैध मजारें हैं, जिन्हें हटाने के लिए प्रशासन कभी भी फैसला ले सकता है।

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यह भी पढ़ें Mazaar in Uttarakhand : उत्तराखंड : ‘नजारों के प्रदेश’ को अवैध ‘मजारों का प्रदेश’ बनाने का शडयंत्र !

नवीन समाचार, देहरादून, 7 अप्रैल 2023 (Mazaar in Uttarakhand)। (Uttarakhand : Conspiracy to convert the land of sights into a land of shrines!) देवभूमि उत्तराखंड की पहचान पर्यटन प्रदेश के रूप में इसके सुंदर नजारों के लिए है। लेकिन लगता है कि इस ‘नजारों के प्रदेश’ को शडयंत्र पूर्वक ‘मजारों का प्रदेश’ बनाने की मुहिम चल रही है।

हल्द्वानी में गत दिवस एक अधिवक्ता द्वारा नजूल की भूमि पर अपने घर के भूतल में अनाधिकृत तौर पर मस्जिद बनाने व इस पर हिंदू संगठनों द्वारा वहां नमाज पढ़ा रहे इमाम को थप्पड़ मारने की घटना के बाद एक बार फिर यह मामला राष्ट्रीय मीडिया में छा गया है। ‘आज तक’ ने इस पर एक विशेष रिपोर्ट प्रसारित की है। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में हुए बवाल के मामले में नया मोड़, करीब 800 लोगों के विरुद्ध अभियोग दर्ज.

‘आज तक’ की इस ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश के प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही वन्य जीवों की मौजूदगी वाले वन क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण करके तो यह मजारें शडयंत्रपूर्वक एक मुहिम के तहत बनाई ही जा रही हैं, मजारें बनाने के लिए राष्ट्रीय महत्व के वन्य जीव अभ्यारण्य, छावनी परिषद एवं पुल व बैराजों के आसपास के क्षेत्र को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। यह भी पढ़ें : एक ही रात में 26 अवैध मजार ध्वस्त, मजारों में नहीं मिला कोई मानव अवशेष…

बिन दफनाए बनाईं मज़ार

दिलचस्प बात यह भी है कि कई मजारों में किसी पीर-फकीर या आम व्यक्ति को भी नहीं दफनाया गया है, जबकि कई पीर-फकीरों के नाम पर एक से अधिक स्थानों पर मजारें बनाई गई हैं, जबकि एक व्यक्ति को एक ही जगह दफनाकर मजार बन सकती है। ऐसी सूचनाओं के बाद ही मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने आईएफएस के सम्मेलन में कहा था कि सख्ती से इन मजारों को तत्काल हटाने के निर्देश दिए थे, जिस पर छिटपुट कार्रवाई हो भी रही है। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में एक अवैध धार्मिक स्थल के विवाद के बाद धर्मगुरु को जड़ा गया थप्पड़, मध्य रात्रि के बाद तक चला हंगामा

उत्तराखंड में अब तक ऐसी एक हजार से ज्यादा मजारों को चिन्हित किया जा चुका है, जो वन विभाग या सरकार की दूसरी जमीनों पर अवैध कब्जा करके बनाई गई हैं। इधर उत्तराखंड सरकार ऐसी अवैध मजारों के शडयंत्र को ध्वस्त करने पर सक्रिय हुई है। अब तक 102 मजारों को सरकार द्वारा ध्वस्त किया भी जा चुका है।

पिछले यानी मार्च माह में देहरादून जिले में देहरादून शहर से लगे वन क्षेत्र से 15, ऋषिकेश व कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज से एक-एक और चकराता क्षेत्र से 8 सहित कुल 26 अवैध रूप से बनी मजारों को एक ही रात में हटाया गया था। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में एक अवैध धार्मिक स्थल के विवाद के बाद धर्मगुरु को जड़ा गया थप्पड़, मध्य रात्रि के बाद तक चला हंगामा

इससे पहले दिसंबर माह में भी एक दर्जन अवैध मजारों को ध्वस्त किया गया। इसके बाद भी डाकपत्थर से कुल्हाल तक शक्तिनहर के किनारे करीब नौ सौ अवैध कब्जे हैं। दिलचस्प बात यह रही कि जब इन मजारों पर बुलडोजर चलाया गया और ध्वस्त की गई मजारों की जांच की गई तो मजारों में जो कब्र बनी हुई हैं, उनमें से कई में मृत व्यक्ति के अवशेष ही नहीं हैं। यह भी पढ़ें : नैनीताल: विद्यालय प्रबंधन के उत्पीड़न से कर्मचारी ने पिया सेनेटाइजर, विद्यालय कर्मचारी संघ ने दी आंदोलन की धमकी

इसका सीधा मतलब ये है कि, इन अवैध मजारों का निर्माण अपने मूल उद्देश्य के अनुसार किसी पीर-फकीर को दफनाने के लिए नहीं किया गया है। बल्कि इसका मकसद सरकारी जमीनों के साथ समाज के धार्मिक ढांचे पर भी अतिक्रमण करना और मजार की आड़ में अपने अन्य मंसूबों को पूरा करना है। यह भी पढ़ें : वाहन में मृत मिला दिल्ली निवासी चालक

