March 28, 2024

तीरथ ने अपनी वाई श्रेणी की सुरक्षा वापस लौटाने की पेशकश की, अपने इस्तीफे, कुंभ व 2022 में भाजपा की संभावनाओं पर खुल कर बोले

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नवीन समाचार, नैनीताल, 7 अगस्त 2021। पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपनी वाई श्रेणी की सुरक्षा को हटाने का आग्रह किया है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखा है। पत्र में तीरथ ने लिखा है कि धामी जी, पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा की दृष्टि से मुझे वाई श्रेणी की सुरक्षा दी जा रही है। मुझे लगाता है कि देवभूमि में इसकी आवश्यकता नहीं है। लिहाजा उन्हें दी जा रही सुरक्षा वापस ले ली जाए।

इधर तीरथ ने अपने कार्यकाल, अपने इस्तीफा देने के कारण आदि पर भी खुल कर बोला है। एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में तीरथ ने कहा है कि किसी ने उनसे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा था। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से सलाह मशविरा करने के बाद उन्होंने खुद ही संवैधानिक कानूनी संकट से बचने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया था।

मुख्यमंत्री बनते ही आए उनके सुर्खियों में रहे बयानों पर उन्होंने कहा, उनके सभी बयान, संदर्भ से बाहर किए गए थे। कुछ लोगों ने साजिश के तहत एक सुनियोजित रणनीति के तहत उन्हें इस दौरान जारी कर दिया था। उन्होंने एक वैचारिक पृष्ठभूमि से होने के नाते अपने मन की बात की थी, लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें संपादित जोड़-तोड़ कर मनभ्रम पैदा कर दिया था। कोरोना के प्रकोप के बावजूद कुंभ आयोजित किए जाने पर उन्होंने सफाई दी कि कुंभ 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता था। मुख्यमंत्री के रूप में दूसरे दिन ही उन्होंने कुंभ को बड़े पैमाने पर आयोजित करने का निर्णय लिया था। क्योंकि यह लोगों की आस्था भावना का मामला है। बाद में, प्रधानमंत्री की अपील पर, अखाड़े के प्रमुखों ने अंतिम शाही स्नान में भाग नहीं लिया। लोगों की भावना को ठेस पहुंचाने के लिए कुंभ के खिलाफ माहौल बनाया गया था, जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सभी कोविड प्रोटोकॉल एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) का पालन करते हुए आयोजित किया गया था।

उन्होंने कहा, जो लोग दूसरी लहर के फैलने के लिए कुंभ को जिम्मेदार ठहरा रहे थे, क्या वे बता सकते हैं कि क्या केरल, महाराष्ट्र दिल्ली में कोई कुंभ आयोजित हुआ था, जहां से कोविड की शुरूआत हुई थी? हरिद्वार कभी भी कुंभ के दौरान शीर्ष तीन संक्रमित जिलों, या दूसरी लहर के चरम पर या अब भी दैनिक मामलों की गिनती के मामले में नहीं रहा है। जो लोग हिंदू व हिंदुत्व के खिलाफ हैं, उन्होंने कुंभ के खिलाफ माहौल प्रचार किया। उन्होंने कहा, कोई केरल से सवाल क्यों नहीं कर रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बकरीद त्योहार के लिए छूट की अनुमति देने के लिए कुल दैनिक मामलों की संख्या का 50 प्रतिशत से ज्यादा रिपोर्ट कर रहा है। कुंभ को दोष देना महामारी के दौरान केरल के तुष्टिकरण के मॉडल के बारे में कुछ नहीं कहना,इन लोगों की हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की संभावनाओं पर उन्होंने कहा, उत्तराखंड समेत सभी राज्यों में भाजपा दो-तिहाई बहुमत से जीतेगी। इसका एकमात्र कारण नरेंद्र मोदी का विकास मॉडल है। 2014 से प्रधानमंत्री मोदी ने आम आदमी को विकास से जोड़ा है उत्तराखंड विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंच गया है।

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा पर उन्होंने कहा, लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि वह (केजरीवाल) दिल्ली में अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में क्या कहेंगे। उनका बहुप्रचारित दिल्ली मॉडल विफल हो गया है कोविड की पहली लहर के दौरान उजागर हो गया था जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना पड़ा था। महामारी के दौरान केजरीवाल के विश्व स्तरीय मोहल्ला क्लीनिक विफल रहा, जबकि उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने घर-घर क्लिनिक बनाकर घर-घर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की। जहां वह हर जगह मुफ्त बिजली देने का वादा कर रहे हैं, वहीं दिल्ली में लोगों के बढ़े हुए बिल आ रहे हैं। जहां केजरीवाल ने लोगों को गुमराह किया, वहीं भाजपा ने जो कहा वह किया। उत्तराखंड के लोग अलग प्रकृति के हैं, वे राष्ट्रवादी हैं मोदी के साथ हैं। केजरीवाल के झूठे वादों से जनता गुमराह नहीं है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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-उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से आपत्ति पेश करने और याचिकाकर्ता से ठोस सबूत पेश करने को कहा
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 14 जुलाई 2021। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकारों द्वारा भूमि क्रय करने के बाद वहां सरकारी धन से पुल बनाये जाने की शिकायत करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से अपनी आपत्ति तीन सप्ताह में पेश करने को कहा है। मामले में पीठ ने याचिकाकर्ता से भी अन्य ठोस सबूत पेश करने को कहा है।

मामले के अनुसार एक चैनल के पूर्व संपादक उमेश कुमार शर्मा ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के पूर्व सलाहकार धीरेंद्र पवार और रमेश भट्ट ने कुर्सी का प्रभाव दिखाकर देहरादून में 45 बीघा से अधिक जमीन कौड़ियो के दामों में खरीद ली है। और बाद में बंजर भूमि में आवादी दिखाकर वहां सरकारी धन से नदी पार करने के लिए भारी भरकम पुल बनवा दिया है। इस तरह उनके द्वारा सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है, इसकी जाँच कराई जाए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : बेतुके बयानों-अनिर्णयों के लिए याद किया जाएगा तीरथ का कार्यकाल…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 03 जुलाई 2021। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने आखिर शुक्रवार रात्रि करीब साढ़े 11 बजे इस्तीफा दे दिया। शनिवार सुबह 12 बजकर पांच मिनट पर प्रदेश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। इससे पहले रात्रि साढे़ नौ बजे बुलाई गई पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री रावत ने अपने इस्तीफे के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। पत्रकारों के इस संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब भी नहीं दिया। अपने इस्तीफे पर सोशल मीडिया पर भी चुप्पी साधे रहे।

