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केवल वैज्ञानिक आधार पर बनी योजनाएं सफल नहीं होतीं: गैब्रियल

-कहा, पश्चिमी दुनिया, यूरोप व अमेरिका के विज्ञान आधारित विकास योजनाओं में संस्कृति शामिल नहीं होती

अमेरिकी सदस्यों की मौजूदगी वाली संगोष्ठी में मौजूद लोग।

नवीन समाचार, नैनीताल, 1 नवंबर 2022। कुमाऊं विवि के स्वामी विवेकानंद-हर्मिटेज भवन में मंगलवार को कुमाऊं विश्वाविद्यालय के डीएसबी परिसर स्थित पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के तत्वाधान में युवा हिंदी संस्थान न्यू जर्सी अमेरिका और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के सहयोग से नैनीताल की पारिस्थितिकी और पर्यावरण के अध्ययन और इस पर पाठ्य सामग्री के निर्माण की महत्वपूर्ण योजना के तहत एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह भी पढ़ें : पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार की पत्नी की कंपनी में 200 करोड़ रुपए किए गए काले से सफेद !

इस अवसर पर अमेरिका के न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गैब्रीयेला निक इलियेवा की यह टिप्पणी इस पूरे कार्यक्रम की पृष्ठभूमि को बताने वाली और महत्वपूर्ण रही कि ‘केवल वैज्ञानिक आधार पर बनी योजनाएं सफल नहीं होती हैं।’ संगोष्ठी में यह बात कही गई कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की अनेक योजनाएं धरातल पर सफल नहीं होती हैं। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए गैब्रीयेला ने कहा पश्चिमी दुनिया, यूरोप व अमेरिका के विज्ञान आधारित विकास योजनाओं में संस्कृति शामिल नहीं होती है। इसलिए केवल वैज्ञानिक आधार पर बनी योजनाएं सफल नहीं होती हैं। यह भी पढ़ें : देश की दूसरी सबसे पुरानी नगर पालिका को मिले नए ईओ, बताईं प्राथमिकताएं…

उन्होंने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों व परंपरागत ज्ञान में क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने इसके लिए पारंपरिक समुदायों के प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए पारस्परिक व परंपरागत ज्ञान को समझने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से अमेरिकी दल यहां की जल राशियों के अध्ययन को धरातल पर यह समझने के लिए आया है कि कैसे यहां के लोग परंपरागत तरीके से जलस्रोतों का संरक्षण करते थे। यह भी पढ़ें : दीपावली के बाद परीक्षा के दिन भी शिक्षक नहीं पहुंचे शिक्षक, बैरंग लौटे बच्चे, अब गिरी गाज…

वहीं युवा हिंदी संस्थान न्यू जर्सी अमेरिका के अशोक ओझा ने कहा कि अमेरिका में अंग्रेजी के इतर भी सभी भाषाओं के उन्नयन के लिए कार्य होता है, और अमेरिका का मानना है कि केवल भाषा को बोलने-समझने से काम नहीं चलने वाला है, बल्कि उसे बोलने और अपने जीवन में भाषा को जीने वालों की पूरी जीवन शैली को समझने की आवश्यकता है, क्योंकि भाषा उन्हीं से जन्म लेती है। यह भी पढ़ें : सुबह-सुबह शराब के नशे में धुत मिले डॉक्टर साहब, वीडियो वायरल हुआ तो नौकरी से बर्खास्त

उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा को केवल एक भाषा की तरह नहीं, बल्कि अन्य विषयों को भी पढ़ने-समझने, उनका पाठ्यक्रम बनाने की आवश्यकता है, परंतु इस कार्य में केवल दूसरी भाषाओं की पाठ्यसामग्री का हिंदी में अनुवाद करने से काम चलने वाला नहीं है। उनका इशारा गत दिनों मेडिकल की पढ़ाई के लिए हिंदी में पुस्तक प्रकाशित होने की ओर था। उन्होंने बताया कि इस दल में आए लोग अमेरिका में हिंदी भाषा को पढ़ाने वाले शिक्षक हैं। वह यहां की जलवायु परिवर्तन व जलस्रोतों पर पड़ने वाले प्रभावों को यहां के लोगों की भाषा में समझने के लिए यहां आए हैं। यह भी पढ़ें : पूरे दिन सुनवाई के बाद HC से हल्द्वानी की रेलवे भूमि के अतिक्रमण पर आई बड़ी खबर, अतिक्रमणकारियों का संशोधन प्रार्थना पत्र निरस्त

