बंगलुरू के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी की चर्चाओं के बीच नैनीताल की अदालत ने मात्र 3 माह में पति व सास को करार दिया दहेज के आरोपों से दोषमुक्त
नवीन समाचार, नैनीताल, 13 दिसंबर 2024 (Nainital Court acquitted mother-Son in DowryCase)। बंगलुरू के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी द्वारा पत्नी द्वारा दर्ज दहेज उत्पीड़न से संबंधित मामलों से परेशान होकर की गयी आत्महत्या के बाद देश भर में महिला अधिकारों के बरक्त पुरुषों के अधिकारों के प्रति भी चिंता शुरू हो गयी है। इसी बीच नैनीताल में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें न्यायालय ने तीन माह के भीतर परीक्षण समाप्त कर दहेज अधिनियम के आरोपों से मां और बेटे को दोषमुक्त करार दिया है।
मामले का विवरण
मामला निशा पुत्री दीवान सिंह की शादी से संबंधित है। 22 नवंबर 2022 को निशा का विवाह अनिल बिष्ट निवासी परबड़ा मुक्तेश्वर से हुआ था। निशा ने अपने पति अनिल बिष्ट और सास राधिका बिष्ट पर दहेज में ₹12,00,000, स्कूटी और एलईडी टीवी की मांग करने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही उसने आरोप लगाया कि गर्भ में लड़की होने की जानकारी प्राप्त कर उसके भ्रूण की हत्या की साजिश की गई।
इस संबंध में निशा की शिकायत पर थाना मुक्तेश्वर में भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 498, 504 एवं 3/4 दहेज अधिनियम के अंतर्गत शिकायत दर्ज की गई थी।
न्यायालय में सुनवाई और फैसला (Nainital Court acquitted mother-Son in DowryCase)
मामले में नैनीताल जनपद की न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन आयशा फरहीन की अदालत में अभियोजन पक्ष ने छह और जबकि बचाव पक्ष ने तीन गवाहों को प्रस्तुत किया। अभियोजन के गवाहों की मुख्य और प्रतिपरीक्षा में विरोधाभास पाया गया। साथ ही आरोपित अनिल बिष्ट के घटना के समय नौकरी पर होने और गर्भ परीक्षण से संबंधित कोई मेडिकल दस्तावेज न प्रस्तुत किए जाने के कारण दहेज की मांग साबित नहीं हो सकी।
दूसरी ओर बचाव पक्ष की ओर से हल्द्वानी बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव-वरिष्ठ अधिवक्ता राजन सिंह मेहरा और अधिवक्ता रितेश कुमार ने प्रभावशाली ढंग से पैरवी की। न्यायालय ने तथ्यों और सबूतों के आधार पर अनिल और राधिका बिष्ट को दोषमुक्त कर दिया।
यह है बंगलुरू के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष द्वारा पत्नी द्वारा दर्ज दहेज उत्पीड़न से संबंधित मामला
बेंगलुरु में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंजीनियर और महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी में डीजीएम के पद पर कार्यरत 34 वर्षीय अतुल सुभाष ने अपने घर में आत्महत्या कर ली। इस कदम ने न केवल उनके परिवार बल्कि समाज को भी झकझोर कर रख दिया है। अतुल ने 24 पेज का सुसाइड नोट और 90 मिनट का वीडियो छोड़ा, जिसमें अपनी पत्नी, ससुराल पक्ष और न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए।
अतुल की कहानी : शादी से विवाद तक
अतुल सुभाष का विवाह 2019 में हुआ। दो साल बाद उनकी पत्नी ने दहेज उत्पीड़न, हत्या और अप्राकृतिक यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ केस दर्ज कराया। साथ ही ₹3 करोड़ की मांग और बेटे से मिलने की मनाही ने अतुल को मानसिक रूप से तोड़ दिया।
सुसाइड नोट और वीडियो में अतुल ने लिखा: “मैं पैसे देने से इनकार करता हूं और मौत को चुनता हूं। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे पैसे का इस्तेमाल मेरे विरोधियों द्वारा मुझे और मेरे परिवार को प्रताड़ित करने के लिए किया जाए।”
न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल : अतुल के परिवार ने आरोप लगाया कि अदालत में 120 से अधिक बार पेश होना पड़ा। सुसाइड नोट में दावा किया गया कि फैमिली कोर्ट में जज ने मामले को निपटाने के लिए ₹5 लाख की मांग की। यहां तक कि पत्नी ने अदालत में कहा, “सुसाइड क्यों नहीं कर लेते,” और जज ने इस पर हंसकर प्रतिक्रिया दी।
बेटे के लिए छोड़ा संदेश : अतुल ने अपने साढ़े चार साल के बेटे के लिए एक गिफ्ट छोड़ा, जिसे 2038 में 18 वर्ष का होने पर खोलने का निर्देश दिया। उन्होंने बेटे से मिलने की मनाही को भी अपने जीवन के सबसे दर्दनाक अनुभवों में से एक बताया।
वीडियो संदेश का दर्द : अतुल ने 80 मिनट से अधिक का एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने अपनी परिस्थितियों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा: “मेरे टैक्स से मिलने वाले पैसे से यह कोर्ट और पुलिस सिस्टम मुझे, मेरे परिवार और दूसरे अच्छे लोगों को परेशान करेगा।”
परिवार का दर्द और सवाल : अतुल के पिता पवन कुमार ने कहा-“वह मध्यस्थता अदालत में 40 से अधिक बार गया। उसकी पत्नी लगातार नए आरोप लगाती रही। वह निराश था, लेकिन उसने कभी हमें महसूस नहीं होने दिया कि वह इतना बड़ा कदम उठाएगा।”
समाज और न्यायिक व्यवस्था के लिए सवाल : यह घटना केवल अतुल सुभाष की त्रासदी नहीं है; यह समाज और न्यायिक व्यवस्था के लिए एक कठोर सवाल है। महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाला समाज क्या पुरुषों के अधिकारों की भी रक्षा करेगा? क्या अतुल को जीते जी न्याय मिल सकता था? अतुल सुभाष की आत्महत्या एक ऐसे सामाजिक और कानूनी ढांचे की ओर इशारा करती है, जिसमें सुधार की सख्त जरूरत है। यह घटना उन लोगों के लिए चेतावनी है जो झूठे आरोपों के सहारे न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं। (Nainital Court acquitted mother-Son in DowryCase, Nainital News, Court News, Court Order, Dowry Case)
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