रुद्रपुर मेयर सीट के त्रिकोणीय मुकाबले में नाराज ‘फूफा’ डालेंगे ‘रंग में भंग’

छौंक की सुगंध से बिल्कुल अलग होगा खिचड़ी का स्वाद
अनिल धर्मदेश @ नवीन समाचार, नैनीताल, 24 दिसंबर 2024 (Rudrapur Mayor Civic Election-Triangular Contest)। सियासत की बिसात पर बाजी कभी भी पलट सकती है मगर इसका यह मतलब भी नहीं कि घोड़ा मनमर्जी से ऊंट की चाल चलने लगे। बल्कि दो मोहरों के जोर महफूज प्यादा कई बार वजीर को पटखनी दे देता है। रुद्रपुर की सियासत में इस वक्त वक्त बाजियां ऐसे पलट रही हैं कि निगम चुनाव के बाद अपनी ‘हार’ को जीत बताकर कुछ लोग खुद को बाजीगर साबित करेंगे।
खिचड़ी में अपने हितों का तड़का डाल रहे कई दिग्गज
विधायकी से ज्यादा पावरफुल हल्द्वानी मेयर की सीट के लिए भाजपा में छिड़ा घमासान खुला खेल फर्रुखाबादी जैसा है और पर्यवेक्षक दावेदारों व उनके सपोर्ट की गुणा-गणित से पूरी तरह अवगत हैं। इसके ठीक उलट रुद्रपुर की बिसात बहुत अलबेली है। यहाँ कौन किसके साथ है इससे ज्यादा यह महत्वपूर्ण हो गया है कि अगर कोई किसी के साथ है तो क्यों है?
यही नहीं, यहाँ कांग्रेस-भाजपा और निर्दलीय की खिचड़ी में कई दिग्गज अपने-अपने हित का तड़का डालकर सियासी ‘भंडारे’ की सुगंध को आकर्षक बना रहे हैं। बचपन के दो जिगरी दोस्तों के कमिटमेंट से विधायकी की जो सीट भाजपा के लिए आसान हो गयी थी, मेयर की दौड़ में वादा निभाने की ईमानदारी खुद पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। स्थानीय राजनीति के गढ़ भूरारानी से यह संदेश निकल भी चुका है।
रुद्रपुर की मेयरी भाजपा के लिए पहले जैसी आसान नहीं
उधर पलटी मारने के चक्कर में ‘पुरनिया’ नेताजी अपना और अपने परिवार दोनों का लंबा नुकसान कर बैठे हैं। माया मिली न ‘राम’ का पर्याय बन चुके दशानन की उलटबासियाँ अब मोहरे फिट करने वालों को भी रास नहीं आ रही हैं। ऐसे में अगर फिर तीन बोलने पर ही सीटी बजे तो बड़ी बात नहीं। हालांकि इस पूरी जोराजोरी में कांग्रेस का खेल मजबूत हुआ है और रणनीतिक स्पष्टता को देखते हुए भीतरघात करने में सक्षम पड़ोसी नेताजी भी अब रुद्रपुर पर फोकस करते नहीं दिख रहे। स्थानीय समीकरण इशारा कर रहे हैं कि अबकी रुद्रपुर की मेयरी भाजपा के लिए पहले जैसी आसान नहीं रहने वाली।
वाइल्ड कार्ड इंट्री ने कर दिया पार्टी की भीतरी सियासत को और पैना
इधर सियासी उठापटक से चुनौती लगातार कठिन होती जा रही है और उधर भाजपा में बेटे की शादी के मानिंद कई फूफा मुंह फुलाए बैठे हैं। किसी को थ्रीपीस सूट नहीं मिला तो किसी को अलग गाड़ी बुक नहीं किए जाने से शिकायत है। बारात में सबको खड़े होना है पर ये सब सिर्फ रस्म अदायगी तक ही होता दिख रहा है। जैसे घरेलू खेल में प्यादा आठ घर चलकर हाथी-घोड़ा बन जाता है, ठीक उसी तरह ऐन चुनाव के वक्त हुई वाइल्ड कार्ड इंट्री ने पार्टी की भीतरी सियासत को और पैना कर दिया है। हालांकि इससे वो खिलाड़ी सबसे अधिक परेशान होगा जिसने अगली तीन चालें पहले ही तैयार कर रखी थीं।
दो बंदरों की लड़ाई में बिल्ला बाजी मार ले जाएगा ! (Rudrapur Mayor Civic Election-Triangular Contest)
सूत्रों की मानें तो रुद्रपुर भाजपा में मेयर सीट को लेकर जारी खींचतान में दो बंदरों की लड़ाई वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है, जहाँ बिल्ला बाजी मार ले जाएगा। देशी-खत्री, पहाड़ी-पंजाबी की जोर आजमाइश में अगर बंगाली समाज का कोई नेता टिकट पा जाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा। हालांकि बाजी कोई भी मारे पर सभी को यह याद रखना चाहिए कि टिकट पहला पड़ाव है और असली इम्तेहान जनता की अदालत में होना है, जहाँ नाराज फूफा रंग में भंग जरूर डालेंगे। (Rudrapur Mayor Civic Election-Triangular Contest)
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