वहीं अपने बीज वक्तव्य में इतिहासकार व पर्यावरणविद् डॉ. अजय रावत ने जल स्रोतों के संरक्षण में पौधरोपण की महत्ता, योजनाओं की विफलता में स्थानीय लोगों को उनकी जानकारी न दिए जाने तथा उत्तराखंड में जल संरक्षण की समृद्ध परंपरा होने की बात कही, तथा मानव, जीव-जंतुओं एवं पौधों के जीवन चक्र को एक साथ देखे जाने पर बल दिया। यह भी पढ़ें : 44 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर प्रो. कविदयाल को दी गई भावभीनी विदाई… कुमाऊं विवि ने घोषित किए कई परीक्षा परिणाम

इससे पूर्व कार्यक्रम समन्वयक डॉ. गिरीश रंजन तिवारी ने संगोष्ठी की विषयवस्तु रखते हुए बताया कि अमेरिका के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय, पेंसिलवेनिया विवि, कंसास विवि, वेंडरबिल्ट विवि, सैसली विवि मैडिसन, जर्सी सिटी बोर्ड, फोरसाइथ डिस्ट्रिक्ट काउंटी स्कूल, शैंडलर डिस्ट्रिक्ट स्कूल और हिंदी भाषा अकादमी आदि अत्यंत प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधि चार दिन तक नैनीताल की जलवायु, पारिस्थितिकी आदि का अध्ययन तथा संबंधित संस्थानों से वार्ता और विचार विमर्श कर पाठ्य सामग्री तैयार करेंगे जिसे अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों को उपलब्ध कराया जायगा। मुख्य अतिथि सरिता आर्य ने नगर के आधार बलियानाला के प्रति उठी चिंताओं पर कहा कि इसका कीलित करने व जाली लगाने की तकनीक से प्रस्ताव तैयार होने की जानकारी दी और इस संगोष्ठी के माध्यम से नैनीताल पर वैश्विक चर्चा होने पर आयोजकों का आभार जताया। यह भी पढ़ें : नैनीताल : पैराग्लाइडिंग के दौरान साल का तीसरा हादसा, गई एक सैलानी की जान

डीएसबी के परिसर निदेशक प्रो. एलएम जोशी ने कहा कि उत्तराखंड व भारत के समृद्ध पारंपरिक ज्ञान का जिक्र करते हुए प्रकृति के अत्यधिक दोहन के प्रति सचेत किया। कार्यक्रम में सह संयोजक डॉ. पूनम बिष्अ, अमेरिकी दल में शामिल संध्या भगत, फियौनौ रेले, मीना सरीन, मिलिंद रानाडे, पैट्रिक सब्बरवाल, आंडो गीज, रचना नाथ, अनुभूति काबरा एवं कुमाऊं विवि के प्रो. अतुल जोशी, प्रो. नीता बोरा, प्रो. चंद्रकला रावत, डॉ. लज्जा भट्ट, डॉ. लता पांडे व डॉ. रीतेश साह सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : हिमालयी पर्यावरण एवं चुनौतियां विषय पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय वेबीनार

