नवीन समाचार, देहरादून, 30 मई 2022। पंजाबी गायक और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या के में उत्तराखंड में बड़ी गिरफ्तारी हुई है। उत्तराखंउ एसटीएफ ने चेकिंग के दौरान देहरादून की नया गांव चौकी क्षेत्र में चेकिंग के दौरान दो गाड़ियां सीज की हैं, और इनमें सवार छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि इनमें सवार बदमाश लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गे हो सकते हैं, जिन पर सिद्धू की हत्या का आरोप है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड पुलिस को पंजाब पुलिस से इनपुट मिला था कि हत्या में शामिल गिरोह के कुछ सदस्य उत्तराखंड में धार्मिक यात्रा के लिए निकले हैं। इस इनपुट के आधार पर उत्तराखंड एसटीएफ काम कर रही थी। सूचना के आधार पर दो गाड़ियों में से छह लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस अधिकारी अभी सभी गिरफ्तार लोगों को संदिग्ध बता रहे हैं। पुलिस या एसटीएफ की ओर से अभी आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं आया है।
सूत्रों की मानें तो सिद्दू मूसेवाला की हत्या में बदमाश के शामिल होने की बात सामने आ रही है। पंजाब से एक पुलिस टीम जल्द ही बदमाशों से पूछताछ करने को देहरादून आ सकती है। एसटीएफ, देहरादून पुलिस और पंजाब पुलिस संयुक्त रूप से बदमाशों से पूछताछ कर सकती है। पंजाब पुलिस को सूचना देकर देहरादून बुलाया गया है।
सिद्धू की हत्या से उनके गानों का खास संबंध
देहरादून। सिद्धू मूसेवाला ने अपनी मौत से चार दिन पहले लेवल्स नाम से और इससे करीब दो सप्ताह पूर्व ‘द लास्ट राइड’ नाम से एक गाना डाला था। इस गीत में एक जलती हुई चिता को दिखाया जाता है। गाने में सिद्धू खुद पिस्टल के साथ नजर आते हैं, और एक तरह से उनके गाने का हिंदी अनुवाद है-अंतिम यात्रा। कौन जानता था कि इस गाने के दो सप्ताह बाद वह भी उसी तरह की पिस्टल की गोली लगने से ‘लास्ट राइड’ यानी अंतिम यात्रा पर निकल जाएंगे। देखें सिद्धू का गाना-द लास्ट राइड:
इसके अलावा भी सिद्धू का एक ‘295’ नाम का गाना भी काफी प्रसिद्ध हुआ था। गौरतलब है कि सिद्धू की हत्या 29 मई यानी 29.5 को ही की गई। इसे भी एक संयोग माना जा रहा है।
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यह भी पढ़ें : बेहद दु:खद समाचार : देश के पहले सीडीएस व उनकी पत्नी तथा 11 सैन्य अधिकारियों की मौत, उत्तराखंड के थे मूल निवासी
नवीन समाचार, नई दिल्ली, 7 दिसंबर 2021। देश के लिए बुधवार का दिन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। तमिलनाडु के कुन्नूर जिले में नीलगिरि की पहाड़ियों में देश के पहले सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, उत्तराखंड निवासी बिपिन रावत एवं उनकी पत्नी मधुलिका रावत को ले जा रहा सेना का हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हेलीकाप्टर में कुल 14 लोग सवार थे। हादसे में सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत एवं 11 अन्य सैन्य अधिकारियों की दुःखद मौत की पुष्टि हो गई है। भारतीय सेना एवं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी है। देखे सेना की पोस्ट:
With deep regret, it has now been ascertained that Gen Bipin Rawat, Mrs Madhulika Rawat and 11 other persons on board have died in the unfortunate accident.
