March 29, 2024

Seminar-Workshop-1 : होम स्टे योजना का लाभ तब जब करे भुतहा गांवों को आबाद…

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Seminar-Workshop

-भुतहा गांवों को गोद लेकर होगी होम स्टे योजना की परिकल्पना साकार: प्रो. बागरी
-कुमाऊं विवि के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य अतिथि पद्मश्री यशोधर मठपाल ने किया शुभारंभ
नवीन समाचार, नैनीताल, 9 अक्टूबर 2023 (Seminar-Workshop)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सोमवार को विवि के देवदार हॉल स्वामी विवेकानंद भवन में शुभारंभ हो गया है। मुख्य अतिथि पद्मश्री यशोधर मठपाल ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। होम स्टे यानी गृह प्रवास पर्यटन की भारतीय हिमालय क्षेत्र में सतत विकास की संभावनाओं एवं चुनौतियों के विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी देश भर से विशेषज्ञ शामिल हुए।

धर्म विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देगा संत समाज : रविंद्र पुरी -  हिन्दुस्थान समाचारराष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रख्यात पर्यावरणविद् हिमगिरि जी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. एससी बागरी ने उत्तराखंड में गृह प्रवास योजना पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों तथा संस्थाओं को प्रदेश के घोस्ट विलेज यानी आबादी रहित हो चुके भुतहा गांवों में होमस्टे या गृह प्रवास योजना को चलाकर इस योजना की परिकल्पना को साकार करना चाहिये।

मुख्य अतिथि पद्मश्री मठपाल ने गृह प्रवास योजना को आगे बढ़ाने के साथ पुरातत्व महत्व के स्थलों तथा विलुप्त हो रहे नदी-नालों के संरक्षण पर भी बल देने की आवश्यकता जतायी। उन्होंने राज्य में आ रहे पर्यटकों के पंजीकरण की व्यवस्था भी लागू किये जाने की आवश्यकता जताई, ताकि उनके आने के उद्देश्य पता चल सके और उनका बेहतर प्रबंधन हो सके।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. दीवान रावत ने आयोजन की सराहना करते हुए एवं आयोजकों को बधाई देते हुये कहा कि हिमालयी क्षेत्र में गृह प्रवास जैसे विषय पर ऐसे मंथन की आवश्यकता थी। विशिष्ट अतिथि स्थानीय विधायक सरिता आर्या ने राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार द्वारा पर्यटन तथा होमस्टे पर चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।

पूर्व प्रोफेसर एसएस खनका ने गृह प्रवास योजना को इसके मुख्य उद्देश्य के अनुसार स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के साथ ही स्थानीय संस्कृति से भी जोड़े जाने पर बल दिया। कार्यक्रम संयोजक वाणिज्य विभाग के संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी ने संगोष्ठी की विस्तृत जानकारी देते हुये हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास पर विचार रखे। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बेंगलुरु की डॉ. संध्या, पिथौरागढ़ की मल्लिका वर्दी सहित देशभर से आये शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

संगोष्ठी में उच्च शिक्षा निदेशक सीडी सूंठा, डीएसबी परिसर की निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा, प्रो. चंद्रकला रावत, प्रो. एसएस यादव, प्रो. सुबोध शर्मा, प्रो. ललित तिवारी, प्रो. एमएस मावड़ी, प्रो. युगल जोशी, भुवन नौटियाल, डॉ. आरती पंत, डॉ. विजय कुमार, डॉ. ममता जोशी, डॉ. निधि वर्मा, डॉ. हिमानी जलाल, डॉ. मनोज पांडे, डॉ. जीवन उपाध्याय, अंकिता आर्या, डॉ. तेज प्रकाश, डॉ. पूजा जोशी पालीवाल, डॉ. विनोद जोशी, रीतिशा शर्मा, आस्था अधिकारी, सुबिया नाज व प्रीति आदि मौजूद रहे। संचालन प्रो. दिव्या जोशी उपाध्याय ने किया।

