हल्द्वानी में 10, 100 व 500 रुपए के स्टांप पेपरों पर बिक रही नजूल, रेलवे व वन विभाग की भूमि, पहचान पत्र भी बन रहे…

नैनीताल हाईकोर्ट में हल्द्वानी की भूमि घोटाले पर सुनवाई, भू माफियाओं के विरुद्ध जांच की मांग, नजूल, रेलवे व वन भूमि के सौदे का मामला हाईकोर्ट की निगरानी में, अगली सुनवाई 14 जुलाई को (Nazul-railway-Forest department land being Sold)
नवीन समाचार, नैनीताल, 30 जून 2025। आरोप है कि नैनीताल जनपद के हल्द्वानी में भू माफियाओं के द्वारा नजूल, रेलवे तथा वन भूमि को पिछले एक वर्ष से 10, 100 व 500 रुपए के स्टांप पेपरों पर अवैध रूप से बाहरी लोगों को खुर्द-बुर्द कर बेचा जा रहा है। आरोप है कि यह लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं। वह यहाँ रोजगार की तलाश में यहां आये थे। लेकिन कुछ ही समय में इन्होंने अपने पहचान पत्र भी बना लिए हैं। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में हल्द्वानी नगर से जुड़ी इन आरोपों से संबंधित एक गंभीर जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है।
अब भी जारी है अवैध भूमि विक्रय, राज्य सरकार ने नहीं दिया जवाब
हल्द्वानी निवासी हितेश पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय में यह कहा गया कि भूमि की अवैध बिक्री एक वर्ष से अधिक समय से चल रही है, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इस पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है, न ही कोई जवाब न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है।
भू माफिया दे रहे धमकी, स्थायी नागरिक हो रहे प्रभावित
याचिका में आरोप है कि हल्द्वानी की गफूर बस्ती, गौलापार और गौजाजाली क्षेत्र में राजस्व, वन विभाग और रेलवे की भूमि को 10, 100 से 500 रुपए के स्टांप पर गैरकानूनी रूप से बाहरी व्यक्तियों को बेचा गया। जिन लोगों को यह भूमि बेची गई, वे उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं, और रोजगार की तलाश में यहां आये थे। कुछ ही समय में इनके वोटर पहचान पत्र भी बन गये।
याचिकाकर्ता का दावा है कि जब इस संबंध में उन्होंने शिकायत प्रशासन और मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराई तो उन्हें भू माफियाओं की ओर से जान-माल की धमकी मिलने लगी।
सरकारी सेवाओं पर बढ़ रहा बोझ
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि इन बाहरी व्यक्तियों के कारण राज्य सरकार को बिजली, जल, शिक्षण संस्थान और चिकित्सालय जैसी सेवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे उत्तराखंड के स्थायी निवासियों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले का दिया हवाला
वहीं, राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में पक्ष रखा गया कि रेलवे भूमि पर अतिक्रमण का एक मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। हालांकि याचिकाकर्ता ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह जनहित याचिका एक स्वतंत्र और पृथक मामला है।
दस्तावेजों की उच्चस्तरीय जांच की मांग (Nazul-railway-Forest department land being Sold)
जनहित याचिका में मांग की गई है कि भूमि खरीदने वालों के सभी दस्तावेजों की जांच उच्चस्तरीय समिति से कराई जाए, ताकि राज्य की मूल जनसंख्या के अधिकारों का हनन न हो। याचिकाकर्ता की इस मांग पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।
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