— Indian Air Force (@IAF_MCC) December 8, 2021
इससे पूर्व दुर्घटना में सीडीएस रावत सुरक्षित हों इसके लिए देश के साथ खासकर उत्तराखंड वासी भी विशेष प्रार्थना कर रहे थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए ईश्वर से सीडीएस रावत के स्वस्थ रहने की कामना की थी। मुख्यमंत्री रावत ने ट्वीट कर कहा, हम सभी उत्तराखंडवासी भगवान बदरी विशाल से प्रार्थना करते हैं कि हम सबके गौरव, हम सबके अभिभावक देश के पहले व वर्तमान सीडीएस जनरल बिपिन रावत व अन्य लोग, जो भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर क्रैश में घायल हुए हैं, सभी सकुशल हों। श्री धामी कल शुक्रवार को सीडीएस बिपिन रावत के घर जाने वाले हैं।
Gen Bipin Rawat was an outstanding soldier. A true patriot, he greatly contributed to modernising our armed forces and security apparatus. His insights and perspectives on strategic matters were exceptional. His passing away has saddened me deeply. Om Shanti. pic.twitter.com/YOuQvFT7Et
— Narendra Modi (@narendramodi) December 8, 2021
I am shocked and anguished over the untimely demise of Gen. Bipin Rawat and his wife, Madhulika ji. The nation has lost one of its bravest sons. His four decades of selfless service to the motherland was marked by exceptional gallantry and heroism. My condolences to his family.
— President of India (@rashtrapatibhvn) December 8, 2021
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी धर्मपत्नी सहित 14 लोगों के कुन्नूर तमिलनाडु में एमआई 17 के दुर्घटनाग्रस्त होने से घायल होने का समाचार प्राप्त हुआ, जिनको उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती किया गया है। मैं भगवान से सीडीएस बिपिन रावत जी एवं उनकी धर्मपत्नी जी व अन्य लोगों की शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं।

उल्लेखनीय है कि सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी जिले के द्वारीखाल विकासखंड की ग्रामसभा बिरमोली के तोकग्राम सैणा निवासी थे। यहां उनका जन्म 16 मार्च 1958 को हुआ था। उनके पिता लक्ष्मण सिंह लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए थे। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से मिलिट्री-मीडिया स्ट्रैटजिक स्टडीज में पीएचडी तथा राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और उच्च कमान राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र थे। बताया गया है कि आज वेलिंगटन जाते हुए ही उनका हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुआ। उन्होंने अमरीका के फोर्ट लीवएनवर्थ से कमान और जनरल स्टाफ विषय की पढ़ाई की। देश के थल सेनाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त होने के उपरांत उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया।

इस घटना की जानकारी जैसे ही उनकी ग्रामसभा बिरमोली में मिली, ग्रामीण तमाम कार्य छोड़ टेलीविजन सेट के आगे बैठ गए। सीडीएस जनरल बिपिन रावत इसी ग्रामसभा के ग्राम सैंणा के मूल निवासी थे। ग्रामीण अप्रैल 2018 के उस दिन को याद कर रहे हैं, जब उनके गांव का सपूत उनसे मिलने गांव आया था। टेलीविजन पर पल-पल के घटनाक्रम को देख रहे ग्रामीण लगातार उनकी सलामती की प्रार्थना कर रहे थे।सेना में अपने लंबे करियर के दौरान जनरल रावत सेना के पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर थल सेना की एक बटालियन का और कश्मीर और पूर्वोत्तर में भी सेना की टुकड़ियों का नेतृत्व कर चुके थे। (डॉ. नवीन समाचार) अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : रक्षा मंत्री ने कहा-किसी ने देश की एक इंच जमीन पर कब्जाने की कोशिश की तो मुहतोड़ जबाब देंगे
नवीन समाचार, देहरादून, 1 अक्टूबर 2021। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को एक दिवसीय कार्यक्रम पर उत्तराखंड पहुंचे। यहां उन्होंने पौड़ी जिले के पीठसैंण में पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र गढ़वाली की प्रतिमा का अनावरण व स्मारक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर श्री सिंह ने कहा कि पूरे विश्व में आज भारत मजबूत देश बन चुका है। भारत ने किसी देश पर कभी अतिक्रमण नहीं किया। उन्होंने दो टूक कहा कि किसी ने हमारे देश की एक इंच जमीन पर कब्जाने की कोशिश की तो हमारी सेना मुहतोड़ जबाब देगी।
