नैनीताल में हुआ एक नया भूस्खलन, बड़ी समस्या का संकेत !

नवीन समाचार, नैनीताल, 1 अगस्त 2024 (New landslide in Nainital-Indicating big problem)। सरोवरनगरी नैनीताल में एक नया भूस्खलन हो गया है। गुरुवार की सुबह मंदिरों के दर्शन और सुबह की सैर पर जाने वाले लोगों को ठंडी सड़क पर शनि देव मंदिर व पाषाण देवी मंदिर के बीच पैदल मार्ग अवरुद्ध मिला। कारण यहां पहाड़ी से एक नया भूस्खलन हुआ है। इसकी वजह से पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा, पत्थर, मिट्टी व पेड़ ठंडी सड़क पर गिर गये हैं। देखें वीडिओ :
उल्लेखनीय है कि ठंडी सड़क पर 21 सितंबर 2021 और 18-19 अगस्त 2022 की रात्रि पाषाण देवी मंदिर के पास डीएसबी परिसर के छात्रा छात्रावास के नीचे भारी भूस्खलन हुआ था। जिसका सुदृढ़ीकरण का कार्य बमुश्किल दो वर्षों के बाद इन दिनों चल रहा है। अब एक नया भूस्खलन होने से यहां समस्या बढ़ गयी है, साथ ही धरती के भीतर चल रही बड़ी समस्या को भी एक तरह से प्रकट कर रही है।
भूस्खलनों का लंबा इतिहास व कारण (New landslide in Nainital-Indicating big problem)
उल्लेखनीय है कि नैनीताल हमेशा से कमजोर भूगर्भीय प्रकृति का स्थान है। यहां नगर की 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में स्थापना के बाद से ही लगातार भूस्खलन होते रहे हैं। 18 सितंबर 1880 में आये 151 लोगों की जान लेने वाले भूस्खलन की भयावहता सबको पता है। इसके बाद नगर के अंग्रेज निर्माताओं ने नगर की सुरक्षा के लिये नगर की आबादी वाले क्षेत्रों में नालों का निर्माण किया, जिनकी सफलता से नगर के आबादी वाले क्षेत्रों में आज तक बड़े भूस्खलन नहीं हुए।
तब शायद नगर की कम आबादी वाले क्षेत्रों, खासकर अयारपाटा की पहाड़ी की ओर नालों का अपेक्षित निर्माण नहीं हुआ। लेकिन बीती 3-4 दशकों में इस क्षेत्र में भी वैध-अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गयी है, जबकि इसी क्षेत्र में 1990 के दशक में भी डीएसबी परिसर के नीचे बड़ा भूस्खलन हुआ था, जो तब अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में भी आया था। इसके बावजूद यहां निर्माण हो रहे हैं। संभवतया इसी जन दबाव के कारण यहां लगातार भूस्खलन हो रहे हैं। (New landslide in Nainital-Indicating big problem)
इस संबंध में कुमाऊं विवि के भूवैज्ञानिक प्रो. राजीव उपाध्याय ने कहा कि नैनीताल एक फॉल्ट यानी भ्रंस पर स्थित है। नैनी झील इस भ्रंस के मलबे पर स्थित है, और इसकी दोनों ओर की ठंडी सड़क व मॉल रोड की ओर की पहाड़ियां इस भ्रंस की दीवारें हैं। खासकर ठंडी सड़क की ओर इस भ्रंस का ‘लूज मैटरियल’ यानी मलबा व टूटी चट्टानों की खुली सामग्री मौजूद है। बढ़ते मानवीय दबाव व बारिश के कारण यहां भूस्खलन होते रहते हैं। उन्होंने भी माना कि इस क्षेत्र में बारिश के पानी को ठीक से चैनलाइज करने यानी नाले आदि बनाकर रास्ता देने व मानवीय दबाव कम करने से इस समस्या का कुछ हद तक समाधान किया जा सकता है।
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