इससे पहले मुख्यमंत्री बनते ही तीरथ सिंह रावत अपने बेतुके बयानों के लिए चर्चाओं में रहे। फटी जींस संबंधी बयान पर पिटी भद्द पर हालांकि उन्हें कुछ समर्थन भी मिला, लेकिन जब उनके बयानों से उनके ऐतिहासिक तथ्यों व सामान्य ज्ञान से परदा हटा तो इसके बाद उन्होंने बयान न देने में ही भलाई समझी। कुंभ मेले को पहले भव्य तरीके से कराने के बयान, फिर कोविड के खतरनाक तरीके से फैलने के बीच कुंभ के आयोजन, पिछली त्रिवेंद्र रावत सरकार के दायित्वधारियों व करीबी नौकरशाहों को अपनी टीम से हटाने, अपनी सरकार के 100 दिनों के कार्यकाल को अपनी ही पार्टी की पिछली सरकार के कार्यकाल से अलग करके दिखाने, विधायकों के साथ दोस्ताना संबंध न बना पाने, लॉक डाउन में सबसे पहले शराब की दुकानों को खुलने की छूट देने, बाजारों को खोलने पर पहले झिझक दिखाने और फिर व्यापारियों के दबाव में आ जाने, रोडवेज कर्मियों के वेतन एवं चार धाम यात्रा के मामलों में उच्च न्यायालय में कमजोर पैरवी और उच्च न्यायालय के कड़े रुख के बावजूद चार धाम यात्रा कराने पर उतारू होने जैसे कई निर्णयों में उनकी निर्णय लेने में झिझक व गलतियां साफ दिखीं।

वहीं सबसे बड़ा गलत निर्णय उन्होंने खुद अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर सल्ट उपचुनाव न लड़ने का लिया। यदि वह यह चुनाव लड़ और जीत चुके होते तो आज उन पर पद छोड़ने का संवैधानिक संकट न आया होता। इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बड़े अंतर से चुनाव जीते। इस चुनाव को लड़कर तीरथ ‘फ्रंट फुट’ पर आगे बढ़कर खेलने व जुझारू तथा अपनी टीम को खुद आगे बढ़कर लीड करने का संकेत दे सकते थे, जैसा आम आदमी पार्टी के कर्नल कोठियाल ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की पेशकश करके दिया है। कोठियाल जानते हैं कि यदि गंगोत्री से उपचुनाव होता तो भाजपा के तीरथ एवं कांग्रेस के पूर्व मंत्री विजयपाल सजवाण के होते उनकी राह आसान नहीं है, फिर भी उन्होंने यह दांव चला।
इधर, राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुने जाने के लिए आज शनिवार दोपहर तीन बजे भाजपा मुख्यालय में विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक करेंगे जबकि केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा महासचिव व उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम मौजूद रहेंगे। पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दे दी गई है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने की इस्तीफे की पेशकश, राज्यपाल से मांगा मिलने के लिए समय !

नवीन समाचार, देहरादून, 02 जुलाई 2021। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत रात्रि नौ बजे तक इस्तीफा दे सकते हैं। इसके पीछे संवैधानिक बाध्यता का तर्क दिया जा रहा है। सूत्रों के हवाले से आई खबरों के अनुसार तीरथ सिंह रावत भी राज्य के उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हो रहे हैं, जो पांच वर्ष या अपना बचा कार्यकाल पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उल्लेखनीय है एनडी तिवारी के अलावा राज्य का कोई भी और खासकर भाजपा का एक भी मुख्यमंत्री पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री रावत दिल्ली से देहरादून पहुंचने वाले हैं। उन्होंने प्रदेश की राज्यपाल से मिलने के लिए समय भी मांग लिया है। रात्रि नौ बजे तक वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। उनके रात्रि में इस्तीफा देने के बाद देहरादून में पत्रकार वार्ता करने की भी खबर है। इसके बाद विधायक दल की बैठक कल यानी शनिवार को देहरादून में हो सकती है। इस बैठक में शामिल होने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर देहरादून आ सकते हैं। साथ ही विधायक दल की बैठक कल हो सकती है। इसके बाद विधायक दल की बैठक कल यानी शनिवार को देहरादून में हो सकती है। इस बैठक में शामिल होने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर देहरादून आ सकते हैं। 

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इधर सूत्रों के हवाले से आई खबरों के अनुसार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने संवैधानिक समस्या का हवाला देकर तीरथ सिंह रावत से इस्तीफा देने के लिए कहा है। वहीं श्री रावत ने भी मुख्यमंत्री पद त्याग करने की पेशकश कर दी है। यदि ऐसा होता है तो यह भी तय है कि राज्य के अगला मुख्यमंत्री राज्य का कोई मौजूदा भाजपा विधायक ही होगा और उसका फैसला शीर्ष नेतृत्व द्वारा विधायक दल की बैठक में लिया जाएगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र दिया है कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं। मुख्‍यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पत्र में कहा हैं कि आर्टिकल 164-ए के हिसाब से उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद छह माह में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन आर्टिकल 151 कहता हैं अगर विधान सभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता हैं तों वहां पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं।

उल्लेखनीय है कि कि तीरथ सिंह रावत शीर्ष नेतृत्व द्वारा बुलाए जाने के बाद पिछले तीन दिनों से दिल्ली में हैं। इस दौरान उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से दो बार मुलाकात की है। उन्होंने पौड़ी से लोकसभा सांसद रहते इसी वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। अपने पद पर बने रहने के लिए उन्हें 10 सितम्बर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होने की संवैधानिक बाध्यता है। लेकिन इस बीच सल्ट विधानसभा का उप चुनाव लड़ने से वह चूक गए और राज्य की खाली पड़ी गंगोत्री व हल्द्वानी सीटों का कार्यकाल आगामी फरवरी-मार्च में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए एक वर्ष से कम बचा होने के कारण चुनाव आयोग उप चुनाव कराने को तैयार नहीं है। यह भी समस्या है कि यदि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तीरथ सिंह रावत के लिए चुनाव आयोग को उप चुनाव कराने को कहता है, तो इसके साथ देश के अन्य राज्यों में रिक्त पड़ी सीटों में भी उप चुनाव कराने होंगे, जिसके लिए पार्टी अभी तैयार नहीं बताई जा रही है।
इधर पिछले कुछ दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बदले सुर और सक्रियता भी कुछ-कुछ इशारा कर रही है कि वह फिर से राज्य की बागडोर थामने के लिए अपना दावा पेश कर सकते हैं। यदि शीर्ष नेतृत्व उनके नाम पर फैसला लेता है तो एक तरह से यह भाजपा की पूर्व सरकार में खंडूड़ी के बाद निशंक और वापस खंडूड़ी के लौटने जैसी पुनरावृत्ति हो सकती है। हालांकि कई अन्य विधायक भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल होने तय हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद ‘फ्रंट फुट पर बैटिंग’ करने निकले सीएम तीरथ सिंह रावत, कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों पर दिया जवाब…