उन्होंने कहा कि नेपाल हमारा मित्र राष्ट्र है। उसके स्वाभिमान पर कभी आंच नही आने दी जाएगी। कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्त्व में देश की तरक्की की और लगातार अग्रसर है। उत्तराखंड के लिए उन्होंने कहा कि यह वीर भूमि के साथ तपो भूमि भी है। वह इसे नमन करते हैं।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट व अन्य महानुभावों की उपस्थिति में वीर चंद्र सिंह गढवाली जी की पुण्यतिथि के अवसर पर पीठसैंण, पौड़ी गढ़वाल में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय योजना के लाभार्थियों को चेक वितरित किए गए और ‘घस्यारी कल्याण योजना’ के लाभार्थियों को किट वितरित किए गए।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट व अन्य महानुभावों की उपस्थिति में वीर चंद्र सिंह गढवाली जी की पुण्यतिथि के अवसर पर पीठसैंण, पौड़ी गढ़वाल में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय योजना के लाभार्थियों को चेक वितरित किए गए और ‘घस्यारी कल्याण योजना’ के लाभार्थियों को किट वितरित किए गए।
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को श्रद्धांजलि देते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली एक सच्चे सैनिक तो थे ही, साथ ही वे एक प्रखर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली कर्म और धर्म दोनों से सैनिक थे।
उत्तराखण्ड की धरती, भारत ही नहीं पूरी दुनिया में देवभूमि के नाम से जानी जाती है। मगर यह देवभूमि, एक वीरभूमि और तपोभूमि भी है। उत्तराखण्ड राज्य का गठन हुए बीस वर्ष ही हुए हैं परंतु यहां का इतिहास और परम्पराएं सदियों पुरानी हैं। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, माधो सिंह भण्डारी और तीलू रोतेली की बहादुरी के गीत गढ़वाल के गांव-गांव में गाए जाते हैं।
क्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी देश या राज्य की नियति का फैसला, वहां की सरकार की नियत से तय होता है। पुष्कर सिंह धामी ने बिल्कुल सही नारा दिया है कि सरकार का दृढ़ इरादा, बातें कम काम ज्यादा। बातें कम होनी चाहिए लेकिन काम ज्यादा होना चाहिए। पुष्कर सिंह धामी को उनकी छात्र राजनीति के दिनों से ही जानता हूं। उनके पास ऊर्जा है, क्षमता है और कुछ कर गुजरने की जज्बा भी है। क्रिकेट की भाषा में कहें तो 20-20 के मैच में धामीजी को आखिरी ओवर में उतारा गया है। धामी जी धाकड़ बल्लेबाज हैं। उन पर उत्तराखण्ड के लोगों की बहुत सारी उम्मीदें टिकी हुई हैं। पूरा विश्वास है वे इन उम्मीदों पर खरा उतरेंगे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि गलवान में मातृभूमि की रक्षा के लिए हमारी सेना के वीर जवानों ने देश के मान सम्मान की रक्षा की। यह सुखद संयोग है कि आज जब वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी की प्रतिमा का अनावरण हो रहा है तो देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में पिछले साढे सात वर्षों में मिशन मोड में काम हुआ है। चालीस साल तक देश के पूर्व सैनिकों को ओआरओपी के लिए इंतजार करना पड़ा। मगर मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ओआरओपी लागू कर दिया।
उत्तराखण्ड के सामरिक महत्व को देखते हुए बीआरओ द्वारा यहां पर 1000 किमी लम्बी सड़कों के निर्माण पर काम चल रहा है। इन सड़कों के बन जाने से जहां सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से देश को लाभ होगा वहां आर्थिक दृष्टि से प्रदेश की जनता को बहुत बड़ा लाभ होने वाला है। भारतीस सीमा के आखिरी गांव माना तक सड़क की ब्लेक टॉपिंग का काम चल रहा है जो जल्द ही पूरा हो जाएगा। अब लिपुलेख के रास्ते मानसरोवर यात्रा पर जाना सुगम हो गया है। यह रास्ता आर्थिक और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह रास्ता भारत और नेपाल को और करीब लाने में सहायक होगा। नेपाल हमारे लिए केवल एक मित्र देश नहीं है बल्कि उसके साथ हमारा परिवार जैसा संबंध है। भारत शांति का पुजारी तो हमेशा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी अब भारत को विकास का पुजारी भी बना दिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में ’मुख्यमंत्री स्वस्थ युवा, स्वस्थ उत्तराखंड योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि राज्य के समस्त 7795 ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक स्थानों पर एक-एक