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यह भी पढ़ें : Seminar-Workshop : उत्तरी भारत के न्यायाधीशों ने किया भविष्य की क्रिप्टो करंसी, ब्लॉक चेन और एआई जैसी चुनौतियों पर मंथन

-राज्यपाल गुरमीत सिंह ने किया भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए आयोजित दो दिवसीय उत्तर क्षेत्रीय न्यायिक संगोष्ठी का औपचारिक शुभारंभ
नवीन समाचार, नैनीताल, 30 सितंबर 2023 (Seminar-Workshop)। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में भवाली स्थित उत्तराखंड न्यायिक एवं कानूनी अकादमी (उजाला) में भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए दो दिवसीय उत्तर क्षेत्रीय न्यायिक संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को प्रारंभ हो गया। उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जर्नल गुरमीत सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के साथ संगोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर औपचारिक शुभारंभ किया।

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भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए आयोजित दो दिवसीय उत्तर क्षेत्रीय न्यायिक संगोष्ठी में मंचासीन एवं उपस्थित न्यायिक अधिकारी।

(Seminar-Workshop) इस अवसर पर क्रिप्टो करंसी, ब्लॉक चेन और एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नये दौर के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी, देश के अटॉर्नी जर्नल आर वैंकटरमणी, न्यायमूर्ति एस रविंद्र भाट, न्यायमूर्ति संजय कारोल, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति मंनोज मिश्रा आदि विशिष्ट अतिथियों ने अपने विचार रखे।

(Seminar-Workshop) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशू धूलिया ने कहा कि यह संगोष्ठी तकनीक की मदद से न्याय को सरल बनाने के लिए आयोजित हुई है। उन्होंने एआई को भविष्य के लिये खतरा बताते हुए कहा कि यह हमें परेशानियों और रोगों से निजात देंगे लेकिन हमारी जिंदगियों पर कब्जा कर लेंगे। वक्ताओं ने कहा कि ऐसी संगोष्ठियों से न्यायिक प्रक्रिया का भविष्य का मार्ग तय होगा। बताया गया कि आगे रविवार को न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन, न्यायमूर्ति एएम मुस्ताक और न्यायमूर्ति सूरज गोविंद राज अपने व्याख्यान देंगे।

(Seminar-Workshop) इस अवसर पर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज तिवारी, न्यायमूर्ति शरद शर्मा, न्यायमूर्ति आलोक वर्मा, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल, न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा के साथ ही महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. महेंद्र पाल आदि विशिष्ट अतिथि तथा उत्तराखंड के साथ जम्मू कश्मीर और लेह लद्दाख, हिमांचल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, असम आदि राज्यों के न्यायाधीश उपस्थित रहे।

(Seminar-Workshop) हिंदी को न्यायालयों में जगह दिलाने पर बोले उत्तराखंड के राज्यपाल

नैनीताल। (Seminar-Workshop) मुख्य अतिथि राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जर्नल गुरमीत सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हिंदी भाषा को न्यायिक व्यवस्था में अधिक प्रयोग किए जाने की बात कही। साथ ही उन्होंने संगोष्ठी की सराहना करते हुए इसके लाभदायक और प्रभावशाली परिणाम आने का विश्वास भी जताया। कहा कि एआई दुनिया की सबसे बड़ी भावी चुनौती है।

(Seminar-Workshop) उन्होंने कहा कि हमारे देश की न्यायपालिका सर्वोपरि व इतनी मजबूत है कि भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण होने तक अर्थात 2047 तक विश्व गुरु का मुकाम हासिल कर लेगा। राज्यपाल ने एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विषय में कहा कि हर भारतीय का डीएनए स्वतः ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सपोर्ट करता है।

(Seminar-Workshop) इसके उपयोग से मानव जीवन को सकारात्मक बदलाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने ‘ई-ट्रू कॉपी’ जारी करने के लिए सराहनीय कदम उठाया है। इससे उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों के निर्णयों-आदेशों की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने के लिए अदालत परिसर में व्यक्तिगत रूप से जाने की आवश्यकता नहीं है।

