नवीन समाचार, चमोली, 20 जून 2025 (Old Mother Facing Social Boycott For Act of Son)। उत्तराखण्ड के चमोली जिले के पोगठा गांव में एक वृद्ध महिला कमला देवी के साथ उसके बेटे हिमांशु पर हत्या का अभियोग लगने के कारण सामाजिक प्रताड़ना की जा रही है। उनका सामाजिक बहिष्कार इतना व्यापक है कि वे न तो स्थानीय दुकानों से सामान खरीद पा रही हैं और न ही सार्वजनिक परिवहन में बैठ पा रही हैं। उन्हें सार्वजनिक स्थानों और गांव के जंगल जाने से भी रोका जा रहा है।
शिकायत से खुला मामला
कमला देवी ने 5 जून को एसडीएम पोखरी अबरार अहमद को प्रार्थना पत्र सौंपकर बताया है कि 11 नवंबर 2024 को उत्तम लाल पुत्र जसपाल की निर्मम हत्या होने के बाद पुलिस ने उनके पुत्र हिमांशु को हिरासत में ले लिया, जिसकी सुनवाई अभी न्यायालय में चल रही है। लेकिन आरोपों के बाद पोगठा गांव में ग्रामीणों ने बैठक कर उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार तय कर ग्राम पंचायत के माध्यम से लागू कर दिया। इसके चलते कमला देवी न तो जंगल जा पा रही हैं और न ही सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग कर पा रही हैं।
प्रशासन ने लिया संज्ञान
एसडीएम अबरार अहमद ने ग्रामीणों को मामले की गंभीरता समझाते हुए तत्काल बैठक बुलाकर निर्देश दिए कि सामाजिक बहिष्कार तुरंत समाप्त किया जाए। तहसील सभागार में हुई बैठक में अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अभियोग चल रहा है, मगर दोषी साबित न होने तक पूरे परिवार को समाज से काटना न्यायोचित नहीं।
बहिष्कार वापस लेने का निर्णय
बैठक में तय हुआ कि जल्द ही एक और जनसाधारण बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें तहसीलदार की अध्यक्षता में पूरा मामले पर पुनर्विचार किया जाएगा। अधिकारियों ने निर्देश दिए हैं कि सम्मान के साथ कमला देवी को फिर से सामाजिक रूप से स्वीकार कर गांव के सभी सामान्य काम करने की सुविधा दी जाए।
प्रशासन की भूमिका और आगे की कार्रवाई (Old Mother Facing Social Boycott For Act of Son)
एसडीएम ने ग्रामीणों से अपील की कि एक अभियुक्त पुत्र की गलती के लिए पूरी माता और परिवार को ऐसी यातनाएं सहने न दी जाएं। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर कानून का उल्लंघन नहीं होना चाहिए और इस प्रकार की सामाजिक वर्जनाएँ सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करती हैं। उन्होंने गाँव को चेतावनी दी कि यदि बहिष्कार वापस नहीं लिया गया तो प्रशासन कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।
कमला देवी की इस न्याय की गुहार और प्रशासन की तत्परता ने यह संदेश दिया है कि अभियोग चल रहा है, लेकिन सामाजिक बहिष्कार अत्याचार है। उत्तराखण्ड में न्याय की सुनिश्चितता के साथ ही प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा प्रशासन का दायित्व है, जिसे इस प्रकरण में निभाया गया है। आगामी पंचायत स्तर की बैठक से इस मामले में महिला को न्याय मिलने की उम्मीद की जा रही है। (Old Mother Facing Social Boycott For Act of Son)
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