ओपन जिम ( मुख्यमंत्री ग्रामीण युवा फिटनेस सेन्टर) खोला जायेगा। ’वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के अंतर्गत इलेक्ट्रिक लग्जरी बसों की खरीद के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी की मौजूदा अधिकतम सीमा को 15 लाख रूपए से बढ़ाकर 20 लाख रूपए किया जायेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में गैर वाहन पर्यटन उद्यम के लिए 33 प्रतिशत सब्सिडी की मौजूदा अधिकतम सीमा को 14 लाख रूपए से बढ़ाकर 20 लाख रूपए किया जायेगा। दीन दयाल गृह आवास योजना के अंतर्गत होमस्टे स्थापित करने वाले उद्यमियों को सब्सिडी कुल लागत की मौजूदा 33 प्रतिशत या रू0 10 लाख, जो भी कम से बढ़ाकर सब्सिडी कुल लागत का 33 प्रतिशत या रू० 12 लाख, जो भी कम हो, किया जाएगा। (डॉ. नवीन समाचार) अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
बड़ा समाचार: यह भी पढ़ें : चांद की सतह पर मिला लैंडर विक्रम, अगले 12 दिन अहम, जानिए इसरो के सामने आगे क्या विकल्प
बेंगलुरु। अब जब चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर द्वारा खींचे गए थर्मल इमेज से लैंडर विक्रम की लोकेशन का पता चल गया है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसरो के पास आगे क्या विकल्प हैं। क्या लैंडर से दोबारा संपर्क हो सकेगा? विक्रम किस हाल में है? क्या उस पर लगे उपकरण सही सलामत हैं? इन सभी सवालों के जवाब के लिए अगले 12 दिन अहम साबित हो सकते हैं। इसरो चेयरमैन के. सिवन ने रविवार को बताया कि विक्रम की लोकेशन का पता चल गया है और उसने हार्ड-लैंडिंग की होगी क्योंकि जिस सॉफ्ट-लैंडिंग की योजना बनाई गई थी, वह सफल नहीं हो सकी।
क्या है हार्ड लैंडिंग?
आगे बढ़ने से पहले यह समझना जरूरी है कि हार्ड लैंडिंग क्या है। दरअसल, हार्ड लैंडिंग टर्म का इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई स्पेसक्राफ्ट या अंतरिक्ष संबंधी कोई विशेष उपकरण ज्यादा तेज वर्टिकल स्पीड यानी लंबवत गति और ताकत से सतह पर पहुंचा हो। सॉफ्ट-लैंडिंग या नॉर्मल लैंडिंग में स्पेसक्राफ्ट या उपकरण धीमी और नियंत्रित गति से सतह पर उतरता है ताकि उसे नुकसान न पहुंचे।
लोकेशन से बढ़ीं उम्मीदें, लोगों ने कहा- जादू होगा, लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश जारी
इसरो चीफ सिवन ने पीटीआई को बताया कि लैंडर विक्रम ने हार्ड-लैंडिंग ही की होगी। उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर पर लगे कैमरे से उसकी लोकेशन पता चली है। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या हार्ड-लैंडिंग के दौरान लैंडर को नुकसान पहुंचा है तो उन्होंने कहा, ‘अभी हमें यह नहीं पता चला है।’ इसरो चीफ ने कहा कि लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश लगातार जारी है। सिवन ने बताया, ‘चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर ऊंचाई तक विक्रम की लैंडिंग प्रकिया योजना के हिसाब से चल रही थी। उसके बाद लैंडर से ग्राउंड स्टेशन का संपर्क टूट गया।’ उन्होंने कहा कि डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।
टूट गया होगा विक्रम तब…
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है, ‘ऐसा लगता है कि लैंडर चांद की सतह से तेजी से टकराया है और इस कारण वह पलट गया है। अब उसकी स्थिति ऊपर की ओर बताई जा रही है।’ उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी संभावना भी है कि इससे लैंडर टूट गया हो। अगर हार्ड-लैंडिंग के दौरान लैंडर टूटकर कई टुकड़ों में बिखर गया है तब तो उससे संपर्क स्थापित करना नामुमकिन होगा।
उम्मीद अभी भी बाकी
लैंडर विक्रम का अभी तक लोकेशन ही पता चला है, उससे संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है। वह किस हाल में है, उसे नुकसान पहुंचा है या ठीक है, उल्टा है या सतह पर सीधा खड़ा है, इस बारे में पुख्ता तौर पर अभी कुछ पता नहीं चल पाया है। हालांकि, लैंडर से दोबारा संपर्क की उम्मीदें अभी भी जिंदा है। एक विशेषज्ञ ने बताया कि अगर हार्ड-लैंडिंग के बाद विक्रम चांद की सतह पर सीधा होगा और उसके उपकरणों को नुकसान नहीं पहुंचा होगा तो उससे दोबारा संपर्क स्थापित होने की उम्मीदें बरकरार रहेंगी। यानी चमत्कार की उम्मीद अभी भी है। लैंडर विक्रम के अंदर ही रोवर प्रज्ञान है, जिसे सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद चांद की सतह पर उतरना था।
अगले 12 दिन क्यों अहम?
