निर्मल पांडे की आज 12वीं पुण्यतिथि पर विशेष : बड़े शौक से तुम्हें सुन रहा था ज़माना, तुम ही सो गए दास्तां कहते-कहते…
–नर्सरी स्कूल से हॉलीवुड तक का कठिन सफर तय किया था निर्मल ने
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 18 फरवरी 2022। कला की नगरी कहे जाने वाले नैनीताल के बहुत छोटे से मॉल रोड स्थित नगर पालिका द्वारा संचालित नर्सरी स्कूल से हिन्दी में ककहरा सीखने वाला बालक 47 वर्ष की अल्पायु में ही न केवल डेढ़ दर्जन से अधिक हिन्दी फिल्में और दर्जनों नाटक कर आया, वरन कालेज से निकलकर लन्दन में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता हुआ नाटक करने लगा, हॉलीवुड की फिल्मों में भी दिखाई दिया, और सात समुन्दर पार फ्रांस के केन्स फिल्मोत्सव में एक अभिनेता होते हुए भी ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री’ का पुरस्कार प्राप्त करने वाला देश का एकमात्र अभिनेता बन गया। 47 वर्षों की इस छोटी सी कहानी को उसके नगर, प्रान्त और देश वासी और अधिक लंबा देखना-सुनना चाहते थे, लेकिन दुनियां के निर्मल और नैनीताल के नानू इस कहानी को आधा-अधूरा छोड़ कर हमेशा के लिए विदा हो गया।
आज 18 फरवरी को उनकी 12वीं पुण्यतिथि पर उनके प्रशंसक उन्हें याद कर रहे हैं। इस उपलक्ष्य में शाम को श्रीराम सेवक सभा में साढ़े पांच बजे से भजन संध्या एवं होली गायन का कार्यक्रम रखा गया है।
[निर्मल पांडे : जन्म- 10 अगस्त 1962, मृत्यु- 18 फ़रवरी 2010, मुम्बई, पत्नी- अर्चना शर्मा (विवाह 2005–2010) व कौसर मुनीर (विवाह 1997–2000)]
- कला की नगरी नैनीताल में नाटक परंपरा का इतिहास
- नैनीताल-कुमाऊं में फिल्माई गई फिल्में
- यहां ‘आने-जाने’ की बातें ही क्यों करते रहे ‘काका’
- शोमैन को अखरा ‘थमा’ सा पहाड़
- ‘औरंगजेब’ ने मचाई सरोवरनगरी में आफत, ताक पर रखे कायदे-कानून
- एक्टर नहीं बनना चाहते थे कबीर बेदी
- पहली फिल्म नैनीताल में फिल्मायेंगे सिंघम, मर्डर-2 वाले सुधांशु
- पहाड़ की बेटी ने छुवा आसमान, मनस्वी बनी ‘मिस इंडिया वर्ल्ड’
- तथा फिल्मों संबंधी मेरे अन्य आलेख
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निर्मल की 47 वर्षों की छोटी जीवन यात्रा में उनके स्टार बनने के बाद की कहानी तो शायद सबको पता हो, लेकिन इससे पीछे की कहानी छोटे शहरों में बड़े सपने देखने वाले किसी भी युवक के लिऐ प्रेरणास्पद हो सकती है। अभिनय की प्रतिभा खैर उन्हें विरासत में मिली। उनके नाना जय दत्त पाण्डे मशहूर कथावाचक थे, जबकि योजना विभाग में बड़े बाबू पिता हरीश चन्द्र पाण्डे एवं माता रेवा पाण्डे की भी संगीत में गहरी रुचि थी। नर्सरी स्कूल से निकलकर नगर के सीआरएसटी इंटर कालेज में पहुंचते निर्मल के भीतर का कलाकार बाहर आ गया। सीआरएसटी से ही निर्मल ने 1978 में तारा दत्त सती के निर्देशन में स्कूल के रामलीला वैले से बड़े भाई मिथिलेश के साथ राम-लक्ष्मण की भूमिका अदा कर अभिनय की शुरूआत की थी। इसे देख स्कूल के सांस्कृतिक क्लब के अध्यक्ष मरहूम जाकिर हुसैन साहब निर्मल से इतने प्रभावित हुऐ कि इस नन्हे बालक को क्लब का सचिव बना दिया।
इस दौरान उन्होंने सीआरएसटी के ‘गोल्डन जुबली’ समारोह में भष्मासुर व पंचवटी वैले नृत्य नाटिकाएं कीं। भष्मासुर में वे विष्णु तथा मिथिलेश शिव तो पंचवटी में वे ‘शूर्पनखा’ और मिथिलेश राम बने थे। आगे 1980 में डीएसबी कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही निर्मल नगर की ‘युगमंच’ संस्था से जुड़े और डीएसबी से एमकॉम करने लगे। इस दौरान उन्होंने ‘राजा का बाजा’ और’ हैमलेट’ व कुमाऊँ की सुप्रसिद्ध लोक गाथा पर आधारित ‘अजुवा बफौल’ तथा एनएसडी के निदेशक रहे बृजमोहन साह लिखित ‘युद्धमन’ सहित कई नाटकों के जरिये अपने अभिनय के साथ निर्देशन को भी नऐ आयाम दिऐ।
