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March 19, 2024

नैनीताल में सिर्फ नैनी ताल नहीं, इतनी झीलें हैं, 8वीं, 9वीं, 10वीं आपने शायद ही देखी हों…

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Nainital, famously known as the City of Lakes, is home to several enchanting lakes, including Nainital Lake, Bhimtal, Naukuchiatal, Sattal, and many more. These serene bodies of water offer breathtaking views and unique attractions. Nainital district, also referred to as the District of Lakes, holds a rich history with its abundance of natural water reservoirs. Although the region once boasted sixty lakes, today, eleven picturesque lakes still captivate visitors and locals alike.

Dosti padi Bhari, nadi men,

परी ताल

नवीन समाचार, नैनीताल, 20 जून 2023। (Tals of Nainital) नैनीताल को झीलों के शहर के साथ झीलों का जनपद भी कहा जाता है। यह ‘छखाता’ परगने में आता है। ‘छखाता’ नाम ‘षष्टिखाता’ से बना है, जिसका तात्पर्य साठ तालों से होता है। इसका अर्थ यह है कि अंचल में पहले साठ मनोरम ताल होते थे। आज के दौर में यहां 60 तो नहीं परंतु 11 ताल अस्तित्व में हैं। इनके बारे में हम यहां जानकारी देने जा रहे हैं:

1. नैनीताल: नैनीताल झील नैनीताल जिला मुख्यालय में आंख या नाशपाती के आकार की और जनपद की सबसे प्रसिद्ध और विश्व भर में प्रसिद्ध झील है।
2. भीमताल: भीमताल झील जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर पैर के आकार की है। कहते हैं कि महाबली पांडव भीम के पैर पड़ने से इस झील का निर्माण हुआ। झील के बीच में टापू पर रेस्टोरेंट व एक्वेरियम आकर्षण का केंद्र हैं।
3. नौकुचियाताल : भीमताल से करीब 6 किमी दूर नौकुचियाताल नौ कोनों की झील के रूप में प्रसिद्ध है।

Naukuchiatal Tals of Nainital4. सातताल: सातताल झील को सात तालों का समग्र कहा जाता है।
5. नल दमयंती ताल: सातताल झील से पहले आने वाली नल दमयंती ताल पौराणिक झील है। यहां मिलने वाली बड़ी-बड़ी मछलियां आकर्षण का केंद्र हैं।
6. खुर्पाताल: गाय के खुर यानी पैर के आकार की खुर्पाताल झील जिला मुख्यालय के पास कालाढुंगी रोड पर रंग बदलने वाली झील के रूप में प्रसिद्ध है।
7. सरिया या सरिताताल: यह ताल नैनीताल व खुर्पाताल के बीच स्थित है।

8. परी ताल: परी ताल भीमताल से मुक्तेश्वर की ओर चांफी से करीब 3 किमी की पैदल दूरी पर स्थित है। कहते हैं यहां चांदनी रात में परियां स्नान करने आती हैं।
9. हरीश ताल: हरीश ताल नैनीताल जनपद के ओखलकांडा विकासखंड में और जनपद की सबसे दूरस्थ स्थित अनछुवी झील है।
10. लोहाखाम ताल: लोहाखाम ताल भी हरीश ताल के पास ही स्थित एक अनछुवी झील या ताल है।
11. सूखाताल: सूखाताल अपने नाम के अनुरूप वर्ष के अधिकांश भाग में सूखी रहती है, लेकिन वर्षा काल में पानी से भरती है। इधर इसे पुर्नजीवित करने का कार्य भी चलने के बाद फिलहाल रुका हुआ है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें सहयोग करें..

Tals of Nainital : नैनीताल के विभिन्न तालों की जानकारी : यह भी पढ़ें : नैनीताल का रहस्यमयी ‘परी ताल’, जहां परियां स्नान करने आती हैं, और कोई पसंद आ जाए तो उसे साथ परीलोक ले जाती हैं… (Tals of Nainital)

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 अगस्त 2021। झीलों के जनपद नैनीताल में कहा जाता है कि कभी 60 ताल थे। इनमें से अब नैनीताल, भीमताल, राम, लक्ष्मण व सीता ताल से मिले सातताल, गरुण ताल, नलदमयंती ताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल, सरिताताल व भालूगाड़ ताल सहित करीब एक दर्जन तालों के बारे में ही लोगों को पता है। लेकिन आज हम एक ऐसे रहस्यमयी ताल के बारे में बता रहे हैं, जिसका नाम भी रहस्यमयी सा ‘परी ताल’ है। सड़क से करीब ढाई किलोमीटर दूर, दो नदियों के पार चलते-ताजे मीठे पानी की इस छोटे से ताल के बारे में कहा जाता है कि यहां हर पूर्णिमा की रात अपने नाम के अनुरूप परियां स्नान करने को आती हैं, और इस दौरान यदि उन्हें यहां मौजूद कोई व्यक्ति पसंद आ जाता है तो उसे अपने साथ परी लोक ले जाती हैं। देखें परी लोक की सुंदरता:

