March 29, 2024

प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं उत्तराखंड के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 06 जुलाई 2021। उत्तराखंड में राजनीतिक उठापटक थमने के साथ राज्य के लिए राजधानी नई दिल्ली से अच्छी खबर आ सकती है। राज्य के दो पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष रहे सांसदों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इन दो सांसदों में से एक पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत हैं, जिन्होंने राज्य में असमय नेतृत्व परिवर्तन के कारण न केवल सत्ता गंवाई है, वरन विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, वह हंसी के पात्र बन गए हैं। दूसरे अजय भट्ट, जिन्होंने इस दौरान उभरे विरोध के सुरों को शांत करने में केंद्र सरकार के दूत के रूप में बड़ी भूमिका निभाई है, और पहले भी कोई पद मिले-ना मिले, केंद्रीय नेतृत्व पर विश्वास व धैर्य जताया है। हालांकि इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी भी केंद्रीय मंत्री बनने की दौड़ में हैं। अलबत्ता बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र का दावा कुछ दिनों पूर्व तक तो मजबूत था, लेकिन अपनी सरकार गिरने के बाद त्रिवेंद्र के जिस तरह के बोल आए ओर तीरथ सरकार गिरने के बाद उनके समर्थकों में जिस तरह की पद लोलुपता दिखी, उसके बाद उनका दावा कमजोर हो गया है। वहीं बलूनी के बारे में कहा जा रहा है कि वह स्वयं स्वास्थ्य कारणों से अभी कोई पद नहीं लेना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में लोकसभा की पांच और राज्यसभा की तीन सीटें हैं और यह सभी आठ सीटें भाजपा के पास हैं। यही नहीं राज्य की सभी पांच लोक सभा सीटों पर भाजपा का वर्ष 2014 से लगातार कब्जा है। वहीं राज्य में फरवरी-मार्च 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले काम करने के लिए करीब 6 माह का ही समय शेष है। अभी केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व केवल हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ शिक्षा मंत्री के रूप में कर रहे हैं। जबकि पिछली भाजपा सरकार में अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा राज्य मंत्री रहे। जबकि इससे पहले उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उत्तराखंड से दो लोकसभा सदस्यों व एक राज्य सभा सदस्य को मंत्री पद मिला था। तब पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी व अल्मोड़ा के सांसद बची सिंह रावत केंद्रीय मंत्रिमंडल में थे। साथ ही वरिष्ठ भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज भी उत्तराखंड कोटे से राज्यसभा सदस्य थीं, और केंद्र में मंत्री थीं।

इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में बुधवार को पहली बार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए मंत्रिमंडल में रिक्त पड़े 28 पदों को भर सकते हैं। इस मंत्रिमंडल विस्तार में उत्तराखंड, यूपी सहित उन पांच राज्यों को अधिक प्रतिनिधित्व मिल सकता है, जहां जल्द चुनाव होने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मोदी मंत्रिमंडल से 17 से 22 सांसदों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। उत्तराखंड भी मोदी के नए मंत्रिमंडल से उम्मीदें लगाए हुए हैं। खासतौर से हाल ही में मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बावजूद नाराजगी का एक भी शब्द न बोलने वाले तीरथ सिंह रावत को मोदी मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की संभावनाएं प्रबल हैं। इसके अलावा पुष्कर धामी के मुख्यमंत्री मनोनीत होने के बाद केंद्रीय दूत के रूप में ‘डैमेज कंट्रोल’ में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले लोक सभा सांसद अजय भट्ट को भी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जा सकता है। मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले अन्य संभावित नामों में विजयराजे सिंधिया, रीता बहुगुणा, राकेश सिंह, वरुण गांधी, अनुप्रिया पटेल व जफर इस्लाम की भी चर्चा है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : राफेल विमानों के कथित घोटाले में भाजपा-कांग्रेस दोनों के पास नहीं इन सवालों के जवाब

-कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने राफेल विमान सौदे को आजाद भारत का सबसे बड़ा रक्षा सौदा और घोटाला करार दिया, लेकिन यह नहीं बता पाये मोदी सरकार ने घोटाला करना ही था तो यूपीए द्वारा तय 126 विमान क्यों नहीं लिये, 36 ही क्यों लिये

