नैनीताल में 1890 में आयोजित हो रहे शरदोत्सव का एक हिस्सा ‘पागल जिमखाना’ इस वर्ष फिर से आयोजित होगा
नवीन समाचार, नैनीताल, 22 नवंबर 2024 (Pagal Gymkhana-Part of Sharadotsav will Organize)। नैनीताल के ऐतिहासिक डीएसए मैदान में आगामी 15 दिसंबर को एक बार फिर ‘पागल जिमखाना’ का आयोजन किया जाएगा। इस बार यह आयोजन लेक सिटी वेलफेयर क्लब द्वारा नैनीताल बैंक और सेंचुरी पल्स एवं पेपर मिल के सहयोग से भव्य रूप से किया जाएगा।
क्लब की हालिया बैठक में पागल जिमखाना के कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई। क्लब की सचिव दीपा पांडे ने बताया कि कार्यक्रम के संयोजन का जिम्मा मीनाक्षी कीर्ति को सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन नगर में पिछले 100 वर्षों से होता आया है, परंतु हाल के वर्षों में इसका आयोजन बंद हो गया था। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम नगरवासियों के लिए मनोरंजन और रोमांच से भरपूर होता है तथा लोगों के बीच आपसी प्रेम और सहयोग की भावना को प्रबल करता है।
बैठक में रानी साह, हेमा भट्ट, रमा भट्ट, दीपिका बिनवाल, डॉ. पल्लवी राय, गीता साह, सरिता त्रिपाठी, प्रभा पुंडीर, कंचन जोशी, जया वर्मा, जीवंती भट्ट, ज्योति वर्मा, विनीता पांडे, तनु सिंह, कविता त्रिपाठी, कविता गंगोला व रेखा जोशी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
‘पागल जिमखाना’ के अंतर्गत ऐसी रोचक प्रतियोगिताएं होंगी
बताया कि ‘पागल जिमखाना; के अंतर्गत बोरा दौड़, सुई-धागा दौड, मोमबत्ती दौड, खजाना ढूंढो, धुन पहचानो, म्यूजिकल चेयर, स्लो मोटरसाइकिल दौड, मटका दौड, पति-पत्नी दौड, घड़ा दौड जैसी में कई रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए 24 नवंबर को राज्य अतिथि गृह में एक बैठक आहूत की गयी है, जिसमें नगर के खेल प्रेमियों को आमंत्रित किया गया है।
ऐसे टूटी 1890 से आयोजित हो रहे शरदोत्सव की परंपरा (Pagal Gymkhana-Part of Sharadotsav will Organize)
नैनीताल। नैनीताल में नगर पालिका के तत्वावधान में 1890 से होते आ रहे नैनीताल ‘शरदोत्सव’ के तहत रोचक अंदाज में खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन एक प्रमुख आकर्षण होता था। उत्तराखंड बनने के बाद इस आयोजन में धन की कमी व आयोजकों की अरुचि आढ़े आने लगी। स्थिति यह हुई कि 2006 में हुए आयोजन के समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए विज्ञापनों के बिलों का भुगतान आज तक नहीं हो पाया।
फिर किसी तरह 2009 तक शरदोत्सव हुआ तो 2010 में खैरना-काकड़ीघाट के पास सड़क बह जाने और बागेश्वर जिले के सुमगड़ गाँव के सरस्वती शिशु मंदिर की कक्षा में मलवा घुसने से 18 बच्चों के जिंदा दबने व अल्मोड़ा में हुई भारी तबाही को कारण बताकर तत्कालीन नगर पालिका प्रशासन ने इस आयोजन को निरस्त कर दिया।
2012 में नई नगर पालिका बोर्ड के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी के आगे ‘ना” कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाने के कारण शरदोत्सव किसी तरह हो पाया। 2014 में कुरैशी गए तो आयोजन की देनदारी पालिका चुका नहीं पाई और इस कारण 2015 में शरदोत्सव नहीं हो पाया
और इसकी जगह पहली बार नगर पालिका की जगह विधायक को आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाकर ‘शीतोत्सव” (नैनीताल विंटर कार्निवाल) मनाने की परंपरा शुरू हुई और दो वर्ष हुए विंटर कार्निवाल के बाद शीतोत्सव भी शरदोत्सव भी धन की कमी व आयोजकों की अरुचि की भेंट चढ़ गया और इस तरह एक ऐतिहासिक आयोजन हमेशा के लिये बंद हो गया। अब लेक सिटी वेलफेयर क्लब के द्वारा इसके एक हिस्से ‘पागल जिमखाना’ को फिर से शुरू करने की पहल की जा रही है।
