🚩🚩श्रीनंदा देवी महोत्सव की सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं.. माता नंदा-सुनंदा की सभी पर कृपा बनी रहे। जगमोहन रौतेला, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षा विभाग, उत्तराखंड। 🚩🚩श्रीनंदा देवी महोत्सव की सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं.. माता नंदा-सुनंदा की सभी पर कृपा बनी रहे। श्रीमती तारा बोरा, प्रधानाचार्य-राष्ट्रीय शहीद सैनिक स्मारक विद्यापीठ नैनीताल। 🚩🚩 श्री माता नंदा-सुनंदा महोत्सव की सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं.. सभी पर कृपा बनी रहे। अमन बजाज, प्रतिष्ठान-एंबेसडर होटल, नैनीताल।🚩🚩

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September 10, 2024

जिला मुख्यालय व विधायक के गांव के निकटवर्ती खूपी गांव में गहरा रही भूस्खलन की समस्या

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नवीन समाचार, नैनीताल, 3 अगस्त 2024 (Problem of landslide is Khupi village Nainital)। नैनीताल जनपद मुख्यालय के निकटवर्ती खूपी गांव में बीते लगभग डेढ़ दशक से भी अधिक लंबे समय से भूस्खलन हो रहा है। यहां रहने वाले लोगों को अन्यत्र विस्थापित करने के प्रयास भी हुए। कुछ लोग विस्थापित हुए भी। लेकिन कुछ लोग अपने घरों को छोड़ने के लिये तैयार नहीं हुए। उल्टे क्षेत्र में अन्य मौसम में यहां आसपास कई होटल-रिजॉर्ट भी बन गऐ और दूसरी ओर हर वर्ष बरसात के मौसम में यहां पाइंस से आने वाले गधेरे की ओर से भूस्खलन का खतरा और बढ़ता चला जा रहा है और इस बार भी यही स्थिति है।

(Problem of landslide is Khupi village Nainital)
खूपी गांव में इस तरह हो रहा है भूस्खलन और घरों में पड़ी हैं दरारें।

एक दर्जन से अधिक घर भूस्खलन की जद में आ गए हैं। उनमें दरारें पड़ गयी हैं। ऐसे में स्थानीय लोग शासन-प्रशासन से ग्राम वासियों को विस्थापित करने या गांव में हो रहे भूस्खलन का स्थायी उपचार करने की मांग उठा रहे हैं। गौरतलब है कि खूपी गांव क्षेत्रीय विधायक सरिता आर्य के पुश्तैनी गांव भूमियाधार का सबसे निकटवर्ती गांव है, इसके बावजूद इस गांव की समस्या के समाधान के लिए बीते लगभग डेढ़ दशक में कुछ भी प्रभावी तौर पर नहीं हो पाया है।

इन स्थितियों के बीच बीते मंगलवार को प्रशासन की टीम ने क्षेत्र का निरीक्षण किया और सिंचाई विभाग को क्षेत्र की सुरक्षा के लिए तात्कालिक यानी अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। इस बीच घर में दरार आने से गांव के निचले क्षेत्र से कुछ परिवारों के अपना घर छोड़ने की बात भी कही जा रही है।

क्षेत्रवासियों के अनुसार वर्ष 2011 से खूपी गांव में भूस्खलन के कारण कई घरों में दरारें आ गई थीं। अब तक इस कारण कई घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, और ग्रामीणों के अनुसार अब तक ग्रामीणों की करीब 100 नाली भूमि भूस्खलन में नष्ट हो चुकी है। आधा दर्जन से अधिक परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। यह खतरा बढ़ता भी जा रहा है। हर बरसात में खूपी में रहने वाले लोग डर के साए में जीवन व्यतीत करते हैं।