नैनीताल, 27 अगस्त 2018। देश में कांग्रेस पार्टी की ओर से इन दिनों जोरशोर से उठाये जा रहे राफेल विमानों के सौदे के मामले में कुछ सवाल हैं जिनके जवाब ना ही सत्तारूढ़ भाजपा और ना ही इस मामले को अब तक का सबसे बड़ा 41 हजार करोड़ का घोटाला बता रही कांग्रेस के पास ही हैं। भाजपा तो इस मामले में फ्रांस की सरकार के साथ पूर्ववर्ती कांग्रेस की एनडीए वाली यूपीए सरकार द्वारा किये गये ‘सीक्रेसी’ समझौते का हवाला देकर अपने होंठ सिये हुए है, वहीं इस मामले को राजीव गांधी को सत्ताच्युत करने वाले बोफोर्स सौदे की तरह जनता में सरकार व उसके अगुवा मोदी के बारे में ‘छवि भंजक’ साबित होने का माध्यम मान रही कांग्रेस के पास भी कई सवालों के जवाब नहीं है। कांग्रेस का मानना है कि जिस तरह आज तक बोफोर्स मामले में कुछ भी साबित न होने के बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की छवि इस मामले में घोटाला करने वाले की हो गयी थी, और उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा था, उसी तरह यह मामला हर दांव को भोथरा साबित कर रहे नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर कर सकता है। इसलिये वह एनडीए की चुप्पी का फायदा उठाकर सवाल पर सवाल उठाकर मामले को 2019 के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। नैनीताल जैसे छोटे से शहर में इस मामले में अब तक दो बड़े नेताओं की पत्रकार वार्ता होना इस बात का परिचायक है।

सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मुख्यालय में पत्रकार वार्ता कर इस सौदे को आजाद भारत का देश के सबसे बड़ा रक्षा सौदा और घोटाला बताया, और पूछा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पूरी सरकार आखिर के मामले में कुछ भी क्यों नहीं बोल रहे हैं। सवाल किया कि सरकार का जवाब न देना सरकार का घमंड है अथवा गुरूर (दोनों शब्दों का अर्थ कमोबेश एक ही है)। उन्होंने पूछा-सरकार मीडिया से भी डरती है अथवा मीडिया को डराती है ? फिर खुद ही बोले-जो खुद डरता है, वही दूसरों को डराता है। इस बात पर भी सवाल उठाया कि इस बारे में प्रधानमंत्री से पूछे गये सवालों के जवाब अनिल अंबानी क्यों नोटिस के रूप में देते हैं ? यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की जगह अनिल अंबानी को लेकर पेरिस गये और 10 अप्रैल 2015 को यह सौदा ‘डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर’ का पालन किये बिना और ‘कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी’ की अनिवार्य पूर्व अनुमति लिए बिना तथा ‘कांट्रेक्ट नेगोसिएशन कमेटी-सीएनसी’ व ‘प्राइस नेगोसिएशन कमेटी-पीएनसी’ द्वारा सही मूल्य पता करने की प्रक्रिया को दरकिनार करके किया, तथा 55 वर्ष पुरानी एचएएल को दरकिनार कर सौदा करने के दिन से 12 दिन पहले ही 28 मार्च 2015 को गठित अनुभवहीन रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को ऑफसैट का ठेका दे दिया।

नैनीताल क्लब में पत्रकार वार्ता करते हुए खेड़ा ने यह भी बताया कि यूपीए सरकार 126 राफेल लड़ाकू विमान 526.1 करोड़ रुपए के मूल्य से खरीद रही थी। इसमें से 18 विमान फ्रांस से जबकि 108 विमान भारत में एचएएल से बनने थे। इस मूल्य पर 36 विमानों की कीमत 18,940 करोड़ होती, जबकि मोदी सरकार ने 126 की जगह 36 विमानों का ही सौदा 1670.7 करोड़ में किया है। इस प्रकार यह 41,205 करोड़ रुपए अधिक लुटाये गये हैं। हालांकि वह इन शब्दों के लेखक के इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाये कि अधिक लाभ के लिए मोदी सरकार ने यूपीए द्वारा तय 126 लड़ाकू विमान ही क्यों नहीं खरीद लिये, जबकि अधिक विमान लेने से बड़ी धनराशि का घोटाला किया जा सकता था। उनकी इस बात में भी विरोधाभास साफ दिखा कि यूपीए सरकार ने 2012 में 36000 करोड़ के ऑफसेट का कार्य एचएएल को देने का प्रबंध किया था। जबकि मोदी सरकार ने रिलायंस को 30 हजार करोड़ रुपए का ही ‘डिफेंस ऑफसेट कांन्ट्रेक्ट’ दिया है। अलबत्ता जोड़ा कि 1 लाख करोड़ रुपए का ‘लाइफ साइकिल कांट्रेक्ट’ भी रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को दिया गया है। यदि ऐसा है तो यह घोटाला 1.41 लाख करोड़ का है। तो कांग्रेस इसे केवल 41 हजार करोड़ का ही घोटाला क्यों बता रही है। ‘लाइफ साइकिल कांट्रेक्ट’ को न जोड़ें तो आरडीएल को दिया गया ऑफसैट तो एचएएल को यूपीए द्वारा दिये गये ऑफसैट से छोटा लगता है।