नवीन समाचार, देहरादून, 24 जून 2021। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की कोरोना की तीसरी लहर के दृष्टिकोण एक दिन पूर्व राज्य सरकार व सरकार की नौकरशाही पर की गई तल्ख टिप्पणियों के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री ‘फ्रंट फुट पर बैटिंग’ करने आ गए लगते हैं। उच्च न्यायालय की टिप्पणियों के बाद सरकार के कोरोना के दृष्टिगत तैयारियों के साथ ही कार्यशैली पर उठे सवालों पर मुख्यमंत्री रावत ने खम ठोक कर कहा कि राज्य सरकार कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यहां तक कह दिया कि कोविड की तीसरी लहर को देखते हुए मुख्यमंत्री आवास को भी कोरोना के इलाज के लिए तैयार करने जा रहे हैं। यानी वह मुख्यमंत्री आवास भी कोरोना की तीसरे लहर से लड़ने के लिए दे देंगे। मुख्यमंत्री रावत ने कहा, राज्य सरकार कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए हमारी सरकार ने इतनी तैयारियां कर ली हैं कि इस पर काबू पाने में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी। मैं अपना मुख्यमंत्री आवास भी कोविड के लिए तैयार करने जा रहा हूँ। जनता जनार्दन की सेवा के लिए जो भी त्याग संभव हो, उसे मैं निश्चित तौर पर करूँगा।’

मुख्यमंत्री रावत ने यह बाद बृहस्पतिवार को वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन का शुभारंभ करने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि कोविड की दूसरी लहर के बारे में किसी को पता नहीं था कि इतनी तेजी से लोग संक्रमित होंगे, इसके बावजूद हमने व्यवस्थाएं कीं। उस दौरान वह सभी 13 जिलों में गए और पीड़ितों के दर्द को समझा, जब लोग अपने ही लोगों के पास जाने से डर रहे थे। तीसरी लहर के लिए राज्य में किसी को डरने या शंका की जरूरत नहीं है। किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी।सरकार पूरी तरह से कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए भी तैयार है। उन्होंने बताया कि आईडीपीएल ऋषिकेश, एम्स व एसटीएच हल्द्वानी आदि अस्पतालों में बच्चों के साथ ही उनके माता पिता के लिए भी व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री आवास को भी कोविड के इलाज के लिए तैयार करने जा रहे हैं। हर जिले में डीएम और सीएमओ को कहा गया है कि दो से तीन होटलों को इसके लिए तैयार रखें। वहीं उप चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री के साथ ही सांसद भी हैं। उन्हें चुनाव लड़ना है। इस पर पार्टी को निर्णय लेना है। उन्हें अब तक पार्टी नेतृत्व ने जो जिम्मेदारी दी है उसे वह निभाते आए हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड एक और संवैधानिक संकट की ओर ? मुख्यमंत्री रावत के लिए विधानसभा का सदस्य बने रहने पर संकट…!

नवीन समाचार, देहरादून, 20 जून 2021। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के शेष बचे पूरे कार्यकाल तक पद पर बने रहने पर संशय व संकट गहरा गया है। मुख्यमंत्री रावत को पद पर बने रहने के लिए कानूनी प्राविधानों के तहत आगामी 10 सितम्बर से पहले विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी है, जबकि केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने कोविड की परिस्थितयों को देखते हुए राज्य में विधानसभा का उपचुनाव कराने की संभावना से इंकार कर दिया है। साथ ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151 (क) के तहत भी किसी रिक्त विधानसभा का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के कारण उपचुनाव नहीं हो सकता। ऐसे में 22 अप्रैल 2021 को भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन से खाली हुई गंगोत्री सीट और इधर 13 जून को दिवंगत हुई हल्द्वानी विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं हो सकता है। क्योंकि 23 मार्च 2022 तक के लिए गठित मौजूदा विधानसभा के लिए इन दोनों विधानसभाओं के रिक्त रहने का समय एक वर्ष से कम बचा रह गया था। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रावत के पास सल्ट सीट से चुनाव लड़ने का विकल्प था, परंतु उन्होंने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा। ऐसे में आगामी 10 सितंबर के बाद या तो मुख्यमंत्री को त्यागपत्र देकर राज्य विधानसभा के किसी विधायक को कुर्सी सोंपनी अथवा कोई संवैधानिक विकल्प तलाशना होगा। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन का विकल्प भी लागू किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत विधायक न होते हुये भी गत 5 मई को बिना चुनाव जीते ही संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के प्रावधानों के तहत मुख्यमंत्री बने हैं। इसी उपधारा में यह प्रावधान भी है कि अगर निरंतर 6 माह के अंदर गैर सदस्य मंत्री विधायिका की सदस्यता ग्रहण नहीं कर पाए तो उस अवधि के बाद वह मंत्री नहीं रह पाएगा। यही प्रावधान अनुच्छेद 75 (5) में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के लिए भी है। इस अनुच्छेद के प्रावधानों के तहत मुख्यमंत्री रावत को 6 महीने के अन्दर विधायिका की सदस्यता भी हासिल करनी है जिसकी अवधि 9 सितम्बर 2021 को पूरी हो रही है। इसके लिये उन्हें उपचुनाव जीतना जरूरी है। केन्द्रीय चुनाव आयोग की 5 मई को जारी विज्ञप्ति में कोराना महामारी का संकट टलने तक उप चुनाव टालने की स्पष्ट घोषणा की गई है।

यह है कानूनी स्थिति
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2001 में पंजाब की तत्कालीन मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल ने तेज प्रकाश सिंह को बिना चुनाव जीते मंत्री बना दिया था। इस मामले में एसआर चौधरी बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य मामले में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एएस आनन्द की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने 17 अगस्त 2001 को दिए फैसले में स्पष्ट किया है कि विधानसभा के एक ही कार्यकाल में किसी गैर विधायक को दूसरी बार 6 माह तक के लिए मंत्री नियुक्त नहीं किया जा सकता है। इससे पूर्व जगन्नाथ मिश्र बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में भी लगभग ऐसा ही फैसला आया था। इसके अलावा बीआर कपूर बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में भी स्पष्ट कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित हो चुका हो तो उसे भी मंत्री या मुख्यमंत्री नियुक्त नहीं किया जा सकता। इसीलिए जयललिता पुनः मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : अब मुख्यमंत्री सचिवालय से अधिकारियों की टीम त्रिवेंद्र भी बाहर