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यह भी पढ़ें Seminar-Workshop : केवल वैज्ञानिक आधार पर बनी योजनाएं सफल नहीं होतीं: गैब्रियल

-कहा, पश्चिमी दुनिया, यूरोप व अमेरिका के विज्ञान आधारित विकास योजनाओं में संस्कृति शामिल नहीं होती

नवीन समाचार, नैनीताल, 1 नवंबर 2022 (Seminar-Workshop)। कुमाऊं विवि के स्वामी विवेकानंद-हर्मिटेज भवन में मंगलवार को कुमाऊं विश्वाविद्यालय के डीएसबी परिसर स्थित पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के तत्वाधान में युवा हिंदी संस्थान न्यू जर्सी अमेरिका और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के सहयोग से नैनीताल की पारिस्थितिकी और पर्यावरण के अध्ययन और इस पर पाठ्य सामग्री के निर्माण की महत्वपूर्ण योजना के तहत एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह भी पढ़ें : पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार की पत्नी की कंपनी में 200 करोड़ रुपए किए गए काले से सफेद !

(Seminar-Workshop) इस अवसर पर अमेरिका के न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गैब्रीयेला निक इलियेवा की यह टिप्पणी इस पूरे कार्यक्रम की पृष्ठभूमि को बताने वाली और महत्वपूर्ण रही कि ‘केवल वैज्ञानिक आधार पर बनी योजनाएं सफल नहीं होती हैं।’ संगोष्ठी में यह बात कही गई कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की अनेक योजनाएं धरातल पर सफल नहीं होती हैं।

(Seminar-Workshop) इसी बात को आगे बढ़ाते हुए गैब्रीयेला ने कहा पश्चिमी दुनिया, यूरोप व अमेरिका के विज्ञान आधारित विकास योजनाओं में संस्कृति शामिल नहीं होती है। इसलिए केवल वैज्ञानिक आधार पर बनी योजनाएं सफल नहीं होती हैं। यह भी पढ़ें : देश की दूसरी सबसे पुरानी नगर पालिका को मिले नए ईओ, बताईं प्राथमिकताएं…

(Seminar-Workshop) उन्होंने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों व परंपरागत ज्ञान में क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने इसके लिए पारंपरिक समुदायों के प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए पारस्परिक व परंपरागत ज्ञान को समझने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से अमेरिकी दल यहां की जल राशियों के अध्ययन को धरातल पर यह समझने के लिए आया है कि कैसे यहां के लोग परंपरागत तरीके से जलस्रोतों का संरक्षण करते थे। यह भी पढ़ें : दीपावली के बाद परीक्षा के दिन भी शिक्षक नहीं पहुंचे शिक्षक, बैरंग लौटे बच्चे, अब गिरी गाज…

(Seminar-Workshop) वहीं युवा हिंदी संस्थान न्यू जर्सी अमेरिका के अशोक ओझा ने कहा कि अमेरिका में अंग्रेजी के इतर भी सभी भाषाओं के उन्नयन के लिए कार्य होता है, और अमेरिका का मानना है कि केवल भाषा को बोलने-समझने से काम नहीं चलने वाला है, बल्कि उसे बोलने और अपने जीवन में भाषा को जीने वालों की पूरी जीवन शैली को समझने की आवश्यकता है, क्योंकि भाषा उन्हीं से जन्म लेती है। यह भी पढ़ें : सुबह-सुबह शराब के नशे में धुत मिले डॉक्टर साहब, वीडियो वायरल हुआ तो नौकरी से बर्खास्त

(Seminar-Workshop) उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा को केवल एक भाषा की तरह नहीं, बल्कि अन्य विषयों को भी पढ़ने-समझने, उनका पाठ्यक्रम बनाने की आवश्यकता है, परंतु इस कार्य में केवल दूसरी भाषाओं की पाठ्यसामग्री का हिंदी में अनुवाद करने से काम चलने वाला नहीं है। उनका इशारा गत दिनों मेडिकल की पढ़ाई के लिए हिंदी में पुस्तक प्रकाशित होने की ओर था।