कौन हैं अवैध मज़ार बनाने वाले

(Mazaar in Uttarakhand) रिपोर्ट के अनुसार नैनीताल जनपद के विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट पार्क में जहां आम लोगों के लिए अपनी जमीन पर भी निर्माण करने पर सख्ती है, दर्जनों की संख्या में अवैध रूप से मजारें बनाई गई हैं। रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि इसके पीछे पश्चिम यूपी से आए बरेलवी मुस्लिम शामिल हैं, जो वन विभाग की जमीनों पर मजारें बनाकर अपने कई तरह के हित साध रहे हैं। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने किया दर्जनों न्यायाधीशों के स्थानांतरण

(Mazaar in Uttarakhand) रिपोर्ट के अनुसार इन मजारों के कर्ता-धर्ता नशेड़ी किस्म के लोग हैं, जो यहां स्मैक चरस का कारोबार करने वालों को संरक्षण देते हैं। ऐसा भी संभव है कि वह वन्य जीवों के शिकार व उनके अंगों की खरीद-फरोख्त में भी शामिल हों। इसके अलावा राज्य की ‘डेमोग्रैफी’ में बदलाव यानी अपनी आबादी बढ़ाना और भविष्य में कब्जा की गई जमीनों की खरीद-फरोख्त करना भी उनका मकसद हो सकता है। यह भी पढ़ें : पिछले कुछ घंटों में 2 बार डोली उत्तराखंड की धरती, आपने महसूस की ?

(Mazaar in Uttarakhand) दिलचस्प बात यह भी है कि देवबंदी मुस्लिम पीर-बाबाओं की मजारों को नहीं मानते हैं। जबकि कई हिंदू एवं दूसरे गैर मुस्लिम लोगों को भी शडयंत्रकर्ताओं ने इन मजारों को आस्था का केंद्र बनाने के लिए अपने शडयंत्र में शामिल कर लिया है। यह भी पढ़ें : हनुमान जयंती पर हुआ भगवा ध्वज का आरोहण, चढ़ाया गया 51 किलो का लड्डू, जगह-जगह हुए अखंड रामायण, सुंदर कांड व हनुमान चालीसा के पाठ…

(Mazaar in Uttarakhand) क्या होती हैं मस्जिद और मजार ?

(Mazaar in Uttarakhand) मस्जिद का मतलब उस प्रार्थनास्थल से है, जहां मुसलमानों द्वारा इबादत की जाती है। जबकि मजार का संबंध उस स्थान से है, जहां किसी व्यक्ति की कब्र या समाधि होती है। मजार अरबी भाषा का एक शब्द है, जिसमें जा-र का मतलब होता है ‘किसी से मिलने के लिए जाना।’ आसान भाषा में समझा जाए तो मजार किसी सूफी संत या पीर बाबा की उस कब्र को कहते हैं, जहां लोग जियारत यानी उस जगह या समाधि के दर्शन करने करने के लिए आते हैं। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में एक अवैध धार्मिक स्थल के विवाद के बाद धर्मगुरु को जड़ा गया थप्पड़, मध्य रात्रि के बाद तक चला हंगामा

(Mazaar in Uttarakhand) मजारों का ‘बिजनेस मॉडल’

इसके अलावा आजतक की टीम ने सबसे पहले नैनीताल जिले के रामनगर से अपनी जांच शुरू करने का दावा करते हुए बताया है कि यहां जिम कॉर्बेट पार्क के जंगलों की वन विभाग की जमीन पर कई मजारें बनी हुई हैं। इनमें से कुछ नईं तो कुछ 10 से 15 वर्षों में बनी हैं। ये मजारें देखने पर काफी विशाल भी नजर आती हैं। रिपोर्ट में मजारों के ‘बिजनेस मॉडल’ का जिक्र भी किया गया है। यह भी पढ़ें : दो पुलिस कर्मियों ने महिला से किया दुष्कर्म, इनमें से एक उम्रदराज और अब सेवानिवृत्त भी…

(Mazaar in Uttarakhand) जिसके तहत सबसे पहले किसी सरकारी जमीन को चिन्हित करके वहां एक कब्र बना दी जाती है, और फिर उस नकली कब्र को मजार का रूप दे दिया जाता है और धीरे धीरे उसका इतना विस्तार कर दिया जाता है कि वो मजार किसी विशाल ढांचे में बदल जाती है। कुछ समय बाद यहां लोग आकर भी रहने लगते हैं। इनमें लगातार थोड़ा-थोड़ा कर निर्माण चलता रहता है।

(Mazaar in Uttarakhand) आगे जब किसी धार्मिक स्थल पर कार्रवाई की बात आती है तो नेता इस पर तुष्टिकरण की राजनीति शुरू कर देते हैं और लोगों से ये कहते हैं कि अगर उन्हें अपना धार्मिक स्थल बचाना है तो वो लोग उस नेता को वोट दें। यह भी पढ़ें :  नैनीताल: माता-पिता घर में लड़ने में व्यस्त थे, तभी 10 साल का मासूम अकेले पहुंचा थाने, बोला-पुलिस अंकल…