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह ठीक है और वह करीब 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित अपनी कक्षा में चांद की परिक्रमा कर रहा है। वह साढ़े 7 साल तक ऐक्टिव रहेगा और धरती तक चांद की हाई रेजॉलूशन तस्वीरें और अहम डेटा भेजता रहेगा। उस पर कैमरे समेत 8 उपकरण लगे हुए हैं जो अत्याधुनिक है। ऑर्बिटर का कैमरा तो अबतक के मून मिशनों में इस्तेमाल हुए कैमरों में सबसे ज्यादा रेजॉलूशन वाला है। ऑर्बिटर अगले 2 दिनों में उसी लोकेशन से गुजरेगा, जहां लैंडर से संपर्क टूटा था। अब तो लैंडर की लोकेशन की जानकारी भी मिल गई है। ऐसे में ऑर्बिटर जब उस लोकेशन से गुजरेगा तो लैंडर की हाई रेजॉलूशन तस्वीरें ले सकता है। ऑर्बिटर द्वारा भेजे गए डेटा के विश्लेषण से किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। अगले 12 दिनों में लैंडर की स्थिति से लेकर उससे जुड़े सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। इसरो चीफ के. सिवन ने शनिवार को डीडी न्यूज से बातचीत में कहा था कि अगले 14 दिनों में लैंडर विक्रम को ढूंढा जा सकेगा।
पीएम की हौसलाफजाई, देश से मिले समर्थन से इसरो का मनोबल ऊंचा
लैंडर विक्रम से ग्राउंड स्टेशन का संपर्क टूटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह स्थिति को संभाला और वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया, उससे इसरो का मनोबल ऊंचा बना हुआ है। इसरो चीफ के. सिवन ने कहा, ‘हम इससे (पीएम मोदी के संबोधन और पूरे देश की तरफ से इसरो को मिले समर्थन) बहुत खुश हैं। इससे हमारे लोगों का मनोबल ऊंचा हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘देश ने जिस तरह अच्छी और सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, उसने हमारा दिल छू लिया। प्रधानमंत्री तो कल (शनिवार) अविश्वसनीय थे।’
चंद्रयान-2 बड़ी उपलब्धि, नासा भी इसरो की मुरीद
भले ही लैंडर की सॉफ्ट-लैंडिंग नहीं हो पाई लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी चंद्रयान-2 के लिए इसरो का लोहा माना है और उसे प्रेरणा का स्रोत बताया है। वैसे चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग का भारत का यह पहला प्रयास था। अब तक चांद की सतह पर उतरने से संबंधित जितने मून मिशन हुए हैं उनमें से आधे में ही कामयाबी मिली है। 1958 से कुल 109 मून मिशन संचालित किए गए, जिसमें 61 सफल रहे। करीब 46 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने से जुड़े हुए थे जिनमें रोवर की ‘लैंडिंग’ और ‘सैंपल रिटर्न’ भी शामिल थे। इनमें से 21 सफल रहे जबकि दो को आंशिक रूप से सफलता मिली।
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)