उन्होंने बताया कि इस दल में आए लोग अमेरिका में हिंदी भाषा को पढ़ाने वाले शिक्षक हैं। वह यहां की जलवायु परिवर्तन व जलस्रोतों पर पड़ने वाले प्रभावों को यहां के लोगों की भाषा में समझने के लिए यहां आए हैं। यह भी पढ़ें : पूरे दिन सुनवाई के बाद HC से हल्द्वानी की रेलवे भूमि के अतिक्रमण पर आई बड़ी खबर, अतिक्रमणकारियों का संशोधन प्रार्थना पत्र निरस्त

(Seminar-Workshop) वहीं अपने बीज वक्तव्य में इतिहासकार व पर्यावरणविद् डॉ. अजय रावत ने जल स्रोतों के संरक्षण में पौधरोपण की महत्ता, योजनाओं की विफलता में स्थानीय लोगों को उनकी जानकारी न दिए जाने तथा उत्तराखंड में जल संरक्षण की समृद्ध परंपरा होने की बात कही, तथा मानव, जीव-जंतुओं एवं पौधों के जीवन चक्र को एक साथ देखे जाने पर बल दिया। यह भी पढ़ें : 44 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर प्रो. कविदयाल को दी गई भावभीनी विदाई… कुमाऊं विवि ने घोषित किए कई परीक्षा परिणाम

(Seminar-Workshop) इससे पूर्व कार्यक्रम समन्वयक डॉ. गिरीश रंजन तिवारी ने संगोष्ठी की विषयवस्तु रखते हुए बताया कि अमेरिका के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय, पेंसिलवेनिया विवि, कंसास विवि, वेंडरबिल्ट विवि, सैसली विवि मैडिसन, जर्सी सिटी बोर्ड, फोरसाइथ डिस्ट्रिक्ट काउंटी स्कूल, शैंडलर डिस्ट्रिक्ट स्कूल और

हिंदी भाषा अकादमी आदि अत्यंत प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधि चार दिन तक नैनीताल की जलवायु, पारिस्थितिकी आदि का अध्ययन तथा संबंधित संस्थानों से वार्ता और विचार विमर्श कर पाठ्य सामग्री तैयार करेंगे जिसे अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों को उपलब्ध कराया जायगा।

मुख्य अतिथि सरिता आर्य ने नगर के आधार बलियानाला के प्रति उठी चिंताओं पर कहा कि इसका कीलित करने व जाली लगाने की तकनीक से प्रस्ताव तैयार होने की जानकारी दी और इस संगोष्ठी के माध्यम से नैनीताल पर वैश्विक चर्चा होने पर आयोजकों का आभार जताया। यह भी पढ़ें : नैनीताल : पैराग्लाइडिंग के दौरान साल का तीसरा हादसा, गई एक सैलानी की जान

(Seminar-Workshop) डीएसबी के परिसर निदेशक प्रो. एलएम जोशी ने कहा कि उत्तराखंड व भारत के समृद्ध पारंपरिक ज्ञान का जिक्र करते हुए प्रकृति के अत्यधिक दोहन के प्रति सचेत किया। कार्यक्रम में सह संयोजक डॉ. पूनम बिष्ट, अमेरिकी दल में शामिल संध्या भगत, फियौनौ रेले, मीना सरीन, मिलिंद रानाडे, पैट्रिक सब्बरवाल, आंडो गीज, रचना नाथ, अनुभूति काबरा एवं कुमाऊं विवि के प्रो. अतुल जोशी, प्रो. नीता बोरा, प्रो. चंद्रकला रावत, डॉ. लज्जा भट्ट, डॉ. लता पांडे व डॉ. रीतेश साह सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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यह भी पढ़ें (Seminar-Workshop) : हिमालयी पर्यावरण एवं चुनौतियां विषय पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय वेबीनार

