उत्तराखंड के सबसे पुराने (नवंबर 2009 से) डिजिटल मीडिया पर सक्रिय विश्वसनीय समाचार प्लेटफार्म ‘नवीन समाचार’ के पाठकों के ‘2.47 करोड़ यानी 24.7 मिलियन से अधिक बार मिले प्यार’ युक्त परिवार में आपका स्वागत है। आप पिछले 10 वर्षों से मान्यता प्राप्त- पत्रकारिता में पीएचडी डॉ. नवीन जोशी द्वारा संचालित, ‘समाचारों को नवीन दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने वाले’ डिजिटल मीडिया परिवार का हिस्सा हैं, जिसके प्रत्येक समाचार एक लाख से अधिक लोगों तक और हर दिन लगभग 10 लाख बार पहुंचते हैं। हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली हमारी पहचान है। आप भी हमारे माध्यम से हमारे इस परिवार तक अपना संदेश पहुंचा सकते हैं ₹500 से ₹20,000 प्रतिमाह की दरों में। यह दरें आधी भी हो सकती हैं। अपने शुभकामना संदेश-विज्ञापन हमें भेजें ह्वाट्सएप 8077566792 पर। स्वयं भी दें, अपने मित्रों से भी दिलाएं, ताकि हम आपको निरन्तर-बेहतर ‘निःशुल्क’ ‘नवीन समाचार’ उपलब्ध कराते रह सकें...

June 14, 2025

नैनीताल में हुआ एक नया भूस्खलन, बड़ी समस्या का संकेत !

CBSE cancelled recognition, Suchana

नवीन समाचार, नैनीताल, 1 अगस्त 2024 (New landslide in Nainital-Indicating big problem)। सरोवरनगरी नैनीताल में एक नया भूस्खलन हो गया है। गुरुवार की सुबह मंदिरों के दर्शन और सुबह की सैर पर जाने वाले लोगों को ठंडी सड़क पर शनि देव मंदिर व पाषाण देवी मंदिर के बीच पैदल मार्ग अवरुद्ध मिला। कारण यहां पहाड़ी से एक नया भूस्खलन हुआ है। इसकी वजह से पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा, पत्थर, मिट्टी व पेड़ ठंडी सड़क पर गिर गये हैं। देखें वीडिओ :

उल्लेखनीय है कि ठंडी सड़क पर 21 सितंबर 2021 और 18-19 अगस्त 2022 की रात्रि पाषाण देवी मंदिर के पास डीएसबी परिसर के छात्रा छात्रावास के नीचे भारी भूस्खलन हुआ था। जिसका सुदृढ़ीकरण का कार्य बमुश्किल दो वर्षों के बाद इन दिनों चल रहा है। अब एक नया भूस्खलन होने से यहां समस्या बढ़ गयी है, साथ ही धरती के भीतर चल रही बड़ी समस्या को भी एक तरह से प्रकट कर रही है।

भूस्खलनों का लंबा इतिहास व कारण (New landslide in Nainital-Indicating big problem)

New landslide in Nainital-Indicating big problemउल्लेखनीय है कि नैनीताल हमेशा से कमजोर भूगर्भीय प्रकृति का स्थान है। यहां नगर की 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में स्थापना के बाद से ही लगातार भूस्खलन होते रहे हैं। 18 सितंबर 1880 में आये 151 लोगों की जान लेने वाले भूस्खलन की भयावहता सबको पता है। इसके बाद नगर के अंग्रेज निर्माताओं ने नगर की सुरक्षा के लिये नगर की आबादी वाले क्षेत्रों में नालों का निर्माण किया, जिनकी सफलता से नगर के आबादी वाले क्षेत्रों में आज तक बड़े भूस्खलन नहीं हुए।

तब शायद नगर की कम आबादी वाले क्षेत्रों, खासकर अयारपाटा की पहाड़ी की ओर नालों का अपेक्षित निर्माण नहीं हुआ। लेकिन बीती 3-4 दशकों में इस क्षेत्र में भी वैध-अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गयी है, जबकि इसी क्षेत्र में 1990 के दशक में भी डीएसबी परिसर के नीचे बड़ा भूस्खलन हुआ था, जो तब अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में भी आया था। इसके बावजूद यहां निर्माण हो रहे हैं। संभवतया इसी जन दबाव के कारण यहां लगातार भूस्खलन हो रहे हैं। (New landslide in Nainital-Indicating big problem)

इस संबंध में कुमाऊं विवि के भूवैज्ञानिक प्रो. राजीव उपाध्याय ने कहा कि नैनीताल एक फॉल्ट यानी भ्रंस पर स्थित है। नैनी झील इस भ्रंस के मलबे पर स्थित है, और इसकी दोनों ओर की ठंडी सड़क व मॉल रोड की ओर की पहाड़ियां इस भ्रंस की दीवारें हैं। खासकर ठंडी सड़क की ओर इस भ्रंस का ‘लूज मैटरियल’ यानी मलबा व टूटी चट्टानों की खुली सामग्री मौजूद है। बढ़ते मानवीय दबाव व बारिश के कारण यहां भूस्खलन होते रहते हैं। उन्होंने भी माना कि इस क्षेत्र में बारिश के पानी को ठीक से चैनलाइज करने यानी नाले आदि बनाकर रास्ता देने व मानवीय दबाव कम करने से इस समस्या का कुछ हद तक समाधान किया जा सकता है।

आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप चैनल से, फेसबुक ग्रुप से, गूगल न्यूज से, टेलीग्राम से, एक्स से, कुटुंब एप से और डेलीहंट से जुड़ें। अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें सहयोग करें..।

(New landslide in Nainital-Indicating big problem, Nainital, Nainital News, Nainital landslide, Sarovarnagari landslide, Thandi Sadak obstruction, Shani Dev Temple, Pashan Devi Temple, geological instability, hill erosion, September 2021 landslide, August 2022 landslide, DSB campus landslide, geotechnical challenges, Nainital history, 1880 landslide, urban development impact, Ayarpatta Hill, construction impact, illegal construction, geohazards, infrastructure safety, landslide prevention, environmental concerns)

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :

You cannot copy content of this page