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October 10, 2024

उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ कृषि पर्यटन ग्राम सूपी की सफलता की कहानी, अपार संभावनाएं और भविष्य की बड़ी चुनौतियाँ…

Soopi Village

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 20 सितंबर 2024 (Story of UKs Best Agro-Tourism Village Soopi-Ntl) । केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की ओर से ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड के चार गांवों को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर 27 सितंबर को नई दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इन चार गांवों में उत्तरकाशी जिले के जखोल गांव को साहसिक पर्यटन व हर्षिल गांव को वाइब्रेंट विलेज, पिथौरागढ़ जिले के सीमांत गुंजी गांव को वाइब्रेंट विलेज और नैनीताल जिले के सूपी गांव को कृषि पर्यटन के लिए सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार के लिए चुना गया है।

Supi Villageइस आलेख में हम नैनीताल जनपद के सूपी गांव के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। पुरस्कार के लिये चयनित अन्य सभी गांवों के सापेक्ष अल्पज्ञात सूपी गांव उत्तराखंड के कृषि और पर्यटन क्षेत्र में एक नया उदाहरण बनकर उभरा है। सूपी गांव अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था, कम पलायन और पर्यटन के क्षेत्र में किए गए नवाचारों के कारण यह उपलब्धि हासिल कर सका है। यह गांव न केवल अपने सुंदर प्राकृतिक दृश्यों, बल्कि समृद्ध कृषि, फल उत्पादन और स्वरोजगार के विभिन्न अवसरों के लिए नयी पहचान बना रहा है।

गांव का परिचय और भौगोलिक स्थिति (Story of UKs Best Agro-Tourism Village Soopi-Ntl)

सूपी गांव नैनीताल जनपद के रामगढ़ विकास खंड के अंतर्गत आता है और जनसंख्या की दृष्टि से गहना गांव के बाद विकासखंड का दूसरा सबसे बड़ा गांव है। यह कसियालेख और सतबुंगा के बीच नगाधिराज हिमालय पर्वत के दृश्यों के साथ स्थित है, और पर्यटन नगरी नैनीताल से मल्ला रामगढ़ के रास्ते मुक्तेश्वर को जाने वाली मुख्य सड़क पर लगभग 40 किमी दूर व मुक्तेश्वर से लगभग 10 किमी पहले, 10 किमी की लंबाई और 5 किमी चौड़ाई में, कोसी की सहायक नदी रामगाड़ की गहराई से लेकर पहाड़ के दूसरी ओर धारी विकास खंड की ओर भालूगाड़ जल प्रपात के उद्गम स्थान की ओर, पहाड़ के दोनों ओर फैला हुआ है और इसकी कुल जनसंख्या लगभग 3500 है।

यहाँ 1700 मतदाता हैं और गांव 11 वार्डों में बंटा हुआ है, जिनमें तल्ला सूपी, मल्ला सूपी, काफली और किरोड़ आदि तोक प्रमुख हैं। इस तरह दो नदियों कोसी व गौला के जलागम में और नदी की गहराई से पहाड़ के ऊंचाई तक इसका विस्तार होना यहां हर तरह की कृषि एवं फलों के उत्पादन में विविधता प्रदान करता है। गांव के निचले हिस्से में भी कसियालेख से सुनकिया होते हुए सतबूंगा के पाटा तोक तक जाने वाली एक अन्य सड़क भी गुजरती है।

गांव में ‘कुमाऊं वाणी’ नाम का एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन भी है जो ग्रामीणों को उन्नत एवं जैविक कृषि की जानकारियां देता है। गांव में एक इंटर कॉलेज, 4 प्राथमिक विद्यालय, 5 आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ साधन सहकारी समिति एवं कई महिला स्वयं सहायता समूह भी कार्यरत हैं। एक बड़े हिस्से में पेयजल की समस्या के साथ गांव में ‘पानी बचाओ अभियान’ भी चल रहा है, जिसके प्रमुख जन मैत्री संगठन के बच्ची सिंह बिष्ट को हाल में इन प्रयासों के लिये मुख्यमंत्री से पुरस्कार भी मिला है।

कृषि और बागवानी में विशेष योगदान

Story of UKs Best Agro-Tourism Village Soopi-Ntl Visit Nainital | Ramgarh Village | पहाड़ की फल पट्टी | Uttrakhand | Apple  Villageसूपी गांव की विशेष पहचान इसकी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से है। यहां आलू, गोभी, मिर्च, सेब, आड़ू, पुलम, खुमानी जैसी मौसमी सब्जियां और फल बड़े पैमाने पर परंपरागत तौर पर उगाए जाते हैं। रामगढ़ को फल पट्टी कहा जाता है, जिसमें सूपी गांव की भी बड़ी भूमिका है। यहां फल-सब्जियों व जड़ी-बूटियों के जैविक उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। फलों की पुरानी प्रजातियां जरूर विलुप्त होती जा रही हैं, लेकिन हिमाचली प्रजाति के उच्च तापमान में पैदा होने वाले सेबों के बगीचे यहां विकसित हो रहे हैं, और इन्हें और अधिक विकसित किये जाने की भी यहां अपार संभावनाएं हैं, जिससे गांव की कृषि और उन्नत हो रही है।