-हिमालयी वर्गीकरण शास्त्री स्वर्गीय डा. पांगती को वेबीनार आयोजित कर दी श्रद्धांजलि
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 29 अगस्त 2021 (Seminar-Workshop)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के मुख्यालय स्थित डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग में पूर्व प्रोफेसर तथा हिमालयी वर्गीकरण शास्त्री स्वर्गीय डा. यशपाल सिंह पांगती की तृतीय पुण्यतिथि पर डॉ. वाईपीएस पांगती रिसर्च फाउंडेशन सोसायटी द्वारा वेबीनार आयोजित कर और दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर स्वर्गीय पांगती की स्मृति में हिमालयी पर्यावरण एवं चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया।

(Seminar-Workshop) कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने कहा कि प्रो. वाईपीएस पांगती एक समर्पित प्राध्यापक तथा शोधार्थी रहे। कहा कि हिमालय विश्व की जैव विविधता को ‘हॉट स्पॉट’ है। यहा की 80 फीसद ग्रामीण आबादी औषधीय पौधो पर अपनी आजिविका के लिए निर्भर है। यह औषधीय पौधे राज्य में रोजगार के जरिए पलायन को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

संस्था के महासचिव प्रो. ललित तिवारी ने संचालन करते हुएं स्व प्रो. पांगती के जीवन वृत्त तथा पादप जगत में उनके द्वारा किये गए योगदान पर प्रकाश डाला। बताया कि कि उन्होंने 150 शोध पत्र, 12 पुस्तक लिखी तथा 40 शोधार्थियों ने उनके निर्देशन में शोध कार्य किये।

(Seminar-Workshop) वन्य जीव संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक प्रो. जीएस रावत, सीएसआईआरएआईएचवीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार, आईसीएफआरई वुड सांइस संस्थान बैगलरू के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केके पांडे, एचआरडीआई गोपेश्वर के पूर्व निदेशक डॉ. एनसी साह, एचएफआरआई शिमला के निदेशक डॉ. एसएस सांमत आदि ने वेबीनार में विचार रखे।

(Seminar-Workshop) सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. बीएस कालाकोटी ने अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत व अभिनंदन तथा डॉ. नीलू लोधियाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबिनार में 143 प्रतिभागियों द्वारा पंजीकरण करवाया गया।

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यह भी पढ़ें (Seminar-Workshop) : कोरोना महामारी के उपरांत उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसरों पर हुई आनलाईन राष्ट्रीय संगोष्ठी

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 28 अगस्त 2021 (Seminar-Workshop) । कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के अर्थशास्त्र विभाग डीएसबी परिसर में कोरोना महामारी के उपरांत उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसरों पर आनलाईन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किय गयाा। संगोष्ठी का उद्घाटन कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केएन जोशी ने किया।

(Seminar-Workshop) मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. भगवान सिंह बिष्ट ने प्राकृृतिक एवं मानवीय साधनों का सतत विकास के साथ उपयोग करते हुए स्वतः रोजगार सृृजन, ग्रामीण उद्यमिता आदि पर जोर देते हुए अपने विचार रखे। प्रो. केएन भट्ट ने पर्यावरणीय विकास के साथ रोजगार को जोड़ने और रोजगार के साथ ही पर्यावरण को भी संरक्षित रखने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि राज्य में कृृषि, पर्यटन व एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

(Seminar-Workshop) प्रो. धनेश पांडे ने अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र को बढ़ावा देने, फल संरक्षण को बढ़ावा देने, विपणन पक्ष की कमियों को दूर करने, पर्यटन के नये आयामों को रोजगार के लिये खोजने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव व्यक्त किये। अध्यक्षता विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के संयोजक प्रो. पदम एस बिष्ट ने तथा संचालन डॉ. ऋचा गिनवाल व डॉ. सारिका वर्मा ने किया।

(Seminar-Workshop) संगोष्ठी को सफल बनाने में आयोजक सचिव डॉ. जितेन्द्र कुमार लोहनी, संगोष्ठी के समन्वयक प्रो. रजनीश पांडे, डॉ. नंदन बिष्ट, डॉ. ऋचा गिनवाल, डॉ. दलीप कुमार, डॉ. नवीन राम, कैलाश बिष्ट, रमेश पांडे आदि मौजूद रहे।

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