(Mazaar in Uttarakhand) एक पीर की 5-10 मजारें

‘आज तक’ ने अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग के आधार पर यह भी कहा है कि उत्तराखंड में एक-एक पीर बाबा की अलग-अलग जगहों पर 5 से 10 मजारें बनी हुई हैं। जैसे अल्मोड़ा में एक मुस्लिम पीर कालू सैयद बाबा की दरगाह या मजार है। लेकिन इन्हीं मुस्लिम पीर की मजारें नैनीताल, हल्द्वानी और रामनगर सहित कई दूसरे शहरों और जिलों में भी हैं। इस पर एक बड़ा सवाल उठाया गया है कि एक मुस्लिम पीर की कई जगहों पर कब्र या मजारें कैसे हो सकती है ? यह भी पढ़ें : नैनीताल: नगर में फिर चोरी…

(Mazaar in Uttarakhand) पुलिस की खुफिया रिपोर्ट भी तैयार

इसी बात का जिक्र उत्तराखंड पुलिस की एक खुफिया जांच रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्ट में उन मजारों की जानकारी दी गई है, जिन्हें सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाया गया। और इस रिपोर्ट के एक पन्ने पर इस अतिक्रमण की पूरी प्रक्रिया बताई गई है। इसके अलावा इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इन अवैध और नकली मजारों पर हर साल भीड़ जुटाई जाती है, ताकि प्रशासन इन अवैध मजारों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना कर सके।

(Mazaar in Uttarakhand) देहरादून जिले में भी इस तरह की अवैध मजारें बनी हुई हैं, जिसकी एक सूची पुलिस ने तैयार की है। इन मजारों से उत्तराखंड के लोग अब इतना डर चुके हैं कि उन्होंने इस तरह से अपने इलाकों में तारें लगानी शुरू कर दी हैं, ताकि उनके क्षेत्र में भी कोई नई मजार ना बन जाए। यह भी पढ़ें : नैनीताल: विद्यालय प्रबंधन के उत्पीड़न से कर्मचारी ने पिया सेनेटाइजर, विद्यालय कर्मचारी संघ ने दी आंदोलन की धमकी

(Mazaar in Uttarakhand) उत्तराखंड में सर्वाधिक तेजी से हुआ है ‘डेमोग्राफी’ में बदलाव

उल्लेखनीय है कि भारत के जिन दो राज्यों में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है, उनमें असम के बाद उत्तराखंड दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2001 से 2011 के बीच उत्तराखंड में मुसलमानों की आबादी में दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि इसी समयावधि में हिन्दुओं की आबादी दो प्रतिशत कम हो गई है। पिछले एक दशक में भी डेमोग्राफी में यह बदीलाव निश्चित ही अधिक गति से हुआ है। यह भी पढ़ें : नैनीताल: माता-पिता घर में लड़ने में व्यस्त थे, तभी 10 साल का मासूम अकेले पहुंचा थाने, बोला-पुलिस अंकल….

(Mazaar in Uttarakhand) रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2001 में उत्तराखंड की कुल आबादी 84 लाख थी। जिनमें 10 लाख मुसलमान थे। लेकिन आज उत्तराखंड की कुल आबादी 1 करोड़ 15 लाख है। जिनमें 16 लाख मुसलमान हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि उत्तराखंड की आबादी में ये जो असंतुलन आया है, उसकी वजह से वहां अतिक्रमण बढ़ा है।

(Mazaar in Uttarakhand) उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों हल्द्वानी में जब रेलवे अपनी जमीन से अवैध कब्जों को हटाना चाहता था। तो इस पर काफी राजनीति हुई थी और ये कहा गया था कि इस जमीन पर अतिक्रमण करने वाले ज्यादातर लोग एक विशेष समुदाय से हैं। इसीलिए यह कार्रवाई की जा रही है। इसी आधार पर यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी ले जाया गया था और सुुप्रीम कोर्ट ने भी हल्द्वानी में बुलडोजर चलाने पर रोक लगा दी थी। यह भी पढ़ें : नैनीताल: नगर में फिर चोरी…

सुप्रीम कोर्ट भी सख्त 

(Mazaar in Uttarakhand) सुप्रीम कोर्ट ने ही जुलाई 2021 में एक फैसला सुनाते हुए यह भी कहा था कि देश में वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जों को स्वीकार नहीं किया जा सकता और इन अवैध कब्जों को हटाने के लिए संबंधित विभाग और उस राज्य की सरकार को तुरंत और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।

(Mazaar in Uttarakhand) हालांकि इस कब्जे को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि अवैध अतिक्रमण जहां भी होगा, उसे हम सख्ती से हटाएंगे। हमने सभी को कहा है कि ऐसी जगहों से खुद ही हटा लें, अन्यथा सरकार हटाएगी। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर काफी काम हो गया है और हमारी कमेटी उस पर अंतिम मसौदे को तैयार करने के लिए आगे बढ़ रही है। इस पर कार्य अगले 2-3 महीनों में पूरा हो जाएगा। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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