यहां प्रतिवर्ष 4 लाख किलोग्राम सेब, आड़ू तथा ककड़िया व जागनैल प्रजाति की नाशपाती का उत्पादन मार्च से अगस्त के बीच होता है। लेकिन गांव में कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण किसानों को अपने फल कम कीमतों पर बेचने पड़ता है। बड़ी मंडियों तक पहुंच न होने के कारण स्थानीय बाजार की अनुपस्थिति एक बड़ी चुनौती है, जिसके चलते गांव के उत्पादकों को अपने फल हल्द्वानी की मंडियों तक या सरकार को भी 8 से 10 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव तक बेचने पड़ते हैं।

सैलानी आते हैं तो नहीं मिल पाते यहां फल

इस समस्या का एक पहलू यह भी है कि कृषि पर्यटन के लिए सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार मिलने के बाद यदि सैलानी यहां आते हैं तो वह यहां, यहां के ताजा स्थानीय फल न मिलने की समस्या बता सकते हैं। कारण स्थानीय काश्तकार फलों को स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि हल्द्वानी की मंडी भेज देते हैं। ऐसे में सैलानियों को बच्चों से उनके द्वारा उठाये गये पेड़ों से गिरे हुए दोयम दर्जे के फल लेने पड़ते हैं। समाधान के लिए गांव में बड़े कोल्ड स्टोरेज और स्थानीय बाजार स्थापित किये जाने की आवश्यकता है।

पर्यटन और स्वरोजगार के क्षेत्र में प्रगति

सूपी गांव में बाहर के लोग बड़े स्तर पर अपने लिए कोठियां और होमस्टे बना रहे हैं। यह भी हो रहा है कि सड़क से दूर स्थित गांव के लोग अपने घरों को छोड़ सड़क किनारे बस रहे हैं और कई बाहरी लोग उनके घरों को खरीदकर या लीज पर लेकर उन पर मिट्टी की लिपाई और पारंपरिक शैली के दर्शाकर उन्हें होम स्टे में बदल रहे हैं।

वास्तविकता है कि स्थानीय लोगों को सरकार की होम स्टे योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, बल्कि वह बाहरी लोगों के होम स्टे नौकरी करते हुए चला रहे हैं। बहरहाल, अपनी विविधतापूर्ण कृषि और समय के साथ कदमताल करते हुए फलों की पुरानी प्रजातियों को छोड़ नयी प्रजातियों को अपना रहे स्थानीय काश्तकार नौकरी का मार्ग चुने बिना स्वरोजगार के साथ अच्छी प्रगति कर रहे हैं और अच्छी आर्थिक स्थिति में हैं।

विकास की दिशा में उठते कदम

गांव में जल-जीवन मिशन के तहत पेयजल की समस्या के समाधान के लिए परियोजना तैयार की जा रही है। गांव में वर्षा जल संग्रहण के लिये पेयजल टैंक भी बन रहे हैं, जिससे पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही, सिंचाई की कोई विशेष योजना नहीं होने के बावजूद पंपिंग योजना से इस क्षेत्र में खेती को सहयोग मिल रहा है।

भविष्य की चुनौतियां और अवसर

क्षेत्र के क्षेत्र के भाजपा नेता मनोज साह एवं सामाजिक कार्यकर्ता गांव शेर सिंह मेहता कहते हैं कि सूपी गांव और यहां के लोग तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे गांव का पारंपरिक स्वरूप खोने का खतरा है। बाहरी लोग गांव की जमीनें खरीद रहे हैं, खासकर हिमालय के दृश्यों वाली सभी जमीनें बाहरी लोगों के प्रलोभनों से कमोबेश बिक चुकी हैं। इससे ग्रामीणों के हक-हुकूकों, पानी व पारंपरिक रास्तों पर भी असर पड़ रहा है। कुल मिलाकर सूपी गांव अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था, पर्यटन और स्वरोजगार के माध्यम से एक आदर्श गांव के रूप में उभर रहा है। (Story of UKs Best Agro-Tourism Village Soopi-Ntl, Uttarakhand News, Nainital News, Village Tourism, Success story of Soupi Village)

हालाँकि कोल्ड स्टोरेज और स्थानीय बाजार की कमी जैसी चुनौतियाँ हैं, लेकिन गांव के लोगों की मेहनत और सरकार की योजनाओं से यह गांव भविष्य में और भी बेहतर बन सकता है। गांव के प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को संरक्षित करने के लिये सरकार की ओर से यहां की कृषि व बागवानी को और अधिक प्रोत्साहन देने के लिये यहां स्थानीय मंडी व बड़े कोल्ड स्टोर बनाने की जरूरत है, ताकि गांव की समृद्धि और रोजगार के अवसरों में और वृद्धि हो सके। (Story of UKs Best Agro-Tourism Village Soopi-Ntl, Uttarakhand News, Nainital News, Village Tourism, Success story of Soupi Village)

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