नवीन समाचार, देहरादून, 19 मार्च 2021। तीरथ सरकार ने शुक्रवार को पिछली त्रिवेंद्र सरकार के समय मुख्यमंत्री सचिवालय के कई मजबूत चेहरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। सीएम सचिवालय से अधिकतर पुराने सचिव, प्रभारी सचिव, अपर सचिव हटा दिए गए हैं। सीएम सचिवालय का सबसे मजबूत चेहरा रहीं आईएएस राधिका झा से सचिव सीएम की जिम्मेदारी हटा दी गई है। उनके पास अब सचिव ऊर्जा, वैकल्पिक ऊर्जा और स्थानिक आयुक्त दिल्ली की जिम्मेदारी शेष रह गई है। इसी तरह आईएएस डा. नीरज खैरवाल से भी प्रभारी सचिव सीएम का दायित्व हटाया गया है। उनके पास अब प्रभारी सचिव ऊर्जा, एमडी यूपीसीएल, एमडी पिटकुल की जिम्मेदारी रह गई है। अपर सचिव सीएम डा. मेहरबान सिंह बिष्ट एवं सुरेश जोशी से भी पदभार हटा लिया गया है। वहीं नए चेहरे के रूप में प्रभारी सचिव सुरेंद्र नारायण पांडे की इंट्री हुई है। जबकि अपर सचिव पर्यटन, धर्मस्व, चिकित्सा स्वास्थ्य, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पर्यटन विकास परिषद सोनिका को अपर सचिव सीएम का अतिरिक्त दायित्व दिया गया है। उनके पास अपर सचिव समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, निदेशक जनजाति निदेशालय, निदेशक मदरसा शिक्षा परिषद, निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण, एमडी अल्पसंख्यक कल्याण निगम का दायित्व बना रहेगा।

यह भी पढ़ें : तीरथ सरकार ने की प्रवक्ता की नियुक्ति

नवीन समाचार, देहरादून, 18 मार्च 2021। प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार के प्रवक्ता की जिम्मेदारी काबीना मंत्री सुबोध उनियाल को सोंप दी है। उल्लेखनीय है कि यह जिम्मेदारी त्रिवेंद्र सरकार में मदन कौशिक को थी, जिन्हें तीरथ सरकार में जगह नहीं मिली है, अलबत्ता उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। सुबोध की नियुक्ति करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा है कि जनता व सरकार के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से सुबोध उनियाल को यह जिम्मेदारी दी गई हैं साथ ही उम्मीद जताई है कि वह नई जिम्मेदारी का भलीभांति निर्वहन करेंगे। गौरतलब है कि तीरथ सरकार में यह जिम्मेदारी पूर्व में कांग्रेस से आए नेता को सोंपी गई है।

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मंत्रियों को बांटे विभाग

नवीन समाचार, देहरादून, 16 मार्च 2021। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मंत्रियों को पोर्टफोलियो बांट दिए हैं। पुराने मंत्रियों में लगभग सभी विभाग वही है। 4 नए मंत्रियों में बंशीधर भगत को विधायी एवं संसदीय कार्य खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले सबसे महत्वपूर्ण शहरी विकास आवास सूचना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्रालय दिया गया है। देखें किसे मिला कौन सा विभाग इस ट्वीट पर :

सीएम तीरथ ने करीब डेढ़ दर्जन विभाग अपने पास रखे हैं। सीएम तीरथ गृह, वित्त, ऊर्जा, लोनिवि, तकनीकी शिक्षा, राजस्व, चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, आबकारी जैसे भारी-भरकम विभाग अपने पास रखे हैं। वहीँ त्रिवेंद्र सरकार में रहे कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल, सतपाल महाराज, डॉ. हरक सिंह रावत, राज्यमंत्री (सभी स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत और रेखा आर्य के विभागों में कोई फेरबदल नहीं किया है। जबकि नये मंत्री बने भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत को शहरी विकास, नागरिक आपूर्ति,आवास विभाग आदि जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिया गया है। वहीँ डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल को पेयजल, ग्रामीण निर्माण और जनगणना, सैनिक पृष्ठभूमि वाले मसूरी विधायक  कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को सैनिक कल्याण, खादी एवं औद्योगिक विकास की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि सरकार में पहली बार मंत्री का पद संभाल रहे राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरिद्वार ग्रामीण के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद को गन्ना विकास, चीनी उद्योग, भाषा आदि विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।

यह भी पढ़ें : किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने, मगर कोई चेहरा कभी तुम (अधिकारियों) ने पढ़ा है ? : तीरथ

नवीन समाचार, देहरादून, 15 मार्च 2021। उत्तराखंड मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के दौर में नई राजनीतिक करवट लेता नजर आ रहा है। राज्य में राजनीति का तरीका बदलता नजर आ रहा है। पिछले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दौर में जहां एक के बाद एक ऐसे फैसले लिए जा रहे थे जो जनता को पसंद नहीं आ रहे थे। वही अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ऐसे संदेश दे रहे हैं कि उनकी सरकार लोकलुभावन फैसले लेगी। चाहे नियमों के अनुसार वह उपयुक्त ना हों।
तीरथ ने सोमवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, मैंने अफसरों को साफ कह दिया है कि तुम किताब पढ़ो, मैं जनता के चेहरे पढूंगा। मुझे काम चाहिए, परिणाम चाहिए। वक्त कम है और चुनौती बड़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अफसरों को ताकीद कर दिया है कि कोरोना में 4500 मुकदमे वापस होंगे और कुंभ में कोई रोक-टोक नहीं होगी। उनके इस निर्णय से अच्छा संदेश गया है और बड़ी संख्या में लोग कुंभ में आए हैं। अखाड़ों में भी खुशी है। उन्होंने कहा कि मैंने विकास प्राधिकरण पर रोक लगा दी। इन प्राधिकरणों में तदर्थ पर लगे जेई एई माल बनाये जा रहे थे। इनकी प्लाट और कोठियां खड़ी हो गईं और जनता परेशान थी।
उन्होंने कहा कि चारधाम की बैठक लेकर आ रहा हूं। मैंने अफसरों को साफ कर दिया कि ये किताबें किनारे रखो, हमें काम चाहिए। तुम किताब पढ़ो, हम जनता के चेहरे पढ़ेंगे। मैंने कहा है कि 2022 तक हर घर में नल और हर नल में पानी होना चाहिए। हमारी सरकार ने एक रुपये में कनेक्शन देने का काम किया। चार वर्ष खूब काम हुए। कार्यकर्ताओं को इन कामों को जनता के बीच ले जाने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। तीरथ ने पुराने कार्यकर्ताओं के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि तब गिनती के लोग थे, जिनके परिश्रम से हम यहां तक पहुंचे। तीरथ ने कहा कि बुरा मत मानना। जिन गिनती के लोगों से पार्टी यहां तक पहुंची वो पीछे हैं, जो आज आए, वो आगे हैं। हमें यह भ्रम नहीं पालना चाहिए। मैं ही यहां पर हूं। पीछे जो बैठा है कब आगे आ जाए, पता ही नहीं चलता। ये कुर्सी कार्यकर्ताओं की कुर्सी है। उनकी बदौलत मिली है। लेकिन आज उन कार्यकर्ताओं को पूछते नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। कार्यकर्ता के परिश्रम के बल पर हम लोग जीतते हैं। इस कुर्सी पर बैठते हैं। किसी के मन में यह भाव नहीं आना चाहिए कि मैं अपने बल पर कुर्सी पर बैठा हूं। मुख्यमंत्री हों, मंत्री हों, कोई भी हों, सबसे आगे कार्यकर्ता हैं। उन्होंने रैली की सफलता श्रेय कार्यकर्ताओं को दिया। उन्होंने कहा कि मैं कहूं कि ये मेरे कारण हुआ तो मुझे यह भ्रम नहीं पालना चाहिए। भ्रम पैदा हो गया तो शायद मेरा भी..। उन्होंने तंज किया कि दूसरे दलों में सात किमी रैली होती तो आखिर में दूल्हा-दूल्हा रह जाता। इस दौरान उन्होंने अपने करीब एक घंटे के संबोधन में कार्यकर्ताओं की खूब वाहवाही बटोरी। तीरथ ने कहा कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि यहां तक पहुंचूंगा। यह भाजपा में ही मुमकिन है। मैं तो एक माध्यम हूं, ये कुर्सी कार्यकर्ताओं की है। रैली में जुटी भीड़ कार्यकर्ताओं के दम पर है। मुझे यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि यह सब कुछ मेरी बदौलत है।

