उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को घेर लिया, आग लगाने की दी धमकी… चश्मदीद ने अदालत में किया 1994 की घटना का वीभत्स वर्णन

नवीन समाचार, मुजफ्फरनगर, 25 मई 2024 (UK Rajy Aandolan ki kahani-Chashmdid ki Jubani)। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के चर्चित रामपुर तिराहा कांड के मामले में सीबीआई बनाम राधा मोहन द्विवेदी के मामले में चश्मदीद पर्वतीय शिक्षक कर्मचारी संघ पोखरी की सदस्य ने अदालत में घटना का वीभत्स वर्णन प्रस्तुत किया है।
शुक्रवार को अपर जिला जज-विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट संख्या-दो के पीठासीन अधिकारी अंजनी कुमार सिंह की अदालत में हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्रवण कुमार ने बताया कि वर्तमान में कर्णप्रयाण के कनौठ से पहुंची 62 साल की चश्मदीद ने बताया कि वह साल 1994 में पर्वतीय शिक्षक कर्मचारी संघ पोखरी की सदस्य थीं।
अन्य कर्मचारियों के साथ वह बस में सवार होकर रात के करीब साढ़े 10 बजे वह रामपुर तिराहा पर पहुंचे थे। तभी पुलिस ने ट्रक आडे़-तिरछे खड़े कर आंदोलनकारियों की बसें रोक लीं। पुलिसकर्मियों ने हमारी बस को घेर लिया था। खिड़कियों पर डंडे मारे जा रहे थे। पुलिस ने डंडा मारकर उनकी बस में सवार शिवराज सिंह पंवार नाम के आंदोलनकारी का सिर फाड़ दिया। साथ ही महिलाओं को गालियां दी गईं।
इससे डरकर महिलाएं सीटों के नीचे छिप गई थीं। रात के करीब ढाई बजे पुलिस की ओर से धमकी दी गई कि महिलाएं नीचे नहीं उतरीं तो बस में आग लगा दी जाएगी। रात के समय पुलिसकर्मी एक जैसे ही दिख रहे थे, इस वजह से पहचानना मुश्किल है।
गढ़वाली पुलिसवाले ने दिया भरोसा (UK Rajy Aandolan ki kahani-Chashmdid ki Jubani)
चश्मदीद ने यह भी कहा फिर हमें एक गढ़वाली पुलिसवाला मिला। भरोसा दिया कि कुछ नहीं होने देंगे। इसके बाद हमें बस में बैठाकर वापस भेजा गया। तीन अक्तूबर 1994 को हम वापस गोपेश्वर पहुंचे। (UK Rajy Aandolan ki kahani-Chashmdid ki Jubani)
यह था मामला (UK Rajy Aandolan ki kahani-Chashmdid ki Jubani)
एक अक्तूबर, 1994 की रात अलग राज्य की मांग के लिए आंदेालनकारी बसों में सवार होकर दिल्ली के लिए निकले थे। इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। पुलिसकर्मियों ने रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा ली गई। आरोप है कि महिला आंदोलनकारियों के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म किया। उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे, जिसकी सुनवाई चल रही है। (UK Rajy Aandolan ki kahani-Chashmdid ki Jubani)
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