परी ताल पहुंचने का रास्ता नैनीताल जनपद में भवाली-भीमताल के बीच खुटानी से मुक्तेश्वर की ओर जाने वाले मार्ग पर चांफी नाम के स्थान से पैदल जाता है। नैनीताल से करीब 23 किलोमीटर चांफी तक वाहन से पहुंचने के बाद चांफी के अंग्रेजी दौर के बने झूला पुल के बगल से परी ताल को पैदल रास्ता जाता है। करीब ढाई किलोमीटर के इस रास्ते में दो नदियों को पार भी करना पड़ता है, और आखिर एक नदी के बीच पहाड़ से झरते सुंदर झरने से भरने वाला गहरे नीले रंग के ताजे-चलते पानी से भरा सुंदर परी ताल देखा जा सकता है। ताल में पानी अत्यधिक गहरा है। इसलिए यहां लोगों को नहाने से रोकने के लिए संभवतया यहां परियों द्वारा पसंद आने वाले व्यक्ति को साथ ले जाने की दंतकथा जुड़ी हो। यह भी है कि स्थानीय लोग भी यहां जाने से परहेज करते हैं, अलबत्ता कई लोग यहां उड़ती हुई परियों को देखे जाने का दावा करते हैं।

गत दिवस यूट्यूबर पंकज बिष्ट के साथ इस स्थान की यात्रा कर लौटे ‘नवीन समाचार’ के सहयोगी गुड्डू ठठोला ने बताया कि बरसात के मौसम में यहां दो नदियों को पार करके जाना और यहां किसी भी तरह की जल क्रीड़ा खतरनाक हो सकती है, किंतु प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज से यह स्थान वाकई परी लोक सरीखा है। अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
देखें यूट्यूबर पंकज बिष्ट का परी ताल तक जाने का व्लॉग:

नल दमयंती ताल, द्वापर युग से संबंध, जानें क्या है यहां कटी मछलियां मिलने के दावे का सच

डॉ. नवीन जोशी, नैनीताल। आज हम आपको नैनीताल जनपद के एक अनछुवे नल दमयंती ताल के बारे में बताने जा रहे हैं। नैनीताल जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर सातताल के पास स्थित नल दमयंती ताल की महत्ता का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है। कहा जाता है कि द्वापर युग में राजा नल को उनके भाई पुष्कर ने छल से हराकर उनका राज्य ले लिया था। तब राजा नल ने अपनी पत्नी दमयंती के साथ इस स्थान पर बेहद कठिन वनवासी जीवन व्यतीत किया था।

यहां तक कि राजा नल ने जब कुछ मछलियों को पकाने के लिए काटकर कढ़ाई में डाला तो वह भी उड़ गई थीं। यानी राजा उन्हें पका नहीं पाये थे। दावा किया जाता है कि आज भी कुछ लोगों को नल दमयंती ताल में वे ही कटी हुई यानी आधे अंगों वाली मछलियां दिखाई देती हैं।

बहरहाल झील में ऐसी मछलियां आम तौर पर तो नहीं दिखतीं, लेकिन इन्हें धार्मिक श्रद्धा से देखा जाता है और इन्हें मारा नहीं जाता है। इसलिए यहां काफी बड़ी-बड़ी मछलियां मौजूद हैं। ताल के पास शिव जी का मंदिर भी स्थित है। कहते हैं कि यह मंदिर भी राजा नल के समय से ही यानी द्वापर युग से ही है। वर्तमान में यहां भगवान शिव की विशाल सुंदर मूर्ति स्थापित की गई है, जो काफी आकर्षक है। आप भी इस स्थान की सुंदरता का आनंद लें।

यह भी पढ़ें : 6 करोड़ से सातताल झील बनेगी ऐसी स्वप्न सरीखी

-नैनीताल विधानसभा की नई पहचान बनेगी सातताल झील: संजीव आर्य

नवीन समाचार, नैनीताल, 05 मार्च 2021। जनपद की प्राकृतिक सुंदरता से लवरेज सातताल झील का 6 करोड़ रुपए की लागत से सौंदयीकरण किया जाएगा। विधायक संजीव आर्य ने बताया कि इस धनराशि से सातताल में लैंड स्केपिंग, लेक साइड डेवलपमेंट, चिल्ड्रन पार्क, व्यू पॉइंट व दुकानों का निर्माण तथा पौधारोपण किया जाएगा। उन्होंने सातताल झील का सौंदयीकरण कार्यों के बाद का प्रस्तावित चित्र भी जारी करते हुए विश्वास जताया कि सातताल नए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा और नैनीताल विधानसभा की नई पहचान बनेगा।