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नवीन समाचार, देहरादून, 14 मार्च 2021। उत्तराखंड में शुक्रवार को तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल का विस्तार होने के बाद अब विभागों के बंटवारे की चर्चाएं तेज हो गई हैं। बीती शाम मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सभी मंत्रियों से एक-एक कर इस बारे में बातचीत भी की। माना जा रहा है कि जल्द ही सभी मंत्रियों को विभाग दे दिए जाएंगे। मंत्रियों ने भी मुख्यमंत्री को अपने दिल की बात बताई है और अपनी पसंद के विभाग मांगे हैं। मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने पत्रकारों को बताया कि सभी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से बात की है। सभी ने अपने हिसाब से विभागों की मांग भी की है।उन्होंने कहा कि मैंने भी मुख्यमंत्री से कहा है कि उनके पास जो पूर्व सरकार में विभाग रहे हैं, वो ही दिए जाएं. बता दें कि बिशन सिंह चुफाल के पास इससे पहले वन एवं पर्यावरण, पंचायती राज, सहकारिता और ग्रामीण विकास विभाग थे, उनकी तरफ से इन्हीं की मांग की गई है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़कर कैबिनेट में आए बंशीधर भाजपा की पूर्व की सरकारों में वन, कृषि, उद्यान, पशुपालन जैसे विभाग देख चुके हैं। तो, बिशन सिंह चुफाल को सहकारिता का विशेषज्ञ माना जाता है। वर्ष 2007 के मंत्री कार्यकाल में सहकारिता विभाग उन्हीं के पास था। दूसरी तरफ, मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल हुए मंत्रियों में भी विभागीय बंटवारा असमान था। सुबोध उनियाल पसंद न होने के बावजूद कृषि-उद्यान विभाग को देख रहे थे। जबकि हरक के पास भी वन-पर्यावरण, श्रम विभाग ही बड़े विभाग रहे हैं।  उधर, सीएम तीरथ रावत भी अपने पास ज्यादा विभाग रखने के मूड में नहीं हैं। 

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 12 मार्च 2021। प्रदेश में एक टीएसआर-त्रिवेंद्र सिंह रावत से दूसरे टीएसआर यानी तीरथ सिंह रावत को सत्ता हस्तांतरण हो चुका है। ऐसे में यह देखना जरूरी हो जाता है कि तीरथ मंत्रिमंडल-त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल से कितनी अलग है। तीरथ रावत के मंत्रिमंडल गठन में किसकी चली और किसकी नहीं तथा मंत्रिमंडल गठन में जातीय व क्षेत्रीय समीकरण कितने साधे गए। यहां हम इन्हीं बिंदुओं की पड़ताल करने का प्रयास कर रहे हैं।
प्हले क्षेत्रीय समीकरणों की बात करें तो तीरथ मंत्रिमंडल में राज्य की पांच लोकसभा क्षेत्रों में से पौड़ी लोक सभा से तीन, टिहरी, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ तथा नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्रों से दो-दो और हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से एक मंत्री बनाया गया है। वहीं पहाड़-मैदान की बात करें तो मैदानी क्षेत्र से अरविंद पांडेय और यतीश्वरानंद दो मंत्री हैं जबकि पहाड़ी जिलों से सीएम को मिलाकर दस मंत्री हैं। जिलों की बात करें तो कुमाऊं के चंपावत और बागेश्वर तथा गढ़वाल के चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों की हिस्सेदारी भी नहीं है। यानी पहाड़ के पांच जिलों का मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। वहीं जातिगत समीकरणों को देखें तो मंत्रिपरिषद में पांच राजपूत, चार ब्राह्मण व दो दलित तथ एक चेहरा अन्य पिछड़े वर्ग का है। एसटी यानी जनजाति वर्ग के विधायक को भी हिस्सेदारी नहीं मिली है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डॉ. हरक सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल और राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को मिलाकर पांच राजपूत चेहरे हैं, जबकि कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, अरविंद पांडेय, सुबोध उनियाल और गणेश जोशी को मिलाकर चार ब्राह्मण मंत्री हैं। इसी तरह महिला और अनुसूचित जाति के प्रतिनिधि के रूप में रेखा आर्य हैं वहीं यशपाल आर्य भी अनुसूचित जाति से हैं। ओबीसी को पहली बार मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। स्वामी यतीश्वरानंद के लिए कहा जा सकता है कि जात न पूछो साधु की। वे संत समाज के प्रतिनिधि भी हैं, लेकिन मूल रूप से वह हरियाणा मूल के जाट जाति से हैं। सतपाल महाराज और यतीश्वरानंद दोनों संत समाज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं गणेश जोशी सैनिक व पूर्व सैनिक वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बताया जा रहा है कि उन्हें इसी कारण मंत्रिमंडल में प्रमुखता मिली है, और सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। शपथ समारोह में जोशी गढ़वाल राइफल्स की अधिकारियों व जेसीओ को मिलने वाली हरे रंग की साइड कैप भी पहनकर आये थे। उन्होंने शपथ के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने जाकर नमस्कार करने के बजाय फौजी तरीके से सेल्यूट मारा और बधाई स्वीकार करने के बाद उन्होंने फिर से सेल्यूट मारकर मंच से विदाई ली। जबकि उनकी जगह सीएम त्रिवेंद्र रावत की पसंद के तौर पर मुन्ना सिंह चौहान का मंत्री बनना अधिक तय माना जा रहा था। लेकिन त्रिवेंद्र अपनी पसंद को तीरथ मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करा पाए। त्रिवेंद्र अपनी पसंद के और भावी मुख्यमंत्री के तौर पर प्रचारित हो रहे डॉ. धन सिंह रावत को कैबिनेट मंत्री भी नहीं बना पाए। बताया जा रहा है कि डॉ. धन सिंह ने अपने पक्ष में करीब ढाई दर्जन विधायकों के हस्ताक्षर भी करा लिये थे। उनका यह दांव ही उनके खिलाफ गया। वहीं उप मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित हो रहे पुष्कर सिंह धामी तो मंत्री भी नहीं बन पाए। बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र स्व. प्रकाश पंत की पत्नी व पिथौरागढ़ विधायक चंद्रा पंत और कपकोट के विधायक बलवंत सिंह भौर्याल को भी अपनी कैबिनेट में चाहते थे, मगर तीनों भी मंत्री नहीं बन पाए। त्रिवेंद्र की अपने कैबिनेट मंत्री रहे डा. हरक सिंह रावत से अक्सर ठनी रहती थी। ऐसे में माना जा रहा था कि वह नई कैबिनेट से बाहर हो सकते हैं, लेकिन वह अपने पद पर उसी पुरानी ठसक के साथ बरकरार हैं। वहीं डीडीहाट से लगातार जीत रहे विधायक और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल मंत्रिमंडल विस्तार न होने को लेकर पूर्व सीएम के खिलाफ खुलेआम मोर्चा भी खोल चुके थे फिर भी वह कैबिनेट में जगह पा गए। यह भी उल्लेखनीय है कि तीरथ अपना मंत्रिमंडल गठन करते हुए कांग्रेस की पृष्ठभूमि से आए मंत्रियों को हटाने का रिस्क भी नहीं ले पाए। गौरतलब है कि पिछली बार इन्हंे मंत्री बनाना भाजपा की मजबूरी थी, क्योंकि वे कांग्रेस तोड़कर भाजपा में आए थे। इसलिए इस बार माना जा रहा था कि पिछली सरकार में अच्छी परफॉमेंस न दे पाए इनमें से कुछ को हटाया जा सकता है, लेकिन भी ऐसा नहीं हुआ।

