12 वर्षीय नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित के पुत्र को स्थानांतरण मामले में उच्च न्यायालय से नहीं मिली राहत

नवीन समाचार, नैनीताल, 15 मई 2025 (Son of Rape Accused did not get Relief by Court)। नैनीताल जनपद मुख्यालय में 12 वर्षीय नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म के आरोपित उस्मान के पुत्र, खटीमा में लोक निर्माण विभाग में अपर सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत रिजवान खान को टिहरी जनपद के घनसाली खंड में स्थानांतरित किये जाने के विरुद्ध दायर याचिका पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी है।
बिना कोई नोटिस दिये तथा बिना किसी वैध आधार के स्थानांतरण करने का आरोप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, रिजवान खान ने अपने स्थानांतरण आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि उन्हें बिना कोई नोटिस दिये तथा बिना किसी वैध आधार के 5 मई को प्रशासनिक कारणों से स्थानांतरित किया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने न्यायालय को बताया कि स्थानांतरण आदेश याचिकाकर्ता को मिलने से पहले ही कुछ हिंदूवादी संगठनों द्वारा सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिया गया, जिससे प्रतीत होता है कि यह निर्णय निष्पक्षता से नहीं लिया गया।
स्थानांतरण से पूर्व जांच आवश्यक, याचिकाकर्ता की उत्कृष्ट सेवाओं की गोपनीय आख्या प्रस्तुत
उत्तराखंड में स्थानांतरण को लेकर एक मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष गंभीर आपत्तियां दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा पारित स्थानांतरण आदेश उत्तराखंड स्थानांतरण अधिनियम, 2017 की नियमावली की अवहेलना करते हुए पारित किया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि अधिनियम की नियमावली के अनुसार, प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण करने से पूर्व संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध विधिवत जांच आवश्यक है, किंतु इस प्रकरण में किसी भी प्रकार की जांच नहीं की गई। अधिवक्ता ने यह प्रश्न भी उठाया कि यदि स्थानांतरण की कोई ठोस प्रशासनिक आवश्यकता है, तो उसका स्पष्ट उल्लेख आदेश में क्यों नहीं किया गया।
मनमाने आरोपों पर आधारित स्थानांतरण, गोपनीय आख्या में उत्कृष्ट सेवाओं का उल्लेख
अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि स्थानांतरण आदेश में यह आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता ने अपने कार्यों में लापरवाही बरती है तथा वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का अनुपालन न करते हुए सरकारी कार्यों का संचालन मनमाने ढंग से किया है, जबकि याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत गोपनीय आख्या में स्पष्ट रूप से उनकी सेवाओं को उत्कृष्ट बताया गया है।
पिता के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज होते ही लापरवाह कैसे हो गए याचिकाकर्ता?
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि उनके पिता के विरुद्ध एक आपराधिक मामला दर्ज होते ही अचानक याचिकाकर्ता पर कार्य के प्रति लापरवाही के आरोप लगा दिये गये, जबकि उन्हें आज तक किसी भी प्रकार का कारण बताओ नोटिस तक नहीं दिया गया।
फेसबुक पर घृणास्पद भाषणों से प्रभावित बताया स्थानांतरण आदेश
अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष यह भी कहा कि याचिकाकर्ता व उनके परिवार के विरुद्ध कुछ संगठनों द्वारा फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों पर घृणास्पद भाषण प्रसारित किए गये, जिन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। उन्हीं पोस्टों और कथनों के प्रभाव में आकर याचिकाकर्ता का स्थानांतरण किया गया है, जिससे प्रतीत होता है कि यह आदेश स्वतंत्र प्रशासनिक निर्णय न होकर बाहरी दवाबों व भावनात्मक प्रभावों से प्रेरित है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि स्थानांतरण के साथ-साथ अब उन्हें ऑनलाइन माध्यमों से प्रताड़ित किया जा रहा है, जो उनके मानसिक व सामाजिक अधिकारों के भी विरुद्ध है। न्यायालय ने याचिका को सुनवाई हेतु स्वीकार करते हुए मामले में उत्तराखंड शासन से उत्तर मांगा है।
प्रशासन ने बताया नियमानुसार किया स्थानांतरण
राज्य की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर तथा मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने न्यायालय को अवगत कराया कि याचिकाकर्ता का स्थानांतरण विभागीय नियमों के अंतर्गत किया गया है। न्यायालय ने याचिका पर फिलहाल कोई राहत नहीं देते हुए मामले की अगली सुनवाई सोमवार के लिए नियत कर दी है।
न्यायालय ने जताई सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर कड़ी नाराजगी (Son of Rape Accused did not get Relief by Court)
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र तथा न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायालय ने दुष्कर्म मामले में न्यायाधीशों व अधिवक्ताओं को सोशल मीडिया पर ट्रोल किये जाने को अत्यंत आपत्तिजनक बताते हुए इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। न्यायालय ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल को इस मामले की जांच कर आगामी सोमवार 19 मई तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। (Son of Rape Accused did not get Relief by Court)
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