युगमंच के लिए ‘अनारो’ उनका पहला नाटक था। पहले प्रयास में ही वह 1986 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) दिल्ली चले गऐ, और एनएसडी के लिए भी उन्होंने ‘अजुवा बफौल’ सहित कई नाटक किऐ। 89 में एनएसडी ग्रेजुऐट होते ही वह लन्दन की ‘तारा आर्ट्स’ संस्था से जुडे़ और संस्था के लिए सैक्सपियर के कई अंग्रेजी नाटक किऐ। इस दौरान उन्होंने विश्व भ्रमण भी किया, और इसी दौरान के प्रदर्शन पर शेखर कपूर ने उन्हें `बैण्डिट क्वीन´ फिल्म में ब्रेक दिया। जिसके बाद ही वह रुपहले पर्दे पर अवतरित हुऐ। आगे ‘दायरा’ फिल्म में महिला के रोल के लिए उन्हें केन्स फिल्म समारोह में फ्रांस का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। उनसे प्रेरणा पाकर नगर के सुवर्ण रावत, योगेश पन्त, ज्ञान प्रकाश, सुमन वैद्य, सुनीता चन्द, ममता भट्ट, गोपाल तिवारी, हेमा बिष्ट आदि कई कलाकारों ने एनएसडी का रुख किया, इनमें से कई बॉलीवुड में स्थापित भी हुऐ हैं। शायद इसी लिए उनके साथी रहे वरिष्ठ रंगकर्मी जहूर आलम एवं उनके पूर्व शिक्षक एवं प्रधानाचार्य मोहन लाल साह कहते हैं, ऐसा लगता है मानो पहाड़ टूट गया हो। पहाड़ उन्हें बड़ी उम्मीदों से बहुत आगे जाता देख रहा था, अफसोस वह ही सो गऐ दास्तां कहते कहते….।
निर्मल की फ़िल्में व उनके द्वारा निभाए चरित्र :
- Mudrank : The Stamp (2015) –
- Lahore (2010) – Anwar Shaikh
- Kedi (Telugu film) (2010)
- Deshdrohi (2008) – Nagesh Kulkarni
- Raajkumar Aaryyan (TV series) (2008) – Senapati Bhujang
- Dacait TV series (2006)
- Princess Dollie Aur Uska Magic Bag (TV series) (2005) – a mysterious king
- Laila (2005) – Filmstar
- Kkavyanjali – Navin Nanda
- Patth (2003) – Bhullar
- Hatim (TV series) ( 2003) Dajjal
- Aanch (2003) – Kirti Thakur
- Deewangee (2002) – Abhijeet Mehta
- One 2 Ka 4 (2001) – Krishan Kant Virmani
- Shikari (2000)
- Dubai (2001 film) – Kishan Batta
- Hadh Kar Di Aapne (2000) – Sanjay
- Hum Tum Pe Marte Hain (1999) – Dhananjay
- Godmother (1999) – Jakhra
- Jahan Tum Le Chalo (1999)
- Pyaar Kiya To Darna Kya (1998) – Thakur Vijay Singh
- Train To Pakistan (1998)
- Auzaar (1997) – Baba
- Daayraa (1996) – The Transvestite
- Is Raat Ki Subah Nahin (1996) – Aditya/Adi
- Bandit Queen (1994) – Vikram Mallah
- Koi Bach Na Payega
- 8 pm
- Son Pari – Zarakh
- Lucky – Baltazaar
- Inspector Kiran – the lawyer
रंगों के पर्व पर गए, सीएम की घोषणा के बावजूद नाम पर नहीं बनी रंगशाला
नैनीताल। रंगकर्म व रंगीन परदे के कलाकार निर्मल पांडे का निधन 18 फ़रवरी 2010 को मुम्बई में रंगों के त्यौहार होली के दौरान हुआ था। उनके निधन से नगर व देश के रंगकर्म में आई रंगों की कमी को भरने के लिए नगर के रंगकर्मी 2010 से ही नगर में निर्मल पांडे के नाम से रंगशाला के निर्माण की मांग कर रहे हैं। इस बीच 2016 के शरदोत्सव में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसकी घोषणा भी की। बावजूद आज तक उनके नाम पर रंगशाला नहीं बन पाई है। युगमंच के जहूर आलम का इस पर कहना है कि कई वर्ष से रंगकर्मियों के आंदोलन के बावजूद शासन-प्रशासन व सरकार के कानों पर जूं भी नहीं रैंग रही है। कलाकारों की शक्ति नाटकों के लिये लाइट और साउंड की व्यवस्था करने में जाया हो रही है। लिहाजा अब ऐसे कानों पर चीखने की जरूरत आ पड़ी है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी नैनीताल के रंगकर्मी नाटक करके साबित कर रहे हैं कि नाटक क्या होता है, और नाटक करने वाले कैसे होते हैं। वे ‘रंगकर्म को जीते हैं।’
इधर, नगर के बीएम शाह पार्क में ओपन थिएटर का निर्माण जरूर हो रहा है। आगे देखना होगा कि इसका नाम क्या रखा जाता है।
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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 अगस्त 2021। दिवंगत सिने अभिनेता निर्मल पांडे के 59वें जन्मदिन पर नैनीताल में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्रीराम सेवक सभा भवन में मंगलवार शाम 6 बजे से आयोजित कार्यक्रम में सतीश पांडे ने भजन प्रस्तुत किये। मदन मेहरा ने ये मेरा धनुष है की प्रस्तुति दी। इसके अलावा कौशल साह जगाती, नवीन बेगाना व मुकेश धस्माना ने भी योगदान दिया।
मुख्य अतिथि जहूर आलम ने निर्मल पांडे के जीवन व उनके रंगमंच से लेकर फिल्मी दुनिया तक के सफर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम में निर्मल पांडे के भाई मिथिलेश पांडे, पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, डीके शर्मा, मुकेश जोशी, मनोज साह, मनोज बिष्ट, हरीश राणा, मंजूर हुसैन, महावंश जोशी, प्रदीप पांडे, प्रदीप त्यागी व पवन कुमार आदि रंगकर्मी उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।