यह भी पढ़ें : साततालः झीलों और अनछुवी प्रकृति का समग्र

On the Way to Sattal

प्रकृति प्रेमी सैलानियों को खूब आकर्षित करता है यह पर्यटन स्थल
डॉ. नवीन जोशी,नैनीताल। झीलों के शहर नैनीताल में मुख्यालय की नैनीताल झील विश्व प्रसिद्ध है, और इस कारण यहां दुनिया भर के सैलानी आते हैं, लिहाजा यहां खासकर सीजन में अत्यधिक भीड़भाड़ और मानवीय हस्तक्षेप सैलानियों को सुकून के पल और प्रकृति के उसके वास्तविक अनछुवे रूप में दर्शन कम ही हो पाते हैं। लेकिन प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवरनगरी की खूबसूरती वास्तव में इसके आसपास स्थित अन्य झीलों के समग्र और ‘लेक डिस्ट्रिक्ट’ के रूप में भी है। नगर के आसपास की यह झीलें खुर्पाताल, सरिताताल, भीमताल और नौकुचियाताल तथा सातताल के रूप में जानी जाती हैं। इन सभी झीलों में से भी यदि प्रकृति के सर्वाधिक करीब और मानवीय गतिविधियों से अनछुई खूबसूरती के दर्शन करने हों तो सात झीलों की समन्वित सातताल झील सभी झीलों में अप्रतिम है। अपनी इसी विशेषता के कारण सातताल झील नैनीताल के बाद सैलानियों की पहली पसंद बनी हुई है।

झीलों के जनपद में मुख्यालय के बेहद करीब 21 किमी की दूरी पर एक ऐसी झील है जो अभी भी अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही है। यहां मानवीय हस्तक्षेप ना के बराबर है, और झील की विशालता के साथ ही कुदरत ने पेड़-पौधों की जैव विविधता के साथ ही पंछियों की अनेकों प्रजातियों से भी इसे दिल खोलकर नवाजा है। यह वास्तव में झील ही नहीं, झीलों का समग्र है। यहां एक नहीं वरन सात झीलें-राम ताल, लक्ष्मण ताल, सीता ताल, हनुमान ताल, पूर्ण ताल या पन्ना ताल, गरुण ताल और सूखाताल हैं, और इसी कारण इस स्थान का नाम सात ताल है। यहां पहुंचने के लिए रास्ता भवाली-भीमताल रोड के बीच मेहरागांव नाम के स्थान से कटता है।

सर्वप्रथम नल दमयंती ताल सड़क से करीब 100 मीटर की दूरी पर पड़ता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस झील का नाम राजा नल एवं उनकी धर्मपत्नी दमयंती के नाम से पड़ा। यहां छोटे से ताल में ढेरों रंगबिरंगी मछलियों को तैरते हुए देखने का मनमोहक नजारा मिलता है। करीब डेड़ किमी आगे जैव विविधता से परिपूर्ण हरे घने वनों के बीच में एक विशालकाय झील के दर्शन होते हैं, इसे गरुण ताल का जाता है। गरुणताल सातताल क्षेत्र की विशाल एवं सुंदरतम झील है। यहां मानवीय गतिविधियों के बिना पूरी तरह प्रकृति में खोते हुए विशाल जल राशि का अनुभव सैलानियों को खासा आकर्षित करता है।

यहां से भी पुनः करीब डेड़ किमी आगे समुद्र सतह से 1371 मीटर की ऊंचाई पर 190 मीटर व 315 मीटर के फैलाव में करीब 150 मीटर गहरी आपस में मिली हुई तीन झीलों-राम, लक्ष्मण व सीता ताल को समन्वित रूप से सातताल झील कहा जाता है। झील के पास झील विकास प्राधिकरण द्वारा सुंदर उद्यान का निर्माण किया जा रहा है। तीन अन्य झीलें पूर्णताल (पन्ना ताल), हनुमानताल व सूखाताल भी सातताल का हिस्सा हैं, पर अब यह बरसात में ही भरती हैं।

राम व सीता ताल को जोड.ने के स्थान पर झील के दूसरी ओर पहुंचाने वाला छोटा पुल भी आकर्षित करता है। यहां ठहरने को कुमाऊं मंडल विकास निगम का पर्यटक आवास गृह, कंट्री इन नाम का रिजार्ट व वाईएमसीए के क्लब में लग्जरी टैंट युक्त सुविधा है। झील में पैडल और चप्पू वाली नौकाओं से नौकायन की व्यवस्था है। कुछ युवा कयाकिंग, केनोइंग तथा रीवर क्रासिंग जैसे साहसिक जल क्रीड़ाएं भी कराते हैं।

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