इस मामले में एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि गांव का निरीक्षण करने के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारियों को तात्कालिक व दीर्घकालिक योजना बनाने को कहा गया है। साथ ही जिन लोगों के घरों में दरारें आ गयी हैं, उन्हें अपना घर खाली करके दूसरे स्थान पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं ब्लॉक प्रमुख डॉ. हरीश बिष्ट ने बताया कि गांव को विस्थापित करने के प्रयास हुए थे, तब कुछ परिवार विस्थापित हुए भी, लेकिन कई परिवार गांव छोड़ने को तैयार नहीं हुए। इस कारण समस्या बनी हुई है। (Problem of landslide is Khupi village Nainital)

चट्टानों को तोड़कर मिट्टी बनाने की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाते हैं लाइकेन (Problem of landslide is Khupi village Nainital)

-डीएसबी परिसर में लाइकेनों पर आयोजित हुई कार्यशाला
नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग में शनिवार को अतिथि प्राध्यापक निदेशालय के सहयोग से आयोजित एनबीआरआई लखनऊ के पूर्व निदेशक व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. दलीप कुमार उप्रेती ने ‘करंट सिनेरियो ऑफ लाइक्नोलॉजी इन इंडिया’ विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। इस अवसर पर डॉ. उप्रेती ने कहा कि लाइकेन बेहद छोटे जीव होते हैं, लेकिन प्रकृति में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। उल्लेखनीय है कि डॉ. उप्रेती ने 150 नई लाइकेन प्रजातियों की खोज की हैं।

(Problem of landslide is Khupi village Nainital)
कार्यशाला में शामिल प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं।

इस अवसर पर डॉ. उप्रेती ने कहा कि लाइकेन बेहद छोटे जीव होते हैं, लेकिन प्रकृति में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। लाइकेन न केवल मसाले और दवा के रूप में बल्कि अंतरिक्ष में भी उपयोगी होते हैं। विश्व के 15 प्रतिशत लाइकेन भारत में मिलते हैं और ये चट्टानों को तोड़कर मिट्टी बनाने की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। लाइकेन की 160 प्रजातियाँ औषधीय रूप में प्रयुक्त होती हैं।

उन्होंने बताया कि वन विभाग ने मुनस्यारी में लाइकेन गार्डन स्थापित किया है। विश्व में लाइकेन की 20,000 प्रजातियाँ ज्ञात हैं, इनमें से 3029 प्रजातियाँ भारत में हैं, और इनमें से 520 प्रजातियाँ स्थानिक हैं। भारत में लाइकेन की 500 प्रजातियाँ औषधीय हैं, जिनमें से 160 प्रजातियाँ विशेष रूप से भारत में पाई जाती हैं। (Problem of landslide is Khupi village Nainital)

कार्यक्रम का संचालन अतिथि प्राध्यापक निदेशालय के निदेशक प्रो. ललित तिवारी, विभागाध्यक्ष प्रो. एसएस बर्गली, डॉ. हिमानी कार्की, शिवांगी रावत, हर्षित कुमार, प्रो. किरण बर्गली, प्रो. सुषमा टम्टा, प्रो. नीलू लोधियाल, डॉ. सरस्वती बिष्ट, प्रो. अनिल बिष्ट, डॉ. कपिल खुल्बे, डॉ. हेम जोशी, डॉ. हर्ष चौहान, डॉ. नवीन पांडे, डॉ. प्रभा पंत, डॉ. हिमानी कार्की, डॉ. प्रतिभा रावल, कुंजिका, वसुंधरा, दिशा उप्रेती,

गीतांजलि, किट्टू, वर्तिका, चारू, रश्मि, कृतिका, रुचि, डॉ. भूमिका, आनंद कुमार, पूजा गुप्ता सहित कई शोध छात्र और एमएससी तृतीय वर्ष के वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान वनस्पति विज्ञान विभाग में महिला कॉलेज की छात्रा रुचि जलाल ने पीएचडी की अंतिम मौखिक परीक्षा भी दी। रुचि ने अपना शोध कार्य डॉ. सरस्वती बिष्ट के निर्देशन में पूरा किया है। (Problem of landslide is Khupi village Nainital)

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