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May 17, 2025

उत्तराखंड आंदोलन के जनगायक जगमोहन ‘मंटू’ और पूर्व प्रधानाचार्य जगदीश विल्सन नहीं रहे, शिक्षाविद डा. रोज के निधन पर भी शोक

Shok Samachar

नवीन समाचार, नैनीताल, 28 अप्रैल 2025 (Mourning for Jagmohan Mantu-Jagdish Wilson-DrRos)उत्तराखंड आंदोलन के पहले जनगीत ऑडियो कैसेट में मुख्य स्वर देने वाले, नैनीताल के प्रसिद्ध रंगकर्मी, संगीतज्ञ एवं कवि जगमोहन जोशी ‘मंटू’ का सोमवार तड़के लगभग चार बजे कैंसर से पीड़ित रहने के उपरांत बीडी पांडे जिला चिकित्सालय में निधन हो गया। वे लगभग 60 वर्ष के थे। अविवाहित और संत प्रवृत्ति के मंटू नाट्य, संगीत और काव्य के क्षेत्र में एक सशक्त पहचान रखते थे।

5274f065c9f5bb396332158b2dd9d025 1375919576प्राप्त जानकारी के अनुसार स्व. मंटू ने 1994 में नंदा देवी कला संगम द्वारा जारी उत्तराखंड आंदोलन के पहले जनगीत कैसेट में जनकवि डॉ. अतुल शर्मा के प्रसिद्ध गीत ‘लड़के लेंगे उत्तराखंड’ को स्वर दिया था। इस कैसेट में उनके साथ रेखा उनियाल धस्माना आदि की आवाजें भी शामिल थीं। मंटू उस समय कर्नल ब्राउन पब्लिक स्कूल देहरादून में संगीत शिक्षक थे। वे आंदोलन के दौरान ढपली लेकर प्रभात फेरियों में भाग लेते रहे। उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की कार्यशालाओं में भी डॉ. अतुल शर्मा के अनेक जनगीतों को स्वरबद्ध किया।

बाद में वे नैनीताल लौट आए और मल्लीताल बड़ा बाजार स्थित पारिवारिक प्रतिष्ठान ‘जोशी वैरायटी’ से जुड़ गए। उनके बड़े भाई मोहन जोशी भी प्रसिद्ध होली गायक हैं तथा भतीजे रवि जोशी कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के संगीत विभाग में प्राध्यापक हैं। स्व. मंटू ‘युगमंच’ नैनीताल के संस्थापक सदस्य भी रहे।

युगमंच के सह-संस्थापक जहूर आलम ने बताया कि मंटू ने अनेक फिल्मों में भी संगीत दिया और दो दशक पूर्व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के तत्कालीन निदेशक सुरेश शर्मा द्वारा उन्हें नाटकों में संगीत देने के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने बताया कि रविवार रात्रि 10 बजे तक वे मंटू के साथ वार्ता में शामिल थे, किंतु सोमवार सुबह उनके निधन की सूचना मिली।

स्व. जगमोहन जोशी ‘मंटू’ के निधन पर युगमंच के साथ धरातल संस्था सहित जनकवि डॉ. अतुल शर्मा, रविंद्र जुगरान, रेखा शर्मा, रंजना शर्मा, जगमोहन नेगी, प्रदीप कुकरेती, रामलाल खंडूड़ी आदि अनेक साहित्यकारों, रंगकर्मियों व संगीत प्रेमियों ने गहरे दुःख की स्थिति में शोक व्यक्त किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका अंतिम संस्कार सोमवार दोपहर नैनीताल में किया गया।

पूर्व प्रधानाचार्य जगदीश विल्सन का भी निधन (Mourning for Jagmohan Mantu-Jagdish Wilson-DrRos)

e2117c9d6bb597a5fbedd6a951ec99d0 2102517521नैनीताल। नैनीताल के तल्लीताल स्थित बिशप शॉ इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य जगदीश विल्सन का भी रविवार रात्रि लगभग 10 बजे निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमारी से पीड़ित थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही शहर के गणमान्यजन उनके निवास पर शोक संवेदना प्रकट करने पहुंचे। स्व. विल्सन ने वर्ष 1995 में बिशप शॉ इंटर कॉलेज में शिक्षक और 1998 से 2017 तक प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत रहे। उनके कार्यकाल में विद्यालय ने शैक्षिक उपलब्धियों की अनेक ऊंचाइयों को छुआ।

उनके निधन पर विद्यालय की प्रबंधक नीलम दानी, फादर आशुतोष दानी, वर्तमान प्रधानाचार्य वीना मैसी, जै. ओ. पीटर सहित समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं ने शोक व्यक्त किया है। सोमवार को उनके सम्मान में विद्यालय में अवकाश घोषित किया गया।

शिक्षाविद और विचारक डा. रोज केरकेट्टा के निधन पर शोकसभा (Mourning for Jagmohan Mantu-Jagdish Wilson-DrRos)

d1f9841d49dc6494989d3fc5fe017fd5 386220522नैनीताल। हिंदी और आदिवासी भाषा खड़िया की प्रमुख लेखिका, शिक्षाविद और विचारक डा. रोज केरकेट्टा के निधन पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय की रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ में शोकसभा का आयोजन किया गया। शोकसभा को संबोधित करते हुए महादेवी वर्मा सृजन पीठ के निदेशक प्रो. शिरीष कुमार मौर्य ने कहा कि डा. केरकेट्टा ने शिक्षा, सामाजिक विकास, मानवाधिकार और आदिवासी महिलाओं के समग्र उत्थान के लिए पचास वर्षों से अधिक समय तक निरंतर काम किया और हिंदी तथा खड़िया भाषा को समृद्ध किया। उन्होंने प्रेमचंद की कहानियों का खड़िया में अनुवाद कर दोनों भाषाओं के बीच एक पुल का काम किया।

पीठ के समन्वयक मोहन सिंह रावत ने बताया कि डा. केरकेट्टा ने महिला अधिकारों के लिए संघर्ष किया और आदिवासी समाज के महत्वपूर्ण सवालों को उठाया। उनका संपूर्ण जीवन आदिवासी भाषा, साहित्य और संस्कृति के लिए समर्पित रहा। शोकसभा में साहित्यकार हिमांशु डालाकोटी, ‘रिव-टेरा’ संस्था के पृथ्वीराज सिंह, अतिथि व्याख्याता मेधा नैलवाल सहित कई अन्य व्यक्ति उपस्थित रहे। (Mourning for Jagmohan Mantu-Jagdish Wilson-DrRos)

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