April 20, 2024

एनयूजे-आई ने सीएम के समक्ष उठाईं देश के पहले पत्रकार सुरक्षा कानून, स्ट्रिंगरों को भी मान्यता, पुरस्कार एवं न्यूज पोर्टलों की विज्ञापन मान्यता सहित विभिन्न मुद्दों पर भी की बात…

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नवीन समाचार, नैनीताल, 10 अप्रैल 2023। (NUJ-I raised before the CM the country’s first journalist protection law, also spoke on various issues including recognition of stringers, awards and advertisement recognition of news portals) देश के पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन एनयूजे-आई यानी नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया के द्वारा सोमवार को मुख्यालय आगमन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सोंपा गया। ज्ञापन में नैनीताल जिले के पत्रकारों की लंबित मान्यता, प्रदेश में अंशकालिक पत्रकारों को मान्यता, राज्य आंदोलन के दौरान सक्रिय पत्रकारों की आजीवन मान्यता और स्व. राम प्रसाद बहुगुणा स्मृति पुरस्कार तथा न्यूज पोर्टलों की मान्यता व विज्ञापनों तथा पत्रकार सुरक्षा कानून के संबंध में मांग पत्र प्रस्तुत किया गया । यह भी पढ़ें : सुहागरात पर पति को सोता छोड़कर घर से नगदी व जेवहरात ले फरार हुई नैनीताल निवासी दुल्हन!

ज्ञापन सोंपते सोंपते हुए एनयूजे-आई के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. गिरीश रंजन तिवारी व जिलाध्यक्ष डॉ. नवीन जोशी जोशी ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में पत्रकारों की मान्यता संबंधी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है और एक माह पूर्व मान्यता कार्ड जारी हो चुके हैं लेकिन नैनीताल जिले के अधिकांश पत्रकारों की मान्यता नवीनीकरण अभी तक नहीं हुई है। यह भी पढ़ें : विचारणीय समाचार: पवित्र हिंदू नामों के रेस्टोरेंट-ढाबे व खान-पान के प्रतिष्ठानों से धर्मभ्रष्ट करने का शडयंत्र !

दूसरे, प्रदेश के पत्रकारों को सूचना विभाग की ओर से दी जाने वाली मान्यता में केवल समाचार पत्रों-चैनलों के नियमित वेतन भोगी पत्रकारों को ही मान्यता दी जाती है जबकि वर्तमान में अंशकालिक पत्रकारों (स्ट्रिंगर्स) की संख्या नियमित पत्रकारों से दस गुना से भी ज्यादा है। साथ ही फील्ड में लगभग सभी पत्रकार स्ट्रिंगर्स ही होते हैं। संबधित चैनल-समाचार पत्र से अपने पत्रकार को मान्यता का एकमात्र आधार संबंधित संस्थान के संपादक की संस्तुति ही होता है। लिजाहा सरकार की ओर मान्यता दिये जाने में नियमित-स्ट्रिंगर का भेद न करते हुए जिसे भी समाचार संस्थान संस्तुत करे उसे मान्यता दिये जाने की व्यवस्था की जाए। यह भी पढ़ें : 6 माह से पत्नी के रूप में साथ रही महिला की गला दबाकर हत्या कर कथित पति फरार….

इससे जहां दशकों-वर्षों से कार्यरत स्ट्रिंगर्स को राहत मिलेगी। साथ ही न तो सरकार पर किसी भी तरह का आर्थिक बोझ पड़ेगा और न ही मान्यता प्राप्त पत्रकारों की संख्या में अनावश्यक बढोत्तरी होगी। क्योंकि हर समाचार संस्थान के लिये मान्यता की संस्तुति केवल सीमित पत्रकारों के लिये ही होती है और इनकी संख्या सूचना विभाग निर्धारित करता है। अतः नियमित-स्ट्रिंगर्स का अंतर समाप्त करने के बावजूद भी मान्यता के उपयुक्त पत्रकारों की संख्या उतनी ही रहेगी जितनी कि पूर्व से है। इससे केवल रात-दिन फील्ड में परिश्रम करने वाले स्ट्रिंगर्स को न्याय मिलेगा और मान्यता मिल सकने की संभावना बनेगी। यह भी पढ़ें : नैनीताल : 12 टायर वाले ट्राला ट्रक के नीचे रात भर दबा रहा 20 वर्षीय युवक, मौत

इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी को याद दिलाया गया कि उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन से अब तक कार्यरत पत्रकारों को आजीवन स्थाई मान्यता दिये जाने की घोषणा की थी। इस मुद्दे पर अनुरोध किया गया किऐसे पत्रकारों को चिन्हित करने व आजीवन मान्यता प्रदान करने की कार्यवाही शीघ्र शुरू की जाए। यह भी कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से पत्रकारों की विभिन्न श्रेणियों में दिये जाने वाले ‘स्व. राम प्रसाद बहुगुणा पुरस्कार’ बीते चार वर्ष से नहीं दिये गये हैं जबकि इसके लिये आवेदन मांगे गये थे और इसके दो वर्ष बाद तक भी इसके चयन के लिये संबंधित समिति की बैठक नहीं हो पाई है, जबकि समिति का गठन कई माह पूर्व हो चुका है। इसलिए अनुरोध किया गया कि समिति की बैठक शीघ्र आयोजित कर पुरस्कार घोषित किए जाएं, जिससे पात्र अभ्यर्थियों का उत्साहवर्धन हो और आगामी वर्ष के पुरस्कारों की प्रक्रिया भी आगे बढ़ सके। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी ब्रेकिंग: बारातघर में फंदे पर लटकी मिली 23 वर्षीय विवाहिता

यह भी कहा गया कि राज्य में समाचार पोर्टलों के विज्ञापन हेतु सूचना विभाग में संबद्धीकरण की प्रक्रिया सितंबर 2022 में शुरू हुई थी। तब से अब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इससे पुराने संबद्ध समाचार पोर्टलों को भी सूचना विभाग से अपेक्षित विज्ञापन प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। इधर 26 जनवरी 2023 के बाद से, और होली सहित कई महत्वपूर्ण मौकों पर भी समाचार पोर्टलों के लिए विज्ञापन जारी नहीं हुए हैं। इससे लगातार अपनी मेहनत से अपना प्रसार बढ़ा रहे समाचार पोर्टलों का लाभ सरकार को भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है। यह भी पढ़ें : देश के नौसेनाध्यक्ष ने नैनीताल में एनसीसी कैडेटों से की मुलाकात, दिया भारतीय सेना में शामिल होने के लिए मूलमंत्र…

यह भी कहा गया कि समाचार पोर्टलों के संबद्धीकरण में पत्रकारिता के दृष्टिकोण से अशोभनीय लगने वाली निविदा प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जबकि इसमें न्यूनतम निविदा का अर्थ यह नहीं है कि जो सबसे कम निविदा डालेगा, उसे ही विज्ञापन मिलेंगे। बल्कि यह है कि सभी समाचार पोर्टलों को उस न्यूनतम दर पर विज्ञापन चलाने के लिए सहमत होना होगा। इसकी जगह गूगल एनालिटिक्स के आंकड़ों के विभिन्न स्तरों के आधार पर विभाग दरें तय करे और उन दरों पर सहमत होने वाले पोर्टलों को विज्ञापन दे। इससे पत्रकारिता में ठेका जैसी निविदा की अशोभनीय प्रथा से भी मुक्ति मिलेगी। यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री ने किया दो अरब से अधिक रुपयों की 142 विकास योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण…

इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी को याद दिलाया गया कि नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया के 15 मई 2022 को पंतनगर विश्वविद्यालय में आयोजित प्रांतीय अधिवेशन में उनके द्वारा हमारे संगठन की मांग पर देश का पहला पत्रकार सुरक्षा कानून लाने की बात कही गई थी। लिहाजा मुख्यमंत्री से अपेक्षा की गई कि वह इस विषय पर भी यथाशीघ्र देश में सर्वप्रथम की गई समान नागरिक संहिता एवं देश के सबसे कठोर नकल विरोधी कानून की तरह पहल करेंगे। ज्ञापन सोंपते समय मंडल महामंत्री रवि पांडे, जिला महामंत्री नवीन पालीवाल, नगर अध्यक्ष अफजल हुसैन ‘फौजी’, किशोर जोशी, संतोष उपाध्याय, तेज सिंह नेगी, सीमा नाथ, आकांक्षी माडमी, गुड्डू ठठोला, गणेश कांडपाल, सुरेश कांडपाल सहित बड़ी संख्या में संगठन के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद रहे। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी : बारातघर में फंदे पर लटकी मिली 23 वर्षीय विवाहिता

(डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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