खेत में हल, उत्तराखंड की राजनीति में नई हलचल!

नवीन समाचार, देहरादून, 5 जुलाई 2025 (Plough in the field-stir in Uttarakhand politics)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को एक अलग ही रूप में नजर आये। वह खटीमा स्थित अपने खेतों में पारंपरिक कुमाऊंनी पद्धति से बैलों के साथ हल व पटेला चलाते और ‘हुड़किया बौल’ के साथ महिलाओं के साथ धान की रोपाई करते दिखे। उनके इस रूप को जहाँ भारतीय जनता पार्टी ‘किसान प्रेम’ बता रही है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की शैली की नकल बताते हुए राजनीतिक टिप्पणी कर दी है। देखें संबंधित वीडिओ :
धामी की खेत में उपस्थिति को लेकर कांग्रेस व भाजपा आमने-सामने
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को खटीमा स्थित अपने खेत पहुंचे। इससे पूर्व वे टनकपुर से कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के प्रथम जत्थे को रवाना कर चुके थे, जिसमें 11 राज्यों के तीर्थयात्रियों ने भाग लिया। खेत पहुंचने के बाद सीएम ने स्वयं बैलों के साथ खेत जोता और महिलाओं के साथ रोपाई की। सीएम धामी ने कहा कि यह अनुभव वर्षों बाद प्राप्त हुआ और इससे उनके बचपन की स्मृतियां ताजा हो गईं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस दृश्य पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की खेतों में धान की रोपाई करते हुए पुरानी तस्वीरें साझा कीं। साथ ही मुख्यमंत्री धामी की शनिवार की तस्वीरों के साथ तंज कसते हुए लिखा कि, “पुष्कर जी, कम से कम इस दिशा में आपने राहुल गांधी जी का अनुसरण किया, यह अच्छा लगा।” लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, रावत का यह वक्तव्य सीधा हमला भी माना जा रहा है, जिसमें वे धामी के इस किसान रूप को दिखावे से जोड़ते नजर आ रहे हैं। धामी को इस रूप में भी देखें:
भाजपा ने हरीश रावत को बताया ‘परिवारवाद का प्रवक्ता’ (Plough in the field-stir in Uttarakhand politics)
इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने अपने खेत में कुमाऊं की परंपरा के अनुरूप ढोल वादकों के साथ रोपाई की, जबकि मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए ‘युवराज’ किसान नहीं बन सकते और खेती-किसानी के प्रतीक नहीं हो सकते। कहा-राहुल गांधी के पास तो एक गज भूमि भी नहीं है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल गांधी जिस खेत में रोपाई करते नजर आये, वह खेत भी उनका नहीं था।
भट्ट ने कहा कि हरदा को सीएम धामी की पहल में भी राजनीति दिख रही है, जबकि यह प्रयास युवाओं को प्रेरणा देने के लिए किया गया था। उन्होंने हरीश रावत को सलाह दी कि उन्हें ऐसी राजनीति से बचना चाहिए।
महेंद्र भट्ट ने आगे कहा कि यदि अनुसरण की बात करनी है, तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किया जाना चाहिए, जिन्होंने जमीन से उठकर देश का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की योजनाओं से किसानों की आय में वृद्धि हुई है, उनकी आत्महत्या दर घटी है और सरकार उन्हें अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानते हुए लगातार प्रयास कर रही है। इसके उलट राहुल गांधी को उनकी पार्टी के नेता भी गंभीरता से नहीं लेते।
अंध निष्ठा दिखाने का आरोप (Plough in the field-stir in Uttarakhand politics)
भट्ट ने हरीश रावत पर परिवारवाद के प्रति अंध निष्ठा दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेताओं का उल्लेख कर सकते थे, लेकिन उन्होंने केवल गांधी परिवार के आसपास ही अपने विचार केंद्रित किये। उन्होंने कहा कि सीएम धामी के पूर्वज भी किसान थे और उन्होंने बचपन से खेती से जुड़ा जीवन जिया है। इसके विपरीत राहुल गांधी का जीवन महंगे होटलों और विमान यात्राओं में बीता है, जिससे खेती-किसानी की उनकी समझ पर सवाल उठते हैं।
इस पूरी राजनीतिक बहस से यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड में खेती और किसानों के मुद्दों को लेकर अब राजनीतिक दलों के बीच सीधा संघर्ष शुरू हो चुका है।
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