यह भी दावा किया कि गोपनीयता का समझौता तकनीकी न बताने के लिए था, कीमत न बताने के लिए नहीं। साथ ही पूछा कि अधिक कीमत पर खरीदे जा रहे राफेल विमानों की तकनीक में क्या अंतर है। यह भी बताया कि फ्रांस की ही दूसरी प्रतियोगी लड़ाकू जहाज ‘यूरोफाइटर  टाइफून’ ने राफ़ेल के तय मूल्य से मात्र 20 फीसद कम कीमत पर ही लड़ाकू विमान देने की पेशकश की थी। यह भी बताया है कि राफ़ेल फाइनेंसियल बोली में टाइफून से बेहतर L1 श्रेणी का साबित हुआ था।इसे तत्कालीन रक्षा मंत्री ने नजरअंदाज कर दिया। तो यह घोटाला अधिकतम 20 फीसद का ही तो नहीं है। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश, पूर्व सांसद डा. महेंद्र पाल, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सरिता आर्या, जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल, नगर कांग्रेस अध्यक्ष मारुति नंदन साह, त्रिभुवन फर्त्याल सहित कई अन्य कांग्रेस जन मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें : मोदी के सपनों को साकार करने आये सांसदों पर भाजपाइयों ने ही लगाये तफरी, पलीता लगाने के आरोप

नैनीताल। इन दिनों कुमाऊं मंडल के दौरे पर आयी संसद की भाजपा सांसद छेदी पासवान की अध्यक्षता वाली रसायन एवं खाद्य उर्वरक समिति के सदस्यों पर शुक्रवार को मुख्यालय में न केवल आम लोगों वरन भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वप्न सरीखी प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना पर पलीता लगाने और केवल तफरी के लिये यहां आने के आरोप लगाये। हुआ यह कि सुबह साढ़े नौ से शाम तीन बजे तक बीडी पांडे जिला चिकित्सालय में प्रस्तावित बैठक को केवल आधे-एक घंटे निपटाने के फेर में समिति के सदस्यों ने बैठक में प्राविधान होने के बावजूद योजना के लाभान्वितों-आम लोगों यहां तक कि भाजपा के सदस्यों को भी बोलने का मौका नहीं दिया। यहां तक कि कार्यकर्ताओं को कमोबेश डपट भी दिया। यही नहीं उनके सामने ही बैठक की आयोजक बीपीपीआई के चेयरमैन बताये जा रहे शख्स ने बोलने वालों को बैठक से बाहर निकालने की चेतावनी तक दी। इससे लोग ठगे से रह गये।

हुआ यह कि बैठक में जन औषधि केंद्र संचालक भारतीय रेडक्रॉस समिति के सदस्यों एवं केंद्र से लाभान्वित लोगों को भी आमंत्रित किया गया था। बैठक की शुरुआत करते हुए समिति के अध्यक्ष सांसद छेदी पासवान ने लाभान्वितों से अपने विचार रखने को भी कहा, लेकिन किसी भी आम लाभान्वित को बोलने का मौका नहीं दिया। इस बीच कुछ लोगों ने बोलने का प्रयास किया, इस पर पहले ही समिति के सदस्यों के सवालों से घिर रहे बीपीपीआई के चेयरमैन बताये जा रहे व्यक्ति ने टिप्पणी की कि यह ‘मिनी संसद है, यदि कोई बिना अध्यक्ष की अनुमति के बोलेगा, तो उसे बाहर निकाल दिया जाएगा’। इस पर लोगों में कड़ी नाराजगी देखी गयी। वहीं आगे भाजपा व संघ से जुड़े हरीश राणा, चंद्रशेखर रावत आदि ने अध्यक्ष से अनुमति लेने और बोलने का प्रयास किया, परंतु उन्हें अध्यक्ष ने ही बोलने से रोक दिया। राणा का कहना था कि अस्पताल के कुछ चिकित्सक ही जन औषधि केंद्र की दवाइयों को घटिया बता रहे हैं, जिस कारण सस्ती होने के बावजूद लोग यह दवाइयां नहीं ले रहे हैं।