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नवीन समाचार, देहरादून, 12 मार्च 2021। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल का गठन हो गया है। प्रदेश की राज्यपाल ने शुक्रवार शाम पांच बजे मंत्रियों को क्रम से मंत्री पद की शपथ दिलाई। सबसे पहले निवर्तमान पर्यटन मंत्री व चौबट्टाखाल से विधायक सतपाल महाराज ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। उनके बाद भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष व कालाढुंगी से विधायक बंशीधर भगत ने, उनके बाद निवर्तमान वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, फिर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल, निवर्तमान परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, निवर्तमान शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, निवर्तमान कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, मसूरी से विधायक गणेश जोशी ने शपथ ली। वहीं निवर्तमान उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत व निवर्तमान महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य तथा हरीश रावत को 12 हजार मतों से हराकर दूसरी बार हरिद्वार ग्रामीण सीट से विधायक बने यतीश्वरानंद ने राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार के रूप में शपथ ली। वहीं आखिर में यतीश्वरानंद ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली।

12 सदस्यीय तीरथ 2.0 में कुमाऊं मंडल को पांच पद ही मिले, जबकि प्रदेश अध्यक्ष पद से बंशीधर भगत की विदाई के बाद इससे अधिक पदों की उम्मीद की जा रही थी। उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में सीएम त्रिवेंद्र सहित सात मंत्री गढ़वाल एवं पांच मंत्री कुमाऊं मंडल से मंत्री बनाया गया है। कुमाऊं मंडल के बागेश्वर व चंपावत जिलों से किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। निवर्तमान शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने उत्तराखंड की दूसरी राजभाषा संस्कृत में शपथ ली।

इस दौरान पूरी तरह से कुमाउनी परिधानों में सजी, दूसरी बार मंत्री बनीं सोमेश्वर की विधायक रेखा आर्या आकर्षण का केंद्र रहीं। उन्होंने सांसद अजय भट्ट सहित कई नेताओं से पैर छूकर भी आशीर्वाद लिया। वहीं मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण से पहले से ही अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ बेहज सहज तरीके से मिलते, हंसी-मजाक करते नजर आए। इस दौरान वे प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार और उनके बाद मुख्य सचिव ओमप्रकाश से भी बात करते नजर आए।

सीएम-डिप्टी सीएम के यह हुए हाल
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित किए जा रहे डॉ. धन सिंह रावत को तीरथ मंत्रिमंडल में पदोन्नति भी नहीं मिल पाई। जबकि पहली बार विधायक बने गणेश जोशी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। जबकि डा. धन सिंह को राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार पर भी कार्य करना होगा। वहीं डिप्टी सीएम के रूप में प्रचारित किए जा रहे पुष्कर सिंह धामी को मंत्रिमंडल में ही स्थान नहीं मिला।

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नवीन समाचार, देहरादून, 12 मार्च 2021। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का मंत्रिमंडल विस्तार आज शुक्रवार शाम पांच बजे होगा। राजभवन को इसके लिए सूचित किया जा चुका है। सूत्रों की मानें तो त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल के आठ में से मदन कौशिक को छोड़कर शेष सभी सात चेहरे यथावत रखे जा सकते हैं। वहीं बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, गणेश जोशी व स्वामी यतीश्वरानंद नया चेहरा हो सकते हैं। वहीं राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो त्रिवेंद्र सरकार में नंबर-2 के मंत्री रहे मदन कौशिश की छुट्टी होनी तय है। उनसे सरकारी प्रवक्ता का पद भी वापस लिया जा सकता है। कौशिक की बतौर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति की गई है। सूत्रों के अनुसार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को उप मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो, प्रदेश की 20 सालों की राजनीति में पहली बार किसी को यह पद दिया जाएगा। ऐसा कुमाऊं की ओर संतुलन साधने के लिए भी किया जा सकता है, क्योंकि पार्टी अध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष दोनों गढ़वाल मंडल से हो गए हैं। कुमाऊं मंडल से मंत्रिमंडल में 6 या 6 से अधिक मंत्री भी हो सकते हैं।
उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि 11 विधायकों को आज पद और गोपनियता की शपथ दिलाई जाएगी। संसदीय बोर्ड के सदस्यों की ओर से कैबिनेट मंत्रियों के नाम पर चर्चा की जा रही है और नाम फाइनल किए जा रहे हैं।