1890 के ‘मीट्स एंड स्पेशल वीक’ से शुरू हुई थी शरदोत्सव की परंपरा
-कुछ अवसरों को छोड़कर लगातार रहा है जारी, यहीं से प्रेरणा लेकर देश-प्रदेश में भी शुरू हुए हैं ऐसे आयोजन
-अंग्रेजी दौर में इंग्लॅण्ड, फ्रांस, जर्मनी व इटली के लोक-नृत्य होते थे, तथा केवल अंग्रेज और आर्मी व आईसीएस अधिकारी ही भाग लेते थे, और भारतीयों की भूमिका केवल तालियां बजाने तक सीमित रहती थी
डॉ. नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी में नैनीताल शरदोत्सव का बिगुल एक बार फिर देर से सही लेकिन आगामी पांच नवंबर से शुरू होने जा रहा है। नैनीताल शरदोत्सव प्रदेश ही नहीं देश में अपनी तरह के महोत्सवों का प्रणेता माना जाता है। इतिहास में केवल तीन-चार बार ही पैदा हुए अवरोधों वाले इस ऐतिहासिक आयोजन का आयोजन पूर्व में दशहरे और खासकर दो अक्टूबर के करीब होता था, लेकिन इस वर्ष का संस्करण देर से ही सही लेकिन आगामी पांच नवंबर से शुरू होने जा रहा है, और नौ नवंबर यानी राज्य स्थापना दिन के दिन तक चलेगा।
आयोजन के गौरवमयी इतिहास की बात करें तो 1890 में ‘मीट्स एंड स्पेशल वीक” के रूप में वर्तमान ‘नैनीताल शरदोत्सव” की शुरुआत हो गई थी। अंग्रेजी दौर में इस आयोजन में इंग्लॅण्ड, फ्रांस, जर्मनी व इटली के लोक-नृत्य होते थे, तथा केवल अंग्रेज और आर्मी व आईसीएस अधिकारी ही भाग लेते थे। 6 सितम्बर 1900 में इस आयोजन को ‘वीक्स” और ‘मीट्स” नाम दिया गया, ताकि इन तय तिथियों पर अन्य आयोजन न हों। 1925 में इसे ‘रानीखेत वीक” और ‘सितम्बर वीक” के नए नाम मिले।
1937 तक यह आयोजन वर्ष में दो बार, जून माह में रानीखेत वीक तथा सितम्बर-अक्टूबर माह में आईसीएस वीक के रूप में होने लगे। इस दौरान थ्री-ए-साइड पोलो प्रतियोगिता भी होती थी। इन्हीं ‘वीक्स” में हवा के बड़े गुब्बारे भी उडाये जाते थे, तथा झील में पाल नौकायन प्रतियोगिताएं भी होती थीं। साथ ही डांडी रेस, घोडा रेस व रिक्शा दौड़ तथा इंग्लॅण्ड, फ्रांस व हॉलैंड आदि देशों के लोक नृत्य व लोक गायन के कार्यक्रम वेलेजली गर्ल्स (वर्तमान डीएसबी कॉलेज), रैमनी व सेंट मेरी कॉलेजों की छात्राओं व अंग्रेजों द्वारा होते थे, इनमें भारतीयों की भूमिका केवल दर्शकों के रूप में तालियाँ बजाने तक ही सीमित होती थी़।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नैनीताल पालिका के प्रथम पालिकाध्यक्ष राय बहादुर जसौद सिंह बिष्ट ने ती सितम्बर 1952 को पालिका में प्रस्ताव पारित कर ‘सितम्बर वीक” की जगह ‘शरदोत्सव” मनाने का निर्णय लिया, जो वर्तमान तक जारी है। वर्ष 1970-71 से पर्यटन विभाग द्वारा इस आयोजन को अपनी ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की गई। 1997 में तत्कालीन यूपी सरकार ने नैनीताल के शरदोत्सव को पूरे कुमाऊं मंडल का आयोजन बनाते हुए इसे ‘कुमाऊं महोत्सव’ का नाम दिया।
इधर राज्य गठन के बाद वर्ष 2003-04 से इसे वापस ‘नैनीताल महोत्सव” के रूप में मनाया जाने लगा, जबकि आगे यह ‘नैनीताल शरदोत्सव” के रूप में मनाया जाने लगा। आगे महोत्सव का स्वरुप बड़ा होने व अन्य कारणों से आयोजन में धन की कमी आढे आने लगी और यह ऐतिहासिक परंपरा 2015 से पूरी तरह से टूट गई। (Pagal Gymkhana-Part of Sharadotsav will Organize, Nainital News, Culture News, Event News, Autumn,)
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