वहीं कुमाऊं विवि के पूर्व प्राध्यापक प्रो. जीएल साह योजना की तारीफ करने और दवाइयों की पैकिंग में कुछ समस्या बताने पहुंचे थे, लेकिन बोलने का मौका न मिलने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की इस उत्कृष्ट योजना को जनभावनाओं की परवाह न करने वाले ऐसे सांसद पलीता लगा देंगे। उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि समिति के सदस्य सांसद मोदी विरोधी थे। उनका रवैया बेहद गैर जिम्मेदार और पद की गरिमा के अनुरूप बिल्कुल भी नहीं था। भाजपा की पूर्व दायित्वधारी और रेडक्रॉस समिति की सदस्य शांति मेहरा, कांग्रेस की मुन्नी तिवाड़ी, जिला रेडक्रॉस समिति की उपाध्यक्ष डा. सरस्वती खेतवाल आदि ने भी समिति के जनता की बात न सुनने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की, और कार्यक्रम के बाद कई लोगों ने ‘शेम-शेम’ के नारे लगाये। भाजपा नगर अध्यक्ष मनोज जोशी सहित अन्य लोग भी समिति के रवैये से खासे नाराज दिखे। वहीं जिला अस्पताल की पीएमएस डा. तारा राणा ने सांसदों की समिति के अस्पताल में आने को ऐतिहासिक मौका बताया।

देश के हर राज्य में खुलेंगे स्टोर, हर विकास खंड में जन औषधि केंद्र, हटेंगे बिचौलिये

-मुख्यालय में संसद की रसायन एवं खाद्य उर्वरक समिति ने की प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की समीक्षा
नैनीताल। देश के हर राज्य में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों में जेनेरिक औषधियां उपलब्ध कराने के लिए बीपीपीआई यानी ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूएस ऑफ इंडिया के स्टोर खोले जाएंगे। इसके साथ ही जन औषधि केंद्रों में बीपीपीआई द्वारा औषधियां उपलब्ध कराने के लिए बीच में अपने स्तर से रखी गयी अन्य कंपनियों-बिचौलियों को हटाया जाएगा। वहीं जिलों में तहसीलों के बाद अब हर विकास खंड में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र स्थापित किये जाएंगे। उत्तराखंड राज्य में दो माह के भीतर जन औषधि केंद्र के आवेदकों को शासन के स्तर से ड्रग लाइसेंस देने और तीन माह के भीतर विकास खंड स्तर पर दुकानें खोलने के संसदीय कमेटी ने आदेश दिये हैं।

शनिवार को मुख्यालय में संसद की भाजपा सांसद छेदी पासवान की अध्यक्षता वाली रसायन एवं खाद्य उर्वरक समिति ने बीडी पांडे जिला चिकित्सालय में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की समीक्षा करते हुए यह निर्देश दिये। इस दौरान समिति ने जन औषधि केंद्र के संचालक, जिला रेडक्रॉस समिति के महासचिव आरएन प्रजापति एवं केंद्र के कर्मियों से जानकारी तथा सेवाओं को और बेहतर करने के लिए सुझाव लिये। उन्होंने बताया कि मुख्यालय स्थित केंद्र में केवल 312 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध हैं, और पिछले छह माह में केवल 4.12 लाख की ही दवाइयां बिकी हैं। इस पर समिति ने नाराजगी व्यक्त करते हुए श्री पासवान एवं कमेटी के सदस्य सांसदों ने जन औषधि परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समाज के गरीबों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने का स्वप्न बताते हुए इन केंद्रों में सस्ती दवाइयां उपलब्ध होने का व्यापक प्रचार-प्रसार दवाइयों की कीमतों में अंतर को प्रदर्षित करते हुए करने एवं अनुमन्य 700 से अधिक दवाइयों में से अधिकाधिक दवाइयां उपलब्ध कराने के निर्देश बीपीपीआई को दिये। साथ ही शासन के स्तर पर पिछले 6 माह से 536 नये केंद्र खोलने के आवेदन अटके होने पर भी सांसदों ने नाराजगी जताई और अगले 2 माह में सभी मामले निपटाने को कहा। इस मौके पर कमला देवी पाटिल, जॉर्ज बेकर, सीता राम नाइक, विजय पाल सिंह तोमर, डा. कुलमाणी, राजेंदरन आदि समिति के सदस्य सांसद मौजूद रहे।

दवा खत्म होने से पहले खरीददारों को औषधि केंद्र से जायेगा फोन

नैनीताल। सांसदों की समिति ने जन औषधि केंद्र संचालकों-कर्मियों से दवा लेने वाले सभी खरीददारों तथा उन्हें संदर्भित करने वाले चिकित्सकों के नाम व फोन नंबर भी लेने और कम्प्यूटर के सिस्टम में रखने तथा संबंधित खरीददार के पास दवाइयां खत्म होने पर उन्हें केंद्र से फोन कर दवाइयां लेने के लिए याद दिलाने को कहा। कहा कि इससे केंद्रों के प्रति लोगों का जुड़ाव बढ़ेगा।

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