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नवीन समाचार, देहरादून, 11 मार्च 2021। अप्रत्याशित फैसले लेने वाली मोदी-शाह की भाजपा ने उत्तराखंड को नया मुख्यमंत्री देते हुए तमाम राजनीतिक विश्लेषकों को एक बार फिर चौंका दिया। यह अलग बात है कि भाजपा के पिटारे से लगातार दूसरी बार टीएसआर (त्रिवेंद्र सिंह रावत) के बदले फिर दूसरे टीएसआर (तीरथ सिंह रावत) ही निकले। तीरथ रेस के उस विजयी घोड़े की तरह रेस में सबसे आगे निकले जो रेस ट्रैक में दिखाई ही नहीं दे रहा था। जबकि मुख्यमंत्री पद की रेस में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, राज्यमंत्री धन सिंह रावत, सांसद अजय भट्ट व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के नाम गिने जा रहे थे। इनमें एक दावेदार के समर्थक कार्यकर्ता तो पटाखे लेकर भी भाजपा कार्यालय तक पहुंच गए थे। लेकिन नाम की घोषणा होते ही उनके पटाखे बेकार चले गए।
सूत्रों की मानें तो प्रदेश भाजपा में भी किसी को पक्के तौर पर पता नहीं था कि भाजपा आलाकमान किसे सीएम की कुर्सी की जिम्मेदारी सौंप रहा है। तीरथ का नाम तभी खुला जब भाजपा आलाकमान की ओर से एसएमएस के जरिए तीरथ सिंह रावत का नाम आखिरी समय में आया। ऐसे में जब निवर्तमान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नए सीएम के नाम का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि वह अपने वरिष्ठतम सहयोगी के नाम का प्रस्ताव करते हैं तो सभी का ध्यान दावेदारों के बीच से केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की ओर चला गया। उसके बाद जब उन्होंने कहा कि वे मेरे छोटे भाई के समान हैं तो लोग डॉ. धन सिंह रावत की ओर देखने लगे। पर तभी उन्होंने कहा कि कि वे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं तो लोग और चौंके और अजय भट्ट की ओर देखने लगे। इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें मैंने इंटर में पढ़ने के दौरान आरएसएस जॉइन करवाई थी, तब भी कोई कुछ समझ नहीं पाया। यह राज तभी खुला जब उन्होंने खुलकर तीरथ सिंह रावत का नाम ही ले लिया।
इधर आज प्रदेश के नए सीएम तीरथ सिंह रावत ने हरिद्वार कुंभ में संतों का आशीर्वाद लेने और पेशवाई पर पुष्पवर्षा कराने के बाद अपने राजनीतिक गुरू पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी के आवास पर जाकर उनके पांव छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं उन्होंने कल अपना पहला फैसला कुंभ में पेशवाई पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा करने के बाद आज दूसरा अच्छा निर्णय राज्य के ही बेटे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सचिव परिवहन शैलेश बगोली को अपना यानी मुख्यमंत्री का सचिव नियुक्त कर अपनी अच्छी सोच का परिचय दिया। उधर आज यह भी हुआ कि खुद को धार्मिक नेता व मोहमाया से दूर बताने वाले विधायक सतपाल महाराज ने अपनी चौबट्टाखाल सीट नए सीएम के लिए न छोड़ने की बात कह अपना राजनीतिक चेहरा प्रदर्शित किया, जबकि बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने अपनी विधानसभा के विकास के लिए तीरथ के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की। उल्लेखनीय है कि अभी राज्य की सल्ट सीट भी खाली है और सीएम तीरथ के लिए यहां से चुनाव लड़ने का विकल्प भी पहले से मौजूद है।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 10 मार्च 2021। उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के उपरांत तीरथ सिंह रावत के प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोनीत होने के बाद से ही मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश दिखाई दिया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने नगर मंडल अध्यक्ष आनंद बिष्ट एवं प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य गोपाल रावत की अगुवाई में मल्लीताल रामलीला मैदान में एकत्र होकर आतिषबाजी कर व आपस में मिष्ठान्न वितरण कर खुशी का इजहार किया।
रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री बदलने से कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है। इस दौरान पूर्व नगर अध्यक्ष मनोज जोशी, नगर पालिका सभासद गजाला कमाल, राहुल पुजारी, अरविंद पडियार, सोशल मीडिया प्रभारी विश्वकेतु वैद्य, ज्योति वर्मा, रोहित भाटिया, पंकज राठौर, संजय कुमार, मोहम्मद आसिफ, पंकज राठौर, आशीष कटियार, विक्रम राठौर, अरुण कुमार व अतुल पाल आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।

विधायक संजीव आर्य ने मुख्यमंत्री रावत को दी बधाई व शुभकामनाएं

नैनीताल। नैनीताल विधायक संजीव आर्य ने प्रदेश के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। श्री आर्य ने विश्वास जताया है कि तीरथ को उत्तराखंड के राजनीतिक भविष्य की बागडोर सोंपे जाने से उनके नेतृत्व में पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में विजयी होगी और जनभावनाओं के अनुरूप विकास कार्यों को तेज रफ्तार देगी।

ब्यूरोक्रेसी पर लगाम लगाना व आर्थिक रूप से राज्य को पटरी पर लाना चुनौती: भट्ट
नैनीताल। भाजपा नेता एवं नगर पालिका नैनीताल के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष डीएन भट्ट ने कहा कि प्रदेश के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सीधे-सरल व्यक्ति हैं। उनके लिए राज्य की बेलगाम नौकरशाही पर लगाम लगाना व राज्य को आर्थिक रूप से पटरी पर लाने की चुनौती होगी।

आम आदमी पार्टी ने बताया धोखा
नैनीताल। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदले जाने को आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप दुम्का ने उत्तराखंड की जनता के साथ धोखा करार दिया है। श्री दुम्का ने कहा कि भाजपा ने आखिर ऐसे व्यक्ति को सीएम बनाया ही क्यों जो सीएम बनने की योग्यता न रखता हो। वहीं विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद तिवारी ने कहा कि भाजपा ने कमजोर नेतृत्व देकर पूरे उत्तराखंडवासियों के साथ विश्वासघात किया है। आगामी विधानसभा चुनाव में जनता इस विश्वासघात का बदला अवश्य लेगी। नगर अध्यक्ष शाकिर अली ने कहा कि पिछले 20 सालों में कांग्रेस-भाजपा ने पायजामों की तरह अब तक कुल 9 मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं। विधानसभा सह प्रभारी विनोद कुमार व पूर्व नगर अध्यक्ष देवेंद्र लाल व संगठन मंत्री प्रदीप साह आदि ने भी मुख्यमंत्री बदले जाने पर सरकार की आलोचना की है।

