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November 13, 2025

‘नैनीताल-तितली या पतंगा’ विषय के माध्यम से हुई नैनीताल की मूल समस्याओं पर चर्चा…

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नवीन समाचार, 1 मार्च नैनीताल, 2025 (Nainital-Butterfly or Moth-Basic Problems Discus) नैनीताल में सफाई के प्रति जागरूकता के लिये चले ‘मिशन बटरफ्लाइ’ अभियान पर आगे उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्णय में नैनीताल को ‘कैटरपिलर’ यानी ‘इल्ली’ कहा गया, जो या तो ‘तितली’ बन सकता है या ‘मौथ’ यानी ‘पतंगा’। इसी विषय पर शनिवार को देश में पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण के लिये समर्पित संस्था ‘इंटैक’ के तत्वावधान में ‘नैनीताल ‘ तितली या पतंगा’ शीर्षक से कुमाऊं विश्वविद्यालय के ‘द हरमिटेज’ में एक संगोष्ठी आयोजित की गयी। इस संगोष्ठी में विशेषज्ञों के साथ नैनीताल की समस्याओं को लेकर चिंतित बुद्धिजीवियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

अति-पर्यटन पर्वतीय नगरों को विनाश की ओर धकेल रहा है

(Nainital-Butterfly or Moth-Basic Problems Discus)
संगोष्ठी में उपस्थित मंचासीन वरिष्ठजन।

वक्ताओं ने कहा कि अति-पर्यटन और इससे उत्पन्न आर्थिक समृद्धि, नैनीताल जैसे पर्वतीय नगरों को विनाश की ओर धकेल रही है। बढ़ता पर्यटन दबाव, पार्किंग व यातायात समस्याएं, बेतरतीब शहरीकरण, ऐतिहासिक धरोहरों का क्षरण, जल संसाधनों का अति-शोषण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी आपदाएं एक ओर चिंता का विषय हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार की राजस्व वृद्धि और स्थानीय व्यापारियों की बढ़ती आय एक विरोधाभासी स्थिति उत्पन्न कर रही है, जिससे अनियंत्रित और अव्यवस्थित विकास हो रहा है।

नगरपालिका के अधिकार धीरे-धीरे समाप्त किए जा रहे हैं

कार्यक्रम में पश्चिमी नौसेना कमान की कमान संभाल चुके नैनीताल के नौकुचियाताल निवासी वाइस एडमिरल एआर टंडन टंडन ने बतौर विशिष्ट अतिथि नैनीताल को बचाने के लिए एक मजबूत टीम के गठन पर बल दिया। वहीं प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. शेखर पाठक ने नैनीताल के इतिहास और वर्तमान स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि स्थानीय संस्थाओं, खासकर नगरपालिका के अधिकार धीरे-धीरे समाप्त किए जा रहे हैं, जिससे शहर की दुर्दशा बढ़ रही है।

 निरंतर सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता पर बल

कार्यक्रम के संयोजक पद्मश्री अनूप साह ने नैनीताल में घुड़सवारी और पैदल यात्रियों की कठिनाइयों सहित कई समस्याओं को विस्तार से रखा और इन समस्याओं के विरुद्ध हुए संघर्षों की चर्चा करते हुए एक व्यापक कार्यक्रम की जरूरत पर जोर दिया। देहरादून से आए मानवशास्त्री लोकेश आहोरी ने भारवाहन क्षमता खो चुके नैनीताल जैसे शहरों पर पड़ रहे दबाव और निरंतर सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया।

 विरोध करने वालों को बनाया जा रहा निशाना, नई पीढ़ी में आक्रोश का अभाव

वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि वर्तमान में विरोध करने वालों को निशाना बनाया जा रहा है और नई पीढ़ी में आक्रोश का अभाव दिखाई दे रहा है। जलनीति शोधकर्ता कविता उपाध्याय ने कहा कि नैनीताल झील सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। ‘इंटैक’ के प्राकृतिक धरोहर निदेशक मनु भटनागर ने कहा कि दुनिया के कई देश अति-पर्यटन के विरुद्ध संघर्षरत हैं और हमें अपनी धरोहर बचाने के प्रयास तेज करने चाहिए।

 संकट में पड़ सकता है नैनीताल का अस्तित्व (Nainital-Butterfly or Moth-Basic Problems Discus)

वहीं पर्यावरणविद् विनोद पांडे ने नैनीताल की पारिस्थितिकी पर पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करते हुए जंगलों से लाइकेन (एक विशेष प्रकार का काई) के लुप्त होने को प्रदूषण का संकेत बताया। डॉ. रीतेश साह ने स्लाइड शो के माध्यम से नैनीताल में बढ़ते निर्माण, पार्किंग की समस्या और पेड़ों की कटाई के आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए चेताया कि यदि शीघ्र उपाय नहीं किए गए, तो नैनीताल का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।

इस प्रकार इस संगोष्ठी का उद्देश्य नैनीताल को बचाने के लिए जागरूकता बढ़ाना और इस ऐतिहासिक शहर के भविष्य पर गंभीर चर्चा करना था। ‘इंटैक’ ने सभी जागरूक नागरिकों और विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वे इस धरोहर नगर को बचाने के लिए अपने सुझाव और सहयोग दें। (Nainital-Butterfly or Moth-Basic Problems Discus)

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