-हिमालयी वर्गीकरण शास्त्री स्वर्गीय डा. पांगती को वेबीनार आयोजित कर दी श्रद्धांजलि
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 29 अगस्त 2021। कुमाऊं विश्वविद्यालय के मुख्यालय स्थित डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग में पूर्व प्रोफेसर तथा हिमालयी वर्गीकरण शास्त्री स्वर्गीय डा. यशपाल सिंह पांगती की तृतीय पुण्यतिथि पर डॉ. वाईपीएस पांगती रिसर्च फाउंडेशन सोसायटी द्वारा वेबीनार आयोजित कर और दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर स्वर्गीय पांगती की स्मृति में हिमालयी पर्यावरण एवं चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने कहा कि प्रो. वाईपीएस पांगती एक समर्पित प्राध्यापक तथा शोधार्थी रहे। कहा कि हिमालय विश्व की जैव विविधता को ‘हॉट स्पॉट’ है। यहा की 80 फीसद ग्रामीण आबादी औषधीय पौधो पर अपनी आजिविका के लिए निर्भर है। यह औषधीय पौधे राज्य में रोजगार के जरिए पलायन को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। संस्था के महासचिव प्रो. ललित तिवारी ने संचालन करते हुएं स्व प्रो. पांगती के जीवन वृत्त तथा पादप जगत में उनके द्वारा किये गए योगदान पर प्रकाश डाला। बताया कि कि उन्होंने 150 शोध पत्र, 12 पुस्तक लिखी तथा 40 शोधार्थियों ने उनके निर्देशन में शोध कार्य किये।

वन्य जीव संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक प्रो. जीएस रावत, सीएसआईआरएआईएचवीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार, आईसीएफआरई वुड सांइस संस्थान बैगलरू के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केके पांडे, एचआरडीआई गोपेश्वर के पूर्व निदेशक डॉ. एनसी साह, एचएफआरआई शिमला के निदेशक डॉ. एसएस सांमत आदि ने वेबीनार में विचार रखे। सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. बीएस कालाकोटी ने अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत व अभिनंदन तथा डॉ. नीलू लोधियाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबिनार में 143 प्रतिभागियों द्वारा पंजीकरण करवाया गया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कोरोना महामारी के उपरांत उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसरों पर हुई आनलाईन राष्ट्रीय संगोष्ठी

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 28 अगस्त 2021। कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के अर्थशास्त्र विभाग डीएसबी परिसर में कोरोना महामारी के उपरांत उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसरों पर आनलाईन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किय गयाा। संगोष्ठी का उद्घाटन कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केएन जोशी ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. भगवान सिंह बिष्ट ने प्राकृृतिक एवं मानवीय साधनों का सतत विकास के साथ उपयोग करते हुए स्वतः रोजगार सृृजन, ग्रामीण उद्यमिता आदि पर जोर देते हुए अपने विचार रखे। प्रो. केएन भट्ट ने पर्यावरणीय विकास के साथ रोजगार को जोड़ने और रोजगार के साथ ही पर्यावरण को भी संरक्षित रखने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि राज्य में कृृषि, पर्यटन व एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

प्रो. धनेश पांडे ने अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र को बढ़ावा देने, फल संरक्षण को बढ़ावा देने, विपणन पक्ष की कमियों को दूर करने, पर्यटन के नये आयामों को रोजगार के लिये खोजने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव व्यक्त किये। अध्यक्षता विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के संयोजक प्रो. पदम एस बिष्ट ने तथा संचालन डॉ. ऋचा गिनवाल व डॉ. सारिका वर्मा ने किया। संगोष्ठी को सफल बनाने में आयोजक सचिव डॉ. जितेन्द्र कुमार लोहनी, संगोष्ठी के समन्वयक प्रो. रजनीश पांडे, डॉ. नंदन बिष्ट, डॉ. ऋचा गिनवाल, डॉ. दलीप कुमार, डॉ. नवीन राम, कैलाश बिष्ट, रमेश पांडे आदि मौजूद रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार
‘नवीन समाचार’ विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी नैनीताल से ‘मन कही’ के रूप में जनवरी 2010 से इंटरननेट-वेब मीडिया पर सक्रिय, उत्तराखंड का सबसे पुराना ऑनलाइन पत्रकारिता में सक्रिय समूह है। यह उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त, अलेक्सा रैंकिंग के अनुसार उत्तराखंड के समाचार पोर्टलों में अग्रणी, गूगल सर्च पर उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ, भरोसेमंद समाचार पोर्टल के रूप में अग्रणी, समाचारों को नवीन दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने वाला ऑनलाइन समाचार पोर्टल भी है।
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