मुख्यमंत्री बदल कर भाजपा ने हार कबूल कर ली: भाकुनी
नैनीताल। उत्तराखंड प्रदेश किसान कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महामंत्री वरुण प्रताप सिंह भाकुनी ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वधानसभा चुनाव से ठीक 1 साल पूर्व मुख्यमंत्री बदल कर भाजपा ने अपनी हार कबूल कर ली है। नेतृत्व परिवर्तन से भाजपा अपनी नाकामी छिपा नहीं सकती है। भाजपा में चल रहा अंतर्द्ंद्व अब सबके सामने है। त्रिवेंद्र सरकार में केवल अफसरशाही हावी रही। उनके कार्यकाल में क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया गया और कोरोना महामारी से निपटने में भी उन्होंने ढिलाई बरती। जनप्रतिनिधियों को किसी भी निर्णय से पहले विश्वास में नहीं लिया गया जिस कारण मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज से पूर्व मुख्यमंत्री हो गए हैं।

मुख्यमंत्री बदला जाना केवल चुनावी फैसला: जंतवाल
नैनीताल। उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन पर उत्तराखंड क्रांति दल के पूर्व कंेद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री जनभावनाओं के अनुरूप एवं विधायकों के बीच से बनाया जाना चाहिए, लेकिन राष्ट्रीय दलों में इसकी जगह अपनी पसंद का मुख्यमंत्री थोपने की परंपरा है। इस कारण राज्य के मुख्यमंत्री अपने केंद्रीय नेतृत्व के प्यांदे की भूमिका में रहते हैं और जनभावनाओं के अनुरूप कार्य नहीं कर पाते हैं। पिछले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने एनएच-74 के घोटाले की सीबीआई से जांच कराने का एक अच्छा फैसला लिया था किंतु केंद्रीय हाईकमान के दबाव में वह जांच नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि चार वर्ष के कार्यकाल के बाद चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री को बदला जाना केवल चुनावी दृष्टिकोण से लिया गया फैसला है।

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नवीन समाचार, देहरादून, 10 मार्च 2021। त्रिवेन्द्र सिंह रावत (TSR) के बाद तीरथ सिंह रावत (TSR) उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री बन गये हैं। मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत ने अपराह्न 4 बजे कार्यभार ग्रहण कर लिया है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्या ने उन्हें देहरादून राजभवन में शपथ दिलाई। बेहद संक्षिप्त रहे कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा और किसी भी विधायक ने मंत्रीपद की शपथ नहीं ली। माना जा रहा है कि आगे शीघ्र ही बड़े भव्य कार्यक्रम में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा।

बड़ी बात यह रही कि मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले तीरथ सिंह रावत को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी। अपने संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तीरथ बड़ा प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव रखते हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि उनके नेतृत्व में उत्तराखंड विकास की नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में आगे बढ़ता रहेगा।

इससे पहले कुछ ही मिनट चली विधानमंडल की बैठक में अपने नाम की घोषणा के बाद अपने पहले संबोधन में राज्य के नवमनोनीत मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उन्हें जब भी जो भी जिम्मेदारी सोंपी गई है, उसका उन्होंने पूरी शक्ति से निर्वाह किया है। उन्होंने निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यों की भी जमकर सराहना की और उनके कार्यों को आगे बढ़ाने की बात कही। वह आज शाम ही चार बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उन्होंने राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। इसके बाद वे पार्टी मुख्यालय आ चुके हैं। इसके बाद राज्य में मंत्रिमंडल के गठन पर चर्चा प्रारंभ हो गई है।

माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल से कम से कम सतपाल महाराज की छु्ट्टी हो सकती है। सतपाल को तीरथ की जगह लोकसभा भेजा जा सकता है। जबकि तीरथ उनकी पौड़ी की चौबट्टाखाल सीट से विधानसभा का उपचुनाव लड़ सकते हैं। यह भी संभावना है कि आज ही 10 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। मंत्रिमंडल में कुछ चौंकाने वाले परिवर्तन भी हो सकते हैं। यह माना जा रहा है कि खासकर पिथौरागढ़-अल्मोड़ा जनपद से कुछ नए मंत्री बन सकते हैं। बिशन सिंह चुफाल व बलवंत सिंह र्भौर्याल को मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है।

उल्लेखनीय है कि तीरथ सिंह रावत भारतीय भारतीय जनता पार्टी के पुराने राजनीतिज्ञ है। वह फरवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और चौबट्टाखाल से भूतपूर्व विधायक (2012-2017) रहे हैं, वर्तमान में तीरथ सिंह रावत भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के साथ-साथ गढ़वाल लोकसभा से सांसद भी हैं। पौड़ी सीट से भाजपा के उम्मीदवार के अतिरिक्त 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था। उनका जन्म सीरों, पट्टी असवालस्यूं पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड में हुआ था। उनके पिता कलम सिंह रावत थे। वर्ष 2000 में नवगठित उत्तराखण्ड राज्य के प्रथम शिक्षा मंत्री रहे। इसके बाद 2007 में भारतीय जनता पार्टी उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए तत्पश्चात प्रदेश चुनाव अधिकारी तथा प्रदेश सदस्यता प्रमुख रहे। 2013 उत्तराखण्ड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे, वर्ष 2012 में चौबटाखाल विधान सभा से विधायक निर्वाचित हुए और वर्ष 2013 में उत्तराखण्ड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने।

इससे पूर्व वर्ष 1983 से 1988 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखण्ड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री रहे।हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविधालय में छात्र संघ अध्यक्ष और छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे। इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। इसके बाद 1997 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए तथा विधान परिषद् में विनिश्चय संकलन समिति के अध्यक्ष बनाये गए। श्री रावत जी को पौड़ी सीट से भारत के 17 वें लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से प्रत्याशी बनाया गया था, जिसमें वे भारी मतों से विजयी हुए। इन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के श्री मनीष खंडूड़ी को 2,85,003 से अधिक मतों से हराया।

20 वर्ष के उत्तराखंड में आज 10वीं बार मुख्यमंत्री बदल रहा है। भाजपा मुख्यालय में विधानमंडल दल की बैठक 11 बजे से शुरू हो गई है। बैठक में राज्य के निवर्तमान सीएम सहित सभी विधायकों के साथ ही राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी व अजय टम्टा को छोड़कर शेष सभी सांसद मौजूद हैं, अलबत्ता अभी केंद्रीय पर्यवेक्षकों का इंतजार किया जा रहा है। इससे पहले मंगलवार देर रात्रि भी केंद्रीय पर्यवेक्षक व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने पार्टी के विधायकों से अलग-अलग बैठक कर उनका मन लिया। नयी उल्लेखनीय अपडेट यह भी आ रही है कि केंद्र की ओर से अभी कोई नाम पर्यवेक्षकों की ओर से कोई नाम नहीं आया है। ऐसे में यह भी हो सकता है कि विधायक आपस में सर्वानुमति ने कोई एक अथवा अधिक नाम तय कर लें और केंद्रीय हाईकमान को अगले मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए अधिकृत कर दें।
हम इस लिंक पर लगातार राज्य के राजनीतिक घटनाक्रमों पर अपडेट देंगे। अपडेट्स के लिए लगातार इस लिंक को रिफ्रेश करते रहें।

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